दिनकर जी के सभी आदरणीय परिवार-जन, साहित्य-प्रेमी भाईयों और बहनों,
ये मेरा सौभाग्य है कि आज शब्द-ब्रहम की इस उपासना के पर्व पर मुझे भी पुजारी बन करके, शरीक होने का आप लोगों ने सौभाग्य दिया है। हमारे यहां शब्द को ब्रहम माना है। शब्द के सामर्थ्य को ईश्वर की बराबरी के रूप में स्वीकार किया गया है।
किसी रचना के 50 वर्ष मनाना, वो इसलिए नहीं मना जाते कि रचना को 50 साल हो गये हैं, लेकिन 50 साल के बाद भी उस रचना ने हमें जिंदा रखा है। 50 साल के बाद उस रचना ने हमें प्रेरणा दी है और 50 साल के बाद भी हम आने वाले युग को उसी नज़रिये से देखने के लिए मजबूर होते हैं, तब जा करके उसका सम्मान होता है।
जिनको आज के युग में हम साहित्यकार कहते हैं, क्योंकि वे साहित्य की रचना करते हैं, लेकिन दरअसल, वे ऋषि-तुल्य जीवन होते हैं, जो हम वेद और उपनिषद में ऋषियों के विषयों में पढ़ते हैं, वे उस युग के ऋषि होते हैं और ऋषि के नाते दृष्टा होते हैं, वो समाज को भली-भांति देखते भी हैं, तोलते भी हैं, तराशते भी हैं और हमें उसी में से रास्ता खोज करके भी देते हैं।
दिनकर जी का पूरा साहित्य खेत और खलिहान से निकला है। गांव और गरीब से निकला है। और बहुत सी साहित्यिक-रचना ऐसी होती है जो किसी न किसी को तो स्पर्श करती है, कभी कोई युवा को स्पर्श करे, कभी बड़ों को स्पर्श करे, कभी पुरूष को स्पर्श करे, कभी नारी को स्पर्श करे, कभी किसी भू-भाग को, किसी घटना को स्पर्श करे। लेकिन बहुत कम ऐसी रचनाएं होती हैं, जो अबाल-वृद्ध सबको स्पर्श करती हो। जो कल, आज और आने वाली कल को भी स्पर्श करती है। वो न सिर्फ उसको पढ़ने वाले को स्पर्श करती है, लेकिन उसकी गूंज आने वाली पीढि़यों के लिए भी स्पर्श करने का सामर्थ्य रखती है। दिनकर जी कि ये सौगात, हमें वो ताकत देती है।
जय प्रकाश नारायण जी, जिन्होंने इस देश को आंदोलित किया है, उनकी उम्र को और युवा पीढ़ी के बीच बहुत फासला था, लेकिन जयप्रकाश जी की उम्र और युवा पीढ़ी की आंदोलन की शक्ति इसमें सेतु जोड़ने का काम दिनकर जी की कविताएं करती थीं। हर किसी को मालूम है भ्रष्टाचार के खिलाफ जब लड़ाई चली, तो यही तो दिनकर जी की कविता थी, जो अभी प्रसून जी गा रहे थे, वो ही तो कविता थी जो नौजवानों को जगाती थी, पूरे देश को उसने जगा दिया था और उस अर्थ में वे समाज को हर बार चुप बैठने नहीं देते थे। और जब तक समाज सोया है वो चैन से सो नहीं सकते थे। वे समाज को जगाये रखना चाहते थे, उसकी चेतना को, उसके अंर्तमन को आंदोलित करने के लिए, वे सिर्फ, अपने मनोभावों की अभिव्यक्ति कर-करके मुक्ति नहीं अनुभव करते थे। वे चाहते थे जो भीतर उनके आग है, वो आग चहुं ओर पहुंचे और वो ये नहीं चाहते थे कि वो आग जला दें, वो चाहते थे वो आग एक रोशनी बने, जो आने वाले रास्तों के लिए पथदर्शक बने। ये बहुत कम होता है।
मैं सरस्वती का पुजारी हूं और इसलिए शब्द के सामर्थ्य को मैं अनुभव करता हूं, कोई शब्द किस प्रकार से जीवन को बदल देता है, उस ताकत को मैं भली-भांति अनुभव कर सकता हूं। एक पुजारी के नाते मुझे मालूम है, एक उपासक के नाते मुझे मालूम है, और उस अर्थ में दिनकर जी ने अनमोल...अनमोल हमें, सौगात दी है, इस सौगात को आने वाले समय में, हमारी नई पीढ़ी को हम कैसे पहुंचाएं?
