स्वामी विवेकानंद ने पत्रिका की शुरुआत की थी
गरीबों को सशक्त बनाने में भारत, स्वामी विवेकानंद का अनुसरण कर रहा है: प्रधानमंत्री
महामारी के दौरान और जलवायु परिवर्तन के सन्दर्भ में भारत का दृष्टिकोण स्वामी विवेकानंद के दृष्टिकोण के अनुरूप है: प्रधानमंत्री
युवाओं को स्वामी विवेकानंद की शिक्षा - निडर होने और आत्म-विश्वास से परिपूर्ण होने - का अनुसरण करना चाहिए: प्रधानमंत्री

नमस्ते!

यह खुशीकी बात है कि हम प्रबुद्ध भारत की 125वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। ये कोई सामान्य पत्रिका नहीं है। इसकी शुरुआत वर्ष 1896 में किसी और ने नहीं, बल्कि स्वामी विवेकानन्द ने स्वयं की थी। और वह भी केवल 33 वर्ष की युवा आयु में। ये देशभर मेंसबसे अधिक समय से प्रकाशित होने वाली अंग्रेजी पत्रिकाओं में से एक है।

प्रबुद्ध भारतनाम के पीछे काफी सशक्त विचार मौजूद है।स्वामी विवेकानंद ने हमारे राष्ट्र की भावना को प्रकट करने के लिए इस पत्रिका का नाम प्रबुद्ध भारत रखा था। वह एक ‘जागृत भारत’ का निर्माण करना चाहते थे। जो लोग भारत को जानते हैं, उन्हें पता है कि ये सोच राजनीतिक और भौगोलिक सीमाओं से कहीं आगे है। स्वामी विवेकानन्द ने अपनी इस सोच को साहस और गर्व के साथ व्यक्त किया।उन्होंने भारत को एक सांस्कृतिक चेतना के रूप में देखा, जो सदियों से जीवित है और सांस ले रही है।एक ऐसा भारत, जो विपरीत समय की भविष्यवाणी के बावजूद, हर एक चुनौती के बाद और भी ज़्यादा मज़बूत होकर उभरता है। स्वामी विवेकानन्द भारत को 'प्रबुद्ध' अथवा जागृत बनाना चाहते थे। वह आत्म-विश्वास जगाना चाहते थे, कि एक राष्ट्र के रूप में हम महानता की अभिलाषा रख सकते हैं।

मित्रों, स्वामी विवेकानन्द के हृदय में ग़रीबों के प्रति विशेष दया थी।वह वास्तव में यह मानते थे कि गरीबी हर समस्या की जड़ है। इसलिए राष्ट्र से गरीबी को खत्म करना होगा। उन्होंने ‘दरिद्र नारायण’को सर्वोच्च महत्व दिया।

स्वामी विवेकानन्द ने अमेरिका से कई पत्र लिखे। मैं यहां मैसूर के राजा और स्वामी रामकृष्णानंद जी को लिखे उनके पत्रों के बारे में बताना चाहूंगा।इन पत्रों में, गरीबों के सशक्तिकरण के लिए स्वामीजी के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालने वाले दो विचार सामने आते हैं। सबसे पहले उनका विचार है कि वह सशक्तिकरण को गरीबों तक ले जाना चाहते थे, यदि गरीब खुदआसानी से सशक्त नहीं हो सकते। और दूसरा विचार, जो उन्होंने भारत के गरीबों के बारे में कहा, “उन्हें विचार दिया जाना चाहिए, उनके आसपास की दुनिया में घटित होने वाली घटनाओं के प्रति उनको जागृत किया जाना चाहिए, और तब वे ख़ुद अपने सशक्तिकरण के लिए कार्य करेंगे।”

यह वह दृष्टिकोण है, जिसके साथ आज भारत आगे बढ़ रहा है। अगर गरीब बैंक तक नहीं पहुंच सकते, तो बैंक को गरीबों तक पहुंचना चाहिए। जन धन योजना ने यही किया। अगर गरीब बीमे तक नहीं पहुंच सकते, तो बीमे को गरीबों तक पहुंचना चाहिए। जन सुरक्षा योजना ने ऐसा ही किया। अगर गरीब स्वास्थ्य सेवाओं तक नहीं पहुंच सकते, तो हमें स्वास्थ्य सेवाओं को गरीबों तक ले जाना चाहिए। आयुष्मान भारत योजना ने यही किया। सड़क, शिक्षा, बिजली और इंटरनेट कनेक्टिविटी को देश के प्रत्येक कोने तक पहुंचाया जा रहा है, विशेष रूप से गरीबों तक।ये योजनाएं गरीबों के बीच महत्वाकांक्षाओं को बढ़ा रही हैं, और यही वो महत्वाकांक्षाएं हैं, जो देश के विकास को आगे बढ़ा रही हैं।

मित्रों, स्वामी विवेकानन्द ने कहा, “कमज़ोरी का उपाय कमज़ोरी के बारे में सोचना नहीं, बल्कि मज़बूत कैसे बनें, इस बारे में सोचना है।” जब हम बाधाओं के बारे में सोच रहे होते हैं, तो हम बाधाओं के बोझ तले दब जाते हैं। लेकिन जब हम अवसरों के बारे में सोचते हैं, तब हमें आगे बढ़ने के रास्ते मिलते हैं। हम कोविड-19 वैश्विक महामारी का उदाहरण ले सकते हैं। इसमहामारी के दौर में भारत ने क्या किया? भारत ने परेशानी को देखा, लेकिन असहाय और असमर्थता नहीं दिखाई। भारत ने समाधान पर अपना ध्यान केन्द्रित किया। पीपीई किट के उत्पादन से लेकर दुनियाभर को दवाओं की आपूर्ति करने तक, हमारा देश सशक्त से और ज़्यादा सशक्त होता गया। कोविड-19 संकट के दौरान भारत दुनिया के लिए सहायता पहुंचाने वाला एक स्रोत भी बन गया। कोविड-19 वैक्सीन को विकसित करने में भी भारत सबसे आगे है। कुछ ही दिन पहले, भारत ने दुनिया के सबसे व्यापक टीकाकरण अभियान का शुभारंभ किया है। हम अपनी क्षमताओं का उपयोग दूसरे देशों की मदद करने के लिए भी कर रहे हैं।

मित्रों, जलवायु परिवर्तन एक अन्य बाधा है, जिसका आज पूरी दुनिया सामना कर रही है। हालांकि हम इस समस्या के बारे में केवल शिकायत नहीं कर सकते। हम अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (इंटरनेशनल सोलर अलाइंस) के रूप में इसका एक समाधान लेकर आए हैं। हम नवीकरणीय ऊर्जा के अधिकतम इस्तेमाल को भी बढ़ावा दे रहे हैं।यही स्वामी विवेकानंद की दृष्टि में प्रबुद्ध भारत है। यह एक ऐसा भारत है जो दुनिया की समस्याओं का समाधान दे रहा है।

दोस्तों, स्वामी विवेकानन्द ने भारत के लिए बड़े सपने देखे थे, क्योंकि उन्हें भारत के युवाओं में अटूट विश्वास था। उन्होंने भारत के युवाओं को कौशल और आत्म-विश्वाससे भरे इन्सान के रूप में देखा। उन्होंने कहा, “मुझे सौ ऊर्जावान नौजवान दीजिए और मैं संपूर्ण भारत को बदल दूंगा”। आज हम ऐसा जज़्बा भारत के व्यावसायियों, खिलाड़ियों, टेक्नोक्रेट्स, प्रोफेशनल्स, वैज्ञानिक, इनोवेटर्स और ऐसे कई अन्य लोगों में देखते हैं। ये लोग सीमाओं से बाहर निकलकर असंभव को संभवभी कर रहेहैं।

लेकिन हमारे युवाओं में इस तरह की भावना को कैसे बढ़ावा दिया जाए?प्रैक्टिकल वेदांत पर अपने व्याख्यान में, स्वामी विवेकानन्द कुछ गहरी अंतर्दृष्टि को सामने लाते हैं। वह असफलताओं पर जीत पाने और बाधाओं को सीखने की प्रक्रिया का एक हिस्सा मानने की बात करते हैं। वह कहते हैं कि दूसरी महत्वपूर्ण बात जो हमारे अंदर होनी चाहिएवह हैः निडर और आत्म-विश्वास से ओत-प्रोत होना। निडरता वह पाठ है, जो हम खुद स्वामी विवेकानन्द के जीवन से सीखते हैं। उन्होंने जीवन में जो कुछ भी किया, वहांवह आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़े। वह ख़ुद अपने बारे में भी काफी आत्म-विश्वास से भरे थे।उन्हें विश्वास था कि वह एक ऐसे लोकाचार और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो सदियों पुराना है।

मित्रों, स्वामी विवेकानन्द के विचार अनन्त और सदा हमारे बीच रहने वाले हैं।हमें हमेशा ये याद रखना चाहिए कि, दुनिया के लिए कुछ मूल्यवान काम करके ही सच्ची अमरता पाई जा सकती है। कुछ ऐसा जो हमें हमेशा जीवित रखेगा। हमारी पौराणिक कहानियां हमें कुछ मूल्यवान बातें सिखाती हैं। ये हमें सिखाती हैं कि जिन लोगों ने अमरता का पीछा किया, उन्हें यह कभी नहीं मिला। लेकिन जिनका उद्देश्य दूसरों की सेवा करना था, वे लगभग हमेशा ही अमर हो गए। जैसा कि स्वामी जी ने स्वयं कहा था, “जीते केवल वही हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं।” इस विचार को हम स्वामी विवेकानन्द के जीवन में भी देख सकते हैं। वह अपने लिए कुछ हासिल करने के लिए कहीं बाहर नहीं गए। उनका दिल हमेशा देश के गरीबों के लिए धड़का। उनका दिल हमेशा एक ऐसी मातृभूमि के लिए धड़का, जो उस दौर में गुलामी की बेड़ियों में बंधी थी।

मित्रों, स्वामी विवेकानन्द ने आध्यात्मिक और आर्थिक प्रगति को पारस्परिक रूप से एकसाथ जोड़कर नहीं देखा। ख़ास बात ये है कि वह उस नज़रिये के खिलाफ थे, जहां लोग गरीबों के प्रति दया दिखाते हैं या उसका आनंद लेते हैं। प्रैक्टिकल वेदांत के बारे में अपने व्याख्यान में वह कहते हैं कि, “वेदांत हमें अखंडता की बात सिखाता है इसलिए हमें धर्म और जीवन के बीच काल्पनिक अंतर को खत्म कर देना चाहिए।”

स्वामी जी आध्यात्मिक रूप से काफी सशक्त और उच्च कोटि के व्यक्तित्व थे। फिर भी, उन्होंने गरीबों के लिए आर्थिक प्रगति के विचार को नहीं छोड़ा। स्वामीजी खुद एक सन्यासी थे। उन्होंने अपने लिए कभी एक पैसा नहीं मांगा। लेकिन उन्होंने बड़े संस्थानों के निर्माण के लिए धन इकट्ठा करने में मदद की।इन संस्थानों ने गरीबी से लड़ाई लड़ी और नवाचार को बढ़ावा दिया।

मित्रों, स्वामी विवेकानंद के जीवन के कई ऐसे विचार और खजाने हैं, जो हमारा मार्गदर्शन करते हैं। प्रबुद्ध भारत पत्रिका ने 125 वर्षों की अपनी लंबी यात्रा पूरी कर ली है, और आज भी स्वामी जी के विचारों को दुनियाभर के लोगों तक पहुंचा रही है।ये पत्रिका स्वामीजी के युवाओं को शिक्षित करने और राष्ट्र को जागृत के विचार पर आधारित है। इसने स्वामी विवेकानन्द के अमरता के विचार को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मैं प्रबुद्ध भारत को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद।

 

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।