मध्य प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी,

मध्य प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी,

केंद्रीय मंत्रीमंडल के मेरे सहयोगी आर के सिंह जी,

थावर चंद गहलोत जी, नरेंद्र सिंह तोमर जी, धर्मेंद्र प्रधान जी, प्रह्लाद सिंह पटेल जी, मध्यप्रदेश मंत्रीमंडल के सदस्यगण, सांसद और विधायक गण,

रीवा सहित पूरे मध्य प्रदेश के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों। आज रीवा ने वाकई इतिहास रच दिया है। रीवा की पहचान मां नर्मदा के नाम से और सफेद बाघ से रही है। अब इसमें एशिया के सबसे बड़े सोलर पावर प्रोजेक्ट का नाम भी जुड़ गया है। इसका आसमान से लिया गया वीडियो आप देखते हैं तो लगता है कि खेतों में हजारों सोलर पैनल फसल बनकर लहलहा रहे हैं। या ऐसा भी लगता है कि किसी गहरे समुद्र के ऊपर से गुजर रहे हैं जिसका पानी बहुत नीला है। इसके लिए मैं रीवा के लोगों को, मध्य प्रदेश के लोगों को, बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।

रीवा का ये सोलर प्लांट इस पूरे क्षेत्र को, इस दशक में ऊर्जा का बहुत बड़ा केंद्र बनाने में मदद करेगा। इस सोलर प्लांट से मध्य प्रदेश के लोगों को, यहां के उद्योगों को तो बिजली मिलेगी ही, दिल्ली में मेट्रो रेल तक को इसका लाभ मिलेगा। इसके अलावा रीवा की ही तरह शाजापुर, नीमच और छतरपुर में भी बड़े सोलर पावर प्लांट पर काम चल रहा है। ओंकारेश्वर डैम पर तो पानी में तैरता हुआ सोलर प्लांट लगाने की योजना है। ये तमाम प्रोजेक्ट जब तैयार हो जाएंगे, तो मध्य प्रदेश निश्चित रूप से सस्ती और साफ-सुथरी बिजली का हब बन जाएगा। इसका सबसे अधिक लाभ मध्य प्रदेश के गरीब, मध्यम वर्ग के परिवारों को होगा, किसानों को होगा, आदिवासियों को होगा।

साथियों, हमारी परंपरा में, हमारी संस्कृति में, हमारे रोज़मर्रा के जीवन में सूर्य पूजा का एक विशेष स्थान है। पुनातु मां तत्स वितुर् वरेण्यम् यानि जो उपासना के योग्य सूर्यदेव हैं, वो हमें पवित्र करें। पवित्रता की यही अनुभूति आज यहां रीवा में, हर जगह पर हो रही है? सूर्यदेव की इसी ऊर्जा को आज पूरा देश अनुभव कर रहा है। ये उन्हीं का आशीर्वाद है कि हम सोलर पावर के मामले में दुनिया के टॉप 5 देशों में पहुंच गए हैं।

साथियों, सौर ऊर्जा आज की ही नहीं बल्कि 21वीं सदी की ऊर्जा ज़रूरतों का एक बड़ा माध्यम होने वाला है। क्योंकि सौर ऊर्जा, Sure है, Pure है और Secure है। Sure इसलिए, क्योंकि ऊर्जा के, बिजली के, दूसरे स्रोत खत्म हो सकते हैं, लेकिन सूर्य सदा-सर्वदा, पूरे विश्व में हमेशा ही चमकता रहेगा। Pure इसलिए, क्योंकि ये पर्यावरण को प्रदूषित करने के बजाय उसको सुरक्षित रखने में मदद करता है। Secure इसलिए, क्योंकि ये आत्मनिर्भरता का एक बहुत बड़ा प्रतीक है, बहुत बड़ी प्रेरणा है, ये हमारी ऊर्जा ज़रूरतों को भी सुरक्षित करता है। जैसे-जैसे भारत विकास के नए शिखर की तरफ बढ़ रहा है, हमारी आशाएं-आकांक्षाएं बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे हमारी ऊर्जा की, बिजली की ज़रूरतें भी बढ़ रही हैं। ऐसे में आत्मनिर्भर भारत के लिए बिजली की आत्मनिर्भरता बहुत आवश्यक है। इसमें सौर ऊर्जा एक बहुत बड़ी भूमिका निभानी वाली है और हमारे प्रयास भारत की इसी ताकत को विस्तार देने के हैं।

