उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल जी, केन्द्रीय मत्रिपरिषद के मेरे वरिष्ठ सहयोगी और इसी धरती के प्रतिनिधि श्रीमान राजनाथ सिंह जी, यहां की यशस्वी मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी, उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद जी, दिनेश शर्मा जी, विधानसभा के अध्यक्ष महोदय श्रीमान नारायण दीक्षित जी, यूपी सरकार के मंत्रिगण, यूपी के सांसद गण और उपस्थित देवियो और सज्जनों।
लखनऊ के सांसद ने मेरा स्वागत किया, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने स्वागत किया, तो काशी का सांसद धन्यवाद कहता है। आज मेरा सौभाग्य है कि महत्वपूर्ण दूसरे कार्यक्रम में मुझे आने का अवसर मिला है और दोनों कार्यक्रम में मुझे अटल बिहारी वाजपेयी जी को वंदन करने का, उनके vision को सम्मान करने का अवसर प्राप्त हुआ है।
यहां आने से पूर्व मैं दिल्ली में अटल जल योजना का शुभारंभ कर रहा था। 6 हजार करोड़ रुपए की इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश सहित देश के 7 राज्यों में भूजल के स्तर को सुधारने के लिए काम किया जाएगा।
इसके साथ ही आज हिमाचल को लद्दाख से जोड़ने वाली रोहतांग सुरंग का नाम भी अटल टनल के नाम पर किया गया है।
ये भी संयोग है कि आज सुशासन दिवस के रूप में हम मना रहे हैं, तब यूपी का शासन जिस भवन से चलता है, वहां अटल जी की प्रतिमा का अनावरण किया गया है। उनकी ये भव्य प्रतिमा, लोकभवन में कार्य करने वाले लोगों को सुशासन की, लोकसेवा की निरंतर प्रेरणा देती रहेगी।
साथियों, इसके अलावा अटल जी को समर्पित अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी का शिलान्यास किया गया है। जो लखनऊ, बरसों तक अटल जी की कर्म भूमि रहा, अटल जी की संसदीय सीट रही हो, और वहां आकर, शिक्षा से जुड़े, स्वास्थ्य से जुड़े संस्थान का शिलान्यास करना, जिसको भी अवसर मिलेगा, वो जीवन में इसे अपना सौभाग्य मानेगा, मेरे लिए भी आज ये सौभाग्य के पल हैं।
जब अटल जी यहां से सांसद थे, तब उन्होंने यहां विकास की अनेक परियोजनाओं पर काम शुरू करवाया था। रिंग रोड का काम हो, पुराने लखनऊ में ड्रेनेज सिस्टम हो, यहां के एयरपोर्ट का आधुनिकीकरण हो, वाल्मीकी अंबेडकर आवास योजना हो, बायोटेक पार्क हो, लखनऊ को नई पहचान देने वाले सैकड़ों काम अटलजी ने किए थे। अब सांसद के तौर पर श्रीमान राजनाथ जी, इस विरासत को संभाल रहे हैं, संवार भी रहे हैं।
साथियों, अटल जी कहते थे, कि जीवन को टुकड़ों में नहीं देखा जा सकता, उसको समग्रता में देखना होगा। ये बात सरकार के लिए भी उतनी ही सत्य है, और Good Governance के लिए भी, सुशासन के लिए भी यही उपयुक्त मानदंड है।
सुशासन भी तभी तक संभव नहीं है, जब तक हम समस्याओं को संपूर्णता में,समग्रता में न सोचेंगे, न उसे सुलझाने का प्रयास करेंगे। मुझे संतोष है कि योगी जी की सरकार भी समग्रता की इस सोच को साकार करने का भरसक प्रयास कर रही है।
अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी उसी सोच को परिलक्षित करती है। ये यूनिवर्सिटी यूपी में मेडिकल की पढ़ाई और उसको समग्रता देगी, संपूर्णता देगी और पाठ्यक्रम से ले करके परीक्षा तक इसमें एकसूत्रता होगी, एकरूपता होगी और स्वाभाविक एकात्मक भाव होगा।
मेडिकल कॉलेज हो, डेंटल कॉलेज हो, पैरामेडिकल कॉलेज हो, नर्सिंग हो, चिकित्सा से जुड़े हर कोर्स, हर डिग्री हो, आप इसी की देखरेख में ये विश्वविद्यालय इस सारी व्यवस्थाओं को, विद्याओं को आगे बढ़ाएगा।
