ब्रह्मकुमारी संस्था के सभी सदस्यगण, अन्तराष्ट्रीय सम्मलेन और सांस्कृतिक महोत्सव हिस्सा लेने के लिए देश-विदेश से आये हुए सभी लोगों का हृदय से अभिनन्दन करता हूँ। और आप सब को भी मेरी तरफ से ॐ शांति कह करके अभिवादित करता हूँ। प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संस्थापक दादा लेखराज जी, आज जरूर उनकी आत्मा को शांति होती होगी कि जिस विचार को उन्होंने संस्थागत रूप दिया, और स्त्री शक्ति के माध्यम से उसे आगे बढ़ाया; उस आंदोलन को आज 80 वर्ष हो रहे हैं। हमारे देश में 80 वर्ष का एक विशेष महत्व माना जाता है। दुनिया में 25 साल, 50 साल, 75 साल, 100 साल; ये तो मनाए जाते हैं, लेकिन भारत में 80 साल का एक विशेष महत्व है। और जब किसी व्यक्ति के जीवन में या संस्था के जीवन में 80 साल होते हैं, मतलब कि वो सहस्र चंद्र-दर्शन का पर्व होता है। 80 साल की यात्रा में व्यक्ति या संस्था ने एक हजार बार पूर्ण चंद्र के दर्श किए होते हैं।
आज ब्रह्मा कुमारी विश्वविद्यालय, दादा लेखराज जी के प्रयत्नों से आरंभ हुआ ब्रह्मा कुमारी आंदोलन उस सहस्र चंद्रदर्शन की बेला पर है तब, विश्व की पूरी मानव जाति को शीतलता प्रदान करने का उसका प्रयास इस अवसर से नई ऊर्जा पा करके आगे बढ़ेगा।
गत वर्ष दादी जानकी जी ने शताब्दी पूरी की, एक सौ वर्ष की हैं; और आज भी एक कर्मयोगी की तरह समय दे करके हम सबको आशीर्वाद दे रही हैं। मैं दादीजी को यहां से प्रणाम करता हूं। दो दिन के बाद 'चेटी चन्न' का पर्व मनाया जाएगा। पूरे हिन्दुस्तान में संवत्सर का अवसर होता है। मैं आप सबको नव-संवत्सर की, चेटी चांद की भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।
आप लोगों के बीच मुझे कई बार आने का अवसर मिला है। आप सबका मुझ पर अपार स्नेह रहा है। एक उच्च विचार के साथ संस्था के जीवन में 80 साल कम समय नहीं होता। आज विश्व की जो स्थिति है, मानव का जो स्वभाव बनता जा रहा है, उसमें कोई भी संगठन या व्यवस्था; 10 साल, 15 साल, 20 साल के बाद बिखराव शुरू हो जाता है। गुट बन जाते हैं, ग्रुप बन जाते हैं, एक में से दस संस्थाएं पैदा हो जाती हैं। दादा लेखराज जी की कमाल रही कि 80 साल के बाद भी, जिन आदर्शों, मूल्यों को ले करके ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय, ब्रह्मा कुमारी आंदोलन को चलाया, नारी शक्त्ति को प्राधान्य देते हुए चलाया; और वो और वो आज भी उतने ही मनोयोग से, उतनी ही कर्मठता से, उतनी ही एकजुटता के साथ विश्व भर में अपना संदेश दे रहे हैं; लाखों कार्यकर्ताओं की श्रृंखला तैयार की है। ब्रह्माकुमार एवं ब्रह्माकुमारी, भारत के आध्यात्म के संदेश को विश्व में पहुंचा रहे हैं। आप सब बधाई के पात्र हैं, आप सबका मैं अभिनंदन करता हूं।
मेरा ये सौभाग्य रहा है कि आप लोगों के बीच आने का कई बार मौका मिला है। आप सबकी प्रबुद्धि को मैंने निकट से देखा भी है। आपके चिंतन को मैंने समझने का प्रयास भी किया है, और एक अच्छा सान्निधय भी मुझे आप लोगों का मिला है।
इन दिनों जरा व्यस्तता ज्यादा होती है, समय की कठिनाई रहती है, इसलिए मैं रूबरू तो आप सबके बीच नहीं आ पाया हूं, लेकिन मुझे video conference के माध्यम से आप सबके दर्शन करने का सौभाग्य मिला। और ब्रह्माकुमारी कार्य-योजना की विशेषताएं रहती हैं, आज एक नई विशेषता आपने दिखाई। प्रकाश के माध्यम से आपने सबने अभिवादन किया, और मुझे यहां, मेरे सामने आप सबको टीवी पर मैं देख रहा हूं। जिस प्रकार से आपने टॉर्च जला करके प्रकाश फैलाने का प्रयास किया, सचमुच में तो दादा लेखराज जी ने और आज दादीजी के नेतृत्व में ज्ञान के प्रकाश को पूरे विश्वभर में फैलाने के प्रयास कर रहे हैं।
हम एक ऐसे देश के प्रतिनिधि हैं, एक ऐसे देश की संतान हैं, जो कभी भी अपने विचारों को थोपने में विश्वास नहीं करता है। हम वो लोग हैं, जिस बात को मानते हैं कि ज्ञान को न कोई सीमाएं होती हैं, ज्ञान को न कोई समय के बंधन होते हैं, ज्ञान को न पासपोर्ट की जरूरत होती है, ज्ञान को न visa की आवश्यकता होती है, ज्ञान ये युगों-युगों तक मानव-संपदा होती है; वो कालातीत होती है; वो कालबाह्य होती है; वो नित्य नूतन होती है, और उस ज्ञान के मार्ग पर ही हम जीवन के सत्य को जान पाते हैं।
ब्रह्माकुमारी के माध्यम से ये जो निरंतर प्रयास चला है और भारत की विशेषता रही है। यही देश हैं जिसने विश्व को डंके की चोट पर कहा है ईश्वर एक है। विविध रूप से लोग उसको जानते हैं, हिन्दू का भगवान अलग; मुसलमान का भगवान अलग; ईसाई का भगवान अलग; पारसी का भगवान अलग; ये हमारा चिंतन नहीं है। और इसलिए ज्ञान के समय में भी हमारे महापुरुषों ने हमें, हमारे शास्त्रों ने वेदकाल से हमें यही सिखाया-
Truth is one, sages call it in different ways.
अलग-अलग लोग उसको अलग-अलग रूप से व्याख्या करते हैं। लेकिन हमारा जो सत्य के संबंध में दृष्टिकोण है वो दृष्टिकोण उसी भावनाओं से भरा हुआ है।
मैंने सुना कि आज शांतिवन में आपने एक solar project का प्रारंभ किया है। मैंने आपकी शांतिवन से जुड़ी अस्पताल का भी भूतकाल में मुझे आने का अवसर मिला था। गरीबों की कैसी सेवा हो रही है मैंने अपनी आंखों से देखा था। आप जब solar energy के लिए इतना कर रहे हो, और मुझे याद है वहां आबू रोड पर आपको जो एक प्रकार से गतिविधि का केंद्र है, उसको तो कई वर्षों पहले आपने solar energy से चलाने का उस समय निर्णय किया था; जब दुनिया में Global Warming की इतनी चर्चा नहीं होती थी, तब आपने किया था। तो इसलिए आप लोग कितने दीर्घदृष्टि से काम करते हैं इसका ये उदाहरण है। और मुझे विश्वास है कि आपके मार्गदर्शन में देश में एक ऐसी ऊर्जा क्रांति आ रही है, मानव जीवन में एक ऐसी ऊर्जा क्रांति आ रही है; हम साफ देख रहे हैं कि प्रकृति में सौर-ऊर्जा का जितना महत्व है, उतना ही व्यक्त्वि में शौर्य ऊर्जा का महत्व है। और जब औज़ हो, तेज़ हो, सामर्थ्य हो, संकल्प हो, तो व्यक्तित्व नई ऊंचाइयों को पार करता है। आज आप 3 Mega Watt Solar Energy आबू जैसे स्थान पर ये प्रयास बहुत ही प्ररेक बनेगा, ऐसा मेरा विश्वास है।
पड़ोस में गुजरात में Solar Energy में एक बहुत बड़ा initiative लिया था। भारत के अंदर Solar Energy के संबंध में अलग तरीके से सोचने के लिए देश की सभी सरकारों को प्रेरित किया था। गुजरात सरकार का उपयोग बड़ा सफल रहा। और आज शांतिवन भी इस सौर-ऊर्जा के साथ जुड़ रहा है, ये प्रकृति की रक्षा का काम है। और आपने ने तो शांतिवन में Solar Plant से एक दिन में 38 हजार से ज्यादा लोगों का भोजन बनना संभव होगा, ये अपने-आप में प्रकृति की रक्षा के लिए कितना बड़ा काम कर रहे हैं। आपके द्वारा Solar Lantern, Home lighting systems, Solar Cooking Boxes, ये भी घर-घर पहुंचाने का एक बड़ा आंदोलन चल रहा है। तो एक बहुत बड़ा बदलाव समाज में लाने का प्रयास आपके द्वारा हो रहा है। सिर्फ अध्यात्मिक बातें नहीं, लेकिन प्रकृति के साथ जी करके गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवन में कैसे बदलाव लाया जा सकता है, उसकी दिशा में प्रयास किया है।
भारत भी दुनिया जिस संकट से जुझ रही है, Global Warming से, उसमें दुनिया के लिए भारत किस प्रकार से काम आ सकता है; भारत से संकल्प किया है- Twenty-Thirty- 2030 तक यानी आज से 13 साल के भीतर-भीतर भारत की जो Total ऊर्जा है, requirement है, उसमें 40 प्रतिशत 40 percent, उसकी पूर्ति non fossil fuel base, renewable energy से ही करने का हमारा लक्ष्य है।
2022, भारत की आजादी के 75 साल हो रहे हैं, और जब भारत की आजादी के 75 साल हो रहे हैं तब 2022 में हम Solar के क्षेत्र में क्या initiative ले सकते हैं, renewable energy में क्या initiative ले सकते हैं, भारत से संकल्प किया है 175 Giga Watt renewable energy का। बहुत बड़ा लक्ष्य है। सरकार, समाज, संस्थाएं जिस प्रकार से आज आप 3 mega watt ले करके आए हैं, जितना ज्यादा हम उपयोग करेंगे, मानव जाति की, प्रकृति की, परमात्मा की बहुत बड़ी सेवा होने वाली है। इस काम में आप भी जुडे हैं, मैं आपका बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, और वैसे आप प्रकृति की रक्षा के लिए अनेक काम भी कर रहे हैं; उससे भी बहुत लाभ मिलेगा। उससे भी फायदा मिलेगा।
उसी प्रकार से वृक्षों की दिशा में आपका काम, हमारे यहां तो पौधे को ही परमात्मा माना गया है। हरित क्रांति, दुग्ध क्रांति, ऊर्जा क्रांति; कई ऐसे काम हैं जो प्रकृति की रक्षा करेंगे, मानव को भी एक नई दिशा देंगे, उस पर आप काम कर रहे हैं। मैं आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आपके द्वारा, ये पता होगा कि भारत सरकार ने एक initiative लिया है ऊर्जा की बचत के लिए LED Bulb का। ये LED Bulb करोड़ों की तादाद में आज करीब-करीब 22 करोड़ LED Bulb, नगर पालिकाओं ने, महानगर पालिकाओं ने, लोगों ने अपने घरों में लगाए हैं और इससे करीब-करीब 11 हजार करोड़ रुपये की बचत सामान्य मानवी को होती है।
आपका ब्रह्माकुमारी का 8500 केंद्र हैं, लाखों कार्यकर्ता हैं। जैसे आपने Solar Energy के द्वारा एक दिशा दी है, घर-घर LED Bulb के लिए भी आपके सभी ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारी देश में एक जागृति ला सकते हैं। उसके कारण ऊर्जा की बचत होगी, गरीब आदमी की जेब में पैसा बचेगा, सामान्य मानवी की जेब में पैसा बचेगा, Municipality, Corporation के पैसे बचेंगे; उसे और काम में ला सकते हैं। और जो एक जमाने में 400-500 में LED Bulb बल्ब बिकता था, आज 50-60-70 रुपये में LED Bulb मिल रहा है। तो एक बड़ा काम ब्रह्माकुमारी के द्वारा समाज में जो चल रहा है उसमें इस काम को भी जोड़ा जा सकता है।
आज हम Imported Diesel Petrol पर निर्भर करते हैं, अगर हम पवन ऊर्जा, पानी से ऊर्जा, सूर्य शक्ति से ऊर्जा, इस पर अगर हम बल देंगे तो भारत को ये बाहर से Petroleum के लिए इतने रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं; अरबों-खरबों रुपये जा रहे हैं, वो बचेंगे जो हिन्दुस्तान के गरीब के काम आएंगे। उस दिशा में आपका ये योगदान अपने-आप में एक सही दिशा का काम है। और इसलिए आप अभिनंदन के अधिकारी हैं।
हमारे शास्त्रों ने हमें प्रकृति का शोषण करने का हक नहीं दिया है। Exploitation of the Nature ये हमारे यहां Crime माना गया है। हमें Milking of the Nature, प्रकृति का दोहन करने का ही हक है और उस काम को करने में आपका प्रयास जरूर काम आयेगा।
ब्रह्माकुमारी संस्था का मंत्र -'एक ईश्वर, एक विश्व परिवार' ये मूलत: हमारे देश का चिंतन है। 'वसुधैव कुटुम्बकम' शायद दुनिया में इतना विशाल, व्यापक और चिरंतन विचार इसी धरती से पैदा हुआ है। समय-समय पर उसकी वाक्य रचना अलग होगी, अभिव्यक्ति अलग रही होगी, और इसलिए भारत विश्व में न्याय, गरिमा, अवसर और समृद्धि के लिए प्रयत्नशील रहता है। भारत के ही प्रयास से आज विश्व में International Solar Alliance के माध्यम से प्रकृति की रक्षा के लिए एक आंदोलन चल रहा है और दुनिया के देश हमसे जुड़ रहे हैं। आज जब सभी लोग वहां मिले हैं तब, आप 80 साल मना रहे हैं तब, मैं आपसे एक आग्रह करूंगा, और आज यहां से जाने से पहले, इतना बड़़ा समारोह हो रहा है, देश भर के लोग वहां आए हैं, तब आप भी कुछ सोचिए कि 2022, भारत की आजादी के 75 साल हो रहे हैं। देश की आजादी के लिए मरने-मिटने वालों ने जो सपने देखे थे, क्या हम सबका जिम्मा नहीं है उन सपनों को पूरा करने के लिए कुछ करें? सामूहिक रूप से करें? संकल्प ले करके करें? सही दिशा में प्रयास करें? और दुनिया की इतनी बड़ी आबादी में अगर उसके जीवन में बदलाव लाते हैं तो विश्व का कल्याण करने का भी एक बहुत बड़ा आधार बन सकता है। आज जब आप इतनी बड़ी तादाद में वहां इकट्ठे हुए हैं, 2022 तक ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय के माध्यम से, ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारियों के माध्यम से, विश्व में फैले हुए ब्रह्माकुमारी संगठन के माध्यम से, भारत में आठ हजार से ज्यादा आपकी इकाइयों के माध्यम से; दो, तीन, पांच, सात; जो भी आपको ठीक लगे, आप संकल्प लीजिए। 2022 तक इसको पूरा करके रहेंगे, इसका आप निर्णय कीजिए। देखिए आपका कितना बड़ा योगदान होगा। जो भारत इस प्रकार से ....... हो रहा है उसमें आप भी ऊर्जा भर देंगे, ऐसा मुझे विश्वास है।