साथियों, जब हम आत्मनिर्भरता की बात करते हैं, प्रगति की बात करते हैं तो Economy उसका एक अहम पक्ष होता है। पूरी दुनिया के नीति निर्माता बरसों से दुविधा में है, कि Economy की सोचें या Environment की। इसी ऊहापोह में फैसले कहीं एक पक्ष में लिए जाते हैं और कहीं दूसरे पक्ष में लिए जाते हैं। लेकिन भारत ने ये दिखाया है कि ये दोनों विरोधी नहीं बल्कि एक दूसरे के सहयोगी हैं। स्वच्छ भारत अभियान हो, हर परिवार को LPG और PNG का साफ सुथरा ईंधन से जोड़ने का अभियान हो, पूरे देश में CNG आधारित वाहन व्यवस्था के लिए बड़ा नेटवर्क बनाने का काम हो, देश में बिजली आधारित परिवहन के लिए होने वाले प्रयास हों, ऐसी अनेक प्रयास देश में सामान्य मानवी के जीवन को बेहतर और Environment Friendly बनाने के लिए किए जा रहे हैं। भारत के लिए Economy और Environment दो पक्ष नहीं हैं, बल्कि एक दूसरे के पूरक पक्ष हैं।

साथियों, आज आप देखेंगे कि सरकार के जितने भी कार्यक्रम हैं, उनमें पर्यावरण सुरक्षा और Ease of Living को प्राथमिकता दी जा रही है। हमारे लिए पर्यावरण की सुरक्षा सिर्फ कुछ प्रोजेक्ट्स तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये Way of Life है। जब हम renewable energy के बड़े projects लॉन्च कर रहे हैं, तब हम ये भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि साफ-सुथरी ऊर्जा के प्रति हमारा संकल्प जीवन के हर पहलू में दिखे। हम कोशिश कर रहे हैं कि इसका लाभ देश के हर कोने, समाज के हर वर्ग, हर नागरिक तक पहुंचे। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं।

साथियों, बीते 6 साल में लगभग 36 करोड़ LED bulbs पूरे देश में वितरित किए जा चुके हैं। 1 करोड़ से ज्यादा LED देशभर में स्ट्रीट लाइट्स में लगाए गए हैं। सुनने में तो ये बहुत सामान्य बात लगती है। ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि सामान्य तौर पर जब कोई सुविधा हमको मिलती है तो उसके इंपेक्ट की या उसके होने या ना होने की चर्चा हम ज्यादा नहीं करते। इस प्रकार की चर्चा तभी होती है, जब वो चीज़ हमारे पास नहीं होती है।

साथियों, ये छोटा सा दुधिया LED बल्ब जब नहीं था, तो इसकी ज़रूरत अनुभव होती थी, लेकिन कीमत पहुंच से बाहर थी। बिकता नहीं था तो बनाने वाले भी नहीं थे। तो 6 साल में क्या क्या बदलाव आया? LED बल्ब की कीमत करीब 10 गुणा घट गई, अनेक कंपनियों के बल्ब बाज़ार में आ गए। और जो काम पहले 100-200 वाट के बल्ब करते थे, वो अब 9-10 वाट के बल्ब करने लगे हैं। घरों और गलियों में LED लगाने भर से ही, हर साल करीब 600 अरब यूनिट बिजली की खपत कम हो रही है और लोगों को रोशनी भी अच्छी मिल रही है। इतना ही नहीं, हर साल लगभग 24 हज़ार करोड़ रुपए की बचत देश के लोगों को हो रही है। यानि LED बल्ब से बिजली का बिल कम हुआ है। इसका एक और महत्वपूर्ण पहलू है। LED बल्ब से करीब साढ़े 4 करोड़ टन कम कार्बन डाइ-अकसाइड पर्यावरण में जाने से रुक रही है, यानि प्रदूषण कम हो रहा है।