सरकारी हो, अर्धसरकारी हो या निजी मेडिकल संस्थान हो, सभी की Affiliation इसी यूनिवर्सिटी से अब होने वाली है। एक समान शैक्षणिक सत्र कैलेंडर लागू होगा, परीक्षाएं तय समय पर होंगी, पारदर्शी तरीके से होंगी। इस यूनिवर्सिटी के बनने से यूपी में मेडिकल की पढ़ाई की क्वालिटी में और भी सुधार आने वाला है।
साथियों, यूपी सहित पूरे देश के हेल्थ सेक्टर के विकास के लिए हमारा विजन और डायरेक्शन दोनों पहले ही दिन से स्पष्ट रहा है। स्वास्थ्य के साथ-साथ इससे जुड़ी सुविधाओं में सुधार पर भी हमने ध्यान केंद्रित किया है।
हेल्थ सेक्टर के लिए सरकार का रोड मैप है-
पहला- Preventive healthcare उस पर बल दिया जाए,
दूसरा- Affordable healthcare, इसका जितना ज्यादा विस्तार हो, प्रयास किया जाए,
तीसरा- Supply Side Interventions, यानि इस सेक्टर की हर डिमांड को देखते हुए सप्लाई को सुनिश्चित करना
और चौथा- Mission Mode intervention यानि स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं को मिशन मोड पर चलाना। आप सरकार की तमाम योजनाओं को देखेंगे, तो वो इसी राह से गुजरती हैं, इसी मैप पर आगे बढ़ती हैं।
साथियों, बीमारी पर होने वाले खर्च को बचाने का सबसे आसान तरीका है कि बीमार होने से ही बचा जाए। यही Preventive Healthcare है। और इसके लिए जितना ज्यादा प्रमाण में हम लोगों को जागरूक करेंगे, जागरूकता होगी, जितना ज्यादा सामान्य मानवी इसे लेकर गंभीर होंगे, उतना ही उनमें immunity बढ़ेगी, शरीर स्वस्थ होगा।
स्वच्छ भारत- एक प्रकार से अगर Preventive Healthcare का बड़ा अभियान है तो योग भी Preventive Healthcare के लिए zero cost healthcare है।
उज्ज्वला योजना से धुएं से माताओं को मुक्ति दिलाना- ये भी Preventive Healthcare का काम है, तो दूसरी तरफ देश के हर नागरिक को फिट इंडिया मूवमेंट का हिस्सा बना करके उसको फिट रहने के लिए प्रेरित करना, इसके साथ-साथ आयुर्वेद को बढ़ावा देना, क्योकि आजकल Holistic Healthcare की मांग बढ़ती चली जा रही है।
हर कोई साइड इफेक्ट से बचना चाहता है और उसमें आयुष, आयुर्वेद, ये बहुत बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं। तो ऐसी हर पहल बीमारियों की रोकथाम में अपना अहम योगदान दे रही है। Preventive Healthcare के लिए हम जितना बल दें, उतनी Heath Sector के लिए हमारी चिताएं कम होती जाती हैं। एक तरफ जहां इससे Communicable Diseases की रोकथाम में मदद मिल रही है, वहीं दूसरी तरफ जीवनशैली के कारण जो बीमारियां आती है उन बीमारियों को दूर करने में भी ये कारगर साबित हो रही है।
साथियों, Preventive Healthcare की ही एक कड़ी है- देश के ग्रामीण इलाकों में सवा लाख से ज्यादा वेलनेस सेंटरों का निर्माण। ये सेंटर बीमारी के शुरुआती लक्षणों को पकड़कर, शुरुआत में ही उनके इलाज में मददगार साबित होंगे। इसी तरह सरकार का विशेष जोर इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के विस्तार पर भी रहा है। हमने नई वैक्सीन जोड़ने के साथ ही, दूर-दराज वाले इलाकों में भी टीकाकरण अभियान पहुंचाने में सफलता पाई है।
