सुबह फैसला आया और शाम होते-होते देश के लोगों ने सारी आशंकाओं को गलत साबित कर दिया, इसके पीछे का भाव क्या था - Better Tomorrow: प्रधानमंत्री
शोभना भरतिया जी, हिंदुस्तान टाइम्स परिवार के सभी स्वजन देश और विदेश से यहां उपस्थित देवियों और सज्जनों, किसी भी देश को दिशा देने में, किसी समाज या व्यक्ति को नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने में Conversations-संवाद का बहुत महत्व होता है।आज के ये Conversations ही Better Tomorrow की बुनियाद बनते हैं।आज ही हमारे संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉक्टर भीम राव आंबेडकर जी की पुण्यतिथि भी है।
मैं उन्हें देशवासियों की तरफ से श्रद्धांजलि देता हूं, नमन करता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि बाबा साहेब ने जिस Better Tomorrow का सपना देखा था, उसे हमें पूरा करने की शक्ति दें, हमें समर्थ बनाए।
साथियों,
भविष्य में हम जिस दिशा में जाना चाहते हैं, उसमें सबसे बड़ी भूमिका आज की है, हमारे वर्तमान की है और अभी शोभना जी ने एक सवाल रखा कि आप सबको बताइये कि आप कैसे चुनाव जीते, देश की जनता ने जिताया इसलिए जीत गए और देश की जनता ने क्यों जिताया क्योंकि सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास इस मंत्र से काम किया इसलिए जिताया और कई लोगों के ना चाहते हुए भी हुआ। खैर Better Tomorrow के लिए हमारी सरकार, वर्तमान की चुनौतियों पर, समस्याओं पर काम कर रही हैऔर ये चुनौतियां, आज पैदा हुई, ऐसा नहीं हैं। ये दशकों से चली आ रही हैं।
साथियों,
आर्टिकल 370 को हटाने का फैसला राजनीतिक तौर पर मुश्किल भले लगता हो, लेकिन इसने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के विकास की और उनके भीतर एक नई उम्मीद जगाई है, मुस्लिम बहनों को तीन तलाक के दंश से मुक्ति मिलने से, देश के लाखों परिवारों को Better Future का एहसास मिला है।
पड़ोसी देशों से आए सैकड़ों परिवार, जिनके साथ उन देशों में अत्याचार हुआ, जिनकी मां भारती में आस्था थी, जब उनकी नागरिकता का रास्ता खुलेगा, तो इससे भी उनका Better Future ही सुनिश्चित होगा। दिल्ली की अनाधिकृत कॉलोनियों को लेकर जो फैसला हुआ है, उसने भी यहां के 40 लाख लोगों के बेहतर भविष्य का रास्ता पक्का किया है। ऐसे अनेक फैसले हैं, जो Past की legacy है, लेकिन New India के लिए, Better Tomorrow के लिए उनको टाला नहीं जा सकता।
इसी तरह राम जन्मभूमि विवाद का शांतिपूर्ण समाधान, सिर्फ एक विवाद का हल नहीं है, बल्कि भारत के Better Future का एक बड़ा कारक भी है।
और साथियों, हमें याद रखना होगा कि राम जन्मभूमि का फैसला आने से पहले न जाने क्या-क्या आशंकाएं जताई जा रहीं थी। सुबह फैसला आया और शाम होते-होते देश के लोगों ने सारी आशंकाओं को गलत साबित कर दिया। इसके पीछे का भाव क्या था- Better Tomorrow. समाज अब बीती बातों की उलझनों में नहीं रहना चाहता, देश भविष्य की ओर देख रहा है। देश के बेहतर भविष्य के लिए, जन-मन में आए इस बहुत बड़े परिवर्तन को हम कम नहीं आंक सकते।
भाइयों और बहनों,
समस्याओं को, चुनौतियों को पालते हुए-पोसते हुए Better Tomorrow की कल्पना नहीं की जा सकती और हमारी सरकार की Approach क्या है, अगर मैं सहज भाव से आपको एक उदाहरण देकर बताना चाहूं जैसे अगर मैं आप ही को दायरे में बात करूं ऐसा सिर्फ Hindustan times को ही पूछ रहा हूं ऐसा नही, लेकिन मैं आपकी दुनिया से पूछ रहा हूं, क्या कभी ऐसा होता है कि अगर editorial page के लिए कॉलम नहीं आ पाए तो आप लोग कहते हैं कि क्या हुआ, कल तो छपा था तो आज blank छोड़ देते हैं?
कभी ऐसा हुआ क्या? नही हुआ
या कभी ऐसा हुआ हो कि अख़बार के आखिरी पेज के लिए कोई खबर ही नहीं बची और उसे blank छोड़ दिया गया हो? ये सोच लिया गया हो कि पहले page से जब रीडर पढ़ना शुरू करता है तो आगे पहुंचते-पहुंचते थक जाएगा वो कहां देखने वाला है छोड़ तो आज last page खाली रखो। मुझे पूरा पता है कि आप लोगों ने Hindustan times के इतिहास में या किसी भी अखबार ने अपने इतिहास में ऐसा कभी नही किया होगा। अख़बार का हर page उत्तम से उत्तम बने, इसके लिए आपके रिपोर्टर्स, आपके न्यूजरूम के लोग जान लगा देते हैं।
लेकिन साथियों, आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि हमारे यहां तो सरकारों ने देश के एक बहुत बड़े हिस्से को ही blank छोड़ दिया था। देश के ये वो जिले थे जो सबसे पिछड़े थे, लगभग हर पैरामीटर पर सबसे पिछड़े।
माता मृत्यु दर सबसे ज्यादा कहां? इन्हीं जिलों में।
नवजात शिशुओं की सबसे ज्यादा मृत्यु कहां पर ? इन्हीं जिलों में।
कुपोषण की सबसे ज्यादा समस्या कहां? इन्हीं जिलों में।
टीकाकरण से सबसे ज्यादा छूटे हुए बच्चे कहां? इन्हीं जिलों में।
पानी का, बिजली का, सड़कों का सबसे ज्यादा संकट कहां? इन्हीं जिलों में।
अब Contrast देखिए- विरोधाभास देखिए।
पहले की सरकारों का सबसे कम जोर किन जिलों में था?- इन्हीं जिलों में।
सरकार के मंत्रियों की सबसे कम बैठकें किन जिलों में हुई?- इन्हीं जिलों में हुई।
सरकार के सबसे कमजोर अफसरों की पोस्टिंग कहां हुई?- इन्हीं जिलों में हुई।
सरकार की मॉनीटरिंग से सबसे दूर कौन रहा?- यही जिले रहे। यानि विकास की दौड़ में आखिरी पेज पर रहने वाले इन जिलों को blank छोड़ दिया गया था, अपने नसीब पर, अपने हाल पर छोड़ दिया गया था।
साथियों
आज जब हम Better Tomorrow की बात कर रहे हैं तो मैं आपको ये भी बताना चाहूंगा कि इन जिलों में 5-10 लाख नहीं, देश के 15 करोड़ अत्यंत गरीब लोग रहते हैं। ये लोग मुख्यतया आदिवासी हैं, जनजातीय हैं, दलित हैं, पिछड़े हैं।
क्या Better Tomorrow के लिए इनके सपने कोई मायने नहीं रखते थे? क्या इन जिलों के गरीबों को, अपने उज्जवल भविष्य का सपना देखने का अधिकार नहीं था?
मैं इस सभाग्रह में बैठे लोगों से पूछना चाहता हूं- आपने मामित का नाम सुना है क्या? नामसाई का नाम सुना है क्या ?किफिरे का नाम सुना है क्या? आप में से किसी ने नहीं सुना होगा और शायद कभी एक आद बार किसी ने सुन लिया हो। ये क्या है ये हमारे ही देश के जिलों के नाम हैं।
लेकिन कालाहांडी का नाम तो आप जानते होंगे? गुमला तो आपको पता होगा सुना होगा, बेगूसराय तो आपने सुना होगा? गढ़चिरौली-बस्तर तो आपने सुना होगा?