अब पिछले दिनों आप लोगों ने देखा है नोटबंदी के बाद भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई की ओर हम आगे बढ़े हैं। देश को फिर से एक बार कालेधन की ओर जाने से बचाने में Digital Technique बहुत बड़ा काम कर सकती है। नकद की लेनदेन जितनी कम हो, जितना ज्यादा Digital Currency का उपयोग हो, हम देश में एक शुचिता वाली व्यवस्था को विकसित कर सकते हैं। क्या सभी ब्रह्माकुमार, ब्रह्माकुमारी, जहां-जहां उनका प्रभाव है; अपने Mobile Phone पर BHIM App download करके छोटे-छोटे व्यापारियों को Digital लेनदेन के लिए, नकद से मुक्ति की दिशा में जाने के लिए प्रयास कर सकते हैं क्या? मैं आज जब आपके बीच आया हूं, भले technology के माध्यम से आया हूं, लेकिन मेरा आपके साथ इतना नाता रहा है कि मैं आपसे हक से भी कह सकता हूं कि ब्रह्माकुमारी के द्वारा इस काम को बल दिया जाये और देश में परिवर्तन के सूत्रधार के रूप में आपकी इतनी बड़ी संस्कारित जो मानव शक्ति है वो काम आए।
ब्रह्माकुमारी आंदोलन में ब्रह्माकुमार तो हैं ही हैं, लेकिन ब्रह्माकुमारी बहुत सक्रिय हैं। हमारे देश में आज भी लाखों की तादाद में ऐसे बच्चे हैं जो टीकाकरण से वंचित हैं। और टीकाकरण से वंचित होने के कारण वो किसी न किसी गंभीर बीमारी के शिकार हो जाते हैं। माता मृत्युदर, शिशु मृत्युदर, ये चिंता का विषय होता है। कुपोषण चिंता का विषय होता है। एक इंद्रधनुष योजना के तहत भारत सरकार टीकाकरण को एक बहुत बड़ा, घर-घर को एक commitment के साथ जिम्मेवारी तय करना चाहती है। जब भी टीकाकरण का कार्यक्रम हो हमारे ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारीज़ एक Volunteer के रूप में उससे जुड़ जाएं, छोटे-छोटे बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए काम आ जाएं, कितनी बड़ी सेवा होगी! और आप तो इसी सेवाधर्म से जुड़े हुए हैं। अगर इसको आप ले लें, बहुत बड़ा काम कर सकते हैं।
मैं एक और काम के लिए आज आपसे आग्रह करता हूं। ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय, अगर ये विश्वविद्यालय है; आप एक ऐसा Online Course शुरू कर सकते हैं क्या? और जिसमें हिन्दुस्तान के लोगों को Online Exam के लिए प्रेरित करें, Certificate Course करें, Educate करें, Exam लें, और वो विषय हैं मेरे मन में Nutrition. पोषण के विषय में हमारे यहां अज्ञानता का भी एक बहुत बड़ा दुर्भाव है। इस उम्र में क्या खाना चाहिए, शरीर के लिए किन चीजों की जरूरत है, उसका ज्ञान का भी अभाव है। दो टाइम पेट भर लिया तो काम हो गया, बहुत-एक सोच है। जिसकी आर्थिक स्थिति ठीक है, दोनों टाइम अच्छा खाना खा सकता है उसको भी इसका पता नहीं है कि क्या खाना, क्या नहीं खाना और कब खाना, कैसे खाना। अगर ब्रह्माकुमार विश्वविद्यालय, शरीर के पोषण के लिए किन-किन चीजों की आवश्यकता है, शरीर में किसी चीज की कमी हो तो कैसे नुकसान होता है। अगर एक Certificate Course, Online Training, Online Examination, ये पूरा आंदोलन आप खड़ा कर सकते हैं क्या? हिन्दुस्तान की सभी यूनिवर्सिटियों को आपके साथ जोड़ सकते हैं क्या? आप एक ऐसा संगठन हैं जिसमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है। सक्रिय भूमिका भी महिलाओं की है। और Nutrition की समस्या का समाधान अगर करना है, हमारे बालकों को कुपोषण से बाहर निकालना है, तो आप बहुत बड़़ा योगदान दे सकते हैं। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप इसमें सोचिए। मैं भारत सरकार से भी कहूंगा, राज्य सरकार से भी आग्रह करूंगा कि अगर आप इस काम को लेकर आगे आते हैं तो जरूर वे भी आपको उचित मार्गदर्शन करेंगे; जो भी मदद करनी चाहिए, वो करेंगे। लेकिन एक आंदोलन हम खड़ा कर सकते हैं।
हमारी IXth, Xth, XIth, XIIth - इस कक्षा में पढ़ने वाली बच्चियां, अगर Nutrition के संबंध में शिक्षित होंगी; तो जब भी परिवार का कारोबार संभालती होंगी, Kitchen पर उनका प्रभाव रहने ही वाला है। वो Profession में जाएगी तो भी Kitchen पर उसकी बात चलने वाली है। आप सोच सकते हैं कि कितना बड़ा बदलाव ला सकते हैं। और ये काम आपके माध्यम से बहुत ही अच्छी तरह हो सकता है। और मैं इसके लिए 2022 एक संकल्प लेने के लिए आपको निमंत्रित करता हूं।
भारत सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए हैं। अभी आपने देखा होगा कुछ दिन पहले जो हमारी Working Women Class जो है पूरा, डिलीवरी के बाद, प्रसूति के बाद पहले उनको सिर्फ 12 सप्ताह की छुट्टी मिलती थी, हमने उसको 12 सप्ताह से 26 सप्ताह कर दिया है ताकि वो अपने बालक की देखभाल करने की जब सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है, तो मां अपने बच्चे के साथ रह सके, पूरा समय दे सके, और वो समय प्रारंभ के जो कुछ महीने होते हैं; जो बालक की जिंदगी में बड़े महत्व होते हैं, संतान की जिंदगी में बड़े महत्व होते हैं। मां की मौजूदगी बहुत बड़ा role कर सकती है। और दुनिया में शायद दो या तीन ही देश हैं जो 26 हफ्ते से ज्यादा छुट्टी देते होंगे। दुनिया के समृद्ध और प्रगतिशील देश भी 26 हफ्ते की छुट्टी नहीं दे रहे, भारत ने इतना बड़ा फैसला कर लिया है! क्योंकि हमारी माताओं-बहनों का सशक्तिकरण देश के सशक्तिकरण में एक नई ऊर्जा भर सकता है, नई गति भर सकता है और परिणाम की दृष्टि से काफी सफल यात्रा की ओर हमें ले जा सकता है।
सुकन्या समृद्धि योजना हो, गर्भवती महिलाओं के लिए बैंक खाते से तीन किश्तों में 6000 रुपये देने की योजना हो, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान हो। अभी उज्ज्वला योजना के तहत एक बड़ा अभियान चलाया है। हमारी गरीब मां-बहनें लकड़ी का चूल्हा जला करके खाना पकाती थीं और Medical से जुड़े हुए लोगों का कहना है कि जब एक मां, गरीब मां लकड़ी से चूल्हा जला करके खाना पकाती है तो एक दिन में उसके शरीर में 400 सिगरेट का धुंआ जाता है। बच्चे खेलते होते हैं उनके शरीर में भी वो धुंआ जाता है। हमारी मां-बहनो की तबियत का क्या हाल होगा? भारत सरकार ने एक बहुत बड़ा Initiative लिया है कि हमें इन गरीब माताओं को खाना पकाने के लिए लकड़ी के चूल्हे से मुक्ति दिलानी है। और लकड़ी के चूल्हे से मुक्ति दिलाने के लिए LPG Gas Cylinder का Connection देना एक बहुत बड़ा आंदोलन चला। पिछले दस महीने से ये आंदोलन चलाया है, अब तक करीब-करीब दो करोड़ गरीब परिवारों में गैस के Cylinder पहुंच चुके हैं, गैस का चूल्हा जल रहा है; लकड़ी के चूल्हे से, धुंए से उनको मुक्ति मिल चुकी है। और ये तीन साल में 5 करोड़ परिवारों में पहुंचने का संकल्प है।
हमारी मातृ शक्ति, हमारी महिला शक्ति, उनको कैसे मदद मिले, उस पर हमारा बल चल रहा है। ब्रह्माकुमारी के द्वारा इसमें बहुत बड़ा योगदान हो सकता है। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप भी सक्रियता से ऐसे काम; क्योंकि आप करते ही हैं, अनेक प्रकार के काम आप करते ही हैं। सक्रियता से इन कामों को अगर आप बल देंगे, एक बहुत बड़ा परिणाम लाने में आपका योगदान बनेगा।
आज मुझे फिर से आपके बीच में आने का अवसर मिला है। प्रकृति की रक्षा, मातृ शक्ति की रक्षा, बालकों की जिंदगी में बदलाव लाने का प्रयास, ये सारी बातें अपने-आप में एक बहुत बड़ी अमानत के रूप में हैं। और मैं आपसे, आपके बीच आया, आपका ये समागम दुनिया के जब सभी देशों से जब लोग आए हैं तब, भारत के इस महान चिंतन का विचार ले करके जाएंगे, ज्ञान का प्रकाश सब दूर पहुंचेगा, मानव कल्याण के लिए काम आएगा; और दादा लेखराज जी ने जो काम को आरंभ किया था, आपके प्रयत्नों से उसको एक नई ऊर्जा मिलेगी। 100 वर्ष के बावजूद भी इतना कठोर परिश्रम, दादी का जीवन नई पीढ़ी को प्ररेणा देता रहेगा, एक नई ऊर्जा के साथ लोगों को काम करने की ताकत मिलती रहेगी।
और जब स्वच्छ भारत अभियान मैं चला रहा था तो दादीजी हमारी Ambassador रहीं हैं। दादीजी ने ब्रह्माकुमारियों के द्वारा स्वच्छता अभियान को बल दिया है। और मुझे विश्वास है कि सफेद वस्त्रों में हमारे जो ब्रह्माकुमार, ब्रह्माकुमारी हैं, वे स्वच्छता के आंदोलन को बहुत ताकत दे सकते हैं।
2022 तक ऐसे कुछ संकल्प ले करके चलें। 2019, महात्मा गांधी को 150 वर्ष हो रहे हैं। जब गांधी को 150 वर्ष हो रहे हैं तो भारत में स्वच्छता के विषय में जन-जन की आदत कैसे उसको बने, ये आंदोलन आदत में कैसे परिवर्तित हो, उसको हमें परिणाम पर ले जाना है।
मैं आज आप सबके बीच आया हूं तो मैं आपसे कुछ बातों के लिए आग्रह कर रहा हूं। और मुझे विश्वास है कि आप इसको करके दिखाएंगे। आप के पास सामर्थ्य है, संगठन है, संकल्प है। पवित्र कार्य से प्रेरित आप लोग हैं। आपसे परिणाम मिलने की संभावना है। मैं फिर एक बार विश्वभर से आए हुए सभी महानुभावों का हृदय से स्वागत करता हूं और ये ज्ञान का प्रकाश सब दूर फैलाने में आपका भी योगदान मिलता रहे।
आप सबके बीच आने का मुझे मौका मिला, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं, आप सबको मेरी तरफ से ओम शांति, ओम शांति, ओम शांति।