रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण जी, राज्य रक्षा मंत्री श्री सुभाष भामरे जी, देश के कोने-कोने से आए आप सभी को आपके प्रधान सेवक का प्रणाम।
आप सभी भूतपूर्व नहीं, अभूतपूर्व हैं क्योंकि आप जैसे लाखों सैनिकों के शौर्य समर्पण के कारण आज हमारी सेना दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में आपने अपने शौर्य और समर्पण से जो परम्परा स्थापित की है, वह परम्परा अतुलनीय है। देश पर संकट चाहे दुश्मनों के कारण आया हो या फिर प्रकृति के कारण आया हो; हमारे सैनिक ने हमेशा पहला वार अपने ऊपर लिया है। चुनौती को सबसे पहले कबूल किया है और उसका सबसे असरदार जवाब भी दिया है। जब लता दीदी ने यहां पर ए मेरे वतन के लोगो गीत को स्वर दिए थे तो देश के करोड़ों लोगों की आंखें नम हो गई थीं।
साथियो, इस ऐतिहासिक स्थान पर मैं पुलवामा में शहीद हुए वीर सपूतों की रक्षा में सर्वस्व न्योछावर करने वाले हर बलिदानी को नमन करता हूं। मैं राष्ट्र के सभी मोर्चों पर मुश्किल परिस्थितियों में डटे हर वीर-वीरांगना को आज इस अवसर पर नमन करता हूं।
साथियो, नया हिन्दुस्तान, नया भारत आज नई रीति और नई नीति से आगे बढ़ रहा है। मजबूती के साथ विश्व पटल पर अपनी भूमिका तय कर रहा है तो उसमें एक बहुत बड़ा योगदान आपके शौर्य, अनुशासन और समर्पण का है। आज मुझे बहुत संतोष है कि थोड़ी देर बाद आपका और देश का दशकों लंबा इंतजार खत्म होने वाला है। आजादी के सात दशक बाद मां भारती के लिए बलिदान देने वालों की याद में निर्मित राष्ट्रीय समर स्मारक उन्हें समर्पित किया जाने वाला है। इस स्मारक में हजारों शहीदों के नाम अंकित हैं, जो देश की वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्र सेवा और राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित करते रहेंगे।
साथियो, राष्ट्रीय समर स्मारक की मांग कई दशक से निरंतर हो रही थी। बीते दशकों में एक-दो बार प्रयास हुए, लेकिन कुछ ठोस नहीं हो पाया। आपके आशीर्वाद से साल 2014 में हमने राष्ट्रीय समर स्मारक बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू की और आज तय समय से पहले इसका लोकार्पण भी होने वाला है। आप सभी ने राष्ट्र के लिए एक अद्भुत स्मृति का सृजन किया है।
साथियो, ये स्मारक इस बात का भी प्रतीक है कि संकल्प लेकर उसे सिद्ध कैसे किया जाता है। ऐसा ही एक संकल्प मैंने आपके सामने किया था One Rank One Pension को ले करके। पहले की सरकारों के समय आपको कितना संघर्ष करना पड़ा, कितने आंदोलन करने पड़े; इसका देश साक्षी रहा है। अब देश और आप सभी इस बात के भी साक्षी हैं कि वन रैंक वन पेंशन न सिर्फ लागू हो चुका है, बल्कि अब तक 35 हजार करोड़ रुपये हमारी सरकार द्वारा वितरित किए जा चुके हैं। सरकार का पेंशन बजट, जो पहले 44 हजार करोड़ रुपये था, अब वो बढ़ करके एक लाख 12 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है। सोचिए, एक वो भी सरकार थी कि सिर्फ 500 करोड़ रुपये में वन रैंक, वन पेंशन लागू हो जाएगा।
साथियो OROP के लागू होने से आप सभी की पेंशन में 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इतना ही नहीं, मौजूदा सैनिकों की salary में भी 2014 की तुलना में करीब 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके अलावा आप सभी पूर्व सैनिकों से जुड़ी दूसरी सुविधाओं का भी सरकार द्वारा ध्यान रखा जा रहा है। आपको पेंशन से जुड़ी शिकायतों के लिए दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़ें, इसके लिए एक ऑनलाइन सिस्टम बनाने पर काम चल रहा है। इसी प्रकार हमारी सरकार ने ये प्रावधान किया है कि जो सैनिक Line of control या अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर दुश्मनों से लोहा लेने के लिए तैनात रहते हैं, उनको अगर हादसे से, बाढ़ या तूफान या भूस्खलन जैसी अनेक प्राकृतिक आपदाओं में अगर चोट लगती है या शहादत मिलती है तो वह सैनिक या उनका परिवार भी पेंशन का हकदार होगा।
बहुत लम्बे समय से आपकी मांग थी कि आपके लिए super specialty अस्पताल बनाए जाएं। आज इस ऐतिहासिक अवसर पर मुझे आपको ये बताने का सौभाग्य मिला है कि एक नहीं बल्कि हम ऐसे तीन super specialty अस्पताल बनाने जा रहे हैं।
साथियो, जब देश का सैनिक सशक्त होता है तो सेना भी सशक्त होती है। देश की सेना का मनोबल देश की सुरक्षा तय करता है और इसलिए हमारे सभी प्रयासों में हमारी सोच और हमारी approach का केन्द्र बिन्दुहैं हमारे सैनिक, हमारे फौजी भाई। इसी सोच और approach के कारण पहली बार 57 हजार से अधिक non combatant पदों कोcombatant पदों में बदला गया है। इसी सोच के कारण सैनिक की क्षमता बढ़ाने के लिए उन पर डेरी-फॉर्म जैसे काम के बोझ को भी हटाया जा रहा है। और इसी सोच के कारण जब भी Army-day, Navy-day, Air force-day आदि मनाए जाते हैं तो उस कार्यक्रम का एक अभिन्न अंग होता है हमारे सैनिकों द्वारा की गई innovations का प्रोत्साहन। सैनिकों का सम्मान हो, उनके शौर्य और अदम्य साहस के बारे में देश के बच्चे-बच्चे को जानकारी हो, इसी सोच के साथ हमने 15 अगस्त, 2017 को Gallantry Awards का Portal भी लॉन्च किया।
देश की सुरक्षा में समाज के सभी वर्गों की भागीदारी आवश्यक है और स्वाभाविक रूप से होनी भी चाहिए। इसी सोच के साथ पहली बार महिलाओं को fighter pilots बनाने का अवसर मिला है। सेना में भी बेटियों की भागीदारी को और मजबूत करने के लिए भी निरन्तर फैसले लिए जा रहे हैं। मिलिट्री पुलिस की total core में 20 पर्सेंट तक महिलाओं की भर्ती के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। Short Service Commission के माध्यम से नियुक्त महिला अधिकारियों को भी उनके पुरुष समकक्ष अधिकारियों की तरह स्थाई कमीशन देने का फैसला लिया गया है।
साथियो, देश की सेना को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी हम लगातार काम कर रहे हैं। जिन फैसलों को कभी नामुमकिन समझा जाता था, उन्हें हम मुमकिन बना रहे हैं। हमने रक्षा उत्पादन के पूरे Ecosystem में बदलाव की शुरूआत की है।लाइसेसिंग प्रक्रिया से export की प्रक्रिया तक, हम पूरे सिस्टम में पारदर्शिता और level playing field ला रहे हैं। रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए भी हमने कदम उठाए हैं। अब forty nine percent तक एफडीआई automatic रूप से किया जा सकता है और कुछ क्षेत्रों में 100 percent FDI का भी प्रावधान किया गया है।
Defense Procurement Procedure यानि रक्षा सामानों की खरीद में भी हमने बड़े बदलाव किए हैं। इसमें मेक इन इंडिया को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हमारा प्राइवेट सेक्टर जिसे रक्षा उत्पादन में एंट्री करने में भी हिचकिचाहट होती थी, 2014 के मुकाबले अब तीन गुना ज्यादा निजी कम्पनियां डिफेंस सेक्टर के प्रॉडक्ट्स बना रही हैं।हम Defense Procurement प्रक्रिया को निश्चित समय में भी पूरा करने के लिए प्रयासरत हैं। इसके लिए रक्षा मंत्रालय और सर्विस हेड क्वाटर्स की financial powers, उनके वित्तीय अधिकार में बढ़ोत्तरी भी की गई है। और ये पहली बार हुआ है कि हमारे ordinance factory board के आयुध कारखानों को 250 से अधिक none core item के भार से भी हमने मुक्ति दे दी है। अब हमारी सेनाएं बिना किसी NOC यानि No Objection Certificate के इन items को निजी क्षेत्र से खरीद सकती हैं।
साथियो, भारतीय सेना की शक्ति को आज वैश्विक पटल पर सम्मान भी दिया जा रहा है। एक ऐसी सेना जो शांति की स्थापना के लिए हथियार उठाती है। भारत वो देश है, जिसने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के निमित्त 70 में से 50 बड़े मिशनों में अपने दो लाख से ज्यादा सैनिक भेजे हैं। भारत वो देश है, जिसके सबसे ज्यादा सैनिक इन शांति अभियानों में शहीद हुए हैं।
भाइयो और बहनों, ये हम सभी के लिए गौरव की बात है कि आज हमारे प्रयासों में दुनिया के बड़े-बड़े देश हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहते हैं। यही कारण है कि 2016 में हमारेinternational fleet review में 50 देशों की नौ-सेनाओं ने हिस्सा लिया था।यही कारण है कि एक के बाद एक देश हमारे साथ रक्षा सहयोग के समझौते करना चाहते हैं। यही कारण है कि हमारी सेनाएं मित्र देशों की सेनाओं के साथ हर साल औसतन 10 बड़ी Joint Exercise कर रही हैं।
साथियो, हमारे वैश्विक विजन की वजह ही आज विश्व में भारत की सेनाओं का एक अलग सम्मान है। आज यदि हिन्द महासागर से piracy करीब-करीब समाप्त हो गई है तो उसका बहुत बड़ा श्रेय भारतीय सैन्य शक्ति और उसकी अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों को जाता है।हमारी सरकार की इन कोशिशों के बीच आपको पहले क्या हो रहा था, कैसे हो रहा था, इसकी भी जानकारी आवश्यक है। आपमें से बहुत से लोग इससे परिचित होंगे, लेकिन मैं आज इस अवसर पर देश के सामने फिर कुछ जानकारियां दोहराना चाहता हूं। ये जानकारियां आज की नई पीढ़ी को भी जानना जरूरी हैं।खुद को भारत का भाग्य-विधाता समझने वाले लोगों ने देश के वीर बेटे-बेटियों के साथ अन्याय करने के साथ ही सैनिकों और राष्ट्र की सुरक्षा से भी खिलवाड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
साथियो, साल 2009 में सेना ने 1 लाख 86 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट की मांग की थी। बिना bullet proof jacket के हमारा जवान दुश्मनों की सेना की गोलियों और आतंकियों की छापामार कार्रवाई का सामना कर रहा था। अपनी जान की बाजी लगाकर आतंकियों के साथ खतरनाक encounter कर रहा था।
साथियो, 2009 से लेकर 2014 तक पांच साल बीत गए, लेकिन सेना के लिए bullet proof jacket नहीं खरीदी गई। ये हमारी ही सरकार है जिसने बीते साढ़े चार वर्षों में दो लाख 30 हजार से ज्यादाbullet proof jackets खरीदे हैं। अब आप बताइए हमारे जवानों को सुरक्षा कवच से वंचित रखने का पाप किया गया कि नहीं किया गया? ये पाप, ये कलंक किसके माथे पर है?
साथियो, जवानों के साथ देश की सुरक्षा के साथ भी ऐसी ही आपराधिक लापरवाही बरती गई है। पहले सरकार चलाने वालों कर रवैया सेना को लेकर कैसे रहा, ये मुझसे ज्यादा आप जानते हैं। सेना और देश की सुरक्षा को उन लोगों ने अपनी कमाई का साधन बना लिया था। शायद शहीदों को याद करके उन्हें कुछ मिल नहीं सकता था, इसलिए उन्हें भुलाना ही उन्हें आसान लगा।
साथियो, बोफोर्स से लेकर हेलीकॉप्टर तक, सारी जांच का एक ही परिवार तक पहुंचना बहुत कुछ कह जाता है। अब यही लोग पूरी ताकत लगा रहे हैं कि भारत में राफेल विमान आ ही न सके।
साथियो, अगले कुछ महीनों में जब देश का पहला राफेल भारत के आसमान में उड़ान भरेगा तो खुद ही इनका सारी कोशिशों को, साजिशों को ध्वस्त कर देगा।
साथियो, देश की सेना को मजबूत करने के लिए हमारी सरकार उसे अत्याधुनिक एयरक्रॉफ्ट, हेलीकॉप्टर, पनडुबिब्यां, जहाज और अन्य हथियार से युक्त कर रही है। राष्ट्रहित को नजर अदांज करते हुए जो फैसले कई दशकों से रुके हुए थे, उन्हें अब एक के बाद एक priority के आधार पर लिया जा रहा है। सेना के लिएअत्याधुनिक राइफलों को खरीदने और भारत में बनाने का काम भी हमारी सरकार ने ही शुरू किया है। हाल ही में सरकार ने 72 हजार आधुनिक राइफलों के खरीदने का ऑर्डर दिया है। साथ ही हमारी सरकार ने 25 हजार करोड़ रुपये का ammunition यानी गोला-बारूद और गोलिया मिशन-मोड में खरीदी हैं।
साथियो, सेना को मजबूत करने की बात हो या फिर शहीदों को सम्मान, कुछ लोगों के लिए देश से भी बड़ा अपना परिवार है, परिवार के हित हैं। आज देश को राष्ट्रीय समर स्मारक मिलने जा रहा है लेकिन राष्ट्रीय पुलिस मेमोरियल की भी तो यही कहानी थी। इस मेमोरियल को बनाने और राष्ट्र को समर्पित करने का सौभाग्य भी हमारी ही सरकार को मिला। करीब ढाई दशक पहले इस स्मारक की फाइल चली थी, बीच में अटलजी की सरकार के समय बात आगे बढ़ी, लेकिन उनकी सरकार के जाने के बाद स्थिति फिर से जस की तस हो गई।
साथियो, आज देश का हर फौजी, हर नागरिक ये सवाल पूछ रहा है कि आखिर शहीदों के साथ, हमारे नाविकों के साथ ये बर्ताव क्यों किया गया? देशवासियों के साथ, शहीदों के परिवारों के साथ, देश के लिए खुद को समर्पित करने वाले महानायकों के साथ इस तरह का अन्याय क्यों किया गया? आखिर वो कौन सी वजह थी जिसकी वजह से किसी का ध्यान शहीदों के लिए स्मारक पर नहीं गया?
भाइयो और बहनों, India first या family first? इंडिया फर्स्ट और फैमिली फर्स्ट का जो अंतर है, वही इसका जवाब है। स्कूल से लेकर अस्पताल तक, हाइवे से लेकर एयरपोर्ट तक, स्टेडियम से लेकर अवॉर्ड तक, हम देखते आ रहे थे- हर जगह एक ही परिवार का नाम जुड़ा रहता था। एक ही परिवार के गुणगान का परिणाम, उसका दुष्परिणाम ये निकला कि इनकी सरकारों में भारतीय इतिहास, भारत की महानता या फिर भारत की परम्परा को कभी महत्व मिला ही नहीं। इसलिए सरकार में आने के बाद हम स्थिति को बदलने में हर तरह से जुट गए। आज सरदार पटेल हों या बाबा साहेब अम्बेडकर हों या फिर नेताजी सुभाषचंद्र बोस हों, हमारे राष्ट्र पुरुषों को राष्ट्र के गौरव के साथ न्यू इंडिया की आत्मा, उसकी पहचान के साथ जोड़ा गया है
साथियो, मेरा ये भी स्पष्ट मानना है और ये मैं दिल से बताता हूं- मेरा स्पष्ट मानना है कि मोदी महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि इस देश की सभ्यता, संस्कृति और इतिहास सबसे ऊपर है। मोदी याद रहे न रहे, परंतु इस देश के करोड़ों लोगों के हितार्थ तपस्या, समर्पण, वीरता और उनकी शौर्य गाथा अजर-अमर रहनी ही चाहिए।
साथियो, पूर्व सैनिकों और शहीदों के परिवारों का जीवन आसान बनाने के लिए अनेक कदम बीते साढ़े चार वर्ष में उठाए हैं। आने वाले समय में अनेक और फैसले लिए जाएंगे। अब एक मजबूत सरकार आपके सामने है, जिसे नामुमकिन को मुमकिन बनाना आता है। राष्ट्र के मान के लिए, वीर-वीरांगनाओं के सम्मान के लिए, आपके लिए, आपके परिवार के लिए, आपका ये प्रधान सेवक हमेशा राष्ट्र हित को सर्वोपरि रखते हुए ही फैसले लेगा। देश की सुरक्षा, देश की प्रगति, देश का विकास, मेरे लिए ये लक्ष्य इतने पवित्र हैं कि मैं हर मुश्किल, हर साजिश, मेरी राह में आए हर रोड़े से लड़ने के लिए तैयार हूं।
एक बार फिर राष्ट्रीय समर स्मारक के लिए देश के हर सैनिक, शहीदों के परिवार और सभी देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और मैं देश के लिए जीवन लगा देने वाले, जिंदगी खपा देने वाले, जिए भी तो देश के लिए- मरे तो भी देश के लिए, जिए तो भी तिरंगे के लिए- मरे तो भी तिरंगा ओढ़ करके; ऐसे हर किसी को मैं आज नमन करता हूं, प्रणाम करता हूं और मेरी बात को समाप्त करते हुए आपसे आह्वान करता हूं- आइए मेरे साथ बोलिए-
भारत माता की – जय
भारत माता की – जय
भारत माता की – जय
वंदे – मातरम
वंदे – मातरम
वंदे – मातरम