इन दिनों हम लोग, और मैंने कानपुर में इसे launch किया था, पशुओं के आरोग्य को ले करके, Food and Mouth Diseases वाला। ये भी, पशुओं का आरोग्य भी human element के लिए भी Preventive Healthcare के लिए काम आता है। अगर पशु बीमार नहीं है तो बीमारी फैलाने का वो कारण भी नहीं बनता है। यानी एक प्रकार से holistic approach को हमें आवश्यकता के अनुसार बल देते हुए आगे बढ़ाना होगा1
साथियों, हेल्थ केयर के दूसरे आयाम, यानि Affordability को बढ़ावा देने के लिए, इसके लिए भी सरकार द्वारा कई ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं।
आयुष्मान भारत के कारण देश के करीब 70 लाख गरीब मरीजों का मुफ्त इलाज हो चुका है।ये आयुष्मान भारत योजना दुनिया की सबसे बड़ी योजना है। अमेरिका, कनाडा और मैक्सिको, उसकी टोटल जो जनसंख्या है, उससे ज्यादा भारत में आयुष्मान के लाभार्थियों की सूची है। और इतने कम समय में 70 लाख लोगों ने इसका लाभ लिया है, और ये वो लोग हैं जिसमें ज्यादातर ये मानकर बैठे थे कि अब मृत्यु का ही इंतजार अच्छा होगा, जितनी जल्दी मौत आ जाए, उतना अच्छा होगा। जितने दिन तक कष्ट झेल सकते हैं, बीमारी झेल सकते हैं, झेलते रहेंगे, लेकिन बच्चों को कर्ज में डुबो करके हेल्थ के लिए कुछ करना नहीं है, ऑपरेशन करवाना नहीं है। Heart की ट्रीटमेंट नहीं करवानी है, कैंसर की ट्रीटमेंट नहीं करवानी है; सब कुछ आशा छोड़ चुके थे।
लेकिन आयुष्मान भारत योजना आने के बाद उनको एक नई जिंदगी, नया विश्वास, नया उत्साह मिल गया और एक रुपये के खर्च के बिना 70 लाख लोगों का उपचार हो गया। और मुझे खुशी है कि उत्तर प्रदेश ने इस योजना को आगे बढ़ाने में बहुत सक्रियता दिखाई है। अकेले उत्तर प्रदेश में करीब 11 लाख ऐसे लोगों ने इसका लाभ लिया है, 11 लाख लोग।
इसी तरह जन औषधि योजना- इससे सस्ती दवाइयां मिल रही हैं। यानी जो दवाई बाजार में जा करके आप लेने जाते हैं, 100 रुपया लगता है, जन औषिध केंद्र में वो 30-40 रुपये में मिल जाती है। जिनको permanent दवाइयां लेनी पड़ती हें, उन लोगों को महीने का 800, 1000, 1200, 1500 रुपये तक बिल की बचत हो रही है। यानी ये पूरे देश में जन औषधि केंद्र बहुत popular हो रहे हैं और लोग जन औषधि केंद्र की दवाइयों को पसंद कर रहे हैं। वहीं Stents और Knee Caps की कीमतों में भी काफी कमी लाई गई है।
साथियों, जैसे-जैसे गरीब से गरीब को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध हो रही है, वैसे-वैसे हेल्थकेयर की डिमांड भी बढ़ रही है। डिमांड बढ़ रही है तो नए-नए अस्पतालों, नए क्लिनिक, नए नर्सिंग होम बनने का रास्ता खुला है।
पिछले 5 वर्षों में रिकॉर्ड संख्या में मेडिकल सीटें बढ़ाई गई हैं। इसी साल पूरे देश में 75 नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी देने का फैसला किया है। एक प्रकार से ये हर 3 लोकसभा सीटों के बीच एक मेडिकल कॉलेज बनाने के हमारे विजन को आगे बढ़ाने वाला एक सफल प्रयास है। और इसका बहुत बड़ा लाभ भी यूपी को मिल रहा है। बीते 2-3 वर्षों में ही यूपी में दो दर्जन से ज्यादा मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए जा चुके हैं। जिसमें से अनेक या तो शुरू हो चुके हैं या फिर निर्माण की प्रक्रिया में हैं।
साथियों, सरकार द्वारा महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए मिशन मोड में राष्ट्रीय पोषण अभियान समेत अनेक नए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। टीबी को भारत से वर्ष 2025 तक पूरी तरह समाप्त करने के लिए भी राष्ट्रीय अभियान चल रहा है। देश के लोगों के स्वास्थ्य को सुधारने में, बीमारी पर होने वाले उनके खर्च को कम करने में ये चार आयाम बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
