अटल जी ने तीन राज्यों- छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड का गठन किया. इनमें से छत्तीसगढ़ और झारखंड भाजपा के नेतृत्व में विकास कर रही है: प्रधानमंत्री 
देवभूमि पूरे देश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है। इस धरती में पर्यटन के क्षेत्र के पनपने की बहुत संभावनाएं हैं: प्रधानमंत्री
हम उत्तराखंड को पूरे भारत से ऐसे सड़क के माध्यम से जोड़ना चाहते हैं जो पूरे वर्ष काम करें, हमने चार धाम के लिए 12,000 रुपये आवंटित किए: प्रधानमंत्री
विश्व समग्र स्वास्थ्य की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उत्तराखंड में इस क्षेत्र में ज्यादा योगदान करने की संभावना है: प्रधानमंत्री 
कांग्रेस ने वन रैंक वन पेंशन योजना का मजाक बनाया, जब हम सत्ता में आए तो हमने इस योजना को लागू किया: प्रधानमंत्री मोदी

जय बद्री विशाल। बाबा केदारनाथ की जय। भाइयों बहनों और प्यारे बच्चों। जय बद्री विशाल। देवभूमि, गढ़वाल का केंद्र बिंदु श्रीनगर मा दूर दूर बटियाआं आप लोगों का ऐ चुनावी सभा में स्वागत छे...।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, संसद में मेरे साथी श्रीमान भूवन चंद्र खंडूरी जी, राष्ट्रीय सचिव श्रीमान तीरथ सिंह रावत जी, अनिल बलूनी जी, मनोहर कांत ध्यानी जी, भास्कर नैथानी जी, राजेंद्र अटवाल जी, मुकेश रावत जी, अत्तर सिंह तोमर अत्तर सिंह अथवाल जी, विरेंद्र सिंह बिष्ट जी, अनिल नौटियार जी और इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार श्रीनगर से डाक्टर संत सिंह रावत जी, चोपटाखाल से श्रीमान सतपाल महाराज जी, कर्णप्रयाग से श्रीमान सुरेंद्र सिंह नेगी जी, पौढ़ी से श्रीमान मुकेश कौली जी, केदारनाथ से शैलारानी रावत जी, रूद्र प्रयाग से भरत सिंह चौधरी जी, हराली से श्रीमान मगनलाल जी, देव प्रयाग से विनोद कंडारी जी, और सब मेरे साथ बोलिए। भारत माता की जय। दोनों मुट्ठी ..., पूरी ताकत से बोलिए। भारत माता की जय। भारत माता की जय।

मैं सबसे पहले तो उत्तराखंड भारतीय जनता पार्टी के सभी नेताओं का कार्यकर्ताओं का ह्रदय से अभिनंदन करता हूं। मैं कल्पना नहीं कर सकता हूं कि पहाड़ों में इतनी जल्दी इतना बड़ा जनसैलाब, इतनी बड़ी भीड़, मैं उधर उधर पहाड़ों की चोटियों पर, घरों पर खड़े हैं, देख रहा हूं, पूरा रास्ता भरा हुआ है, देख रहा हूं। उन्हें सुनाई भी नहीं देता होगा। उसके बावजूद भी, इतनी बड़ी तादात में आप आशीर्वाद देने के लिए आए। मैं ह्रदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। मैं एक और बात को गर्व के साथ उल्लेख करना चाहूंगा। मैं नहीं जानता हूं कि ये टीवी वाले क्या दिखांएगे और क्या नहीं दिखाएंगे। लेकिन बड़ी मात्रा में महिलाओं की हाजरी गजब किया है आपने। दूसरी बात आम सभा में महिलाओं को किसी कोने में बिठा देते हैं। ये उत्तराखंड के लोगों ने सबसे आगे बिठा दिया। इसके लिए डबल अभिनंदन। माताओं बहनों का सम्मान। ये नजर आ रहा है मुझे। मैं इसलिए पार्टी के सब लोगों को ह्रदय से उनका अभिनंदन करता हूं। मैं माताएं बहनें आपको भी नमन करता हूं क्योंकि आप हमें आशीर्वाद देने आए हैं। मां के आशीर्वाद में बहुत बड़ी ताकत होती है, बहुत बड़ी रक्षा होती है, बहुत बड़ा सकून होता है। और इसलिए मैं तो आज श्रीनगर की घरती पर गदगद हो गया हूं। आपके आशीर्वाद के लिए।

भाइयों बहनों।

उत्तराखंड का चुनाव तेज गति से आगे बढ़ रहा है। आज 12 फरवरी है। 12 मार्च को आज जो सरकार है, वो भूतपूर्व बन जाएगी और 11 मार्च को जो नतीजे आएंगे वो अभूतपूर्व हो जाएंगे।

भाइयो-बहनों।

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने हमारे देश को तीन राज्य दिए, तीन राज्य। मध्यप्रदेश से निकला हुआ छत्तीसगढ़. बिहार से निकला हुआ झारखंड और उत्तर प्रदेश से निकला हुआ उत्तराखंड। क्या कारण है कि छत्तीसगढ़, छोटा सा राज्य आदिवासियों की जनसंख्या, माओवादियों का खूनखराबा, नक्सलवाद, ये  सबकुछ होने के बाद भी, वहां की जनता ने लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाई। आज छत्तीसगढ़ हिन्दुस्तान की तेज गति से आगे बढ़ने वाले राज्यों में उसने अपना झंडा गाड़ दिया। झारखंड जंगल है, आदिवासी बस्ती है, पिछड़ा इलाका है। बिहार में भी, जब वह बिहार का हिस्सा था सबसे पिछड़ा इलाका था। आज वहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। कोई कल्पना नहीं कर सकता है कि झारखंड जैसे राज्य में पूंजीनिवेश के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर की समिट होती हो, देश और दुनिया के बड़े-बड़े उद्योगकार, झारखंड की राजधानी रांची आते हों और झारखंड में पूंजी निवेश के लिए आगे बढ़ते हों। क्या कारण है कि मेरा उत्तराखंड पीछे रह गया। क्या कारण है भाइयों। उत्तराखंड बर्बाद हुआ। उसका कारण क्या है ...? जरा पूरी ताकत से बताइए। कौन कारण है ...?  कौन कारण है ...?  कौन कारण है ...? जब तक उसको नहीं हटाओगे, उत्तराखंड का भला होगा क्या ...? भला होगा क्या ...? भला होगा क्या ...? और, वो लोग जो कभी कहते थे कि हमारी लाश पर उत्तराखंड बनेगा। उनको उत्तराखंड से कोई प्यार हो सकता है क्या ...? हम मरेंगे लेकिन उत्तराखंड नहीं बनने देंगे। ये वर्तमान मुख्यमंत्री कहते थे कि नहीं कहते थे ...। अरे ऐसे मुख्यमंत्री ...उत्तराखंड की जनता में दम होना चाहिए, ये पिछले दरवाजे से घुस गए हैं अन्यथा जनता उनको कभी सीएम कभी बनने नहीं देती। कभी बनने नहीं देती। क्योंकि उत्तराखंड के बलिदानों पर, उत्तराखंड की जनता के घावों पर नमक छिड़कने का, एसिड छिड़कने का पाप किया था। ये तो यहां तक कह देते थे कि अलग डवलप आथोरिटी बना दिया जाए, अलग यूटी बना दिया जाए लेकिन उत्तराखंड का राज्य नहीं बनाया जाए। आपको याद है। आज जो मुख्यमंत्री है उन्होंने उत्तराखंड की रचना के विरुद्ध में क्या कुछ नहीं किया था। जिस व्यक्ति के दिल में उत्तराखंड के प्रति प्यार न हो, लगाव ना हो। क्या वो आपका कभी भला कर सकता है क्या ...? पूरी ताकत से जवाब दो। ऐसे व्यक्ति पर कभी भरोसा कर सकते हैं क्या …? ये कांग्रेस पार्टी देखिए।

 

आप मुझे बताइए।

जब उत्तराखंड में आंदोलन चल रहा था, अलग उत्तराखंड के लिए। नौजवान सड़कों पर आए थे। माताएं-बहनें यातनाएं झेल रही थी। समाजवादी पार्टी की सरकार थी उत्तर प्रदेश में। यहां पर समाजवादी पार्टी के दरोगा बैठे हुए थे। ये रामकोटद्वार क्या हुआ था भाई। हमारी माताओं-बहनों के साथ बलात्कार हुआ था कि नहीं हुआ था ...। बलात्कार हुआ था कि नहीं हुआ था ...। अत्याचार हुए थे कि नहीं हुए थे ...। गोलियां चलायी गयी थी कि नहीं चलाई गई थी ...। ये चलाने वाले कौन थे। समाजवादी पार्टी की सरकार थी, जिसने ये जुल्म किया था। ये कांग्रेस पार्टी देखिए आज उसी समाजवादियों की गोद मे जाकरके बैठ गई है भाइयों। यही समाजवादियो और कांग्रेस ने मिलकरके, उत्तराखंड में भी पर्दे के पीछे समाजवादी और कांग्रेस मिलकरके आज आपके साथ खेल खेल रहे हैं।

...और इसलिए भाइयों बहनों।

इसलिए मैं आज आपसे आग्रह करने आया हूं। ये चुनाव सिर्फ यहां की सरकार हटे इसके लिए नहीं है। ये चुनाव सिर्फ मुख्यमंत्री को सजा दे दे, इतने से पूरा नहीं होने वाला है। ये चुनाव इसलिए है कि हमें उत्तराखंड का भाग्य बदलना है भाइयों बहनों। कौन कहता है बदलाव किया नहीं जा सकता है। हर बार, यहां ऐसे नेता रहे जो प्रकृति को दोष देते रहे। यहां तो ये दिक्कत है, यहां तो वो दिक्कत है। अरे आप दोष मत दीजिए। ये तो सामर्थ्य की भूमि है, संकल्प की भूमि है। ये तपस्या की भूमि है। जितना सामर्थ्य इस धरती पर है, शायद ही कहीं और है। यहां इतना सामर्थ्य है कि ये पूरे हिन्दुस्तान की रक्षा करता है। हिमालयन स्टेट में आप जरा सिक्किम जाकर के देखिए। वहां भी हिमालयन पहाड़ी है। हिमालयन रेंजेज है। वहां भी रास्तों की कठिनाई है। वहां भी जमीन ढह जाती है। लेकिन आज जाकर के देखिए। सिक्किम 7-8 लाख लोगों की जनसंख्या। 20 लाख से ज्यादा टूरिस्ट आते हैं वहां, 20 लाख से ज्यादा। हिन्दुस्तान का पहला ऑर्गेनिक स्टेट सिक्किम बन गया।

भाइयो-बहनों।

यहां तो सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानी जीवन में कभी न कभी मां गंगाजी की डुबकी लगाने के लिए आना चाहते हैं। चार धाम की यात्रा करनेके लिए आना चाहते हैं। सुविधा हो न हो या न हो, कष्ट पड़े तो पड़े तो भी, यहां तक आने के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी, अटक से कटक हर हिन्दुस्तानी यहां आने के लिए लालायित रहता है। इस देवभूमि को किसी यात्री को बुलाने के लिए किसी को एडवर्टाइज करने की जरूरत नहीं होती है जी। मैं तो हैरान हूं। यहां तो ऐसी सरकार है तो जब कपाट बंद हो जाते हैं केदारनाथ, बद्रीनाथ के। तो टीवी पर एडवर्टाइजमेंट शुरू हो जाती है कि बद्रीनाथ केदारनाथ के दर्शन के लिए आइए। मैं समझा पा रहा हूं आपको। जब कपाट बंद हो जाते हैं तो ये टीवी पर एडवरटाइजमेंट देते हैं। जब कपाट बंद हो जाते हैं तो उस क्या लाभ, ये पैसे किसके हैं, क्यों खर्च करते हो भई। जब कपाट खुले हों, दर्शन हो रहे हों तब तो विज्ञापन दो, देशभर के लोगों को मैं समझ सकता हूं। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि देवभूमि पर आने के लिए इस देश के किसी व्यक्ति को समझाना पड़े, इसकी जरूरत ही नहीं है। सिर्फ यहां व्यवस्थाएं खड़ी करो। देश के लोगों का आना शुरू हो जाएगा।

भाइयों बहनों।

टूरिज्म की सफलता दो बातों पर होती है। एक आने का मन कर जाए, दूसरा रहने का दिल कर जाए। वो जितनी रात ज्यादा रुकेगा, उतना ज्यादा खर्चा करेगा, उतनी ज्यादा यहां की इकोनॉमी बढ़ेगी। अगर रात को रूकता है तो खाना खाएगा, जहां रूकेगा वहां पैसा देगा। सुबह चाय पीएगा तो खर्चा करेगा। लेकिन आते ही कार से उतरा, भगवान को मत्था टेका और भाग गया तो टूरिज्म डेवलप नहीं होता है।

...और इसलिए भाइयों बहनों।

हम उत्तराखंड में प्रवासन की, पर्यटन की हर व्यवस्था को प्राथमिकता देना चाहते हैं। और ये जिम्मेदारी सिर्फ उत्तराखंड सरकार की नहीं होगी। केंद्र में आपने मुझे  बिठाया है। मैं भी अपनी जिम्मेदारी निभाउंगा।

भाइयों बहनों।

चार धाम यात्रा। बारहमासी रास्ता, ऑल वेदर रोड। क्या आजादी 70 साल के बाद नहीं हो सकता था क्या? अरे जो यात्री आते हैं ना। पिछले 70 साल में जो यात्री आते हैं उनके सामने एक डिब्बा रख देते, दान पेटी। और लोगों से कहते, उत्तम से उत्तम रास्ता बनाने के लिए दस-दस रुपया दान देते जाइए। मैं समझता हूं कि देशवासियों ने इतना दान दिया होता कि ये रास्ते बन गए होते। लेकिन इनको ये सूझी नहीं।

भाइयों बहनों।

हमने 12 हजार करोड़ रुपया। कितने ...। जरा सब के सब बोलो। कितने ...। कितने ...। 12 हजार करोड़ रुपए की लागत से चार धाम की 12 मासी रोड बनाने का फैसला किया है। ये उत्तराखंड को ही नहीं, पूरे हिन्दुस्तान का सपना पूरा करने का हम काम कर रहे हैं जी। बारहमासी रास्ते बनने के बाद, यहां के लोगों को कितना रोजगार मिलेगा, कितनी यात्रियों की संख्या बढ़ जाएगी। कितने प्रकार के व्यवसाय शुरू हो जाएंगे।

भाइयों बहनों।

उत्तराखंड में इतनी ताकत है कि यहां का पहाड़ हो, यहां का पानी हो, यहां की जवानी हो, ताकत से भरा हुआ है भाइयों बहनों। और इसलिए हम रेलवे में भी बहुत बड़ा काम करना चाहते हैं। आप जानते हैं। रेलवे का काम तेज गति से चल रहा है और रेलवे का नेटवर्क भी पहाड़ों में भी खड़ा हो सकता है और हमारी सरकार उस बात को भी आगे बढ़ाना चाहती है। रेल बनने तक हजारों लोगों को रोजगार देती है और बनने के बाद नए रोजगारों को जन्म देती है।

भाइयों बहनों।

हम नहीं चाहते कि उत्तराखंड का हर जवान को, उसको उत्तराखंड को छोड़कर जाना पड़े। उत्तराखंड के किसी गांव में जाओ। जरा यहां के मुख्यमंत्री जवाब दें ...। पिछले 5 साल में कितने गांव खाली हो गये। अरे किसी गांव में जाएं। किसी भी घर में पूछें कि कोई नौजवान है। जरा बात करनी है, वो कहेंगे। जवाब मिलेगा नहीं, नहीं। वो तो रोजी रोटी कमाने के लिए कहीं चला गया है। साल में एक दो बार आता है। इतना बड़ा उत्तराखंड। यहां के नौजवान को अपना गांव, यहां खेत खलिहान, अपने बूढ़े मां बाप, अपने यार दोस्त, ये छोड़कर के जाना क्यों पड़े। अरे पूरे हिन्दुस्तान को यहां लाने की ताकत जिस राज्य में हो, यहां के लोगों को कहीं जाना न पड़े। ऐसा राज्य बनाने की जरूरत है। और बन सकता है। बन सकता है भाइयों। कोई कठिन काम नहीं है। मकसद चाहिए, संकल्प चाहिए, समर्पण चाहिए। जनता जनार्दन का साथ चाहिए। सबका साथ, सबका विकास होके रहता है।

भाइयों बहनों।

जिस प्रकार से यात्रियों के लिए इसका आकर्षण है। सदियों से है। कष्ट झेलकरके भी लोग आते हैं। आज पूरा विश्व योग के लिए आकर्षित हुआ है। दुनिया के 190 से ज्यादा देश योग को अपना बना रहे हैं। और हर किसी को जब योग की बात तो भारत की तरफ ध्यान जाता है। तो भारत की तरफ जब ध्यान जाता है तो उनको सबसे पहले हरिद्वार-ऋषिकेश की तरफ ध्यान जाता है। पूरी दुनिया में योग के लिए लोगों को आकर्षित करने की ताकत ये उत्तराखंड के हर चोटी है, हर पहाड़ी पर है, हर गांव में वो सामर्थ्य है। हम योग का ऐसा नेटवर्क बना सकते हैं विश्व में जिसको योग सीखना हो वो उत्तराखंड के छोटे-छोटे गांव में जाकरके भी, प्राकृतिक वातावरण में रहकरके भी, गांव के अच्छे-अच्छे शिक्षकों के द्वारा योग सीख सकता है। और पूरा विश्व योग टूरिज्म को बढ़ाने के लिए उत्तराखंड के लिए एक अवसर है। योग टूरिज्म को बढ़ावा देना है।

भाइयों बहनों।

आज हिन्दुस्तान का नौजवान टीवी देखता है। दुनियाभर की चैनल देखता है। उसको भी लगता है कुछ एडवेंचर, दुस्साहस करें। उत्तराखंड के पहाड़ों से बड़ा, यहां के गंगा के घोत से बड़ा एडवेंचर टूरिज्म के लिए कोई जगह नहीं हो सकती है। पूरे हिन्दुस्तान की और दुनिया के नौजवानों को साहसिक टूरिज्म के लिए, एडवेंचर टूरिज्म के लिए निमंत्रित कर सकते हैं। हेल्थ टूरिज्म के लिए निमंत्रित कर सकते हैं। रिक्रिएशन और इंटरमेंट टूरिज्म के लिए आकर्षित कर सकते हैं। ये बालीवुड ...। बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग के लिए है, उन्हें बाहर जाना क्यों पड़ रहा है? क्या हमारे उत्तराखंड में वो सौंदर्य नहीं है, जहां हमारी फिल्में बन सकती है। यहां के नौजवानों को रोजगार नहीं मिल सकता है। लेकिन उसके लिए एक दृष्टि चाहिए, एक विजन चाहिए। पूरे बालीवुड को उत्तराखंड को लाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, व्यवस्था विकसित कर सकते हैं भाइयों बहनों।

...और इसलिए भाइयों बहनों।

प्रवासन, पर्यटन, ये उत्तराखंड के विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाता है। और इसलिए भाइयों बहनों। उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी की सरकार विकास के मुद्दे पर आपसे वोट मांग रही है। विकास के मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए वोट मांग रही है। यहां की दूसरी ताकत है पर्यावरण। पर्यावरण की रक्षा भी होनी चाहिए। आप देखिए, हमारे पड़ोस में एक देश है भूटान। पर्यावरण क्षेत्र में एक नमूना कायम किया है। वो भी हिमालय की पहाड़ियों में है। छोटा सा देश है।

भाइयों बहनों।

हमारा उत्तराखंड भी पूरे विश्व के लिए पर्यावरण की दृष्टि से एक बहुत बड़ा आकर्षण का केंद्र बन सकता है। पर्यावरण की ताकत के साथ, यहां के पुरुषों में जैसा दम है, वैसा ही यहां की मातृशक्ति भी पूरी इकोनॉमी को चलाती है जी। उत्तराखंड की इकोनॉमी को बढ़ाने का काम ये हमारी माताएं बहनें कर रही है। उनका कौशल्य सामर्थ्य, उनके हाथों में हुनर अद्भूत है। भाइयों बहनों। पुरुष सीमा में जाकरके मां भारती के लिए मर मिटता है। और माताएं बहनें यहां की आर्थिक जीवन को चलाने का सामर्थ्य दिखाती है। ऐसा अद्भत, अद्भूत समाज है। ये देव दुर्लभ समाज है। देवभूमि में ये दुर्लभ समाज है। यही तो हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

भाइयों बहनों।

जैसे समाज शक्तिशाली है, यहां का पौधा भी उतना ही सामर्थ्यवान है। पर्यटन का सामर्थ्य है, पर्यावरण का सामर्थ्य है। पौधे का भी सामर्थ्य है। यहां का हर पौधा जड़ी-बूटी है। और भाइयों बहनों। हिमालय की जड़ी-बूटी का तो सदियों से उल्लेख आ रहा है। कोई ऐसा ग्रंथ नहीं होगा जिसमें इसकी चर्चा नहीं होगी। भाइयों बहनों। आज पूरा विश्व होलिस्टिक हेल्थ केयर की ओर आगे बढ़ रहा है। आज पूरा विश्व प्राकृतिक उपचार की ओर बढ़ रहा है। साइड इफेक्ट न हो, केमिकल खाना न पड़े। ऐसी दवाइयों की तलाश में दुनिया है। हिमालय का हर पौधा कोई न कोई जड़ी-बूटी से जुड़ा है।

भाइयों बहनों।

हम उसको बल देना चाहते हैं। जैसे यहां का पर्यावरण यहां की अर्थव्यवस्था को बदलेगा। यहां का  पर्यटन अर्थव्यवस्था को बदलेगा। यहां का पौधा भी यहां की अर्थव्यवस्था की ताकत बनेगा। जैसे यहां का पर्यटन, यहां का पर्यावरण, यहां का पौधा वैसे ही यहां का पानी भी पानीदार है। यहां के पानी में पानी है, दम है। हम पंचेश्वर के प्रोजेक्ट के लिए नेपाल के साथ काम आगे बढ़ा रहे हैं। पंचेश्वर का काम पूरा करने के लिए 34 हजार करोड़ रुपये लगेंगे। इस तरफ के लोगों को रोजगार मिलने की पूरी संभावना है। ऐसी बिजली तैयार होगी तो जो बिजली न सिर्फ उत्तराखंड को बल्कि हिन्दुस्तान के बड़े हिस्से का अंधेरा दूर करने की ताकत रखती है भाइयों। यहां के पानी में ऊर्जा है। यहां के पानी में सामर्थ्य है। पर्यटन में दम है। पर्यावरण में दम है। पौधे में दम है। यहां के पानी में भी दम है।

इसलिए भाइयों बहनों।

इन ताकतों को जोड़ दें कि कोई हमें बताएं कि उत्तराखंड से पलायन रूकेगा कि नहीं रूकेगा ...। पलायन रूकेगा कि नहीं ...। ये चार तत्व इतने ताकतवर हैं कि यहां से कभी पलायन नहीं हो सकता है।

और इसलिए भाइयों बहनों।

हम एक निश्चित विजन के साथ उत्तराखंड का भाग्य बदलने के लिए काम कर रहे हैं और इसलिए आपके पास आया हूं। विकास करने के लिए वोट मांगने आ हूं। यहां नौजवानो का जीवन सुनिश्चित करने के लिए यहां आया हूं।

भाइयों बहनों।

अभी हमारे खंडूरी जी वन रैंक वन पैंशन की बात कर रहे थे। कांग्रेस वालों ने 40 साल तक वन रैंक वन पेंशन के मामले को लटकाए रखा। मैं ये तो समझ सकता हूं कि उनके पास पैसे ना हों और न कर पाएं हो। मैं ये भी समझ सकता हूं कि उनकी प्रायोरिटी हो और ना कर पाए हों। दुख तो इस बात का है कि प्रधानमंत्री बनते के बाद मैंने इस काम को हाथ मे लिया। खंडूरी जी बार-बार मुझसे मिलते थे। इसको बात को लेकर वो लगातार मुझसे बात कर रहे थे। मैंने डिपार्टमेंट को कहा, जरा भाई बताइए मुझे बताइए क्या हाल है इसका। आप हैरान हो जाएंगे 6-8 महीने तक, सरकार के पास निवृत्त सैनिक, कितना पैंशन, कितना वन रैंक वन पैंशन होगा। इसका कोई हिसाब-किताब ही नहीं था। इससे बड़ी कोई बेईमानी नहीं हो सकती। आप दो न दो, अलग बात है। कम से कम फाइल तो देखते कि क्या प्रोब्लेम है। कम से कम जो जवान आपसे मिलते थे, उसको गंभीरता से लेकरके डिपार्टममेंट को काम तो देते।

भाइयों बहनों।

बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि कई ऐसे निवृत्त सैनिक हैं जिनका पता ढूंढ़ने में भी मुझे आंखों में पानी हो गया। कोई हिसाब किताब ही नहीं था। अरे देश के लिए जान की बाजी लगा दी। अपनी जवानी खपा दी अब घर में निवृत्त होकरके बुढ़ापा गुजार लगा रहा है और सरकार को पता ही नहीं है। मैंने सारे डिपार्टमेंट को लगा दिया। गांव-गांव जाकरके, पुराने सारे रिकॉर्ड निकालकर के हिसाब लगाया। जब मैंने हिसाब किताब लगाया तो ये कांग्रेस वाले ऐसी मजाक उड़ाई है। फौजियों की ऐसी मजाक उड़ायी है। जब ये सर्जिकल स्ट्राइक हुआ ना ...। आपने देखा होगा ना, सारे नेता मैदान में आ गये सुबह-सुबह। पाकिस्तान बोले उससे पहले हमारे लोगों ने बोलना चालू कर दिया। बोले, मोदीजी सबूत दो..., सबूत दो सबूत। क्या हमारे देश फौजियों के पराक्रम का सबूत मांगना पड़ता है क्या ...। ये फौजियो का अपमान है कि नहीं है ...। भाइयों जरा बताइए ये फौजियों का अपमान है कि नहीं है ...।

और इसलिए भाइयों बहनों।

उन्होंने वन रैंक वन पेंशन में भी फौज को मजाक का विषय बनाया है। ये उनके जेहन में है। इसी के कारण ये दुर्दशा हुई है। आपको हैरानी होगी अगर आपका बच्चा भी घर में अगर कहीं जाना चाहता है, सिनेमा देखने जाता है या कोई खिलौना खरीदने जाना है उसको तो उसे पता है ये 20 रुपया में मिलता है। खाना के लिए बाहर जाना है, उसे मालूम है कि 25 रुपए में मिलता है। अगर मां-बाप उसको अगर दो रुपये पांच रुपये पकड़ा देंगे तो मां बाप के प्रति उनके मन में क्या भाव जगेगा। उसके मन में मजाक आएगा कि नहीं। उसके मन में आएगा कि नहीं, खिलौना 20 रुपए में मिलता है, मां-पापा दो रुपए दे रहे हैं। फौजियों के साथ उन्होंने ऐसा ही व्यवहार किया। वन रैंक वन पेंशन सिर्फ 500 करोड़ रुपया कहा कि हम लगाएंगे। 500 करोड़ रुपया।

भाइयों बहनों।

इसका मतलब था कि उनको कुछ पता नहीं था। वन रैंक वन पैंशन क्या होता है। निवृत्त फौजी कितने हैं। कितना पैंशन जाता है। वन रैंक वन पैंशन करने के बाद कितना आर्थिक खर्च आता है। कोई हिसाब-किताब नहीं था। मैंने आकरके जब हिसाब किताब शुरू किया। आप जानकर हैरान होंगे 12.5 हजार करोड़ से भी ज्यादा देने का निकला। 12.5 हजार करोड़। कहां 500 हजार करोड़ कहां 12.5 हजार करोड़।

लेकिन भाइयों बहनों।

चुनाव में मैंने वादा किया था कि ये काम मैं करके रहूंगा। आज मुझे खुशी है कि 12 हजार करोड़ से भी ज्यादा रकम देकरके वन रैंक वन पैंशन लागू कर दिया। अब तक 6 हजार करोड़ से ज्यादा का भुगतान कर चुके हैं। और बाकी इस बजट में प्रावधान कर दिया है, वो भी पहुंच जाएगा। फौज के साथ सम्मान का भाव क्या होता है। ये हमारी सरकार ने करके दिखाया है।

भाइयों बहनों।

हमने सर्जिकल स्ट्राइक किया। देश के सेना के जवान कब तक मार झेलते रहेंगे, कब तक दुश्मनों का वार झेलते रहेंगे। भाइयों बहनों। वक्त बदल चुका है। दिल्ली में सरकार बदल चुका है। अब देश का फौजी वार नहीं करेगा प्रतिवार करेगा, प्रतिवार करेगा।

भाइयों बहनों।

आप मुझे बताइए। हमारे देश में, जरा पूरी ताकत से जवाब देना, दूर-दूर से जवाब देना। आप मुझे बताइए कि हमारे देश को भ्रष्टाचार ने बर्बाद किया है कि नहीं किया है ...। भ्रष्टाचार ने तबाह किया है कि नहीं किया है ...। भ्रष्टाचार जाना चाहिए कि नहीं चाहिए। भ्रष्टाचार जाना चाहिए कि नहीं चाहिए।

भाइयों बहनों।  

इन भ्रष्टाचारियों ने कालाधन और भ्रष्टाचार की जुगलबंदी की। जिसको पद मिला, उसने लूटने का मौका नहीं छोडा। इस देवभूमि को भी इन लोगों ने लूट भूमि बना दिया, लूट भूमि बना दिया। और कैमरा के सामने पकड़े गये। लेती-देती की चर्चा कर रहे थे। अवैध खनन, शराब माफिया, शराब के ठेके, यही उनके उद्योग हो गये। तबादला उद्योग, ट्रांसफर उद्योग, पोस्टिंग का उद्योग, बदली का उद्योग, शराब ठेके का उद्योग, अवैध खनन का उद्योग ...।

भाइयों बहनों।

जब हमने नोटबंदी की। 8 तारीख रात को 8 बजे। इनके छक्के छूट गये। थप्पे के थप्पे भरके रखे थे कि ...। तीन महीने हो गये मोदी को गाली देना बंद नहीं कर रहे। जहां भी जाते हैं ...।

मुझे बताइए भाइयों बहनों।

जिन्होंने गरीबों को लूटा है, उनको लौटाना चाहिए कि नहीं लौटाना चाहिए ...।  मध्यमवर्ग को लूटा है उनको लौटाना चाहिए कि नहीं लौटाना चाहिए ...।

भाइयों-बहनों

मैं आपको वादा करता हूं कि मैं जब तक बैठूंगा न चैन से बैठूंगा न इनको चैन से बैठने दूंगा। क्या कर लेंगे ये। क्या कर लेंगे। अनाप-शनाप मोदी पर आरोप लगाएंगेतकलीफें पैदा करेंगे। अरे सबकुछ झेल लूंगा। देश के गरीबों के लिए ये सब झेलने का हमें गर्व होता है। ये लड़ाई बंद होने वाली नहीं है।

भाइयों बहनों।

इस देश की तबाही किसी व्यापारी के कारण नहीं आयी है। कोई छोटा व्यापारी होगा, गांव का कोई छोटा डाक्टर होगा, कोई छोटा वकील होगा। हो सकता है 1000 की जगह 1200 रुपया की फीस ले ली होगी। हो सकता है कि सरकार को 100 रुपया देना होगा और 90 रुपए दिया होगा। लेकिन वो लोग हैं, जिन्होंने अपने पसीने से कमाया है।छोटा व्यापारी होगा तो भी उसने अपने पसीने से कमाया है। आढ़ती होगी तो भी दुकान खोलकरके बैठा होगा तब जाकरके कमाया होगा। उन्होंने देश को लूटा नहीं है। देना चाहिए उतना शायद नहीं दिया होगा। देश को उन लोगों ने लूटा है जिन्होंने पद पर बैठकर पद का दुरुपयोग किया है। चाहे बाबू लोग हो, चाहे नेता लोग हों, चाहे थानेदार हो।

भाइयों-बहनों।

पद पर बैठकरके जिन्होंने लूटा है, उनकी लूट की पाई-पाई देश के चरणों में लाकर रखनी है इसलिए लड़ाई चली है। ये लड़ाई छोटी नहीं है। ये 70 साल तक जिन्होंने जमा किया है। और जमा करने वाले तने ताकतवर हो गये कि एक चाय वाला क्या कर सकता है इनको। बड़े ताकतवर लोग हैं।

लेकिन भाइयों बहनों।

सवा सौ करोड़ लोगों का आशीर्वाद है इसलिए ये चायवाला भी ये बड़े-बड़े चमरबंदी के खिलाफ मैदान में उतरकर आया है।

भाइयों बहनों।

ये मेरे लिए राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है। राजनीति करने के लिए मैंने नोटबंदी नहीं की है। मैं गरीबी में पैदा हुआ हूं, गरीबी में पला हूं। मैंने गरीबी को जीया है। और इसलिए मैं गरीबों के लिए जंग कर रहा हूं भाइयों। इसलिए गरीबों के लिए जंग कर रहा हूं। मुझे आपके आशीर्वाद चाहिए। पूरी ताकत से मुझे आपके आशीर्वाद चाहिए भाइयों बहनों। इस देश को भ्रष्टाचार और काले धन से मुक्त होना है। भ्रष्टाचार की लड़ाई में सफल होना है।

भाइयों बहनों।

विकास की नयी ऊंचाईयों तक देश को ले जाना है। मेरी माताएं बहनें यहां बैठी हैं। मैंने अभी हमारे यहां खादी विभाग के लोगों को काम दिया है। सोलर इनर्जी से चलने वाला चरखा, सूर्य शक्ति से चलने वाला चरखा, जो माताएं-बहनें पहाड़ों में तो यही काम ज्यादा करते हैं, उनको जिस दिन ये चरखा में पहुंचा पाऊंगा। अगर आज वो एक दिन में 200 रुपया कमाती है तो 500 रुपया कमाना शुरू कर देगी। कुछ स्थानों पर तो प्रयोग के तौर पर काम शुरू हो गया है। जैसे ही उसका परफेक्ट व्यवस्था हो जाएगी, उत्तराखंड के पहाड़ों पर रहने माताओं-बहनों को उसका लाभ मिलनेवाला है।

भाइयों बहनों।

आप मुझे बताइए। हर मां-बाप को, हर बहन को अपने घर में गैस का चूल्हा हो, ये उसकी जरूरत है कि नहीं है ...। गैस का चूल्हा मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...। गैस का सिलेंडर मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...। पहले मिलता था क्या ...। एक एमपी को 25 कूपन मिलते थे। और उसको कहते थे कि आपके इलाके के 25 लोगों को आप गैस का कनेक्शन दिलवा सकते थे, मुफ्त में नहीं। और लोग नेताजी के पीछे पीछे दौड़ते थे। और नेता जी कहते थे कि अभी नहीं, अगले साल के कोटा में देखेंगे। ये हाल था भाइयों बहनों। मैंने आकरके निर्णय किया कि मेरे देश के 5 करोड़ परिवार जो गरीबी रेखा से नीचे जीते हैं, जंगलों से लकड़ी काट कर लाते हैं। लकड़ी का चूल्हा जलाकरके खाना पकाते हैं। और एक मां जब लकड़ी का चुल्हा जलाकरके खाना पकाती है तो एक दिन में 400 सिगरेट का धुआं उसके शरीर में जाता है, 400 सिगरेट का। आप मुझे बताइए कि इन माताओं के शरीर में रोजाना 400 सिगरेट का धुआं जाएगा तो उस मां की तबीयत का हाल क्या होगा? उसके घर मे जो बच्चे पैदा होंगे, उनकी तबीयत का हाल क्या होगा।जो नन्हें नन्हें बच्चे जो घर में खेलते हैं, चूल्हा जलता है, धुआं निकलता है, उन बच्चों की तबीयत का क्या हाल होता होगा। कहिए भाइयों बहनों। गरीब माताओं को इस कष्ट से मुक्ति मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए ...। पूरी ताकत से बताइए। गरीब माताओं को इस कष्ट से मुक्ति मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए ...। माताओं को मदद मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए ...। क्या इसमें राजनीति होनी चाहिए ...।

भाइयों-बहनों।

आपने मुझे प्रधानमंत्री बनाया और हमने कहा था कि मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है, गरीबों को। और इसलिए हमने तय किया है 5 करोड़ गरीब परिवार जिनके पास आज गैस का चूल्हा नहीं है, गैस का कनेक्शन नहीं है। तीन साल के भीतर उनको गैस का कनेक्शन, गैस का चूल्हा दे दिया जाएगा। मुझे खुशी है कि ये बातें नहीं, ये वादे नहीं। 4-5 महीने से काम शुरू किया है। अब तक 1 करोड़ 80 लाख घरो में गैस का चूल्हा आ गया, गैस कनेक्शन आ गया और लकड़ी का चूल्हा बंद भी हो गया। भाइयों बहनों। जंगलों को बचाना है तो उत्तराखंड के घर-घर में गैस का चूल्हा पहुंचाना होगा। ये काम हम कर के दिखाएंगे। ये मैं आपको वादा करता हूं।

भाइयों बहनों।

ये उत्तराखंड, हरदा टैक्स। हरदा टैक्स मैं तो हैरान हूं। न दिल्ली सरकार का कोई ऐसा टैक्स है और न ही हिन्दुस्तान में कहीं भी इस तरह का टैक्स नहीं है। ये गंगा की धरती है, ये ऋषिमुनियों की धरती है। कुछ तो शर्म करो, कुछ तो शर्म करो। भाइयों बहनों। ये लूट चली है, इससे उत्तराखंड को बचाना है। और इसलिए आपसे आग्रह करने आया हूं। ऐसा बहुमत दीजिए ताकि कांग्रेस को पता चले। किसी भी राजनेता को गलत काम करने के लिए हिम्मत न पड़े। आप साफ कर दीजिए। मैं आपको वादा करता हूं उत्तराखंड को 5 साल के भीतर नयी ऊंचाइयों तक ले जाऊंगा।

भाइयों बहनों।

हमारे परिवार में हम इस बात को बराबर समझते हैं कि घर में जब बालक 16 साल का होता है, तब तक तो मां-बाप कहते हैं अच्छा ठीक है। खेलो, दौड़ो, खेलो, मौज करो, ये करो, वो करो। लेकिन जब 16 साल का हो जाता है ना, बेटा हो या बेटी। मां और बाप बारीकी से उसको देखते रहते हैं। क्या पढ़ रहा है, क्या कर रहा है, कहां जा रहा है, किससे बात कर रहा है, जल्दी आया कि नहीं आया, ठीक से खा रहा है कि नहीं खा रहा है, जैसा शरीर होना चाहिए वैसा है कि नहीं है, हर चीज पर नजर रहती है। हर चीज मां-बाप देखते हैं कि नहीं देखते हैं ...। देखते हैं कि नहीं देखते हैं। बेटा या बेटी 16 साल का हो जाता है तो आपका विशेष ध्यान जाता है ना ...। खास परवरिश करनी पड़ती है। हर मां बाप को पता है कि बच्चा और बेटी, 16 से 21 साल में ठीक से अगर उसकी परवरिश हो गयी तो फिर कभी पीछे देखना नहीं पड़ता है भाइयों। ये मेरा उत्तराखंड भी अब 16 साल का हो गया है। ये 16 से 21 साल, ये पांच साल विशेष परवरिश की जरूरत है उत्तराखण्ड को।

और भाइयों और बहनों।

उत्तराखंड के परवरिश का दायित्व लेने के लिए मैं आया हूं आपके पास। ये 16 से 21 वर्ष की उमर, उत्तराखंड के जीवन के महत्वपूर्ण उमर है। इस पांच साल में उत्तराखण्ड जिस करवट बैठेगा। आने वाले 100 साल की नींव इस पांच साल में लगने वाली है।

और इसलिए भाइयों बहनों। कोई गलती नहीं होनी चाहिए। अच्छे से अच्छा परवरिश हो, हमारा उत्तराखंड को ऐसी ताकत को प्राप्त करे कि सौ साल तक कभी किसी को उत्तराखंड को मदद की जरूरत न पड़े। इसलिए आप भारतीय जनता पार्टी को वोट दीजिए। 15 तारीख को भारी मतदान कीजिए। पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दीजिए। हर पोलिंग बूथ वाला तय करे कि अगर पिछले साल 600 पड़े थे तो 700 से कम नहीं होंगे। पिछली बार 700 वोट पड़े थे तो इस बार 800 वोट से कम न पड़ेंगे। इस प्रकार से आप करें। और ये तो पहाड़ है, ठंड होती है। उसके बाद भी मैं कहूंगा, पहले मतदान, फिर जलपान। पहले मतदान फिर जलपान। 15 तारीख को कमल के निशान पर बटन दबाकरके उत्तराखंड के भाग्य बदलने के लिए फैसला कीजिए। मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत बहुत धन्यवाद।

 

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!