असम और नॉर्थ ईस्ट में ग्रोथ, डेवलपमेंट और कनेक्टिविटी सरकार की प्राथमिकताएं हैं: प्रधानमंत्री
मोदी रो-पैक्स सेवाएं दूरियों को काफी कम कर देंगी : प्रधानमंत्री मोदी

नमस्कार असम!
श्रीमंत शंकरदेव की कर्मस्थली और सत्रों की भूमि मजूली को मेरा प्रणाम! केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी श्री नितिन गडकरी जी, श्री रविशंकर प्रसाद जी, श्री मनसुख मांडविया जी, असम के मुख्यमंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल जी, मेघालय के मुख्यमंत्री, कोनरेड संगमा जी, असम के वित्त मंत्री डॉक्टर हिमंता बिस्वा सरमा जी, और असम के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों। ऐसा लग रहा कि आलि-आये-लिगांग उत्सव की उमंग दूसरे दिन भी जारी है। कल मिसिंग समुदाय के लिए, खेती और किसानी के उत्सव का दिन था और आज मजूली सहित पूरे असम और नॉर्थ ईस्ट के विकास का एक बहुत बड़ा महोत्‍सव है। ताकामे लिगांग आछेँगेँ छेलिडुंग!

भाइयों और बहनों,

भारत रत्न डॉक्टर भूपेन हज़ारिका ने कभी लिखा था- महाबाहु ब्रह्मपुत्र महामिलनर तीर्थ(अ) कत(अ) जुग धरि आहिछे प्रकाखि हमन्वयर अर्थ(अ)! यानि ब्रह्मपुत्र का विस्तार बंधुत्व का, भाईचारे का, मिलन का तीर्थ है। सालों-साल से ये पवित्र नदी, मेलजोल का, कनेक्टिविटी का पर्याय रही है। लेकिन ये भी सही है कि ब्रह्मपुत्र पर कनेक्टिविटी से जुड़े जितने काम पहले होने चाहिए थे, उतने हुए नहीं। इस वजह से असम के भीतर भी और नॉर्थ ईस्ट के अन्य क्षेत्रों में कनेक्टिविटी हमेशा एक बड़ी चुनौती बनी रही। महाबाहु ब्रह्मपुत्र के आशीर्वाद से अब इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है। बीते वर्षों में केंद्र और असम की डबल इंजन सरकार ने, इस पूरे क्षेत्र की भौगोलिक और सांस्कृतिक, दोनों प्रकार की दूरियों को कम करने का प्रयास किया है। हमने ब्रह्मपुत्र की शाश्वत भावना के अनुरूप, सुविधा, सुअवसरों और संस्कृति के पुल बनाए हैं, सेतु बनाए हैं। असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट की Physical और Cultural Integrity को बीते सालों में सशक्त किया गया है।

साथियों,

आज का दिन असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट के लिए इस व्यापक विजन को विस्तार देने वाला है। डॉक्टर भूपेन हज़ारिका सेतु हो, बोगीबिल ब्रिज हो, सरायघाट ब्रिज हो, ऐसे अनेक ब्रिज आज असम का जीवन आसान बना रहे हैं। ये देश की सुरक्षा को मजबूत करने के साथ ही, हमारे वीर जांबाजों को भी बड़ी सहूलियत दे रहे हैं। असम और नॉर्थ ईस्ट के अलग-अलग हिस्सों को जोड़ने के इस अभियान को आज और आगे बढ़ाया गया है। आज से 2 और बड़े ब्रिज पर काम शुरु हो रहा है। जब कुछ वर्ष पहले मैं माजूली द्वीप गया था तो वहां की समस्याओं को करीब से महसूस किया था। मुझे खुशी है कि सर्बानंद सोनोवाल जी की सरकार ने इन मुश्किलों को कम करने के लिए पूरी निष्ठा से प्रयास किया है। मजूली में असम का पहला हेलीपोर्ट भी बन चुका है।

भाइयों और बहनों,

अब मजूली वासियों को सड़क का भी तेज़ और सुरक्षित विकल्प मिलने जा रहा है। आपकी बरसों पुरानी मांग आज पुल के भूमि पूजन के साथ ही पूरी होनी शुरू हो गई है। कालीबाड़ी घाट से जोहराट को जोड़ने वाला 8 किलोमीटर का ये पुल मजूली के हज़ारों परिवारों की जीवन रेखा बनेगा। ये ब्रिज आपके लिए सुविधा और संभावनाओं का सेतु बनने वाला है। इसी तरह धुबरी से मेघालय में फुलबारी तक 19 किमी लंबा पुल जब तैयार हो जाएगा, तो इससे बराक घाटी की कनेक्टिविटी मजबूत होगी। यही नहीं इस पुल से मेघालय, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा की असम से दूरी भी बहुत कम हो जाएगी। सोचिए, मेघालय और असम के बीच अभी सड़क मार्ग से जो दूरी करीब ढाई सौ किलोमीटर है भविष्य में सिर्फ 19-20 किलोमीटर रह जाएगी। ये ब्रिज अन्य देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय यातायात के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा।

