यह जानकर खुशी हुई कि नेपाल सरकार ने नेपाली भाषा में अटल जी की कविताओं का अनुवाद करने का फैसला किया है: प्रधानमंत्री मोदी
पीएम मोदी और प्रधानमंत्री केपी ओली ने काठमांडू में नेपाल-भारत मैत्री पशुपति धर्मशाला का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया
भारत और नेपाल के बीच सांस्‍कृतिक संबंध हैं, सदियों पुराने संबंध हैं: काठमांडू में प्रधानमंत्री
धर्मशाला तीर्थयात्रियों के लिए केवल एक आराम घर नहीं होगा, इससे भारत और नेपाल के बीच संबंध और बढ़ामजबूत होंगे: प्रधानमंत्री मोदी
भारत आज विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है: काठमांडू में पीएम मोदी
‘सबका साथ, सबका विकास’ के जिस मंत्र को ले करके हम काम कर रहे हैं: प्रधानमंत्री

सम्माननीय प्रधानमंत्री ओली जी, संस्‍कृति और पर्यटन मंत्री रविंदर प्रसाद अधिकारी जी, पशुपति Area Development Trust के सदस्‍य डॉ. प्रदीप ढकल जी, यहां उपस्थित अन्‍य सम्माननीय अतिथिगण, दूर-दूर से यहां पधारे भोले बाबा के भक्‍तगण और नेपाल के मेरे प्‍यारे भाईयों और बहनों।

बाबा विश्‍वनाथ की काशी की धरती का एक बेटा आज पशुपतिनाथ के प्रांगण में जुटे आप सबको आदरपूर्वक नमन करता है। आदरणीय ओली जी ने जो कहा कि नेपाली भाषा और हम गुजरात वालों को समझना बड़ा सरल होता है।

भारत और नेपाल की मैत्री, जब अटल जी का स्‍वर्गवास हुआ तो हम जानते हैं कि इस दुख की घड़ी में जब कोई अपना स्‍वजन आप तक पहुंचता है, तो आपके मन को एक बहुत राहत मिलती है। अटल जी के स्‍वर्गवास के कुछ ही पल में कोली जी ने मुझे फोन करके इस दुख की घड़ी में सांत्‍वना दी, यह औपचारिकता नहीं थी। एक अपनेपन का स्‍वाभाविक प्रक‍टीकरण था और अटल जी के प्रति जिस आदर और भाव के साथ विदेश मंत्री स्‍वयं उनकी अंत्‍येष्टि में आए। और आज अटल जी की कविताओं का नेपाली भाषा में अनुवाद करने का नेपाल का निर्णय है। मैं समझता हूं कि किसी भी महापुरूष की स्‍मृति उसके संदेश को हम कैसे संभालते हैं, उसने जो ज्ञान परोसा है उस ज्ञान को हम आगे की पीढि़यों तक कैसे पहुंचाते हैं। उसको हम जीवन में कितना उतार पाते हैं। यह उसकी सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होती है और नेपाल ने अटल जी का यह जो चिंतन था, उनका जो ज्ञान था, जिसको उन्‍होंने कविता में ढाला था। तत्‍कालीन परिस्‍थतियों को देखने का एक नजरिया प्रस्‍तुत किया। उन कविताओं को नेपाल की आने वाली पीढि़यों तक पहुंचाने का जो संकल्‍प किया है, इस उत्‍तम से उत्‍तम श्रद्धांजलि देने के लिए मैं आदरणीय ओली जी का, नेपाल की सरकार का, नेपाल के नागरिकों को अंत:करण पूर्वक आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

हमारे सांस्‍कृतिक संबंध हैं, सदियों पुराने संबंध हैं लेकिन यह निश्चित है कि दुनिया के किसी भी देश के साथ संबंध तब तक मजबूत नहीं होते हैं, तब तक वो दीर्घकालीन नहीं होते हैं, जब तक people to people ताकत नहीं बढ़ती। सिर्फ काठमांडू और नई दि ल्‍ली मिल जाए, सिर्फ काठमांडू और नई दि ल्‍ली की सरकार मिल जाए, इतने से बात बनती नहीं है, जब तक हर नेपाली, हर हिन्‍दुस्‍तानी एक-दूसरे से मिलता-जुलता नहीं है ताकत बनती नहीं है। और आज people to people शक्ति को बढ़ावा देने का उत्तम काम नेपाल-भारत मैत्री का प्रतीक इस धर्मशाला का यहां लोकार्पण हो रहा है।

मेरे प्‍यारे भाईयों और बहनों, जब भी मैं काठमांडू आता हूं तो यहां के लोगों का स्‍नेह और अपनापन मैं बहुत हृदय से feel करता हूं। न सिर्फ मेरे लिए बल्कि भारत के प्रति भी यही आत्‍मीयता नेपाल में नजर आती है। लगभग चार वर्ष पहले मुझे सावन माह के अंतिम सोमवार तक यहां पशुपतिनाथ जी के चरणों में आ करके पूजा का अवसर मिला था। कुछ महीने पहले जब मैं यहां आया था, तो मुझे पशुपतिनाथ, मुक्तिनाथ और जानकी धाम तीनों बड़े तीर्थों पर जाने का सौभाग्‍य मिला। मैं भक्तिभाव से गदगद हूं, क्‍योंकि आज बाबा पशुपतिनाथ ने मुझे फिर एक बार दर्शन दिया है, सीधा उनके चरणों में आने का मुझे सौभाग्‍य मिला है। यह सिर्फ मेरी भावना ही नहीं बल्कि भारत और दुनिया के करोड़ों आध्‍यात्मिक जीवन को स्‍वीकार करने वाले, धार्मिक परंपराओं को स्‍वीकार करने वाले, प्रभु भक्ति में लीन रहने वाले शिव भ‍क्‍तों की इच्‍छा होती है कि जीवन में कम से कम एक बार पशुपतिनाथ के दर्शन करे। भारत और नेपाल के बीच शिव भक्ति और शिव भक्‍तों का सम्बन्ध इतना मजबूत है कि न तो समय का इस पर असर हुआ और न ही दूरी का असर हुआ और न ही कठिन रास्‍तों का असर हुआ। काठमांडू और कन्‍याकुमारी के बीच हजारों किलोमीटर का फासला है, लेकिन करीब डेढ़ हजार वर्ष पहले से ही तमिलनाडु में पशुपतिनाथ की गाथाएं गूंज रही है।

शैव कुरूवर की थेवरम में भगवान पशुपतिनाथ का अहम स्‍थान है, उत्‍तम स्‍थान है। और बाबा पशुपतिनाथ ने सुदूर दक्षिण भारत के अपने अनंत भक्‍तों को पीढ़ी-दर-पीढ़़ी सैकड़ों साल से गणेश और कार्तिक की तरह अपने आप इस मंदिर में स्‍थान दिया है। और इसलिए आज मेरे परम मित्र प्रधानमंत्री ओली जी के साथ मिलकर नेपाल-भारत मैत्री पशुपति धर्मशाला को विश्‍वभर के यात्रियों के लिए, टूरिस्‍टों के लिए, शिव भक्‍तों के लिए समर्पित करते हुए मेरी प्रसन्‍ता की कोई सीमा नहीं है। दुनियाभर से यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सवा सौ करोड़ भारतवासियों की तरफ से पशुपतिनाथ जी के चरणों में यह एक छोटी सी भेंट देने का सौभाग्‍य मुझे मिला है।

साथियों, पशुपतिनाथ, मुक्तिनाथ और जानकी धाम नेपाल की विविधता को एकता में पिरोते हैं साथ ही वे भारत के साथ रिश्‍तों की डोर को भी हर पल नई मजबूती देते हैं। काशी और काठमांडू को बाबा विश्‍वनाथ और पशुपतिनाथ जोड़ते हैं। और मैं सोमनाथ की धरती से निकला हूं। सोमनाथ से विश्‍वनाथ, विश्‍वनाथ से पशुपतिनाथ इसी प्रकार माता सीता और प्रभु श्री राम का रिश्‍ता जनकपुर को अयोध्‍या से तो भगवान जगन्‍नाथ और मुक्तिनाथ मस्तंग को पुरी से जोड़ते हैं। सुंदर बागमती घाटी के बीच में विराजे भगवान पशुपतिनाथ एक तरफ धौलागिरी और अन्‍नपूर्णा और दूसरी तरफ सागरमाथा और कंचन जंगा। यह दुनियाभर के शिव भक्‍तों और पर्यटकों को एक सुंदर और अद्भूत अनुभव देता है। काठामांडू की यह पवित्र धरती हिन्‍दू और बोध आस्‍था की एक प्रकार से संगम स्‍थली है। यह दोनों मत किस प्रकार एक दूसरे के प्रति समावेशी है, इनके मानने वालों के बीच किस प्रकार का मेल-मिलाव है। काठमांडू की गलियों और पगडंडियों से गुजरते हुए अनुभव हर कोई यात्री कर सकता है। हर किसी को अनुभव होता है। भगवान पशुपतिनाथ का यह धाम भी बहुत आस्‍था के अनेक केंद्रों से घिरा हुआ है। बुद्ध भिक्षुओं के कण से गुत्था और अभी प्रदीप जी बता रहे थे - ओम मणि पद्मे हम - और शिव भक्‍तों के मुख से ओम नम: शिवाय का जाप कब एकाकार हो जाते हैं पता तक नहीं चलता। यह परंपरा भी नेपाल और भारत के बीच रिश्‍तों की एक म‍हत्‍वपूर्ण कड़ी है। नेपाल के लुम्बिनी ने दुनिया को गौतम दिये, तो भारत के बौद्धगया ने बुद्ध दिये हैं। गौतम बुद्ध का दिखाया रास्‍ता आज अतिवाद और आतंकवाद जैसी दुनिया की अनेक समस्‍याओं को हल करने का प्रेरणास्रोत है।

साथियों, भारत और नेपाल के बीच आस्‍था, अस्मिता और अपनेपन की ऐतिहासिक साझेदारी है। यह हमारी अटूट शक्ति है, अनमोल खजाना है, अनमोल विरासत है। हजारों वर्षों का हमारा गौरवपूर्ण इतिहास, वसुधैव कुटुम्बकम् के प्रति हमारी निष्‍ठा वो मूल्‍य है जो हम दोनों देशों को दुनिया की अनेक सभ्‍यताओं से अलग करते हैं। अभी ओली जी बता रहे थे - सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः। हर किसी के कल्‍याण की कामना, सिर्फ अपनों की नहीं, सर्वे भवन्तु सुखिनः। यह दोनों देशों की मूल धारणा है। और इसी समृधि से निकला आत्‍मविश्‍वास ही विश्‍व में हमारा स्‍थान सुनिश्चित करेगा। दोनों देशों का भविष्‍य इसी भावना से तय होगा। आज जो भी हम हासिल कर पा रहे हैं वो तभी सार्थक होगा, जब सबका विकास होगा, विशेषतौर पर उसका जो व‍ंचित है, पीडि़त है, शोषित है। आज भारत आर्थिक विकास की नई ऊंचाईयों को छू रहा है। Reform, perform, transform के रास्‍ते पर चलते हुए विकास के आसमान पर इसे धुव्र तारे की तरह आज चमक रहा है। 'सबका साथ, सबका विकास' के जिस मंत्र को ले करके हम काम कर रहे हैं, उसमें हमारे नेपाली भाईयों और बहनों का भी उतना ही स्‍थान है, 'सबका साथ सबका विकास' की बात जब करते हैं तो यह सबके लिए हैं। पड़ोसियों के काम आना और सुख समृधि के लिए साथ चलना हमारी पंरपरा का हिस्‍सा रहा है, उसी के अनुरूप बाबा पशुपतिनाथ से आशीर्वाद दोनों देशों का यही रिश्‍ता भी आगे बढ़ रहा है।

साथियों हर हिन्‍दुस्‍तानी को यह देखकर प्रसन्‍नता होती है कि नेपाल में आज राजनीतिक स्थिरता है। इसी का परिणाम है कि प्रगतिपथ पर नेपाल ने अपनी गति तेज की है। मैं यहां मौजूद नेपाल के प्रधानमंत्री जी को, नेपाल के जन-जन को विश्‍वास दिलाना चाहता हूं कि आप सभी के जीवन को मंगल बनाने के लिए एक विश्‍वास पात्र मित्र के रूप में भारत की सद्भावना और सहयोग हमेशा, हमेशा, हमेशा आपके साथ है। बाब पशुपतिनाथ का आशीष सदा इस भूमि पर बना रहे और नेपाल-भारत मैत्री पर उनकी कृपा दृष्टि रहे, यही मेरी प्रार्थना है। आस्‍था, सभ्‍यता और संस्‍कृति की यह निर्बाध गति भारत और नेपाल के करोड़ों जनों के जीवन को समृद्ध करती रही है। इसी कामना के साथ भारत-नेपाल मैत्री धर्मशाला, और मैं मानता हूं कि यह तो इमारत नहीं है सिर्फ वहां कोई एक मुसाफिर आएगा, कोई यात्री आएगा, वो वहां रुकेगा तो वो सिर्फ ठहरने की जगह मात्र नहीं है। हर पल भारत-नेपाल मैत्री के शर्मभाव उसके मनमंदिर में गूंजते रहेंगे और अपने घर में लौटेगा तब भी वो भारत-नेपाल मैत्री के चिरंजीव भाव अपने मन में ले करके चला जाएगा। यह अपने आप में प्रतीक होते हैं, व्‍यवस्‍थाएं भले हो, लेकिन वो एक जीवन शक्ति देते हैं और यह धर्मशाला वो प्रतीक है, जो हमें एक शक्ति देता है। यह व्‍यवस्‍था सिर्फ राहदारी के लिए यात्री के लिए टूरिस्‍ट के लिए रात भर बिताने की जगह है इतना नहीं है। यह नेपाल के टूरिज्‍म को बल देता है। यह व्‍यवस्‍थाएं नेपाल में आने वाले टूरिस्‍टों के लिए एक अतिरिक्‍त जगह का अवसर देता है। सामान्‍य आय वाला व्‍यक्ति भी ऐसी व्‍यवस्‍थाओं का लाभ ले जाता है, तब यह इमारत सिर्फ इमारत नहीं रहती है, सोने-बैठने की सिर्फ जगह नहीं बन जाती हैं, लेकिन यह एक ईकाई नेपाल की टूरिज्‍म से जुड़ी हुई आर्थिक गतिविधि को एक नई ऊर्जा देती है, नई ताकत देती है, नई शक्ति देती है। और टूरिज्‍म एक ऐसा क्षेत्र है, जहां कम से कम पूंजी निवेश से अधिकतम लोगों को रोजगार देने की संभावना है और जब ऐसी व्‍यवस्‍थाएं सामान्‍य जन के लिए उपलब्‍ध होती है, तो टूरिस्‍टों को भी आने का मन करता है, उनको भी यहां रूकने का मन करता है और जब टूरिस्‍ट रूकता है तो जरूर कुछ न कुछ दे करके जाता है।

मुझे विश्‍वास है कि यह नेपाल-भारत मैत्री पशुपतिनाथ धर्मशाला, यह सिर्फ इमारत के रूप में नहीं, एक राहदारी के रूकने की जगह के रूप में नहीं, लेकिन एक मैत्री का स्‍तंभ, एक मैत्री, एक ऐसी आर्थिक व्‍यवस्‍था को गति देने वाली ऊर्जा का केंद्र बनेगा इसी एक पूरे भरोसे के साथ मैं फिर एक बार आदरणीय प्रधानमंत्री जी का हृदय से आभार व्‍यक्‍त करता हूं, क्‍योंकि बिम्‍सटेक इतना बड़ा महत्‍वपूर्ण event था और वो भी एक उत्‍तम तरीके से आज काठमांडू की धरती से दुनिया को संदेश गया है। विश्‍व की 22 प्रतिशत जनसंख्‍या का प्रतिनिधित्‍व करने वाली बिम्‍सटेक की summit नेपाल की धरती हो, पशुपतिनाथ भगवान के चरणों में हो, तो यहां से किए गए संकल्‍प सिद्ध हुए बिना रहते नहीं है। और इसलिए मुझे विश्‍वास है कि ओली जी के नेतृत्‍व में काठमांडू की धरती से हिमालय की गोद से निकले हुए संकल्‍प इस पूरे भू-भाग को और उस पूरे क्षेत्र को सुख और शांति की दिशा में गति देने के लिए एक बहुत बड़ी निर्णायक भूमिका अदा करेंगे और इस महत्‍वपूर्ण काम को आदरणीय ओली जी ने निभाया है, इसके लिए भी वे साधुवाद के पात्र है, अभिनंदन के अधिकारी हैं और इसलिए मैं उनको भी बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उनका बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। मैं फिर एक बार इस समारोह के लिए आपने समय निकाला और हमें साथ-साथ मिल करके हमें आज एक नजराना देने का सौभाग्‍य मिला, हिन्‍दुस्‍तान में भी इस व्‍यवस्‍था के साथ लोग खुश होंगे, नेपाल के लोग भी इस व्‍यवस्‍था से खुश होंगे और इस व्‍यवस्‍था से एक नई आर्थिक गति देने का अवसर भी एक पैदा होगा, इसी एक भावना के साथ मैं फिर एक बार भगवान पशुपतिनाथ के चरणों में अपना सिर झुका करके, प्रणाम करते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।