उज्ज्वला योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे पांच करोड़ लाभार्थियों को रसोई गैस कनेक्शन प्रदान किये जाएंगे: प्रधानमंत्री मोदी
दुनिया भर में सभी कार्यकर्ताओं का उद्देश्य दुनिया को एकजुट करना होना चाहिए: प्रधानमंत्री मोदी
केंद्र सरकार की प्राथमिकता गरीबों का कल्याण करना है: प्रधानमंत्री
भारत के पूर्वी भाग तक विकास का फल पहुंचाना होगा और तभी हम गरीबी के खिलाफ लड़ाई में ख़ुद को मजबूत कर पाएंगे: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से गरीबों, खासकर महिलाओं को लाभ मिलेगा: प्रधानमंत्री मोदी
योजनाएं गरीबों के कल्याण को ध्यान में रखकर बनाई जानी चाहिए न कि वोट पाने के लिए: प्रधानमंत्री

विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

भृगु बाबा की धरती पर रउवा, सभन के प्रणाम। ‘ई धरती त साक्षात भृगु जी की भूमि रहल’ ब्रह्मा जी भी यही जमीन पर उतर रहल। रामजी यहीं से विश्वामित्र मुनी के साथे गइल। त सुन्दर धरती पर सभी के हाथ जोड़ के फिर से प्रणाम।

भाइयों – बहनों मैं पहले भी बलिया आया हूं। ये बलिया की धरती क्रांतिकारी धरती है। देश को आजादी दिलाने के लिए इसी धरती के मंगल पाण्डे और वहां से लेकर के चितु पाण्डे तक एक ऐसा सिलसिला हर पीढ़ी में, हर समय देश के लिए जीने-मरने वाले लोग इस बलिया की धरती ने दिये। ऐसी धरती को मैं नमन करता हूं। यही धरती है जहां भारत के प्रधानमंत्री श्रीमान चन्द्र शेखर जी का भी नाम जुड़ा हुआ है। यही धरती है, जिसका सीधा नाता बाबू जयप्रकाश नारायण के साथ जुड़ता है। और यही तो धरती है। उत्तर प्रदेश राम मनोहर लोहिया और दीनदयाल उपाध्याय के बिना अधूरा लगता है। ऐसे एक से बढ़कर एक दिग्गज, जिस धरती ने दिये उस धरती को मैं नमन करता हूं। आपके प्यार के लिए सत्, सत् नमन।

आप मुझे जितना प्यार देते हैं, मुझ पर आपका कर्ज चड़ता ही जाता है, चढ़ता ही जाता है, लेकिन मेरे प्यारे भाइयों -बहनों मैं इस कर्ज को इस प्यार वाले कर्ज को ब्याज समेत चुकाने का संकल्प लेकर के काम कर रहा हूं और ब्याज समेत मैं चुकाऊंगा, विकास करके चुकाऊंगा मेरे भाइयों बहनों, विकास कर के चुकाऊंगा।

आज पहली May है, एक मई, पूरा विश्व आज श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। और आज देश का ये ‘मजदूर नम्बर एक’ देश के सभी श्रमिकों को उनके पुरुषार्थ को, उनके परिश्रम को, राष्ट्र को आगे बढ़ाने में उनके अविरथ योगदान को कोटि-कोटि अभिनन्दन करता है। उस महान परम्परा को प्रणाम करता है।

भाइयों–बहनों दुनिया में एक नारा चलता था। जिस नारे में राजनीति की बू स्वाभाविक थी। और वो नारा चल रहा था। दुनिया के मजदूर एक था, दुनिया के मजदूर एक हो जाओ, और वर्ग संघर्ष के लिए मजदूरों को एक करने के आह्वान हुआ करते थे। भाइयों–बहनों जो लोग इस विचार को लेकर के चले थे, आज दुनिया के राजनीतिक नक्शे पर धीरे-धीरे करके वो अपनी जगह खोते चले जा रहे हैं। 21वीं सदी में दुनिया के मजदूर एक हो जाओ इतनी बात से चलने वाला नहीं है। 21वीं सदी की आवश्यकताएं अलग हैं, 21वीं सदी की स्थितियां अलग है और इसलिये 21वीं सदी का मंत्र एक ही हो सकता है ‘विश्व के मजदूरों विश्व के श्रमिकों आओ हम दुनिया को एक करें दुनिया को जोड़ दें’ ये नारा 21वीं सदी का होना चाहिए।

वो एक वक्त था ‘Labourers of the World, Unite’, आज वक्त है ‘Labourers, Unite the World’ ये बदलाव इस मंत्र के साथ। आज दुनिया को जोड़ने की जरूरत है। और दुनिया को जोड़ने के लिए अगर सबसे बड़ा कोई chemical है, सबसे बड़ा ऊर्जावान कोई cementing force है, तो वो मजदूर का पसीना है। उस पसीने में एक ऐसी ताकत है, जो दुनिया को जोड़ सकता है।

भाइयों–बहनों जब आप लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को भारी बहुमत से विजयी बनाया। तीस साल के बाद दिल्ली में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी। और NDA के सभी घटकों ने मुझे अपने नेता के रूप में चुना, तो उस दिन Parliament के Central Hall में मेरे प्रथम भाषण में मैंने कहा था कि मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है। ये सरकार जो भी करेगी वो गरीबों की भलाई के लिये करेगी, गरीबों के कल्याण के लिये करेगी। भाइयों-बहनों हमने मजदूरों के लिए भी श्रम कानूनों में, श्रमिकों की सरकार के साथ संबंधों में, एक आमूलचूल परिवर्तन लाया है। अनेक बदलाव लाए हैं। मेरे प्यारे भाइयों-बहनों आपको जानकर के दुःख होगा, पीड़ा होगी, आश्चर्य भी होगा कि हमारे देश में सरकार से जिनको पैंशन मिलता था, इस देश में तीस लाख से ज्यादा श्रमिक ऐसे थे, जिसको पैंशन किसी को 15 रुपया महीने का, किसी को 100 रुपया, किसी को 50 रुपया इतना पैंशन मिलता था। आप मुझे बताइए कि पैंशन लेने के लिए वो गरीब वृद्ध व्यक्ति दफ्तर जाएगा, तो उसका बस का किराय का खर्चा हो जाएगा, ऑटो रिक्शा का खर्चा हो जाएगा। लेकिन सालों से मेरे देश के बनाने वाले श्रमिकों को 15 रुपया, 20 रुपया, 50 रुपया, 100 रुपया पैंशन मिलता था। हमने आकर के इन तीस लाख से ज्यादा मेरे श्रमिकों परिवारों को minimum 1000 रुपया पैंशन देने का निर्णय कर लिया, लागू कर दिया और उस गरीब परिवार को वो पैंशन मिलने लग गया।

भाइयों-बहनों हमारे यहां कभी कभार गरीबों के लिये योजनाओं की चर्चाएं बहुत होती हैं और उनकी भलाई के लिए काम करने की बातें भी बहुत होती हैं। हमने आने के बाद एक श्रम सुविधा पोर्टल चालू किया, जिसके तहत आठ महत्वपूर्ण श्रम कानूनों को एकत्र कर के उसका सरलीकरण करने का काम कर लिया। पहली बार देश के श्रमिकों को एक Labour Identity Number (LIN) ये नम्बर दिया गया, ताकि हमारे श्रमिक की पहचान बन जाए। इतना ही नहीं हमारे देश के श्रमिकों को पूरे देश में Opportunity प्राप्त हो। इसलिए NCSP इसकी हमने एक National Career Service Portal, इसकी शुरुआत की। ताकि जिसको रोजगार देना है और जिसको रोजगार लेना है दोनों के बीच एक सरलता से तालमेल हो सके।

भाइयों-बहनों बोनस का कानून हमारे देश में सालों से है। बोनस का कानून यह था कि 10 हजार रुपये से अगर कम आवक है और कंपनी बोनस देना चाहती है तो उसी को मिलेगा। आज के जमाने में 10 हजार रुपये की आय कुछ नहीं होती है। और उसके कारण अधिकतम श्रमिकों को बोनस नहीं मिलता था। हमने आकर के निर्णय किया कि minimum income 10 हजार से बढ़ाकर के 21 हजार रुपया कर दी जाए। इतना ही नहीं पहले बोनस सिर्फ साढ़े तीन हजार रुपया मिलता था। हमने निर्णय किया कि ये बोनस minimum सात हजार रुपया मिलेगा और उससे भी ज्यादा उसका पाने का हक़ बनता है तो वो भी उसको मिलेगा।

भाइयों-बहनों कभी हमारा श्रमिक एक जगह से दूसरी जगह पर नौकरी चला जाता था, तो उसके जो पीएफ वगैरह के पैसे कटते थे उसका कोई हिसाब ही नहीं रहता था। वो गरीब मजदूर बेचारा पुरानी जगह पर लेने के लिए वापस नहीं जाता था। सरकार के खजाने में करीब 27 हजार करोड़ रुपया इन मेरे गरीबों के पड़े हुए थे। कोई सरकार उसकी सूंघ लेने को तैयार नहीं था। हमने आकर के सभी मजदूरों को ऐसे कानून में बांध दिया कि मजदूर जहां जाएगा उसके साथ उसके ये Provident Fund के पैसे भी साथ-साथ चले जाएंगे। और उसको जब जरूरत पड़ेगी वो पैसे ले सकता है। आज वो 27 हजार करोड़ रुपयों का मालिक बन सकेगा। ऐसी व्यवस्था हमने की है।

भाइयों-बहनों हमारे यहां Construction के काम में बहुत बड़ी मात्रा में मजदूर होते हैं। करीब चार करोड़ से ज्यादा मजदूर Construction के काम में हैं, इमारत बनाते हैं, मकान बनाते हैं, लेकिन उनके देखभाल की व्यवस्था नहीं थी। श्रमिक कानूनों में परिवर्तन करके आज हमने इन Construction के श्रमिकों के लिए उनके आरोग्य के लिए, उनके insurance के लिए, उनके bank account के लिए, इनके पैंशन के लिए एक व्यापक योजना बना कर के हमारे Construction के मजदूरों को भी हमनें उसका फायदा दिया है।

भाइयों–बहनों हमारा उत्तर प्रदेश जिसने अनेक-अनेक प्रधानमंत्री दिये, लेकिन क्या कारण कि हमारी गरीबी बढ़ती ही गई बढ़ती ही गई। गरीबों की संख्या भी बढ़ती गई। हमारी नीतियों में ऐसी क्या कमी थी कि हम गरीबों को गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिये तैयार नहीं कर पाए। ऐसा क्या कारण था कि हमने गरीबों को सिर्फ गरीबी के बीच जीना नहीं, लेकिन हमेशा सरकारों के पास हाथ फैलाने के लिए मजबूर कर के छोड़ दिया, उसके जमीर को हमने खत्म कर दिया। गरीबी के खिलाफ लड़ने का उसका हौसला हमने तबाह कर दिया। भाइयों–बहनों अभी धर्मेन्द्र जी बता रहे थे के गाजीपुर के सांसद नेहरू के जमाने में पूरे हिन्दुस्तान को हिला दिया था। जब उन्होंने संसद में कहा कि मेरे पूर्वी उत्तर प्रदेश के भाई-बहन ऐसी गरीबी में जी रहे हैं के उनके पास खाने के लिए अन्न नहीं होता है। पशु के गोबर को धोते हैं और उस गोबर में से जो दाने निकलते हैं उन दानों से पेट भर के वे अपना गुजारा करते हैं। जब ये बात संसद में कही गई थी, पूरा हिन्दुस्तान हिल गया था और तब एक पटेल कमीशन बैठा था। यहां की स्थिति सुधारने के लिए। कई बातों का सुझाव आज से पचास साल पहले दिया गया था। लेकिन उन सुझाव पर क्या हुआ, वो तो भगवान जाने। लेकिन भाइयों–बहनों उसमें एक सुझाव था। उसमें एक सुझाव था ताड़ी घाट, गाजीपुर, और मऊ इसे रेल से जोड़ा जाए। पचास साल बीत गए, वो बात कागज पर ही रही। मैं भाई मनोज सिन्हा को हृदय से अभिनन्दन करता हूं, यहां के मेरे भारतीय जनता पार्टी के सभी सांसदों का अभिनन्दन करता हूं कि वे पचास साल पहले जिन बातों को भुला दिया गया था उसको लेकर के निकल पड़े, मुझ पर दबाव डालते रहे। बार-बार मिलते रहे, और आज मैं संतोष से कह सकता हूं उस रेल लाइन के लिए बजट आवंटन करने का निर्णय हमने कर लिया और उस काम को हम आगे बढ़ाएंगे। गंगा के ऊपर रेल और रोड का दोनों bridge बनेंगे। ताकि infrastructure होता है, जो विकास के लिए एक नया रास्ता भी खोलता है और उस दिशा में हम का कर रहे हैं।

भाइयों-बहनों आज मैं बलिया की धरती पर से मेरे देश के उन एक करोड़ परिवारों को सर झुका कर के नमन करना चाहता हूं, उनका अभिनन्दन करना चाहता हूं। करीब एक करोड़ दस लाख से भी ज्यादा ऐसे परिवार हैं, जिनको मैंने कहा था कि अगर आप खर्च कर सकते हो तो रसोई गैस की सब्सिडी क्यों लेते हो। क्या आप पांच-दस हजार रुपया का बोझ नहीं उठा सकते साल का। क्या आप सब्सिडी Voluntarily छोड़ नहीं सकते। मैंने ऐसे ही एक कार्यक्रम में बोल दिया था। मैंने ज्यादा सोचा भी नहीं था, न योजना बनाई थी, न follow-up करने की व्यवस्था की थी, यूहीं दिल से एक आवाज उठी और मैंने बोल दिया। आज एक साल के भीतर-भीतर मेरे देश के लोग कितने महान हैं। अगर कोई अच्छा काम हो तो सरकार से भी दो कदम आगे जाकर के चलने के लिए तैयार रहते हैं। इसका ये उदहारण है । आज के युग में, हम बस में जाते हों, बगल वाली सीट खाली हो और हमें लगे की चलो बगल में कोई पैसेंजर नहीं है तो जरा ठीक से बैठूंगा। आराम से प्रवास करूंगा। लेकिन अगर कोई पैसेंजर आ गया, बगल में बैठ गया, हम तो हमारी सीट पर बैठे हैं, तो भी थोड़ा मुंह बिगड़ जाता है। मन में होता है ये कहां से आ गया। जैसे मेरी सीट ले ली हो। ऐसा जमाना है। ऐसे समय एक करोड़ दस लाख से ज्यादा परिवार सिर्फ बातों–बातों में कहने पर प्रधानमंत्री की बात को गले लगा कर के सर आंखों पर चढ़ा के एक करोड़ दस लाख से ज्यादा परिवार अपनी सब्सिडी छोड़ दें। इससे बड़ा क्या होगा। मैं आप सब से कहता हूं उन एक करोड़ दस लाख से ज्यादा परिवारों के लिये जोर से तारियां बजाइए। उनका सम्मान कीजिए। उनका गौरव कीजिए। मैं आप सबसे आग्रह करता हूं मेरे भाइयों – बहनों। ये देश के लिए किया हुआ काम है। ये गरीबों के लिये किया हुआ काम है। इन लोगों का जितना गौरव करें उतना कम है। और हमारे देश में लेने वाले से ज्यादा देने वाले की इज्जत होती है। ये देने वाले लोग हैं। जहां भी बैठे होंगे ये तालियों की गूंज उन तक सुनाई देती होगी और वो गौरव महसूस करते होंगे।

भाइयों – बहनों हमने कहा था गरीबों के लिए जो सब्सिडी छोड़ेगा वो पैसे सरकार की तिजोरी में नहीं जाएगी। वो पैसे गरीबों के घर में जाएंगे। एक साल में ये इतिहासिक रिकॉर्ड है भाइयों 1955 से, रसोई गैस देने का काम चल रहा है। इतने सालों में 13 करोड़ परिवारों को रसोई गैस मिला। सिर्फ 13 करोड़ परिवारों को करीब साठ साल में, मेरे भाइयों–बहनों हमने एक साल में तीन करोड़ से ज्यादा परिवारों को रसोई का गैस दे दिया। जिन लोगों ने सब्सिडी छोड़ी थी वो गैस सिलंडर गरीब के घर में पहुंच गया।

भाइयों-बहनों हम जानते हैं कि लोग कहते हैं कि मोदी जी बलिया में कार्यक्रम क्यों किया। हमारा देश का एक दुर्भाग्य है, कुछ लोग राजनीति में नहीं हैं, लेकिन उनको 24ओं घंटे राजनीति के सिवा कुछ दिखता ही नहीं है। किसी ने लिख दिया कि बलिया में मोदी जो आज कार्यक्रम कर रहे हैं वो चुनाव का बिगुल बजा रहे हैं। वे चुनाव का बिगुल बजा रहे हैं। अरे मेरे मेहरबानों हम कोई चुनाव का बिगुल बजाने नहीं आए हैं। ये बिगुल तो मतदाता बजाते हैं। हम बिगुल बजाने नहीं आए हैं।

भाइयों –बहनों अभी मैं पिछले हफ्ते झारखंड में एक योजना लागू करने के लिए गया था, झारखंड में कोई चुनाव नहीं है। मैं कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश में एक योजना लागू करने गया था, वहां पर कोई चुनाव नहीं है। मैंने ‘बेटी बचाओ’ अभियान हरियाणा से चालू किया था, वहां कोई चुनाव नहीं है। ये बलिया में ये रसोई गैस का कार्यक्रम इसलिए तय किया कि उत्तर प्रदेश में जो एवरेज हर जिले में जो रसोई गैस है, बलिया में कम से कम है, इसलिये मैं बलिया आया हूं। ये ऐसा इलाका है, जहां अभी भी गरीबी की रेखा के नीचे जीने वाले 100 में से मुश्किल से आठ परिवारों के घर में रसोई गैस जाता है। और इसलिये भाइयों –बहनों बलिया जहां कम से कम परिवारों में रसोई गैस जाता है, इसलिए मैंने आज बलिया में आकर के देश के सामने इतनी बड़ी योजना लागू करने का निर्णय किया। मैंने हरियाणा में बेटी बचाओ इसलिये कार्यक्रम लिया था, क्योंकि हरियाणा में बालकों की संख्या की तुलना में बेटियों की संख्या बहुत कम थी। बड़ी चिंताजनक स्थिति थी। और इसलिए मैंने वहां जाकर के खड़ा हो गया और उस काम के लिए प्रेरित किया और आज हरियाणा ने बेटी बाचाने के काम में हिन्दुस्तान में नम्बर एक लाकर के खड़ा कर दिया। और इसलिए भाइयों–बहनों मैं इस पूर्वी उत्तर प्रदेश में बलिया में इसलिये आया हूं, क्योंकि हमें गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है। अगर पूर्वी हिन्दुस्तान पश्चिमी हिन्दुस्तान की बराबरी भी कर ले तो इस देश में गरीबी का नामोनिशान नहीं रहेगा, मेरा मानना है। मेरा पूर्वी उत्तर प्रदेश, मेरा बिहार, मेरा पश्चिम बंगाल, मेरा असम, मेरा नॉर्थ ईस्ट, मेरा ओड़िशा, ये ऐसे प्रदेश हैं कि अगर वहां विकास गरीबों के लिए पहुंच जाए, तो गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने में हम सफल हो जाएंगे भाइयों।

आप मुझे बताइए एक जमाना था, बहुत लोगों को ये रसोई गैस की ताकत क्या है अभी भी समझ नहीं आती। बहुत लोगों को ये रसोई गैस की राजनीति क्या थी ये भी भूल चुके हैं, बहुत लोग ये रसोई गैस कितना मूल्यवान माना जाता था वो भूल गए हैं। मैं आज जरा याद दिलाना चाहता हूं। मैं political पंडितों को याद दिलाना चाहता हूं। दिल्ली में बैठकर के air-conditioned कमरे में बढ़िया-बढ़िया सलाह देने वालों को मैं आज झकझोड़ना चाहता हूं। उनको मैं हिलाना चाहता हूं, मैं उनको समझाना चाहता हूं। वो दिन याद करो, वो दिन याद करो, जब सांसद Parliament का Member बनता था, तो उसको हर साल रसोई गैस की 25 कूपन दी जाती थी और वो अपने इलाके में 25 परिवारों को साल में रसोई गैस दिलवाता था। और वो इतना गर्व करता था कि मैंने मेरे इलाके में 25 परिवारों को एक साल में रसोई गैस का connection दिलवा दिया। ये बहुत दूर की बात नहीं कर रहा हूं। मैं अभी-अभी पिछले सालों की बात करता हूं। और अखबारों में खबरें आती थीं कि सांसद महोदय ने कालेबाजारी में रसोई गैस का टिकट बेच दिया। ऐसे भी लोग थे कि रसोई गैस का connection लेने के लिए दस-दस, 15-15 हजार रुपया वो टिकट खरीदने के लिए black में खर्च करते थे। वो दिन थे और आज ये सरकार देखिए। एक-एक सांसद के क्षेत्र में हिन्दुस्तान के एक-एक Parliament Member के क्षेत्र में किसी के यहां साल में दस हजार गैल सिलंडर पहुंच जाएंगे, किसी के यहां बीस हजार, किसी के यहां पचास हजार और तीन साल के भीतर –भीतर पांच करोड़ गरीब परिवारों में ये रसोई गैस पहुंचाने का मेरा इरादा है। पांच करोड़ परिवारों में, भाइयों–बहनों ये पांच करोड़ परिवारों में रसोई गैस पहुंचाना ये छोटा काम नहीं है। इतना बड़ा काम, इतना बड़ा काम आज मैं गरीब माताओं बहनों के लिए लेकर आया हूं। आपने देखा होगा, मैं इन माताओं को पूछ रहा था कि आपने कभी सोचा था कि आपके घर में कभी रसोई गैस आएगा, उन्होंने कहा नहीं हमने तो सोचा नहीं था कि हमारे बच्चों के नसीब में भी रसोई गैस आएगा, ये हमने सोचा नहीं था। मैंने पूछा रसोई में कितना टाइम जाता है वो कहते लकड़ी लेने जाना पड़ता है, लकड़ी जलाते हैं , बुझ जाती है, कभी आधी रोटी रह जाती है फिर लकड़ी लेने जाते हैं, बड़ी अपनी मुसीबत बता रही थी। भाइयों –बहनों ये रसोई गैस के कारण पांच करोड़ परिवार 2019 में जब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती होगी। 2019 में जब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती होगी तब गांव और गरीब के लिए पांच करोड़ गैस रसोई गैस पहुंच चुके होंगे भाइयों, समय सीमा में काम करने का हमने फैसला किया है।

एक गरीब मां जब लकड़ी के चूल्हे से खाना पकाती है, तो वैज्ञानिकों का कहना है कि गरीब मां लकड़ी के चूल्हे से खाना पकाती है, तो एक दिवस में उसके शरीर में 400 सिगरेट का धुआं चला जाता है, 400 सिगरेट का। बच्चे घर में होते हैं। और इसलिए उनको भी धुएं में ही गुजारा करना पड़ता है। खाना भी खाते हैं, तो धुआं ही धुआं होता है। आंख से पानी निकलता है और वो खाना खाता है। मैंने तो ये सारे हाल, बचपन में मैं जी चुका हूं। मैं जिस घर में पैदा हुआ, बहुत ही छोटा एक गलियारी जैसा मेरा घर था। कोई खिड़की नहीं थी। आने जाने का सिर्फ एक दरवाजा था। और मां लकड़ी का चूल्हा जला कर के खाना पकाती थी। कभी-कभी तो धुआं इतना होता था कि मां खाना परोस रही हो लेकिन हम मां को देख नहीं पाते थे। ऐसे बचपन में धुएं में खाना खाते थे। और इसलिए मैं उन माताओं की पीड़ा को, उन बच्चों की पीड़ा को, भलीभांति अनुभव कर के आया हूं उस पीड़ा को जी कर के आया हूं और इसलिये मुझे मेरी इन गरीब माताओं को इस कष्टदायक जिन्दगी से मुक्ति दिलानी है। और इसलिए पांच करोड़ परिवारों में रसोई गैस देने का हमने उपक्रम किया है।

भाइयों – बहनों आज लकड़ी के कारण जो खर्चा होता है । इस रसोई गैस से खर्चा भी कम होने वाला है। आज उसकी तबियत की बर्बादी होती है। उसकी तबियत भी ठीक रहेगी। लकड़ी लाना चूल्हा जलाना में time जाता है। उस गरीब मां का time भी बच जाएगा। उसको अगर मजदूरी करनी है सब्जी बेचनी है, तो वो आराम से कर सकती है।

भाइयों –बहनों हमारी कोशिश ये है और इतना ही नहीं ये जो गैस की सब्सिडी दी जाएगी वो भी उन महिलाओं के नाम दी जाएगी, उनका जो प्रधानमंत्री जनधन अकाउंट है, उसी में सब्सिडी जमा होगी ताकि वो पैसे किसी ओर के हाथ न लग जाए, उस मां के हाथ में ही पैसे लग जाए ये भी व्यवस्था की। ये environment के लिये भी हमारा एक बहुत बड़ा initiative है। और इसलिए मेरे भाइयों- बहनों हजारों करोड़ रुपया का खर्चा सरकार को लगने वाला है। कहां MP की 25 रसोई गैस की टिकट और कहां पांच करोड़ परिवारों में रसोई गैस पहुंचाने का अभियान, ये फर्क होता है सरकार-सरकार में। काम करने वाली सरकार, गरीबों की भला करने वाली सरकार, गरीबों के लिए सामने जाकर के काम करने वाली सरकार कैसे काम करती है इसका ये उत्तम उदहारण आज ये पांच करोड़ परिवारों को रसोई गैस देने का कार्यक्रम है।

भाइयों–बहनों आज, पिछली किसी भी सरकार ने उत्तर प्रदेश के विकास के लिए जितना काम नहीं किया होगा, इतनी धनराशि आज भारत सरकार उत्तर प्रदेश में लगा रही है। क्योंकि हम चाहते हैं कि देश को आगे बढ़ाने के लिए हमारे जो गरीब राज्य हैं वो तेजी से तरक्की करें। और इसलिये हम काम में लगे हैं। गंगा सफाई का अभियान जनता की भागीदारी से सफल होगा। और इसलिये जन भागीदारी के साथ जन-जन संकल्प करें। ये मेरा बलिया तो मां गंगे और सरयू के तट पर है। दोनों की कृपा आप पर बरसी हुई है और हम सब अभी जहां बैठे हैं वो जगह भी एक बार मां गंगा की गोद ही तो है। और इसलिये जब मां गंगा की गोद में बैठ कर के मां गंगा की सफाई का संकल्प हर नागरिक को करना होगा। हम तय करें मैं कभी भी गंगा को गंदी नहीं करूंगा। मेरे से कभी गंगा में कोई गंदगी नहीं जाएगी। एक बार हम तय कर लें कि मैं गंगा को गंदी नहीं करूंगा। ये मेरी मां है। उस मां को गंदा करने का पाप मैं नहीं कर सकता। ये अगर हमने कर लिया, तो दुनिया की कोई ताकत ये मां गंगा को गंदा नहीं कर सकता है।

और इसलिए मेरे भाइयों–बहनों हम गरीब व्यक्ति की जिंदगी बदलना चाहते हैं। उसके जीवन में बदलाव लाने के लिये काम कर रहे हैं। और आज पहली मई जब मजदूरों का दिवस है। गरीबी में जीने वाला व्यक्ति मजदूरी से जूझता रहता है। भाइयों–बहनों गरीबी हटाने के लिए नारे तो बहुत दिये गए, वादे बहुत बताए गए, योजनाएं ढेर सारी आईं लेकिन हर योजना गरीब के घर को ध्यान में रख कर के नहीं बनी, हर योजना मत पेटी को ध्यान में रख कर के बनी। जब तक मत पेटियों को ध्यान में रख कर के गरीबों के लिए योजनाएं बनेगी, कभी भी गरीबी जाने वाली नहीं है। गरीबी तब जाएगी, जब गरीब को गरीबी से लड़ने की ताकत मिलेगी। गरीबी तब जाएगी, जब गरीब फैसला कर लेगा कि अब मेरे हाथ में साधन है मैं गरीबी को प्रास्त कर के रहूंगा। अब मैं गरीब नहीं रहूंगा, अब मैं गरीबी से बाहर आऊंगा। और इसके लिए उसको शिक्षा मिले, रोजगार मिले, रहने को घर मिले, घर में शौचालय हो, पीने का पानी हो, बिजली हो, ये अगर हम करेंगे, तभी गरीबी से लड़ाई लड़ने के लिए मेरा गरीब ताकतवर हो जाएगा। और इसीलिये मेरे भाइयों-बहनों हम गरीबी के खिलाफ लड़ाइ लड़ने के लिए काम कर रहे हैं।

आजादी के इतने साल हो गये। आजादी के इतने सालों के बाद इस देश में 18 हजार गांव ऐसे जहां बिजली का खंभा भी नहीं पहुंचा है, बिजली का तार नहीं पहुंचा है। 18वीं शताब्दि में जैसी जिन्दगी वो गुजारते थे। 21वीं सदी में भी 18 हजार गांव ऐसी ही जिन्दगी जीने के लिए मजबूर हैं। मुझे बताओ मेरे प्यारे भाइयों–बहनों क्या किया किया इन गरीबी के नाम पर राजनीति करने वालों ने । उन 18 हजार गांव को बिजली क्यों नहीं पहुंचाई। मैंने बीड़ा उठाया है। लालकिले से 15 अगस्त को मैंने घोषणा की मैं एक हजार दिन में 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचा दूंगा। रोज का हिसाब देता हूं, देशवासियों को और आज हमारे उत्तर प्रदेश में आर हैरान होंगे इतने प्रधानमंत्री हो गये उत्तर प्रदेश में । आज उत्तर प्रदेश मेरा कार्य क्षेत्र है। मुझे गर्व है, उत्तर प्रदेश ने मुझे स्वीकार किया है। मुझे गर्व है, उत्तर प्रदेश ने मुझे आशिर्वाद दिये हैं। मुझे गर्व है, उत्तर प्रदेश ने मुझे अपना बनाया है। और इसलिये उत्तर प्रदेश में इतने प्रधानमंत्री आए भाइयों–बहनों बैठा 1529 गांव ऐसे थे, जहां बिजली का खंभा नहीं पहुंचा था। अभी तो ढाई सौ दिन हुए हैं। मेरी योजना को ढाई सौ दिन हुए हैं। भाइयों–बहनों मैंने अब तक मैंने 1326 गांवों में, 1529 में से 1326 गांवों खंभा पहुंच गया, तार पहुंच गया, तार लग गया, बिजली चालू हो गई और लोगों ने बिजली का स्वागत भी कर दिया। और जिन गांवों में बाकी है। वहां भी तेजी से काम चल रहा है। आज औसत उत्तर प्रदेश में हम एक दिन में तीन गांवों में बिजली पहुंचाने का काम कर रहे हैं, जो काम साठ साल तक नहीं हुआ वो हम एक दिन में तीन गांवों तक पहुंचने का काम कर रहे हैं।

भाइयों–बहनों पूरे देश में आज जो ‘प्रधानमंत्री उज्जवला योजना’ इसका आरम्भ हो रहा है। मेरे सवा सौ करोड़ देशवासी देश में करीब 25 कोरड़ परिवार है, उसमे से ये पांच करोड़ परिवारों के लिए योजना है। इससे बड़ी कोई योजना नहीं हो सकती। कभी एक योजना पांच करोड़ परिवारों को छूती हो, ऐसी एक योजना नहीं हो सकती। ऐसी योजना आज लागू हो रही है, बलिया की धरती पर हो रही है। राम मनोहर लोहिया, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, उनके आशिर्वाद से हो रही है, चन्द्र शेखर जी, बाबु जयप्रकाश जी ऐसे महापुरषों के आशीर्वाद से प्रारंभ हो रही है। और बलिया की धरती...अब बलिया- ‘बलिया’ बनना चाहिए, इस संकल्प को लेकर के आगे बढ़ना है। मैं फिर एक बार हमारे सासंद महोदय भाई भरत का बड़ा आभार व्यक्त करता हूँ, इतने उमंग के साथ इस कार्यक्रम की उन्होंने अर्जना की। मैं पूरे उत्तर प्रदेश का अभिनन्दन करता हूं। मैं श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान उसकी पूरी टीम का अभिनन्दन करता हूं। ये Petroleum sector कभी गरीबों के लिये माना नहीं गया था, हमने Petroleum sector को गरीबों का बना दिया। ये बहुत बड़ा बदलाव धर्मेन्द्र जी के नेतृत्व में आया है। मैं उनको बहुत–बहुत बधाई देता हूं। मेरी पूरी टीम को बधाई देता हूं। आप सबका बहुत – बहुत अभिनन्दन करता हूं। बहुत- बहुत धन्यवाद।

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भारत माता की जय!
भारत माता की जय!
भारत माता की जय!

साथियों,

आज की चुनाव सभा को संबोधन करने से पहले मैं महाकुंभ में जो दुखद हादसा हुआ है, उस हादसे में हमें कुछ पुण्यात्माओं को खोना पड़ा है। कई लोगों को चोटें भी आई हैं। मैं प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं। मैं यूपी सरकार के साथ निरंतर संपर्क में हूं। मौनी अमावस्या की वजह से करोड़ों श्रद्धालु आज वहां पहुंचे हुए हैं। कुछ समय के लिए स्नान की प्रक्रिया में रूकावटें आईं थीं। लेकिन अब कई घंटों से सुचारू रूप से यात्री स्नान कर रहे हैं। मैं फिर एक बार उन परिवारजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।

साथियों,

दिल्ली का ये क्षेत्र यमुना जी के तट पर बसा है। और इस इलाके में तो बाबा श्यामगिरी भी विराजते हैं। मैं उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए, आप सभी जनता-जनार्दन को भी प्रणाम करता हूं। आप यहां वर्किंग डे होने के बावजूद भी इतनी विशाल संख्या में, और वो भी दोपहर के समय हम सबको आशीर्वाद देने आए हैं। मैं आप का हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। लेकिन ये जो दृश्य है, ये दिल्ली का मूड बता रहा है। ये दिल्ली के जनादेश के दर्शन करा रहा है।

दिल्ली कह रही है- अब ‘आप’दा के बहाने नहीं चलेंगे।
दिल्ली कह रही है- अब ‘आप’दा के फर्जी वादे नहीं चलेंगे।
दिल्ली कह रही है- अब ‘आप’दा की लूट और झूठ नहीं चलेगा।

दिल्ली भाजपा की यहां के लोग भाजपा की ऐसी डबल इंजन सरकार चाहते है- जो गरीबों के कल्याण और दिल्ली के विकास, दोनों पर एक साथ काम करे। दिल्ली एक ऐसी सरकार चाहती है, जो गरीबों के लिए घर बनाए, जो दिल्ली को आधुनिक बनाए। दिल्ली एक ऐसी सरकार चाहती है, जो हर घर नल से जल पहुंचाए। टैंकर माफिया से मुक्ति दिलाए! इसलिए, पूरी दिल्ली आज कह रही है- 5 फरवरी आएगी.... ‘आप’दा जाएगी— भाजपा आएगी।

मैं दिल्ली भाजपा को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। दिल्ली भाजपा ने एक शानदार संकल्प पत्र दिल्ली की जनता के चरणों में समर्पित किया है। इस संकल्प पत्र में दिल्ली की महिलाओं के लिए, युवाओं के लिए, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए, दिल्ली के मध्यम वर्ग के लिए, ऑटो चलाने वालों के लिए, दुकानदारों के लिए, झुग्गी-झौपड़ी में रहने वालों के लिए...हर वर्ग के लिए अच्छी योजनाएं लाने का दिल्ली की जनता को सार्वजनिक रूप से वादा किया है। दिल्ली में बनने वाली भाजपा सरकार अपने वायदे पूरे करेगी। मैं फिर दोहराता हूं, 8 तारीख के बाद जब दिल्ली में भाजपा की सरकार बनेगी, जो भी वादे आपको किये गए हैं, वो सारे के सारे वादे समय सीमा में पूरे किए जाएंगे। ये मोदी की गारंटी है। और मोदी की गारंटी मतलब, गारंटी पूरा होने की गारंटी।

साथियों,

भारत के करोड़ों नागरिक, विकसित भारत के संकल्प को लेकर के दिन-रात जुटे हुए हैं। ये बहुत जरूरी है कि विकसित भारत की राजधानी भी, एक विकसित देश का मॉडल शहर बने। क्या आज हमारी दिल्ली को लेकर जो बदहाली देखने को मिल रही है। क्या हम ये कह सकते हैं क्या? क्या दिल्ली, एक आधुनिक देश की राजधानी, क्या उसका रंग-रूप ऐसा नजर आ रहा है क्या?

साथियों,

मुझे जवाब देने की जरूरत नहीं है। दिल्ली के करोड़ों नागरिक सुबह-शाम अपनी पीड़ा व्यक्त करते हैं और उसमें सब कुछ आ जाता है।

साथियों,

ये 21वीं सदी है। 21वीं सदी के 25 साल बीत चुके। आपने 21वीं सदी के पहले 14 साल देखे हैं। उसमें कांग्रेस का कार्यकाल भी देखा है। फिर 11 साल इस ‘आप’दा सरकार को दिए। लेकिन दिल्ली की समस्या तो वहीं की वहीं है। 25 साल इन दोनों ने आप की दो-दो पीढ़ी को बर्बाद कर दिया है। जब दिल्ली की बात आती है तो किसी ने 14 साल राज किया, किसी ने 11 साल राज किया। फिर भी वही जाम, वही गंदगी, वही टूटी-फूटी सड़कें, गलियों में बहता गंदा पानी, वही जलभराव, वही प्रदूषण, पीने के पानी के लिए लोग तरस रहे हैं। हाहाकार हो रहा है। कुछ नहीं बदला। इन हालातों से दिल्ली को बाहर निकालना है कि नहीं निकालना है। इन हालातों से दिल्ली को बाहर निकालना है कि नहीं निकालना है। कौन निकाल सकता है? कौन निकाल सकता है? कौन निकाल सकता है? मोदी नहीं, आपका एक वोट इन मुसीबतों से मुक्ति दिला सकता है। आपके वोट की ताकत है। हमें 11 साल के पेंडिंग काम भी पूरे करने हैं और आने वाले 25-30 साल की तैयारियां भी करनी हैं। और इसलिए, मैं दिल्लीवासियों से आग्रहपूर्वक कहना चाहता हूं, मोदी को दिल्ली की सेवा करने का कुछ मौका दीजिए। देशभर में मैं बहुत कुछ कर पाया हूं। दिल्ली में आपने मुझे सेवा करने का अवसर नहीं दिया है। आपने 25 साल कांग्रेस भी देखी, ‘आप’दा भी देखी। अब एक बार कमल को भी देख लीजिए। मुझे सेवा करने का अवसर दीजिए। और मैं दिल्लीवासियों को कहता हूं जैसे परिवार का मुखिया अपने परिवार का ख्याल रखता है। मैं दिल्लीवासियों एक परिवार के सदस्य के नाते आपका ख्याल रखूंगा। आपके सपने मेरे सपने होंगे। आपके सपनों को पूरा करने के लिए मैं अपना समय, शक्ति, बुद्धि जो कुछ भी है, आपके लिए खपा दूंगा।

साथियों,

भाजपा सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड है कि वो जो कहती है, वो करके दिखाती है। आजादी के अनेक दशकों बाद भी, देश में करोड़ों लोग टॉयलेट, बिजली, गैस कनेक्शन, बैंक खाते ऐसी सुविधाओं से वंचित थे। यहां उत्तराखंड से आए काफी सारे परिवार बसे हुए हैं। उत्तराखंड, हिमालय की गोद, पहाड़ी इलाका, पैदल जाना हो तो भी दम उखड़ जाए। वहां भाजपा सरकार है। हमने दूर-दराज के गांवों पर सड़कें पहुंचाई हैं। नौजवान अब वापस गांव की तरफ रुख कर रहे हैं। 2014 में देश में सिर्फ, ये आंकड़ा चौंकाने वाला है, 2014 आपने मुझे बैठाया, उसके पहले, 2014 के पहले 3 करोड़ ग्रामीण परिवारों के पास नल का कनेक्शन था। कितने 3 करोड़, कितने 3 करोड़, कितने 3 करोड़, ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि ये याद रहे आपको। कितने घरों के पास 3 करोड़। बीते 5 साल में 12 करोड़ नए परिवारों को नल से जल की सुविधा पहुंचाई है। आप मुझे बताइये, पहले की सरकार में नल से जल की योजना थी कि नहीं। थी...कांग्रेस के जमाने में ये योजना थी। क्या हमने आकर के बंद कर दी क्या? नहीं बंद कर दी। हमने ऊपर से उसको मजबूत किया। उनका काम तो नहीं होता था। वो तो 3 करोड़ घरों पर अटक चुके थे। जो काम देश की आजादी के बाद इतने दिनों नहीं कर पाए। हमने पांच साल में करके दिखाया कि नहीं। हम योजनाओं को बंद करने वालों में से नहीं है, हम योजनाओं को बल देने वाले लोगों में से हैं। और आज इन घरों में नल से साफ पानी आता है। अगर हिंदुस्तान के दूरदराज के गांवों में, गरीब से गरीब घर में, नल से जल पहुंच सकता है, तो मेरे दिल्ली के भाई-बहन मुझे बताएं देश की राजधानी दिल्ली में ना नल से जल आता है और जहां आता भी है...वो बताने लायक भी नहीं है, पीने की तो बात छोड़ो, साफ नहीं होता है। अगर भाजपा, दुर्गम गांवों में पानी का नल पहुंचा सकती है। नल से जल पहुंचा सकती है, तो दिल्ली के हर घर को भी नल से साफ-साफ जल ये भाजपा दे सकती है।

साथियों,

‘आप’दा वालों ने दिल्ली को पानी माफिया के भरोसे छोड़ दिया है। इन लोगों ने तीन चुनावों में यमुना जी की सफाई के नाम पर वोट मांगे। आज कह रहे हैं, और बेशर्मी देखिए, अब कहां तक पहुंच गए हैं। अरे भई यमुना जी वोट थोड़े मिलता है। हम यमुना जी की सफाई नहीं करेंगे। बेशर्मी से ये कहने की इनकी हिम्मत। ये चौंकाने वाला चरित्र है जी। बेशर्मी है, बेईमानी है, बदनीयती है। ये दिल्ली वालों को पानी के लिए तरसाना चाहते हैं। ये चाहते हैं कि हमारे पूर्वांचली साथी हर साल गंदगी में ही छठी मैया की पूजा करें।

साथियों,

अपने राजनीतिक स्वार्थ में ‘आप’दा वालों ने एक और घोर पाप किया है। और ये पाप कभी भी माफ नहीं हो सकता है। इतिहास भी कभी माफ नहीं करेगा। आज भले आपके चेले-चपाटे बात को दबा देने की कोशिश करते हों, भले आज आप की इकोसिस्टम आप के इस पाप पर कपड़ा ढकने की कोशिश कर रही हो। लेकिन देश नहीं भूल सकता, दिल्ली नहीं भूल सकता, हरियाणा का एक-एक बच्चा नहीं भूल सकता। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने हरियाणा के लोगों पर घिनौने आरोप लगा दिए हैं। हार के डर से ‘आप’दा वाले बौखला गए हैं। आप बताइए, हरियाणा के लोग दिल्ली से अलग हैं क्या। क्या हरियाणा वालों के परिवार बाल-बच्चे नाते-रिश्तेदार दिल्ली में नहीं रहते क्या। क्या हरियाणा के लोग अपने ही बच्चों के पानी में जहर मिला सकते हैं क्या। हरियाणा का भेजा यही पानी दिल्ली में रहने वाला हर कोई पीता है। पिछले 11 साल से ये प्रधानमंत्री भी वो ही पानी पीता है। हरियाणा का भेजा यही पानी दिल्ली में रहने वाले हमारे सारे न्यायाधीश, सारे न्यायमूर्ति, सभी हमारे सम्मानित सदस्य भी पीते हैं। जो विदेश की एंबेसिया हैं, दुनियाभर की एंबेसियां हैं वो भी वही पानी पीते हैं। गरीब के घर के आसपास भी वो ही पानी होता है। क्या कोई ये सोच सकता है क्या...कि मोदी को जहर देने के लिए हरियाणा बीजेपी की सरकार ने पानी में जहर डाल दिया। क्या बोल रहे हो। क्या देश के न्यायाधीशों को जहर पिला करके मारने का षडयंत्र कर रहा था क्या, क्या बोल रहे हो। मेरे दिल्लीवासियों, गलती माफ करना वो भारत के नागरिकों का उदार चरित्र है। लेकिन जानबूझ करके, बद इरादे से पाप करने वालों को ना दिल्ली कभी माफ करता है ना देश कभी माफ करता है।

साथियों,
मैंने हरियाणा की रोटी खाई है। हरियाणा ने मुझे राजनीति में ऊंगली पकड़कर के चलाया है। मैं हरियाणा को भली-भांति जानता हूं। वहां का एक-एक नागरिक धर्म परायण है। अनेक घरों में सुबह यज्ञ होता है, ऐसा सात्विक जीवन मैंने हरियाणा में देखा है। ये देशभक्ति से भरे हुए लोग हैं, कोई परिवार ऐसा नहीं होगा, जिसका बेटा सीमा पर मां भारती की रक्षा ना करता हो। क्या ऐसे लोगों को जहर पिलाने वाले, ऐसा आरोप लगा दो आप। और ये देश तो ऐसा है पशु-पक्षियों तक को पानी पिलाता है। कभी उनको नुकसान नहीं पहुंचाता है। और ये ‘आप’दा वाले कह रहे हैं कि हरियाणा वाले दिल्ली के पानी में जहर मिलाते हैं। ये सिर्फ हरियाणा का अपमान नहीं है, ये भारतीयों का अपमान है। हमारे संस्कारों का अपमान है हमारे चरित्र का अपमान है। ये वो देश है, जो पानी पिलाना धर्म माना जाता है...जहां पियाऊ रखने की परंपरा है। इस देश में ऐसे लोग हो गए, जिन्होंने खुद का घर नहीं बनवाया. लेकिन गांववालों के लिए कुंआ खोदा या बावड़ी बना दी। इस देश में देशवासियों को ऐसा झूठा आरोप लगाते हो। चुनाव हारने का ऐसा डर कि कुछ भी बोलो। मुझे पक्का विश्वास है...ऐसी ओछी बातें करने वालों को दिल्ली इस बार जरूर सबक सिखाएगी। इन ‘आप’दा वालों की लुटिया...यमुना जी में ही डूबेगी।

साथियों,

‘आप’दा वालों की नीयत ही काम करने की नहीं है। पिछले 5 साल में दिल्ली विधानसभा सिर्फ 70-75 दिन चली है। ये दिल्ली विधानसभा के इतिहास का सबसे कम कामकाज रहा। इस दौरान दिल्ली में समस्याएं बढ़ीं, लेकिन कानून सिर्फ 14 पास हुए। 5 साल में 14 कानून इनमें से भी पांच कानून उनके जो विधायक हैं ना, उनकी सैलरी और पेंशन तो तय करने के लिए रहे पांच। यानी ‘आप’दा वालों को दिल्ली की आम जनता की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है। दिल्ली की समस्याओं के समाधान ढूंढने के बजाय इन्होंने विधानसभा के पवित्र मंच को, लोकतंत्र के मंदिर को गाली-गलोज के लिए इस्तेमाल किया।

साथियों

भारतीय गणतंत्र के 75 साल पूरे होने का जोश पूरे देश में है। 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर देशभक्ति की झांकी देश ने देखी। भारतीय सेना की दहाड़ आसमान तक गूंज रही थी। आज भी शाम को बीटिंग रिट्रीट में हमारी सेनाओं का कौशल दिखाई देगा। लेकिन हमें नहीं भूलना है, इसी दिल्ली में ‘आप’दा पार्टी ने सेना के पराक्रम पर सवाल उठाए थे। इन लोगों ने विधानसभा सत्र बुलाकर हमारी बहादुर सेना से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे थे। ‘आप’दा वालों ने हमारे सैनिकों की वीरता का अपमान किया था। आज दिल्ली के लोगों से मैं कहना चाहता हूं। मां भारती से विश्वासघात करने वाले ऐसे लोगों को सजा देने का मौका है- 5 फरवरी। आपका एक वोट उनको सजा दे सकता है। ‘आप’दा वालों को इस चुनाव में जरूर सबक सिखाना है।

साथियों,

आज अगर कोई दिल्ली का नाम लेता है, तो सिर्फ यही कहता है कि ये देश की राजधानी है। दिल्ली शहर की अपनी कोई विशेष पहचान नहीं बन पाई। आप पड़ोस में देखिए...गुड़गांव और नोएडा। आज इनकी पहचान आईटी सेक्टर से है। स्टार्ट अप्स से है। मैन्यूफैक्चरिंग से है। बेंगलुरु की आईटी से पहचान है। मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री से पहचान है। साफ-सफाई की बात आती है, तो देश के 5 टॉप शहरों में इंदौर, सूरत, नवी मुंबई, विशाखापट्टनम और भोपाल के नाम लिए जाते हैं।

साथियों,

21वीं सदी की दिल्ली को भी हमें एक अलग, विशेष पहचान दिलवानी है। दुनिया, दिल्ली को सिर्फ भारत की राजधानी के रूप में जाने, इतना नहीं है, बल्कि विकसित भारत के मॉडल सिटी के रूप में भी जाने। भाजपा ये लक्ष्य लेकर काम कर रही है। जो दिल्ली को दुनिया का सबसे बड़े मेट्रो नेटवर्क वाला शहर बना रही है- वो और कोई नहीं, भाजपा है। जो दिल्ली को- देश का पहला नमो रेल कनेक्टिविटी वाला शहर बना रही है- वो है भाजपा। जो दिल्ली को सबसे ज्यादा एक्सप्रेसवे से कनेक्टेड शहर बना रही है- तो वो है भाजपा। वो है भाजपा। वो है भाजपा। और जिसने सूरजमल विहार में डीयू के पूर्वी कैंपस पर काम शुरू किया है- वो है भाजपा। वो है भाजपा।

साथियों,

भाजपा का संकल्प दिल्ली को एक ऐसा शहर बनाने का है, जो रहने के लिए बेस्ट हो, कारोबार के लिए बेस्ट हो। ये जो दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे है। दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे है। ईस्टर्न पेरीफरल एक्सप्रेसवे है। ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित दिल्ली की पहचान बनेगा।

साथियों,

दिल्ली को शानदार शहर बनाने के लिए ही, हमने दिल्ली की सैकड़ों अनाधिकृत कॉलोनियों को रेगुलर करने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए स्पेशल कैंप चल रहे हैं। लेकिन ‘आप’दा सरकार, इन कॉलोनियों को भी पानी और सीवर के लिए तरसा रही है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं भाजपा सरकार आते ही, पाइपलाइन और सीवर बिछाने का काम तेजी से पूरा होगा।

साथियों,

जब तक झुग्गियों में रहने वालों का जीवन बेहतर नहीं होगा, तब तक भाजपा चैन से नहीं बैठ सकती। और इसलिए भाजपा सरकार, हजारों झुग्गीवासियों के लिए पक्के घर बना रही है। जहां झुग्गी है, वहां अच्छे घर दे रही है। हजारों झुग्गीवासियों को उनके घर की चाबी मिल चुकी है। और आज आप मेरा एक काम और करना। जो झुग्गियों में रहने वाले लोग हैं...उनसे कहना आप जब मिलने के लिए जाइए ना, झुग्गी वालों से, तो उनको कहना कि अब तक आपका घर नहीं बना है, ये हमने नोट कर लिया है। और मेरी तरफ से एक काम करना आप लोग, करोगे...जरा हाथ ऊपर करके बताइए, मेरा काम करोगे। आप उन सब झुग्गी-झोंपड़ी वालों को बता देना। देखिए मेरे लिए आप ही मोदी हैं। आप उनको बता देना, मेरी तरफ से बता देना, हिम्मत के साथ। जो भी झुग्गी-झोंपड़ी वाले हैं, उनको बता देना। मोदी की गारंटी है, आपका पक्का घर बनके रहेगा। ये बताएंगे, बताएंगे।

साथियों,

मोदी के पास अपना कोई घर नहीं है। लेकिन मोदी का सपना है, हर गरीब के पास अपना पक्का घर हो। ये शीशमहल बनाने वाले, जनता के करोड़ों रुपए लुटाने वाले, ऐशो-आराम करने वाले, कभी गरीब के घर के बारे में नहीं सोच सकते। इसलिए ये ‘आप’दा वाले झुग्गियों में जाकर के झूठी बातें फैला रहे हैं।

साथियों,

इनकी झूठ बोलने की ताकत इतनी है कि आपको मेहनत जरा ज्यादा करनी होगी। क्योंकि चेहरा इतना भोला-भाला करके झूठ बोलते हैं। आपने वो चार्ल्स शोभराज का नाम सुना होगा। वो जाना-माना ठगी था, लेकिन ठगी करने में ऐसा एक्सपर्ट था कि हर बार लोग गलती कर बैठते थे। हर बार लोग फंस जाते थे। और इसलिए ऐसे लोगों से संभलके रहना बहुत जरूरी होता है।

साथियों,

घरों में साफ-सफाई, खाना बनाना, बच्चों की देखभाल, ड्राइविंग का काम करना ऐसे अनेक कामों से जुड़े हजारों लोग दिल्ली में रहते हैं। इनके लिए भी दिल्ली भाजपा ने कल्याण बोर्ड बनाने और 10 लाख तक का बीमा देने की घोषणा की है। हर परिवार में ऐसे जो काम करने वाले हैं, उनको बताने की जिम्मेवारी हम सबकी है। उनको पता होना चाहिए कि मोदी गारंटी क्या है। आपको बच्चों की पढ़ाई की फीस की चिंता भी नहीं करनी है। दिल्ली भाजपा ने केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा देने का संकल्प लिया है।

साथियों,

ये एक और अफवाह फैला रहे हैं कि भाजपा योजनाएं बंद करेगी। ये कुछ लोगों की ऐसी आदत होती है झूठ बोलने की। 2014 में जब में चुनाव लड़ रहा था लोकसभा का। तो ये कांग्रेस वाले गांव-गांव, गली-गली जाकर कहते थे कि मोदी आएगा, भाजपा आएगी तो मनरेगा बंद हो जाएगा। आपकी रोजी-रोटी खत्म हो जाएगी। भड़का रहे थे। आज 11 साल हो गए। मैंने उस दिन भी कहा था, मैं योजनाओं को बंद नहीं करूंगा, मैं योजनाओं को बल दूंगा और हमने बल दिया। उसमें जो बेइमानी थी। मनरेगा में से बेइमानी को हटाया और मजबूती देने का काम किया। हमारे देश में परंपरा है, किसी भी सरकार कितनी ही बुरी क्यों ना हो, कितने ही बदनाम क्यों ना हो। लेकिन अगर उसके कार्यकाल में कोई अच्छी चीज शुरू हुई हो, तो हर सरकार उसको आगे चलाती है। अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना शुरू की थी। उसके बाद कांग्रेस आई। तो अखबार वाले लिखते थे कि अटल जी की ये पीएम ग्राम सड़क योजना चालू रहेगी क्या। मनमोहन सिंह जी के समय भी चालू रही और बाद में मोदी के आने के बाद भी चालू रही। इतना ही नहीं गति बढ़ा दी गई। सरकारें, ये झूठ बोलने वालों को पता नहीं है कि सरकारें ऐसे नहीं चलती हैं। और इसलिए जो भी अच्छा है, जो दिल्ली के कल्याण के लिए है। दिल्लीवासियों की भलाई के लिए है। उसको आगे चलाया जाएगा। उसे और मजबूती दी जाएगी। उसे बल दिया जाएगा। हां, बेइमानों को जाना पड़ेगा। जिस काम के लिए पैसे हैं, टैक्सपेयर के पैसे, गरीब के लिए जो काम हो रहा हैं, उनके लिए ही जाएंगे। भाजपा सरकार इन योजनाओं में पारदर्शिता लाएगी। इनमें भ्रष्टाचार को बंद किया जाएगा।

साथियों,

आप याद कीजिए, CAG की रिपोर्ट...1860 से ये व्यवस्था चल रही है। CAG का जन्म हुआ, अंग्रेज गए, योजना चलती रही। अनेक सरकारें आईं, CAG योजना चलती रही। ये पहला ऐसा व्यक्ति आया, जिसने इतनी पुरानी CAG जैसी संस्था, इतनी क्रेडिबल इंस्टीट्यूट और सरकार में चैक और बैलेंस के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यवस्था, उसको उसने कागज का टुकड़ा बनाकर के फेंक दिया।

साथियों,

‘आप’दा सरकार CAG की रिपोर्ट को दबाकर बैठ गई है। इन्हें शराब घोटाले, शीशमहल घोटाले, शिक्षा घोटाले, अस्पताल घोटाले...ऐसी हर चीज से पर्दा उठने का डर है। आप भाजपा-NDA के उम्मीदवारों को जिताइए। विधानसभा के ये दूसरी मोदी की गारंटी भी लिख लीजिए, विधानसभा के पहले सत्र में ही CAG रिपोर्ट टेबल पे कर दी जाएगी।

साथियों,

ये ‘आप’दा वाले इतने अहंकार में डूबे हैं कि खुद को दिल्ली के मालिक समझ बैठे हैं। इनका ये अहंकार दिल्ली की जनता इस चुनाव में तोड़ने वाली है। ये लोग खुद को दिल्ली की माताओं-बहनों का सुरक्षा कवच कहते हैं। बेशर्मी तो देखो, खुद को। दिल्ली की माताओं-बहनों का सुरक्षा कवच कहने की हिम्मत। मेरे प्यारे देशवासियों, मेरे प्यारे दिल्लीवासियों, नेता कितना ही बड़ा क्यों ना हो। नेता किसी का सुरक्षा कवच नहीं होता है। नेता तो सिर्फ और सिर्फ सेवक होता है। ये मेरा सौभाग्य है कि देशभर की माताएं-बहनें मोदी का सुरक्षा कवच हैं। माताएं-बहनें-बेटियां मोदी का सुरक्षा कवच इसलिए बनी हैं, क्योंकि मोदी मन से, समर्पण भाव से उनकी सेवा कर रहा है। जिनको पहली बार टॉयलेट मिला, गैस कनेक्शन मिला, पीने का पानी नल से मिला, कोविड के कठिन कालखंड से आज तक मुफ्त अनाज मिला, वो सारी बहनें मोदी का सुरक्षा कवच हैं। बहनें कह रही हैं कि भाजपा सरकार ने मुफ्त गैस कनेक्शन दिया, तो सस्ता गैस सिलेंडर भी वही देगी। सामान्य मानवी कहता है भाजपा सरकार ने बैंक खाता खोला, तो पैसा भी उसमें वही भेजेगी।

साथियों,

दिल्ली की महिलाओं का ‘आप’दा पार्टी से भरोसा उठ चुका है। ‘आप’दा की बड़ी-बड़ी घोषणाओं पर दिल्ली की बहनें भरोसा ही नहीं कर रहीं। वो पूछ रही हैं कि 11 साल राज करने के बाद आज घोषणा क्यों कर रहे हो। ये घोषणाएं पहले लागू क्यों नहीं कीं। दिल्ली में महिलाओं के लिए जो 11 सौ रूपये देने की घोषणा की थी, वो पैसे किसके जेब में गए। महिलाओं के खाते में तो नहीं गए। पंजाब में तीन साल पहले 11 सौ रुपये देने का वादा किया था। आज तक वो पूरा क्यों नहीं किया। दिल्ली की बहनें भाजपा की राज्य सरकारों का भी काम देख रही हैं। दिल्ली में हर राज्य के लोग रहते हैं। वो अपने-अपने राज्य की बातें बताते हैं। मध्य प्रदेश हो, महाराष्ट्र हो, छत्तीसगढ़ हो, ओडिशा हो, जहां भी बीते एक-डेढ़ साल में चुनाव हुए हैं, वहां सरकार बनते ही बहनों के खाते में पैसा भेजना शुरू हो गया। दिल्ली भाजपा ने भी घोषणा की है कि सरकार बनते ही हर महीने ढाई हजार रुपये, कितने, कितने, कितने ढाई हजार रुपए बहनों के खातों में जमा किए जाएंगे। गर्भावस्था के दौरान 21000 रुपए बहनों को दिए जाएंगे। ताकि वे अच्छा और पोषक खाना खा सकें। और उसके पेट में जो बच्चा है, वो भी तंदुरुस्त बच्चा देश को मिले।

साथियों,

आप सभी को इनकी, ‘आप’दा वालों की एक और चाल से सावधान रहना है। ‘आप’दा को हार का अहसास हो चुका है। इनके हर विधायक को लेकर जनता में बहुत गुस्सा है। इसलिए ‘आप’दा और कांग्रेस ने पर्दे के पीछे एक-दूसरे से गठबंधन कर लिया है। ‘आप’दा वाले कोशिश कर रहे हैं कि उसका नहीं तो कांग्रेस का विधायक जीत जाए। ताकि बाद में मिलकर के सत्ता हथियाने का काम हो जाए। ऐसे तो दिल्ली पर डबल आपदा आ जाएगी। इसलिए आपको घर-घर जाना है। सबको कहना है कि कमल निशान पर ही वोट दें। और बुराड़ी वाले तीर निशान पर वोट डालें। पांच फरवरी को दिल्ली में वोटिंग के सारे रिकॉर्ड टूटने चाहिए। आप याद रखना, ‘आप’दा नहीं सहेंगे, बदल के रहेंगे। ‘आप’दा नहीं सहेंगे, बदल के रहेंगे। ‘आप’दा नहीं सहेंगे, बदल के रहेंगे। ‘आप’दा नहीं सहेंगे, बदल के रहेंगे। आप इतनी विशाल संख्या में हमें आशीर्वाद देने आए, मैं आप सभी का आभार व्यक्त करता हूं।

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।