भाइयों और बहनों,

ब्रह्मपुत्र और बराक सहित असम को अनेक नदियों की जो सौगात मिली है, उसको समृद्ध करने के लिए आज महाबाहू ब्रह्मपुत्र प्रोग्राम शुरु किया गया है। ये प्रोग्राम, ब्रह्मपुत्र के जल से इस पूरे क्षेत्र में Water Connectivity को, Port Led Development को सशक्त करेगा। इस अभियान की शुरुआत में आज नीमाती-मजूली, नॉर्थ और साउथ गुवाहाटी, धुबरी-तसिंगीमारी के बीच 3 रो-पैक्स सेवाओं का उद्घाटन किया गया है। इसी के साथ असम इतने बड़े स्तर पर रो-पैक्स सर्विस से जुड़ने वाला देश का अग्रणी राज्य बन गया है। इसके अलावा जोगीघोपा में Inland Water Transport Terminal सहित ब्रह्मपुत्र पर 4 जगह टूरिस्ट जेटी बनाने का काम भी शुरु किया गया है। मजूली सहित असम को, नॉर्थ ईस्ट को बेहतर कनेक्टिविटी देने वाले ये प्रोजेक्ट्स, इस क्षेत्र में विकास की गति को और तेज करेंगे। 2016 में आपके दिए एक वोट ने, कितना कुछ करके दिखा दिया है। आपके वोट की ये ताकत अभी असम को और ऊंचाई पर लेकर जाने वाली है।

भाइयों और बहनों,

गुलामी के कालखंड में भी असम देश के संपन्न और अधिक रेवेन्यु देने वाले राज्यों में से एक था। यहां तक कि चिटगांव और कोलकाता पोर्ट तक चाय और पेट्रोलियम पदार्थ, ब्रह्मपुत्र-पदमा-मेघना नदियों और रेल लाइनों से होकर ही पहुंचते थे। कनेक्टिविटी का यही नेटवर्क असम की समृद्धि का बड़ा कारण था। लेकिन आज़ादी के बाद जहां इस इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाना जरूरी था, इन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया गया। जलमार्ग पर फोकस नहीं किया गया, तो लगभग खत्म ही हो गए। इस क्षेत्र में अव्यवस्था और अशांति के पीछे, विकास को लेकर ये लापरवाही भी एक बड़ी वजह बनी। इतिहास में की गईं उन गलतियों को सुधारने की शुरुआत अटल बिहारी वाजपेई जी ने की थी। अब उनका और विस्तार किया जा रहा है, उन्हें और गति दी जा रही है। अब, असम का विकास प्राथमिकता में भी है और इसके लिए दिन-रात प्रयास भी हो रहा है।

भाइयों और बहनों,

बीते पांच वर्षों में असम की मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी को फिर से स्थापित करने के लिए एक के बाद एक कदम उठाए गए हैं। कोशिश ये है कि असम को, नॉर्थ ईस्ट को, दूसरे पूर्वी एशियाई देशों के साथ हमारे सांस्कृतिक और व्यापारिक रिश्तों का भी केंद्र बनाया जाए। इसलिए Inland Waterways को यहां एक बड़ी ताकत बनाने पर काम चल रहा है। हाल में ही बांग्लादेश के साथ Water Connectivity बढ़ाने के लिए एक समझौता भी किया गया है। ब्रह्मपुत्र और बराक नदी को जोड़ने के लिए हुगली नदी में इंडो-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट पर काम चल रहा है। इससे असम के अलावा मेघालय, मिजोरम, मणिपुर और त्रिपुरा को भी हल्दिया, कोलकाता, गुवाहाटी और जोगीघोपा के लिए एक वैकल्पिक कनेक्टिविटी मिलेगी। यानि अभी नॉर्थ ईस्ट को शेष भारत से जोड़ने के लिए जिस संकरे से क्षेत्र पर हमारी निर्भरता रहती है, उस निर्भरता को ये रास्ता कम करेगा।

भाइयों और बहनों,

जोगीघोपा का IWT टर्मिनल इस वैकल्पिक रास्ते को और मजबूत बनाएगा और असम को कोलकाता से, हल्दिया पोर्ट से जलमार्ग द्वारा जोड़ेगा। इस टर्मिनल पर भूटान और बांग्लादेश के कार्गो, जोगीघोपा मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क के कार्गो और ब्रह्मपुत्र नदी पर अलग-अलग स्थानों के लिए आने-जाने की सुविधा मिलेगी।

साथियों,

अगर सामान्य जन की सुविधा प्राथमिकता हो और विकास का लक्ष्य अटल हो, तो नए रास्ते बन ही जाते हैं। मजूली और नेमाती के बीच रो-पैक्स सेवा ऐसा ही एक रास्ता है। इससे अब आपको सड़क के रास्ते करीब सवा 4 सौ किलोमीटर घूमकर आने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। अब आप रो-पैक्स से सिर्फ 12 किलोमीटर का सफर करते हुए अपनी साइकिल, स्कूटर, बाइक या कार को जहाज़ में ले जा सकते हैं। इस रास्ते पर जो 2 जहाज चलाए जा रहे हैं, वो एक बार में करीब 1600 यात्री और दर्जनों वाहनों को ले जा पाएंगे। ऐसी ही सुविधा, अब गुवाहाटी के लोगों को भी मिलेगी। अब उत्तरी और दक्षिण गुवाहाटी के बीच की दूरी 40 किलोमीटर से कम होकर सिर्फ 3 किलोमीटर तक सिमट जाएगी। इसी तरह धुबरी और हतसिंगीमारी के बीच की दूरी करीब सवा 2 सौ किलोमीटर से कम होकर 30 किलोमीटर तक रह जाएगी।

साथियों,

हमारी सरकार द्वारा सिर्फ जलमार्ग ही नहीं बनाए जा रहे हैं, बल्कि इनका उपयोग करने वालों को सटीक जानकारी भी मिले, इसके लिए भी आज ई-पोर्टल लॉन्च किए गए हैं। Car-D पोर्टल से नेशनल वॉटरवे के सभी कार्गो और क्रूज़ से जुड़े ट्रैफिक डेटा को रियल टाइम पर क्लेक्ट करने में मदद मिलेगी। इसी तरह पानी पोर्टल, नौचालन के अलावा वॉटरवे के इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी जानकारियां भी देगा। GIS आधारित भारत मैप पोर्टल, उन लोगों की मदद करता है जो यहां घूमने-फिरने या व्यापार-कारोबार के लिए आना चाहते हैं। आत्मनिर्भर भारत के लिए मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी का देश में विकास हो रहा है, असम उसका बेहतरीन उदाहरण होने वाला है।

भाइयों और बहनों,

असम और नॉर्थ ईस्ट की वॉटरवे-रेलवे-हाईवे कनेक्टिविटी के साथ ही इंटरनेट कनेक्टिविटी भी उतनी ही जरूरी है। इस पर भी लगातार काम हो रहा है। अब सैकड़ों करोड़ रुपए के निवेश से गुवाहाटी में नॉर्थ ईस्ट का पहला और देश का छठा डेटा सेंटर भी बनने वाला है। ये सेंटर नॉर्थ ईस्ट के सभी 8 राज्यों के लिए डेटा सेंटर हब के रूप में काम करेगा। इस डेटा सेंटर के बनने से असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट में e-governance को, आईटी सर्विस आधारित इंडस्ट्री को, स्टार्ट अप्स को और बल मिलेगा। बीते सालों से नॉर्थ ईस्ट के युवाओं के लिए BPO का जो इकोसिस्टम तैयार किया जा रहा है, उसको अब ताकत मिलेगी। यानि एक प्रकार से ये सेंटर डिजिटल इंडिया के विजन को नॉर्थ ईस्ट में भी मज़बूत करेगा।