साथियों, जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो रहे इस अभूतपूर्व काम का लाभ यूपी में भी देखने को मिल रहा है। इस वर्ष एन्सेफेलाइटिस इसके मामलों में योगी जी और उनकी टीम ने और यूपी की जनता ने बहुत ही सराहनीय काम किया है। और इसके लिए आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं। अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी, दुनिया के मान्य institutions ने भी उत्तर प्रदेश की इस सफलता को सराहा है, उसकी प्रशंसा की है।
स्वच्छता और स्वास्थ्य सुविधाओं को गांव-गांव तक सुलभ कराने का जो अभियान यहां की सरकार ने चलाया है, वो यूपी के लोगों के जीवन को आसान बनाने की दिशा में बड़ा कदम हैं।
अब हमारा ये भी प्रयास होना चाहिए कि राष्ट्रीय पोषण मिशन और मिशन इंद्रधुनष के काम को हम और तेज़ करें, ताकि, आने वाले समय में यूपी का हर बच्चा सुरक्षित रहे, हर नागरिक स्वस्थ रहे।
साथियों, आज सुशासन दिवस पर, ऐसे समय में जब हम नए वर्ष और नए दशक में प्रवेश करने जा रहे हैं, तब हमें अटल जी की एक और बात अवश्य याद रखनी चाहिए। अटल जी कहते थे कि, हर पीढ़ी के भारत की प्रगति में योगदान का मूल्यांकन दो बातों के आधार पर होगा। और ये दोनों मानदंड हर नागरिक के लिए हैं। हम कोई भी काम करें, दोनों मानदंड हमारे सामने रख करके करें। अटलजी ने हमें जो रास्ता दिखाया है, उन दो में पहला है- हमें जो विरासत में मिलीं, कितनी समस्याओं को हमने सुलझाया है? ये पहला मानदंड है। विरासत में समस्याएं आई हैं, आती हैं, लेकिन हमने जो विरासत में मिलीं, वो कितनी समस्याओं को सुलझाया है। और दूसरा, राष्ट्र के भावी विकास के लिए हमने अपने खुद के प्रयासों से, अपने initiative से कितनी मजबूत नींव रखी है?
साथियों, इन दोनों सवालों के आलोक में, आज हम कह सकते हैं कि, 2020 के साल में भारत अभूतपूर्व उपलब्धियों के साथ प्रवेश कर रहा है। हमें विरासत में जो भी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्याएं और चुनौतियां मिली, उनके समाधान की निरंतर हम कोशिश कर रहे हैं।
आर्टिकल-370, कितनी पुरानी बीमारी थी, कितनी कठिन लगती थी, हमें विरासत में मिली थी, लेकिन हमारा दायित्व था कि हम ऐसी कठिन से कठिन चुनौतियों को सुलझाने के लिए भरसक प्रयास करें और हुआ, आराम से हुआ। सबकी धारणाएं चूर-चूर हो गईं।
राम जन्मभूमि का इतना पुराना मामला, शांतिपूर्ण समाधान- भारत आजाद हुआ, विभाजन हुआ, तब से ले करके लाखों गरीब- उसमें भी ज्यादा दलित हैं, वंचित हैं, शोषित हैं। पहने कपड़े पहन करके अपना धर्म बचाने के लिए अपनी बेटियों की इज्जत बचाने के लिए जो लोग पाकिस्तान, बंगलादेश, अफगानिस्तान से भारत की शरण लेने के लिए मजबूर हो गए, ऐसे शरणार्थियों को नागरिकता की गरिमा देने का रास्ता, ऐसी अनेक समस्याओं का हल इस देश के 130 करोड़ भारतीयों ने निकाला है।
इस आत्मविश्वास से भरा हुआ हिंदुस्तान 2020 में प्रवेश कर रहा है, एक नए दशक में कदम रख रहा है। और अभी भी जो बाकी हैं, उनके समाधान के लिए भी पूरे सामर्थ्य़ के साथ, हर भारतवासी प्रयास कर रहा है। चाहे हर गरीब को घर देना हो, चाहे हर घर जल पहुंचाना हो। कितनी बड़ी चुनौतियां होंगी, हम चुनौतियों को चुनौती देने के स्वभाव को ले करके निकले हैं।
