डॉ अम्बेडकर ने समाज में अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी: प्रधानमंत्री मोदी
‘ग्राम उदय से भारत उदय’ अभियान के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में विकास संबंधी पहल पर ध्यान दिया जाएगा: प्रधानमंत्री
विकास संबंधी हमारी विभिन्न पहल ग्रामीण विकास पर केंद्रित होनी चाहिए: प्रधानमंत्री मोदी
बिजली की सुविधा से रहित 18,000 गांवों में 1000 दिन की समय सीमा के अंदर बिजली पहुंचाई जा रही है: प्रधानमंत्री
डिजिटल कनेक्टिविटी गांवों में आवश्यक है: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
सरकार का लक्ष्य है - किसानों की आय को दोगुनी करना और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाना: प्रधानमंत्री

विशाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों,

ये मेरा सौभाग्‍य है कि आज डॉ. बाबा साहेब अम्‍बेडकर की 125वीं जन्‍म जयंती निमित्‍त, जिस भूमि पर इस महा पुरूष ने जन्‍म लिया था, जिस धरती पर सबसे पहली बार जिसके चरण-कमल पड़े थे, उस धरती को नमन करने का मुझे अवसर मिला है।

मैं इस स्‍थान पर पहले भी आया हूं। लेकिन उस समय के हाल और आज के हाल में आसमान-जमीन का अंतर है और मैं मध्‍य प्रदेश सरकार को, श्रीमान सुंदरलाल जी पटवा ने इसका आरंभ किया, बाद में श्रीमान शिवराज की सरकार ने इसको आगे बढ़ाया, परिपूर्ण किया। इसके लिए हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं उनका अभिनंदन करता हूं।

बाबा साहेब अम्‍बेडकर एक व्‍यक्ति नहीं थे, वे एक संकल्‍प का दूसरा नाम थे। बाबा साहेब अम्‍बेडकर जीवन जीते नहीं थे वो जीवन को संघर्ष में जोड़ देते थे, जोत देते थे। बाबा साहेब अम्‍बेडकर अपने मान-सम्‍मान, मर्यादाओं के लिए नहीं लेकिन समाज की बुराईयों के खिलाफ जंग खेल करके आखिरी झोर पर बैठा हुआ दलित हो, पीढि़त हो, शोषित हो, वंचित हो। उनको बराबरी मिले, उनको सम्‍मान मिले, इसके लिए अपमानित हो करके भी अपने मार्ग से कभी विचलित नहीं हुए। जिस महापुरूष के पास इतनी बड़ी ज्ञान संपदा हो, जिस महापुरूष के युग में विश्‍व की गणमान्‍य यूनिवर्सिटिस की डिग्री हो, वो महापुरूष उस कालखंड में अपने व्‍यक्तिगत जीवन में लेने, पाने, बनने के लिए सारी दुनिया में अवसर उनके लिए खुले पड़े थे। लेकिन इस देश के दलित, पीढि़त, शोषित, वंचितों के लिए उनके दिल में जो आग थी, जो उनके दिल में कुछ कर गुजरने का इरादा था, संकल्‍प था। उन्‍होंने इन सारे अवसरों को छोड़ दिया और वह अवसरों को छोड़ करके, फिर एक बार भारत की मिट्टी से अपना नाता जोड़ करके अपने आप को खपा दिया।

आज 14 अप्रैल बाबा साहेब अम्‍बेडकर की जन्‍म जयंती हो और मुझे हमारे अखिल भारतीय भिक्षुक संघ के संघ नायक डॉ. धम्मवीरयो जी का सम्‍मान करने का अवसर मिला। वो भी इस पवित्र धरती पर अवसर मिला। बहुत कम लोगों को पता होगा कि कैसी बड़ी विभूति आज हमारे बीच में है।

कहते है 100 भाषाओं के वो जानकार है, 100 भाषाएं, Hundred Languages. और बर्मा में जन्‍मे बाबा साहेब अम्‍बेडकर उन्‍हें बर्मा में मिले थे और बाबा साहेब के कहने पर उन्‍होंने भारत को अपनी कर्म भूमि बनाया और उन्‍होंने भारत में बुद्ध सत्‍व से दुनिया को जोड़ने को प्रयास अविरत किया।

मेरा तो व्‍यक्तिगत नाता उनके इतना निकट रहा है, उनके इतने आर्शीवाद मुझे मिलते रहे है। मेरे लिए वो एक प्रेरणा को स्‍थान रहे है। लेकिन आज मुझे खुशी है कि मुझे उनका सम्‍मान करने का सौभाग्‍य मिला। बाबा साहेब अम्‍बेडकर के साथ उनका वो नाता और बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने कहा तो पूरा जीवन भारत के लिए खपा दिया। और ज्ञान की उनकी कोई तुलना नहीं कर सकता, इतने विद्यमान है। वे आज हमारे मंच पर आए इस काम की शोभा बढ़ाई इसलिए मैं डॉ. धम्मवीरयो जी का, संघ नायक जी का हृदय से आभार करता हूं। मैं फिर से एक बार प्रणाम करता हूं।

आज 14 अप्रैल से आने वाली 24 अप्रैल तक भारत सरकार के द्वारा सभी राज्‍यों सरकारों के सहयोग के साथ “ग्राम उदय से भारत उदय”, एक व्‍यापक अभियान प्रारंभ हो रहा है और मुझे खुशी है कि बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने हमें जो संविधान दिया। महात्‍मा गांधी ने ग्राम स्‍वराज की जो भावना हमें दी, ये सब अभी भी पूरा होना बाकी है। आजादी के इतने सालों के बाद जिस प्रकार से हमारे गांव के जीवन में परिवर्तन आना चाहिए था, जो बदलाव आना चाहिए था। बदले हुए युग के साथ ग्रामीण जीवन को भी आगे ले जाने का आवश्‍यक था। लेकिन ये दुख की बात है अभी भी बहुत कुछ करना बाकि है। भारत का आर्थिक विकास 5-50 बढ़े शहरों से होने वाला नहीं है। भारत का विकास 5-50 बढ़े उद्योगकारों से नहीं होने वाला। भारत का विकास अगर हमें सच्‍चे अर्थ में करना है और लंबे समय तक Sustainable Development करना है तो गांव की नींव को मजबूत करना होगा। तब जा करके उस पर विकास की इमारत हम Permanent बना सकते है।

और इसलिए इस बार आपने बजट में भी देखा होगा कि बजट पूरी तरह गांव को समर्पि‍त है, किसान को समर्पित है। और एक लंबे समय तक देश के ग्रामीण अर्थकारण को नई ऊर्जा मिले, नई गति मिले, नई ताकत मिले उस पर बल दिया गया है। और मैं साफ देख रहा हूं, जो भावना महात्‍मा गांधी की अभिव्‍यक्ति में आती थी, जो अपेक्षा बाबा साहेब अम्‍बेडकर संविधान में प्रकट हुई है, उसको चरितार्थ करने के लिए, टुकड़ो में काम करने से चलने वाला नहीं है। हमें एक जितने भी विकास के स्रोत हैं, सारे विकास के स्रोत को गांव की ओर मोड़ना है।

मैं सरकार में आने के बाद अगल-अलग कामों का Review करता रहता हूं, बहुत बारिकी से पूछता रहता हूं। अभी कुछ महिने पहले मैं भारत में ऊर्जा की स्थिति का Review कर रहा था। मैंने अफसरों को पूछा कि आजादी के अब 70 साल होने वाले है कुछ ही समय के बाद। कितने गांव ऐसे है जहां आजादी के 70 साल होने आए, अभी भी बिजली का खंभा नहीं पहुंचा है, बिजली का तार नहीं पहुंचा है। आज भी वो गांव के लोग 18वीं शताब्‍दी की जिंदगी में जी रहे है, ऐसे कितने गांव है। मैं सोच रहा था 200-500 शायद, दूर-सुदूर कहीं ऐसी जगह पर होंगे जहां संभव नहीं होगा। लेकिन जब मुझे बताया गया कि आजादी के 70 साल होने को आए है लेकिन 18,000 गांव ऐसे जहां बिजली का खंभा भी नहीं पहुंचा है। अभी तक उन 18,000 हजार गांव के लोगों ने उजियारा देखा नहीं है।

20वीं सदी चली गई, 19वीं शताब्‍दी चली गई, 21वीं शताब्‍दी के 15-16 साल बीत गए, लेकिन उनके नसीब में एक लट्टू भी नहीं था। मेरा बैचेन होना स्‍वाभाविक था। जिस बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने वंचितों के लिए जिंदगी गुजारने का संदेश दिया हो, उस शासन में 18,000 गांव अंधेरे में गुजारा करते हों, ये कैसे मंजूर हो सकता है।

मैंने अफसरों को कहा कितने दिन में पूरा करोंगे, उन्‍होंने न जवाब मुझे दिन में दिया, न जवाब महिनों में दिया, उन्‍होंने जवाब मुझे सालों में दिया। बोले साहब सात साल तो कम से कम लग जाएंगे। मैंने सुन लिया मैंने कहा भई देखिए सात साल तक तो देश इंतजार नहीं कर सकता, वक्‍त बदल चुका है। हमने हमारी गति तेज करनी होगी। खैर उनकी कठिनाईयां थी वो उलझन में थे कि प्रधानमंत्री कह रहे है कि सात साल तो बहुत हो गया कम करो। तो बराबर मार-पीट करके वो कहने लगे साहब बहुत जोर लगाये तो 6 साल में हो सकता है।

खैर मैंने सारी जानकारियां ली अभ्‍यास करना शुरू किया और लाल किले पर से 15 अगस्‍त को जब भाषण करना था, बिना पूछे मैंने बोल दिया कि हम 1000 दिन में 18,000 गांव में बिजली पहुंचा देंगे। मैंने देश के सामने तिरंगे झंडे की साक्षी में लाल किले पर से देश को वादा कर दिया। अब सरकार दोड़ने लगी और आज मुझे खुशी के साथ कहना है कि शायद ये सपना मैं 1000 दिन से भी कम समय में पूरा कर दूंगा। जिस काम के लिए 70 साल लगे, 7 साल और इंतजार मुझे मंजूर नहीं है। मैंने हजार दिन में काम पूरा करने का बेड़ा उठाया पूरी सरकार को लगाया है। राज्‍य सरकारों को साथ देने के लिए आग्रह किया है और तेज गति से काम चल रहा है।

और व्‍यवस्‍था भी इतनी Transparent है। कि आपने अपने मोबाइल पर ‘गर्व’ - ‘GARV’ ये अगर App लांच करेंगे तो आपको Daily किस गांव में खंभा पहुंचा, किस गांव में तार पहुंचा, कहां बिजली पहुंची, इसका Report आपकी हथेली में मोबाइल फोन पर यहां पर कोई भी देख सकता है। ये देश की जनता को हिसाब देने वाली सरकार है, पल-पल का हिसाब देने वाली सरकार है, पाई-पाई का हिसाब देने वाली सरकार है और हिन्‍दुस्‍तान के सामान्‍य मानवी के सपनों को पूरा करने के लिए तेज गति से कदम आगे बढ़ाने वाली सरकार है। और उसी का परिणाम है कि आज जिस गांव में इतने सालों के बाद बिजली पहुंची है उन गांवों में ऊर्जा उत्‍सव मनाए जा रहे है, हफ्ते भर नाच-गान चल रहे है। लोग खुशियां मना रहे है कि चलो गांव में बिजली आई, अब घर में भी आ जाएंगी ये mood बना है।

हमारी दुनिया बिजली की बात तो दुनिया के लिए 18वीं, 19वीं शताब्‍दी की बात है। आज विश्‍व को optical fiber चाहिए, आज विश्‍व को digital network से जुड़ना है। जो दुनिया में है वो सारा उसकी हथेली पर होना चाहिए। ये आज सामान्‍य-सामान्‍य नागरिक भी चाहता है। अगर दुनिया के हर नागरिक के हाथ में उसके मोबाइल फोन में पूरा विश्‍व उपलब्‍ध है तो मेरे हिन्‍दुस्‍तान के गांव के लोगों के हाथ में क्‍यों नहीं होना चाहिए। ढाई लाख गांव जिसको digital connectivity देनी है, optical fiber network लगाना है। कई वर्षों से सपने देखें गए, काम सोचा गया लेकिन कहीं कोई काम नजर नहीं आया। मैं जानता हूं ढाई लाख गांवों में optical fiber network करना कितना कठिन है, लेकिन कठिन है तो हाथ पर हाथ रख करके बैठे थोड़े रहना चाहिए। कहीं से तो शुरू करना चाहिए और एक बार शुरू करेंगे तो गति भी आएंगी और सपने पूरे भी होंगे। आखिरकर बाबा साहेब अम्‍बेडकर जैसे संकल्‍प के लिए जीने वाले महापुरूष हमारी प्ररेणा हो तो गांव का भला क्‍यों नहीं हो सकता है।

हमारा देश का किसान, किसान कुछ नहीं मांग रहा है। किसान को अगर पानी मिल जाए तो मिट्टी में से सोना पैदा कर सकता है। बाकि सब चीजें वो कर सकता है। उसके पास वो हुनर है, उसके पास वो सामर्थ्‍य है, वो मेहनतकश है वो कभी पीछे मुड़ करके देखता नहीं है। और किसान, किसान अपनी जेब भरे तब संतुष्‍ट होता है वो स्‍वभाव का नहीं है, सामने वाले का पेट भर जाए तो किसान संतुष्‍ट हो जाता है ये उसका चरित्र होता है। और जिसे दूसरे का पेट भरने से संतोष मिलता है वो परिश्रम में कभी कमी नहीं करता है, कभी कटौती नहीं करता है।

और इसलिए हमने देश के किसानों के सामने एक संकल्‍प रखा है। गांव के अर्थ कारण को बदलना है। 2022 में किसान की income double करना बड़े-बड़े बुद्धिमान लोगों, बड़े-बड़े अनुभवी लोगों ने, बड़े-बड़े अर्थशस्त्रियों ने कहा है कि मोदी जी ये बहुत मुश्किल काम है। मुश्किल है तो मैं भी जानता हूं। अगर सरल होता तो ये देश की जनता मुझे काम न देती, देश की जनता ने काम मुझे इसलिए दिया है कि कठिन का ही तो मेरे नसीब में आए। काम कठिन होगा लेकिन इरादा उतना ही संकल्‍पबद्ध हो तो फिर रास्‍ते भी निकलते है और रास्‍ते मिल रहे है।

मैं शिवराज जी को बधाई देता हूं उन्‍होंने पूरी डिजाइन बनाई है, मध्‍य प्रदेश में 2022 तक किसानों की आया double करने का रास्‍ता क्‍या-क्‍या हो सकता है, initiative क्‍या हो सकते है, तरीके क्‍या हो सकते है, पूरा detail में उन्‍होंने बनाया। मैंने सभी राज्‍य सरकारों से आग्रह किया कि आप भी अपने तरीके से सोचिए। आपके पार जो उपलब्‍ध resource है, उसके आधार पर देखिए।

लेकिन ग्रामीण अर्थकारण भारत की अर्थनीति को ताकत देने वाला है। जब तक गांव के व्‍यक्ति का Purchasing Power बढ़ेगा नहीं और हम सोचें कि नगर के अंदर कोई माल खरीदने आएंगा और नगर की economy चलेंगी, तो चलने वाली नहीं है। इंदौर का बाजार भी तेज तब होगा, जब मऊ के गांव में लोगों की खरीद शक्ति बढ़ी होगी, तब जा करके इंदौर जा करके खरीदी करेगा और इसलिए ग्रामीण अर्थकारण की मजबूती ये भारत में आर्थिक चक्र को तेज गति देने का सबसे बड़ा Powerful engine है। और हमारी सारी विकास की जो दिशा है वो दिशा यही है।

बाबा साहेब अम्‍बेडकर जैसे एक प्रकार कहते थे कि शिक्षित बनो, संगठित बनो, संघर्ष करो। साथ-साथ उनका सपना ये भी था कि भारत आर्थिक रूप से समृद्ध हो, सामाजिक रूप से empowered हो और Technologically के लिए upgraded हो। वे सामाजिक समता, सामाजिक न्‍याय के पक्षकार थे, वे आर्थिक समृद्धि के पक्षकार थे और वे आधुनिक विज्ञान के पक्षकार थे आधुनिक Technology के पक्षकार थे। और इसलिए सरकार ने भी ये 14 अप्रैल से 24 अप्रैल, 14 अप्रैल बाबा अम्‍बेडकर साहेब की 125वीं जन्‍म जन्‍म जयंती और 24 अप्रैल पंचायती राज दिवस इन दोनों का मेल करके बाबा साहेब अम्‍बेडकर से सामाजिक-आर्थिक कल्‍याण का संदेश लेता हुए गांव-गांव जा करके गांव के एक ताकत का निर्णय लिया है।

आज सरकारी खजाने से, भारत सरकार के खजाने से एक गांव को करीब-करीब 75 लाख रुपए से ज्‍यादा रकम उसके गांव में हाथ में आती है। अगर योजनाबद्ध दीर्घ दृष्टि के साथ हमारा गांव का व्‍यक्ति करें काम, तो कितना बड़ा परिणाम ला सकता है ये हम जानते है।

हमारी ग्राम पंचायत की संस्‍था है। देश संविधान की मर्यादाओं से चलता है, कानून व्‍यवस्‍था, नियमों से चलता है। ग्राम पंचायत के अंदर उस भावना को प्रज्‍जवलित रखना आवश्‍यक है, वो निरंतर चेतना जगाए रखना आवश्‍यक है और इसलिए गांव के अंदर पंचायत व्‍यवस्‍था अधिक सक्रिय कैसे हो, अधिक मजबूत कैसे हो, दीर्घ दृष्‍टि वाली कैसे बने, उस दिशा में प्रयत्‍न करने की आवश्‍यकता, गांव-गांव में एक चेतना जगाकर के हो सकती है। बाबा साहेब अम्‍बेडकर का व्‍यक्‍तित्‍व ऐसा है कि गांव के अंदर वो चेतना जगा सकता है। गांव को संविधान की मर्यादा में आगे ले जाने के रास्‍ते उपलब्‍ध है। उसका पूरा इस्‍तेमाल करने का रास्‍ता उसको दिखा सकता है। अगर एक बार हम निर्णय करें।

मैं आज इंदौर जिले को भी हृदय से बधाई देना चाहता हूं और मैं मानता हूं कि इंदौर जिले ने जो काम किया है। पूरे जिले को खुले में शौच जाने से मुक्‍त करा दिया। यह बहुत उत्‍तम काम.. अगर 21वीं सदीं में भी मेरी मॉं-बहनों को खुले में शौच के लिए जाना पड़े, तो इससे बड़ी हम लोगों के लिए शर्मिन्‍दगी नहीं हो सकती। लेकिन इंदौर जिले ने, यहां की सरकार की टीम ने, यहां के राजनीतिक नेताओं ने, यहां के सामाजिक आगेवानों ने, यहां के नागरिकों ने, यह जो एक सपना पूरा किया, मैं समझता हूं बाबा साहेब अम्‍बेडकर को एक उत्‍तम श्रद्धांजलि इंदौर जिले ने दी है। मैं इंदौर जिले को बधाई देता हूं। और पूरे देश में एक माहौल बना है। हर जिले को लग रहा है Open defecation-free होने के लिए हर जिले में यह स्‍पर्धा शुरू हुई है। भारत को स्‍वच्‍छ बनाना है तो हमें सबसे पहले हमारी मॉं-बहनों को शौचालय के लिए खुले में जाना न पड़ रहा है, इससे मुक्‍ति दिलानी होगी। उसके लिए बहुत बड़ी मात्रा में हर किसी को मिलकर के काम करना पड़ेगा। ये करे, वो न करे; ये credit ले, वो न ले; इसके लिए काम नहीं है, यह तो एक सेवा भाव से करने वाला काम है, जिम्‍मेवारी से करने वाला काम है। इस “ग्रामोदय से भारत उदय” का जो पूरा मंत्र है, उसमें इस बात पर भी बल दिया गया है।

मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, हमारे देश में हम कभी-कभी सुनते तो बहुत है। कई लोग छह-छह दशक से अपने आप को गरीबों के मसीहा के रूप में प्रस्‍तुत करते रहे हैं। जिनकी जुबां पर दिन-रात गरीब-गरीब-गरीब हुआ करता है। वे गरीबों के लिए क्‍या कर पाए, इसका हिसाब-किताब चौंकाने वाला है। मैं अपना समय बर्बाद नहीं करता। लेकिन क्‍या कर रहा हूं जो गरीबों की जिन्‍दगी में बदलाव ला सकता है। अभी आपने देखा मध्‍य प्रदेश के गरीबों के लिए, दलितों के लिए, पिछड़ों के लिए जो योजनाएं थी, उसके लोकार्पण का कार्यक्रम हुआ। कई लाभार्थियों को उनकी चीजें दी गई। इन सब में उस बात का संदेश है कि Empowerment of People. उनको आगे बढ़ने का सामर्थ्‍य दिया जा रहा है। जो मेरे दिव्‍यांग भाई-बहन है, किसी न किसी कारण शरीर का एक अंग उनको साथ नहीं दे रहा है। उनको आज Jaipur Foot का फायदा मिला और यह आंदोलन चलता रहने वाला है। यहां तो एक टोकन कार्यक्रम हुआ है और बाबा साहेब अम्‍बेडकर की जन्‍मभूमि पर यह कार्यक्रम अपने आप को एक समाधान देता है।

भाइयो-बहनों, आपको जानकर के हैरानी होगी। आज भी हमारे करोड़ों-करोड़ों गरीब भाई-बहन, जो झुग्‍गी-झोपड़ी में, छोटे घर में, कच्‍चे घर में गुजारा करते हैं, वे लकड़ी का चूल्‍हा जलाकर के खाना पकाते हैं। विज्ञान कहता है कि जब मॉ लकड़ी का चूल्‍हा जलाकर खाना पकाती है। एक दिन में 400 सिगरेट जितना धुँआ उस मॉं के शरीर में जाता है। आप कल्‍पना कर सकते हो, जिस मॉं के शरीर में 400 सिगरेट जितना धुँआ जाएगा, वो मॉं बीमार होगी कि नहीं होगी? उसके बच्‍चे बीमार होंगे कि नहीं होंगे और समाज के ऐसे कोटि-कोटि परिवार बीमारी से ग्रस्‍त हो जाए, तो भारत स्‍वस्‍थ बनाने क सपने कैसे पूरे होंगे?

पिछले एक वर्ष में, हमने trial basis पर काम चालू किया। मैंने समाज को कहा कि भाई, आप अपने गैस सिलेंडर की सब्‍सिडी छोड़ दीजिए और मुझे आज संतोष के साथ कहना है कि मैंने तो ऐसे ही चलते-चलते कह दिया था, लेकिन करीब-करीब 90 लाख परिवार और जो ज्‍यादातर मध्‍यम वर्गीय है, कोई स्‍कूल में टीचर है, कोई टीचर रिटायर्ड हुई मॉं है, पेंशन पर गुजारा करती है लेकिन मोदी जी ने कहा तो छोड़ दो। करीब 90 लाख लोगों ने अपने गैस सिलेंडर की सब्‍सिडी छोड़ दी और पिछले एक वर्ष में आजादी के बाद, एक वर्ष में इतने गैस सिलेंडर का कनेक्‍शन कभी नहीं दिया गया। पिछले वर्ष एक करोड़ गरीब परिवारों को गैस सिलेंडर का कनेक्‍शन दे दिया गया और उनको चूल्‍हे के धुँअे से मुक्‍ति दिलाने का काम हो गया। जब ये मेरा ‘पायलट प्रोजेक्ट’ सफलतापूर्वक हुआ और मैंने कोई घोषणा नहीं की थी, कर रहा था, चुपचाप उसको कर रहा था। जब सफलता मिली तो इस बजट में हमने घोषित किया है कि आने वाले तीन वर्ष में हम भारत के पॉंच करोड़ परिवार, आज देश में कुल परिवार है 25 करोड़ और थोड़े ज्‍यादा; कुल परिवार है 25 करोड़। संख्‍या है सवा सौ करोड़, परिवार है 25 करोड़ से ज्‍यादा। पॉंच करोड़ परिवार, जिनको गैस सिलेंडर का कनेक्‍शन देना है, गैस सिलेंडर देना है और उन पॉंच करोड़ परिवार में लकड़ी के चूल्‍हे से, धुँए में गुजारा कर रही मेरी गरीब माताओं-बहनों को मुक्‍ति दिलाने का अभियान चलाया है।

गरीब का भला कैसे होता है? प्रधानमंत्री जन-धन योजना! हम जानते है, अखबारों में पढ़ते हैं। कभी कोई शारदा चिट फंड की बात आती है, कभी और चिट फंड की बात आती है। लोगों की आंख में धूल झोंककर के बड़ी-बड़ी कंपनियॉं बनाकर के, लोगों से पैसा लेने वाले लोग बाद में छूमंतर हो जाते हैं। गरीब ने बेचारे ने बेटी की शादी के लिए पैसे रखे हैं, ज्‍यादा ब्‍याज मिलने वाला है इस सपने से; लेकिन बेटी कुंवारी रह जाती है क्‍योंकि पैसे जहां रखे, वो भाग जाता है। ये क्‍यों हुआ? गरीब को ये चिट फंड वालों के पास क्‍यों जाना पड़ा? क्‍योंकि बैंक के दरवाजे गरीबों के लिए खुलते नहीं थे। हमने प्रधानमंत्री जन-धन योजना के द्वारा हिन्‍दुस्‍तान के हर गरीब के लिए बैंक में खाते खोल दिए और आज गरीब आदमी को साहूकारों के पास जाकर के ब्‍याज के चक्‍कर में पड़ना नहीं पड़ रहा है। गरीब को अपने पैसे रखने के लिए किसी चिट फंड के पास जाना नहीं पड़ रहा है और गरीब को एक आर्थिक सुरक्षा देने का काम हुआ और उसके साथ उसको रूपे कार्ड दिया गया। उसके परिवार में कोई आपत्‍ति आ जाए तो दो लाख रुपए का बीमा दे दिया और मेरे पास जानकारी है, कई परिवार मुझे मिले कि अभी तो जन-धन एकाउंट खोला था और 15 दिन के भीतर-भीतर उनके घर में कोई नुकसान हो गया तो उनके पास दो लाख रुपए आ गए। परिवार ने कभी सोचा भी नहीं था कि दो लाख रुपए सीधे-सीधे उनके घर में पहुंच जाएंगे।

गरीब के लिए काम कैसे होता है? प्रधानमंत्री जन-धन योजना के द्वारा सिर्फ बैंक में खाता खुला, ऐसा नहीं है। वो भारत की आर्थिक व्‍यवस्‍था की मुख्‍यधारा में हिन्‍दुस्‍तान के गरीब को जगह मिली है, जो पिछले 70 साल में हम नहीं कर पाए थे। उसको पूरा करने से भारत की आर्थिक ताकत को बढ़ावा मिलेगा। आज दुनिया के अंदर हिन्‍दुस्‍तान के आर्थिक विकास का जय-जयकार हो रहा है। विश्‍व की सभी संस्‍थाएं कह रही हैं कि भारत बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहा है। उसका मूल कारण देश के गरीब से गरीब व्‍यक्‍ति को साथ लेकर के चलने का हमने एक संकल्‍प किया, योजना बनाई और चल रहे हैं। जिसका परिणाम है कि आज आर्थिक संकटों के बावजूद भी भारत आर्थिक ऊंचाइयों पर जा रहा है। दुनिया आर्थिक संकटों को झेल रही है, हम नए-नए अवसर खोज रहे हैं।

अभी मैं मुम्‍बई से आ रहा था। आज मुम्‍बई में एक बड़ा महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम था। बहुत कम लोगों को अम्‍बेडकर साहेब को पूरी तरह समझने का अवसर मिला है। ज्‍यादातर लोगों को तो यही लगता है कि बाबा साहेब अम्‍बेडकर यानी दलितों के देवता। लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि बाबा साहेब अम्‍बेडकर दीर्घदृष्‍टा थे। उनके पास भारत कैसा बने, उसका vision था। आज मैंने मुम्‍बई में एक maritime को लेकर के, सामुद्रिक शक्‍ति को लेकर के एक अंतर्राष्‍ट्रीय बड़े कार्यक्रम का उद्घाटन किया। वो 14 अप्रैल को इसलिए रखा था कि भारत में बाबा साहेब अम्‍बेडकर पहले व्‍यक्‍ति थे जिन्‍होंने maritime, navigation, use of water पर दीर्घदृष्‍टि से उन्होंने vision रखा था। उन्‍होंने ऐसी संस्‍थाओं का निर्माण किया था उस समय, जब वे सरकार में थे, जिसके आधार पर आज भी हिन्‍दुस्‍तान में पानी वाली, maritime वाली, navigation वाली संस्‍थाएं काम कर रही हैं। लेकिन बाबा साहेब अम्‍बेडकर को भुला दिया। हमने आज जानबूझ करके 14 अप्रैल को बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने जो vision दिया था, उनके जन्‍मदिन 14 अप्रैल को, उसको साकार करने की दिशा में आज मुम्‍बई में एक समारोह करके मैं आ रहा हूं, आज उसका मैंने प्रारम्‍भ किया। लाखों-करोड़ों समुद्री तट पर रहने वाले लोग, हमारे मछुआरे भाई, हमारे नौजवान, उनको रोजगार के अवसर उपलब्‍ध होने वाले हैं, जो बाबा साहेब अम्‍बेडकर का vision था। इतने सालों तक उसको आंखों से ओझल कर दिया गया था। उसको आज चरितार्थ करने की दिशा में, एक तेज गति से आगे बढ़ने का प्रयास अभी-अभी मुम्‍बई जाकर के मैं करके आया हूं।

अभी हमारे दोनों पूर्व वक्‍ताओं ने पंचतीर्थ की बात कही है। कुछ लोग इसलिए परेशान है कि मोदी ये सब क्‍यों कर रहे हैं? ये हमारे श्रद्धा का विषय है, ये हमारे conviction का विषय है। हम श्रद्धा और conviction से मानते हैं कि बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने सामाजिक एकता के लिए बहुत उच्‍च मूल्‍यों का प्रस्‍थापन किया है। सामाजिक एकता, सामाजिक न्‍याय, सामाजिक समरसता, बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने जो रास्‍ता दिखाया है उसी से प्राप्‍त हो सकती है इसलिए हम बाबा साहेब अम्‍बेडकर के चरणों में बैठकर के काम करने में गर्व अनुभव करते हैं।

सरकारें बहुत आईं.. ये 26-अलीपुर, बाबा साहेब अम्‍बेडकर की मृत्‍यु के 60 साल के बाद उसका स्‍मारक बनाने का सौभाग्‍य हमें मिला। क्‍या 60 साल तक हमने रोका था किसी को क्‍या? और आज हम कर रहे हैं तो आपको परेशानी हो रही है। पश्‍चाताप होना चाहिए कि आपने किया क्‍यों नहीं? परेशान होने की जरूरत नहीं है, आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देने के लिए यही तो सामाजिक आंदोलन काम आने वाला है। और इसलिए मेरे भाइयो-बहनों एक श्रद्धा के साथ.. और मैं बड़े गर्व के साथ कहता हूं कि ऐसा व्‍यक्‍ति जिसकी मॉं बचपन में अड़ोस-पड़ोस के घरों में बर्तन साफ करती हो, पानी भरती हो, उसका बेटा आज प्रधानमंत्री बन पाया, उसका credit अगर किसी को जाता है तो बाबा साहेब अम्‍बेडकर को जाता है, इस संविधान को जाता है। और इसलिए श्रद्धा के साथ, एक अपार, अटूट श्रद्धा के साथ इस काम को हम करने लगे हैं। और आज से कर रहे हैं, ऐसा नहीं। हमने तो जीवन इन चीजों के लिए खपाया हुआ है। लेकिन वोट बैंक की राजनीति करने वालों ने समाज को टुकड़ों में बांटने के सिवाए कुछ सोचा नहीं है।

बाबा साहेब आम्‍बेडर, उन पर जो बीतती थी, शिक्षा में उनके साथ अपमान, जीवन के हर कदम पर अपमान, कितना जहर पीया होगा इस महापुरुष ने, कितना जहर पीया होगा जीवन भर और जब संविधान लिखने की नौबत आई, अगर वो सामान्‍य मानव होते, हम जैसे सामान्‍य मानव होते तो उनकी कलम से संविधान के अंदर कहीं तो कहीं उस जहर की एक-आध बिन्‍दु तो निकल पाती। लेकिन ऐसे महापुरुष थे जिसने जहर पचा दिया। अपमानों को झेलने के बाद भी जब संविधान बनाया तो किसी के प्रति कटुता का नामो-निशान नहीं था, बदले का भाव नहीं था। वैर भाव नहीं था, इससे बड़ी महानता क्‍या हो सकती है? लेकिन दुर्भाग्‍य से देश के सामने इस महापुरुष की महानताओं को ओझल कर दिया गया है। तब ऐसे महापुरुष के चरणों में बैठकर के कुछ अच्‍छा करने का इरादा जो रखते हैं, उनके लिए यही रास्‍ता है। उस रास्‍ते पर जाने के लिए हम आए हैं। मुझे गर्व है कि आज 14 अप्रैल को पूरे देश में “ग्राम उदय से भारत उदय” के आंदोलन का प्रारंभ इस धरती से हो रहा है। सामाजिक न्‍याय के लिए हो रहा है, सामाजिक समरसता के लिए हो रहा है।

मैं हर गांव से कहूंगा कि आप भी इस पवित्रता के साथ अपने गांव का भविष्‍य बदलने का संकल्‍प कीजिए। बाबा साहेब की 125वीं जयंती की अच्‍छी श्रद्धांजलि वही होगी कि हम हमारे गांव में कोई बदलाव लाए। वहां के जीवन में बदलाव लाए। सरकारी योजनाओं का व्‍यय न करते हुए, पाई-पाई का सदुपयोग करते हुए चीजों को करने लगे तो अपने आप बदलाव आना शुरू हो जाएगा।

मैं फिर एक बार मध्‍यप्रदेश सरकार का, इतनी विशाल संख्‍या में आकर के आपने हमें आशीर्वाद दिया। इसलिए जनता-जनार्दन का हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं।

जय भीम, जय भीम। दोनों मुट्ठी पूरी ऊपर करके बोलिए जय भीम, जय भीम, जय भीम, जय भीम।

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
Indian Toy Sector Sees 239% Rise In Exports In FY23 Over FY15: Study

Media Coverage

Indian Toy Sector Sees 239% Rise In Exports In FY23 Over FY15: Study
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM’s address at Bharat Gramin Mahotsav
January 04, 2025
हमारा विजन गांवों को विकास और अवसर के जीवंत केंद्रों में बदलकर ग्रामीण भारत को सशक्त बनाना है: प्रधानमंत्री
हमने हर गांव में बुनियादी सुविधाओं की गारंटी के लिए अभियान शुरू किया है: प्रधानमंत्री
हमारी सरकार की नीयत, नीतियां और निर्णय ग्रामीण भारत को नई ऊर्जा के साथ सशक्त बना रहे हैं: प्रधानमंत्री
आज, भारत सहकारी संस्थाओं के जरिए समृद्धि हासिल करने में लगा हुआ है: प्रधानमंत्री

मंच पर विराजमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी, वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी जी, यहां उपस्थित, नाबार्ड के वरिष्ठ मैनेजमेंट के सदस्य, सेल्फ हेल्प ग्रुप के सदस्य,कॉपरेटिव बैंक्स के सदस्य, किसान उत्पाद संघ- FPO’s के सदस्य, अन्य सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों,

आप सभी को वर्ष 2025 की बहुत बहुत शुभकामनाएँ। वर्ष 2025 की शुरुआत में ग्रामीण भारत महोत्सव का ये भव्य आयोजन भारत की विकास यात्रा का परिचय दे रहा है, एक पहचान बना रहा है। मैं इस आयोजन के लिए नाबार्ड को, अन्य सहयोगियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

साथियों,

हममें से जो लोग गाँव से जुड़े हैं, गाँव में पले बढ़े हैं, वो जानते हैं कि भारत के गाँवों की ताकत क्या है। जो गाँव में बसा है, गाँव भी उसके भीतर बस जाता है। जो गाँव में जिया है, वो गाँव को जीना भी जानता है। मेरा ये सौभाग्य रहा कि मेरा बचपन भी एक छोटे से कस्बे में एक साधारण परिवेश में बीता! और, बाद में जब मैं घर से निकला, तो भी अधिकांश समय देश के गाँव-देहात में ही गुजरा। और इसलिए, मैंने गाँव की समस्याओं को भी जिया है, और गाँव की संभावनाओं को भी जाना है। मैंने बचपन से देखा है, कि गाँव में लोग कितनी मेहनत करते रहे हैं, लेकिन, पूंजी की कमी के कारण उन्हें पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाते थे। मैंने देखा है, गाँव में लोगों की कितने यानी इतनी विविधताओं से भरा सामर्थ्य होता है! लेकिन, वो सामर्थ्य जीवन की मूलभूत लड़ाइयों में ही खप जाता है। कभी प्राकृतिक आपदा के कारण फसल नहीं होती थी, कभी बाज़ार तक पहुँच न होने के कारण फसल फेंकनी पड़ती थी, इन परेशानियों को इतने करीब से देखने के कारण मेरे मन में गाँव-गरीब की सेवा का संकल्प जगा, उनकी समस्याओं के समाधान की प्रेरणा आई।

आज देश के ग्रामीण इलाकों में जो काम हो रहे हैं, उनमें गाँवों के सिखाये अनुभवों की भी भूमिका है। 2014 से मैं लगातार हर पल ग्रामीण भारत की सेवा में लगा हूँ। गाँव के लोगों को गरिमापूर्ण जीवन देना, ये सरकार की प्राथमिकता है। हमारा विज़न है भारत के गाँव के लोग सशक्त बने, उन्हें गाँव में ही आगे बढ़ने के ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलें, उन्हें पलायन ना करना पड़े, गांव के लोगों का जीवन आसान हो और इसीलिए, हमने गाँव-गाँव में मूलभूत सुविधाओं की गारंटी का अभियान चलाया। स्वच्छ भारत अभियान के जरिए हमने घर-घर में शौचालय बनवाए। पीएम आवास योजना के तहत हमने ग्रामीण इलाकों में करोड़ों परिवारों को पक्के घर दिए। आज जल जीवन मिशन से लाखों गांवों के हर घर तक पीने का साफ पानी पहुँच रहा है।

साथियों,

आज डेढ़ लाख से ज्यादा आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर विकल्प मिल रहे हैं। हमने डिजिटल टेक्नालजी की मदद से देश के बेस्ट डॉक्टर्स और हॉस्पिटल्स को भी गाँवों से जोड़ा है। telemedicine का लाभ लिया है। ग्रामीण इलाकों में करोड़ों लोग ई-संजीवनी के माध्यम से telemedicine का लाभ उठा चुके हैं। कोविड के समय दुनिया को लग रहा था कि भारत के गाँव इस महामारी से कैसे निपटेंगे! लेकिन, हमने हर गाँव में आखिरी व्यक्ति तक वैक्सीन पहुंचाई।

साथियों,

ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए बहुत आवश्यक है कि गांव में हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए आर्थिक नीतियां बनें। मुझे खुशी है कि पिछले 10 साल में हमारी सरकार ने गांव के हर वर्ग के लिए विशेष नीतियां बनाई हैं, निर्णय लिए हैं। दो-तीन दिन पहले ही कैबिनेट ने पीएम फसल बीमा योजना को एक वर्ष अधिक तक जारी रखने को मंजूरी दे दी। DAP दुनिया, में उसका दाम बढ़ता ही चला जा रहा है, आसमान को छू रहा है। अगर वो दुनिया में जो दाम चल रहे हैं, अगर उस हिसाब से हमारे देश के किसान को खरीदना पड़ता तो वो बोझ में ऐसा दब जाता, ऐसा दब जाता, किसान कभी खड़ा ही नहीं हो सकता। लेकिन हमने निर्णय किया कि दुनिया में जो भी परिस्थिति हो, कितना ही बोझ न क्यों बढ़े, लेकिन हम किसान के सर पर बोझ नहीं आने देंगे। और DAP में अगर सब्सिडी बढ़ानी पड़ी तो बढ़ाकर के भी उसके काम को स्थिर रखा है। हमारी सरकार की नीयत, नीति और निर्णय ग्रामीण भारत को नई ऊर्जा से भर रहे हैं। हमारा मकसद है कि गांव के लोगों को गांव में ही ज्यादा से ज्यादा आर्थिक मदद मिले। गांव में वो खेती भी कर पाएं और गांवों में रोजगार-स्वरोजगार के नए मौके भी बनें। इसी सोच के साथ पीएम किसान सम्मान निधि से किसानों को करीब 3 लाख करोड़ रुपए की आर्थिक मदद दी गई है। पिछले 10 वर्षों में कृषि लोन की राशि साढ़े 3 गुना हो गई है। अब पशुपालकों और मत्स्य पालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड दिया जा रहा है। देश में मौजूद 9 हजार से ज्यादा FPO, किसान उत्पाद संघ, उन्हें भी आर्थिक मदद दी जा रही है। हमने पिछले 10 सालों में कई फसलों पर निरंतर MSP भी बढ़ाई है।

साथियों,

हमने स्वामित्व योजना जैसे अभियान भी शुरू किए हैं, जिनके जरिए गांव के लोगों को प्रॉपर्टी के पेपर्स मिल रहे हैं। पिछले 10 वर्षों में, MSME को भी बढ़ावा देने वाली कई नीतियां लागू की गई हैं। उन्हें क्रेडिट लिंक गारंटी स्कीम का लाभ दिया गया है। इसका फायदा एक करोड़ से ज्यादा ग्रामीण MSME को भी मिला है। आज गांव के युवाओं को मुद्रा योजना, स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया जैसी योजनाओं से ज्यादा से ज्यादा मदद मिल रही है।

साथियों,

गांवों की तस्वीर बदलने में को-ऑपरेटिव्स का बहुत बड़ा योगदान रहा है। आज भारत सहकार से समृद्धि का रास्ता तय करने में जुटा है। इसी उद्देश्य से 2021 में अलग से नया सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया। देश के करीब 70 हजार पैक्स को कंप्यूटराइज्ड भी किया जा रहा है। मकसद यही है कि किसानों को, गांव के लोगों को अपने उत्पादों का बेहतर मूल्य मिले, ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो।

साथियों,

कृषि के अलावा भी हमारे गाँवों में अलग-अलग तरह की पारंपरिक कला और कौशल से जुड़े हुए कितने ही लोग काम करते हैं। अब जैसे लोहार है, सुथार है, कुम्हार है, ये सब काम करने वाले ज़्यादातर लोग गाँवों में ही रहते आए हैं। रुरल इकॉनमी, और लोकल इकॉनमी में इनका बहुत बड़ा contribution रहा है। लेकिन पहले इनकी भी लगातार उपेक्षा हुई। अब हम उन्हें नई नई skill, उसमे ट्रेन करने के लिए, नए नए उत्पाद तैयार करने के लिए, उनका सामर्थ्य बढ़ाने के लिए, सस्ती दरों पर मदद देने के लिए विश्वकर्मा योजना चला रहे हैं। ये योजना देश के लाखों विश्वकर्मा साथियों को आगे बढ़ने का मौका दे रही है।

साथियों,

जब इरादे नेक होते हैं, नतीजे भी संतोष देने वाले होते हैं। बीते 10 वर्षों की मेहनत का परिणाम देश को मिलने लगा है। अभी कुछ दिन पहले ही देश में एक बहुत बड़ा सर्वे हुआ है और इस सर्वे में कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं। साल 2011 की तुलना में अब ग्रामीण भारत में Consumption खपत, यानी गांव के लोगों की खरीद शक्ति पहले से लगभग तीन गुना बढ़ गई है। यानी लोग, गांव के लोग अपने पसंद की चीजें खरीदने में पहले से ज़्यादा खर्च कर रहे हैं। पहले स्थिति ये थी कि गांव के लोगों को अपनी कमाई का 50 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा, आधे से भी ज्यादा हिस्सा खाने-पीने पर खर्च करना पड़ता था। लेकिन आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि ग्रामीण इलाकों में भी खाने-पीने का खर्च 50 प्रतिशत से कम हुआ है, और, और जीवन की चीजें खरीदने ती तरफ खर्चा बढ़ा है। इसका मतलब लोग अपने शौक की, अपनी इच्छा की, अपनी आवश्यकता जी जरूरत की और चीजें भी खरीद रहे हैं, अपना जीवन बेहतर बनाने पर खर्च कर रहे हैं।

साथियों,

इसी सर्वे में एक और बड़ी अहम बात सामने आई है। सर्वे के अनुसार शहर और गाँव में होने वाली खपत का अंतर कम हुआ है। पहले शहर का एक प्रति परिवार जितना खर्च करके खरीद करता था और गांव का व्यक्ति जो कहते है बहुत फासला था, अब धीरे-धीरे गांव वाला भी शहर वालो की बराबरी करने में लग गया है। हमारे निरंतर प्रयासों से अब गाँवों और शहरों का ये अंतर भी कम हो रहा है। ग्रामीण भारत में सफलता की ऐसी अनेक गाथाएं हैं, जो हमें प्रेरित करती हैं।

साथियों,

आज जब मैं इन सफलताओं को देखता हूं, तो ये भी सोचता हूं कि ये सारे काम पहले की सरकारों के समय भी तो हो सकते थे, मोदी का इंतजार करना पड़ा क्या। लेकिन, आजादी के बाद दशकों तक देश के लाखो गाँव बुनियादी जरूरतों से वंचित रहे हैं। आप मुझे बताइये, देश में सबसे ज्यादा SC कहां रहते हैं गांव में, ST कहां रहते हैं गांव में, OBC कहां रहते हैं गांव में। SC हो, ST हो, OBC हो, सामज के इस तबके के लोग ज्यादा से ज्यादा गांव में ही अपना गुजारा करते हैं। पहले की सरकारों ने इन सभी की आवश्यकताओं की तरफ ध्यान नहीं दिया। गांवों से पलायन होता रहा, गरीबी बढ़ती रही, गांव-शहर की खाई भी बढ़ती रही। मैं आपको एक और उदाहरण देता हूं। आप जानते हैं, पहले हमारे सीमावर्ती गांवों को लेकर क्या सोच होती थी! उन्हें देश का आखिरी गाँव कहा जाता था। हमने उन्हें आखिरी गाँव कहना बंद करवा दिया, हमने कहा सूरज की पहली किरण जब निकलती है ना, तो उस पहले गांव में आती है, वो आखिरी गांव नहीं है और जब सूरज डूबता है तो डूबते सूरज की आखिरी किरण भी उस गांव को आती है जो हमारी उस दिशा का पहला गांव होता है। और इसलिए हमारे लिए गांव आखिरी नहीं है, हमारे लिए प्रथम गांव है। हमने उसको प्रथम गाँव का दर्जा दिया। सीमांत गांवों के विकास के लिए Vibrant विलेज स्कीम शुरू की गई। आज सीमांत गांवों का विकास वहां के लोगों की आय बढ़ा रहा है। यानि जिन्हें किसी ने नहीं पूछा, उन्हें मोदी ने पूजा है। हमने आदिवासी आबादी वाले इलाकों के विकास के लिए पीएम जनमन योजना भी शुरू की है। जो इलाके दशकों से विकास से वंचित थे, उन्हें अब बराबरी का हक मिल रहा है। पिछले 10 साल में हमारी सरकार द्वारा पहले की सरकारों की अनेक गलतियों को सुधारा गया है। आज हम गाँव के विकास से राष्ट्र के विकास के मंत्र को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि, 10 साल में देश के करीब 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं। और इनमें सबसे बड़ी संख्या हमारे गांवों के लोगों की है।

अभी कल ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की भी एक अहम स्टडी आई है। उनका एक बड़ा अध्ययन किया हुआ रिपोर्ट आया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट क्या कह रही है, वो कहते हैं 2012 में भारत में ग्रामीण गरीबी रूरल पावर्टी, यानि गांवों में गरीबी करीब 26 परसेंट थी। 2024 में भारत में रूरल पावर्टी, यानि गांवों में गरीबी घटकर के पहले जो 26 पर्सेंट गरीबी थी, वो गरीबी घटकर के 5 परसेंट से भी कम हो गई है। हमारे यहां कुछ लोग दशकों तक गरीबी हटाओ के नारे देते रहे, आपके गांव में जो 70- 80 साल के लोग होंगे, उनको पूछना, जब वो 15-20 साल के थे तब से सुनते आए हैं, गरीबी हटाओ, गरीबी हटाओ, वो 80 साल के हो गए हैं। आज स्थिति बदल गई है। अब देश में वास्तविक रूप से गरीबी कम होना शुरू हो गई है।

साथियों,

भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं का हमेशा से बहुत बड़ा स्थान रहा है। हमारी सरकार इस भूमिका का और विस्तार कर रही है। आज हम देख रहे हैं गाँव में बैंक सखी और बीमा सखी के रूप में महिलाएं ग्रामीण जीवन को नए सिरे से परिभाषित कर रही हैं। मैं एक बार एक बैंक सखी से मिला, सब बैंक सखियों से बात कर रहा था। तो एक बैंक सखी ने कहा वो गांव के अंदर रोजाना 50 लाख, 60 लाख, 70 लाख रुपये का कारोबार करती है। तो मैंने कहा कैसे? बोली सुबह 50 लाख रुपये लेकर निकलती हूं। मेरे देश के गांव में एक बेटी अपने थैले में 50 लाख रुपया लेकर के घूम रही है, ये भी तो मेरे देश का नया रूप है। गाँव-गाँव में महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के जरिए नई क्रांति कर रही हैं। हमने गांवों की 1 करोड़ 15 लाख महिलाओं को लखपति दीदी बनाया है। और लखपति दीदी का मतलब ये नहीं कि एक बार एक लाख रुपया, हर वर्ष एक लाख रुपया से ज्यादा कमाई करने वाली मेरी लखपति दीदी। हमारा संकल्प है कि हम 3 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाएंगे। दलित, वंचित, आदिवासी समाज की महिलाओं के लिए हम विशेष योजनाएँ भी चला रहे हैं।

साथियों,

आज देश में जितना rural infrastructure पर फोकस किया जा रहा है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। आज देश के ज़्यादातर गाँव हाइवेज, एक्सप्रेसवेज और रेलवेज के नेटवर्क से जुड़े हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 10 साल में ग्रामीण इलाकों में करीब चार लाख किलोमीटर लंबी सड़कें बनाई गई है। डिजिटल इनफ्रास्ट्रक्चर के मामले में भी हमारे गाँव 21वीं सदी के आधुनिक गाँव बन रहे हैं। हमारे गांव के लोगों ने उन लोगों को झुठला दिया है जो सोचते थे कि गांव के लोग डिजिटल टेक्नोलॉजी अपना नहीं पाएंगे। मैं यहां देख रहा हूं, सब लोग मोबाइल फोन से वीडियो उतार रहे हैं, सब गांव के लोग हैं। आज देश में 94 प्रतिशत से ज्यादा ग्रामीण परिवारों में टेलीफोन या मोबाइल की सुविधा है। गाँव में ही बैंकिंग सेवाएँ और UPI जैसी वर्ल्ड क्लास टेक्नालजी उपलब्ध है। 2014 से पहले हमारे देश में एक लाख से भी कम कॉमन सर्विस सेंटर्स थे। आज इनकी संख्या 5 लाख से भी ज्यादा हो गई है। इन कॉमन सर्विस सेंटर्स पर सरकार की दर्जनों सुविधाएं ऑनलाइन मिल रही हैं। ये इनफ्रास्ट्रक्चर गाँवों को गति दे रहा है, वहां के रोजगार के मौके बना रहा है और हमारे गाँवों को देश की प्रगति का हिस्सा बना रहा है।

साथियों,

यहां नाबार्ड का वरिष्ठ मैनेजमेंट है। आपने सेल्फ हेल्प ग्रुप्स से लेकर किसान क्रेडिट कार्ड जैसे कितने ही अभियानों की सफलता में अहम रोल निभाया है। आगे भी देश के संकल्पों को पूरा करने में आपकी अहम भूमिका होगी। आप सभी FPO’s- किसान उत्पाद संघ की ताकत से परिचित हैं। FPO’s की व्यवस्था बनने से हमारे किसानों को अपनी फसलों का अच्छा दाम मिल रहा है। हमें ऐसे और FPOs बनाने के बारे में सोचना चाहिए, उस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। आज दूध का उत्पादन,किसानों को सबसे ज्यादा रिटर्न दे रहा है। हमें अमूल के जैसे 5-6 और को-ऑपरेटिव्स बनाने के लिए काम करना होगा, जिनकी पहुंच पूरे भारत में हो। इस समय देश प्राकृतिक खेती, नेचुरल फ़ार्मिंग, उसको मिशन मोड में आगे बढ़ा रहा है। हमें नेचुरल फ़ार्मिंग के इस अभियान से ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ना होगा। हमें हमारे सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को लघु और सूक्ष्म उद्योगों को MSME से जोड़ना होगा। उनके सामानों की जरूरत सारे देश में है, लेकिन हमें इनकी ब्रांडिंग के लिए, इनकी सही मार्केटिंग के लिए काम करना होगा। हमें अपने GI प्रॉडक्ट्स की क्वालिटी, उनकी पैकेजिंग और ब्राडिंग पर भी ध्यान देना होगा।

साथियों,

हमें रुरल income को diversify करने के तरीकों पर काम करना है। गाँव में सिंचाई कैसे affordable बने, माइक्रो इरिगेशन का ज्यादा से ज्यादा से प्रसार हो, वन ड्रॉप मोर क्रॉप इस मंत्र को हम कैसे साकार करें, हमारे यहां ज्यादा से ज्यादा सरल ग्रामीण क्षेत्र के रुरल एंटरप्राइजेज़ create हों, नेचुरल फ़ार्मिंग के अवसरों का ज्यादा से ज्यादा लाभ रुरल इकॉनमी को मिले, आप इस दिशा में time bound manner में काम करें।

साथियों,

आपके गाँव में जो अमृत सरोवर बना है, तो उसकी देखभाल भी पूरे गाँव को मिलकर करनी चाहिए। इन दिनों देश में ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान भी चल रहा है। गाँव में हर व्यक्ति इस अभियान का हिस्सा बने, हमारे गाँव में ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगें, ऐसी भावना जगानी जरूरी है। एक और सबसे महत्वपूर्ण बात, हमारे गाँव की पहचान गाँव के सौहार्द और प्रेम से जुड़ी होती है। इन दिनों कई लोग जाति के नाम पर समाज में जहर घोलना चाहते हैं। हमारे सामाजिक ताने बाने को कमजोर बनाना चाहते हैं। हमें इन षडयंत्रों को विफल बनाकर गाँव की सांझी विरासत, गांव की सांझी संस्कृति को हमें जीवंत रखना है, उसको सश्क्त करना है।

भाइयों बहनों,

हमारे ये संकल्प गाँव-गाँव पहुंचे, ग्रामीण भारत का ये उत्सव गांव-गांव पहुंचे, हमारे गांव निरंतर सशक्त हों, इसके लिए हम सबको मिलकर के लगातार काम करना है। मुझे विश्वास है, गांवों के विकास से विकसित भारत का संकल्प जरूर साकार होगा। मैं अभी यहां GI Tag वाले जो लोग अपने अपने प्रोडक्ट लेकर के आए हैं, उसे देखने गया था। मैं आज इस समारोह के माध्यम से दिल्लीवासियों से आग्रह करूंगा कि आपको शायद गांव देखने का मौका न मिलता हो, गांव जाने का मौका न मिलता हो, कम से कम यहां एक बार आइये और मेरे गांव में सामर्थ्य क्या है जरा देखिये। कितनी विविधताएं हैं, और मुझे पक्का विश्वास है जिन्होंने कभी गांव नहीं देखा है, उनके लिए ये एक बहुत बड़ा अचरज बन जाएगा। इस कार्य को आप लोगों ने किया है, आप लोग बधाई के पात्र हैं। मेरी तरफ से आप सब को बहुत बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत धन्यवाद।