कभी-कभार हम शायद इस देश में हरेक पीढ़ी के हजारों ऐेसे कवि होंगे या साहित्य-प्रेमी होंगे। हजारों की तादाद में होंगे, ऐसा मैं मानता हूं। जो दिनकर जी की कविताएं मुखपाठ लगातार बोल सकते हैं, बोलते होंगे। ये छोटी बात नहीं है। जैसे कुछ लोग रामायण, महाभारत, वेद, उपनिषद उसकी श्लोक वगैरह जिस प्रकार से मुखपाठ बोलते हैं ऐसे दिनकर जी के शब्दों के पीछे रमण हुए हजारों लोग मिलेंगे। और उनको उसी में आनंद आता है उनको लगता है कि मैं दिनकर जी की बात आवाज पहुंचाऊंगा। मेरी बात लोग माने या न माने, दिनकर जी की बात दुनिया मानेगी।
और दिनकर जी को “पशुराम की प्रतीक्षा” थी और दिनकर जी अपने तराजू से भारत की सांस्कृतिक उतार-चढ़ाव को जिस प्रकार से उन्होंने शब्दों में बद्ध किया है। वे इसमें इतिहास भी है, इसमें सांस्कृतिक संवेदना भी है, और समय-समय पर भारत की दिखाई हुई विशालता, हर चीज को अपने में समेटने का सामर्थ्य, दिनकर जी ने जिस प्रकार से अनुभव किया है जो हर पल दिखाई देता है। और प्रकार से दिनकर जी के माध्यम से भारत को समझने की खिड़की हम खोल सकते हैं। अगर हममें सामर्थ्य हो तो हम द्वार भी खोल सकते हैं। लेकिन जरा भी सामर्थ्य न हो, तो खिड़की तो जरूर खोल सकते हैं। ये काम दिनकर जी हमारे बीच करके गये हैं।
दिनकर जी ने हमें कुछ कहा भी है, लेकिन शायद वो बातें भूलना अच्छा लगता है, इसलिए लोग भूल जाते हैं। एक बार, कुछ बुराईयां समाज में आती रहती हैं, हर बार आती रहती हैं। करीब हर प्रकार के अलग-अलग आती रहती हैं। लेकिन किसी ने जाति के आधार पर दिनकर जी के निकट जाने का प्रयास किया है, उनको लगा कि मैं आप की बिरादरी का हूं, आपकी जाति का हूं, तो आप मेरा हाथ पकड़ लीजिए अच्छा होगा। और ऐसा रहता है समाज में, लेकिन ऐसी परिस्थिति में भी दिनकर जी की सोच कितनी सटीक थी वरना, उस माहौल में कोई भी फिसल सकता है। और वो स्वयं राज्यसभा में थे राजनीतिक को निकटता से देखते थे, अनुभव करते थे, लेकिन उस माहौल से अपने आप को परे रखते हुए, उस व्यक्ति को उन्होंने मार्च 1961 को चिट्ठी लिखी थी। उस चिट्ठी में जो लिखा गया है बिहार को सुधारने का सबसे अच्छा रास्ता ये है, कि लोग जातिओं को भूलकर गुणवान के आदर में एक हों। याद रखिए कि एक या दो जातियों के समर्थन से राज्य नहीं चलता। वो बहुतों के समर्थन से चलता है, यदि जातिवाद से हम ऊपर नहीं उठें, तो बिहार का सार्वजनिक जीवन गल जाएगा। मार्च 1961 में लिखी हुई ये चिट्ठी, आज बिहार के लिए...आज भी उतना ही जागृत संदेश है। ये किसी राजनीति से परिचित के शब्द नहीं है, ये किसी शब्द-साधक के शब्द नहीं है, ये किसी साहित्य में रूचि रखने वाले सृजक के शब्द नहीं है, एक ऋषि तुल्य के शब्द हैं जिसको आने वाले कल दिखाई देती है और जिसके दिल में बिहार की आने वाली कल की चिंता सवार है और तब जाकर शब्द, अपने ही समाज के व्यक्ति को स्पष्ट शब्दों में कहने की ताकत रखता है।
बिहार को आगे ले जाना है, बिहार को आगे बढ़ाना है और ये बात मान कर चलिए हिंदुस्तान का पूर्वी हिस्सा अगर आगे नहीं बढ़ेगा, तो ये भारत माता कभी आगे नहीं बढ सकती। भारत का पश्चिमी छोर, वहां कितनी ही लक्ष्मी की वर्षा क्यों न होती हो, लेकिन पूरब से सरस्वती के मेल नहीं होता, तो मेरी पूरी भारत माता...मेरी पूरी भारत माता उजागर नहीं हो सकती और इसलिए हमारा सपना है कि पूर्वी हिन्दुस्तान कम से कम पश्चिम की बराबरी में तो आ जाएं। कोई कारण नहीं पीछे रहे। अगर बिहार आगे बढ़ता है, बंगाल आगे बढ़ता है, असम आगे बढ़ता है, पूर्वी उत्तर प्रदेश आगे बढ़ता है, नार्थ-ईस्ट आगे बढ़ता है, सारी दुनिया देखती रह जाएगी, हिन्दुस्तान किस तरह आगे बढ़ रहा है।
दिनकर जी का भी सपना था बिहार आगे बढ़े, बिहार तेजस्वी, ओजस्वी, ये बिहार, सपन्न भी हो। बिहार को तेज और ओज मिले किसी से किराए पर लेने की जरूरत नहीं। उसके पास है उसे संपन्नता के अवसर चाहिए, उसको आगे बढ़ने का अवसर चाहिए और बिहार में वो ताकत है, अगर एक बार अवसर मिल गया, तो बिहार औरों को पीछे छोड़कर आगे निकल जाएगा।
हम दिनकर जी के सपनों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और उनकी साहित्य रचना की 50 साल की यात्रा आज भी हमें कुछ करने की प्रेरणा देती है, सिर्फ गीत गुनगुनाने की नहीं। हमें कुछ कर दिखलाने की प्रेरणा देती है और इसलिए आज दिनकर जी को स्मरण करते हुए उनकी साहित्य रचना का स्मरण करते हुए इस सभागृह में हम फिर से एक बार अपने आप को संकल्पबद्ध करने के अवसर के रूप में उसे देंखे। और उस संकल्प की पूर्ति के लिए दिनकर जी के आर्शीवाद हम सब पर बने रहे और बिहार के सपनों को पूरा करने के लिए सामर्थ्य के साथ हम आगे बढ़ें।
इसी एक अपेक्षा के साथ आप सब के बीच मुझे आने का अवसर मिला। परिवारजनों को प्रणाम करने का अवसर मिला। मैं अपने आपको बहुत बड़ा सौभाग्यशाली मानता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद।
Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,
गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।
साथियों,
भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,
साथियों,
आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,
साथियों,
बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।
साथियों,
डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।
साथियों,
हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।
साथियों,
हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,
साथियों,
"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।
साथियों,
भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।
साथियों,
आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।
साथियों,
भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।
साथियों,
यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।
साथियों,
भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।
साथियों,
गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।
साथियों,
गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।
साथियों,
डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।
साथियों,
आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।
साथियों,
गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।