साथियों, बिजली सब तक पहुंचे, पर्याप्त बिजली पहुंचे। हमारा वातावरण, हमारी हवा, हमारा पानी भी शुद्ध बना रहे, इसी सोच के साथ हम निरंतर काम कर रहे हैं। यही सोच सौर ऊर्जा को लेकर हमारी नीति और रणनीति में भी स्पष्ट झलकती है। आप सोचिए, साल 2014 में सोलर पावर की कीमत 7-8 रुपए प्रति यूनिट हुआ करती थी। आज यही कीमत सवा 2 से ढाई रुपए तक पहुंच चुकी है। इसका बहुत बड़ा लाभ उद्यगों को मिल रहा है, रोज़गार निर्माण में मिल रहा है, देशवासियों को मिल रहा है। देश ही नहीं पूरी दुनिया में इसकी चर्चा है कि भारत में सोलर पावर इतनी सस्ती कैसे है। जिस तरह से भारत में सोलर पावर पर काम हो रहा है, ये चर्चा और बढ़ने वाली है। ऐसे ही बड़े कदमों के कारण भारत को क्लीन एनर्जी का सबसे Attractive market माना जा रहा है। आज जब Renewable Energy की तरफ Transition को लेकर दुनिया में चर्चा होती है तो, इसमें भारत को मॉडल के रूप में देखा जाता है।

साथियों, दुनिया की, मानवता की, भारत से इसी आशा, इसी अपेक्षा को देखते हुए, हम पूरे विश्व को जोड़ने में जुटे हुए हैं। इसी सोच का परिणाम आइसा यानि इंटरनेशनल सोलर अलायंस (आईसा) है। वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड, के पीछे की यही भावना है। ये सौर ऊर्जा के बेहतर उत्पादन और उपयोग को लेकर एक पूरी दुनिया को इकट्ठा करने का प्रयास है। ताकि हमारी धरती के सामने खड़ा बड़ा संकट भी कम हो सके और छोटे से छोटे, गरीब से गरीब देश की बेहतर बिजली की ज़रूरतें भी पूरी हो सकें।

साथियों, एक प्रकार से सौर ऊर्जा ने आम ग्राहक को उत्पादक भी बना दिया है, पूरी तरह से बिजली के बटन पर कंट्रोल दे दिया है। बिजली पैदा करने वाले बाकी माध्यमों में सामान्य जन की भागीदारी ना के बराबर रहती है। लेकिन, सौर ऊर्जा में तो चाहे घर की छत हो, दफ्तर या कारखाने की छत हो, कहीं पर भी थोड़ा स्पेस हो, इसमें सामान्य जन भी अपनी आवश्यकता की बिजली पैदा कर सकता है। इसके लिए सरकार व्यापक प्रोत्साहन दे रही है, मदद भी कर रही है। बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भरता के इस अभियान में अब हमारा अन्नदाता भी जुड़ रहा है।

साथियों, हमारा किसान आज इतना सक्षम है, इतना संसाधन सम्पन्न है कि आज वो एक नहीं, दो-दो तरह के Plants से देश की मदद कर रहा है। एक Plant तो वो है, जिनसे पारंपरिक खेती होती है, हम सभी को अन्न मिलता है, भोजन मिलता है। लेकिन अब दूसरे तरह के भी Plant भी हमारा किसान लगा रहा है, जिससे घरों तक बिजली भी पहुंचेगी। जो पहला प्लांट है, जो पारंपरिक खेती है, वो हमारा किसान ऐसी जमीन पर लगाता है जो उपजाऊ होती है। लेकिन ये जो दूसरा सोलर एनर्जी प्लांट है, ये ऐसी जमीन पर भी लगेगा जो उपजाऊ नहीं है, फसल के लिहाज से अच्छी नहीं है। यानि कि, किसान की वो ज़मीन जहां फसल नहीं उग सकती, उसका भी उपयोग होगा, उससे भी किसान की आमदनी बढ़ेगी।

कुसुम योजना के माध्यम से आज किसानों को अतिरिक्त जमीन पर ऐसे सोलर प्लांट लगाने में मदद की जा रही है। खेतों में ही जो सोलर बिजली पैदा होगी, इससे हमारे किसान अपनी ज़रूरतें भी पूरी कर पाएंगे और अतिरिक्त बिजली को बेच भी सकेंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि मध्य प्रदेश के किसान साथी भी अतिरिक्त आय के इस साधन को अपनाने और भारत को Power Exporter बनाने के इस व्यापक अभियान को ज़रूर सफल बनाएंगे। ये विश्वास इसलिए अधिक है क्योंकि मध्य प्रदेश के किसानों ने संकल्प को सिद्धि में बदलकर दिखाया है। आपने जो काम किया है, वो चर्चा का विषय बना हुआ है। जिस प्रकार आपने गेहूं उत्पादन के मामले रिकॉर्ड बनाया, दूसरों को पीछे छोड़ दिया, वो प्रशंसनीय है। कोरोना के इस मुश्किल समय में किसानों ने जो रिकॉर्ड-तोड़ उत्पादन किया, मध्य प्रदेश की सरकार ने रिकॉर्ड-तोड़ खरीद की, उसके लिए भी आप प्रशंसा के पात्र हैं। इसलिए, बिजली उत्पादन के मामले में भी मध्य प्रदेश के सामर्थ्य पर मुझे पूरा भरोसा है। उम्मीद है कि एक दिन ये भी खबर आएगी कि कुसुम योजना के तहत मध्य प्रदेश के किसानों ने रिकॉर्ड बिजली पैदा की।

भाइयों और बहनों, सोलर पावर की ताकत को हम तब तक पूरी तरह से उपयोग नहीं कर पाएंगे, जबतक हमारे पास देश में ही बेहतर सोलर पैनल, बेहतर बैटरी, उत्तम क्वालिटी की स्टोरेज कैपेसिटी का निर्माण ना हो। अब इसी दिशा में तेज़ी से काम चल रहा है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत अब देश का लक्ष्य है कि सोलर पैनल्स सहित तमाम उपकरणों के लिए हम आयात पर अपनी निर्भरता को खत्म करें। लक्ष्य ये है कि अभी जो देश की सोलर पीवी मोडयूल मैन्युफेक्चरिंग कैपेसिटी है, उसको भी तेजी से बढ़ाया जाए। इसलिए घरेलू मैन्युफेक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए अनेक ज़रूरी कदम उठाए जा रहे हैं। अब जैसे कुसुम योजना के तहत लगाए जा रहे पंपों में और घरों में लगने वाले रूफ-टॉप पैनल में भारत में ही बने Solar Photo Voltaic (वोलटेक) cells और Modules (मोडयूल्स) ज़रूरी कर दिए गए हैं। इसके अलावा सरकारी विभाग और दूसरी सरकारी संस्थाएं जो भी सोलर सेल या मोडयूल खरीदेंगी, वो मेक इन इंडिया ही हो, ये तय किया गया है। यही नहीं, पावर प्लांट्स लगाने वाली कंपनियां सोलर PV मैन्युफेक्चरिंग भी करें, इसके लिए भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है। मेरा आज इस सेक्टर से जुड़े उद्यमियों से, युवा

साथियों से, स्टार्ट अप्स से, MSME's से भी आग्रह है कि इस अवसर का लाभ उठाएं। भाइयों और बहनों, आत्मनिर्भरता सही मायने में तभी संभव है जब हमारे भीतर आत्मविश्वास हो। आत्मविश्वास तभी आता है जब पूरा देश, पूरा सिस्टम हर देशवासी का साथ दे। कोरोना संकट से पैदा हुई स्थितियों के बीच भारत यही काम कर रहा है, सरकार यही आत्मविश्वास जगाने में जुटी है। समाज के जिस तबके तक अक्सर सरकारें पहुंच नहीं पाती थीं, आज उन तक सरकार के संसाधन और संवेदना, दोनों पहुंच रही है। अब जैसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को ही लीजिए। लॉकडाउन के तुरंत बाद पहला कदम ये उठाया गया कि देश के 80 करोड़ से अधिक गरीब

साथियों तक मुफ्त खाना पहुंच सके, उनकी जेब में थोड़ा-बहुत पैसा भी रहे। और जब लॉकडाउन उठाया गया, तब सरकार को लगा कि आने वाला समय तो बरसात का है, त्योहारों का है। ऐसे में गरीबों को ये मदद मिलती रहनी चाहिए। इसलिए इस योजना को जारी रखा गया। अब गरीब परिवारों को नवंबर तक मुफ्त राशन मिलता रहेगा। इतना ही नहीं, निजी क्षेत्र के लाखों कर्मचारियों के EPF खाते में भी सरकार पूरा अंशदान दे रही है। इसी तरह, पीएम-स्वनिधि योजना के माध्यम से उन

साथियों की सुध ली गई, जिनकी सिस्टम तक सबसे कम पहुंच होती है। आज इस योजना से रेहड़ी, ठेला लगाने वाले लाखों

साथियों को 10 हज़ार रुपए तक के सस्ते ऋण बैंक से मिलने लगे हैं। हमारे लिए सबसे अधिक उपयोगी ये साथी अपने छोटे से कारोबार को बचा सकें, चला सकें, ऐसा पहले कब सोचा गया था? यानि एक तरफ छोटे, लघु, कुटीर उद्योगों और बड़े उद्योगों के बारे में सोचा गया तो, दूसरी तरफ इन छोटे लेकिन उपयोगी कारोबारियों की भी चिंता की गई।

साथियों, सरकार हो या समाज, संवेदना और सतर्कता इस मुश्किल चुनौती से निपटने के लिए हमारे सबसे बड़े प्रेरणा-स्रोत हैं। आज जब आप मध्य प्रदेश को, पूरे देश को आगे बढ़ाने के लिए घर से बाहर निकल रहे हैं, तो अपनी एक और जिम्मेदारी भी हमेशा याद रखिए। दो गज़ की दूरी, चेहरे पर मास्क और हाथ को 20 सेकेंड तक साबुन से धुलना, इन नियमों का हमें हमेशा पालन करना है। एक बार फिर आपको, मध्य प्रदेश को इस सोलर पावर प्लांट के लिए

बहुत-बहुत बधाई। आप सतर्क रहें, सुरक्षित रहें, स्वस्थ रहें। बहुत-बहुत आभार !

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Prime Minister condoles passing away of former Prime Minister Dr. Manmohan Singh
December 26, 2024
India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji: PM
He served in various government positions as well, including as Finance Minister, leaving a strong imprint on our economic policy over the years: PM
As our Prime Minister, he made extensive efforts to improve people’s lives: PM

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has condoled the passing away of former Prime Minister, Dr. Manmohan Singh. "India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji," Shri Modi stated. Prime Minister, Shri Narendra Modi remarked that Dr. Manmohan Singh rose from humble origins to become a respected economist. As our Prime Minister, Dr. Manmohan Singh made extensive efforts to improve people’s lives.

The Prime Minister posted on X:

India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji. Rising from humble origins, he rose to become a respected economist. He served in various government positions as well, including as Finance Minister, leaving a strong imprint on our economic policy over the years. His interventions in Parliament were also insightful. As our Prime Minister, he made extensive efforts to improve people’s lives.

“Dr. Manmohan Singh Ji and I interacted regularly when he was PM and I was the CM of Gujarat. We would have extensive deliberations on various subjects relating to governance. His wisdom and humility were always visible.

In this hour of grief, my thoughts are with the family of Dr. Manmohan Singh Ji, his friends and countless admirers. Om Shanti."