भाइयों और बहनों,

भारत रत्न डॉक्टर भूपेन हज़ारिका ने लिखा था:- कर्मइ आमार धर्म, आमि नतुन जुगर नतुन मानब, आनिम नतुन स्वर्ग, अबहेलित जनतार बाबे धरात पातिम स्वर्ग! यानि हमारे लिए काम ही हमारा धर्म है। हम नए युग के नए लोग हैं। जिनकी सुध कभी नहीं ली गई, हम उनके लिए नया स्वर्ग बनाएंगे, धरती पर स्वर्ग बनाएंगे। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास की इसी भावना के साथ आज असम और नॉर्थ ईस्ट सहित पूरे देश में सरकार काम कर रही है। ब्रह्मपुत्र के इर्दगिर्द समृद्ध हुई असमिया संस्कृति, आध्यात्म, जनजातियों की समृद्ध परंपरा और biodiversity हमारी धरोहर है। श्रीमंत शंकरदेव जी भी मजूली द्वीप इसी धरोहर को सशक्त करने के लिए आए थे। इसके बाद मजूली की पहचान आध्यात्म के केंद्र के रूप में, असम की संस्कृति की आत्मा के रूप में बनी। आप सभी ने सत्रिया संस्कृति को जिस प्रकार आगे बढ़ाया, वो प्रशंसनीय है। मुखा शिल्प और रास उत्सव को लेकर जिस प्रकार देश और दुनिया में अब उत्साह बढ़ रहा है, वो अद्भुत है। ये ताकत, ये आकर्षण सिर्फ आपके पास ही है। इसको बचाना भी है और आगे बढ़ाना भी है।

भाइयों और बहनों,

मैं सर्वानंद सोनोवाल जी और उनकी पूरी टीम को बधाई दूंगा कि मजूली के, असम के इस सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए उन्होंने प्रशंसनीय काम किए हैं। सत्रों और दूसरे महत्वपूर्ण स्थानों को अवैध कब्जे से मुक्त करने का अभियान हो, कल्चरल यूनिवर्सिटी की स्थापना हो, मजूली को “Biodiversity Heritage Site” का दर्जा देना हो, तेजपुर-मजूली-सिवसागर Heritage circuit हो, नमामि ब्रह्मपुत्र और नमामि बराक जैसे उत्सवों का आयोजन हो, ऐसे कदमों से Assam की पहचान और समृद्ध हो रही है।

साथियों,

आज कनेक्टिविटी के जिन प्रोजेक्ट्स का शुभारंभ और शिलान्यास किया गया है, उनसे असम में टूरिज्म के लिए नए द्वार खुलने वाले हैं। क्रूज़ टूरिज्म के मामले में असम देश का एक बड़ा डेस्टिनेशन बन सकता है। नेमाती, विश्वनाथ घाट, गुवाहाटी और जोगीघोपा में टूरिस्ट जेटी बनने से असम की टूरिज्म इंडस्ट्री को एक नया आयाम मिलेगा। जब क्रूज़ में घूमने के लिए देश और दुनिया का ज्यादा खर्च करने वाला टूरिस्ट पहुंचेगा, तो असम के युवाओं की कमाई के साधन भी बढ़ेंगे। टूरिज्म तो ऐसा सेक्टर है, जिसमें कम से कम पढ़ा लिखा, कम से कम निवेश करने वाला भी कमाता है और स्किल्ड प्रोफेशनल भी कमाता है। यही तो विकास है, जो गरीब से गरीब को भी, सामान्य नागरिक को भी आगे बढ़ने का अवसर देता है। विकास के इसी क्रम को हमें बनाए रखना है और गति देनी है। असम को, नॉर्थ ईस्ट को आत्मनिर्भर भारत का मज़बूत स्तंभ बनाने के लिए हमें मिलकर काम करना है। एक बार फिर आप सभी को विकास के नए प्रोजेक्ट्स के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्यवाद !

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January 28, 2025
यह भारत की अविश्वसनीय खेल प्रतिभा का उत्सव है और देश भर के एथलीटों की भावना को दर्शाता है: प्रधानमंत्री
हम खेल को भारत के समग्र विकास के लिए प्रमुख चालक मानते हैं: प्रधानमंत्री
हम अपने एथलीटों के लिए अधिक से अधिक अवसर पैदा कर रहे हैं ताकि वे अपनी क्षमता को पूरी तरह से बढ़ा सकें: प्रधानमंत्री
भारत 2036 ओलिम्पिक की मेजबानी के लिए पुरजोर कोशिश कर रहा है: प्रधानमंत्री
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भारत माता की जय!

देवभूमि उत्तराखंड के गवर्नर गुरमीत सिंह जी, युवा मुख्यमंत्री पुष्कर धामी जी, मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी अजय टम्टा जी, रक्षा खडसे जी, उत्तराखंड असेंबली की स्पीकर रितु खंडूरी जी, स्पोर्ट्स मिनिस्टर रेखा आर्य जी, कॉमनवेल्थ गेम्स के प्रेसिडेंट क्रिस जेनकिंस जी, IOA की प्रेसिडेंट पी.टी. ऊषा जी, सांसद महेंद्र भट्ट जी, राष्ट्रीय खेलों में शामिल होने आए देशभर के सभी खिलाड़ी, अन्य महानुभाव!

देवभूमि आज युवा ऊर्जा से और दिव्य हो उठी है। बाबा केदार, बद्रीनाथ जी, मां गंगा के शुभाशीष के साथ, आज नेशनल गेम्स शुरु हो रहे हैं। ये वर्ष उत्तराखंड के निर्माण का 25वां वर्ष है। इस युवा राज्य में, देश के कोने-कोने से आए हजारों युवा अपना सामर्थ्य दिखाने वाले हैं। एक भारत-श्रेष्ठ भारत की बड़ी सुंदर तस्वीर यहां दिख रही है। नेशनल गेम्स में इस बार भी कई देसी पारंपरिक खेलों को शामिल किया गया है। इस बार के नेशनल गेम्स, एक प्रकार से ग्रीन गेम्स भी हैं। इसमें environment friendly चीजों का काफी इस्तेमाल हो रहा है। नेशनल गेम्स में मिलने वाले सभी मेडल और ट्रॉफियां भी ई-वेस्ट से बनी हैं। मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों के नाम पर यहां एक पौधा भी लगाया जाएगा। ये बहुत ही अच्छी पहल है। मैं सभी खिलाड़ियों को, बेहतरीन प्रदर्शन के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मैं धामी जी और उनकी पूरी टीम को, उत्तराखंड के हर नागरिक को इस शानदार आयोजन के लिए बधाई देता हूं।

साथियों,

हम अक्सर सुनते हैं, सोना तप कर खरा होता है। हम खिलाड़ियों के लिए भी ज्यादा से ज्यादा मौके बना रहे हैं, ताकि वे अपने सामर्थ्य को और निखार सकें। आज साल भर में कई टूर्नामेंट्स आयोजित किए जा रहे हैं। खेलो इंडिया सीरीज में कई सारे नए टूर्नामेंट्स जोड़े गए हैं। खेलो इंडिया यूथ गेम्स की वजह से यंग प्लेयर्स को आगे बढ़ने का मौका मिला है यूनिवर्सिटी गेम्स, यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को नए अवसर दे रहे हैं। खेलो इंडिया पैरा गेम्स से पैरा एथलीट्स की परफॉर्मेंस नए-नए अचीवमेंट कर रही है। अभी कुछ दिन पहले ही लद्दाख में खेलो इंडिया विंटर गेम्स का पांचवां एडिशन शुरू हो चुका है। पिछले साल ही हमने बीच गेम्स का आयोजन किया था।

और साथियों,

ऐसा नहीं है कि ये सारे काम सिर्फ सरकार ही करा रही है। आज भाजपा के सैकड़ों सांसद नए टैलेंट को आगे लाने के लिए अपने क्षेत्रों में सांसद खेल कूद स्पर्धा करा रहे हैं। मैं भी काशी का सांसद हूं, अगर मैं सिर्फ अपने संसदीय क्षेत्र की बात करूं, तो सांसद खेल प्रतियोगिता में हर साल काशी संसदीय क्षेत्र में करीब ढाई लाख युवाओं को खेलने का, खिलने का मौका मिल रहा है। यानि देश में खेलों का एक खूबसूरत गुलदस्ता तैयार हो गया है, जिसमें हर सीजन में फूल खिलते हैं, लगातार टूर्नामेंट होते हैं।

साथियों,

हम स्पोर्ट्स को भारत के सर्वांगीण विकास का एक प्रमुख माध्यम मानते हैं। जब कोई देश स्पोर्ट्स में आगे बढता है, तो देश की साख भी बढ़ती है, देश का प्रोफाइल भी बढ़ता है। इसलिए, आज स्पोर्ट्स को भारत के विकास से जोड़ा जा रहा है। हम इसे भारत के युवाओं के आत्मविश्वास से जोड़ रहे हैं। आज भारत, दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक ताकत बनने की ओर अग्रसर है, इसमें स्पोर्ट्स इकोनॉमी का बड़ा हिस्सा हो, ये हमारा प्रयास है। आप जानते हैं, किसी स्पोर्ट्स में सिर्फ एक खिलाड़ी ही नहीं खेलता, उसके पीछे एक पूरा इकोसिस्टम होता है। कोच होते हैं, ट्रेनर होते हैं, न्यूट्रिशन और फिटनेस पर ध्यान देने वाले लोग होते हैं, डॉक्टर होते हैं, इक्विपमेंट्स होते हैं। यानि इसमें सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग, दोनों के लिए स्कोप होता है। ये जो अलग-अलग स्पोर्ट्स का सामान पूरी दुनिया के खिलाड़ी यूज़ करते हैं, भारत उनका क्वालिटी मैन्युफेक्चरर बन रहा है। यहां से मेरठ ज्यादा दूर नहीं है। वहां स्पोर्ट्स का सामान बनाने वाली, 35 हज़ार से ज्यादा छोटी-बड़ी फैक्ट्रियां हैं। इनमें तीन लाख से अधिक लोग काम कर रहे हैं। ये इकोसिस्टम देश के कोने-कोने में बने, आज देश इसके लिए काम कर रहा है।

साथियों,

कुछ समय पहले मुझे दिल्ली में अपने आवास पर ओलंपिक्स टीम से मिलने का अवसर मिला। बातचीत के दौरान एक साथी ने, पीएम की नई परिभाषा बताई थी। उन्होंने कहा कि देश के खिलाड़ी मुझे पीएम यानि प्राइम मिनिस्टर नहीं, बल्कि परम मित्र मानते हैं। आपका ये विश्वास ही मुझे ऊर्जा देता है। मेरा आप सभी के टैलेंट पर, आपके सामर्थ्य पर पूरा भरोसा है, हमारी पूरी कोशिश है, आपका सामर्थ्य बढ़े, आपके खेल में और निखार आए। बीते 10 सालों में देखिए, आपके टैलेंट को सपोर्ट करने पर हमने निरंतर फोकस किया है। 10 साल पहले स्पोर्ट्स का जो बजट था, वो आज तीन गुना से ज्यादा हो चुका है। TOPS स्कीम के तहत ही देश के दर्जनों खिलाड़ियों पर सैकड़ों करोड़ रुपए का निवेश किया जा रहा है। खेलो इंडिया प्रोग्राम के तहत देशभर में आधुनिक स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जा रहा है। आज स्कूल में भी स्पोर्ट्स को मेनस्ट्रीम किया गया है। देश की पहली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी भी मणिपुर में बन रही है।

साथियों,

सरकार के इन प्रयासों का नतीजा हम ग्राउंड पर देख रहे हैं, मेडल टैली में दिखाई दे रहे हैं। आज हर इंटरनेशनल इवेंट में भारतीय खिलाड़ी अपना परचम लहरा रहे हैं। ओलंपिक्स और पैरालंपिक्स में, हमारे खिलाड़ियों ने कितना अच्छा प्रदर्शन किया है। उत्तराखंड से भी कितने ही खिलाड़ियों ने मेडल जीते हैं। मुझे खुशी है कि बहुत से मेडल विनर आज आपका हौसला बढ़ाने के लिए यहां इस वेन्यू पर भी आए हैं।

साथियों,

हॉकी में पुराने गौरवशाली दिन वापस लौट रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही हमारी खो-खो टीम ने वर्ल्ड कप जीता है। हमारे गुकेश डी. ने विश्व शतरंज चैंपियनशिप का खिताब जीता, तो दुनिया हैरान रह गई। कोनेरू हम्पी, महिला विश्व रैपिड शतरंज चैंपियन बनीं, ये सफलता दिखाती है कि भारत में कैसे स्पोर्ट्स अब सिर्फ Extra-Curricular Activity नहीं रह गया है। अब हमारे युवा Sports को प्रमुख Career Choice मानकर काम कर रहे हैं।

साथियों,

जैसे हमारे खिलाड़ी हमेशा बड़े लक्ष्य लेकर चलते हैं, वैसे ही, हमारा देश भी बड़े संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा है। आप सभी जानते हैं कि भारत, 2036 ओलंपिक्स की मेज़बानी के लिए पूरा ज़ोर लगा रहा है। जब भारत में ओलंपिक होगा, तो वो भारत के स्पोर्ट्स को एक नए आसमान पर ले जाएगा। ओलंपिक्स सिर्फ एक खेल का आयोजन भर नहीं होता, दुनिया के जिन देशों में भी ओलंपिक्स होता है, वहां अनेक सेक्टर्स को गति मिलती है। ओलंपिक्स के लिए जो स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर बनता है, उससे भी रोजगार बनता है। भविष्य में खिलाड़ियों के लिए बेहतर सुविधाएं बनती हैं। जिस शहर में ओलंपिक होता है, वहां नया कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर बनता है। इससे कंस्ट्रक्शन से जुड़ी इंडस्ट्री को बल मिलता है, ट्रांसपोर्ट से जुड़ा सेक्टर आगे बढ़ता है। और सबसे बड़ा फायदा तो देश के टूरिज्म को मिलता है। अनेकों नए होटल बनते हैं, दुनिया भर से लोग ओलंपिक्स में हिस्सा लेने और गेम्स देखने आते हैं। इसका पूरे देश को फायदा होता है। जैसे ये नेशनल गेम्स का आयोजन, यहां देवभूमि उत्तराखंड में हो रहा है। यहां जो दर्शक, देश के दूसरे हिस्से से आएंगे, वो उत्तराखंड के दूसरे हिस्सों में भी जाएंगे। यानि स्पोर्ट्स के एक इवेंट से सिर्फ खिलाड़ियों को ही फायदा नहीं होता, बल्कि बहुत से अन्य सेक्टर्स की इकोनॉमी भी इससे ग्रो करती है।

साथियों,

आज दुनिया कह रही है, 21वीं सदी भारत की सदी है। और यहां बाबा केदार के दर्शन के बाद मेरे मुंह से, मेरे दिल से अचानक ही निकला था- ये उत्तराखंड का दशक है। मुझे खुशी है कि उत्तराखंड तेज़ी से प्रगति कर रहा है। कल ही उत्तराखंड देश का ऐसा राज्य बना है, जिसने यूनिफॉर्म सिविल कोड, समान नागरिक संहिता लागू की, मैं कभी-कभी इसे सेक्‍युलर सिविल कोड भी कहता हूं। समान नागरिक संहिता, हमारी बेटियाँ, माताओं-बहनों के गरिमापूर्ण जीवन का आधार बनेगी। यूनिफॉर्म सिविल कोड से लोकतंत्र की स्पिरिट को मजबूती मिलेगी, संविधान की भावना मजबूत होगी। और मैं आज यहां स्पोर्ट्स के इस इवेंट में हूं, तो इसे मैं आपसे जोड़कर भी देखता हूं। स्पोर्ट्स-मैन-शिप हमें भेदभाव की हर भावना से दूर करती है, हर जीत, हर मेडल के पीछे का मंत्र होता है- सबका प्रयास। स्पोर्ट्स से हमें टीम भावना के साथ खेलने की प्रेरणा मिलती है। यही भावना यूनिफॉर्म सिविल कोड की भी है। किसी से भेदभाव नहीं, हर कोई बराबर। मैं उत्तराखंड की भाजपा सरकार को इस ऐतिहासिक कदम के लिए बधाई देता हूं।

साथियों,

उत्तराखंड में पहली बार, इतने बड़े पैमाने पर इस तरह के नेशनल इवेंट का आयोजन हो रहा है। ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है। इससे यहां रोजगार के भी ज्यादा अवसर बनेंगे, यहां के युवाओं को यहीं पर काम मिलेगा। उत्तराखंड को अपने विकास के लिए और भी नए रास्ते बनाने ही होंगे। अब जैसे उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था सिर्फ चार धाम यात्राओं पर निर्भर नहीं रह सकती। सरकार आज सुविधाएं बढ़ाकर इन यात्राओं का आकर्षण लगातार बढ़ा रही है। हर सीजन में श्रद्धालुओं की संख्या भी नए रिकॉर्ड बना रही है। लेकिन इतना काफी नहीं है। उत्तराखंड में शीतकालीन आध्यात्मिक यात्राओं को भी प्रोत्साहित करना जरूरी है। मुझे खुशी है कि इस दिशा में भी उत्तराखंड में कुछ नए कदम उठाए गए हैं।

साथियों,

उत्तराखंड एक प्रकार से मेरा दूसरा घर है। मेरी भी इच्छा है कि मैं शीतकालीन यात्राओं का हिस्सा बनूं। मैं देशभर के युवाओं से भी कहूंगा कि सर्दियों में जरूर उत्तराखंड आएं। तब यहां श्रद्धालुओं की संख्या भी उतनी नहीं होती। आपके लिए एडवेंचर से जुड़ी एक्टिविटीज़ की बहुत संभावना यहां पर है। आप सभी एथलीट्स भी नेशनल गेम्स के बाद इनके बारे में जरूर पता करिएगा और हो सके तो देवभूमि के आतिथ्य का और ज्यादा दिनों तक आनंद उठाइएगा।

साथियों,

आप सभी अपने-अपने राज्यों को रिप्रज़ेंट करते हैं। आने वाले दिनों में आप यहां कड़ी स्पर्धा करेंगे। अनेक नेशनल रिकॉर्ड टूटेंगे, नए रिकॉर्ड बनेंगे। आप पूरे सामर्थ्य के अनुसार अपना शत-प्रतिशत देंगे, लेकिन मेरा आपसे कुछ आग्रह भी हैं। ये नेशनल गेम्स सिर्फ खेल की ही स्पर्धा नहीं है, ये एक भारत श्रेष्ठ भारत का भी एक मजबूत मंच है। ये भारत की विविधता को सेलिब्रेट करने का आयोजन है। आप कोशिश करें, आपके मेडल में, भारत की एकता और श्रेष्ठता की चमक भी नजर आए। आप यहां से देश के अलग-अलग राज्यों की भाषा, खान-पान, गीत-संगीत की बेहतर जानकारी लेकर जाएं। मेरा एक आग्रह स्वच्छता को लेकर भी है। देवभूमि के निवासियों के प्रयासों से उत्तराखंड प्लास्टिक मुक्त बनने की दिशा में काफी मेहनत कर रहा है, आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है। प्लास्टिक मुक्त उत्तराखंड का संकल्प, आपके सहयोग के बिना पूरा नहीं हो सकता। इस अभियान को सफल बनाने में जरूर अपना योगदान दें।

साथियों,

आप सभी फिटनेस का महत्व समझते हैं। इसलिए मैं आज एक ऐसी चुनौती की बात भी करना चाहता हूं, जो बहुत जरूरी है। आंकड़े कहते हैं कि हमारे देश में Obesity की, मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है। देश का हर एज ग्रुप, और य़ुवा भी इससे बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। और ये चिंता की बात इसलिए भी है, क्योंकि Obesity, मोटापे की वजह से Diabetes, Heart disease जैसी बीमारियों का रिस्क बढ़ रहा है। मुझे संतोष है कि आज देश Fit India Movement के माध्यम से फिटनेस और Healthy Lifestyle के लिए जागरूक हो रहा है। ये नेशनल गेम्स भी, हमें ये सिखाते हैं कि Physical Activity, Discipline और Balanced Life कितनी जरूरी है। आज मैं देशवासियों से कहूंगा, दो चीजों पर जरूर फोकस करें। ये दो चीजें, Exercise और Diet से जुड़ी हैं। हर दिन, थोड़ा सा समय निकालकर एक्सरसाइज जरूर करिए। टहलने से लेकर वर्क-आउट करने तक, जो भी संभव हो अवश्य कीजिए। दूसरा ये कि अपनी Diet पर फोकस कीजिए। Balanced Intake पर आपका फोकस हो और खाना न्यूट्रिशियस हो, पौष्टिक हो।

एक और चीज हो सकती है। अपने खाने में अन-हेल्दी फैट, तेल को थोड़ा कम करें। अब जैसे हमारे सामान्य घरों में, महीने की शुरुआत में राशन आता है। अब तक अगर आप हर महीने दो लीटर खाने का तेल घर लाते थे, तो इसमें कम से कम 10 प्रतिशत की कटौती करिए। हम हर दिन जितना तेल यूज करते हैं, उसको 10 परसेंट कम करें। ये Obesity से बचने के कुछ रास्ते हमें खोजने पड़ेंगे। ऐसे छोटे-छोटे कदम उठाने से आपकी हेल्थ में बहुत बड़ा चेंज आ सकता है। और यही तो हमारे बड़े-बुजुर्ग करते थे। वो ताजी चीजें, नैचुरल चीजें, Balanced Meals खाते थे। एक स्वस्थ तन ही, स्वस्थ मन और स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। मैं राज्य सरकारों, स्कूलों, ऑफिसों और Community Leaders से भी कहूंगा कि वो इसे लेकर जागरूकता फैलाएं, आप सभी को तो बहुत सारा प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस है। मैं चाहता हूं कि आप सही Nutrition की जानकारी निरंतर लोगों तक पहुंचाएं। आइए, हम सब मिलकर एक ‘फिट इंडिया’ बनाएं, इसी आह्वान के साथ।

साथियों,

वैसे मेरा दायित्व होता है नेशनल गेम्स की शुरुआत करवाने का, लेकिन मैं आज आप सबको जोड़कर करना चाहता हूं। तो इस गेम्‍स के शुभारंभ के लिए आप अपने मोबाइल के फ्लैश लाइट चालू कीजिए, आप सब। आप सब अपने मोबाइल के फ्लैश लाइट चालू कीजिए। सबके-सबके मोबाइल के फ्लैश लाइट चालू हों, आप सबके मोबाइल के फ्लैश लाइट चालू हों। आप सबके साथ मिलकर मैं 38वें नेशनल गेम्स की शुरुआत की घोषणा करता हूं। एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद !