उपस्थित सभी महानुभाव और प्यारे विद्यार्थी मित्रों

ये मेरे लिए अत्यंत आनंद और खुशी का पल है क्योंकि मैं एक ऐसे पवित्र काम में हिस्सेदार हुआ हूं, जिसका गौरव आने वाली सदियों तक हम महसूस करेंगे। शायद दुनिया में बहुत कम राजनेता ऐसे होंगे कि जिन्हें किसी दूसरे देश में, जब मेहमान बनकर गए हो, और तीन दिन के छोटे से कालखंड में दो Universities में जाकर के वहां की युवा पीढ़ी के साथ मिलने का अवसर मिला हो - शायद बहुत कम लोगों को ऐसा सौभाग्य मिला होगा, जो सौभाग्य आपने मुझे दिया है, मैं इसके लिए आपका आभारी हूं।

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भारत का मूल चिंतन रहा और भारत के वेदों से कहा गया कि चारों दिशाओं से ज्ञान का प्रकाश आने दो, “ज्ञान भद्रो” कहकर के हमारे यहां यह कल्पना की गई। विचार को, ज्ञान को, न पूरब होता है, न पश्चिम होता है - वो सनातन होता है और दुनिया के किसी भी भू-भाग का ज्ञान मानव संस्कृति के विकास के लिए काम आता है।

अभी China के दो विद्यार्थियों ने भारत के पुरातन शास्त्रों में से अलग-अलग श्लोकों का उल्लेख किया और उन्होंने कहा यानि भारत के मूल चिंतन को जिस प्रकार से उन्होंने प्रकट किया, “नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः” - यानि उन्होंने इस प्रकार से बात को रखा, जो मैं समझता हूं कि दुनिया के लोगों के लिए भी वो एक ज्ञान का भंडार है। आत्मा कभी मरता नहीं, आत्मा कभी जन्मता नहीं है, आत्मा को मारा नहीं जा सकता है, आत्मा को जलाया नहीं जा सकता है। मैं समझता हूं कि ये पूरा तत्व ज्ञान, यहां के आपके विद्यार्थियों ने आपके सामने रखा। उन्होंने गीता का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा है “मा फलेषु कदाचिन” - यानि कर्म करते रहो लेकिन यदि फल की अपेक्षा किए बिना एक समर्पित भाव से काम करते रहो। महात्मा गांधी का अध्ययन या भारत का अध्ययन, हमारा चीन और भारत का पुराना सांस्कृतिक विरासत का अगर पुराना इतिहास देखें, तो दोनों देश ज्ञान पिपासु थे, ज्ञान पाने के लिए साहस करते थे, कष्ट उठाते थे। 1400 साल पहले वेनसांग भारत पहुंचे होंगे और भारत के विद्वत लोग चीन पहुंचे होंगे सिर्फ और सिर्फ ज्ञान के लिए, सांस्कृति को जानने के लिए, परंपराओं को जानने के लिए, कितना साहस किया जाता था। आर्थिक व्यापार के लिए दरवाजे खोलना सरल होता है। Tourism के लिए यात्रियों को निमंत्रित करना दुनिया के देशों से सरल होता है। लेकिन ज्ञान के लिए दरवाजा खोलना उसके लिए भीतर एक बहुत बड़ी ताकत लगती है। अगर भीतर बड़ी ताकत नहीं होती है, तो दूसरे विचारों का डर लगता है कहीं वो आकर हमें खा तो नहीं जाएंगे। हमारे ऊपर सवार तो नहीं हो जाएंगे? अपने आप में जब ताकत होती है तब व्यक्ति और विचारों को सुनने समझने की इच्छा करता है। और आज चीन फिर से एक बार भगवान बुद्ध के कालखंड के बाद गांधी के माध्यमम से उस महान सांस्कृतिक विरासत को जानने के लिए उत्सुक हुआ है, मैं अपने आप में एक बहुत बड़ी अहम घटना मानता हूं।

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आर्थिक अधिष्ठान पर जो संबंध बनते हैं उसमें केंद्र में फायदा होता है, लाभ- अलाभ होते हों लेकिन ज्ञान के अधिष्ठान पर बने हुए संबंधों में पीढ़ियों के जीवन के कल्याण की कामना होती है। महात्मा गांधी, भले ही हिंदुस्तान के एक कोने में उनका जन्म‍ हुआ हो, लेकिन वे विश्व मानव थे, वे युग पुरूष थे और पूरा विश्वे आज जिन संकटों से जूझ रहा है, क्या गांधी उन संकटों से मुक्ति का रास्ता दिखाते हैं क्या?