साथियो, 2014 से लेकर 2019 तक के कालखंड में हमने चुनौतियों को चुनौती देने का एक भी मौका छोड़ा नहीं है। 2014 से पहले देश की आधे से अधिक आबादी के पास शौचालय नहीं था, अब शौचालय पहुंच चुका है।
करोड़ों गरीब परिवार, हमारी माताएं बहनें, रसोईघर में धुएं में जिंदगी गुजारती थीं, अब अब हर घर तक गैस पहुंच रही है।
हज़ारों गांव, हजारों परिवार अंधेरे में जिंदगी गुजारने के लिए मजबूर थे, अब उनके घर में बिजली पहुंच रही है।
आधे से ज्यादा आबादी बैंक से दूर थी, उसके लिए बैंकों के दरवाजे खोले हैं।
करोड़ों गरीब परिवार के पास अपना घर नहीं था, करीब 2 करोड़ गरीब परिवारों के घर बन चुके हैं। 2022 तक हर गरीब, जो बेघर है, उसको अपना पक्का घर देने के लिए काम तेजी से चल रहा है।
गांव-गांव तक सड़क पहुंचाने का काम, रेलवे कनेक्टिविटी पहुंचाने का काम तेज़ी से चल रहा है। और साल 2024 तक हर घर जल पहुंचाने के संकल्प को सिद्ध करने के लिए भी हम पूरी तत्परता के साथ जुट चुके हैं।
यही समाधान, New India की प्रगति के लिए ठोस नींव तैयार कर रहे हैं।
इसी ठोस नींव पर हम 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के संकल्प को सिद्ध करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाते हुए देश को साथ ले करके आगे बढ़ रहे हैं, ताकि करोड़ों भारतवासियों का जीवन स्तर ऊपर उठे, गरीब से गरीब को भी गरिमा और सम्मान मिले।
साथियों, यही तो सुशासन है, यही तो स्वराज है, जिसकी कल्पना अटल बिहारी वाजपयी जी और महामना मालवीय जी सहित तमाम राष्ट्रनिर्माताओं ने की थी।
हमारी सरकार के लिए सुशासन का अर्थ है-
सुनवाई, सबकी हो।
सुविधा, हर नागरिक तक पहुंचे।
सुअवसर, हर भारतीय को मिले।
सुरक्षा, हर देशवासी अनुभव करे।
और सुलभता, सरकार के हर तंत्र को सुनिश्चित करनी है।
हमारे लिए सुशासन का एक ही मंत्र है, सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास।
इसी भाव और स्वभाव के साथ हम सब जुटे हुए हैं।
साथियों, हमारा ये निरंतर प्रयास रहा है कि सरकार से सत्ता-सुख को निकालकर सेवा के संस्कार गढ़े जाएं। ये तभी संभव है जब सामान्य मानवी के जीवन में सरकार का दखल जितना कम हो, कम करने का प्रयास करना चाहिए।
हमारा प्रयास है कि सरकार, अटकाने के बजाय, उलझाने के बजाय, सुलझाने का माध्यम बने। आप अगर इस सरकार का मूल्यांकन करेंगे, तो यही कोशिश हर कदम पर आप महसूस करेंगे।
अब देश दस्तावेजों के अटेस्टेशन के, सत्यापन के दौर से बाहर निकल रहा है। आपने खुद से प्रमाणित कर दिया, खुद जिम्मेदारी ले ली, यही सरकार के लिए काफी है।
आज अधिकतर सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया गया है, डिजिटलीकरण कर दिया गया है। जन्म प्रमाण पत्र से लेकर पेंशन के लिए जरूरी जीवन प्रमाण पत्र तक, ज्यादातर सेवाएं ऑनलाइन हैं। पहले जहां कागजों, दस्तावेजों और सरकारी दफ्तरों के फेर में ही एक सामान्य व्यक्ति फंसा रहता था, अब जीवन बहुत आसान हो रहा है।
साथियों, हम सुशासन के उस दौर की तरफ बढ़ रहे हैं, जहां जनता को आवेदन की जरूरत न हो बल्कि, बल्कि सरकार उनके घर जाकर निवेदन करे कि, कहीं कुछ समस्या तो नहीं है। आप देखेंगे कि जनहित की जितनी भी योजनाएं आज चल रही हैं, उनमें लाभार्थियों के चयन से लेकर, उन तक लाभ को पहुंचाने के लिए तकनीक का, डेटा साइंस का भरपूर उपयोग हो रहा है।
