Quoteहमने व्यापक और एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया है। हमने समस्याओं को समझा है और हम उन्हें अपने सामर्थ्य से बदलना चाहते हैं: प्रधानमंत्री
Quoteजब सड़कों की बात आती है तो हमें यह सोचने की जरूरत है कि सड़कों के माध्यम से कैसे ग्रामीण लोगों की मदद की जा सकती है: प्रधानमंत्री
Quoteयह बुनियादी ढांचा भारत के विकास को गति और ताकत देगा: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteबजट 2016 में हमारी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों पर विशेष ध्यान दिया है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteहम रेलवे में गुणात्मक परिवर्तन लेकर आए हैं एवं अभी भी इसमें और अधिक परिवर्तन लाने के लिए काम कर रहे हैं: प्रधानमंत्री मोदी

उपस्थित सभी राज्‍यों से आये हुए प्रतिनिधि मंत्री परिषद के सदस्‍य, सांसदगण के प्रतिनिधि और सभी महानुभाव, 

आमतौर पर सरकार एकाध भी bridge बनाती हैं तो एकाध रोड बनाती है तो हमारे देश में एक बहुत बड़ी घटना मानी जाती है। मीडिया का भी ध्‍यान रहता है और उस क्षेत्र के लोग भी उस विषय में ज्‍यादा चर्चा करते हैं क्‍योंकि वर्षों तक जिस चीज की मांग रहती है और बड़ी मुश्किल से 15-15 साल के इंतजार के बाद कुछ होता है, तो ये हम इन चीजों से अनुभव करते हैं। हमने एक comprehensive, integrative approach लिया है। हमें पता है कि भई ये समस्‍याएं हैं, तो उन समस्‍याओं को एक पूरी ताकत के साथ देश को समस्‍या से कैसे बाहर निकाला जाए। Normally सरकारें incremental काम करने की आदत रखती है, पहले पांच करते थे, अब सात करते हैं, सात करते थे दस करते हैं, हमारी कोशिश है quantum jump की, break-through की, पुरानी स्‍पीड और निर्णय करने की प्रक्रियाओं से एकदम से बाहर निकलना। गति बढ़ा देना, quick decision लेना उसमें से ही सारी योजनाएं साकार होती हैं।

सेतु भारतम्, अभी नितिन जी बता रहे थे आपको भी आश्‍चर्य होगा इतनी बड़ी सरकार उसको address मालूम नहीं है कि कौन सा bridge कहां है, यानी कैसे काम किए होंगे और मैं इसमें कोई elected body का दोष नहीं देता हूं कि फलाने प्रधानमंत्री थे, या ढिकरे राज्‍यमंत्री थे। मैं ये नहीं कह रहा हूं। व्‍यवस्‍था का दोष है, हमने ये इन चीजों को प्राथमिकता नहीं दी। और इसलिए सबसे पहला काम किया कि भई एक बार देखो तो सही इस देश में क्‍या है कहां है, क्‍या स्थिति है। अब उसका gradation का काम चल रहा है कि उमर के हिसाब से bridge किस category में आते हैं, लंबाई-चौड़ाई के हिसाब से किस category में आते हैं, material के संदर्भ में, किस प्रकार की डिजाइन है, कितनी पुराने जमाने की डिजाइन हैं, नई ये सारा उसका gradation चल रहा है। और दूसरा उसका address पक्‍का हो रहा है longitude-latitude के माध्‍यम से, Space-Technology का उपयोग करके कहां यहां ये bridge है? हो सकता है कुछ जगह पर कागज पर bridge होगा वहां नहीं होगा वो भी हाथ में आएगा। लेकिन कोशिश ये है।

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दूसरा छोटी-छोटी चीजें हैं लेकिन आप लोगों को हैरानी होगी कि हमारे यहां पहले highways बनते थे जमीन तो acquire करते थे। लेकिन जब highway बनता था, तो जमीन के बगल में encroachment हो जाता था और कभी four-lane करना है, six-lane करना है, तो आप चौड़ाई नहीं बढ़ा सकते है। क्‍योंकि ये encroachment था। Encroachment, अब आ नहीं सकते क्‍योंकि हर दूसरे साल चुनाव होते हैं तो कोई-कोई चुनाव सामने दिखता है तो कोई हिम्‍मत नहीं करता है। और फिर कोर्ट-कचहरी से भी तुरंत stay मिल जाते हैं तो ये कई कठिनाईयों से भी रोड बढ़ते ही नहीं है।

हमने छोटा-सा निर्णय किया हमने कहा जब रोड बनाएंगे, तो जो जमीन acquire करेंगे दो छोर पर ups and down का रोड बनाएंगे और बीच में जगह खाली रखेंगे जब expansion करना होगा, तो वो अंदर की तरफ करेंगे, तो encroachment का सवाल नहीं आएगा। अब चीजें छोटी होती हैं, लेकिन ये लंबे अरसे तक सहाय करने वाली है। उसी प्रकार से हमारे यहां जिस प्रकार से देश का विकास हो रहा है, तो बहुत-सी चीजें आवश्‍यक है। क्‍यों न अभी से हम, उसके साथ सामान्‍य मानविकी जो Facilities की जो आवश्‍यकता है, 20 किलोमीटर 30 किलोमीटर क्‍यों न व्‍यवस्‍था करें? Rest-Room वगैरह क्‍यों न साथ में उसके डिजाइन में क्‍यों न हो? उस पर बल दे रहे हैं।

उसी प्रकार से ग्रामीण व्‍यक्तियों को अपना माल शहर में बेचना है, तो क्‍यों न इस बड़े रोड रास्‍तों के नजदीक में ऐसी कोई जगह हो, जहां से वो माल ला करके वहां से बेचने के लिए लाए। यानी एक Comprehensive Development की दिशा में हमारा प्रयास चल रहा है। और उसी के तहत इस काम को करेंगे। एक साथ 1500 bridge, करीब 51 हजार करोड़ रूपये की लागत। कभी तो रेल और रोड उनके बीच में इतने कागज चलते थे, कभी-कभी लगता है कि सारे पत्र व्‍यवहार को इकट्ठा करे, तो एकाद यहां monument bridge बना सकते हैं। हमने कहा ऐसा नहीं भई बैठो, बैठ करके बताइए क्‍या समस्‍या है, अब क्‍या किया फॉर्मूला बना दिया कि रेलवे के ऊपर bridge बनाया तो ऐसा बनेगा, रोड और रेल को क्रोसिंग होता है, तो ऐसा bridge बनेगा, इसकी ये डिजाइन होगी। अब ये डिजाइन आती है, तो तुरंत उसको sanction कर दो। तेज गति से चीजे sanction हो रही हैं, आगे बढ़ रही हैं। उसी का परिणाम है कि आज 1500 bridge, जिसमें repairing का भी है, नए निर्माण का काम भी है और समय सीमा में करने की दिशा में काम करने का सोचा गया है। Land की जरूरत होगी तो उसके लिए राज्‍य सरकारों से बात करके आगे बढ़ना है। कोशिश ये है कि हम बदलाव लाएं और ये बात हम मान के चलें जैसे शरीर में नसों का role है, धमनियों का role है, veins का role है और उसकी जो गतिविधि और काम है उससे वो शरीर को शक्ति भी देते हैं, शरीर को गति भी देते हैं। जो ये नसें veins शरीर में role करती हैं वैसे ही ये Infrastructure इस राष्‍ट्र के शरीर में काम करता है। अगर Road Infrastructure आपका होगा, Rail Infrastructure होगा आप गति बढ़ाएंगे।

युग बदलते ही Infrastructure की परिभाषाएं बदलती हैं। पहले एक मुझे याद है, जब हम छोटे थे, तो ये अकाल जब होता था तो अकाल में मिट्टी का काम निकलता था। तो गांव के लोग चिट्ठियां लिखते थे, के भई हमारे गांव में मिट्टी का करवा दीजिए, ताकि हमको जाने-आने की सुविधा हो जाए। तो अकाल के काम में मिट्टी डलवाते थे, मिट्टी डल गई तो वो कहते वाह, वहां बहुत बड़ा काम किया। हमारे MLA, MP बड़े सक्रिय हैं, बड़ा संतोष हो जाता था। फिर थोड़ा समय आया बोलते साहब थोड़ा Tar-Road बना दीजिए, आज गांव का आदमी भी कहता है साहब Fiber-Road चाहिए। Fiber-Road चाहिए उसको, ये जो बदलाव आया है, हमने भी उसको ने meet करने की दिशा में काम करना पड़ेगा। और उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं। ग्रामीण सड़कों पर हमारा बल है।

आपने देखा होगा, इस बार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में बहुत बड़ी मात्रा में बजट डाला गया। ये Infrastructure है जो मैंने कहा, शरीर में नसों का काम है उसी प्रकार से गति देने वाला काम है। एक जमाना था मैंने कहा, अगर मिट्टी डाल दी है तो संतोष होता था, आज highways भी चाहिए I-ways भी चाहिए। Iways-Information Ways, I-ways और highways, ये साथ-साथ करना हो इसलिए सरकार की कोशिश है। Digital Optical Fiber Network खड़ा करना है, उसी प्रकार से Agriculture Sector के Infrastructure का जो महत्‍व है, जितना हम Irrigation Infrastructure खड़ा करते हैं, उतनी पूरे Agriculture Sector को ता‍कत मिलती है। हम उस पर बल दे रहे हैं।

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Railway, पहले क्‍या था? Railway यानी पार्लियामेंट में बेंच पर तालियां बज जाएं। तो ये इस MP को खुश करने के लिए उसके रास्‍ते से निकलने वाली, एक ट्रेन घोषित कर दो, तो उस रास्‍ते पर पड़ने वाले सारे दस-बारह MP खुश हो जाएंगे। ये ही करना, फिर करना-वरना कुछ नहीं, यार देखना पुरानी कई घोषणाएं पड़ी हैं, जिसको अब तक चालू नहीं किया गया। हमने कहा भाई ये तालियां बजाने से देश नहीं चलेगा, रेलवे में आमूल-चूल परिवर्तन लाना चाहिए। रेल, रेल की पटरियां डालो, gaze बदलो, आप, आप उसको डीजल से electrification की तरफ ले जाओ, Environment की दृष्टि से काम करो, गति की दृष्टि से काम करो, एक पूरा, पूरा focus बदल दिया है रेलवे का। अभी तक हमारे देश में अकेले railway में जो reform हो रहे हैं उस पर किसी का ध्‍यान नहीं गया है। वो जो Big Bank की बातें करते हैं, reform की बातें करते हैं, सिर्फ Railway देख लें कि कैसे बदलाव किया है तो उनको अंदाज आ जाए कि कहां से कहां Railway जा सकती है।

चाहे optical fiber network हो, चाहे Railway network हो, चाहे road network हो, चाहे bridges का निर्माण हो। हर एक पूरे देश में और qualitative change। सिर्फ किलोमीटर नहीं बढ़ाने हैं। हमें qualitative change लाना है और एक लंबे अरसे की आवश्‍यकताओं की पूर्ति को ध्‍यान में रख करके लाना है। मुझे विश्‍वास है कि राष्‍ट्र को सशक्‍त बनाने में, राष्‍ट्र को समृद्ध बनाने में, राष्‍ट्र को गति‍शील बनाने में Infrastructure अहम भूमिका अदा करता है। जैसे शरीर की मजबूती का कारण शरीर की नसों का role है, veins का role है, वैसे ही राष्‍ट्र की मजबूती का आधार इस Infrastructure पर है, road network पर है, Rail network पर है, optical fiber network पर है, water connectivity पर है, grid connectivity पर है, electricity generation पर है, electricity supply पर है। ये चीजों पर हम जितना बल देंगे, उतना ही आने वाले दिनों में परिवर्तन आने वाला है। और इसलिए ये सरकार उस दिशा में काम कर रही है।

मैं नितिन जी को बधाई देता हूं कि सेतु भारतम् के माध्‍यम से देश में bridges की तरफ देख रहे हैं। मैं तो चाहूंगा कि हमारी जितनी Universities हैं, खास करके Engineering and Architecture, वे देश में सबसे oldest bridge, उसकी Technology उस पर कोई Phd करे कोई student, दुनिया में क्या हो रहा है उस पर Phd. हम एक इसको एक science के रूप में develop करें। उसी प्रकार से हमारे Engineering और Architecture के students, उनको internship के लिए हम brides पर अवसर दें । बहुत बड़ी मात्रा में रोजगार की भी संभावना होगी, और हमारे यहां qualitative man-power तैयार होगा। तो एक प्रकार से human resource development भी हो, दूसरी प्रकार से Infrastructure भी develop हो, हमारे Institutions की capability बढ़े, उन सारी बातों को एक साथ लेकर के हमें आगे बढ़ना है। मैं फिर एक बार बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन
May 12, 2025
QuoteToday, every terrorist knows the consequences of wiping Sindoor from the foreheads of our sisters and daughters: PM
QuoteOperation Sindoor is an unwavering pledge for justice: PM
QuoteTerrorists dared to wipe the Sindoor from the foreheads of our sisters; that's why India destroyed the very headquarters of terror: PM
QuotePakistan had prepared to strike at our borders,but India hit them right at their core: PM
QuoteOperation Sindoor has redefined the fight against terror, setting a new benchmark, a new normal: PM
QuoteThis is not an era of war, but it is not an era of terrorism either: PM
QuoteZero tolerance against terrorism is the guarantee of a better world: PM
QuoteAny talks with Pakistan will focus on terrorism and PoK: PM

प्रिय देशवासियों,

नमस्कार!

हम सभी ने बीते दिनों में देश का सामर्थ्य और उसका संयम दोनों देखा है। मैं सबसे पहले भारत की पराक्रमी सेनाओं को, सशस्त्र बलों को, हमारी खुफिया एजेंसियों को, हमारे वैज्ञानिकों को, हर भारतवासी की तरफ से सैल्यूट करता हूं। हमारे वीर सैनिकों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए असीम शौर्य का प्रदर्शन किया। मैं उनकी वीरता को, उनके साहस को, उनके पराक्रम को, आज समर्पित करता हूं- हमारे देश की हर माता को, देश की हर बहन को, और देश की हर बेटी को, ये पराक्रम समर्पित करता हूं।

साथियों,

22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादियों ने जो बर्बरता दिखाई थी, उसने देश और दुनिया को झकझोर दिया था। छुट्टियां मना रहे निर्दोष-मासूम नागरिकों को धर्म पूछकर, उनके परिवार के सामने, उनके बच्चों के सामने, बेरहमी से मार डालना, ये आतंक का बहुत विभत्स चेहरा था, क्रूरता थी। ये देश के सद्भाव को तोड़ने की घिनौनी कोशिश भी थी। मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से ये पीड़ा बहुत बड़ी थी। इस आतंकी हमले के बाद सारा राष्ट्र, हर नागरिक, हर समाज, हर वर्ग, हर राजनीतिक दल, एक स्वर में, आतंक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए उठ खड़ा हुआ। हमने आतंकवादियों को मिट्टी में मिलाने के लिए भारत की सेनाओं को पूरी छूट दे दी। और आज हर आतंकी, आतंक का हर संगठन जान चुका है कि हमारी बहनों-बेटियों के माथे से सिंदूर हटाने का अंजाम क्या होता है।

साथियों,

‘ऑपरेशन सिंदूर’ ये सिर्फ नाम नहीं है, ये देश के कोटि-कोटि लोगों की भावनाओं का प्रतिबिंब है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न्याय की अखंड प्रतिज्ञा है। 6 मई की देर रात, 7 मई की सुबह, पूरी दुनिया ने इस प्रतिज्ञा को परिणाम में बदलते देखा है। भारत की सेनाओं ने पाकिस्तान में आतंक के ठिकानों पर, उनके ट्रेनिंग सेंटर्स पर सटीक प्रहार किया। आतंकियों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि भारत इतना बड़ा फैसला ले सकता है। लेकिन जब देश एकजुट होता है, Nation First की भावना से भरा होता है, राष्ट्र सर्वोपरि होता है, तो फौलादी फैसले लिए जाते हैं, परिणाम लाकर दिखाए जाते हैं।

जब पाकिस्तान में आतंक के अड्डों पर भारत की मिसाइलों ने हमला बोला, भारत के ड्रोन्स ने हमला बोला, तो आतंकी संगठनों की इमारतें ही नहीं, बल्कि उनका हौसला भी थर्रा गया। बहावलपुर और मुरीदके जैसे आतंकी ठिकाने, एक प्रकार से ग्लोबल टैररिज्म की यूनिवर्सटीज रही हैं। दुनिया में कहीं पर भी जो बड़े आतंकी हमले हुए हैं, चाहे नाइन इलेवन हो, चाहे लंदन ट्यूब बॉम्बिंग्स हो, या फिर भारत में दशकों में जो बड़े-बड़े आतंकी हमले हुए हैं, उनके तार कहीं ना कहीं आतंक के इन्हीं ठिकानों से जुड़ते रहे हैं। आतंकियों ने हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा था, इसलिए भारत ने आतंक के ये हेडक्वार्ट्स उजाड़ दिए। भारत के इन हमलों में 100 से अधिक खूंखार आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा गया है। आतंक के बहुत सारे आका, बीते ढाई-तीन दशकों से खुलेआम पाकिस्तान में घूम रहे थे, जो भारत के खिलाफ साजिशें करते थे, उन्हें भारत ने एक झटके में खत्म कर दिया।

साथियों,

भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तान घोर निराशा में घिर गया था, हताशा में घिर गया था, बौखला गया था, और इसी बौखलाहट में उसने एक और दुस्साहस किया। आतंक पर भारत की कार्रवाई का साथ देने के बजाय पाकिस्तान ने भारत पर ही हमला करना शुरू कर दिया। पाकिस्तान ने हमारे स्कूलों-कॉलेजों को, गुरुद्वारों को, मंदिरों को, सामान्य नागरिकों के घरों को निशाना बनाया, पाकिस्तान ने हमारे सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, लेकिन इसमें भी पाकिस्तान खुद बेनकाब हो गया।

दुनिया ने देखा कि कैसे पाकिस्तान के ड्रोन्स और पाकिस्तान की मिसाइलें, भारत के सामने तिनके की तरह बिखर गईं। भारत के सशक्त एयर डिफेंस सिस्टम ने, उन्हें आसमान में ही नष्ट कर दिया। पाकिस्तान की तैयारी सीमा पर वार की थी, लेकिन भारत ने पाकिस्तान के सीने पर वार कर दिया। भारत के ड्रोन्स, भारत की मिसाइलों ने सटीकता के साथ हमला किया। पाकिस्तानी वायुसेना के उन एयरबेस को नुकसान पहुंचाया, जिस पर पाकिस्तान को बहुत घमंड था। भारत ने पहले तीन दिनों में ही पाकिस्तान को इतना तबाह कर दिया, जिसका उसे अंदाजा भी नहीं था।

इसलिए, भारत की आक्रामक कार्रवाई के बाद, पाकिस्तान बचने के रास्ते खोजने लगा। पाकिस्तान, दुनिया भर में तनाव कम करने की गुहार लगा रहा था। और बुरी तरह पिटने के बाद इसी मजबूरी में 10 मई की दोपहर को पाकिस्तानी सेना ने हमारे DGMO को संपर्क किया। तब तक हम आतंकवाद के इंफ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर तबाह कर चुके थे, आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया था, पाकिस्तान के सीने में बसाए गए आतंक के अड्डों को हमने खंडहर बना दिया था, इसलिए, जब पाकिस्तान की तरफ से गुहार लगाई गई, पाकिस्तान की तरफ से जब ये कहा गया, कि उसकी ओर से आगे कोई आतंकी गतिविधि और सैन्य दुस्साहस नहीं दिखाया जाएगा। तो भारत ने भी उस पर विचार किया। और मैं फिर दोहरा रहा हूं, हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को अभी सिर्फ स्थगित किया है। आने वाले दिनों में, हम पाकिस्तान के हर कदम को इस कसौटी पर मापेंगे, कि वो क्या रवैया अपनाता है।

साथियों,

भारत की तीनों सेनाएं, हमारी एयरफोर्स, हमारी आर्मी, और हमारी नेवी, हमारी बॉर्डर सेक्योरिटी फोर्स- BSF, भारत के अर्धसैनिक बल, लगातार अलर्ट पर हैं। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद, अब ऑपरेशन सिंदूर आतंक के खिलाफ भारत की नीति है। ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक नई लकीर खींच दी है, एक नया पैमाना, न्यू नॉर्मल तय कर दिया है।

पहला- भारत पर आतंकी हमला हुआ तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। हम अपने तरीके से, अपनी शर्तों पर जवाब देकर रहेंगे। हर उस जगह जाकर कठोर कार्यवाही करेंगे, जहां से आतंक की जड़ें निकलती हैं। दूसरा- कोई भी न्यूक्लियर ब्लैकमेल भारत नहीं सहेगा। न्यूक्लियर ब्लैकमेल की आड़ में पनप रहे आतंकी ठिकानों पर भारत सटीक और निर्णायक प्रहार करेगा।

तीसरा- हम आतंक की सरपरस्त सरकार और आतंक के आकाओं को अलग-अलग नहीं देखेंगे। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, दुनिया ने, पाकिस्तान का वो घिनौना सच फिर देखा है, जब मारे गए आतंकियों को विदाई देने, पाकिस्तानी सेना के बड़े-बड़े अफसर उमड़ पड़े। स्टेट स्पॉन्सरड टेरेरिज्म का ये बहुत बड़ा सबूत है। हम भारत और अपने नागरिकों को किसी भी खतरे से बचाने के लिए लगातार निर्णायक कदम उठाते रहेंगे।

साथियों,

युद्ध के मैदान पर हमने हर बार पाकिस्तान को धूल चटाई है। और इस बार ऑपरेशन सिंदूर ने नया आयाम जोड़ा है। हमने रेगिस्तानों और पहाड़ों में अपनी क्षमता का शानदार प्रदर्शन किया, और साथ ही, न्यू एज वॉरफेयर में भी अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की। इस ऑपरेशन के दौरान, हमारे मेड इन इंडिया हथियारों की प्रमाणिकता सिद्ध हुई। आज दुनिया देख रही है, 21वीं सदी के वॉरफेयर में मेड इन इंडिया डिफेंस इक्विपमेंट्स, इसका समय आ चुका है।

साथियों,

हर प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ हम सभी का एकजुट रहना, हमारी एकता, हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। निश्चित तौर पर ये युग युद्ध का नहीं है, लेकिन ये युग आतंकवाद का भी नहीं है। टैररिज्म के खिलाफ जीरो टॉलरेंस, ये एक बेहतर दुनिया की गारंटी है।

साथियों,

पाकिस्तानी फौज, पाकिस्तान की सरकार, जिस तरह आतंकवाद को खाद-पानी दे रहे है, वो एक दिन पाकिस्तान को ही समाप्त कर देगा। पाकिस्तान को अगर बचना है तो उसे अपने टैरर इंफ्रास्ट्रक्चर का सफाया करना ही होगा। इसके अलावा शांति का कोई रास्ता नहीं है। भारत का मत एकदम स्पष्ट है, टैरर और टॉक, एक साथ नहीं हो सकते, टैरर और ट्रेड, एक साथ नहीं चल सकते। और, पानी और खून भी एक साथ नहीं बह सकता।

मैं आज विश्व समुदाय को भी कहूंगा, हमारी घोषित नीति रही है, अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो टेरेरिज्म पर ही होगी, अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर, PoK उस पर ही होगी।

प्रिय देशवासियों,

आज बुद्ध पूर्णिमा है। भगवान बुद्ध ने हमें शांति का रास्ता दिखाया है। शांति का मार्ग भी शक्ति से होकर जाता है। मानवता, शांति और समृद्धि की तरफ बढ़े, हर भारतीय शांति से जी सके, विकसित भारत के सपने को पूरा कर सके, इसके लिए भारत का शक्तिशाली होना बहुत जरूरी है, और आवश्यकता पड़ने पर इस शक्ति का इस्तेमाल भी जरूरी है। और पिछले कुछ दिनों में, भारत ने यही किया है।

मैं एक बार फिर भारत की सेना और सशस्त्र बलों को सैल्यूट करता हूं। हम भारतवासी के हौसले, हर भारतवासी की एकजुटता का शपथ, संकल्प, मैं उसे नमन करता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

भारत माता की जय !!!

भारत माता की जय !!!

भारत माता की जय !!!