भाइयों और बहनों,
ऐसे 112 जिलों यानि हिंदुस्तान के करीब 700 जिले देखें, 112 जिलों को अब हमारी सरकार Aspirational Districts की तरह विकसित कर रही है। डवलपमेंट के हर पैरामीटर पर, गवर्नेंस के हर पैरामीटर पर अब पूरा फोकस करके हम इन जिलों में काम कर रहे हैं।
चाहे वो कुपोषण हो, माता और शिशु मृत्यु दर हो, बैकिंग सुविधा हो, बीमा सुरक्षा हो, बिजली कनेक्शन हो, शिक्षा व्यवस्था हो, स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाएं हों, हम तमाम पैरामीटर्स पर लगातार real time monitoring कर रहे हैं।
सैकड़ों अफसरों को विशेष तौर पर इन Aspirational Districts के विकास के लिए लगाया गया है। आमतौर पर सरकारी मुलाज़िमों के प्रति नफरत का भाव उनके प्रति देखने का negative temperament एक लंबे काल से बना हुआ है। लेकिन आपको जानकर खुशी हुई कि दिल्ली में air condition कमरों में बैठने वाले सैंकड़ों अफसर इन दिनों लगातार महीने में दो बार-तीन बार उन दूर-दराज के districts में जाकर के बैठते है, दो-दो, तीन-तीन दिन वहां रहते हैं उस टीम के साथ बैठकर के, रणनीति बनाकर के implement कर-कर के चीजों को बदलने के लिए खुद कोशिश कर रहे हैं। भारत सरकार के केंद्रीय दफ्तर के सैंकड़ों मुलाज़िमों का हिंदुस्तान के दूर-दराज के इलाकों में दो-दो दिन travelling करना पड़ता है। जा रहे हैं एक better tomorrow की तो गारंटी है। और आज मैं हिंदुस्तान टाइम्स के मंच से कह रहा हूं।भारत के ओवरऑल डवलपमेंट पैरामीटर्स को सुधारने के लिए सबसे बड़ा Push इन्हीं 112 Aspiration Districts से मिलेगा। जब यहां के लोगों का भविष्य सुधरेगा तो भारत का भविष्य अपने आप सुधरेगा।
साथियों,
हम पेज छोड़ने वालों में से नहीं, हम नया अध्याय लिखने वालों में से हैं।
हम देश के सामर्थ्य, देश के संसाधन और देश के सपनों पर भरोसा करने वालों में से हैं। हम पूरी निष्ठा के साथ, पूरी ईमानदारी के साथ, देशवासियों के बेहतर भविष्य के लिए, देश में उपलब्ध हर संसाधन का उपयोग करने का प्रयास कर रहे हैं। हम देश को Politics of Promises के बजाय Politics of Performance की तरफ ले जा रहे हैं।
चुनाव है तो नई रेल लाइन का ऐलान कर दो, चुनाव है तो नए हाईवे का ऐलान कर दो, चुनाव है तो कर्जमाफी का सपना दिखा दो, चुनाव है तो गरीबी हटाओ का नारा उछाल दो।ये देश बहुत देख चुका है।
साथियों,
पहले की सरकारों के समय हमारे यहां सैकड़ों ऐसी नई ट्रेनों का ऐलान किया गया और parliament में बोली गई हर बात sanctity होती है। parliament में बोला गया और तालियां, टेबल थपथपाए गए और सब एमपी ने भी अपने इलाके में जाकर ये घोषणा कर दी कि हमारे इलाके में ट्रेन आने वाली है और आप हैरान होंगे बहुत सारा ऐलान किया गया बहुत ट्रेनों का ऐलान किया गया लेकिन एक भी ट्रेन शुरू नहीं हुईं। और मैं 30-40 साल का हिसाब दे रहा हूं मैंने आकर के कुछ तो ऐसी घोषणाएं देखी जो 30 साल 40 साल पहले हुई है लेकिन कागज़ पर वो रेल लाइन की पटरी कहां होगी ये कागज़ पर भी पेंट किया हुआ नही है। जमीन की बात छोड़ों, आप हैरान होंगे आज मुझे 30-30, 40-40 साल पुराने लाखों करोड़ के रेलवे और हाईवे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। उस समय जो किया गया, क्या वो Better Tomorrow के बारे में सोचकर किया गया? नहीं।
कोई सरकार हो, केंद्र की या राज्य की, उस पर ये दबाव होना चाहिए कि उसे Perform करना ही पड़ेगा।
मैं जानता हूं कि ये दबाव हमने खुद आगे बढ़कर अपने ऊपर लिया है, आज मीडिया में जितने विषयों पर हमारी आलोचना होती है वो सारे विषय हमने सेट किए हुए हैं हमने कहा है कि हम ये करना चाहते हैं तो कोई हमें पूछेगा कि बताओं ये क्यों नही हुआ और ये अच्छी बात ये दबाव जरूरी है एक नए culture को हमने promote किया है। लेकिन इसी ने और मैं मानता हूं result देने का रास्ता यही है। दबाव बढ़ेगा लोगों की अपेक्षाएं बढ़ेंगी और लोगों का Better Tomorrow सुनिश्चित करने में उनकी भागीदारी भी बढ़ेगी।
साथियों,
देश के Better Future की चिंता थी, इसलिए ही हमनें देश में स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया और अब उतनी ही शक्ति से हम जल जीवन मिशन की शुरुआत कर रहे हैं । अब ये ऐसी चीजें है कि पिछले 50 सालों में नही हुआ तो किसी ने पूछा नही कि क्यो नहीं हुआ लेकिन अब मैने कहा है तो अब मुझ से हर दिन पूछा जाएगा कि कहां तक किया। लेकिन क्या ये करना जरूरी था या नहीं था। मैं भी टाल सकता था मैं भी बचके निकल सकता था वो रास्ता मुझे मंजूर नहीं है।
आने वाले वर्षों में करीब-करीब 15 करोड़ घरों को पानी की सप्लाई से जोड़ने के लिए हम काम कर रहे हैं।
इसी तरह आज भारत पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने के लिए जुटा हुआ है।
ये लक्ष्य अर्थव्यवस्था के साथ-साथ 130 करोड़ भारतीयों की औसत आय, उनकी Ease of Living और उनके Better Tomorrow से जुड़ा हुआ है।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमारी सरकार Enabler, Facilitator और Promoter की भूमिका पूरी ताकत से निभा रही है।हम Reform and Performके इरादे के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
देश के Physical और Financial Infrastructure में सुधार करने से लेकरGlobal Platform पर Indian Industry को बढ़ावा देने तक, डेढ़ हजार से ज्यादा पुराने कानूनों की समाप्ति से लेकर, Rules और Procedures के Simplification तक,
हम हर दिशा में एक साथ काम कर रहे हैं।
साथियों,
विकास की गति बढ़ाने के लिए अक्सर चार चीजों की चर्चा होती है।
टैक्स रेट में कमी,
Ease of Doing Business में सुधार,
Labour Reforms और Disinvestment.
इन सभी पहलुओं पर सरकार ने जो कदम उठाए हैं, वो बेहतर भविष्य की उम्मीद जगाने वाले हैं।
इसी साल Personal Tax को लेकर हमने बड़ा फैसला लिया और 5 लाख रुपए तक की इनकम को टैक्स फ्री कर दिया।
इससे हर महीने 40 हज़ार रुपए से अधिक तक की आय वाले एक बहुत बड़े वर्ग को सीधा लाभ हुआ है, जबकि सेविंग्स के लिहाज़ से 70 हज़ार रुपए तक Monthly Income वाले को भी बहुत बड़ी राहत मिली है।
यहां से हो रही बचत निश्चित रूप से इन परिवारों के Better Tomorrow में मदद करने वाली है।
इसी तरह Corporate Tax में की गई ऐतिहासिक कटौती से भारत दुनिया की सबसे कम टैक्स दरों वाली अर्थव्यवस्था तो बना ही है, Investment और Manufacturing को प्रमोट करने के लिए भी हमारी स्थिति मजबूत हुई है।
टैक्स सिस्टम को सुधारने के लिए, Businessmen और Citizens के साथ Harassment की हर संभावना को समाप्त करने के लिए, हाल में E-Assessment Scheme लागू की गई है।
अब किस अधिकारी के पास आपकी फाइल जाएगी ये न आपको पता होगा और न अधिकारी को पता होगा कि ये फाइल किसकी है।
इतना ही नहीं, क्योंकि अफसर को ये पता ही नहीं होगा कि उसे किसका Assessment करना है, इसलिए ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर जो गुणा-गणित होता था, वो भी बंद हो जाएगा।
यानि कुल मिलाकर होगा ये कि Tax Assessment के बीच में जो खेल होते थे, इन खेलों के बहाने आम लोगों को जो दिक्कतें आती थीं, वो अब खत्म हो जाएगी।
