हमारी प्रगति सिर्फ़ हमारे विकास में नहीं बल्कि देश के हर नागरिक को बेहतर जीवन उपलब्ध कराने के हमारे प्रयासों में निहित है: प्रधानमंत्री
ब्रिटेन हमेशा से भारतीय छात्रों के लिए एक पसंदीदा स्थल रहा है: प्रधानमंत्री
इस वैश्विक दुनिया में भी लंदन पूरे विश्व के लिए एक मानक है: प्रधानमंत्री
जितने गहरे हमारे संबंध हैं और जितनी मजबूत हमारी भागीदारी है, हमें अपना लक्ष्य भी बड़ा निर्धारित करना होगा: प्रधानमंत्री
भारत के कई स्वतंत्रता सेनानियों का उल्लेख ब्रिटेन के संस्थानों में किया जाता है: प्रधानमंत्री
भारत और ब्रिटेन काफी भाग्यशाली रहा है क्योंकि महात्मा गांधी का जीवन और उनका मिशन इन दोनों भूभागों से जुड़ा रहा है: प्रधानमंत्री
भारत और ब्रिटेन में संबद्ध इतिहास की शक्तियों का उपयोग करते हुए भविष्य में हमारे संबंधों को मजबूत बनाने की काफ़ी क्षमता है: प्रधानमंत्री
वेम्बली भारत और ब्रिटेन को जोड़ने वाले 15 लाख लोगों का एक उत्सव होगा: प्रधानमंत्री
वेम्बली का समारोह हमारे जीवंत साझेदारी और साझे भविष्य की पहचान होगी: प्रधानमंत्री मोदी
भारत ब्रिटेन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश परियोजनाओं का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है: प्रधानमंत्री
भारत और ब्रिटेन अब विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सबसे उन्नत क्षेत्रों में एक साथ काम कर रहे हैं: प्रधानमंत्री
भारत और ब्रिटेन खाद्य व स्वास्थ्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन रुपी स्थायी मानवीय समस्याओं के समाधान के लिए मिलकर काम कर रहे हैं: प्रधानमंत्री
ब्रिटेन का पुनरुत्थान प्रभावशाली है। भविष्य में वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव मजबूत है: प्रधानमंत्री
पूरा विश्व भारत को एक नई आशा और अवसरों वाले देश के रूप में देखता है: प्रधानमंत्री मोदी
एक ऐसा देश जो सेल फोन से जुड़ा हुआ है, वहां डिजिटल इंडिया भारत सरकार और जनता के बीच के इंटरफेस को बदल रहा है: प्रधानमंत्री मोदी
आप भारत में हो रहे बदलाव को महसूस करेंगे: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
अपने देश के लिए ‘सबका साथ, सबका विकास’ हमारा विज़न है जिसमें देश के सभी नागरिकों की सहभागिता और उनकी समृद्धि निहित है: प्रधानमंत्री
आतंकवाद की चुनौती का मुकाबला करने के लिए दुनिया के सभी देशों को एकसाथ मिलकर आवाज उठाते हुए इस दिशा में काम करना होगा: प्रधानमंत्री
हमें उन देशों में चरमपंथ के खिलाफ एक सामाजिक आंदोलन करने की जरूरत है जहाँ ये सबसे ज्यादा प्रभावी हैं: प्रधानमंत्री मोदी
हमें धर्म को आतंकवाद से अलग करने की दिशा में प्रयास करना चाहिए: प्रधानमंत्री मोदी

लॉर्ड सभापति,

श्रीमान सभापति

श्रीमान प्रधानमंत्री

लंदन में आकर मैं आह्लादित हूं। आज वैश्वीकरण के युग में लंदन आज भी हमारे समय का आदर्श बना है। इस नगर ने विश्व की विविधता को अपनाया है और यह मानव की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों की नुमाइंदगी करता है। मैं ब्रिटेन की संसद को संबोधित कर सच्चे अर्थों में सम्मानित हूं।

श्रीमान सभापति महोदय हमारे लिए इस शानदार रॉयल कोर्ट के द्वार खोलने के लिए आपका धन्यवाद। मुझे पता है कि संसद सत्र में नहीं है। प्रधानमंत्री डेविड कैमरन निश्चिंत और चिंतामुक्त दिखाई दे रहे हैं।

किंतु श्रीमान प्रधानमंत्री मैं आपको यह याद दिलाना चाहता हूं कि आप एक चुनावी नारे के लिए मेरे देनदार हैं। मैं जानता हूं कि आप आज शाम चेकर्स में मेरी मेहमाननवाज़ी कर रहे हैं। परंतु मेरा मानना है कि आप यह समझेंगे कि मैं सदन में मौजूद दोनों धड़ों के प्रति न्यायसंगत हूं। विशेष तौर पर इसलिए कि भारतीय मूल के ब्रितानी सांसद सत्तापक्ष और विपक्ष के मध्य समान रूप से बंटे हैं। लिहाज़ा मैं लेबर पार्टी के सदस्यों को बधाई देता हूं। वस्तुतः, क्योंकि चुनाव के बाद ज़्यादा समय नहीं हुआ है, सदन के सदस्यों को मेरी भावपूर्ण बधाइयां। साथ ही ब्रिटेन के श्रेष्ठ नेताओं और आज यहां उपस्थित भारत के महान मित्रों को मेरी बधाइयां।      

इस इमारत से भारत के आधुनिक इतिहास का बड़ा हिस्सा जुड़ा हुआ है। हमारे संबंधों पर इस इतिहास का बहुत प्रभाव है। ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने सशक्त ढंग से इतिहास के इन ऋणों और देनदारियों के बारे में कहा है।

मैं सिर्फ यह कहूंगा कि भारत के कई स्वतंत्रता सेनानियों का ताल्लुक ब्रिटेन के संस्थानों से जुड़ा है। साथ ही आधुनिक भारत के कई निर्माणकर्ता, जिनमें जवाहरलाल नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक मेरे कई विशिष्ट पूर्ववर्ती भी हैं, वे इन्हीं संस्थानों से होकर गुज़रे हैं।     

कई चीजें ऐसी हैं जिनके बारे में और अधिक बता पाना कठिन है कि वह ब्रिटेन की हैं अथवा भारतीयः मसलन जगुआर या स्कॉटलैण्ड यार्ड। ब्रुक बॉण्ड चाय अथवा मेरे स्वर्गीय मित्र लॉर्ड ग़ुलाम नन की कढ़ी। और, हमारी लंबी बहस कि लॉर्ड्स की पिच पर गेंद अनुचित ढंग से स्विंग होती है या फिर ईडन गार्डन्स का विकेट कम समय में ही टूटने लगता है। और, हमें लंदन का भांगड़ा नृत्य ठीक वैसे ही पसंद है जैसे आप लोग भारत के अंग्रेज़ी उपन्यासों को पसंद करते हैं।

इस कार्यक्रम के लिए आते समय प्रधानमंत्री कैमरन और मैंने संसद के बाहर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। मुझे अपनी विदेश यात्रा पर किए गए एक प्रश्न का खयाल आया। ब्रिटेन की संसद के बाहर गांधी की प्रतिमा होना कैसा है?इस प्रश्न पर मेरा उत्तर हैः ब्रितानियों ने उनकी महानता को पहचान देने के बारे में पर्याप्त बुद्धिमता बरती है; दूसरों को उनके बारे में बताने के प्रति भारतीय उदार रहे हैं; हम दोनों ही उनके जीवन एवं अभियान को दिली तौर पर महसूस करने के मामले में पर्याप्त सौभाग्यशाली रहे हैं। और, हम दोनों ही ने अपने संयुक्त इतिहास की शक्ति के प्रयोग से अपने संबंधों के भविष्य को प्रगाढ़ बनाने में पर्याप्त चतुराई बरती है।

इसलिए मैं आज यहां यात्रा पर आए सरकार के किसी ऐसे मुखिया के तौर पर नहीं खड़ा हूं, जिसको लोकतंत्र के इस मंदिर में बोलने का सम्मान मिला है। मैं यहां एक मित्रवत संस्था एवं साझा परम्परा के प्रतिनिधि के तौर पर हूं। 

और, कल प्रधानमंत्री और मैं वैम्ब्ले में होंगे। यहां तक कि भारत में भी प्रत्येक युवा फुटबॉल खिलाड़ी बेखम जैसा कौशल प्रदर्शित करना चाहता है। वैम्ब्ले जाना हमारे जीवन को जोड़ने वाले डेढ़ मिलियन धागों का उत्सव होगा; डेढ़ मिलियन लोग- भारत की अपनी विरासत पर एवं ब्रिटेन में अपना घर होने पर गर्वित है।

यह हमारे बीच साझा होने वाली समस्त चीजों के उल्लास की अभिव्यक्ति होगीः मूल्य, संस्थाएं, राजनीतिक पद्धति, खेल, कला एवं संस्कृति तथा हमारी जोशपूर्ण सहकारिता और साझा भविष्य का साक्षी होगा।

युनाइटेड किंगडम सिंगापुर और मॉरीशस के बाद भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है। भारत युनाइटेड किंगडम में प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश पर आधारित परियोजनाओं का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है। भारतीय यूरोपीय यूनियन के शेष देशों में किए गए कुल निवेश से ज़्यादा निवेश ब्रिटेन में करते हैं। ऐसा इसलिए नहीं है कि वह (भारतीय) खर्च बचाना चाहते हैं, बल्कि इसलिए क्योंकि उन्हें वातावरण सुपरिचित एवं अभिनंदनीय लगता है।    

एक सुप्रसिद्ध भारतीय व्यापारिक हस्ती टाटा ब्रिटेन की हस्ती को चलाती है और निजी क्षेत्र में आपके देश का सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता बनती है।

ब्रिटेन भारतीय छात्रों का पसंदीदा गंतव्य है। और, मुझे ख़ुशी है कि एक भारतीय कंपनी हज़ारों बरतानवी छात्रों को सूचना प्रौद्योगिकी में कुशलता हासिल करवाने के लिए भारत ला रही है।    

हम विज्ञान और तकनीक के आधुनिकतम क्षेत्रों में साथ मिल कर काम कर रहे हैं। हम खाद्य एवं स्वास्थ्य सुरक्षा की मानवीय समस्याओं के समाधान निकाल रहे हैं और जलवायु परिवर्तन जैसी बढ़ती हुई चुनौतियों के उत्तर ढूंढ रहे हैं।

हमारी सुरक्षा एजेंसियां साथ मिल कर काम करती हैं ताकि हमारे बच्चे सुरक्षित घर लौटें और साइबर नेटवर्क पर निर्भर होती हमारी ज़िंदगियां साइबर अपराध का शिकार न होने पाएं।

हमारे सुरक्षा बल परस्पर युद्धाभ्यास करते हैं ताकि वो उन मूल्यों की रक्षा हेतु शक्तिशाली ढंग से खड़े हो पाएं जिनकी हम नुमाइंदगी करते हैं। अकेले इस वर्ष हमने तीन सैन्य अभ्यास साथ-साथ किए हैं।   

और, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आपके समर्थन के कारण भारत का वैश्विक संस्थाओं और साम्राज्यों में अपना उचित स्थान पाना अधिक संभव हो पाया है। और, इसने दोनों देशों के साझा हितों को आगे ले जाने में मदद दी है।    

श्रीमान सभापति,

हमारे जैसे संबंधों के लिए, हमारे जैसी मज़बूत सहकारिता के लिए, हमारी महत्वाकांक्षाओं के मानक उच्च होने चाहिए। हम दो लोकतंत्र हैं, दो शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाएं हैं और दो नवपरिवर्तनशील समाज हैं।    

हमारे पास आपसी परिचय का लाभ और लंबी साझेदारी का अनुभव है। ब्रिटेन का पुनरुत्थान प्रभावित करने वाला है। विश्व अर्थव्यवस्था के भविष्य पर इसका प्रभाव मज़बूत है। 

और, श्रीमान सभापति भारत विश्व के लिए आशा और अवसर का उज्ज्वल नवीन केंद्र है। यह अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का सार्वभौमिक निर्णय भर नहीं है। यह महज़ कुछ अंकों पर आधारित तर्क नहीं हैः एक 1.25 बिलियन का देश जिसमें 800 मिलियन लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं।

यह आशावाद हमारे युवाओं की ऊर्जा एवं उद्यम से आता है, परिवर्तन के लिए आतुर और पाने के विश्वास से भरे हुए। यह  हमारे क़ानूनों, नीतियों, संस्थाओं और प्रक्रियाओं में सुधार हेतु की गई साहसिक एवं अनवरत कार्यवाहियों का परिणाम है।  

हम हमारे निर्माण क्षेत्र में प्राण फूंकने में लगे हैं, हमारे खेतों को अधिक फलप्रद एवं विपरीत हालात में टिकने वाला बनाने में; हमारी सेवाओं को अधिक प्रगत एवं सुघड़ बनाने में; हमारे युवाओं के वैश्विक कौशल को विकसित करने के लिए तेज़ी से आगे बढ़ने में स्टार्टअप उद्योगों में क्रांति लाने में; और आगामी पीढ़ी की ऐसी अवसंरचना तैयार कर रहे हैं जिससे कि उसका मार्ग सुगम हो पाए।

हमें सिर्फ हमारे विकास से ही नहीं, बल्कि हर नागरिक के जीवन की गुणवत्ता में रूपांतरण के प्रयासों से ताकत मिलती है।

हमारे सपनों वाला भारत अभी भी हमसे दूर हैः सबके लिए घर, विद्युत, पानी और स्वच्छता, हर नागरिक के लिए बैंक खाते और बीमा, समृद्ध और संयोजित गांव और शानदार एवं चिरस्थाई शहर। यह लक्ष्य तय तिथियों में पाये जाने हैं, न कि यह आशा की मृगतृष्णा मात्र हैं।     

और, गांधीजी की प्रेरणा से, सरकार जिस तरह कार्य करती है, हमारे साथ परिवर्तन शुरू हो चुका है। शासन प्रणाली में पारदर्शिता एवं जवाबदेही है। निर्णयों में साहस और गति है।

संघवाद अब केंद्र-राज्य संबंधों की नीति निर्धारक रेखा नहीं है, बल्कि टीम इण्डिया की नयी साझेदारी की परिभाषा है। नागरिकों के पास अब भरोसे की आज़ादी है, प्रमाण एवं प्रक्रिया का बोझ नहीं है। व्यापार के लिए खुला एवं काम करने में आसान वातावरण है।

सेलफोन से जुड़े देश में डिजिटल इण्डिया, सरकार और जनता के बीच संवाद का रूपांतरण कर रहा है। 

लिहाज़ा श्रीमान सभापति कवि टी एस इलियट से क्षमा के साथ, we won’t let the shadow fall between the idea and reality / हम अपने विचार एवं वास्तविकता के मध्य अंतर नहीं पनपने देंगे।

यदि आप भारत आएं तो परिवर्तन की हवाओं को महसूस करेंगे।

यह विश्वभर से आने वाले निवेश में हुई वृद्धि से, हमारी अर्थव्यवस्था के बढ़ते स्थायित्व से; आशा और सामूहिकता भरे 190 मिलियन नये बैंक खातों से; प्रति वर्ष लगभग 7.5 प्रतिशत की हमारी बढ़ती विकास दर से; और व्यापार करने में सुगमता के मामले में हमारी रैंकिग में तीव्र बढ़ोतरी से यह प्रकट होता है।

और, सबका साथ सबका विकास का नारा देश के बारे में हमारा दृष्टिकोण है जिसमें हर नागरिक सम्बद्ध हो, भागीदार हो एवं उन्नति करे।

यह केवल आर्थिक अंतर्वेशन की पुकार नहीं है। यह हमारी बहुरूपता का उत्सव भी है, सामाजिक समरसता का मत भी है; और, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकारों के प्रति समर्पण भी है।

यह हमारी संस्कृति का कालातीत चरित्र है, यह हमारे संविधान का आधार है, और यह हमारे भविष्य की नींव होगा।

श्रीमान सभापति महोदय

सदस्यों एवं मित्रों,

भारत की प्रगति मानवता के छठे हिस्से का भविष्य है। और, इसका अर्थ होगा- अपने भविष्य के बारे में आश्वस्त और अपनी संपन्नता के प्रति अधिक आत्मविश्वास से भरी दुनिया।  

यह अवश्यंभावी एवं स्वाभाविक है कि हमारे आर्थिक संबंध दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति करें। यदि हम हमारी विशिष्ट शक्तियों एवं भारत में उपलब्ध अवसरों को जोड़ें तो हम अपराजेय साझेदारियां करेंगे।

हम अधिक व्यापार और निवेश को पाएंगे। हम सेवा क्षेत्र में नये द्वार खोलेंगे। हम रक्षा उपकरण एवं तकनीक के क्षेत्र में यहां एवं भारत में अधिक साझेदारियां करेंगे। हम नवीकरणीय एवं नाभिकीय ऊर्जा के क्षेत्र में साथ मिल कर कार्य करेंगे।  

हम विज्ञान के रहस्यों को खोजेंगे और तकनीक एवं नवाचार की शक्तियों का इस्तेमाल करेंगे। हम डिजिटल संसार के अवसरों को समझेंगे। हमारे युवा परस्पर मेलजोल से अधिक सीखेंगे।

परंतु संभावनाओं से भरे हमारे मूल्यवान रिश्ते को केवल पारस्परिक खुशहाली के पैमाने से नहीं मापा जा सकता।

श्रीमान सभापति,

हमारा युग विश्व में हो रहे बहुत से परिवर्तनों का युग है। आने वाले भविष्य को हमें अभी पूरी तरह समझना शेष है। जैसे पिछले युगों में विश्व के वर्तमान स्वरूप की हमारी समझ अलग थी।    

इसलिए अनिश्चितता से भरे हमारे दौर में, हमें हमारे साझा आदर्शों के अनुरूप इस दुनिया को दिशा देने में मदद देनी चाहिए।

क्योंकि इसमें न केवल दोनों देशों की सफलता, किंतु विश्व के हमारे इच्छित स्वरूप की संभावना भी निहित है। हमारे पास संयुक्त राष्ट्र, राष्ट्रकुल और जी-20 की सदस्यता एवं हमारी आपसी साझेदारी की शक्ति है।

हम ऐसे विश्व में रहते हैं जिसमें दूर स्थित किसी क्षेत्र में आई अस्थिरता फौरन हमारे दर तक पहुंच जाती है। हम इसको कट्टरपंथ एवं शरणार्थियों से जुड़ी चुनौतियों के अंतर्गत देखते हैं।

आतंकवाद की ज़द देशों की सरहदों से अंदर आकर हमारे समाज के तानेबाने और शहरों की गलियों में स्थानांतरित हो रही है। और, आतंकवाद एवं अतिवाद विश्वस्तरीय बुराइयां हैं जो अपने परिवर्तित होते नामों, समूहों, क्षेत्रों और लक्ष्यों से कहीं बड़ी हैं।

हमारे समय की इस चुनौती के विरुद्ध विश्व को एक स्वर में बोलना चाहिए एवं एकजुट होकर इसका सामना करना चाहिए। हमें देर किए बिना अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र में एक विशद संधि भी करनी चाहिए। आतंकी समूहों के बीच कोई अंतर एवं देशों के बीच कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। जो देश आतंकवादियों को प्रश्रय देते हैं उनको अलग-थलग करने का जज़्बा एवं जो देश आतंकियों का ईमानदारी से सामना करते हैं उनके साथ खड़े होने की इच्छाशक्ति होनी चाहिए। और, जिन देशों में अतिवाद पसरा है वहां एक सामाजिक आंदोलन की एवं धर्म को आतंकवाद से अलग करने की आवश्यकता है।     

समुद्र हमारी समृद्धि के प्राणाधार बने हैं। अब हमें हमारे अंतरिक्ष एवं साइबर अंतरिक्ष की सुरक्षा भी करनी होगी। हमारे हित बहुत से क्षेत्रों में फैले हैं। एक स्थाई, संपन्न एवं समेकित दक्षिण एशिया, जो समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ता हो, में हमारे साझा हित हैं।

हम एक ऐसा अफगानिस्तान चाहते हैं जिसने महान अफगानी लोगों के सपनों से आकार लिया हो, न कि अतार्किक डर और दूसरों की अति महत्वाकांक्षाओं से बना हुआ अफगानिस्तान।

शांतिपूर्ण एवं स्थाई हिंद महासागर क्षेत्र विश्व वाणिज्य एवं समृद्धि के लिए अति आवश्यक है। और, एशिया प्रशांत क्षेत्र के भविष्य का प्रभाव हम सभी पर होगा। पश्चिम एशिया और खाड़ी क्षेत्र से हम दोनों के हित जुड़े हैं।

और, अफ्रीका में जहां हम ढेरों चुनौतियों के बीच साहस, बुद्धिमता, नेतृत्व और  तत्परता के कई संभावनाओं भरे चिह्न देखते हैं। भारत ने हाल ही में अफ्रीका सम्मेलन आयोजित किया है जिसमें सभी 55 देश एवं 42 नेताओं ने भाग लिया।

हमें हमारे ग्रह के दीर्घकालिक भविष्य हेतु अल्प कार्बन उत्सर्जन युग के लिए सहयोग करना चाहिए। यह एक वैश्विक ज़िम्मेदारी है जिसको हमें इसी महीने के उत्तरार्द्ध में देखना है। 

सम्मिलित प्रयासों से विश्व में एक शानदार संतुलन कायम है – अपनी-अपनी सामर्थ्य के अनुरूप उत्तरदायित्वों का समावेश ।

जिनके पास साधन और जानकारी है उन्हें स्वच्छ ऊर्जा एवं स्वस्थ पर्यावरण के लिए मानवता की सार्वभौमिक आकांक्षाओं की प्राप्ति में अवश्य मदद करनी चाहिए। और, जब हम सख़्ती की बात करते हैं तब हमें जीवाश्म ईंधन पर अंकुश की बात ही नहीं बल्कि अपनी जीवनशैली में भी निग्रह करना चाहिए।

हमें अपनी भूमिका निबाहनी चाहिए। भारत के लिए 2022 तक 175 गीगावॉट की अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा एवं 2030 तक उत्सर्जन में 33 से 35 प्रतिशत की कमी एक विशद रणनीति के दो कदम हैं।

मैंने कॉप-21 (कांफ्रेस ऑफ पार्टीज़) बैठक के दौरान सौर ऊर्जा को अपने जीवन का अविभाज्य हिस्सा बनाने और कटे हुए गांवों तक को जोड़ने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन बनाने का प्रस्ताव किया है।

ब्रिटेन में आप सूर्य की तुलना में वर्षा में कहीं अधिक छाते का प्रयोग करते हैं। किंतु मेरी टीम ने सौर गठबंधन की सदस्यता को अधिक सटीक पदों में परिभाषित किया हैः आपको उष्णकंटिबंध के अंदर स्थित होना चाहिए।    

और, हम प्रसन्न हैं कि युनाइटेड किंग्डम खरा उतरता है! लिहाज़ा इस प्रयास में एक मूल्यवान सहभागी के तौर पर हम एक अभिनव ब्रिटेन की ओर देखते हैं। प्रधानमंत्री कैमरन और मैं वस्तुतः बहुत ख़ुश हैं कि वहनीय एवं सुगम्य स्वच्छ ऊर्जा हमारे संबंधों का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ है। 

श्रीमान सभापति,

हम दोनों महान राष्ट्रों के लिए यह एक बड़ा क्षण है। इसलिए हमें अवसर भुनाने चाहिए, सहयोग के मार्ग की बाधाएं हटानी चाहिए, अपने रिश्तों में पूरा विश्वास भरना चाहिए और एक दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।

ऐसा करने से हम हमारी रणनीतिक साझेदारी को रूपांतरित कर देंगे और यह संबंध बड़ी वैश्विक साझेदारियों में गिने जाएंगे। अक्सर, ब्रिटेन के लब्धप्रतिष्ठित समर्थकों के मुताबिक सामाजिक समस्याओं के समाधान में जनभावना की इस विशाल लहर का सदुपयोग होना चाहिए।

पर हमारी साझेदारी का उद्देश्य परिभाषित करने में हमें भारत के एक महान सपूत का ज़िक्र करना चाहिए जिनका लंदन स्थित मकान मैं शनिवार को सामाजिक न्याय के लिए समर्पित करूंगा। डॉक्टर बी आर अम्बेडकर, हम जिनका 125वां जन्मदिवस मना रहे हैं। वे भारत के संविधान एवं हमारे संसदीय लोकतंत्र के निर्माता ही नहीं थे, बल्कि दबाए हुए कमज़ोर तबकों और वंचितों के उत्थान के लिए भी खड़े हुए। और, मानवता की सेवा के एक उच्च कार्य के लिए, न्याययुक्त भविष्य के लिए, समानता एवं सभी मनुष्यों के लिए प्रतिष्ठा और समान अवसर मुहैया कराने के लिए, साथ ही लोगों के बीच शांति के लिए उन्होंने हमें तैयार किया।।

यह वो ध्येय है जिसके लिए भारत और ब्रिटेन ने स्वयं को समर्पित किया है।

बहुत बहुत धन्यवाद और शुक्रिया।

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Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।