प्रधानमंत्री मोदी ने एम्स में विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया
बीते 4 वर्षों में पब्लिक हेल्थकेयर को लेकर देश को एक नई दिशा दी गई है: पीएम मोदी
सरकार का प्रयास है कि बड़े शहरों के आसपास जो स्वास्थ्य का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है, उसको सुदृढ़ करने के साथ-साथ ऐसी ही सुविधाएं टीयर 2 और टीयर 3 शहरों तक पहुंचाया जाए: प्रधानमंत्री
‘न्यू इंडिया’ के लिए एक ऐसी स्वास्थ्य व्यवस्था का निर्माण किया जा रहा है जहां उत्तम अस्पताल हों, ज्यादा बेड हों, बेहतर सुविधाएं हों, उत्कृष्ट डॉक्टर हों: प्रधानमंत्री मोदी
स्वस्थ परिवार से ही स्वस्थ समाज और स्वस्थ समाज से ही स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण होता है: पीएम मोदी
कम खर्च पर देश के हर व्यक्ति को इलाज सुनिश्चित हो, लोगों को बीमार बनाने वाले कारणों को खत्म करने का प्रयास हो, इसी सोच के साथ नेशनल हेल्थ पॉलिसी का निर्माण किया गया: प्रधानमंत्री

मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्रीमान जे. पी. नड्डा जी, अश्विनी चौबे जी, अनुप्रिया पटेल जी और इस मंच पर उपस्थित श्रीमान रणदीप गुलेरिया जी, श्री आई. एस.झा, डॉ. राजेश शर्मा और सभी महानुभव।

दिल्‍ली के लोगों के लिए इलाज के लिए, दिल्‍ली आने वाले लोगों के लिए, आप सभी के लिए एक प्रकार से आज का विशेष दिन है। और मुझे खुशी है कि आज गरीबों को, सामान्‍य जन को, निम्‍न मध्‍यम वर्ग, मध्‍यम वर्ग को अपने जीवन की मुश्किल परिस्थिति से पार पाने के लिए, अपनी और स्‍वजनों की बीमारी से लड़ने में मदद करने के लिए कुछ नये आधार स्‍तंभ प्राप्‍त हो रहे हैं। अब से थोड़ी देर पहले यहां पर लगभग 17 सौ करोड़़ के नये प्रोजेक्‍ट का लोकार्पण और शिलान्‍यास किया गया है। इससे दिल्‍ली में मौजूद देश के दो बड़े अस्‍पतालों- एम्‍स और सफदरजंग अस्‍पताल में करीब-करीब 18 सौ से अधिक बेड की नई capacity का मार्ग खुला है।  

Friends, AIIMS पर बढ़ते दबाव को देखते हुए दिल्‍ली में इसके सभी केंपसों की क्षमता को बढ़ाया जा रहा है। आज तीन सौ करोड़ रुपए से अधिक की लागत से बनने वाले National Centre for Ageing का भी शिलान्‍यास हुआ है। ये सेंटर 200 बेडस का होगा। आने वाले डेढ़ दो वर्षों में इसे पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। यहां वरिष्‍ठ नागरिकों के लिए तमाम सुविधाएं होंगी। इसमें वृद्धावस्‍था, विज्ञान अनुसंधान केंद्र भी होगा, जहां वृद्धावस्‍था से जुड़ी समस्‍याओं को लेकर रिसर्च की जा सकेगी। इसके अलावा सफदरजंग अस्‍पताल में भी 13 सौ करोड़ से अधिक राशि खर्च करके अस्‍पताल में सुविधाओं को और आधुनिक बनाने का काम हुआ है। इसी के तहत यहां एक एमरजेंसी ब्‍लॉक पर एक सुपर स्‍पेशिलिटी ब्‍लॉक की सेवाओं को देश को समर्पित किया गया है। सिर्फ मेडिकल एमरजेंसी के लिए 500 बेडस की नई क्षमता के साथ सफदरजंग अस्‍पताल देश का सबसे बड़ा एमरजेंसी केयर अस्‍पताल बन जाएगा।

साथियों, आज जिन पांच प्रोजेक्‍टस का लोकार्पण और शिलान्‍यास किया गया है। उसमें से एक पावर ग्रिड विश्राम सदन भी है। सार्वजनिक उपक्रमों और समाज के प्रति उनकी जिम्‍मेदारी का ये एक उत्‍तम उदाहरण है। इससे न सिर्फ मरीजों को बल्कि उनकी देखरेख करने वालों को भी बहुत बड़ी राहत मिल रही है।

साथियों, समय पर सही इलाज, जीवन बचाने में अहम भूमिका निभाता है। लेकिन दिल्‍ली का ट्रैफिक कई बार इसमें बाधक बन जाता है। विशेष तौर पर एम्‍स के अलग-अलग सेंटर और केंपस के बीच मरीजों और डॉक्‍टरों की आवाजाही को लेकर पहले बहुत बड़ी समस्‍या थी। एम्‍स की मुख्‍य बिल्‍डिंग और जय प्रकाश नारायाण ट्रामा सेंटर के बीच ये समस्‍याएं भी अब सुलझ गई है। लगभग एक किलोमीटर लंबी अंडरग्राउंड सुरंग का भी अभी थोड़ी देर पहले लोकार्पण करने का अवसर मिला। इस टनल से मरीजों, उनके रिश्‍तेदारों, डॉक्‍टरों और जरूरी दवाइयों यंत्रों को बिना रूकावट आवाजाही सुनिश्चित हुई है।

साथियों, भारत जैसे हमारे विशाल, विकासशील देश के लिए सस्‍ती, सुलभ, सुरक्षित और आधुनिक स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं जुटाना कितनी बड़ी जिम्‍मेवारी है इससे आप भली-भांति परिचित हैं। बीते चार वर्षों में Public Health Care को लेकर देश को एक नई दिशा दी गई है। केंद्र सरकार के एक के बाद एक Policy Intervention से हम उस स्थिति की तरफ बढ़ रहे हैं जहां देश के गरीब और मध्‍यम वर्ग को बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के लिए भटकना न पड़े, अनावश्‍यक खर्च न करना पड़े। राज्‍य सरकारों के साथ मिलकर केंद्र सरकार देश भर में स्‍वास्‍थ्‍य सेवा से जुड़ा आधुनिक Infrastructure खड़ा कर रही है। ये सरकार के निरंतर प्रयासों का परिणाम है। कि आज देश में अस्‍पतालों में बच्‍चों को जन्‍म देने का प्रचलन Institutional Delivery, उसका प्रचलन बड़ा है। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के स्‍वास्‍थ्‍य की निरन्‍तर जांच, टीकाकरण में पांच नई वेक्सिन जुड़ने से मातृ और शिशु मृत्‍य दर में अभूतपूर्वक कमी आई है। इन प्रयासों को अंर्तराष्‍ट्रीय एजेंसीज ने भी सराहा है।

साथियों, सरकार का प्रयास है कि बड़े शहरों के आस-पास जो स्‍वास्‍थ्‍य का Infrastructure तैयार किया गया है, उसको सुदृढ़ करने के साथ-साथ ऐसी ही सुविधाएं टियर-2 और टियर-3 शहरों तक पहुंचाई जाए। इसके लिए सरकार दो व्‍यापक स्‍तर पर काम कर रही है। एक तो जो हमारे मौजूदा अस्‍पताल हैं उनको और अधिक सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। और दूसरा, देश के दूर-दराज वाले इलाकों में स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं को पहुंचाया जा रहा है।

साथियों, आजादी के 70 वर्षों में जितने एम्‍स स्‍वीकृत हुए या बनाए गए हैं उससे अधिक बीते चार वर्षों में मंजूर किए गए हैं। देश में 13 नए एम्‍स की घोषणा की गई है जिसमें से आठ पर काम शुरू हो चुका है। इसके अलावा देश भर में 15 मेडिकल कॉलेज में सुपर स्‍पेशिलिटी अस्‍पतालों का निर्माण कार्य प्रगति पर है।

साथियों, न्‍यू इंडिया के लिए ये ऐसी स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्था का निर्माण किया जा रहा है जहां उत्‍तम और पर्याप्‍त अस्‍पताल हो, ज्‍यादा बेड हों, बेहतर सुविधा हो और श्रेष्‍ठ डॉक्‍टर और उनकी टीम हो। इसी लक्ष्‍य को ध्‍यान में रखते हुए Medical Education में भी नए अवसरों का निर्माण किया जा रहा है। हमारी सरकार 58 Districts में अस्‍पतालों को Medical College के तौर पर upgrade करने का काम कर रही है। इस बजट में ही सरकार ने 24 नए मेडिकल कॉलेज बनाने का ऐलान किया है। सरकार का प्रयास है कि तीन लोकसभा सीटों पर कम-से-कम एक मेडिकल कॉलेज अवश्‍य हो। इन चार वर्षों में देश भर में मेडिकल की लगभग 25 हजार Under Graduate or Post Graduate की नई सीटें जोड़ी गई हैं। सरकार ने Admission Process को भी और पारदर्शी बनाने का काम किया है।

साथियों, इस सरकार का विजन सिर्फ अस्‍पताल, बीमारी और दवाई और आधुनिक सुविधाओं तक ही सीमित नहीं है। कम खर्च पर देश के हर व्‍यक्ति को इलाज सुनिश्चित हो, लोगों को बीमार बनाने वाले कारणों को खत्‍म करने का प्रयास हो, इसी सोच के साथ National Health Policy का निर्माण किया गया है। हमारी सरकार ने स्‍वास्‍थ्‍य सेवा को, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के दायरे से बाहर निकालने का भी प्रयास किया है। हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के विजन के साथ आज ग्रामीण विकास मंत्रालय भी जुड़ा है। स्‍वच्‍छता और पेयजल मंत्रालय भी जुड़ा है। महिला और बाल विकास मंत्रालय को भी उसके साथ जोड़ा गया है। और इन सभी को हमारी पारंपरिक स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को सशक्‍त कर और आयुष मंत्रालय से भी सहयोग मिल रहा है। सरकार के विजन में बीमारी और गरीबी के बीच जो संबंध है उसे देखते हुए योजनाएं बनाई गई हैं। उन्‍हें लागू करने का भरपूर प्रयास किया गया है। गरीबी की बड़ी वजह बीमारी भी है। और इसलिए बीमारी को रोकने का मतलब गरीबी को भी रोकना होता है। इसी दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। स्‍वच्‍छ भारत अभियान के तहत शौचालयों का निर्माण, मिशन इंद्रधनुष के तहत, दूर-दराज वाले इलाकों में टीकाकरण, राष्‍ट्रीय पोषण अभियान और आयुषमान भारत जैसी अनेक महत्‍वाकांक्षी योजनाएं गरीब का बीमारी पर होने वाला खर्च कम कर रही है। Preventive or Affordable Healthcare को लेकर जितनी गंभीरता से देश में अभी काम हो रहा है उतना शायद पहले कभी नहीं हुआ।

National Health Protection Scheme या आयुषमान भारत भी इस दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कड़ी है। इस योजना के तहत देश भर में लगभग डेढ़ लाख यानि देश के हर बड़ी पंचायत के बीच एक Health & wellness centre स्‍थापित करने पर काम चल रहा है। भविष्‍य में इन सेंटरों में ही बीमारी की पहचान के लिए टेस्‍ट और उपचार की आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी। इसका बहुत बड़ा लाभ गांव और कस्‍बों में रहने वाले लोगों को भी मिलने जा रहा है। वहीं गंभीर बिमारी की स्थिति में देश के गरीब और निम्‍न मध्‍यम वर्ग के लोगों को उत्‍तम और पांच लाख तक का मुफ्त इलाज सुनिश्चित करने पर काम चल रहा है। इस योजना से ज्‍यादा से ज्‍यादा राज्‍यों को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। निजी अस्‍पताल से जुड़े लोगों से भी चर्चा चल रही है। मोटे तौर पर अनेक विषयों में सभी stakeholders के साथ सहमति बन चुकी है और बहुत जल्‍द ये दुनिया की सबसे बड़ी,  दुनिया की सबसे बड़ी Health Insurance Scheme जमीन पर उतरने वाली है।

साथियों, ये योजना सिर्फ गरीबों के लिए ही जीवन दान देने वाली है, इतना नहीं है बल्कि मेडिकल सेक्‍टर में एक अभूतपूर्व अवसर पैदा करने वाली एक नई क्रांति की मिशाल है। इस योजना की वजह से आने वाले समय में देश के गांव और छोटे कस्‍बों के आस-पास जो अस्‍पतालों को बड़ा नेटवर्क बनना सुनिश्चित है। बहुत बड़ी मात्रा में नये अस्‍पताल बनना बहुत स्‍वाभाविक है। क्‍योंकि जब बीमारी का खर्च कोई और उठाने वाला है तो बीमार अस्‍पताल जाना पसंद करने वाला है जो आज जाना टाल रहा है। और बीमार अस्‍पताल आने के बाद पैसा कहीं से मिलना सुनिश्चित है तो अस्‍पताल और डॉक्‍टर भी सामने से काम करने के‍ लिए तैयार है। और एक प्रकार से एक ऐसी व्‍यवस्‍था विकसित हो रही है जो देश में Human Resource Development, Medical Sector में, देश के अंदर Infrastructure का  development  or Health conscious society के रूप में हम एक नए युग के अंदर प्रवेश करने वाले हैं। और इस सेक्‍टर में रोजगार के अवसर तो बढ़ने ही वाले हैं। हम जानते हैं एक डॉक्‍टर के साथ कितने लोगों को काम करना पड़ता है तब एक डॉक्‍टर कुछ Perform कर पाता है। कितने लोगों के लिए रोजगार की संभावना है। हॉ, आधुनिक चिकित्‍सा सेवाओं के लिए बड़े शहरों की तरफ आने की मजबूरी भी मैं समझता हूं कि बहुत ही मात्रा में कम हो जाएगी। लोगों को अपने घर के पास ही सारी सुविधाएं मिलेंगी।

साथियों, बीते चार वर्षों में Affordable Health Care को लेकर जो भी योजना सरकार ने चलाई उनका कितना लाभ सामान्‍य जन को हो रहा है ये जानने के लिए इस महीने की शुरुआत में मैंने खुद देशभर के लाभार्थियों से संवाद किया था। करीब तीन लाख सेंटर, और मेरा अंदाज है तीस-चालीस लाख लोग मेरे सामने थे। उस पर और उस पूरी चर्चा से एक बात जो निकल करके आई, वो ये है कि निम्‍न मध्‍यम वर्ग से लेकर गरीब व्‍यक्ति के स्‍वास्‍थ्‍य के खर्च में आज बहुत कमी आई है। साथियों इसका कारण आप सभी भली-भांति जानते हैं। सरकार द्वारा करीब-करीब 1100 आवश्‍यक दवाईयों को मूल्‍य नियंत्रक व्‍यवस्‍था के दायरे में लाया गया है। इससे लोगों को लगभग दवाई के पीछे जो खर्च होता था उन परिवारों को लगभग 10 हजार करोड़ रुपए से ज्‍यादा की बचत हुई है। एक वर्ष में 10 हजार करोड़ रुपए सेविंग- और वो भी एक योजना का परिणाम। देश भर में 3,600 से अधिक जन-औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं। इन केंद्रों में 700 से अधिक दवाइयों और डेढ़ सौ से अधिक सर्जरी का सामान सस्‍ते दाम पर उपलब्‍ध है। अमृत स्‍टोरस में भी मिल रही 50 प्रतिशत कम कीमत  की दवाईओं का लाभ लगभग 75-80 लाख मरीज उठा चुके हैं। इसके अलावा आज stents और knee plant की कीमत में कमी से देश के गरीब और मध्‍यम वर्ग के  लगभग साढ़े पांच हजार करोड़ की बचत हुई है। इनकी कीमतें पहले के मुकाबले लगभग एक तिहाई हो गई है, तीन गुना कम हो गई है। साथ ही जीएसटी के बाद भी कई दवाईओं की कीमत कम होने से लोगों को भी लाभ मिला है। देश के लगभग हर जिले में Dialysis Centre बनाए गए हैं। यहां गरीबों को निशुल्‍क Dialysis की सुविधा दी जा रही है। अब तक लगभग ढाई लाख Patient इसका लाभ उठा चुके हैं। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पहले जहां गरीब को मुफ्त Dialysis के लिए सौ-सौ, दो-सौ किलोमीटर जाना पड़ता था अब उसे अपने ही जिले में सुविधा मिल रही है। जब वो इतना दूर नहीं जा पाता था तो दूसरे अस्‍पतालों में पैसे खर्च करके Dialysis करवाता था। अब गरीब को मिल रही मुफ्त Dialysis सुविधा से Dialysis के हर सेशन में उसके लगभग 1500 से 2000 रुपए की बचत हो रही है। इस कार्यक्रम के तहत करीब-करीब 25 लाख Dialysis सेशन मुफ्त में किए गए हैं। इसके अलावा Preventive Health Care के रूप में योग ने भी नए सिरे से अपनी पहचान को स्‍थापित किया है। योगियो की मजाक उड़ाते रहते हैं लेकिन आज पूरे विश्‍व में योग ने अपने लिए जगह बना ली है उसका डंका बज गया है। मैं ये तो कभी नहीं कह सकता कि किसी भोगी को योग, योगी बना देगा लेकिन मैं इतना जरूर कह सकता हूं कि योग भोगी को रोगी होने से तो बचा सकता है। आज योग दुनिया भर में Mass Movement बन रहा है। कुछ दिन पहले ही हमने देखा है कि कैसे पूरी दुनिया में 21 जून को अंर्तराष्‍ट्रीय योग दिवस मनाया गया, और मुझे बताया गया है, मुझे एम्‍स में भी इन दिनों योग की काफी जागरूकता आई है। सारे डॉक्‍टर मित्र भी योग कर रहे थे। मुझे अच्‍छा लगा।

साथियों, देश के हर नागरिक तक स्‍वास्‍थ्‍य सेवा पहुंचाना इस सरकार का लक्ष्‍य है लेकिन आप भी सक्रिय सहयोग के बिना, आपके साथ बिना, यानि पूरी इस मेडिकल दुनिया के साथ के बिना ये संभव नहीं है। आज जब देश न्‍यू इंडिया के संकल्‍प के साथ आगे बढ़ रहा है तो हेल्‍थ सेक्‍टर से जुड़े लोगों को भी अपने लिए नए संकल्‍प तय करने चाहिए। 2022 जब आजादी के 75 साल होंगे, मैं अगर मेडिकल प्रोफेशन में हूं, मैं डॉक्‍टर हूं, मैं और सहायक हूं- 2022 तक हेल्‍थ सेक्‍टर में मेरा ये संकल्‍प रहेगा जब आजादी के 75 साल होंगे मैं भी इतना करूंगा, ये इस देश में माहौल बनाने की जरूरत है। सरकार साल 2025 तक देश को टीबी से मुक्‍त करने के लिए कार्य कर रही है। टीबी मरीजों के पोषण को ध्‍यान में रखते हुए हर महीने उन्‍हें 500 रुपये की आर्थिक मदद भी दी जा रही है।

साथियों, विश्‍व के अन्‍य देशों ने खुद को टीबी मुक्‍त करने के लिए वर्ष 2030 तक का समय तय किया है। हमें देश को जल्‍द से जल्‍द टीबी मुक्‍त करने के लिए संकल्‍प के साथ काम करना होगा, दुनिया 2030 में पूरा करना चाहती है हम 2025 में पूरा करना चाहते हैं। पूरी दूनिया की नजर भारत पर है कि क्‍या वो ऐसा कर पाएगा ? मुझे देश के मेडिकल सेक्‍टर पर भरोसा है, उसके सामर्थ्‍य पर भरोसा है, कि वो इस चुनौती पर पूरी प्रतिबद्धता से काम करेंगे और देश को यश दिला करके रहेंगे ये मेरा विश्‍वास है। ऐसा ही एक महत्‍वपूर्ण विषय है माता और शिशु मृत्‍य दर। जैसा मैंने पहले कहा कि भारत ने पिछले चार वर्षों में इस विषय पर उल्‍लेखनीय प्रगति की है लेकिन माता और शिशु मृत्‍य दर को कम से कम किए जाने के लिए हम सभी को मिलकर अपने प्रयासों को और अधिक बढ़ाने होंगे। इसके लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्‍व अभियान और प्रधानमंत्री मातृत्‍व वंदना योजना और राष्‍ट्रीय पोषण अभियान के तहत मिशन मोड में काम चल रहा है। इस मिशन को अपने जीवन का मिशन बना कर कार्य किया जाए। जन आंदोलन की तरह ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को इनसे जोड़ा जाए तो निश्चित तौर पर जल्‍दी ही और अपेक्षित परिणाम हम प्राप्‍त करके रहेंगे। ये विश्‍वास को लेकर आगे बढ़ना है।

साथियों, आज देश में ईमानदारी का ऐसा वातावरण बना है कि ज्यादा से ज्‍यादा लोग राष्‍ट्र निर्माण की अपनी जिम्‍मेदारी बढ़-चढ़ करके आगे बढ़ के उठा रहे हैं। लोगों में ये भाव आया है, ये विश्‍वास बढा है कि हम जो टैक्‍स देते हैं उसकी पाई-पाई देश की भलाई के लिए खर्च हो रही है। और इस विश्‍वास का परिणाम समाज के हर स्‍तर पर हमें देखने को मिल रहा है। आपको ध्यान होगा मैंने जब लाल किले से देश के लोगों को आग्रह किया था कि जो सक्षम है जो खर्च कर सकते हैं ऐसे लोग गैस सब्सिडी क्‍यों लेते हैं, छोड़ दीजिए न। इतनी सी बात मैंने कही थी और मेरी इतनी सी बात को इस देश के सवा सौ करोड़ परिवारों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी। वर्ना हमारे देश में ऐसा ही मानने को मान लिया जाता है कि भई कोई छोड़ता नहीं हैं एक बार मिला तो मिला और स्‍वभाव है आप विमान में जाते होंगें बगल में सीट खाली हो, आपकी सीट नहीं है विमान चलने की तैयारी है तो आपने मोबाइल फोन रखा, किताब रखी और इतने में आखिर में कोई आ गया, उस सीट पर बैठने वाला तो क्‍या होता है? सीट आपकी नहीं है आप तो अपनी सीट पर बैठे हैं छोड़ने का मन नहीं करता ये कहां से आ गया। इस मानसिकता के बीच इस देश में 25 करोड़ परिवार हैं। 25 करोड़ परिवार में से सवा सौ करोड़ परिवार गैस सब्सिडी कहने मात्र पर छोड़ दें। मतलब देश की ताकत, देश का मिजाज कैसा है इसका हम अनुभव कर सकते हैं। एक और बात मैं बताना चाहता हूं इसी तरह बीते दिनों रेलवे द्वारा, आपको मालूम हैं जो सीनियर सिटीजन जो रेलवे में यात्रा करते हैं उनको सब्सिडी मिलती है कंसेशन मिलता है। और मैंने भी कभी इसका ऐलान नहीं किया था कि मैं सोच रहा था करूं न करूं लेकिन रेलवे ने अपने फार्म में लिख दिया कि क्‍या आप अपनी सब्सिडी छोड़ने के लिए सहमत हैं। आप जानकर के आश्‍चर्य होगा जी, और हमारे इस देश की ताकत को पहचानना होगा। सिर्फ रेलवे के Reservation के application form में इतना लिखा गया कि क्‍या आप अपना senior citizen का benefit छोड़ना चाहते हो। और मैं गर्व से कह रहा हूं पिछले आठ-नौ महीने के भीतर 42 lacs senior citizen passengers ने अपनी subsidy का benefit नहीं लिया, छोड़ दिया। यानि देश के भीतर क्‍या माहौल बना है। ऐसे ही मैंने एक बार देश के डॉक्‍टरों से आग्रह किया था। मैंने कहा था कि महीने में एक बार 9 तारीख को कोई भी गरीब pregnant women आपके दरवाजे पर आती है आप सेवा भाव से महीने में एक दिन 9 तारीख को उस गरीब मां को समर्पित कर दीजिए। उस गरीब को चेक कीजिए उसको गाइड कीजिए उसको क्‍या करना है और मुझे खुशी है कि हजारों डॉक्‍टर बहुत ही सेवा भाव से आगे आए, उनके अपने अस्‍पताल के बाहर बोर्ड लगा दिया है और 9 तारीख को वहां मुफ्त में सेवा मिलती है ये जानकर के गर्भवती महिलाएं उन डॉक्‍टरों के पास पहुंचती हैं। करोड़ों बहनों को इसका फायदा मिला है। मैं चाहूंगा कि हमारे और डॉक्‍टर मित्र आगे आएं ये ऐसा सेवा का काम है क्‍योंकि हम सबने मिलकर के इन समस्‍याओं के समाधान के लिए देश में दो कदम आगे बढ़ना है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्‍व अभियान के तहत अब तक देश में सवा करोड़ गर्भवती महिलाओं की जांच इन डॉक्‍टरों के द्वारा हुई है, सवा करोड़। मैं इस अभियान में उन मेरे डॉक्‍टरों मित्रों के सहयोग के लिए, हर मेडिकल प्रोफेशन के लिए काम करने वाले, इन सबकी प्रशंसा करता हूं। और मैं चाहूंगा कि इस बात आगे बढ़ाएं। यही सेवा भाव इस समय राष्‍टी्य स्‍वराज अभियान के दौरान किया जा रहा है। हमने भी एक कार्यक्रम किया आपको जरा कुछ चीजें चौबिस घंटे चैनल में नहीं दिखाई देती हैं न अखबार की सुर्खियों में होती है। हमने एक ग्राम स्‍वराज अभियान किया। एक 17 thousand select किए उसके कुछ पैरामीटर थे और 7 काम तय किए उन 7 काम को वहां 100 percent पूरा करना है । उसमें एक टीकाकरण था। इस टीकाकरण के काम को हमनें सफलतापूर्वक 17 thousand villages में पूरा किया। अभी हमनें तय किया है कि 15 अगस्‍त तक 115 जो aspirational districts हमनें बनाए हैं।  जो आज राज्‍य की जो average से है उसके भी पीछे हैं लेकिन ताकतवर हैं। उन 115 districts के अंदर करीब 45 thousand villages हैं जहां देश के करीब ग्रामीण जीवन की 40 प्रतिशत जनसंख्‍या इस जगह पर रहती है। उनके लिए भी 7 ऐसे काम बताए जो हमने 100 प्रतिशत पूरे करने हैं। उसमें भी एक टीकाकरण है। यानि एक प्रकार से हेल्‍थ सेक्‍टर में और देश में टीकाकरण के दायरें को बढ़ाने में अलग-अलग सेक्‍टरों से जुड़े हुए व्‍यक्तियों ने जिस तरह का काम किया है मैं समझता हूं वो भी प्रशंसनीय है। ये आप सभी के प्रयास ही हैं संभव हुआ है कि आज देश के टीकाकरण के बढ़ने की रफ्तार छ: प्रतिशत तक पहुंच गई है। छ: प्रतिशत सुनने के बाद आपको ज्‍यादा लगता नहीं है। छ: प्रतिशत लेकिन पहले एक प्रतिशत भी नहीं होता था। आपकी इस प्रतिबद्धता की वजह से देश संपूर्ण टीकाकरण के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने की और बढ़ रहा है। देश में हर गर्भवती महिला और शिशु को टीकाकरण का संकल्‍प नए भारत के निर्माण में, स्‍वस्‍थ परिवार के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाएगा।

साथियों, स्‍वस्‍थ परिवार से ही स्‍वस्‍थ समाज और स्‍वस्‍थ समाज से ही स्‍वस्‍थ राष्‍ट्र का निर्माण होता है। हम सब पर और विशेषकर आप पर देश को स्‍वस्‍थ रखने की जिम्‍मेवारी है। और इसलिए राष्‍ट्रपति जी भी आपको राष्‍ट्र निर्माण का एक महत्वपूर्ण पैरवी कहते थे। आइए सरकार के साथ मिलकर सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥ इस निरामय जगत के लिए निरामय लोगों के लिए इस संकल्‍प को मन में धारण करते हुए न्‍यू इंडिया को सिद्ध करने के लिए हम सब आगे बढ़े। आज यहां इस आयोजन में जो सुविधाएं दिल्‍ली और देश को मिली हैं उनके लिए एक बार फिर मैं बहुत-बहुत बधाई के साथ विभाग को भी बधाई देता हूं। उन्‍होंने समय-सीमा में इन सारे कामों को पूरा करने का भरसक प्रयास किया है। क्‍योंकि मेरा आग्रह है कि हम उन्‍हीं कामों को हाथों लगाएगें जिसको हम पूरा कर पाएं। वर्ना हमारे देश में हाल ऐसा था कि Parliament के अंदर रेलवे बजट में संसद की पवित्रता, संसद में commitment होता है। मैंने मार्क किया बड़ी-बड़ी ध्‍यान में मेरे आया, करीब-करीब 15 सौ चीजें घोषित की गई थी, अकेले रेलवे ने पिछले तीस, चालीस, पचास साल में, और मैंने जब पूछा कहां है तो कागज पर भी नहीं थी। जमीन पर तो नहीं आई। हम उस रास्‍ते पर जाना नहीं चाहते। हम पत्‍थर जड़ने के लिए नहीं आए जी, हम एक बदलाव का संकल्‍प लेकर के आए हैं और आप सबका साथ मांगने के लिए आए हैं। आपका साथ और सहयोग लेकर के देश की आशा आंकाक्षा को पूर्ण करने का एक संकल्‍प लेकर के चल पड़े हैं। मुझे विश्‍वास है मेरे साथियों आप भी हमें सहयोग देंगे।       

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

 

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