Quoteकेंद्र और राज्य सरकार को बिहार के विकास के लिए मिलकर काम करना चाहिए: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteप्रधानमंत्री मोदी ने मोकामा में नमामि गंगे के तहत एवं विभिन्न राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास किया
Quoteहम एक योजना की शुरूआत करते हैं तो यह भी सुनिश्चित करते हैं कि उसे पूरा करने की रूपरेखा तैयार करें: प्रधानमंत्री
Quoteजिन परियोजनाओं का शिलान्यास किया जा रहा है, उससे बिहार के विकास को गति मिलेगी: प्रधानमंत्री मोदी

 

 भारत माता की जय। भारत माता की जय। 

विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाईयों और बहनों, 

अपने सब मोकामावासी के प्रणाम। भगवान परशुराम की पावन धरती पर अपने सबके सादर प्रणाम। हमें मोकामा में आ के धन्य हो गे लियो। 

पूरा देश दिवाली मनाने की तैयारी कर रहा है। छठ पूजा की भी तैयारियां चल रही हैं। आप सबको दिपावली और छठ पूजा की मेरी तरफ से अग्रिम शु‍भकामनाएं देता हूं और इस पावन पर्व पर करीब-करीब पौने चार हजार करोड़ रुपयों की विकास की सौगात भी आज इस बिहार की धरती को मिल रही है। 

भाईयों-बहनों, अभी हमारे गडगरी जी, कितने प्रोजेक्‍ट हमारी भारत सरकार ने शुरू किए हैं और वो रोड के क्षेत्र में, रास्‍ता बनाने में उसका वर्णन कर रहे थे और वर्णन इतना लम्‍बा था कि मैं देख रहा था कि आप भी हैरान थे कि इतने कम सेमय में बिहार का भाग्‍य बदलने के लिए इतनी सारी योजनाएं लागू की जा सकती हैं, यह हमने करके दिखाया। 

मैं नितिश जी का और उनकी पूरी टीम का भी हृदय से आभारी हूं कि भारत सरकार की सभी योजनाओं को, हर प्रकार का उनका सहयोग रहा, समर्थन रहा। हमारी कठिनाइयां होती है तो वो दूर करने की चिंता करते हैं और एक प्रकार से केंद्र सरकार और राज्‍य सरकार दोनों कंधे से कंधा मिला करके आज बिहार के सपनों को पूरा करने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं और परिणाम नजर आने लगा है। नितिश जी ने कई विषयों को स्‍पर्श किया, वे मुख्‍यमंत्री तो हैं लेकिन उनका लगाव इस क्षेत्र में इतने सालों तक सांसद रहने के कारण, आपके प्रति उनका emotional लगाव है और emotional लगाव होने के कारण उनके मन में यह तड़पन होना कि यह होना चाहिए, वो होना चाहिए ढिकना होना चाहिए, फलाना होना चाहिए। मैं उनकी इस भावना का आदर करता हूं और मैं विश्‍वा दिलाता हूं कि भारत सरकार बिहार के कोटि-कोटि जनों के सपनों को पूरा करने में कंधे से कंधा मिला करके आपके साथ चलेगी और विकास की यात्रा को नई ऊंचाईयों पर ले जाएगी। 

भाईयों-बहनों आज मुझे मोकामा की धरती पर आने का सौभाग्‍य मिला है, जिस पुल के निर्माण का आज शिलान्‍यास हुआ है, मुझे हमारे नितिश जी जब मैं ऊपर आ रहा था, तो उसकी डिजाइन दिखा रहे थे। उसका model दिखा रहे थे, मुझे विश्‍वास है कि इस प्रकार का Bridge, यह पूरे बिहार के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। और यह पुल बिहार के प्रथम मुख्‍यमंत्री डॉ. कृष्‍ण जी की कर्म भूमि बेगू सराय को राजधानी पटना के साथ जोड़ने वाला Bridge है। बेगूसराय को Refinery, Fertilizer, Thermal Power और बरौनी डेयरी स्थापित करके, बिहार की औद्योगिक राजधानी बनाने वाले ऐसे श्री बाबू को भी आज मैं आदरपूर्वक नमन करता हूं। 

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आज मैं उस धरती पर आया हूं जहां से कुछ सौ मीटर की दूरी पर वो तीर्थ धाम है, शिक्षा का वो क्षेत्र है, जिसने राष्‍ट्र कवि दिनकर जी का बालकाल में संस्‍कार संस्‍करण किया था। और जब दिनकर जी की याद आती है, तो उनकी भावनाएं आज भी हमें प्रेरणा देती हैं। अंध-श्रद्धा से मुक्ति के लिए मार्ग दिखाती है। दलित, पीडि़त, शोषित, गरीब, वंचित... गांव हो, किसान हो, मजदूर हो उनके प्रति एक आदर का भाव जगाने की प्रेरणा दिनकर जी की भाव अभिव्‍यक्ति में हम महसूस करते है। जिस धरती पर दिनकर जी पले-बढे और जिनका जन्‍म स्‍थान भी नजदीक में ही है। दिनकर जी ने कहा था –

‘आरती लिये तो किसे ढूंढता है मूर्ख, अंध-श्रद्धा के खिलाफ चोट पहुंचाते थे। 

‘‘आरती लिये तो किसे ढूंढता है मूर्ख, मंदिरों, राज प्रसादों में, तहखानों में,

अरे देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे, देवता मिलेंगे, खेतों में खिलहानों में’’।।



आज जिन रास्‍तों के निर्माण का प्रोजेक्‍ट हो रहा है, वहां वो ही भगवान जो गिट्टे तोड़ने वाले हमारा भाग्‍य बनाने वाले हैं और भारत सरकार दिनकर जी के उन सपनों को पूरा करने के लिए एक अहम कदम उठा रही है। 

भाईयों-बहनों, यह जगह भगवान परशुराम की तपोस्‍थली भी है। प्राचीन काल के तीन महाजनपद अंग, मगध और मिथिला के संगम पर अवस्थित मां गंगा का पवित्र सिमरिया तट का गौरवशाली इतिहास कोई भूल नहीं सकता है। इस मंच से, इस पवित्र सिमरिया तट को आज मुझे नमन करने का सौभाग्‍य मिला है, मैं श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। यह वो धरती जो वीर शिरोमणि बाबा चौहरमल, जिनके नाम पर कुछ ही दूरी पर प्रति वर्ष मेला लगता है। लोग उमड़ पड़ते हैं, मैं ऐसी इस पवित्र भूमि को भी नमन करता हूं। 

बिहार के मेरे प्‍यारे भाईयों-बहनों, मेरी जहां भी नजर पहुंच रही है मुझे लोग ही लोग नजर आ रहे हैं। जितने लोग यह पंडाल में जगह मिली है, उससे दोगुना-तीनगुना लोग बाहर है। यह सारे लोग ताप में तप रहे हैं। इतने लम्‍बे समय से तप रहे हैं, इतना कष्‍ट उठा करके भी आज हम सबको आप आशीर्वाद देने के लिए आए, मैं आप सबको भी नमन करता हूं। आपका अभिनंदन करता हूं। लेकिन मेरे प्‍यारे बिहार वासियों यह आप जो तप कर रहे हैं, तप में तप रहे हैं, मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं भारत सरकार और राज्‍य सरकार आपकी इस तपस्‍या को कभी बेकार नहीं जाने देगी। 

हमारे देश में ऐसे भी लोग हो गए जिनकी सोच देश को पीछे ले जाने का कभी कारण भी रही थी। अगर कोई अच्‍छी सड़क बनाने की बात करे तो मैंने ऐसे नेताओं का अखबारों मं पढ़ा करता था कभी, वो कहते थे कि सड़क की क्‍या जरूरत है, सड़क तो मोटर कार वालों को चाहिए, हम गरीबों के पास गाड़ी का है, हमको रोड की क्‍या जरूरत है, सड़क की क्‍या जरूरत है। ऐसे विकृत मानसिकता वाले लोग, उन्‍होंने देश को जितना तबाह किया है शायद उसक हम कल्‍पना नहीं कर सकते। आज किसी भी गांव में जाइये और अगर सड़क नहीं है... मुझे M.P भी मिलने आते हैं, तो यही कहते है कि साहब मेरे इलाके में अभी कुछ गांव में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना बाकी रह गई है, इस बार हमारे यहां priority दीजिए। गांव के नागरिक जब भी मिलते हैं, उनकी मांग रहती है कि हमें प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना दीजिए। भाईयों-बहनों, पिछले तीन साल में हमने बजट में इतनी बढोत्‍तरी कर दी, हमने काम में इतनी तेजी लाई कि पहले जितने रोड़ बनते थे एक दिन में आज उसकी डबल रोड बनाने की दिशा में हम सफल हुए और गांव के जीवन को बदलने के लिए यह रोड बनाने का काम हो रहा है। लेकिन सिर्फ ग्रामीण सड़क पर्याप्‍त नहीं है। हमें बडे-बड़े आर्थिक जो सेंटर होते हैं, जो growth center होते हैं, जहां economy drive करती है, उसको भी interior स्‍थानों के साथ हमें रोड connectivity से जोड़ना जरूरी है। 

आज जो हजारों करोडों रुपयों की योजनाओं के शिलान्‍यास हुए हैं वो सिर्फ उस पर गाडियां दौड़ाने के लिए नहीं है। यह सड़क का निर्माण यहां के आर्थिक जीवन को बदलने के लिए हैं। यहां पर समृद्धि उसी रोड से खींच करके लाने के लिए हमें प्रयास हैं और रास्‍ते ही होते हैं जो समृद्धि को खींच करके लाते हैं और समृद्धि का इलाका निर्माण करने में योगदान करते हैं। 

भाईयों-बहनों, गंगा हम सब का जीवन उससे जुडा हुआ है। अगर आज मां गंगा न होती तो पता नहीं हमारा पूरा भू-भाग वहां की कैसी भयंकर स्थिति होती। लेकिन उस गंगा को कभी बचाने के लिए हमने प्रयास नहीं किए, हमने उदासीनता बरती। गंगा को बचाना हमारी भावी पीढि़यों को बचाना है। गंगा को निर्मल करेंगे, तो गंगा को अविरल करने से कोई रोक नहीं पाएगा और इसलिए सरकार अरबो-खरबो रुपया खर्च करके गंगा की सफाई पर लगी है और यह सिर्फ एक नदी का नाम नहीं है, एक बार नदियों के प्रति फिर से वही एक बार वही श्रद्धाभाव जगेगा, नदियों को बचाने की पहल चलेगी, हिन्‍दुस्‍तान की हर नदियों के प्रति जागरूकता आएगी। भारत में, भविष्‍य में पानी के संकट से अगर बचना है तो यही मार्ग है जिसको हमने गंभीरता से लेना होगा और इसलिए गंगा सफाई का जो अभियान चल रहा है, गंगोत्री से ले करके बंगाल सागर तक जो भी राज्‍य इसके साथ जुडे हैं उनके अलग-अलग भाग करके गंगा गंदी न हो, सबसे पहली प्राथमिकता उस पर दी गई है। गंगा में जाने वाले गंदे पानी को, केमिकल वाले पानी को रोकने की दिशा में अभियान चला है। आज बिहार में एक साथ अनेक विद्, इस प्रोजेक्‍टों का भी शिलान्‍यास हो रहा है, जो आने वाले दिनों में मां गंगा को हम जैसी श्रद्धाभाव रखते हैं, उसी रूप में देखने को मिलेगा और जब मां गंगा हमारे सपनों के अनुरूप होगी, तब छठ पूजा का आनंद ही कुछ और होगा, वो भक्ति का भाव भी कुछ और होगा। 

भाईयों-बहनों, पिछलों दिनों भारत रेल मंत्रालय ने पूर्वी उत्‍तर प्रदेश और बिहार के लोगों के लिए महत्‍वपूर्ण ट्रेन चलाई है, जिसका लाभ यह दिवाली और छठ पूजा में भरपूर मिलने वाला है। मुम्‍बई से गौरखपुर ट्रेन अंत्‍योदय एक्‍सप्रेस, देश की पहली अंत्‍योदय एक्‍सप्रेस और अभी एक सप्‍ताह पहले मैंने सूरत से पटना जयनगर तक दूसरी अंत्‍योदय एक्‍सप्रेस को भी वहां से मैंने हरी झंडी दी है। without reservation गरीब से गरीब व्‍यक्ति last moment दौड़ करके अंदर आ करके बैठ सकता है, अपने घर जा सकता है, यह व्‍यवस्‍था की है। 

महामाना एक्‍सप्रेस, बड़ोदा से बनारस तक जोड़ी है, सूरत में काम करने वाले लोग, बड़ोदा में काम करने वाले लोग, अंकलेश्वर में काम करने वाले लोग, महाराष्‍ट्र में काम करने वाले लोग दिवाली और छठ पूजा के त्‍यौहार पर अपने घर आराम से पहुंच सके, इसलिए बहुत तेजी करके इन्‍हीं दिनों यह चार महत्‍वपूर्ण ट्रेन बिहार और पूर्वी उत्‍तर प्रदेश को जोड़ने का काम इस सरकार ने किया है, जिसका लाभ दिवाली में और छठ पूजा में आपको अवश्‍य मिलने वाला है। 

भाईयों-बहनों, अभी नितिन जी हमारे बता रहे थे, हमारे गडकरी जी, गडकरी जी ने जो खाका बताया आपके सामने शायद देश आजाद होने के बाद इतने कम समय में infrastructure का इतना बडा काम बिहार की धरती पर कभी नहीं हुअ होगा, अकेले रोड का काम... अभी नितिन जी बजा रहे थे 53 हजार करोड़ रुपयों के काम या तो मंजूर हो गए या तो काम चालू हो गए हैं। आप कल्‍पना कर सकते हैं कि यह मूलभूत सुविधाएं, infrastructure की मूलभूत सुविधाएं कितना बड़ा परिणाम लाएगी इसका आप अंदाजा कर सकते हैं। 

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हम यह बात भलीभांति जानते हैं कि आने वाला युग बिना connectivity विकास यात्रा को कभी आगे बढने नहीं देगा, रोड connectivity चाहिए, रेल connectivity चाहिए, internet connectivity चाहिए, गैस ग्रिड चाहिए, बिजली का connection चाहिए, शुद्ध पानी की नलिया चाहिए। यह connectivity यह गरीब से जुड़े हुए विषय हैं और इसमें हमारे गडकरी जी के नेतृत्‍व में water way का भी अभियान चला है। अगर एक बार water way को हम सफलतापूर्वक आगे बढ़ाएंगे, आप देखिए नदी का महत्‍व भी जो आर्थिक विषयों से जुड़े हुए लोग हैं, वो भी श्रद्धाभाव से नदियों से जुड़ने के लिए आगे आए बिना रह नहीं पाएंगे, ऐसा बदलाव यह waterways के कारण देश के आर्थिक क्षेत्र में माल ढोने की व्‍यवस्‍था में कम से कम खर्च में माल पहुंचाने से गरीब को सस्‍ता में सस्‍ता चीजों को उपलब्‍ध कराने का काम यह मां के तट पर waterway के द्वारा यह संभव होने वाला है। जिस जमाने में अंग्रेज waterway का उपयोग करते थे, तभी यह हमारा मोकामा, मिनी कलकत्‍ता के रूप में जाना जाता था। एक बड़े आर्थिक और ट्रांसपोर्टेशन की गति का केंद्र बन गया था। यह शौहरत फिर से हासिल कराने का भारत सरकार ने बीड़ा उठाया है और मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं कि यह शौहरत हम वापस ला करके रहेंगे। 

पिछले दिनों हमने देखा होगा कि हमने जिन गांवों में बिजली नहीं है उन गांवों में बिजली पहुंचाने का एक बड़ा अभियान उठाया है। 18 हजार गांवों ऐसे थे, जहां बिजली नहीं थी। एक हजार दिन में पूरा करने का सपना ले करके चले हैं। अभी-अभी कुछ महीने अभी बाकी है, लेकिन अब तक करीब-करीब 15 हजार से ज्‍यादा गांव बिजली पहुंचा चुके हैं और जो ढ़ाई-तीन हजार गांव बाकी हैं, उनमें भी तेज गति से काम चल रहा है। लेकिन उसके साथ अभी हमने प्रधानमंत्री सौभाग्‍य योजना लागू की है। यह ‘प्रधानमंत्री सौभाग्‍य योजना’, मैं बिहार से आग्रह करूंगा आप इसका भरपूर फायदा उठाइये। यह ‘प्रधानमंत्री सौभाग्‍य योजना’ यह है कि भारत सरकार और राज्‍य सरकार मिल करके जिसके भी घर में बिजली का connection नहीं है भारत सरकार और राज्‍य सरकार मिल करके मुफ्त में बिजली का connection देंगे। झुग्‍गी-झोपड़ी होगी, तब भी उसके घर में लट्टू जलेगा। पहले कोई बिजली मांगता था, तो सरकार कहती थी कि उधर खम्‍भा है, उस खम्‍भे से यहां आना है तो 10 खम्‍भे और लगाने पड़ेंगे, इतना तार लगाना पड़ेगा, इसका करीब 30 हजार रुपया खर्चा होगा। अगर तुम 30 हजार रुपया दोगे, तब बिजली का connection मिलेगा, तो निम्‍न, मध्‍यम वर्ग का व्‍यक्ति, गरीब व्‍यक्ति को कहता था भई मुझे बिजली नहीं चाहिए, मैं 30 हजार रुपया नहीं दे सकता। लोग बिजली नहीं लेते थे। भाईयों-बहनों, हमने तय किया है कि अब हिन्‍दुस्‍तान का कोई भी परिवार 18वीं शताब्‍दी के अंधेरे में जीने के लिए मजबूर नहीं होगा, मुफ्त में connection दिया जाएगा, खम्‍भे डालने होंगे तो सरकार डालेगी, तार लगाने होंगे तो सरकार लगाएगी और घर तक बिजली ले जाएंगे, पहली जो connection दे देंगे, मुफ्त में connection दे दिया जाएगा, ताकि वो अपने घर में बच्‍चों की शिक्षा के लिए, जीवन के लिए सोचे, नये तरीके से सोचे और बदलाव की दिशा में आगे बढ़े। 

भाईयों-बहनों, यह सरकार की एक विशेषता है और आप तीन साल के बाद हमारी आलोचना करने वालों को भी इस बात का स्‍वीकार करना पड़ रहा है। पहले सरकारों की आदत हुआ करती थी चुनाव में ध्‍यान में रख करके योजनाओं की घोषणा करना और फिर लोगों को योजनाओं को भुला देना। आज दिल्‍ली में ऐसी सरकार हमारी चल रही है कि जिस योजना की कल्‍पना करते हैं उसका रोड मैप भी तैयार करते हैं। और हमारी आंखों के सामने, समय-सीमा में उन योजनाओं को लागू करने के लिए सरकार जी-जान से जुट जाती है, संसाधन इकट्ठे करती है। आपने देखा होगा गरीब परिवारों को गैस का connection आज देश में तीन करोड़ से ज्‍यादा परिवारों को, गरीब से गरीब परिवारों को गैस का सिलेंडर पहुंच गया। वो गैस के चूल्‍हे से रोटी बनाने लग गए। आने वाले दो साल में दो करोड़ परिवारों को और देने का सपना है, वो भी हम समय-सीमा में पूरा करके रहेंगे और गरीब की जिंदगी में बदलाव लाएंगे। 

हम जो स्‍वच्‍छता का अभियान ले करके चले हैं। यह स्‍वच्‍छता का अभियान मेरे लिए उसके लिए मेरे दिमाग में मेरी गरीब माताएं-बहनें हैं और मैं हर किसी को कहूंगा, सरकार में बैठे मुलाजिमों से कहना चाहूंगा, पढ़े-लिखे नौजवानों से कहना चाहूंगा, आर्थिक रूप से सम्‍पन्‍न परिवारों से कहना चाहूंगा, पलभर के लिए सोचिए, उन मां-बहनों के लिए भी सोचिए जो मां-बहनें गांव में रहती हैं, शहर की झुग्‍गी झोपड़ी में रहती हैं और खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं। उन्‍हें शौचालय नहीं है, वो क्‍या करती हैं सूरज उगने से पहले अंधेरे में घर से बाहर जा करके अपनी प्रात: विधि करके सूरज उगने से पहले घर लौट आती हैं। और एक बार सूरज उग गया और कभी दिन में उसको जाने की जरूरत पड़ गई तो रात को सूरज ढलने तक वो इंतजार करती है और जब अंधेरा होता है, शरीर को पीड़ा देती है, पीड़ा सहन करती है और बाद में वो शौच के लिए जाती है। मेरी इन गरीब मां-बहनों की तबीयत पर कितना दुष्‍प्रभाव होता होगा। हमारी मां-बहनों के हाल क्‍या होते होंगे, और इसलिए मैं विशेष रूप से हिन्‍दुस्‍तान के सभी राज्‍यों से आग्रह करता हूं कि अगर हमारे दिल में हमारी मां-बहन, बेटियों की इज्‍जत, उनके स्‍वास्‍थ्‍य की चिंता यह अगर हमारा दायित्‍व है तो हम शौचालय बनाने में कोई भी लापरवाही न करे, उसको ईमानदारी से आगे बढ़ाएं, इसको पूरा करने का प्रयास करे। 

आज देश में पांच करोड़ परिवारों को शौचालय से जोड़ा है। जहां देश में 50 प्रतिशत से भी कम स्‍वच्‍छता की व्‍यवस्‍थाएं मौजूद थीं, आज करीब-करीब 80% से ज्‍यादा हम पहुंचाने में सफल हुए, लेकिन हमें इसे और आगे बढ़ाना है और इसलिए मैं विशेष रूप से मेरे बिहार वासियों से आग्रह करता हूं कि आप एक जिम्‍मेदारी लीजिए अपने गांव में, आज देश करीब ढ़ाई लाख गांव खुले में शौच से अपने आप को मुक्‍त कर चुके हैं। मैं बिहार को निमंत्रण देता हूं, आइये हम भी अपने गांव को खुले में शौच से मुक्त करें। अपनी तहसील को खुले में शौच से मुक्त करें, अपने जिलो को खुले में शौच से मुक्त करें और आने वाले कम समय में जिस धरती पर महात्‍मा गांधी ने चम्‍पारण का सत्‍याग्रह किया हो, जिस धरती पर महात्‍मा गांधी ने स्‍वच्‍छता का संदेश दिया हो, जिस धरती पर महात्‍मा गांधी ने स्वावलंबन का पुरूषार्थ दिया हो, ऐसी धरती आज देश आपसे अपेक्षा कर रहा है। आप इसमें भी अगुवाई कीजिए और बिहार को नई ऊंचाईयों पर.... और यह जनसमर्थन के बिना संभव नहीं होगा। सिर्फ सरकारी खजाने से काम नहीं होते, जब जनता जनार्दन तय कर लेते हैं, तो काम अपने आप हो जाते हैं। और इसलिए मैं आपको निमंत्रण देता हूं। 

मेरे भाईयों-बहनों, आप इतनी बड़ी संख्‍या में आ करके आशीर्वाद दिया, मैं फिर एक बार आपका आभार व्‍यक्‍त करता हूं। और मैं विश्‍वास दिलाता हूं भारत सरकार पूर्वी-भारत के विकास के लिए प्रतिबद्ध है, हम विकास के जिस model को ले करके चल रहे हैं उसमें पूर्वी-उत्‍तर प्रदेश हो, बिहार हो, पश्चिम बंगाल हो, असम हो, ओडि़शा हो, North-East हो, यह सारे इलाके यह विकास की नई ऊंचाईयों को पार करेंगे। आपके यहां Fertilizer के कारखाने को हमने आगे बढ़ाने की दिशा में काम उठाया है। इसका परिणाम मेरे किसानों को भी मिलने वाला है। 

और इस विकास की यात्रा में आप सब जुड़े इसी एक अपेक्षा के साथ आप सब मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए – 

भारत माता की जय, 

भारत माता की जय, 

भारत माता की जय, 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद। 

 

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प्रधानमंत्री ने टीबी मुक्त भारत अभियान की स्थिति एवं प्रगति की समीक्षा की
May 13, 2025
Quoteप्रधानमंत्री ने भारत की टीबी उन्मूलन रणनीति से संबंधित हाल के उन नवाचारों की सराहना की, जिनसे टीबी के मरीजों के लिए कम समय में उपचार, तेजी से निदान और बेहतर पोषण संभव हो पाया है
Quoteप्रधानमंत्री ने टीबी उन्मूलन के प्रति संपूर्ण सरकार एवं संपूर्ण समाज वाले दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने हेतु जनभागीदारी को मजबूत करने का आहवान किया
Quoteप्रधानमंत्री ने टीबी उन्मूलन के लिए स्वच्छता के महत्व पर जोर दिया
Quoteप्रधानमंत्री ने हाल ही में संपन्न 100-दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान की समीक्षा की और कहा कि इसे देशभर में तेजी से बढ़ाया व लागू किया जा सकता है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आवास पर राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) से संबंधित एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।

वर्ष 2024 में टीबी के रोगियों की शीघ्र पहचान एवं उपचार की दिशा में हुई महत्वपूर्ण प्रगति की सराहना करते हुए, प्रधानमंत्री ने देशभर में सफल रणनीतियों को लागू करने का आहवान किया और भारत से टीबी को समाप्त करने के प्रति देश की प्रतिबद्धता को दोहराया।

प्रधानमंत्री ने हाल ही में संपन्न 100-दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान की समीक्षा की, जिसमें उच्च फोकस वाले जिलों को शामिल किया गया था और 12.97 करोड़ व्यक्तियों की जांच की गई थी। कुल 7.19 लाख टीबी के मामलों का पता चला, जिनमें 2.85 लाख लक्षणविहीन टीबी के मामले शामिल थे। इस अभियान के दौरान एक लाख से अधिक नए नि-क्षय मित्र इस प्रयास में शामिल हुए। यह अभियान जनभागीदारी का एक ऐसा मॉडल साबित हुआ है, जिसे देशभर में तेजी से आगे बढ़ाया जा सकता है और संपूर्ण सरकार एवं संपूर्ण समाज वाले दृष्टिकोण के साथ लागू किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने शहरी या ग्रामीण क्षेत्रों और उनके व्यवसायों के आधार पर टीबी रोगियों के रुझानों का विश्लेषण करने की आवश्यकता पर बल दिया। इससे उन समूहों की पहचान करने में मदद मिलेगी जिन्हें शीघ्र जांच एवं उपचार की आवश्यकता है, विशेष रूप से निर्माण, खनन, कपड़ा मिलों और इसी तरह के अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों को। जैसे-जैसे स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बेहतर प्रौद्योगिकी का समावेश होता है, नि-क्षय मित्रों (टीबी रोगियों के सहायकों) को टीबी रोगियों से जुड़ने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। ये नि-क्षय मित्र संवादात्मक तथा उपयोग में आसान तकनीक का प्रयोग करके रोगियों को बीमारी एवं उसके उपचार को समझने में मदद कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि चूंकि टीबी अब नियमित उपचार से ठीक हो सकती है, इसलिए लोगों में इसके प्रति भय कम होना चाहिए तथा जागरूकता बढ़नी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने टीबी के उन्मूलन में जनभागीदारी के माध्यम से स्वच्छता के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने प्रत्येक रोगी तक व्यक्तिगत रूप से पहुंचने के प्रयासों का आग्रह किया ताकि उन्हें उचित उपचार मिलना सुनिश्चित किया जा सके।

बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2024 के उत्साहजनक निष्कर्षों के बारे में बात की। इस रिपोर्ट में टीबी के मामलों में 18 प्रतिशत की कमी (2015 और 2023 के बीच प्रति एक लाख की जनसंख्या पर टीबी की रोगियों की संख्या 237 से घटकर 195 होने) की पुष्टि की गई है, जो वैश्विक दर से दोगुनी है। टीबी से होने वाली मृत्यु दर में 21 प्रतिशत की कमी (प्रति एक लाख जनसंख्या पर 28 से घटकर 22 होने) और 85 प्रतिशत का उपचार कवरेज, इस कार्यक्रम की बढ़ती पहुंच और प्रभावशीलता को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री ने टीबी डायग्नोस्टिक नेटवर्क के विस्तार सहित प्रमुख बुनियादी ढांचे में उन्नति की समीक्षा की, जिसमें 8,540 एनएएटी (न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्टिंग) प्रयोगशालाएं और 87 कल्चर एवं ड्रग ससेप्टिबिलिटी प्रयोगशालाएं शामिल हैं। कुल 26,700 से अधिक एक्स-रे इकाइयां स्थापित की गई हैं, जिनमें 500 एआई-सक्षम हैंडहेल्ड एक्स-रे उपकरण शामिल हैं तथा 1,000 और इकाइयां पाइपलाइन में हैं। आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में मुफ्त जांच, निदान, उपचार और पोषण संबंधी सहायता सहित सभी टीबी सेवाओं के विकेंद्रीकरण पर भी प्रकाश डाला गया।

प्रधानमंत्री को कई नई पहलों की शुरूआत के बारे में अवगत कराया गया, जैसे कि जांच के लिए एआई संचालित हैंड-हेल्ड एक्स-रे, दवा प्रतिरोधी टीबी के लिए कम समय वाली उपचार व्यवस्था, नए स्वदेशी आण्विक निदान, पोषण संबंधी उपाय और खानों, चाय बागानों, निर्माण स्थलों, शहरी मलिन बस्तियों आदि जैसे सामूहिक स्थानों में पोषण संबंधी पहलों सहित जांच एवं शुरुआती पहचान। नि-क्षय पोषण योजना के तहत 2018 से 1.28 करोड़ टीबी रोगियों को डीबीटी भुगतान और 2024 में प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर 1,000 रुपये किया गया है। नि-क्षय मित्र पहल के तहत 2.55 लाख नि-क्षय मित्रों द्वारा 29.4 लाख खाद्य पदार्थों की टोकरियां वितरित की गई हैं।

इस बैठक में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्र, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव-2 श्री शक्तिकांत दास, प्रधानमंत्री के सलाहकार श्री अमित खरे, स्वास्थ्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।