Ease of Doing Business में हम इस वर्ष भी टॉप-10 Best Performers में से एक हैं। बीते 5 वर्षों में हमने 79 रैंक का सुधार किया है। मुझे बराबर याद है पिछली बार जब Ease of Doing Business के रैंक आए तो world bank के चेयरमैन ने मुझे specially फोन किया कि रैंकिंग तो आते है मेरे लिए खुशी की बात है कि इतना बड़ा देश वो भी developing country और वें इतना बड़ा सुधार करें और लगातार करता रहे world bank के पास ऐसी कोई history available नही है जो पहली बार इंडिया ने किया है उन्होने फोन करके बताया।
जहां तक लेबर रिफॉर्म की बात है तो दशकों पुराने दर्जनों कानूनों को 4 कानूनों में Codify किया जा रहा है, जिससे Employee और Employer दोनों को बहुत लाभ होने वाला है।
Disinvestment की बात करूं तो हाल में लिए गए फैसलों से स्पष्ट है कि उस दिशा में भी हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
भाइयों और बहनों,
तीन-चार दशक पहले जब देश में बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ तो खूब ढोल-नगाड़े बजवाए गए थे कि बहुत बड़ा सुधार हुआ है।
फिर समय के साथ ये पाया गया कि इतने सारे बैंकों की व्यवस्था की भी अपनी खामियां हैं।
आप लोगों के यहां ही एडिटोरियल लिखे जाते थे, इकोनॉमी के जानकार मांग करते थे कि देश में बैंक कम होने चाहिए, तभी हमारी बैंकिंग प्रभावी होगी।
हमने बैंकों का मर्जर करने के साथ ही, उनके Recapitalisation के लिए ढाई लाख करोड़ रुपए की राशि भी दी है।
Insolvency and Bankruptcy Code- IBC ने करीब-करीब 3 लाख करोड़ रुपए की वापसी सुनिश्चित की है।
इस तरह के बहुत से Reforms के बाद, बहुत से बड़े फैसलों के बाद आज देश का बैंकिंग सेक्टर पहले से काफी मजबूत स्थिति में हैं।
मैं आज फिर आपके माध्यम से, देश के प्रत्येक बैंक कर्मचारी को ये भरोसा देना चाहता हूं कि पुरानी स्थितियों से हम बाहर निकल आए हैं। अब आपके Genuine Business Decisions पर सवाल नहीं उठाए जाएंगे।
किसी भी तरह की कार्रवाई से पहले किसी Serving Finance और Banking Expert से Scrutiny कराने से जुड़े दिशा-निर्देश भी जल्द ही जारी किए जा रहे हैं। आज जो बैंकिंग सेक्टर पर दबाव है, तनाव है, उससे मुक्ति दिलाना ये भी तो सरकार का काम है और हम करेंगे, अगर बैंक में बैठा हुआ व्यक्ति decisions लेने में डरता है तो उसको चिंता रहती है तो वो निर्णय नही कर पाएगा और सरकार उसको असहाय नहीं छोड़ सकती उसकी सुरक्षा करने के लिए सरकार पूरी जिम्मेदारी लेती है। और तभी तो देश आगे बढ़ता है। और मैं ऐसा हूं मैं जिम्मेदारियों से भागने वाला इंसान नहीं हूं। मैं जिम्मेदारियां खुद लेता हूं।
भाइयों और बहनों,
आज यहां इस हॉल में बहुत से लोग हैं जो दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं। ब्लैकमनी के अंधाधुंध प्रवाह ने Real Estate Sector की क्या हालत की थी, आप सभी को पता है। आज भी सैकड़ों-हजारों लोग ऐसे हैं जो बरसों से EMI दे रहे हैं, किराए के घर में रह रहे हैं और अपने सपने के घर का इंतजार कर रहे हैं।
Real Estate Sector को इस स्थिति से निकालने के लिए, अधूरे और अटके हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए सरकार ने हाल में एक Special Window भी बनाई है। इसके तहत 25 हजार करोड़ रुपए जुटाए जा रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि मध्यम वर्ग के एक बड़े हिस्से का, अपने घर का सपना पूरा होगा।
इसके अलावा सरकार अपनी योजनाओं के तहत जो 2 करोड़ घर बनवाने जा रही है, GST में छूट, ब्याज में छूट जैसे फैसलों से भी इस सेक्टर को बहुत मदद मिलने वाली है।
भाइयों और बहनों,
Better Tomorrow का हमारे सपने में एक चीज और बहुत अहम रही है। ये है भारत में World Class Infrastructure. आने वाले कुछ वर्षों में इस सपने को पूरा करने के लिए सरकार 100 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाएं शुरू करने जा रही है।
इसके साथ ही, हमारा प्रयास Infrastructure के क्षेत्र में Private Investment को भी बढ़ाने पर है। सरकार इस बात भी नजर रखे हुए है कि Infrastructure और Industry को Credit Flow में किसी तरह की दिक्कत न आए।
साथियों,
आज सरकार रेल कनेक्टिविटी पर, रोड कनेक्टिविटी पर, एयर कनेक्टिविटी पर जितना निवेश कर रही है, उतना पहले कभी नहीं किया।
इसके पर्यावरण पर, Ease Of Living पर प्रभावों से आप परिचित हैं।
लेकिन एक और सेक्टर पर कनेक्टिविटी सुधारने का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है।
ये सेक्टर है- टूरिज्म।
साथियों,
सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि आज भारत World Economic Forum के Travel and Tourism Competitiveness Index में 34वें स्थान पर है। जबकि साल 2009 से 2013 के बीच के वर्षों में हम 62 से 65वें स्थान के बीच थे।
और मैं आपको ये भी याद दिला दूं, टूरिज्म बढ़ने का सबसे ज्यादा गरीब को फायदा होता है, गरीब से गरीब को रोजगार मिलता है कम से कम पूंजी निवेश से ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलता है। जब टूरिज्म बढ़ता है, विदेशी पर्यटक आते हैं, तो यहां खर्च भी करते हैं। साल 2014 में भारत के लोगों को टूरिज्म सेक्टर से विदेशी मुद्रा में 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपए की कमाई हुई थी। वहीं पिछले साल ये विदेशी मुद्रा बढ़कर करीब-करीब 2 लाख करोड़ रुपए पहुंच गई है।
आखिर ये कमाई किसकी हुई। भारत की होटल इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की, टूरिस्ट गाइड्स की, टैक्सी वालों की, छोटे-छोटे ढाबे वालों की। हैंडीक्राफ्ट बेचने वालों की
भाइयों और बहनों,
देश के Better Future के लिए, आज समय की मांग है कि सरकार Core Areas of Governance पर काम करे।
लोगों के जीवन में सरकार का दखल जितना कम होगा, और सुशासन जितना ज्यादा होगा, उतना ही तेजी से देश आगे बढ़ेगा। ये मेरा conviction है कि गरीब के लिए सरकार का अभाव नही होना चाहिए और नागरिक के जीवन में सरकार का दबाव नही होना चाहिए। सरकार जितनी ज्यादा लोगों की ज़िंदगी से निकल जाए उतना ही अच्छा रहेगा।
इसके लिए बहुत आवश्यक है कि सरकार खुद अपने Human Resources पर भी ध्यान दे।
साथियों,
हमने 21वीं सदी में एक ऐसे Governance Model के साथ एंट्री ली जो 19वीं और 20वीं सदी की सोच और अप्रोच से चलता था।
इस System के अहम टूल यानि हमारे अधिकारी, हमारे कर्मचारी पुरानी धारणाओं, पुराने तौर-तरीकों के आदी हो चुके थे और वही Legacy वो आगे पास करते थे।
19वीं-20वीं सदी की मानसिकता वाले Governance Model के साथ 21वीं सदी के भारत की Aspirations को पूरा करना बहुत मुश्किल था।
इसलिए बीते 5 वर्षों में हमने इस सिस्टम को और सरकार के Human Resource को ट्रांसफॉर्म करने का एक गंभीर प्रयास किया।
मैंने कभी इस बारे में सार्वजनिक मंच से विस्तार से बात नहीं की है।
लेकिन Better Tomorrow का ये बहुत Important Aspect है, इसलिए आज इस बारे में भी कुछ बातें Share करना चाहता हूं।
साथियों,
हमने सरकार में Employment के नियम बदले हैं, Appointment के नियम बदले हैं। बड़े पदों पर नियुक्तियों के लिए सिफारिश, अब बीते दिनों की बात हो गई है। बैंकों के पारदर्शी नियुक्तियों के लिए हमने बैंकिंग बोर्ड की भी शुरुआत की है।
साथियों,
देश के जो Top Decision Makers हैं, Policy Makers हैं, उनके साथ Governance को लेकर हम लगातार Brain Storming Sessions कर रहे हैं औऱ इस व्यवस्था को सिस्टम का हिस्सा बना रहे हैं।
मैं खुद अलग-अलग सेक्टर्स के Brain Storming Sessions में जाता हूं, चाहे वो रेलवे हो, बैंकिंग हो या फिर नीति आयोग के तमाम लेक्चर्स।
हम पुरानी और औपचारिक व्यवस्थाओं को Outcome Based बना रहे हैं। जहां जरूरत है, वहां विदेशी औऱ इंडस्ट्री के एक्सपर्टस को बुलाकर हम ब्यूरोक्रेसी को ट्रेन करवा करे हैं।
अब जैसे कल-परसों पुणे जा रहा हूं वहां ही जो DGP कॉन्फ्रेंस होने जा रही है, इस DGP कॉन्फ्रेंस की परंपरा करीब-करीब 120 साल से चल रही है लेकिन उसमें 115 साल ये मीटिंग दिल्ली में ही हुई है और सुबह शुरू होती थी और लंच के बाद पूरी हो जाती थी यानि करीब 115 साल की legacy मैने उसको पूरा बदल दिया है अब दिल्ली के बाहर करता हूं तीन दिन सभी पुलिस विभाग के लोग इकट्ठा आते हैं बारिकी से चर्चा करते हैं नए-नए समस्याओं, नए-नए संकटों की चर्चा करते हैं अपनी best practices को share करते हैं, नए initiatives की चर्चा करते हैं और सब मिलकर ही एक एजेंडा तय करते है कि अब पुलिसिंग में कैसे आगे बढ़ना है। थोपा नही जा रहा है तीन दिन तक लगातार पुणे में बैठकर के ये काम अभी करेंगे। हर साल किसी ना किसी स्थान पर जाकर के इस काम को करते हैं।
यानि Result Oriented Approach लेकर वे वहां से निकलें। time bound काम की जिम्मेदारी लेकर चलें उस दिशा में काम हो रहा है। आज ये भी सही है कि law & order स्टेट का subject होने के बाद भी ये subject बहुत interconnected है। एक राज्य की इस प्रकार की टोली के विषय में दूसरा राज्य नहीं जानता है तो कभी ना कभी संकट आ सकता है। तो इस प्रकार से एक law & order state subject होने के बाद भी जानकारियों की दृष्टि से, संपर्क की दृष्टि से states की interconnected व्यवस्थाएं बहुत आवश्यक हो गई हैं। हम इसमें बदलाव ला रहे हैं।
साथियों,
एक और पहल हमने की है सिविल सर्वेंट्स को लेकर। नियुक्ति के शुरुआती दिनों में ही उन्हें इस बात का अनुभव दिया जा रहा है कि पॉलिसी लेवल पर कैसे काम किया जाता है, फ्लैगशिप स्कीम्स को कैसे फॉलो किया जाता है।
पहले उन्हें ऐसा अनुभव ही नहीं मिलता था। कई आईएएस-आईपीएस अफसर ऐसे हैं कि उनको job मिलने के बाद अपने स्टेट कैडर में चले गए उनको कभी दिल्ली आने का सौभाग्य नहीं मिला, इतना बड़ा देश कैसे काम करता है कभी सौभाग्य ही नहीं मिला वो रिटायर भी हो गए। हमने अब शुरू के कालखंड में ही मसूरी से निकलते है तो 3 महीनें भारत सरकार के भिन्न-भिन्न व्यवस्थाओं में जोड़ना शुरू किया है। ताकि वो यहां एक विजन लेकर के जाएं, के हां देश के सामने ये चुनौतियां होती हैं तो मैं जहां ग्रासरूट लेवल पर काम करूंगा तो भी मैं देश की इन बातों को ध्यान में रखकर के निर्णय प्रक्रियाओं को चलाउंगा। ताकि देश और लोकल की स्थितियों में contradiction पैदा ना हो और उस एक सफल प्रयोग हुआ है और एक दूसरा लाभ हुआ है कि यहां पर ज्यादातर वो लोग होते हैं जो retirement की date लिखकर के बैठें होते हैं। main team वही होती है वो सोचते है कि अब 11 महीनें बाकी रहे 9 महीनें बाकी रहे, 6 महीनें बाकी रहे ऐसे में ये जिसका 35 साल भविष्य बाकी है ऐसे नए ऊर्जावान नौजवान उनके साथ जुड़ जाते हैं तो automatic ऊर्जा मिलना उनकों भी शुरू हो जाता है। बदलाव शुरू हो जाता है। इतना ही नही इस वर्ष हमने एक और शुरूआत की है। इस बार देश में 20 से ज्यादा सिविल सेवाओं के Trainees का साझा Foundation programme हमने किया।
अभी तक बहुत बड़ी शिकायत ये रहती थी और मैने एक बार लाल किले पर से नया जब आया तो मैने पहले ही साइलॉस की चर्चा की थी। पहला मेरा जो लाल किले का भाषण था अब मैं वो बीमारी तो बता दी गई solve करना तो पड़ेगा और मुझे ही करना पड़ेगा और हमने उसी को समस्या का समाधान के लिए जो Services Isolation में काम करती हैं। उसमें बदलाव लाने के लिए एक प्रकार से joint foundation course की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। अलग-अलग सर्विसेस जैसे रेवेन्यू, फोरेस्ट, रेलवेज, अकाउंट एंड ऑडिट उनके अफसरों को इन दिनों हमने बहुत जिम्मेदारी पूर्वक काम दिये हैं महत्वपूर्ण ज्वाइंट सेकेट्री लेवल की पोस्ट भी दी है ताकि पॉलिसी मेकिंग में सभी सर्विसेस का Integration हो सके।
और हां,
इन सबके बीच हमने 220 से ज्यादा सरकारी अफसरों को भ्रष्टाचार के आरोप में, काम सही तरीके से न कर पाने के आरोप में Pre-Mature Retirement भी दिया है।
साथियों,
Privilege के बजाय हम Professionalism को Promote करने पर बल दे रहे हैं।
Lateral Entry, आपमें से बहुत लोग है जो इस बात को मानते है कि कोई आईएएस हो गया तो सारी दुनिया वही जानता है ये सोच ठीक नही है। समाज में बहुत प्रतिभावान लोग होते है। इतनाम बड़ा देश चलाने के लिए वो भी contribute करना चाहते हैं उनको अवसर मिलना चाहिए और उनको अवसर देने के लिए हमने एक mechanism विषय develop किया है वो भी organized way में सरकार के विम पर नही यूपीएससी की process से और देश से मैने देखा है एक-एक दो-दो करोड़ के पैकेज से काम करने वाले नौजवान सामान्य तनख्वा लेकर के दो साल तीन साल देश को देने के लिए सरकार व्यवस्था में आने के लिए तैयार हो रहे हैं कुछ हमने शुरूआत की है और उनके पास corporate world का अनुभव है governance और government के साथ जुड़ने के कारण वो ज्यादा evaluation कर पा रहे हैं। मैं समझता हूं कि आने वाले दिनों में एक अधिक अच्छे out-come के लिए ये जो हम कोशिश कर रहे हैं वो सुखद परिणाम लाएगी। और देश का बेहतरीन टैलेंट, भले ही वो सिविल सेवाओं की तय प्रक्रियाओं का हिस्सा नहीं है, वो देश के दूसरे बेस्ट संस्थानों की Values को Introduce कर सके, ये कोशिश की जा रही है।
अब Deadline को सरकारी सिस्टम में भी Sacrosanct माना जाने लगा है। मैं ये नहीं कहता कि पूरे देश में ये व्यवस्था बन चुकी है। लेकिन बहुत सारे विभागों में इस बदलाव को आप अनुभव कर सकते हैं।
Governance के Infrastructure में किया जा रहा ये सुधार सिर्फ 5 या 10 वर्ष के लिए नहीं है। ये सिर्फ हमारी सरकार तक सीमित नहीं है। बल्कि इसका लाभ आने वाले दशकों तक देश को मिलने वाला है।
यही सोच और अप्रोच हमारी रही है।
हम सिर्फ 5 या 10 वर्षों के कार्यकाल के लिए काम नहीं कर रहे हैं बल्कि Better Tomorrow के लिए New India के लिए Permanent और Performance Oriented व्यवस्था बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
130 करोड़ भारतीयों के Better Future के लिए Right Intention, Better Technology और Effective Implementation, यही हमारा Roadmap है।
मुझे उम्मीद है कि इस समिट में जो संवाद होगा, उसमें भारत के हितों से जुड़ी जितनी बातें सामने उभरकर आएंगी, वो भी Better Tomorrow की गारंटी लेकर आएंगी।
आप सभी को सार्थक चर्चा के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाओं के साथ, बहुत-बहुत धन्यवाद !