बेनिफिट डायरेक्ट हो और डिलिवरी क्विक हो, टारगेटेड हो, ये हमने सरकार की कार्यसंस्कृति में लाने का प्रयास किया है। इसी से पारदर्शिता भी आ रही है, जनता की सेवा भी तेज़ी से हो रही है और देश के ईमानदार करदाताओं का पैसा भी बच रहा है।
साथियों, आज अटल सिद्धि की इस धरती से मैं यूपी के युवा साथियों को, यहां के हर नागरिक को एक और आग्रह करने आया हूं।
आजादी के बाद हमने बराबर देखा है, आजादी के बाद के वर्षों में हमने सबसे ज्यादा जोर अधिकारों पर दिया है, लेकिन अब जब हम आजादी के 75 साल की ओर बढ़ रहे हैं, आजादी के दीवानों के सपनों को आज अगर हम तोलते हैं तो समय की मांग है कि अब तक भले हमने अधिकारों पर बल दिया हो, लेकिन अब वक्त की मांग है कि हमें अपने कर्तव्यों, अपने दायित्वों पर भी उतना ही बल देना है।
ये बात मैं इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि यूपी में जिस तरह कुछ लोगों ने विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंसा की, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, वो अपने घर में बैठ करके एक बार खुद से सवाल पूछें कि क्या उनका ये रास्ता सही था? उनकी प्रवृत्ति योग्य थी? ये जो कुछ जलाया गया, बर्बाद किया गया, क्या वो उनके बच्चों को काम आने वाला नहीं था?
इस प्रदर्शन में, हिंसा में जिन लोगों की मृत्यु हुई, जो सामान्य नागरिक जख्मी हुए, जो पुलिसवाले जख्मी हुए, उनके और उनके परिवारवालों के प्रति, पल भर हम सोचें क्या बीतती होगी? और इसलिए मैं आग्रह करूंगा कि झूठी अफवाहों में आकर हिंसा करने वालों को, सरकारी संपत्ति तोड़ने वालों को मैं बहुत आग्रह से कहना चाहूंगा कि बेहतर सड़क, बेहतर ट्रांस्पोर्ट सिस्टम, उत्तम सीवर लाइन, नागरिकों का हक है, तो इसको सुरक्षित रखना, साफ सुथरा रखना भी तो नागरिकों का दायित्व है।
हक और दायित्व को हमें साथ-साथ और हमेशा याद रखना है।
उत्तम शिक्षा, सुलभ शिक्षा हमारा हक है, लेकिन शिक्षा के संस्थानों की सुरक्षा, शिक्षकों का सम्मान, ये हमारा दायित्व भी है।
चिकित्सा सुविधा हमारा हक है, लेकिन डॉक्टरों का सहयोग और सम्मान करना हमारा दायित्व भी है।
सुरक्षित माहौल मिलना हमारा हक है, लेकिन सुरक्षा के लिए जिम्मेदार पुलिस तंत्र के काम को सम्मान देना, ये हर नागरिक का दायित्व है।
हक की एक मर्यादा है, उसका एक दायरा है, सीमा है। लेकिन दायित्व की, कर्तव्य की, भावना बहुत ही व्यापक है।
साथियों, ये भावना नागरिकों के साथ-साथ सरकार के लिए, सरकार के हर तंत्र के लिए भी उतनी ही जरूरी है।
सरकार का दायित्व ये है कि वो 5 साल के लिए नहीं, बल्कि 5 पीढ़ियों को ध्यान में रखते हुए अपना काम करने की आदत बनाए। मुझे संतोष है कि यूपी सरकार अपने इस दायित्व को निभाने का भरपूर प्रयास कर रही है।
हम अपना दायित्व निभाएं, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करें, यही सुशासन और यही आज का दिवस, अटलजी को स्मरण करते हुए, हम लोगों का संकल्प होना चाहिए, यही जनता की अपेक्षा है, यही अटल बिहारी वाजपेयी की हम सबको शिक्षा है।
एक बार फिर उत्तर प्रदेश के लोगों को अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिए बहुत-बहुत बधाई के साथ आप सबको भी अनेक-अनेक शुभकामनाओं के साथ कुछ दिनों के बाद नया वर्ष प्रारंभ होगा। इस नए वर्ष के भी, जब बहुत दूर नहीं है, सप्ताह भर है, आप सभी को, उत्तर प्रदेश के लोगों को, वर्ष 2020 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद