Quoteआज जब दुनिया में कोरोना का इतना बड़ा संकट है, तब उत्तर प्रदेश ने जो साहस दिखाया, जो सूझबूझ दिखाई, जो सफलता पाई, जिस तरह कोरोना से मोर्चा लिया, जिस तरह स्थितियों को संभाला, वो अभूतपूर्व है, प्रशंसनीय है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteउत्तर प्रदेश के प्रयास और उपलब्धियां इसलिए विराट हैं, क्योंकि ये सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश दुनिया के कई देशों से बड़ा राज्य है: पीएम मोदी
Quoteलॉकडाउन के दौरान, गरीबों को भोजन की दिक्कत न हो, इसके लिए जिस तरह योगी सरकार ने काम किया है, वो भी अभूतपूर्व है, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत यूपी ने बहुत तेजी से गरीबों और गांव लौटे श्रमिक साथियों तक मुफ्त राशन पहुंचाया: प्रधानमंत्री

साथियों,

नमस्‍कार, आप सभी से बात करने का मौका मिला। हम सभी ने अपने व्यक्तिगत जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। हमारे सामाजिक जीवन में भी, गांव में, शहर में, अलग-अलग तरह की कठिनाइयां आती ही रहती हैं। आप देखिए कल बिजली गिर गयी। बिहार में, उत्‍तर प्रदेश में कितने लोगों की जान चली गई। लेकिन ये किसी ने नहीं सोचा था कि पूरी दुनिया पर, पूरी मानव जाति पर एक साथ एक ही तरह का इतना बड़ा संकट आएगा। एक ऐसा संकट जिसमें चाहकर भी लोग दूसरों की पूरी तरह मदद नहीं कर पा रहे थे। इस दौरान शायद ही कोई होगा जिसे परेशानी नहीं हुई हो।

बच्चे हो-बुजुर्ग हो, महिलाएं हो-पुरुष हो, देश हो या दुनिया, हर किसी को दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। आगे भी हमें नहीं पता कि इस बीमारी से कब मुक्ति मिलेगी। हां, इसकी एक दवाई हमें पता है। ये दवाई है दो गज की दूरी। ये दवाई है- मुंह ढकना, फेसकवर या गमछे का इस्तेमाल करना। जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं बनती,टीका नहीं बनता है। हम इसी दवा से इसे रोक पाएंगे।

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साथियों,

आज जब आप सभी मुझसे बात कर रहे थे, आपके चेहरे की खुशीहै, आपकी आंखों का भाव, आपका अपनापन, हम सभी देख रहे थे। यहां इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के यशस्वी ऊर्जावान मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी मौजूद हैं, सरकार के मंत्रीगण हैं, प्रशासन से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी हैं, और यूपी के अलग-अलग जिलों से जुड़े हमारे तमाम साथी भी हैं।

श्रम की जो ताकत होती है, वो हम सभी ने महसूस की है। श्रम की इसी शक्ति का आधार बना भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान। आज इसी शक्ति ने ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान’को प्रेरणा दी है। यानि केंद्र सरकार की योजना को योगी जी की सरकार ने Qualitative और Quantitative, दोनों ही तरीके से विस्तार दे दिया है।

यूपी सरकार ने न सिर्फ इसमें अनेक नई योजनाएं जोड़ी हैं, लाभार्थियों की संख्या बढ़ाई है, बल्कि इसे आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के साथ भी पूरी तरह जोड़ दिया है। आपने सुना है मैं जिस डबल इंजन की बात हमेशा करता हूं, ये प्रयास, ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान’, इसका बहुत उत्तम उदाहरण है। और मुझे पूरा विश्वास है कि योगी जी के नेतृत्व में, जिस तरह आपदा को अवसर में बदला गया है, जिस तरह योगी जी और उनकी टीम जी-जान से जुटे हैं, देश के अन्य राज्यों को भी इस योजना से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा,हर कोई वो भी इससे प्रेरणा पाएंगे।

मुझे उम्मीद है कि अन्य राज्य भी अपने यहां ऐसी योजनाएं लेकर आएंगे। और मैं तो यूपी का सांसद हूं। जब उत्‍तर प्रदेश में इस तरह सेअच्छे काम होते हैं। तो मुझे ज़रा ज्यादा आनंद आता है। क्यूंकि वहां के लोगों की मेरी भी ज़िम्मेदारी है।

साथियों,

संकट के समय जो साहस दिखाता है, सूझबूझ दिखाता है, सफलता उसी को मिलती है। आज जब दुनिया में कोरोना का इतना बड़ा संकट है, तब उत्तर प्रदेश ने जो साहस दिखाया, जो सूझबूझ दिखाई, जो सफलता पाई, जिस तरह कोरोना से मोर्चा लिया, जिस तरह स्थितियों को संभाला, मैं सच कहता हूं वो अभूतपूर्व है, प्रशंसनीय है।

इसके लिए मैं उत्तर प्रदेश के 24 करोड़ नागरिकों की सराहना करता हूं, उन्हें नमन करता हूं।आपने जो काम किया है, वो पूरी दुनिया के लिए मिसाल है। उत्तर प्रदेश के आंकड़ों में दुनिया के बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स को चकित कर देने की अदभुत क्षमता है। चाहे यूपी के डॉक्टर हों, पैरामेडिकल स्टाफ हो, सफाई कर्मचारी हों, पुलिसकर्मी हों, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हो, बैंक और पोस्टऑफिस के साथी हों, परिवहन विभाग के साथी हों,श्रमिक साथी हों, हर किसी ने पूरी निष्ठा के साथ अपना योगदान दिया है।

योगी जी और उनकी पूरी टीम, चाहे जनप्रतिनिधि हों या फिर कर्मचारी हों, आप सभी ने बहुत उत्‍तम काम किया है, सराहनीय काम किया है। आप सभी ने मिलकर यूपी को जिस मुश्किल स्थिति में संभाला है, आने वाले अनेक वर्षों तक उत्‍तर प्रदेश का हर बच्‍चा, हर परिवार इसको बड़े गर्व के साथ याद करेगा, वो लंबे समय तक याद किया जाएगा।

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साथियों,

उत्तर प्रदेश के प्रयास और उपलब्धियां इसलिए विराट हैं, क्योंकि ये सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि दुनिया के कई देशों से बड़ा राज्य है। इस उपलब्धि को यूपी के लोग खुद महसूस कर रहे हैं,लेकिन आप अगर आंकड़े जानेंगे तो और भी हैरान हो जायेंगे !

साथियों,

हम यूरोप के चार बड़े देशों को देखें तो वो हैं-इंग्लैंड,फ्रांस,इटलीऔर स्पेन! ये देश 200-250 सालतक दुनिया की सुपरपावर हुआ करते थे,आज भी दुनिया में इनका दबदबा है! आज अगर इन चारों देशों की कुल जनसँख्या को जोड़ दें,तो ये करीब 24 करोड़ होती है! हमारे तो अकेले यूपी की ही जनसँख्या 24 करोड़ है! यानि कि, जितने लोग इंग्लैंड, फ्रांस, इटली और स्पेन इन चार देशों में रहते हैं,उतने लोग उत्तर प्रदेश में रहते हैं! लेकिन कोरोना में इन चार देशों में मिलाकर 1 लाख 30 हजार लोगों की मौत हो चुकी है,जबकि यूपी में केवल 600 लोगों की जान गई है! कहां 1 लाख 30 हजार लोगों की मृत्यु और कहां 600 लोगों की मृत्यु। मैं मानता हूं, एक भी व्यक्ति की मृत्यु दुखद है। 

लेकिन हमें ये भी मानना पड़ेगा कि इन चार देशों ने मिलकर अपने यहाँ जितने प्रयास किए, फिर भी उनके यहां यूपी से कई गुना ज्यादा लोगों की जानें गईं। ये देश ज्यादा विकसित हैं,इनके पास संसाधन भी कहीं ज्यादा हैं,वहां सरकारों ने काम भी पूरी ताकत से किया है! लेकिन फिर भी अपने नागरिकों को बचाने में उन्हें वो सफलता नहीं मिली,जो सफलता यूपी ने हासिल की है!

साथियों,

इस दौरान आप में से ज्यादातर लोगों ने अमेरिका की हालात के बारे में भी सुना होगा! अमेरिका के पास साधन-संसाधन,और आधुनिक टेक्नोलॉजी की भी कोई कमी नहीं है! लेकिन फिर भी,आज अमेरिका कोरोना से बेहद बुरी तरह प्रभावित है! आप ये भी याद रखिए कि अमेरिका की जनसँख्या करीब 33 करोड़ है,जबकि यूपी में 24 करोड़ लोग रहते हैं! लेकिन अमेरिका में अब तक 1 लाख 25 हजार लोगों की मौत हो चुकी है,जबकि यूपी में करीब 600 लोगों की मृत्यु हुई है।

अगर योगी जी की उत्‍तर प्रदेश सरकार ने सही से तैयारी नहीं की होती,अगर यूपी में भी अमेरिका की तरह ही तबाही मची होती तो आज यूपी में 600 की जगह 85000 लोगों की जान जा सकती थी! लेकिन, जो मेहनत यूपी की सरकार ने की है,हम कह सकते हैं कि एक प्रकार से अब तक कम से कम 85 हजार लोगों का जीवन बचाने में वो कामयाब हुई है! आज अगर हम अपने नागरिकों का जीवन बचा पा रहे हैं,तो ये भी अपने-आप में बहुत संतोष की बात है और देश का आत्‍मविश्‍वास भी है! वर्ना एक वो भी दिन था जब प्रयागराज, तब के इलाहाबाद के सांसद, देश के प्रधानमंत्री थे, कुंभ में भगदड़ मची थी, सैकड़ों-हजारों लोग मारे गए थे। तब उस समय जो लोग सरकार में थे, उन्होंने सारा जोर मरने वालों की संख्या छिपाने में ही लगा दिया था। अब आज उत्तर प्रदेश के लोगों का जीवन बच रहा है, सुरक्षित हो रहा है, तो बहुत तसल्ली मिलती है।

साथियों,

इसमें भी हमें एक और बात हमेशा याद रखनी है। ये सब उस स्थिति में हुआ जब देशभर से करीब 30-35 लाख से अधिक श्रमिक साथी, कामगार साथी, यूपी में पिछले कुछ हफ्तों में अपने गांव लौटे थे। सैकड़ों श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलवाकर यूपी सरकार ने मुश्किल में फंसे अपने लोगों को वापस बुला लिया था। दूसरे राज्यों से आए इन साथियों से संक्रमण के फैलाव का रिस्क और भी अधिक था। लेकिन, उत्तर प्रदेश ने जिस तरह स्थिति को संवेदनशीलता के साथ संभाला, उसने राज्य को एक बड़े संकट से बाहर निकाल लिया।

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साथियों,

यूपी में 2017 से पहले जिस तरह का शासन चल रहा था, जिस तरह की सरकार चला करती थी, उस हालात में, हम इन नतीजों की कल्पना भी नहीं कर सकते। पहले वाली सरकारें होतीं, तो अस्पतालों की संख्या का बहाना बनाकर, बिस्तरों की संख्या का बहाना बनाकर, इस चुनौती को टाल देती।लेकिन योगी जी ने ऐसा नहीं किया। योगी जी ने, उनकी सरकार ने, हालात की गंभीरता को समझा। उन्होंने समझा कि इतने बड़े-बड़े देशों की क्या हालत हो रही है।ये देखते हुए उन्होंने और उनकी सरकार ने युद्धस्तर पर काम किया।

क्वारंटीन सेंटर हो, आइसोलेशन की सुविधा हो, इसके निर्माण के लिए पूरी ताकत झोंक दी गई। उनके पिताजी का स्‍वर्गवास हुआ हो। पिताजी के अंत्‍येष्ठि में जाने के बजाए ये उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए ज़िन्दगी खपाने वाले योगी जी इस कोरॉना से बचाने के लिए आपके साथ जुटे रहे। जो श्रमिक बाहर से आ रहे थे, उनके लिए बहुत ही कम समय में लगभग 60 हजार ग्रामीण निगरानी समितियों का गठन किया गया। इन समितियों ने गांवों में क्वारंटीन की व्यवस्था विकसित करने में बहुत मदद की। सिर्फ दो -ढाई महीने के भीतर ही यूपी में कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए अस्पतालों में एक लाख बिस्तर भी तैयार किए गए। 

साथियों,

लॉकडाउन के दौरान, गरीबों को भोजन की दिक्कत न हो, इसके लिए जिस तरह योगी सरकार ने काम किया है, वो भी अभूतपूर्व है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत यूपी ने बहुत तेज़ी से गरीबों और गांव लौटे श्रमिक साथियों तक मुफ्त राशन पहुंचाया। यानि ये इंतजाम किया कि 15 करोड़ गरीबों को भोजन की दिक्कत न हो। कोई भूखा न सोए।

इस दौरान यूपी में गरीबों को 42 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न बांटा गया है। जिनके पास राशन कार्ड नहीं था, उनके लिए भी यूपी सरकार ने सरकारी राशन की दुकान के दरवाजे खोल दिए। इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश के सवा तीन करोड़ गरीब महिलाओं के जनधन खाते में लगभग 5 हजार करोड़ रुपए भी सीधे ट्रांफफर किए गए। आजादी के बाद के इतिहास में संभवत: किसी सरकार ने इतने बड़े पैमाने पर गरीबों की मदद नहीं की है।

साथियों,

भारत को आत्मनिर्भरता के रास्ते पर तेज़ गति से ले जाने का अभियान हो या फिर गरीब कल्याण रोज़गार अभियान हो, उत्तर प्रदेश यहां भी बहुत आगे चल रहा है। गरीब कल्याण रोज़गार अभियान के तहत श्रमिकों को आय़ के साधन बढ़ाने के लिए गांवों में अनेक कार्य शुरू करवाए जा रहे हैं। गरीबों के लिए पक्के घर का निर्माण हो, सामूहिक शौचालयों का निर्माण हो, पंचायत भवनों का काम हो, कुएं-तालाब बनाना, सड़कें बनना, इंटरनेट की लाइन बिछाना, ऐसे 25 कामों की लिस्ट केंद्र सरकार ने बनाई है।

आज इसको विस्तार देते हुए, इसमें आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी शामिल करते हुए, उत्तर प्रदेश ने सीधे करीब-करीब सवा करोड़ श्रमिक और कामगार साथियों को रोज़गार देने का प्रयास किया है। इसमें से करीब 60 लाख को गांव के विकास से जुड़ी योजनाओं में तो करीब 40 लाख को छोटे उद्योगों यानि MSMEs में रोज़गार दिया जा रहा है। इसके अलावा स्वरोज़गार के लिए हज़ारों उद्यमियों को मुद्रा योजना के तहत करीब 10 हज़ार करोड़ रुपए का ऋण आबंटित किया गया है। ऋण के साथ-साथ आज, हज़ारों हस्तशिल्पियों को, आधुनिक मशीनें और टूलकिट भी दी गई हैं। इससे हस्तशिल्पियों का काम भी बढ़ेगा और उनको सुविधा भी मिलेगी। मैं सभी लाभार्थियों को, रोजगार पाने वालों को फिर से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

यूपी के सांसद होने के नाते भी मैं योगी जी के लगातार संपर्क में रहा हूं। सवा करोड़ कामगारों की, कर्मचारियों की पहचान करना, 30 लाख से ज्यादा श्रमिकों के कौशल का, अनुभव का डेटा तैयार करना और उनके रोज़गार की समुचित व्यवस्था करना, ये दिखाता है कि उत्तर प्रदेश सरकार की तैयारी कितनी सघन रही है, कितनी व्यापक रही है। यूपी की एक जनपद, एक उत्पाद योजना तो पहले से ही स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दे रही है, उनको एक बड़ा बाज़ार दे रही है।

अब आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत जब पूरे देश में ऐसे स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए उद्योगों के क्लस्टर बनाए जा रहे हैं, तब उत्तर प्रदेश को बहुत अधिक लाभ होगा।इससे कपड़ों के, सिल्क के, लेदर के, पीतल के, ऐसे जो अनेक औद्योगिक क्लस्टर हैं, उनको बल मिलेगा, नया बाजार मिलेगा।

साथियों,

आत्मनिर्भर भारत अभियान का बहुत बड़ा लाभ उत्तर प्रदेश के किसानों को होगा। किसानों के हित में, छोटे व्यापारियों के हित में, दशकों से 3 बड़े सुधारों की मांग निरंतर हो रही थी।अब जो 3 कानून केंद्र सरकार लेकर आई है, उनसे किसानों को मंडी से बाहर भी अपनी उपज बेचने का अधिकार मिल गया है। यानि जहां बेहतर दाम मिलेंगे, वहां किसान अपना सामान बेचेगा।दूसरा, अब किसान अगर चाहे तो अब बुआई के समय ही अपनी फसल का दाम तय कर सकता है।

अब आलू की फसल पैदा करने वाला किसान,चिप्स बनाने वाले उद्योग के साथ, आम लगाने वाला किसान मैंगो जूस बनाने वाले के साथ, टमाटर की खेती करने वाला किसान सॉस बनाने वाले के साथ, बुआई के समय ही समझौता कर सकता है। जिससे उसको दाम घटने की चिंता से मुक्ति मिल पाएगी।

साथियों,

इसके अलावा हमारे पशुपालकों के लिए अनेक नए कदम उठाए जा रहे हैं। दो दिन पहले ही पशुपालकों और डेयरी सेक्टर के लिए 15 हजार करोड़ रुपए का एक विशेष इंफ्रास्ट्रक्चरफंड बनाया गया है। इससे करीब 1 करोड़ और नए किसानों, पशुपालकों को डेयरी सेक्टर से जोड़ा जाएगा, डेयरी से जुड़ी नई सुविधाएं तैयार की जाएंगी। अनुमान है कि आने वाले समय में इससे गांवों में लगभग 35 लाख नए रोज़गार तैयार होंगे। परसो ही केंद्र सरकार ने यूपी में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए एक और अहम फैसला लिया है।

बौद्ध सर्किट के लिहाज़ से अहम कुशीनगर एयरपोर्ट को इंटरनेशनल एयरपोर्ट घोषित किया गया है। इससे पूर्वांचल में हवाई कनेक्टिविटी और सशक्त होगी और देश-विदेश में महात्मा बुद्ध पर आस्था रखने वाले करोड़ों श्रद्धालु अब आसानी से उत्तर प्रदेश आ सकेंगे। इससे भी स्थानीय युवाओं के लिए रोज़गार और स्वरोज़गार के अनेक अवसर बनेंगे।और पर्यटन क्षेत्र की एक विशेषता आप भी जानते हैं।ये क्षेत्र, कम से कम पूंजी में, अधिक से अधिक लोगों को रोजगार देता है।

साथियों,

उत्तर प्रदेश, हमेशा से भारत के प्रगति पथ का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। गांव-गरीब और देश को सशक्त करने के जिस मिशन को लेकर हम चले हैं, उसमें उत्तर प्रदेश का योगदान यहां बीजेपी की सरकार आने के बाद अब लगातार बढ़ रहा है। बीते 3 साढ़े 3 वर्षों में हर बड़ी योजना पर उत्तर प्रदेश ने तेज़ गति से काम किया है। सिर्फ तीन साल में यूपी में गरीबों के लिए 30 लाख से ज्यादा पक्के घर बनाए गए हैं। सिर्फ तीन साल की मेहनत से यूपी ने खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया है। सिर्फ तीन साल में पारदर्शी तरीके से यूपी ने 3 लाख नौजवानों को सरकारी नौकरी दी है। सिर्फ तीन साल के प्रयासों से यूपी में माता मृत्यु दर में 30 प्रतिशत की गिरावट आई है।

साथियों,

बरसों से पूर्वांचल में इंसेफिलाइटिस महामारी की तरह कहर बरपाती थी।अनेक नवजात शिशुओं की दुखद मृत्यु इस बीमारी से हो जाती थी। अब यूपी सरकार के प्रयासों से, इस बीमारी के मरीजों की संख्या तो कम हुई ही है, मृत्यु दर में भी 90 प्रतिशत तक की कमी आई है।इसके अलावा मेडिकल कॉलेज हों या फिर आयुष्मान भारत अभियान के तहत दूसरी सुविधाएं, इसमें भी यूपी ने प्रशंसनीय काम किया है।

बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं में अभूतपूर्व सुधार हुआ है।नई सड़कों और एक्सप्रेसवे के निर्माण में यूपी आगे चल रहा है।और सबसे बड़ी बात ये है कि आज उत्तर प्रदेश में शांति है, कानून का राज कायम हो रहा है।यही कारण है कि उत्तर प्रदेश पर पूरी दुनिया के निवेशकों की नज़र है। सरकार देशी और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए जो भी कदम उठा रही है, उसका बहुत बड़ा लाभ यूपी उठा रहा है। और देखिए आज भी, जब अन्य राज्य कोरोना से लड़ाई में जूझ रहे हैं, यूपी ने अपने विकास के लिए इतनी बड़ी योजना शुरू कर दी है।एक प्रकार से आपदा से बने हर अवसर को यूपी साकार कर रहा है।एक बार फिर आप सभी को, रोज़गार के इन तमाम अवसरों के लिए बहुत-बहुत बधाई !!

याद रखिए, अभी कोरोना के खिलाफ हमारी लड़ाई अभी जारी है। काम पर निकलिए, लेकिन दो गज़ की दूरी, चेहरे पर मास्क और लगातार साफ-सफाई, ये बहुत ज़रूरी है। जीवन और आजीविका, दोनों की सुरक्षा की ये लड़ाई उत्तर प्रदेश जीतेगा और भारत भी जीतेगा।

बहुत-बहुत आभार !!

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नमस्कार!

आप लोग सब थक गए होंगे, अर्णब की ऊंची आवाज से कान तो जरूर थक गए होंगे, बैठिये अर्णब, अभी चुनाव का मौसम नहीं है। सबसे पहले तो मैं रिपब्लिक टीवी को उसके इस अभिनव प्रयोग के लिए बहुत बधाई देता हूं। आप लोग युवाओं को ग्रासरूट लेवल पर इन्वॉल्व करके, इतना बड़ा कंपटीशन कराकर यहां लाए हैं। जब देश का युवा नेशनल डिस्कोर्स में इन्वॉल्व होता है, तो विचारों में नवीनता आती है, वो पूरे वातावरण में एक नई ऊर्जा भर देता है और यही ऊर्जा इस समय हम यहां महसूस भी कर रहे हैं। एक तरह से युवाओं के इन्वॉल्वमेंट से हम हर बंधन को तोड़ पाते हैं, सीमाओं के परे जा पाते हैं, फिर भी कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं रहता, जिसे पाया ना जा सके। कोई मंजिल ऐसी नहीं रहती जिस तक पहुंचा ना जा सके। रिपब्लिक टीवी ने इस समिट के लिए एक नए कॉन्सेप्ट पर काम किया है। मैं इस समिट की सफलता के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। अच्छा मेरा भी इसमें थोड़ा स्वार्थ है, एक तो मैं पिछले दिनों से लगा हूं, कि मुझे एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है और वो एक लाख ऐसे, जो उनकी फैमिली में फर्स्ट टाइमर हो, तो एक प्रकार से ऐसे इवेंट मेरा जो यह मेरा मकसद है उसका ग्राउंड बना रहे हैं। दूसरा मेरा व्यक्तिगत लाभ है, व्यक्तिगत लाभ यह है कि 2029 में जो वोट करने जाएंगे उनको पता ही नहीं है कि 2014 के पहले अखबारों की हेडलाइन क्या हुआ करती थी, उसे पता नहीं है, 10-10, 12-12 लाख करोड़ के घोटाले होते थे, उसे पता नहीं है और वो जब 2029 में वोट करने जाएगा, तो उसके सामने कंपैरिजन के लिए कुछ नहीं होगा और इसलिए मुझे उस कसौटी से पार होना है और मुझे पक्का विश्वास है, यह जो ग्राउंड बन रहा है ना, वो उस काम को पक्का कर देगा।

साथियों,

आज पूरी दुनिया कह रही है कि ये भारत की सदी है, ये आपने नहीं सुना है। भारत की उपलब्धियों ने, भारत की सफलताओं ने पूरे विश्व में एक नई उम्मीद जगाई है। जिस भारत के बारे में कहा जाता था, ये खुद भी डूबेगा और हमें भी ले डूबेगा, वो भारत आज दुनिया की ग्रोथ को ड्राइव कर रहा है। मैं भारत के फ्यूचर की दिशा क्या है, ये हमें आज के हमारे काम और सिद्धियों से पता चलता है। आज़ादी के 65 साल बाद भी भारत दुनिया की ग्यारहवें नंबर की इकॉनॉमी था। बीते दशक में हम दुनिया की पांचवें नंबर की इकॉनॉमी बने, और अब उतनी ही तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।

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साथियों,

मैं आपको 18 साल पहले की भी बात याद दिलाता हूं। ये 18 साल का खास कारण है, क्योंकि जो लोग 18 साल की उम्र के हुए हैं, जो पहली बार वोटर बन रहे हैं, उनको 18 साल के पहले का पता नहीं है, इसलिए मैंने वो आंकड़ा लिया है। 18 साल पहले यानि 2007 में भारत की annual GDP, एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंची थी। यानि आसान शब्दों में कहें तो ये वो समय था, जब एक साल में भारत में एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी होती थी। अब आज देखिए क्या हो रहा है? अब एक क्वार्टर में ही लगभग एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही है। इसका क्या मतलब हुआ? 18 साल पहले के भारत में साल भर में जितनी इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही थी, उतनी अब सिर्फ तीन महीने में होने लगी है। ये दिखाता है कि आज का भारत कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा, जो दिखाते हैं कि बीते एक दशक में कैसे बड़े बदलाव भी आए और नतीजे भी आए। बीते 10 सालों में, हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुए हैं। ये संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। आप वो दौर भी याद करिए, जब सरकार खुद स्वीकार करती थी, प्रधानमंत्री खुद कहते थे, कि एक रूपया भेजते थे, तो 15 पैसा गरीब तक पहुंचता था, वो 85 पैसा कौन पंजा खा जाता था और एक आज का दौर है। बीते दशक में गरीबों के खाते में, DBT के जरिए, Direct Benefit Transfer, DBT के जरिए 42 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं, 42 लाख करोड़ रुपए। अगर आप वो हिसाब लगा दें, रुपये में से 15 पैसे वाला, तो 42 लाख करोड़ का क्या हिसाब निकलेगा? साथियों, आज दिल्ली से एक रुपया निकलता है, तो 100 पैसे आखिरी जगह तक पहुंचते हैं।

साथियों,

10 साल पहले सोलर एनर्जी के मामले में भारत दुनिया में कहीं गिनती नहीं होती थी। लेकिन आज भारत सोलर एनर्जी कैपेसिटी के मामले में दुनिया के टॉप-5 countries में से है। हमने सोलर एनर्जी कैपेसिटी को 30 गुना बढ़ाया है। Solar module manufacturing में भी 30 गुना वृद्धि हुई है। 10 साल पहले तो हम होली की पिचकारी भी, बच्चों के खिलौने भी विदेशों से मंगाते थे। आज हमारे Toys Exports तीन गुना हो चुके हैं। 10 साल पहले तक हम अपनी सेना के लिए राइफल तक विदेशों से इंपोर्ट करते थे और बीते 10 वर्षों में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट 20 गुना बढ़ गया है।

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साथियों,

इन 10 वर्षों में, हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्टील प्रोड्यूसर हैं, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरर हैं और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बने हैं। इन्हीं 10 सालों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपने Capital Expenditure को, पांच गुना बढ़ाया है। देश में एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी हो गई है। इन दस सालों में ही, देश में ऑपरेशनल एम्स की संख्या तीन गुना हो गई है। और इन्हीं 10 सालों में मेडिकल कॉलेजों और मेडिकल सीट्स की संख्या भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है।

साथियों,

आज के भारत का मिजाज़ कुछ और ही है। आज का भारत बड़ा सोचता है, बड़े टार्गेट तय करता है और आज का भारत बड़े नतीजे लाकर के दिखाता है। और ये इसलिए हो रहा है, क्योंकि देश की सोच बदल गई है, भारत बड़ी Aspirations के साथ आगे बढ़ रहा है। पहले हमारी सोच ये बन गई थी, चलता है, होता है, अरे चलने दो यार, जो करेगा करेगा, अपन अपना चला लो। पहले सोच कितनी छोटी हो गई थी, मैं इसका एक उदाहरण देता हूं। एक समय था, अगर कहीं सूखा हो जाए, सूखाग्रस्त इलाका हो, तो लोग उस समय कांग्रेस का शासन हुआ करता था, तो मेमोरेंडम देते थे गांव के लोग और क्या मांग करते थे, कि साहब अकाल होता रहता है, तो इस समय अकाल के समय अकाल के राहत के काम रिलीफ के वर्क शुरू हो जाए, गड्ढे खोदेंगे, मिट्टी उठाएंगे, दूसरे गड्डे में भर देंगे, यही मांग किया करते थे लोग, कोई कहता था क्या मांग करता था, कि साहब मेरे इलाके में एक हैंड पंप लगवा दो ना, पानी के लिए हैंड पंप की मांग करते थे, कभी कभी सांसद क्या मांग करते थे, गैस सिलेंडर इसको जरा जल्दी देना, सांसद ये काम करते थे, उनको 25 कूपन मिला करती थी और उस 25 कूपन को पार्लियामेंट का मेंबर अपने पूरे क्षेत्र में गैस सिलेंडर के लिए oblige करने के लिए उपयोग करता था। एक साल में एक एमपी 25 सिलेंडर और यह सारा 2014 तक था। एमपी क्या मांग करते थे, साहब ये जो ट्रेन जा रही है ना, मेरे इलाके में एक स्टॉपेज दे देना, स्टॉपेज की मांग हो रही थी। यह सारी बातें मैं 2014 के पहले की कर रहा हूं, बहुत पुरानी नहीं कर रहा हूं। कांग्रेस ने देश के लोगों की Aspirations को कुचल दिया था। इसलिए देश के लोगों ने उम्मीद लगानी भी छोड़ दी थी, मान लिया था यार इनसे कुछ होना नहीं है, क्या कर रहा है।। लोग कहते थे कि भई ठीक है तुम इतना ही कर सकते हो तो इतना ही कर दो। और आज आप देखिए, हालात और सोच कितनी तेजी से बदल रही है। अब लोग जानते हैं कि कौन काम कर सकता है, कौन नतीजे ला सकता है, और यह सामान्य नागरिक नहीं, आप सदन के भाषण सुनोगे, तो विपक्ष भी यही भाषण करता है, मोदी जी ये क्यों नहीं कर रहे हो, इसका मतलब उनको लगता है कि यही करेगा।

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साथियों,

आज जो एस्पिरेशन है, उसका प्रतिबिंब उनकी बातों में झलकता है, कहने का तरीका बदल गया , अब लोगों की डिमांड क्या आती है? लोग पहले स्टॉपेज मांगते थे, अब आकर के कहते जी, मेरे यहां भी तो एक वंदे भारत शुरू कर दो। अभी मैं कुछ समय पहले कुवैत गया था, तो मैं वहां लेबर कैंप में नॉर्मली मैं बाहर जाता हूं तो अपने देशवासी जहां काम करते हैं तो उनके पास जाने का प्रयास करता हूं। तो मैं वहां लेबर कॉलोनी में गया था, तो हमारे जो श्रमिक भाई बहन हैं, जो वहां कुवैत में काम करते हैं, उनसे कोई 10 साल से कोई 15 साल से काम, मैं उनसे बात कर रहा था, अब देखिए एक श्रमिक बिहार के गांव का जो 9 साल से कुवैत में काम कर रहा है, बीच-बीच में आता है, मैं जब उससे बातें कर रहा था, तो उसने कहा साहब मुझे एक सवाल पूछना है, मैंने कहा पूछिए, उसने कहा साहब मेरे गांव के पास डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बना दीजिए ना, जी मैं इतना प्रसन्न हो गया, कि मेरे देश के बिहार के गांव का श्रमिक जो 9 साल से कुवैत में मजदूरी करता है, वह भी सोचता है, अब मेरे डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा। ये है, आज भारत के एक सामान्य नागरिक की एस्पिरेशन, जो विकसित भारत के लक्ष्य की ओर पूरे देश को ड्राइव कर रही है।

साथियों,

किसी भी समाज की, राष्ट्र की ताकत तभी बढ़ती है, जब उसके नागरिकों के सामने से बंदिशें हटती हैं, बाधाएं हटती हैं, रुकावटों की दीवारें गिरती है। तभी उस देश के नागरिकों का सामर्थ्य बढ़ता है, आसमान की ऊंचाई भी उनके लिए छोटी पड़ जाती है। इसलिए, हम निरंतर उन रुकावटों को हटा रहे हैं, जो पहले की सरकारों ने नागरिकों के सामने लगा रखी थी। अब मैं उदाहरण देता हूं स्पेस सेक्टर। स्पेस सेक्टर में पहले सबकुछ ISRO के ही जिम्मे था। ISRO ने निश्चित तौर पर शानदार काम किया, लेकिन स्पेस साइंस और आंत्रप्रन्योरशिप को लेकर देश में जो बाकी सामर्थ्य था, उसका उपयोग नहीं हो पा रहा था, सब कुछ इसरो में सिमट गया था। हमने हिम्मत करके स्पेस सेक्टर को युवा इनोवेटर्स के लिए खोल दिया। और जब मैंने निर्णय किया था, किसी अखबार की हेडलाइन नहीं बना था, क्योंकि समझ भी नहीं है। रिपब्लिक टीवी के दर्शकों को जानकर खुशी होगी, कि आज ढाई सौ से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप्स देश में बन गए हैं, ये मेरे देश के युवाओं का कमाल है। यही स्टार्टअप्स आज, विक्रम-एस और अग्निबाण जैसे रॉकेट्स बना रहे हैं। ऐसे ही mapping के सेक्टर में हुआ, इतने बंधन थे, आप एक एटलस नहीं बना सकते थे, टेक्नॉलाजी बदल चुकी है। पहले अगर भारत में कोई मैप बनाना होता था, तो उसके लिए सरकारी दरवाजों पर सालों तक आपको चक्कर काटने पड़ते थे। हमने इस बंदिश को भी हटाया। आज Geo-spatial mapping से जुडा डेटा, नए स्टार्टअप्स का रास्ता बना रहा है।

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साथियों,

न्यूक्लियर एनर्जी, न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े सेक्टर को भी पहले सरकारी कंट्रोल में रखा गया था। बंदिशें थीं, बंधन थे, दीवारें खड़ी कर दी गई थीं। अब इस साल के बजट में सरकार ने इसको भी प्राइवेट सेक्टर के लिए ओपन करने की घोषणा की है। और इससे 2047 तक 100 गीगावॉट न्यूक्लियर एनर्जी कैपेसिटी जोड़ने का रास्ता मजबूत हुआ है।

साथियों,

आप हैरान रह जाएंगे, कि हमारे गांवों में 100 लाख करोड़ रुपए, Hundred lakh crore rupees, उससे भी ज्यादा untapped आर्थिक सामर्थ्य पड़ा हुआ है। मैं आपके सामने फिर ये आंकड़ा दोहरा रहा हूं- 100 लाख करोड़ रुपए, ये छोटा आंकड़ा नहीं है, ये आर्थिक सामर्थ्य, गांव में जो घर होते हैं, उनके रूप में उपस्थित है। मैं आपको और आसान तरीके से समझाता हूं। अब जैसे यहां दिल्ली जैसे शहर में आपके घर 50 लाख, एक करोड़, 2 करोड़ के होते हैं, आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू पर आपको बैंक लोन भी मिल जाता है। अगर आपका दिल्ली में घर है, तो आप बैंक से करोड़ों रुपये का लोन ले सकते हैं। अब सवाल यह है, कि घर दिल्ली में थोड़े है, गांव में भी तो घर है, वहां भी तो घरों का मालिक है, वहां ऐसा क्यों नहीं होता? गांवों में घरों पर लोन इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि भारत में गांव के घरों के लीगल डॉक्यूमेंट्स नहीं होते थे, प्रॉपर मैपिंग ही नहीं हो पाई थी। इसलिए गांव की इस ताकत का उचित लाभ देश को, देशवासियों को नहीं मिल पाया। और ये सिर्फ भारत की समस्या है ऐसा नहीं है, दुनिया के बड़े-बड़े देशों में लोगों के पास प्रॉपर्टी के राइट्स नहीं हैं। बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कहती हैं, कि जो देश अपने यहां लोगों को प्रॉपर्टी राइट्स देता है, वहां की GDP में उछाल आ जाता है।

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साथियों,

भारत में गांव के घरों के प्रॉपर्टी राइट्स देने के लिए हमने एक स्वामित्व स्कीम शुरु की। इसके लिए हम गांव-गांव में ड्रोन से सर्वे करा रहे हैं, गांव के एक-एक घर की मैपिंग करा रहे हैं। आज देशभर में गांव के घरों के प्रॉपर्टी कार्ड लोगों को दिए जा रहे हैं। दो करोड़ से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड सरकार ने बांटे हैं और ये काम लगातार चल रहा है। प्रॉपर्टी कार्ड ना होने के कारण पहले गांवों में बहुत सारे विवाद भी होते थे, लोगों को अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते थे, ये सब भी अब खत्म हुआ है। इन प्रॉपर्टी कार्ड्स पर अब गांव के लोगों को बैंकों से लोन मिल रहे हैं, इससे गांव के लोग अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, स्वरोजगार कर रहे हैं। अभी मैं एक दिन ये स्वामित्व योजना के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस पर उसके लाभार्थियों से बात कर रहा था, मुझे राजस्थान की एक बहन मिली, उसने कहा कि मैंने मेरा प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद मैंने 9 लाख रुपये का लोन लिया गांव में और बोली मैंने बिजनेस शुरू किया और मैं आधा लोन वापस कर चुकी हूं और अब मुझे पूरा लोन वापस करने में समय नहीं लगेगा और मुझे अधिक लोन की संभावना बन गई है कितना कॉन्फिडेंस लेवल है।

साथियों,

ये जितने भी उदाहरण मैंने दिए हैं, इनका सबसे बड़ा बेनिफिशरी मेरे देश का नौजवान है। वो यूथ, जो विकसित भारत का सबसे बड़ा स्टेकहोल्डर है। जो यूथ, आज के भारत का X-Factor है। इस X का अर्थ है, Experimentation Excellence और Expansion, Experimentation यानि हमारे युवाओं ने पुराने तौर तरीकों से आगे बढ़कर नए रास्ते बनाए हैं। Excellence यानी नौजवानों ने Global Benchmark सेट किए हैं। और Expansion यानी इनोवेशन को हमारे य़ुवाओं ने 140 करोड़ देशवासियों के लिए स्केल-अप किया है। हमारा यूथ, देश की बड़ी समस्याओं का समाधान दे सकता है, लेकिन इस सामर्थ्य का सदुपयोग भी पहले नहीं किया गया। हैकाथॉन के ज़रिए युवा, देश की समस्याओं का समाधान भी दे सकते हैं, इसको लेकर पहले सरकारों ने सोचा तक नहीं। आज हम हर वर्ष स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन आयोजित करते हैं। अभी तक 10 लाख युवा इसका हिस्सा बन चुके हैं, सरकार की अनेकों मिनिस्ट्रीज और डिपार्टमेंट ने गवर्नेंस से जुड़े कई प्रॉब्लम और उनके सामने रखें, समस्याएं बताई कि भई बताइये आप खोजिये क्या सॉल्यूशन हो सकता है। हैकाथॉन में हमारे युवाओं ने लगभग ढाई हज़ार सोल्यूशन डेवलप करके देश को दिए हैं। मुझे खुशी है कि आपने भी हैकाथॉन के इस कल्चर को आगे बढ़ाया है। और जिन नौजवानों ने विजय प्राप्त की है, मैं उन नौजवानों को बधाई देता हूं और मुझे खुशी है कि मुझे उन नौजवानों से मिलने का मौका मिला।

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साथियों,

बीते 10 वर्षों में देश ने एक new age governance को फील किया है। बीते दशक में हमने, impact less administration को Impactful Governance में बदला है। आप जब फील्ड में जाते हैं, तो अक्सर लोग कहते हैं, कि हमें फलां सरकारी स्कीम का बेनिफिट पहली बार मिला। ऐसा नहीं है कि वो सरकारी स्कीम्स पहले नहीं थीं। स्कीम्स पहले भी थीं, लेकिन इस लेवल की last mile delivery पहली बार सुनिश्चित हो रही है। आप अक्सर पीएम आवास स्कीम के बेनिफिशरीज़ के इंटरव्यूज़ चलाते हैं। पहले कागज़ पर गरीबों के मकान सेंक्शन होते थे। आज हम जमीन पर गरीबों के घर बनाते हैं। पहले मकान बनाने की पूरी प्रक्रिया, govt driven होती थी। कैसा मकान बनेगा, कौन सा सामान लगेगा, ये सरकार ही तय करती थी। हमने इसको owner driven बनाया। सरकार, लाभार्थी के अकाउंट में पैसा डालती है, बाकी कैसा घर बनेगा, ये लाभार्थी खुद डिसाइड करता है। और घर के डिजाइन के लिए भी हमने देशभर में कंपीटिशन किया, घरों के मॉडल सामने रखे, डिजाइन के लिए भी लोगों को जोड़ा, जनभागीदारी से चीज़ें तय कीं। इससे घरों की क्वालिटी भी अच्छी हुई है और घर तेज़ गति से कंप्लीट भी होने लगे हैं। पहले ईंट-पत्थर जोड़कर आधे-अधूरे मकान बनाकर दिए जाते थे, हमने गरीब को उसके सपनों का घर बनाकर दिया है। इन घरों में नल से जल आता है, उज्ज्वला योजना का गैस कनेक्शन होता है, सौभाग्य योजना का बिजली कनेक्शन होता है, हमने सिर्फ चार दीवारें खड़ी नहीं कीं है, हमने उन घरों में ज़िंदगी खड़ी की है।

साथियों,

किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी पक्ष है उस देश की सुरक्षा, नेशनल सिक्योरिटी। बीते दशक में हमने सिक्योरिटी पर भी बहुत अधिक काम किया है। आप याद करिए, पहले टीवी पर अक्सर, सीरियल बम ब्लास्ट की ब्रेकिंग न्यूज चला करती थी, स्लीपर सेल्स के नेटवर्क पर स्पेशल प्रोग्राम हुआ करते थे। आज ये सब, टीवी स्क्रीन और भारत की ज़मीन दोनों जगह से गायब हो चुका है। वरना पहले आप ट्रेन में जाते थे, हवाई अड्डे पर जाते थे, लावारिस कोई बैग पड़ा है तो छूना मत ऐसी सूचनाएं आती थी, आज वो जो 18-20 साल के नौजवान हैं, उन्होंने वो सूचना सुनी नहीं होगी। आज देश में नक्सलवाद भी अंतिम सांसें गिन रहा है। पहले जहां सौ से अधिक जिले, नक्सलवाद की चपेट में थे, आज ये दो दर्जन से भी कम जिलों में ही सीमित रह गया है। ये तभी संभव हुआ, जब हमने nation first की भावना से काम किया। हमने इन क्षेत्रों में Governance को Grassroot Level तक पहुंचाया। देखते ही देखते इन जिलों मे हज़ारों किलोमीटर लंबी सड़कें बनीं, स्कूल-अस्पताल बने, 4G मोबाइल नेटवर्क पहुंचा और परिणाम आज देश देख रहा है।

साथियों,

सरकार के निर्णायक फैसलों से आज नक्सलवाद जंगल से तो साफ हो रहा है, लेकिन अब वो Urban सेंटर्स में पैर पसार रहा है। Urban नक्सलियों ने अपना जाल इतनी तेज़ी से फैलाया है कि जो राजनीतिक दल, अर्बन नक्सल के विरोधी थे, जिनकी विचारधारा कभी गांधी जी से प्रेरित थी, जो भारत की ज़ड़ों से जुड़ी थी, ऐसे राजनीतिक दलों में आज Urban नक्सल पैठ जमा चुके हैं। आज वहां Urban नक्सलियों की आवाज, उनकी ही भाषा सुनाई देती है। इसी से हम समझ सकते हैं कि इनकी जड़ें कितनी गहरी हैं। हमें याद रखना है कि Urban नक्सली, भारत के विकास और हमारी विरासत, इन दोनों के घोर विरोधी हैं। वैसे अर्नब ने भी Urban नक्सलियों को एक्सपोज करने का जिम्मा उठाया हुआ है। विकसित भारत के लिए विकास भी ज़रूरी है और विरासत को मज़बूत करना भी आवश्यक है। और इसलिए हमें Urban नक्सलियों से सावधान रहना है।

साथियों,

आज का भारत, हर चुनौती से टकराते हुए नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मुझे भरोसा है कि रिपब्लिक टीवी नेटवर्क के आप सभी लोग हमेशा नेशन फर्स्ट के भाव से पत्रकारिता को नया आयाम देते रहेंगे। आप विकसित भारत की एस्पिरेशन को अपनी पत्रकारिता से catalyse करते रहें, इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत-बहुत आभार, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद!