Quoteभारत के संस्कारों में धरती पवित्र है, हर सुबह जमीन पर पैर रखने से पहले हम धरती से माफी मांगते हैं: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteअभी हम और भी जंगल के हिस्से को बढ़ाने पर आगे बढ़ रहे हैं, हमारी सरकार किसानों की आय दोगुना करने की ओर बढ़ रही है, इसमें अलग-अलग तरीके से खेती सिखाई जा रही है: पीएम मोदी
Quoteदुनिया को भी जल्द ही सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर रोक लगानी होगी: प्रधानमंत्री

मैं मरुस्थलीकरण की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (कॉप) के 14वें सत्र के लिए आप सभी का भारत में स्वागत करता हूं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा मरुस्थलीकरण की रोकथाम के लिए प्रयास किए जाने के मद्देनजर मैं भारत में इस सम्मेलन के आयोजन के लिए कार्यकारी सचिव श्री इब्राहि‍म जियाओ का धन्यवाद करता हूं। इस सम्मेलन के लिए रिकॉर्ड पंजीकरण भूमि क्षरण पर लगाम लगाकर इसे फि‍र से उपजाऊ बनाने की वैश्विक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भारत भी इसमें बहुमूल्‍य योगदान करने की आशा करता है क्योंकि हमने दो साल के कार्यकाल के लिए इसकी सह-अध्‍यक्षता संभाल ली है।

मित्रों,

भारत में सदियों से हमने सदैव जमीन को विशेष अहमियत दी है। भारतीय संस्कृति में पृथ्वी को अत्‍यंत पावन माना जाता है और इसकी आराधना मां के रूप में की जाती है।

प्रात: उठते समय जब हम अपने पैरों से धरती को छूते हैं तो हम प्रार्थना करके धरती माता से क्षमा याचना करते हैं।

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समुद्र-वसने देवी पर्वत-स्तन-मण्‍डले।

विष्णु-पत्नी नमस्तुभ्यं पाद-स्पर्शम् क्षमश्वमे।

मित्रों,

जलवायु और पर्यावरण दरअसल जैव विविधता एवं भूमि दोनों को ही प्रभावित करते हैं। यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जा रहा है कि दुनिया जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों का सामना कर रही है। यह भूमि क्षरण और जानवरों एवं पौधों की प्रजातियों के नुकसान के रूप में स्‍पष्‍ट नजर आ रहा है, जिन पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। जलवायु परिवर्तन विभिन्न प्रकार के भूमि क्षरण का कारण भी बन रहा है, चाहे वह समुद्र के स्तर में वृद्धि होने और तेज लहरें उठने, अनियमित वर्षा तूफान और गर्म तापमान की वजह से रेत के तूफान के कारण हो रहा हो।

देवियों और सज्जनों,

भारत ने तीनों सम्मेलनों के लिए ‘कॉप’ के माध्यम से वैश्विक सम्‍मेलन की मेजबानी की है। यह रियो सम्‍मेलन की सभी तीनों मुख्य चिंताओं को दूर करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भारत को जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और भूमि क्षरण के मुद्दे सुलझाने हेतु व्‍यापक दक्षिण- दक्षिण सहयोग के लिए ठोस पहल का प्रस्ताव करने में खुशी होगी।

मित्रों,

आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि दुनिया के दो तिहाई से भी अधिक देश मरुस्थलीकरण से प्रभावित हैं। अत: भूमि क्षरण के साथ-साथ दुनिया के सामने गहराए जल संकट के मोर्चे पर भी ठोस कदम उठाना नितांत आवश्‍यक है। कारण यह है कि जब हम भूमि क्षरण को दुरुस्‍त करते हैं तो हम जल की कमी की समस्‍या को भी सुलझा देते हैं।

जल आपूर्ति बढ़ाना, पानी का पुनर्भरण बेहतर करना, पानी के बहाव को धीमा करना और मिट्टी में नमी को बनाए रखना समग्र भूमि एवं जल रणनीति के अहम हिस्से हैं। मैं यूएनसीसीडी के नेतृत्‍व से वैश्विक जल कार्रवाई एजेंडा बनाने का आह्वान करता हूं जो ‘भूमि क्षरण तटस्थता रणनीति’ के केंद्र में है।

मित्रों,

सतत विकास के लिए भूमि की उर्वरता को बहाल करना आवश्‍यक है। आज मुझे भारत के उन सूचकांकों की याद दिलाई गई जो यूएनएफसीसीसी की पेरिस कॉप में प्रस्तुत किए गए थे।

इसने भूमि, जल, वायु, वृक्षों और सभी जीवित प्राणियों के बीच स्वस्थ संतुलन बनाए रखने संबंधी भारत की गहरी सांस्कृतिक जड़ों पर प्रकाश डाला। मित्रों, यह जानकर आपको खुशी होगी कि भारत अपना समग्र वृक्ष क्षेत्र बढ़ाने में सफल रहा है। वर्ष 2015 और वर्ष 2017 के बीच भारत के समग्र वृक्ष एवं वन क्षेत्र में 0.8 मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि हुई थी।

भारत में यदि विकास कार्य के लिए किसी वन भूमि को उपलब्‍ध कराया जाता है तो कहीं और ठीक उतनी ही भूमि वनीकरण के लिए अवश्‍य मुहैया कराई जानी चाहिए। यह भी आवश्यक है कि उतनी कुल लकड़ी के मूल्य का मौद्रिक भुगतान किया जाए जो इस तरह की वन भूमि से प्राप्त होती।

मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पिछले सप्ताह ही विकास के लिए वन भूमि का उपयोग किए जाने के बदले में लगभग 6 अरब अमेरिकी डॉलर (40 से 50,000 करोड़ रुपये) की धनराशि प्रांतीय सरकारों को जारी की गई है।

मेरी सरकार ने विभिन्न उपायों के माध्यम से फसल की पैदावार बढ़ाकर किसानों की आय दोगुनी करने का कार्यक्रम शुरू किया है। इसमें भूमि की उर्वरता बहाल करना और सूक्ष्म सिंचाई शामिल हैं। हम ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ के सूत्र वाक्य के साथ काम कर रहे हैं। इसके साथ ही हम ‘शून्य बजट प्राकृतिक खेती’ पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हमने प्रत्येक खेत की मिट्टी की गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए एक योजना भी शुरू की है और हम किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी कर रहे हैं। यह कार्ड उन्हें सही प्रकार की फसलों को उगाने और उर्वरकों, पानी की सही मात्रा का उपयोग करने में सक्षम बनाता है। अब तक लगभग 217 मिलियन मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए हैं। हम जैव उर्वरकों का उपयोग बढ़ा रहे हैं और कीटनाशकों एवं रासायनिक उर्वरकों के इस्‍तेमाल को कम कर रहे हैं।

जल प्रबंधन एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है। हमने समग्रता में जल संबंधी सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को सुलझाने के लिए जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया है। सभी प्रकार के पानी के मूल्य को पहचानते हुए हमने कई औद्योगिक प्रक्रियाओं में ‘शून्य तरल रिसाव’ को लागू किया। नियामकीय व्‍यवस्‍था में इस हद तक अपशिष्ट जल के शोधन का प्रावधान किया गया है जिससे कि इसे जल में रहने वाले जीवों को नुकसान पहुंचाए बिना ही नदी प्रणाली में वापस डाला जा सके। मित्रों, मैं आपका ध्यान भूमि क्षरण के एक अन्य रूप की ओर आकर्षित करना चाहूंता हूं जिसे अगर नहीं रोका गया तो फि‍र उसे मूल स्थिति में वापस लाना असंभव हो सकता है। यह प्लास्टिक कचरे से जुड़ा खतरा है। यह स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने के अलावा भूमि को कृषि की दृष्टि से अनुत्पादक और बेकार बना देगा।

मेरी सरकार ने घोषणा की है कि भारत आने वाले वर्षों में एकल अपशिष्ट प्लास्टिक को समाप्त कर देगा। हम पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों के साथ-साथ एक कुशल प्लास्टिक संग्रह एवं निस्‍तारण विधि को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि दुनिया भी एकल उपयोग वाले प्‍लास्टिक को अलविदा कहे।

मित्रों, मानव सशक्ति‍करण पर्यावरण की स्थिति से निकटता से जुड़ा हुआ है। चाहे वह जल संसाधनों का दोहन हो या एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के उपयोग को कम करना हो, इसके लिए लोगों को अपने व्‍यवहार में बदलाव लाना होगा। जब समाज के सभी वर्ग कुछ ठोस हासिल करने का निर्णय लेते हैं, तभी हम अपेक्षित परिणाम पा सकते हैं।

हम अनगिनत रूपरेखा प्रस्तुत कर सकते हैं, लेकिन वास्तविक बदलाव जमीनी स्‍तर पर टीम वर्क से ही संभव हो पाता है। भारत ने इसे ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के मामले में बखूबी देखा है, सभी क्षेत्रों के लोगों ने इसमें भाग लिया और स्वच्छता कवरेज सुनिश्चित की जो वर्ष 2014 के 38 प्रतिशत से बढ़कर आज 99 प्रतिशत हो गई है।

मैं एकल उपयोग वाले प्लास्टिक की समाप्ति सुनिश्चित करने में ठीक उसी भावना को देख रहा हूं। विशेष रूप से युवा इसमें अपेक्षाकृत अधिक मददगार हैं और सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अगुवाई कर रहे हैं। मीडिया भी अत्‍यंत अहम भूमिका निभा रहा है।

मित्रों, मैं वैश्विक भूमि एजेंडा के लिए और भी अधिक प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त करना चाहता हूं, मैं उन देशों को भारत का समर्थन देने की भी पेशकश करता हूं, जो भारत में सफल हुई एलडीएन (भूमि क्षरण तटस्थता) की कुछ रणनीतियों को समझना और अपनाना पसंद कर सकते हैं। इस मंच से मैं यह घोषणा करना चाहता हूं कि भारत अपने उस कुल क्षेत्र को अभी से लेकर वर्ष 2030 के बीच 21 मिलियन हेक्टेयर से बढ़ाकर 26 मिलियन हेक्टेयर करेगा जिसे भूमि क्षरण की स्थिति से उबार करके उर्वर भूमि के रूप में बहाल किया जाएगा।

यह वृक्ष क्षेत्र के माध्यम से 2.5 अरब एमटी से लेकर 3 अरब एमटी के बीच अतिरिक्त कार्बन सिंक प्राप्त करने संबंधी भारत की बड़ी प्रतिबद्धता में सहायक साबित होगा।

मैं अपने सबसे पुराने शास्त्रों में से एक शास्‍त्र के एक बहुत ही लोकप्रिय प्रार्थना को उद्धृत करके अपने संबोधन का समापन कर रहा हूं।

ओम् द्यौः शान्तिः, अन्तरिक्षं शान्तिः

शांति शब्द का अर्थ केवल शांति या हिंसा-विरोध से नहीं है। यहां, यह समृद्धि को संदर्भित करता है। हर चीज के अस्तित्‍व का एक विधान, एक उद्देश्य होता है और हर किसी को उस उद्देश्य को पूरा करना होता है।

उस उद्देश्य की पूर्ति ही समृद्धि है।

ओम् द्यौः शान्तिः, अन्तरिक्षं शान्तिः

अत: यह कहता है -आकाश, स्वर्ग और अंतरिक्ष भी समृद्धि हासिल करे।

पृथिवी शान्तिः,

आपः शान्तिः,

ओषधयः शान्तिः, वनस्पतयः शान्तिः, विश्वेदेवाः शान्तिः,

ब्रह्म शान्तिः

धरती माता समृद्ध हो।

इसमें वनस्पतियां और जीव शामिल हैं जिनके साथ हम अपनी धरा को साझा करते हैं।

वे समृद्ध हों।

जल की हर बूंद समृद्ध हो।

दिव्य देवता समृद्ध हों।

सर्वं शान्तिः,

शान्तिरेव शान्तिः,

सा मे शान्तिरेधि।।

सबका भला हो।

मुझे भी समृद्धि प्राप्त हो।

ओम् शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।

ओम समृद्धि। समृद्धि।

समृद्धि।

हमारे पूर्वजों के विचार और दर्शन सर्वव्यापी एवं महान विचारों से परिपूर्ण थे। उन्हें मेरे और हमारे बीच के सच्चे रिश्ते का अहसास था। वे जानते थे कि मेरी समृद्धि केवल हमारी समृद्धि के माध्यम से ही हो सकती है।

जब हमारे पूर्वज ‘हम’ कहते थे, तो उसका मतलब केवल उनके परिवार या समुदाय या यहां तक कि सिर्फ इंसानों से नहीं होता था। इसमें आकाश, पानी, पौधे, पेड़ - सब कुछ शामिल थे।

उस क्रम को जानना भी अत्‍यंत आवश्‍यक है जिसमें वे शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।

वे आकाश, पृथ्वी, जल, पौधों के लिए प्रार्थना करते हैं - ये ऐसी चीजें हैं जो हमारा अस्तित्‍व बनाए रखती हैं। इसे ही हम पर्यावरण कहते हैं। यदि ये समृद्ध होते हैं, तो मैं समृद्ध होता हूं - यही उनका मंत्र था। आज भी यह एक अत्यंत प्रासंगिक विचार है।

इस भावना के साथ मैं एक बार फिर आपको इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बधाई देता हूं।

धन्यवाद।

आपका बहुत’-बहुत धन्यवाद।

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प्रधानमंत्री की सऊदी अरब की राजकीय यात्रा के समापन पर जॉइंट स्टेटमेंट
April 23, 2025

"ऐतिहासिक मित्रता; प्रगति के लिए साझेदारी"

क्राउन प्रिंस और सऊदी अरब साम्राज्य के प्रधानमंत्री महामहिम प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद के निमंत्रण पर भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 22 अप्रैल, 2025 को सऊदी अरब साम्राज्य का राजकीय दौरा किया।

यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सऊदी अरब साम्राज्य की तीसरी यात्रा थी। यह एचआरएच प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद, क्राउन प्रिंस और सऊदी अरब साम्राज्य के प्रधानमंत्री की सितंबर 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने और भारत-सऊदी अरब सामरिक साझेदारी परिषद की पहली बैठक की सह-अध्यक्षता करने की ऐतिहासिक राजकीय यात्रा के बाद हो रही है।

महामहिम प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद, क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री ने अल-सलाम पैलेस, जेद्दा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अगवानी की। भारत और सऊदी अरब के बीच मजबूत संबंध हैं और दोनों देशों के लोगों के बीच घनिष्ठ संबंध हैं, जो विश्वास और सद्भावना से भरे हैं। दोनों पक्षों ने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की ठोस नींव रक्षा, सुरक्षा, ऊर्जा, व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, कृषि, संस्कृति, स्वास्थ्य, शिक्षा और लोगों के बीच संबंधों सहित विविध क्षेत्रों को कवर करने वाली रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से और मजबूत हुई है। दोनों पक्षों ने आपसी हितों के मौजूदा क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री एचआरएच प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद को विश्व एक्सपो 2030 और फीफा विश्व कप 2034 के लिए सऊदी अरब की सफल बोली के लिए बधाई दी।

दोनों नेताओं ने भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के तरीकों पर रचनात्मक चर्चा की। दोनों नेताओं ने भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद (एसपीसी) की दूसरी बैठक की सह-अध्यक्षता भी की। दोनों पक्षों ने सितंबर 2023 में अपनी पिछली बैठक के बाद से रणनीतिक साझेदारी परिषद की प्रगति की समीक्षा की। दोनों नेताओं ने दो मंत्रिस्तरीय समितियों के काम के परिणामों (अ) राजनीतिक, सुरक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग समिति और उनकी उप-समितियां और (ब) अर्थव्यवस्था और निवेश समिति और विभिन्न क्षेत्रों में उनके संयुक्त कार्य समूह पर संतोष व्यक्त किया। इस संदर्भ में, परिषद के सह-अध्यक्षों ने रक्षा सहयोग और पर्यटन और सांस्कृतिक सहयोग पर मंत्रिस्तरीय समितियों को जोड़कर रणनीतिक साझेदारी की गहराई को दर्शाते हुए रणनीतिक साझेदारी परिषद के चार मंत्रिस्तरीय समितियों तक विस्तार का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने विभिन्न मंत्रालयों की बड़ी संख्या में उच्च-स्तरीय यात्राओं की सराहना की, जिससे दोनों पक्षों में विश्वास और आपसी समझ बढ़ी है। बैठक के अंत में, दोनों नेताओं ने भारत-सऊदी अरब रणनीतिक भागीदारी परिषद की दूसरी बैठक के कार्यवृत्त पर हस्ताक्षर किए।

भारतीय पक्ष ने सऊदी अरब में रहने वाले लगभग 2.7 मिलियन भारतीय नागरिकों के निरंतर कल्याण के लिए सऊदी पक्ष की सराहना की, जो दोनों देशों के बीच मौजूद लोगों के बीच मजबूत संबंधों और अपार सद्भावना को दर्शाता है। भारतीय पक्ष ने 2024 में हज यात्रा को सफलतापूर्वक आयोजित करने के लिए सऊदी अरब को बधाई दी और भारतीय हज और उमराह तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए दोनों देशों के बीच उत्कृष्ट समन्वय के लिए प्रशंसा भी की।

दोनों पक्षों ने हाल के वर्षों में भारत और सऊदी अरब के बीच आर्थिक संबंधों, व्यापार और निवेश संबंधों के विकास का स्वागत किया। भारतीय पक्ष ने विज़न 2030 के तहत लक्ष्यों पर हासिल की गई प्रगति के लिए सऊदी पक्ष को बधाई दी। सऊदी पक्ष ने भारत की निरंतर आर्थिक वृद्धि और 2047 तक विकसित भारत बनने के लक्ष्य की सराहना की। दोनों पक्ष अपने-अपने राष्ट्रीय लक्ष्यों को पूरा करने और साझा समृद्धि हासिल करने के लिए आपसी हितों के क्षेत्रों में मिलकर काम करने पर सहमत हुए।

दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच निवेश प्रवाह को बढ़ावा देने के लिए 2024 में गठित उच्च स्तरीय टास्क फोर्स (एचएलटीएफ) के तहत चर्चाओं में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। ऊर्जा, पेट्रोकेमिकल्स, बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी, फिनटेक, डिजिटल बुनियादी ढांचे, दूरसंचार, फार्मास्यूटिकल्स, विनिर्माण और स्वास्थ्य सहित कई क्षेत्रों में भारत में निवेश करने के सऊदी अरब के प्रयास पर, यह नोट किया गया कि उच्च स्तरीय टास्क फोर्स ने कई क्षेत्रों में समझ बनाई है जो इस तरह के निवेश प्रवाह को तेजी से बढ़ावा देगी। उन्होंने दो रिफाइनरियों की स्थापना पर सहयोग करने के लिए उच्च स्तरीय टास्क फोर्स में हुए समझौते का उल्लेख किया। कराधान जैसे क्षेत्रों में इस टास्क फोर्स द्वारा की गई प्रगति भी भविष्य में अधिक सहयोग के लिए एक बड़ी सफलता थी। दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय निवेश संधि पर बातचीत को जल्द से जल्द पूरा करने की अपनी इच्छा की पुष्टि की। भारतीय पक्ष ने पीआईएफ द्वारा निवेश सुविधा के लिए नोडल बिंदु के रूप में कार्य करने के लिए सार्वजनिक निवेश कोष (पीआईएफ) में इंडिया डेस्क के शुभारंभ की सराहना की। उन्होंने पाया कि उच्च स्तरीय टास्क फोर्स का काम भारत और सऊदी अरब के बीच बढ़ती आर्थिक साझेदारी को रेखांकित करता है, जो आपसी आर्थिक विकास और सहयोगी निवेश पर केंद्रित है।

दोनों पक्षों ने अपनी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष निवेश साझेदारी को मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने सितंबर 2023 में नई दिल्ली में आयोजित सऊदी-भारत निवेश मंच के परिणामों और दोनों देशों के सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच इसके द्वारा प्राप्त सक्रिय सहयोग की सराहना की। उन्होंने सऊदी अरब में भारतीय कंपनियों द्वारा निवेश गतिविधियों के विस्तार की भी सराहना की और आपसी निवेश बढ़ाने में निजी क्षेत्र की भूमिका की सराहना की। दोनों पक्षों ने इन्वेस्ट इंडिया और सऊदी अरब के निवेश मंत्रालय के बीच द्विपक्षीय निवेश बढ़ाने पर सहयोग के ढांचे को सक्रिय करने की सराहना की। दोनों पक्ष स्टार्टअप इकोसिस्टम में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने की सुविधा देने पर सहमत हुए, जिससे आपसी विकास और नवाचार में योगदान मिलेगा।

ऊर्जा के क्षेत्र में, भारतीय पक्ष ने वैश्विक तेल बाजारों की स्थिरता बढ़ाने और वैश्विक ऊर्जा बाजार की गतिशीलता को संतुलित करने के लिए सऊदी अरब के साथ काम करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने वैश्विक बाजारों में सभी ऊर्जा स्रोतों के लिए आपूर्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। वे ऊर्जा क्षेत्र में कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के महत्व पर सहमत हुए, जिसमें कच्चे तेल और एलपीजी सहित इसके डेरिवेटिव की आपूर्ति, भारत के रणनीतिक रिजर्व कार्यक्रम में सहयोग, विनिर्माण और विशेष उद्योगों सहित रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में संयुक्त परियोजनाएं, हाइड्रोकार्बन, बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा के अभिनव उपयोग, जिसमें दोनों देशों के बीच विद्युत अंतर्संबंध के लिए विस्तृत संयुक्त अध्ययन पूरा करना, ग्रिड स्वचालन, ग्रिड कनेक्टिविटी, विद्युत ग्रिड सुरक्षा और लचीलापन, और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं और ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करना और अपनी परियोजनाओं को लागू करने में दोनों पक्षों की कंपनियों की भागीदारी बढ़ाना शामिल है।

दोनों पक्षों ने हरित/स्वच्छ हाइड्रोजन के क्षेत्र में सहयोग के महत्व पर जोर दिया, जिसमें मांग को प्रोत्साहित करना, हाइड्रोजन परिवहन और भंडारण प्रौद्योगिकियों का विकास करना, सर्वोत्तम प्रथाओं को लागू करने के लिए विशेषज्ञता और अनुभवों का आदान-प्रदान करना शामिल है। दोनों पक्षों ने ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी आपूर्ति श्रृंखलाओं और परियोजनाओं को विकसित करने, कंपनियों के बीच सहयोग को सक्षम बनाने, ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और इमारतों, उद्योग और परिवहन क्षेत्रों में ऊर्जा की खपत को तर्कसंगत बनाने और इसके महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर काम करने की आवश्यकता को भी स्वीकार किया।

जलवायु परिवर्तन के संबंध में, दोनों पक्षों ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन और पेरिस समझौते के सिद्धांतों का पालन करने के महत्व की पुष्टि की और स्रोतों के बजाय उत्सर्जन पर ध्यान केंद्रित करते हुए जलवायु समझौतों को विकसित और लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। भारतीय पक्ष ने सऊदी अरब द्वारा "सऊदी ग्रीन इनिशिएटिव" और "मिडिल ईस्ट ग्रीन इनिशिएटिव" की शुरूआत की सराहना की और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में उनके प्रयासों के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया। दोनों पक्षों ने उत्सर्जन प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक उपकरण के रूप में सर्कुलर कार्बन अर्थव्यवस्था का उपयोग करने वाली नीतियों को बढ़ावा देकर सर्कुलर कार्बन अर्थव्यवस्था के अनुप्रयोगों को विकसित करने के लिए संयुक्त सहयोग के महत्व पर बल दिया। सऊदी अरब साम्राज्य ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, एक सूर्य-एक विश्व-एक ग्रिड, आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) और पर्यावरण के लिए मिशन लाइफस्टाइल (एलआईएफई) और वैश्विक हरित ऋण पहल जैसी अग्रणी पहलों के माध्यम से वैश्विक जलवायु कार्रवाई में भारत के योगदान की सराहना की।

दोनों पक्षों ने हाल के वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार में लगातार वृद्धि पर संतोष व्यक्त किया, जिसमें भारत सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है; और सऊदी अरब 2023-2024 में भारत का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार होगा। दोनों पक्षों ने अपने द्विपक्षीय व्यापार में विविधता लाने के लिए सहयोग को और बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। इस संबंध में, दोनों पक्ष व्यापार और व्यापार प्रतिनिधिमंडलों की यात्राओं को बढ़ाने और व्यापार और निवेश कार्यक्रम आयोजित करने के महत्व पर सहमत हुए। दोनों पक्षों ने भारत-जीसीसी एफटीए पर बातचीत शुरू करने की अपनी इच्छा दोहराई।

दोनों पक्षों ने सामरिक भागीदारी के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में रक्षा संबंधों को गहरा करने की सराहना की, और सामरिक भागीदारी परिषद के तहत रक्षा सहयोग पर एक मंत्रिस्तरीय समिति के गठन का स्वागत किया। उन्होंने क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में पहली बार भूमि सेना अभ्यास सदा तनसीक, नौसेना अभ्यास अल मोहम्मद अल हिंदी के दो दौर, कई उच्च स्तरीय यात्राओं और प्रशिक्षण आदान-प्रदान जैसे कई 'पहली बार' सहित अपने संयुक्त रक्षा सहयोग की वृद्धि पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने सितंबर 2024 में रियाद में आयोजित रक्षा सहयोग पर संयुक्त समिति की छठी बैठक के परिणामों का स्वागत किया, जिसमें तीनों सेनाओं के बीच स्टाफ-स्तरीय वार्ता की शुरुआत का उल्लेख किया गया। दोनों पक्षों ने रक्षा उद्योग सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की।

सुरक्षा क्षेत्रों में प्राप्त निरंतर सहयोग को ध्यान में रखते हुए, दोनों पक्षों ने बेहतर सुरक्षा और स्थिरता के लिए इस सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने साइबर सुरक्षा, समुद्री सीमा सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय अपराध, नशीले पदार्थों और नशीली दवाओं की तस्करी से निपटने के क्षेत्रों में दोनों पक्षों के बीच सहयोग को आगे बढ़ाने के महत्व पर भी जोर दिया।

दोनों पक्षों ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की कड़ी निंदा की, जिसमें निर्दोष नागरिकों की जान चली गई। इस संदर्भ में, दोनों पक्षों ने आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में निंदा की और इस बात पर जोर दिया कि यह मानवता के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है। वे इस बात पर सहमत हुए कि किसी भी कारण से किसी भी आतंकी कृत्य का कोई औचित्य नहीं हो सकता। उन्होंने आतंकवाद को किसी विशेष जाति, धर्म या संस्कृति से जोड़ने के किसी भी प्रयास को खारिज कर दिया। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ़ लड़ाई और आतंकवाद के वित्तपोषण में दोनों पक्षों के बीच उत्कृष्ट सहयोग का स्वागत किया। उन्होंने सीमा पार आतंकवाद की निंदा की और सभी देशों से दूसरे देशों के खिलाफ़ आतंकवाद के इस्तेमाल को अस्वीकार करने, जहां भी आतंकवाद का बुनियादी ढांचा मौजूद है, उसे नष्ट करने और आतंकवाद के अपराधियों को तुरंत न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया। दोनों पक्षों ने दूसरे देशों के खिलाफ़ आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए मिसाइलों और ड्रोन सहित हथियारों तक पहुंच को रोकने की आवश्यकता पर बल दिया।

दोनों पक्षों ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में चल रहे सहयोग और वर्तमान तथा भविष्य के स्वास्थ्य जोखिमों तथा स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के प्रयासों पर चर्चा की। इस संदर्भ में, उन्होंने दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया। भारतीय पक्ष ने नवंबर 2024 में जेद्दा में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस पर चौथे मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी करने के लिए सऊदी अरब साम्राज्य को बधाई दी। भारतीय पक्ष ने सऊदी अरब में भारतीय दवाओं के संदर्भ मूल्य निर्धारण और फास्ट ट्रैक पंजीकरण से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए सऊदी खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण द्वारा की गई पहलों का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने सऊदी खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के बीच चिकित्सा उत्पाद विनियमन के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन को और पांच साल की अवधि के लिए बढ़ाए जाने का भी स्वागत किया।

दोनों पक्षों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर सुरक्षा, सेमी-कंडक्टर आदि जैसे नए और उभरते क्षेत्रों सहित प्रौद्योगिकी में सहयोग के महत्व को रेखांकित किया। डिजिटल शासन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, दोनों पक्ष इस क्षेत्र में सहयोग की संभावना तलाशने पर सहमत हुए। उन्होंने विनियामक और डिजिटल क्षेत्रों में सहयोग के लिए भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण और सऊदी अरब साम्राज्य के संचार, अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी आयोग के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने पर भी संतोष व्यक्त किया।

दोनों पक्षों ने कहा कि इस यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित अंतरिक्ष सहयोग पर समझौता ज्ञापन अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिसमें प्रक्षेपण वाहनों, अंतरिक्ष यान, भू प्रणालियों का उपयोग; अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग; अनुसंधान और विकास; शैक्षणिक जुड़ाव और उद्यमिता शामिल हैं।

दोनों पक्षों ने विरासत, फिल्म, साहित्य और प्रदर्शन और दृश्य कला जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सक्रिय जुड़ाव के माध्यम से सऊदी अरब साम्राज्य और भारत गणराज्य के बीच सांस्कृतिक सहयोग के विकास पर ध्यान दिया। सामरिक भागीदारी परिषद के तहत पर्यटन और सांस्कृतिक सहयोग पर एक मंत्रिस्तरीय समिति का निर्माण इस साझेदारी को गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

दोनों पक्ष क्षमता निर्माण और सतत पर्यटन के माध्यम से पर्यटन में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमत हुए। उन्होंने मीडिया, मनोरंजन और खेल में विभिन्न अवसरों के विस्तार पर भी ध्यान दिया, जिसे दोनों देशों के बीच लोगों के बीच मजबूत संबंधों द्वारा समर्थित किया गया।

दोनों पक्षों ने उर्वरकों के व्यापार सहित कृषि और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे सहयोग की सराहना की। उन्होंने इस क्षेत्र में दीर्घकालिक रणनीतिक सहयोग के निर्माण हेतु आपूर्ति की सुरक्षा, आपसी निवेश और संयुक्त परियोजनाओं के लिए दीर्घकालिक समझौतों को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच शैक्षिक और वैज्ञानिक सहयोग में बढ़ती गति की सराहना की, नवाचार, क्षमता निर्माण और सतत विकास को बढ़ावा देने में इसके रणनीतिक महत्व को रेखांकित किया। सऊदी पक्ष ने सऊदी अरब में अग्रणी भारतीय विश्वविद्यालयों की उपस्थिति के अवसरों का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने श्रम और मानव संसाधनों में सहयोग बढ़ाने और सहयोग के अवसरों की पहचान करने के महत्व पर भी जोर दिया।

दोनों पक्षों ने सितंबर 2023 में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री एचआरएच प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद की भारत की राजकीय यात्रा के दौरान अन्य देशों के साथ भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे के सिद्धांतों पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने को याद किया और गलियारे में परिकल्पित कनेक्टिविटी के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए मिलकर काम करने की आपसी प्रतिबद्धता व्यक्त की, जिसमें बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है जिसमें माल और सेवाओं के मार्ग को बढ़ाने और हितधारकों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने और डेटा कनेक्टिविटी और इलेक्ट्रिकल ग्रिड इंटरकनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए रेलवे और बंदरगाह संपर्क शामिल हैं। इस संबंध में, दोनों पक्षों ने अक्टूबर 2023 में हस्ताक्षरित विद्युत अंतर्संबंध, स्वच्छ/हरित हाइड्रोजन और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर समझौता ज्ञापन के तहत प्रगति का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच शिपिंग लाइनों में वृद्धि पर भी संतोष व्यक्त किया।

दोनों पक्षों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए जी20, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक सहित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और मंचों में दोनों देशों के बीच सहयोग और समन्वय बढ़ाने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने ऋण सेवा निलंबन पहल (डीएसएसआई) से परे ऋण उपचार के लिए सामान्य ढांचे के भीतर उनके बीच मौजूदा सहयोग की सराहना की, जिसका समर्थन रियाद शिखर सम्मेलन 2020 में जी20 नेताओं द्वारा किया गया था। उन्होंने पात्र देशों के ऋण को संबोधित करने के लिए आधिकारिक ऋणदाताओं (विकासशील देश ऋणदाताओं और पेरिस क्लब ऋणदाताओं) और निजी क्षेत्र के बीच समन्वय के लिए मुख्य और सबसे व्यापक मंच के रूप में सामान्य ढांचे के कार्यान्वयन को बढ़ाने के महत्व पर बल दिया।

दोनों पक्षों ने यमन में संकट के व्यापक राजनीतिक समाधान तक पहुंचने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्रयासों के लिए अपने पूर्ण समर्थन की पुष्टि की। भारतीय पक्ष ने यमन के पक्षों के बीच संवाद को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सऊदी अरब द्वारा की गई कई पहलों की सराहना की, तथा यमन के सभी क्षेत्रों में मानवीय सहायता की पहुंच प्रदान करने और उसे सुगम बनाने में इसकी भूमिका की भी सराहना की। सऊदी पक्ष ने यमन को मानवीय सहायता प्रदान करने में भारतीय प्रयास की भी सराहना की। दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) के अनुरूप जलमार्गों की सुरक्षा और सुरक्षा तथा नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के तरीकों को बढ़ावा देने के लिए सहयोग के महत्व पर सहमति व्यक्त की।

यात्रा के दौरान निम्नलिखित समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए:

• अंतरिक्ष विभाग, भारत और सऊदी अंतरिक्ष एजेंसी के बीच शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए अंतरिक्ष गतिविधियों के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन।

• स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत गणराज्य और स्वास्थ्य मंत्रालय, सऊदी अरब साम्राज्य के बीच स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन।

• डाक विभाग, भारत और सऊदी पोस्ट कॉर्पोरेशन (एसपीएल) के बीच आवक विदेशी सतह पार्सल के लिए द्विपक्षीय समझौता।

• भारत की राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (एनएडीए), भारत और सऊदी अरब डोपिंग रोधी समिति (एसएएडीसी) के बीच डोपिंग रोधी और रोकथाम के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन।

दोनों पक्षों ने रणनीतिक भागीदारी परिषद की अगली बैठक आपसी सहमति से तय तिथि पर आयोजित करने पर सहमति जताई। दोनों देश अपने-अपने देशों में आर्थिक और सामाजिक विकास के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इसलिए उन्होंने यह भी निर्णय लिया कि वे विभिन्न क्षेत्रों में संचार, समन्वय और सहयोग जारी रखेंगे।

यात्रा के अंत में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने और अपने साथ आए प्रतिनिधिमंडल के गर्मजोशी भरे स्वागत और उदार आतिथ्य के लिए क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री महामहिम प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद को हार्दिक धन्यवाद कहा और उनकी प्रशंसा भी की। उन्होंने सऊदी अरब के मैत्रीपूर्ण लोगों की निरंतर प्रगति और समृद्धि के लिए अपनी शुभकामनाएं भी व्यक्त कीं। महामहिम ने भी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और भारत के मैत्रीपूर्ण लोगों की प्रगति और समृद्धि के लिए अपनी हार्दिक शुभकामनाएं दीं।