आज दुनिया दो प्रमुख संकटों से गुजर रही है - एक global warming और दूसरा Terrorism. गांधी के विचारों-आचार में इन दोनों के उपाय मौजूद हैं और इस अर्थ में Gandhian study के माध्यम से इस यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी न सिर्फ चीन को, लेकिन मानवजात के माध्यम से भी संदेश देने में समर्थ होंगे कि आज भी गांधी कितने relevant हैं। China के एक गांधी प्रेमी मिस्टर जेन सेंटी 1925 में भारत में आकर के गुजरात में साबरमती आश्रम में रहे थे। महात्मा गांधी के शिष्य के रूप में रहे थे। और आश्रमवासियों को उनका नाम बोलना आता नहीं था, Chinese नाम था - जेन सेंटी - तो फिर महात्मा गांधी ने उनको नाम लिख लिया था - शांति जैन।

उसी प्रकार से चीन के एक विद्वान तांग यूंगशान वे रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े निकट रहे थे और उन्होंने एक जगह पर लिखा है कि महात्मा गांधी से जब वो मिले तो महात्मा गांधी ने चीन के संबंध में बहुत भरपूर तारीफ की थी।

जेन सेंटी महात्मा गांधी के साथ रहने के बाद फिर वापस आए और वापस आने के बाद उन्होंने पेनांग नाम का एक अखबार चालू किया था। और 1930 में गांधी जी इतना बड़ा आजादी का आंदोलन लड़ रहे थे, वो पूणे की यरवड़ा जेल में थे। यरवड़ा जेल के अंदर वे आमरण अनशन पर बैठे थे। और शांति जैन को पता चला यहां, वे तुरंत हिंदुस्तान आए और महात्मा गांधी को मिलने के लिए उन्होंने request की। गांधी का शांति जैन के प्रति इतना प्रेम था कि जब वो आमरण अनशन कर रहे थे यरवड़ा जेल में, तो उन्होंने किसी को भी मिलने से मना कर दिया था। लेकिन जब चीन से शांति जैन वहां पहुंचे तो उनको permission दी गांधी जी ने जेल में मिलने के लिए - इतना प्रेम एक चीनी नागरिक के प्रति महात्मा गांधी को था।

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21वीं सदी एशिया की सदी है। चीन और भारत मिलकर के दुनिया की एक तिहाई जनसंख्या है। अगर यह एक-तिहाई जनसंख्या का भला होता है, वो समस्याओं से मुक्त होती है, मतलब दुनिया का एक तिहाई हिस्सा संकटों से मुक्तत हो जाता है। और इसलिए चीन और भारत मिलकर के प्रगति के ऊंचाईयों को पार करें, जिसमें मानवीय संवेदना हो, मानवता हो, बुद्ध का चिंतन हो, गांधी के प्रयोग हों, ताकि हम विश्व को एक ऐसा जीवन जीने के लिए प्रेरित करें जो जीवन जनकल्याण से समर्पित हो।

मैं Fudan University को हृदय से अभिनंदन करता हूं कि उन्होंने इस प्रयास को आरंभ किया है, और मैं समझता हूं कि आने वाली पीढि़यों के लिए यह हमारा विचार बीज भारत और चीन के संबंधों को और नई ताकत देगा। इस विश्वास के साथ, फिर एक बार मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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सरकार देश में स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर के मॉडर्नाइजेशन पर फोकस कर रही है: खेलो इंडिया यूथ गेम्स में पीएम मोदी
May 04, 2025
Quoteबिहार में आयोजित हो रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भाग लेने वाले एथलीटों को शुभकामनाएं, आप इस मंच पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें और सच्ची खेल उत्कृष्टता को प्रोत्साहन मिले: प्रधानमंत्री
Quoteभारत इस समय वर्ष 2036 में अपने देश में ओलंपिक खेलों के आयोजन के लिए प्रयास कर रहा है: प्रधानमंत्री श्री मोदी
Quoteसरकार देश में खेल अवसंरचना को आधुनिक बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है: प्रधानमंत्री
Quoteपिछले एक दशक में खेल बजट में तीन गुना से अधिक की वृद्धि की गई है, इस वर्ष खेल बजट लगभग 4,000 करोड़ रुपये का है: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
Quoteहमने देश में अच्छे खिलाड़ियों के साथ-साथ उत्कृष्ट खेल पेशेवर तैयार करने के उद्देश्य से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में खेलों को मुख्यधारा की शिक्षा का हिस्सा बनाया है: प्रधानमंत्री

बिहार के मुख्यमंत्री श्रीमान नीतीश कुमार जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी मनसुख भाई, बहन रक्षा खड़से, श्रीमान राम नाथ ठाकुर जी, बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी जी, विजय कुमार सिन्हा जी, उपस्थित अन्य महानुभाव, सभी खिलाड़ी, कोच, अन्य स्टाफ और मेरे प्यारे युवा साथियों!

देश के कोना-कोना से आइल,, एक से बढ़ के एक, एक से नीमन एक, रउआ खिलाड़ी लोगन के हम अभिनंदन करत बानी।

साथियों,

खेलो इंडिया यूथ गेम्स के दौरान बिहार के कई शहरों में प्रतियोगिताएं होंगी। पटना से राजगीर, गया से भागलपुर और बेगूसराय तक, आने वाले कुछ दिनों में छह हज़ार से अधिक युवा एथलीट, छह हजार से ज्यादा सपनों औऱ संकल्पों के साथ बिहार की इस पवित्र धरती पर परचम लहराएंगे। मैं सभी खिलाड़ियों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। भारत में स्पोर्ट्स अब एक कल्चर के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। और जितना ज्यादा भारत में स्पोर्टिंग कल्चर बढ़ेगा, उतना ही भारत की सॉफ्ट पावर भी बढ़ेगी। खेलो इंडिया यूथ गेम्स इस दिशा में, देश के युवाओं के लिए एक बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म बना है।

साथियों,

किसी भी खिलाड़ी को अपना प्रदर्शन बेहतर करने के लिए, खुद को लगातार कसौटी पर कसने के लिए, ज्यादा से ज्यादा मैच खेलना, ज्यादा से ज्यादा प्रतियोगिताओं में हिस्सा, ये बहुत जरूरी होता है। NDA सरकार ने अपनी नीतियों में हमेशा इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। आज खेलो इंडिया, यूनिवर्सिटी गेम्स होते हैं, खेलो इंडिया यूथ गेम्स होते हैं, खेलो इंडिया विंटर गेम्स होते हैं, खेलो इंडिया पैरा गेम्स होते हैं, यानी साल भर, अलग-अलग लेवल पर, पूरे देश के स्तर पर, राष्ट्रीय स्तर पर लगातार स्पर्धाएं होती रहती हैं। इससे हमारे खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ता है, उनका टैलेंट निखरकर सामने आता है। मैं आपको क्रिकेट की दुनिया से एक उदाहरण देता हूं। अभी हमने IPL में बिहार के ही बेटे वैभव सूर्यवंशी का शानदार प्रदर्शन देखा। इतनी कम आयु में वैभव ने इतना जबरदस्त रिकॉर्ड बना दिया। वैभव के इस अच्छे खेल के पीछे उनकी मेहनत तो है ही, उनके टैलेंट को सामने लाने में, अलग-अलग लेवल पर ज्यादा से ज्यादा मैचों ने भी बड़ी भूमिका निभाई। यानी, जो जितना खेलेगा, वो उतना खिलेगा। खेलो इंडिया यूथ गेम्स के दौरान आप सभी एथलीट्स को नेशनल लेवल के खेल की बारीकियों को समझने का मौका मिलेगा, आप बहुत कुछ सीख सकेंगे।

साथियों,

ओलंपिक्स कभी भारत में आयोजित हों, ये हर भारतीय का सपना रहा है। आज भारत प्रयास कर रहा है, कि साल 2036 में ओलंपिक्स हमारे देश में हों। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में भारत का दबदबा बढ़ाने के लिए, स्पोर्टिंग टैलेंट की स्कूल लेवल पर ही पहचान करने के लिए, सरकार स्कूल के स्तर पर एथलीट्स को खोजकर उन्हें ट्रेन कर रही है। खेलो इंडिया से लेकर TOPS स्कीम तक, एक पूरा इकोसिस्टम, इसके लिए विकसित किया गया है। आज बिहार सहित, पूरे देश के हजारों एथलीट्स इसका लाभ उठा रहे हैं। सरकार का फोकस इस बात पर भी है कि हमारे खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा नए स्पोर्ट्स खेलने का मौका मिले। इसलिए ही खेलो इंडिया यूथ गेम्स में गतका, कलारीपयट्टू, खो-खो, मल्लखंभ और यहां तक की योगासन को शामिल किया गया है। हाल के दिनों में हमारे खिलाड़ियों ने कई नए खेलों में बहुत ही अच्छा प्रदर्शन करके दिखाया है। वुशु, सेपाक-टकरा, पन्चक-सीलाट, लॉन बॉल्स, रोलर स्केटिंग जैसे खेलों में भी अब भारतीय खिलाड़ी आगे आ रहे हैं। साल 2022 के कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला टीम ने लॉन बॉल्स में मेडल जीतकर तो सबका ध्यान आकर्षित किया था।

साथियों,

सरकार का जोर, भारत में स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने पर भी है। बीते दशक में खेल के बजट में तीन गुणा से अधिक की वृद्धि की गई है। इस वर्ष स्पोर्ट्स का बजट करीब 4 हज़ार करोड़ रुपए है। इस बजट का बहुत बड़ा हिस्सा स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हो रहा है। आज देश में एक हज़ार से अधिक खेलो इंडिया सेंटर्स चल रहे हैं। इनमें तीन दर्जन से अधिक हमारे बिहार में ही हैं। बिहार को तो, NDA के डबल इंजन का भी फायदा हो रहा है। यहां बिहार सरकार, अनेक योजनाओं को अपने स्तर पर विस्तार दे रही है। राजगीर में खेलो इंडिया State centre of excellence की स्थापना की गई है। बिहार खेल विश्वविद्यालय, राज्य खेल अकादमी जैसे संस्थान भी बिहार को मिले हैं। पटना-गया हाईवे पर स्पोर्टस सिटी का निर्माण हो रहा है। बिहार के गांवों में खेल सुविधाओं का निर्माण किया गया है। अब खेलो इंडिया यूथ गेम्स- नेशनल स्पोर्ट्स मैप पर बिहार की उपस्थिति को और मज़बूत करने में मदद करेंगे। 

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साथियों,

स्पोर्ट्स की दुनिया और स्पोर्ट्स से जुड़ी इकॉनॉमी सिर्फ फील्ड तक सीमित नहीं है। आज ये नौजवानों को रोजगार और स्वरोजगार को भी नए अवसर दे रहा है। इसमें फिजियोथेरेपी है, डेटा एनालिटिक्स है, स्पोर्ट्स टेक्नॉलॉजी, ब्रॉडकास्टिंग, ई-स्पोर्ट्स, मैनेजमेंट, ऐसे कई सब-सेक्टर्स हैं। और खासकर तो हमारे युवा, कोच, फिटनेस ट्रेनर, रिक्रूटमेंट एजेंट, इवेंट मैनेजर, स्पोर्ट्स लॉयर, स्पोर्ट्स मीडिया एक्सपर्ट की राह भी जरूर चुन सकते हैं। यानी एक स्टेडियम अब सिर्फ मैच का मैदान नहीं, हज़ारों रोज़गार का स्रोत बन गया है। नौजवानों के लिए स्पोर्ट्स एंटरप्रेन्योरशिप के क्षेत्र में भी अनेक संभावनाएं बन रही हैं। आज देश में जो नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बन रही हैं, या फिर नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी बनी है, जिसमें हमने स्पोर्ट्स को मेनस्ट्रीम पढ़ाई का हिस्सा बनाया है, इसका मकसद भी देश में अच्छे खिलाड़ियों के साथ-साथ बेहतरीन स्पोर्ट्स प्रोफेशनल्स बनाने का है। 

मेरे युवा साथियों, 

हम जानते हैं, जीवन के हर क्षेत्र में स्पोर्ट्समैन शिप का बहुत बड़ा महत्व होता है। स्पोर्ट्स के मैदान में हम टीम भावना सीखते हैं, एक दूसरे के साथ मिलकर आगे बढ़ना सीखते हैं। आपको खेल के मैदान पर अपना बेस्ट देना है और एक भारत श्रेष्ठ भारत के ब्रांड ऐंबेसेडर के रूप में भी अपनी भूमिका मजबूत करनी है। मुझे विश्वास है, आप बिहार से बहुत सी अच्छी यादें लेकर लौटेंगे। जो एथलीट्स बिहार के बाहर से आए हैं, वो लिट्टी चोखा का स्वाद भी जरूर लेकर जाएं। बिहार का मखाना भी आपको बहुत पसंद आएगा।

साथियों, 

खेलो इंडिया यूथ गेम्स से- खेल भावना और देशभक्ति की भावना, दोनों बुलंद हो, इसी भावना के साथ मैं सातवें खेलो इंडिया यूथ गेम्स के शुभारंभ की घोषणा करता हूं।