Quoteस्वामी विवेकानंद ने पत्रिका की शुरुआत की थी
Quoteगरीबों को सशक्त बनाने में भारत, स्वामी विवेकानंद का अनुसरण कर रहा है: प्रधानमंत्री
Quoteमहामारी के दौरान और जलवायु परिवर्तन के सन्दर्भ में भारत का दृष्टिकोण स्वामी विवेकानंद के दृष्टिकोण के अनुरूप है: प्रधानमंत्री
Quoteयुवाओं को स्वामी विवेकानंद की शिक्षा - निडर होने और आत्म-विश्वास से परिपूर्ण होने - का अनुसरण करना चाहिए: प्रधानमंत्री

नमस्ते!

यह खुशीकी बात है कि हम प्रबुद्ध भारत की 125वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। ये कोई सामान्य पत्रिका नहीं है। इसकी शुरुआत वर्ष 1896 में किसी और ने नहीं, बल्कि स्वामी विवेकानन्द ने स्वयं की थी। और वह भी केवल 33 वर्ष की युवा आयु में। ये देशभर मेंसबसे अधिक समय से प्रकाशित होने वाली अंग्रेजी पत्रिकाओं में से एक है।

प्रबुद्ध भारतनाम के पीछे काफी सशक्त विचार मौजूद है।स्वामी विवेकानंद ने हमारे राष्ट्र की भावना को प्रकट करने के लिए इस पत्रिका का नाम प्रबुद्ध भारत रखा था। वह एक ‘जागृत भारत’ का निर्माण करना चाहते थे। जो लोग भारत को जानते हैं, उन्हें पता है कि ये सोच राजनीतिक और भौगोलिक सीमाओं से कहीं आगे है। स्वामी विवेकानन्द ने अपनी इस सोच को साहस और गर्व के साथ व्यक्त किया।उन्होंने भारत को एक सांस्कृतिक चेतना के रूप में देखा, जो सदियों से जीवित है और सांस ले रही है।एक ऐसा भारत, जो विपरीत समय की भविष्यवाणी के बावजूद, हर एक चुनौती के बाद और भी ज़्यादा मज़बूत होकर उभरता है। स्वामी विवेकानन्द भारत को 'प्रबुद्ध' अथवा जागृत बनाना चाहते थे। वह आत्म-विश्वास जगाना चाहते थे, कि एक राष्ट्र के रूप में हम महानता की अभिलाषा रख सकते हैं।

मित्रों, स्वामी विवेकानन्द के हृदय में ग़रीबों के प्रति विशेष दया थी।वह वास्तव में यह मानते थे कि गरीबी हर समस्या की जड़ है। इसलिए राष्ट्र से गरीबी को खत्म करना होगा। उन्होंने ‘दरिद्र नारायण’को सर्वोच्च महत्व दिया।

स्वामी विवेकानन्द ने अमेरिका से कई पत्र लिखे। मैं यहां मैसूर के राजा और स्वामी रामकृष्णानंद जी को लिखे उनके पत्रों के बारे में बताना चाहूंगा।इन पत्रों में, गरीबों के सशक्तिकरण के लिए स्वामीजी के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालने वाले दो विचार सामने आते हैं। सबसे पहले उनका विचार है कि वह सशक्तिकरण को गरीबों तक ले जाना चाहते थे, यदि गरीब खुदआसानी से सशक्त नहीं हो सकते। और दूसरा विचार, जो उन्होंने भारत के गरीबों के बारे में कहा, “उन्हें विचार दिया जाना चाहिए, उनके आसपास की दुनिया में घटित होने वाली घटनाओं के प्रति उनको जागृत किया जाना चाहिए, और तब वे ख़ुद अपने सशक्तिकरण के लिए कार्य करेंगे।”

यह वह दृष्टिकोण है, जिसके साथ आज भारत आगे बढ़ रहा है। अगर गरीब बैंक तक नहीं पहुंच सकते, तो बैंक को गरीबों तक पहुंचना चाहिए। जन धन योजना ने यही किया। अगर गरीब बीमे तक नहीं पहुंच सकते, तो बीमे को गरीबों तक पहुंचना चाहिए। जन सुरक्षा योजना ने ऐसा ही किया। अगर गरीब स्वास्थ्य सेवाओं तक नहीं पहुंच सकते, तो हमें स्वास्थ्य सेवाओं को गरीबों तक ले जाना चाहिए। आयुष्मान भारत योजना ने यही किया। सड़क, शिक्षा, बिजली और इंटरनेट कनेक्टिविटी को देश के प्रत्येक कोने तक पहुंचाया जा रहा है, विशेष रूप से गरीबों तक।ये योजनाएं गरीबों के बीच महत्वाकांक्षाओं को बढ़ा रही हैं, और यही वो महत्वाकांक्षाएं हैं, जो देश के विकास को आगे बढ़ा रही हैं।

मित्रों, स्वामी विवेकानन्द ने कहा, “कमज़ोरी का उपाय कमज़ोरी के बारे में सोचना नहीं, बल्कि मज़बूत कैसे बनें, इस बारे में सोचना है।” जब हम बाधाओं के बारे में सोच रहे होते हैं, तो हम बाधाओं के बोझ तले दब जाते हैं। लेकिन जब हम अवसरों के बारे में सोचते हैं, तब हमें आगे बढ़ने के रास्ते मिलते हैं। हम कोविड-19 वैश्विक महामारी का उदाहरण ले सकते हैं। इसमहामारी के दौर में भारत ने क्या किया? भारत ने परेशानी को देखा, लेकिन असहाय और असमर्थता नहीं दिखाई। भारत ने समाधान पर अपना ध्यान केन्द्रित किया। पीपीई किट के उत्पादन से लेकर दुनियाभर को दवाओं की आपूर्ति करने तक, हमारा देश सशक्त से और ज़्यादा सशक्त होता गया। कोविड-19 संकट के दौरान भारत दुनिया के लिए सहायता पहुंचाने वाला एक स्रोत भी बन गया। कोविड-19 वैक्सीन को विकसित करने में भी भारत सबसे आगे है। कुछ ही दिन पहले, भारत ने दुनिया के सबसे व्यापक टीकाकरण अभियान का शुभारंभ किया है। हम अपनी क्षमताओं का उपयोग दूसरे देशों की मदद करने के लिए भी कर रहे हैं।

मित्रों, जलवायु परिवर्तन एक अन्य बाधा है, जिसका आज पूरी दुनिया सामना कर रही है। हालांकि हम इस समस्या के बारे में केवल शिकायत नहीं कर सकते। हम अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (इंटरनेशनल सोलर अलाइंस) के रूप में इसका एक समाधान लेकर आए हैं। हम नवीकरणीय ऊर्जा के अधिकतम इस्तेमाल को भी बढ़ावा दे रहे हैं।यही स्वामी विवेकानंद की दृष्टि में प्रबुद्ध भारत है। यह एक ऐसा भारत है जो दुनिया की समस्याओं का समाधान दे रहा है।

दोस्तों, स्वामी विवेकानन्द ने भारत के लिए बड़े सपने देखे थे, क्योंकि उन्हें भारत के युवाओं में अटूट विश्वास था। उन्होंने भारत के युवाओं को कौशल और आत्म-विश्वाससे भरे इन्सान के रूप में देखा। उन्होंने कहा, “मुझे सौ ऊर्जावान नौजवान दीजिए और मैं संपूर्ण भारत को बदल दूंगा”। आज हम ऐसा जज़्बा भारत के व्यावसायियों, खिलाड़ियों, टेक्नोक्रेट्स, प्रोफेशनल्स, वैज्ञानिक, इनोवेटर्स और ऐसे कई अन्य लोगों में देखते हैं। ये लोग सीमाओं से बाहर निकलकर असंभव को संभवभी कर रहेहैं।

लेकिन हमारे युवाओं में इस तरह की भावना को कैसे बढ़ावा दिया जाए?प्रैक्टिकल वेदांत पर अपने व्याख्यान में, स्वामी विवेकानन्द कुछ गहरी अंतर्दृष्टि को सामने लाते हैं। वह असफलताओं पर जीत पाने और बाधाओं को सीखने की प्रक्रिया का एक हिस्सा मानने की बात करते हैं। वह कहते हैं कि दूसरी महत्वपूर्ण बात जो हमारे अंदर होनी चाहिएवह हैः निडर और आत्म-विश्वास से ओत-प्रोत होना। निडरता वह पाठ है, जो हम खुद स्वामी विवेकानन्द के जीवन से सीखते हैं। उन्होंने जीवन में जो कुछ भी किया, वहांवह आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़े। वह ख़ुद अपने बारे में भी काफी आत्म-विश्वास से भरे थे।उन्हें विश्वास था कि वह एक ऐसे लोकाचार और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो सदियों पुराना है।

मित्रों, स्वामी विवेकानन्द के विचार अनन्त और सदा हमारे बीच रहने वाले हैं।हमें हमेशा ये याद रखना चाहिए कि, दुनिया के लिए कुछ मूल्यवान काम करके ही सच्ची अमरता पाई जा सकती है। कुछ ऐसा जो हमें हमेशा जीवित रखेगा। हमारी पौराणिक कहानियां हमें कुछ मूल्यवान बातें सिखाती हैं। ये हमें सिखाती हैं कि जिन लोगों ने अमरता का पीछा किया, उन्हें यह कभी नहीं मिला। लेकिन जिनका उद्देश्य दूसरों की सेवा करना था, वे लगभग हमेशा ही अमर हो गए। जैसा कि स्वामी जी ने स्वयं कहा था, “जीते केवल वही हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं।” इस विचार को हम स्वामी विवेकानन्द के जीवन में भी देख सकते हैं। वह अपने लिए कुछ हासिल करने के लिए कहीं बाहर नहीं गए। उनका दिल हमेशा देश के गरीबों के लिए धड़का। उनका दिल हमेशा एक ऐसी मातृभूमि के लिए धड़का, जो उस दौर में गुलामी की बेड़ियों में बंधी थी।

मित्रों, स्वामी विवेकानन्द ने आध्यात्मिक और आर्थिक प्रगति को पारस्परिक रूप से एकसाथ जोड़कर नहीं देखा। ख़ास बात ये है कि वह उस नज़रिये के खिलाफ थे, जहां लोग गरीबों के प्रति दया दिखाते हैं या उसका आनंद लेते हैं। प्रैक्टिकल वेदांत के बारे में अपने व्याख्यान में वह कहते हैं कि, “वेदांत हमें अखंडता की बात सिखाता है इसलिए हमें धर्म और जीवन के बीच काल्पनिक अंतर को खत्म कर देना चाहिए।”

स्वामी जी आध्यात्मिक रूप से काफी सशक्त और उच्च कोटि के व्यक्तित्व थे। फिर भी, उन्होंने गरीबों के लिए आर्थिक प्रगति के विचार को नहीं छोड़ा। स्वामीजी खुद एक सन्यासी थे। उन्होंने अपने लिए कभी एक पैसा नहीं मांगा। लेकिन उन्होंने बड़े संस्थानों के निर्माण के लिए धन इकट्ठा करने में मदद की।इन संस्थानों ने गरीबी से लड़ाई लड़ी और नवाचार को बढ़ावा दिया।

मित्रों, स्वामी विवेकानंद के जीवन के कई ऐसे विचार और खजाने हैं, जो हमारा मार्गदर्शन करते हैं। प्रबुद्ध भारत पत्रिका ने 125 वर्षों की अपनी लंबी यात्रा पूरी कर ली है, और आज भी स्वामी जी के विचारों को दुनियाभर के लोगों तक पहुंचा रही है।ये पत्रिका स्वामीजी के युवाओं को शिक्षित करने और राष्ट्र को जागृत के विचार पर आधारित है। इसने स्वामी विवेकानन्द के अमरता के विचार को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मैं प्रबुद्ध भारत को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद।

 

  • krishangopal sharma Bjp February 20, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp February 20, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp February 20, 2025

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  • shaktipaswan October 25, 2023

    आवास योजना नही मिला है मिलेगा नही सर जी नाम शक्ति पासवान उर्म ३२ अकाउन्ट नम्बर 1880493732 या होमलोन मिलेगा
  • शिवकुमार गुप्ता February 18, 2022

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कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश में सेमीकंडक्टर यूनिट को मंजूरी दी
May 14, 2025
Quoteसेमीकंडक्टर मिशन: लगातार प्रगति

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत एक और सेमीकंडक्टर इकाई की स्थापना को मंजूरी दी।

देश में पहले से ही पांच सेमीकंडक्टर इकाइयां निर्माण के उन्नत चरणों में हैं। इस छठी इकाई के साथ, भारत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सेमीकंडक्टर उद्योग को विकसित करने की दिशा में और प्रगति कर रहा है।

आज स्वीकृत इकाई एचसीएल और फॉक्सकॉन का एक संयुक्त उद्यम है। हार्डवेयर विकसित करने और निर्माण करने का एचसीएल का लंबा अनुभव रहा है। फॉक्सकॉन इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण क्षेत्र में एक वैश्विक प्रमुख कंपनी है। दोनों मिलकर यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण या वाईईआईडीए में जेवर हवाई अड्डे के पास एक संयंत्र स्थापित करेंगे।

यह संयंत्र मोबाइल फोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल, पीसी और डिस्प्ले संबंधी अन्य उपकरणों के लिए डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स का निर्माण करेगा।

इस संयंत्र को 20,000 वेफर्स प्रति माह के अनुसार से डिजाइन किया गया है और इसकी डिजाइन आउटपुट क्षमता 36 मिलियन यूनिट प्रति माह है।

सेमीकंडक्टर उद्योग अब पूरे देश में विस्तारित हो रहा है। देश भर के कई राज्यों में विश्व स्तरीय डिजाइन सुविधाएं उपलब्ध हैं। राज्य सरकारें डिजाइन फर्मों को बढ़ावा देने के लिए काफी प्रयास कर रही हैं।

270 शैक्षणिक संस्थानों और 70 स्टार्टअप में छात्र और उद्यमी नए उत्पादों के विकास के लिए विश्व स्तरीय नवीनतम डिजाइन तकनीकों पर काम कर रहे हैं। इन शैक्षणिक संस्थानों द्वारा विकसित 20 उत्पादों को एससीएल मोहाली द्वारा टेप आउट(डिजाइन चरण-आवश्यक सत्यापन और मान्यता चरण को पूरा करने की प्रक्रिया) किया गया है।

आज स्वीकृत नई सेमीकंडक्टर इकाई पर अनुमानित निवेश 3,700 करोड़ रुपये है।

भारत ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में अपनी सुविधाएं स्थापित की हैं। एप्लाइड मैटेरियल्स और लैम रिसर्च दो सबसे बड़े उपकरण निर्माता हैं और इन दोनों की अब भारत में उपस्थिति है। मर्क, लिंडे, एयर लिक्विड, आईनॉक्स और कई अन्य गैस और रासायनिक आपूर्तिकर्ता हमारे सेमीकंडक्टर उद्योग के विकास के लिए पूरी तरह तैयार है।

भारत में लैपटॉप, मोबाइल फोन, सर्वर, चिकित्सा उपकरण, बिजली इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के तेजी से विकास के साथ सेमीकंडक्टर की मांग बढ़ रही है, यह नई इकाई प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को और आगे बढ़ाएगी।