Quoteहम त्रिपुरा के लिए 3 T पर फोकस कर रहे हैं - ट्रेड (व्यापार), टूरिज्म (पर्यटन) और ट्रेनिंग फॉर यूथ (युवाओं के लिए प्रशिक्षण): प्रधानमंत्री मोदी
Quoteरोजवैली जैसे घोटालों के चलते त्रिपुरा का गरीब बरबाद हो गया, जिन लोगों ने त्रिपुरा के गरीबों को लूटा है, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए: पीएम मोदी
Quoteत्रिपुरा के लोगों को रोजगार के बेहतर अवसरों की जरूरत है: प्रधानमंत्री
Quoteगरीबों से चोरी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, मतदाता उन्हें जरूर सबक सिखाएंगे: प्रधानमंत्री मोदी
Quote7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को त्रिपुरा में लागू क्यों नहीं किया गया: पीएम मोदी
Quoteहम आयुष्मान भारत योजना के माध्यम से सभी के लिए सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करना चाहते हैं: प्रधानमंत्री
Quoteकेंद्र त्रिपुरा के विकास के लिए पैसा भेजता है, लेकिन राज्य सरकार उसका इस्तेमाल नहीं करती है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteवीर बिक्रम का आधुनिक त्रिपुरा का सपना कम्युनिस्ट सरकार ने तोड़ दिया: प्रधानमंत्री मोदी

गुरुमथा, छिवाय अहम वे तोमवाए विपासारो त्रिपुरा हास्तेनी यो तो लोको रोको नो आनी हम जगमातयी खा अहाम या भारो।

मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव और इस चुनाव में सोनामुरा से उम्मीदवार श्रीमान सुबल भौमिक जी, तकलजाला से उम्मीदवार श्रीमान एन सी देवबर्मा जी, बागमा से उम्मीदवार श्री रामपद जमातिया जी, चारीलाम से श्रीमान जिश्नु देब बर्मा जी, आर के पुर से श्रीमान प्रणजीत सिंह रॉय, धनपुर से सुश्री प्रतिमा भौमिक, राजनगर से श्रीमान विभीषण चंद्र दास, गोलाघाटी से श्रीमान वीरेंद्र किशोर देब बर्मा, बिलौनिया से श्रीमान अरुणचंद्र भौमिक, हृश्यमुख से श्रीमान अशीष वैद्य, जोलाईबारी से श्रीमान अंकिय मोग चौधरी, सबरूम से श्रीमान शंकर रॉय, काकराबन से श्रीमान जीतेन मजूमदार, माताबारी से भाजपा उम्मीदवार श्रीमान विप्लव कुमार घोष, शां तिबाजार से श्रीमान प्रमोद रियांग, बोक्सानगर से बाहरुल इस्लाम, नलचर से सुभाष चंद्र दास।

मेरे साथ सब बोलिए,

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय

बहुत-बहुत धन्यवाद

शायद हिंदुस्तान में और खासकर के दिल्ली में किसी को अंदाज भी नहीं होगा कि त्रिपुरा में कैसी क्रांति आ रही है। एक प्रकार से त्रिपुरा सच्चे अर्थ में अपने हकों के लिए ये चुनाव लड़ रहा है। ये चुनाव भाजपा या भाजपा के साथी दल नहीं ये त्रिपुरा की जनता चुनाव लड़ रही है। अपने हकों के लिए चुनाव लड़ रही है। यहां का नौजवान रोजगार के लिए चुनाव के मैदान में आया है। यहां के सरकारी मुलाजिम 7वां पगार पंच, 7th पे कमीशन की मांग को लेकर के आज उठ खड़ा हुआ है। पूरा त्रिपुरा विकास की नई ऊंचाइयों पर जाना चाहता है और इसलिये मैदान में उतरा है। और ये चुनाव एक तरफ सरकार है, नाम भी सरकार,  हाथ में भी सरकार और दूसरी तरफ जनता जनार्दन है। और इतिहास गवाह है जब जनसामान्य मैदान में उतरता है, जब जनता का मिजाज बदलता है, तब अच्छे-अच्छे सरकारों को उखाड़ कर फेंक देता है। और इसलिए मैं साफ देख रहा हूं कि अब त्रिपुरा में विकास का युग आने वाला है, और इसीलिए आप लोगों ने हमें सिखाया है, आपने हमें सिखाया है चलो पलटोई..., चलो पलटोई..., चलो पलटोई...।

भाइयो बहनों

हमारे देश में 51 शक्तिपीठों  का हर कोई पुण्य स्मरण करता है। एक श्रीयंत्र अधिष्ट्रात्री देवी, देवी त्रिपुरा सुंदरी, ये उसी का स्थान है, मैं इस धरती को नमन करता हूं।

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भाइयो बहनों

जब हम त्रिपुरा की बात करते हैं, तो त्रिपुरा के हर नागरिक के हृदय में यहां के भूतपूर्व महाराजा वीर बिक्रम किशोर माणिक्य, वीर बिक्रम किशोर माणिक्य जी, जिन्होंने त्रिपुरा के कल्याण के लिए, देश की एकता के लिए, यहां के लोगों के विकास के लिए, बंटवारे से बचने के लिए जिस प्रकार से दीर्घदृष्टि से काम लिया। यह हम सब का दुर्भाग्य रहा कि आजादी आने से कुछ ही दिन पहले महाराजा हमें छोड़ कर चले गए। लेकिन महारानी जी ने सरदार पटेल के साथ बात कर के, गांधी जी से बात कर के त्रिपुरा को बचाने का बीड़ा उठा लिया। और इसलिए मैं ऐसी महान परंपरा, देश के लिए कुछ कर दिखाने वाली महान प्रभा, उसको भी आज मैं नमन करना पसंद करूंगा।  

भाइयो बहनों

पिछले 20-25 साल से एक ऐसी मायाजाल की रचना की है, हम बंगाल में तो एक जादूगर सरकार का नाम सुनते थे, लेकिन यहां जो एक छुपा हुआ जो जादूगर सरकार है, ऐसी मायाजाल बना कर रखी है, ऐसी मायाजाल, देश में किसी कोने में यहां की बर्बादी, बुरे हाल का पता तक नहीं पहुंचने दिया जाता। लोगों को उनका बैंक अकाउंट और सफेद कुर्ता यही दिखाया गया लेकिन अंदर कितने काले कारनामे पड़े हैं इससे देश को अंधेरे में रखा गया। और इसलिए यह समय की मांग है कि त्रिपुरा को इस अंधकार युग से बाहर लाना है, त्रिपुरा को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। ये कम्युनिस्ट पार्टी के लोग हिंदुस्तान के किसी भी कोने में एक लाल झंडा हो एक और अगर उस कारखाने में अगर मजदूर को रुपया थोड़ा कम मिलता है, दो-पांच रुपया भी, तो उस पूरे कारखाने को ताला लगा देते हैं हड़ताल कर देते हैं, जीना मुश्किल कर देते हैं। आप मुझे बताइए क्या आज त्रिपुरा में मिनिमम वेजेज मिलते हैं क्या, मिलते हैं क्या...। देश के नागरिकों को जो मिलता है, वो आपको मिलता है क्या...। ये बोलना और दिखाना और करने में अंतर है कि नहीं, अंतर है कि नहीं है...। इन्होंने आपके साथ धोखा किया है कि नहीं किया है...। क्या देश में और लोगों को जो मिनिमम वेजेज मिलता है, वो त्रिपुरा के लोगों को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...। यहां के मजदूर को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए...। यहां खेत में काम करने वालों को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए...। यहां दुकानदार के यहां काम करने वाले को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए...। क्यों नहीं मिलता है भाई? देशवासियों ये त्रिपुरा में कम्युनिस्ट पच्चीस साल से बैठे हुए हैं, लेकिन यहां के नागरिकों के एक भी मान्य अधिकार को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। बातें देश में बड़ी-बड़ी कर रहे हैं। आप मुझे बताइए मंहगाई बढ़ी थी कि नहीं बढ़ी थी...। महंगाई के हिसाब से ये जो हमारे सरकारी मुलाजिम हैं उनको तनख्वाह मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए...। आईएएस को मिले,आईपीएस को मिले क्योंकि वो भारत सरकार की योजना में आता है। लेकिन क्या कारण है कि त्रिपुरा में पैदा हुआ , त्रिपुरा में सरकार में काम करने वाला, 15-20 साल से काम करने वाला, सरकार कहे बाएं जाओ तो बाएं जाए, सरकार जो कहे वो करे उसके वाबजूद भी उसको हक के पैसे नहीं दिए जाना, यह अपराध है कि नहीं है...। ऐसी सरकार को अपराध की सजा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए...। क्या इस चुनाव में  कमल निशान पर बटन दबाकर इसके अपराधियों को सजा दोगे कि नहीं दोगे...। इनको बिस्तरा बोरिया लेकर उखाड़ फेंक दोगे कि नहीं फेंक दोगे...। और तब जाकर के चलो पलटोई होगा कि नहीं होगा..., तब जाकर के चलो पलटोई होगा कि नहीं होगा...।

भाइयो बहनों

मैं हैरान हूं कि 96 के बाद मुझे बताया गया कि कोई नया वेतन में सुधार ही नहीं हुआ है। ये दिल्ली में  इनके जो जुड़े लोग हैं न, वो इन चीजों को बाहर नहीं आने देते। और आप, आपके साथ ये अन्याय चलता रहेगा। 7th पे कमीशन लागू क्यों नहीं किया जा रहा? देश के किसी कोने में सरकार ने लागू नहीं किया होता, तो ये लाल झंडा लेकर निकल पड़ते और वहां पर आग लगा देते ये लोग। लेकिन बीस-बीस, पच्चीस-पच्सीस साल से सरकार में बैठे हैं। और यहां का मुलाजिम भी इतना डरा हुआ है, इतना दबा हुआ है कि 96 के बाद पे रिवीजन नहीं मिलने के बाद भी, बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहा तो भी, बूढे मां-बाप की बीमारी में दवाई कराने की सुविधा नहीं है तो भी चुपचाप बैठा है। क्योंकि उसे मालुम है कि अगर वो कुछ भी बोलने जाएगा तो उसको जीवनभर से नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा, ऐसा भय बना कर रखा है।

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भाइयो बहनों

आप मुझे बताइए कि क्या भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने आ कर के यहां के सभी सरकार के मुलाजिमों को 7th पे कमीशन देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए...। आप बताइए देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए...। उनको हक मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए...। भाइयो बहनों, भारतीय जनता पार्टी ने आपको वादा किया है कि यहां पर सभी मुलाजिम, देश में मजदूरों के लिए जो मिनिमम वेजेज है, वो त्रिपुरा के लोगों को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए..., मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए...। मिनिमम वेजेज हर गरीब को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए...। भाइयो बहनों भारतीय जनता पार्टी वादा करती है देश में जो मिलता है वो त्रिपुरा के मजदूर को भी मिलकर रहेगा।

भाइयो बहनों

यहां पर लोकतंत्र शब्द सिर्फ चुनाव में बटन दबाने के लिए काम में आता है। और उसमें भी जैसा जुल्म किया जाता है चुनावों में  चाहे केरल हो, चाहे पश्चिम बंगाल हो चाहे त्रिपुरा हो, जहां-जहां ये लाल झंडा पहुंचा है, उसने लोकतंत्र को अपने लिए उपयोग करना, अपने तरीके से तोड़ना मरोड़ना और लाठी से ही लोकतंत्र को चलाना ये परंपरा खड़ी की है और त्रिपुरा में भी। आप मुझे  बताइए त्रिपुरा सरकार के खिलाफ बोलने वालों को जान हथेली पर लेकर निकलना पड़ता है कि नहीं निकलना पड़ता है...। ये लोग जुल्म करते हैं कि नहीं करते हैं...। अरे गरीब आदमी को डांटते हैं कि देखो तुम्हारे गांव में जो वोट नहीं मिला तो तेरा राशन कार्ड गया। ऐसा करते हैं कि नहीं  करते हैं...। मैं आपको बताता हूं कि मैंने कंप्यूटर पर सब लिखकर रखा है, इनकी कोई ताकत नहीं है कि आपसे कोई छीन सके।

भाइयो बहनों

आज भी त्रिपुरा में अगर 100 रुपये का खर्चा होता है तो 100 रुपये में से 80 रुपया दिल्ली सरकार से आता है, भारत सरकार से आता है। लेकिन यहां पैसे मिलने के वाबजूद भी, या तो पैसों का खर्च नहीं होता है, या तो पैसों का हिसाब नहीं मिलता है।

भाइयों बहनों

आप मुझे बताइए, ये रोजवैली क्या था भाई, क्या था भाई रोजवैली? त्रिपुरा के गरीबों को लूटा गया कि नहीं लूटा गया...। लाखों परिवारों को तबाह कर दिया गया कि नहीं कर दिया गया...। रोलवैली के कारण यहां के लोगों को आत्महत्या करनी पड़ी या नहीं करनी पड़ी...। और रोजवैली से कमाई किसकी हुई, इनको सजा देनी है कि नहीं देनी है...। अरे रोजवैली में आप जो गरीबों को लूटा गया है, जिन्होंने मिलीभगत कर के लूटा है उनको भाइयो बहनों ऐसी सजा दो, ऐसी सजा दो ताकि फिर से किसी गरीब का कोई एक रुपया छीनने की हिम्मत नहीं कर पाएं।

भाइयो बहनों

आज देश के नौजवानों को रोजगार देना है, मां-बहनों को सम्मान की जिंदगी देनी है, बुजुर्गों का ख्याल करना है तो त्रिपुरा का विकास किए बगैर होने वाला नहीं है। और इनके रहते हुए, क्यों कि इन्होंने पार्टी सरकार सब एक कर दिया है। किसी की हत्या हो जाए तो पुलिस थाने में जाने से पहले ये लाल सलाम वालों के घर जाना पड़ता है, उनको चढ़ावा देना पड़ता है, तब जाकर एफआईआर लॉज होती है। पुलिस वाला कहता है कि आपकी शिकायत सही है, लेकिन पहले वहां से जरा परमीशन लाइए, वहां से मैसेज करवा दीजिए तब काम होगा। आपका राशन कार्ड का हक है, लेकिन जबतक कम्युनिस्ट पार्टी उस पर सिक्का नहीं मारती है आपको राशन कार्ड नहीं मिल सकता। क्या ये लोकतंत्र है क्या? ये गुलामी का नया रूप है कि नहीं है...। ये लोगों को गुलामी में रखने का कांड है कि नहीं है...।

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भाइयो बहनों

हम विकास की चर्चा लेकर आए हैं। हमारा मंत्र रहा है, ट्रांसफोर्मेंशन बाइ ट्रांसपोर्टेशन। अच्छी सड़कें हो, रेल हो, एयरपोर्ट हो, यहां के लोगों को अपने सपने पूरा करने के लिए सुविधाएं हों और इसीलिए हमारी सरकार ने जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तभी बहुत बड़ा फैसला लिया था। और वही फैसला एक है, जो हमारे उत्तर पूर्व के राज्य, नॉर्थ ईस्ट के राज्य इनके कल्याण करने का आधार बना है। उन्होंने अलग डोनर मंत्रालय बनाया, और हर भारत सरकार के मंत्रालय को कहा कि आपका जो बजट है उसमें से 10 प्रतिशत आपको नॉर्थईस्ट के विकास के लिए खर्च करना पड़ेगा। ऐसा महत्वपूर्ण फैसला किया। हमारी सरकार ने आकर के ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी बनाया, क्योंकि हमारा मत है कि जब तक भारत का पूर्वी क्षेत्र, उत्तर पूर्वी क्षेत्र इनका विकास अगर नहीं होगा तो देश का विकास असंतुलित होगा, देश का भाग्य नहीं बदल सकता। देश का भाग्य तब बदलता है जब त्रिपुरा का भाग्य बदले तब जाकर के देश का भाग्य बदलता है। और इसलिए हमने त्रिपुरा के विकास के लिए अनेक योजनाएं बनाईं। ये लोग यह भी झूठ फैला रहे हैं कि बीजेपी की सरकार आएगी तो ये बंद हो जाएगा, ढींकना बंद हो जाएगा, फलाना बंद हो जाएगा। बीजेपी की सरकार तो चार साल से दिल्ली में बैठी है आपका कोई  हक छीना गया क्या?, आपकी कोई योजना बंद की क्या?, ये झूठ क्यों फैला रहे हो भाई, क्यों फैला रहे हो। और ये झूठ का भी जवाब देना पड़ेगा। भाइयों बहनों, उनके मंत्रियों पर कैसे-कैसे आरोप लगे हुए हैं, और बीजेपी सरकार आएगी तो उनको डर है कि बचने के लिए जाएं तो जाएं कहां।

भाइयो बहनों

कहते हैं कि जब कोई ग्रहयोग खराब होते हैं, तो जो उस पर विश्वास करते हैं तो वो अलग रंगों के पत्थरों की अंगूठियां पहनते हैं, पहनते हैं न...। लेकिन अगर गलत पत्थर वाली अंगूठी पहन ली तो फिर हालत और बुरा हो जाते हैं, जो होते हैं वो भी बुरे हो जाते हैं। इसलिए त्रिपुरा ने गलत माणिक पहन लिया है। जब तक आप यह गलत माणिक नहीं उतारोगे आपका भाग्य नहीं बदलेगा। और इसलिए यह माणिक, यह ऐसी अंगूठी आपने लगा दी, ऐसा पत्थर आपने जड़ दिया और पच्चीस साल से जड़ कर रखा है। दिल्ली में कितनी सरकार बदल जाएं, तारे आसमान में बदल जाएं, ग्रह बदल जाएं, सूरज इधर चले, चंद्र इधर चले, सब हो, लेकिन यह ऐसा पत्थर चिपका हुआ है कि आपको उसके अच्छे दिन का फायदा भी नहीं पहुंच सकता। और इसलिए अब आपको माणिक नहीं चाहिए, माणिक से मुक्ति ले लो। अब आपको जरूरत है हीरे की। हीरा चाहिए हीरा। हीरा चाहिए कि नहीं चाहिए...। हीरा चाहिए कि नहीं चाहिए...। हीरा चाहिए कि नहीं चाहिए...। और जब मैं हीरा कहता हूं तो मेरा सीधा-सीधा अर्थ है हीरे का एच मतलब हाईवे, आई मतलब आईवे (डिजिटल कनेक्टिविटी), आर मतलब रोड, ए मतलब एयर।  हाईवे, आईवे, रोडवे, एयरवे ये हीरा चाहिए त्रिपुरा को, जो त्रिपुरा को नई ऊंचाई पर ले जाए। और हम आपको, आपका माणिक जाएगा और हीरा आएगा, जो आपका हीरा होगा।

भाइयो बहनों

पूरे इस इलाके की कनेक्टिविटी के लिए हम काम करने के लिए तैयार हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में सरकार ने हाल ही में नॉर्थ ईस्ट स्पेशल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम को मंजूरी दी है। और इसके तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए अब सौ के सौ प्रतिशत, 100 परसेंट भारत सरकार की तिजोरी से पैसा मिलेगा। और इसके लिए सरकार ने करीब-करीब 5,300 करोड़ रुपया लगाने का फैसला किया है भाइयो। आपकी ये सूरत बदलेगी कि नहीं...। भाइयो बहनों और इसमें वाटर सप्लाई, पावर सप्लाई, कनेक्टिविटी जिसके कारण त्रिपुरा के जो सामान्य जीवन हैं, ईज ऑफ लिविंग की बात है, उसको बल मिलेगा। भाइयो बहनों, त्रिपुरा में हम हीरा लेकर आए हैं और साथ-साथ त्रिपुरा का टी, ये त्रिपुरा के टी के साथ और तीन पर हम बल देना चाहते हैं। और वो तीन हैं  ट्रेड, टूरिज्म और नौजवानों को ट्रेनिंग।  ये थ्री टी, एक तरफ हीरा इन्फ्रास्ट्रक्चर और ये थ्री टी जो जीवन में आपके बदलाव लाने का बहुत बड़ा काम करेंगे। उस काम को लेकर के हम आए हैं।

भाइयो  बहनों

पिछले तीन वर्षो में पूर्वोत्तर क्षेत्र में रेल नेटवर्क के विकास के लिए वार्षिक तौर पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं। त्रिपुरा में सभी मीटर गेज को हमने ब्रॉड गेज में परिवर्तित कर दिया है। अगरतला अब देश की राजधानी नई दिल्ली के साथ रेलमार्ग से जुड़ गया है। एक नई राजधानी त्रिपुरा की आवश्यकताओं को पूरा कर रही है और दिल्ली के साथ सीधी कनेक्टिविटी दे रही है। अब त्रिपुरा के लिए दिल्ली दूर नहीं है।

भाइयो बहनों

त्रिपुरा के अंदर सड़कों के विकास के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई में हमारे आने के बाद त्रिपुरा को न्याय मिले इसका हमने बीड़ा उठाया और 80 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी हमारी दिल्ली में सरकार बनने के बाद राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुई है। सरकार ने 1,700 करोड़ रुपये की लागत से करीब-करीब सवा सौ किलोमीटर रोड के तीन प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है। 128 करोड़ की लागत से सबरूम में फेरी नदी पर पुल का निर्माण भी हमारी योजना में शामिल है भाइयो बहनों। हमने आने वाले 3 वर्षो में 11 हजार करोड़ रुपये नार्थ ईस्ट के लिए, कनेक्टिविटी फिजिकल कनेक्टिवी के लिए लगाने की दिशा में हमने काम किया है। अगरतला का एयरपोर्ट 450 करोड़ की लागत लगाकर के अगरतला का टर्मिनल बिल्डिंग उसके निर्माण की हमने मंजूरी दे दी है। आप कल्पना कर सकते हो, त्रिपुरा की शान कितनी बढ़ने वाली है।

भाइयो बहनों

हम एक उड़ान योजना लेकर आए हैं। उड़ान योजना के तहत हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में जा सकता है इतना सस्ता कर दिया है। ढाई हजार रुपये में यात्रा की व्यवस्था, और जिसका सबसे ज्यादा लाभ नॉर्थ ईस्ट को मिलने वाला है, त्रिपुरा के दूर दराज के लोगों को मिलने वाला है, त्रिपुरा के नौजवान के मिल रहा है। भाइयो बहनों, भारत के अंदर नए-नए एयरपोर्ट बनाना और सीधी कनेक्टिविटी नॉर्थ ईस्ट के लोगों को आसानी से मिल जाए उस दिशा में हमने काम किया है।

भाइयो बहनों

आजकल की दुनिया ऐसी है कि एक बार अगर टेलिफोन की कनेक्टिवटी छूट गई तो ऐसा लगता है दिन चला गया, जैसा सब खो गया, मोबाइल फोन की कनेक्टिविटी के लिए वो बेचैन हो जाता है। ये चलता क्यों नहीं है, ऐसा होता है कि नहीं होता है...। भाइयो बहनों, हमारा नौजवान तो आजकल सबकुछ उसी में देखता है, दुनिया की खबरें भी उसमें देखता है, अपनी आवश्यकता भी उसी से ढूंढता है,पढ़ाई के लिए पेपर्स भी उसी से मिल जाते हैं, जो भी उसको सजेशन चहिए वो भी उसको मिल जाते हैं। और इसलिए पिछले साल फरवरी में अगरतला भी इंटरनेशनल इंटरनेट गेटवे, आईआईजी और बीएसएनएल के लिंक पर हमने ट्रैफिक आरंभ कर दिया है। कॉस बाजार बांग्लादेश, उस रास्ते से, हमारे पड़ोसी देशों से दोस्ती बड़ाकर के काम होता है। इंटरनेशनल इंटरनेट गेटवे पर आने वाला ये त्रिपुरा, यह हमारा अगरतला देश का तीसरा शहर है। यह सौभाग्य मुंबई को मिला, चेन्नई को मिला अगर तीसरा किसी को मिला तो ये आपके अगरतला को मिला है। कोई कल्पना कर सकता है कि दिल्ली में ऐसी सरकार बैठी है कि जिसको सिर्फ मुंबई और चेन्नई नहीं अगरतला भी याद आता है। और यहां पर वो सुविधा देता है जो मुंबई और चेन्नई को देता है।

भाइयो बहनों

हमारी सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला किया है। आप हैरान होंगे दिल्ली में बैठकर जो सरकार चलाते थे, इनको हमारे उत्तरपूर्व के राज्यों का थोड़ा भी ज्ञान होता, थोड़ी भी संवेदना होती, त्रिपुरा की जिंदगी में क्या चहिए , क्या नहीं चहिए इसकी समझ होती, तो मेरे देश में आजादी के 70 साल बाद भी बांस बंबू, बंबू काटने पर रोक। मेरा गरीब आदिवासी त्रिपुरा के जंगलों में बांस उगाता है, खुद का घर बांस काटकर बनाना है तो, वो भी नहीं कर सकता है। कारण, दिल्ली में बैठे हुए लोगों ने त्रिपुरा को क्या चहिए क्या नहीं, नार्थ ईस्ट को क्या चहिए, क्या नहीं, समझ नहीं। और इसलिए उन्होंने जो बंबू ग्रास की श्रेणी में आता है उसको पेड़ की श्रेणी में डाल दिया और सारे जंगलों के कानून उस पर लगा दिए। सरकार ने आपकी अर्थव्यवस्था का जो आधार बंबू है हमने उसको पेड़ की केटेगरी से निकाल कर के  ग्रास की श्रेणी में डाल दिया, अब आप बंबू का उपयोग, काट सकते हैं, बेच सकते हैं। और दूसरी तरफ देश अगरबत्ती बनाने के लिए बंबू बाहर से लाता है। बताइए क्या ये हम हमारे त्रिपुरा के लोगों को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए...। यहां की रोजीरोटी में काम आना चाहिए कि नहीं आना चाहिए...। लेकिन उनको पता ही नहीं है कि देश के किस कोने में कौन सी चीजों की जरूरत है और इसलिए गलत निर्णय करते हैं। हम इस बात को बढ़ाना चहते हैं, हम तो चाहते हैं खेत के कोने पर भी लोग बंबू उगाएं, देश की आवश्यकता के अनुसार बंबू हो और इसलिए हमने इस बार बजट में नेशनल बंबू मिशन की रचना की है और 1,300 करोड़ का बजट इस बंबू के लिए लगाने का काम किया है। अभी मुझे इतनी सुंदर बेंत भेंट दी गई, कितना उत्तम काम त्रिपुरा के लोगों ने बंबू के ऊपर किया है, ये ताकत है, दुनिया के अंदर हम नाम रौशन कर सकते हैं, हमारी इस कला के द्वारा। और इसलिए हमलोग उसकी दिशा में काम करना चाहते हैं।

 

भाइयो  बहनों

त्रिपुरा की सरकार, उस पर जो दाग लगे हैं उस दाग से कभी बचने वाली नहीं है। हमारा देश विविधिताओं से भरा हुआ देश है, और उन विविधिताओं को बचाना, उन विविधताओं का सम्मान करना, उन विविधिताओं का विकास करना, ये देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए बहुत आवश्यक है। जंगलों में रहने वालों की अलग विविधिताएं हैं विशेषताएं हैं, आदिवासियों की अलग विविधाएं-विशेषताएं हैं, समाज की भिन्न-भिन्न भाषा बोलने वालों की अलग अलग विविधिता-विशेषता है। हमारा प्रयास है कि त्रिपुरा में भी परंपरागत रूप से जो विविधिता-विशेषता वाले समूह हैं, उनकी परंपराओं की रक्षा हो, उनका गौरव बढ़े और देश को उसकी पहचान हो। उसके लिए विशेष रूप से प्रयास करने का निर्णय भी हमारी सरकार करेगी और दिल्ली सरकार पूरी मदद करेगी, ये मैं आपको विश्वास दिलाने आया हूं।

 

भाइयों बहनों  

ये लोग अगर आपको धमकी देते हैं कि अगर आप वोट नहीं दोगे तो राशन कार्ड चला जाएगा, आप अगर वोट नहीं दोगे तो आधार कार्ड चला जाएगा। आप लिख कर रख लो, आपका कुछ नहीं चला जाएगा, ये धमकी देने वाले चले जाएंगे, ये धमकी देने वाले चले जाएंगे। और इसलिए मैं आप सबसे आग्रह करने आया हूं कि इस चुनाव में आपके दिल की जो आवाज है, जो आपके रगों में दौड़ रही है, जिस बात ने आपके दिलो दिमाग को गर्म करके रखा है, जो आपका मंत्र बन गया है, जो आपका नारा बन गया है। वो सिर्फ जनसभाओं में नहीं वो पोलिंग बूथ के अंदर जाकर के वोटिंग मशीन में से निकलना चाहिए। बटन दबाकर के निकलना चाहिए। चलो पलटोई, वो उस मशीन में से आवाज आना चाहिए। चलो पलटोई, जैसे ही बटन दबाओगे तो आपकी आत्मा सुनेगी हां अब मशीन भी बोल रहा है चलो पलटोई। और इसलिए मेरे भाइयो बहनों त्रिपुरा के उज्ज्वल भविष्य के लिए ये जो माणिक जड़ा हुआ है, उसे निकाल कर हीरा धारण कर लो और थ्री टी के द्वारा ट्रेड, टूरिज्म और ट्रेनिंग के आधार पर हमारे त्रिपुरा को नए विकास की ऊंचाई पर ले जाओ। इसी अपेक्षा के साथ दोनों मुट्ठी बंद कर मेरे साथ बोलिए और पूरी ताकत से बोलिए पच्चीस साल पुरानी सल्तनत को उखाड़ फेंक देना है भाइयों, लोकतांत्रिक तरीकों से फेंक देना है। जुल्म करने वालों को जाना पड़ेगा, इस विश्वास के साथ चलो पलटोई का नारा साथ लेकर के चलना है। और इसलिए मैं आपसे नारा बुलवाता हूं, पूरी ताकत से बोलिए।

 

भारत माता की जय, चलो पलटोई…, चलो पलटोई…, चलो पलटोई…, बहुत-बहुत धन्यवाद

 

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मुद्रा योजना की सबसे बड़ी लाभार्थी महिलाएं हैं: पीएम मोदी
April 08, 2025
Quoteमुद्रा योजना किसी विशेष समूह तक सीमित नहीं है, इसका उद्देश्य युवाओं को अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए सशक्त बनाना है: प्रधानमंत्री
Quoteउद्यमशीलता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में मुद्रा योजना का परिवर्तनकारी प्रभाव है: प्रधानमंत्री
Quoteमुद्रा योजना ने उद्यमशीलता के बारे में सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव के साथ एक मौन क्रांति ला दी है: प्रधानमंत्री
Quoteमुद्रा योजना के सबसे अधिक लाभार्थियों में महिलाएं शामिल हैं: प्रधानमंत्री
Quoteइस योजना के तहत 52 करोड़ ऋण वितरित किए गए हैं, जो विश्व स्‍तर पर अद्वितीय उपलब्धि है: प्रधानमंत्री

लाभार्थी - सर आज मैं शेयर करना चाहूंगा मेरा स्टोरी जो की एक पेट हॉबी से कैसा की मैं एंटरप्रेन्योर बना और मेरा जो बिजनेस वेंचर है उसका नाम है K9 वर्ल्ड, जहां पर हम लोग हर प्रकार के पेट सप्लाईज, मेडिसिंस और पेट्स प्रोवाइड करवाते हैं सर। सर मुद्रा लोन मिलने के बाद सर हम लोगों ने काफी सारे फैसिलिटी स्टार्ट किए, जैसे की पेट बोर्डिंग फैसिलिटी स्टार्ट किए हम लोग, जो भी like पेट पेरेंट्स है अगर वो कहीं बाहर जा रहे हैं सर, तो हमारे पास वो छोड़कर जा सकते हैं और उनके पेट हमारे यहां पर रहते हैं होमली एनवायरमेंट में सर। पशुओं के लिए मेरा जो like प्रेम है, वो सर अलग ही है, like मैं खुद खाऊं ना खाऊं, वह मैटर नहीं करता, बट उनको खिलाना है सर।

प्रधानमंत्री - तो घर में सब लोग तंग आ जाते होंगे आपसे?

लाभार्थी - सर इसके लिए मैं अपने सारे डॉग्स के साथ सेपरेट, सेपरेट like स्टे है, सेपरेट स्टे है, और मैं आपको भी बहुत धन्यवाद बोलना चाहूंगा सर, बिकॉज़ सर आप ही के कारण काफी सारे जो पशुप्रेमी हैं और NGO वर्कर्स है, अभी वो अपना काम सर ओपनली कर पाते हैं, बिना कोई रोक-टोक के ओपनली कर पाते हैं सर। मेरा जो निवास है वहां पर सर टोटली mentioned है, अगर आप पशुप्रेमी नहीं है, सर आप अलाउड नहीं है।

प्रधानमंत्री - यहां आने के बाद काफी आपकी पब्लिसिटी हो जाएगी?

लाभार्थी - सर ओबवियसली।

प्रधानमंत्री - आपका हॉस्टल छोटा पड़ जाएगा।

लाभार्थी - पहले जहां पर मैं महीने में 20000 कमा पाता था, सर अभी वहां पर मैं महीने में 40 से 50 हजार कमा पाता हूं।

प्रधानमंत्री - तो अभी आप एक काम कीजिए, जो बैंक वाले थे।

लाभार्थी - हां जी सर।

प्रधानमंत्री - जिसके समय आपको लोन मिला, एक बार उन सबको बुलाकर के आपके सारे चीज दिखाइए और उनको धन्यवाद कीजिए, उन बैंक वालों का, की देखिए आपने मेरे पर भरोसा किया और यह काम जो ज्यादा लोग हिम्मत नहीं करते, आपने मुझे लोन दिया, देखिए मैं कैसा काम कर रहा हूं।

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लाभार्थी - डेफिनेटली सर।

प्रधानमंत्री – तो उनको अच्छा लगेगा कि हां उन्होंने कोई अच्छा काम किया है।

लाभार्थी - वह ना एक माहौल को वह जो एकदम पिन ड्राप साइलेंस माहौल होता है कि पीएम का ओरा है उसको उन्होंने थोड़ा सा तोड़ा और वह हमारे साथ थोड़ा सा घुले-मिले, तो वह एक चीज मुझे बहुत अट्रैक्टिव लगी उनकी और दूसरी सबसे इंपोर्टेंट चीज कि वह बहुत ही ज्यादा गुड लिस्नर है।

लाभार्थी - I am Gopikrishnan, Entrepreneur based of mudra loan from Kerala. Pradhan Mantri Mudra Yojana has transformed me into a successful entrepreneur. My business continues to thrive bring renewable energy solutions to households and offices while creating job opportunities.

प्रधानमंत्री - आप जब दुबई से वापस आए तो आपका प्लान क्या था?

लाभार्थी – मैं वापस आया कि मैं यह मुद्रा लोन के बारे मैं मेरे को इनफॉरमेशन मिला था, इसलिए मैं वह कंपनी resign किया है।

प्रधानमंत्री - अच्छा आपको वहीं पता चला था?

लाभार्थी – हां। और रिजाइन करके, इधर आकर फिर यह मुद्रा लोन को अप्लाई करके, यह शुरू किया है।

प्रधानमंत्री - एक घर पर सूर्यघर का काम पूरा करने में कितना दिन लगता है?

लाभार्थी – अभी मैक्सिमम दो दिन।

प्रधानमंत्री - 2 दिन में एक घर का काम कर लेते हैं।

लाभार्थी – काम करते है।

प्रधानमंत्री - आपको डर लगा हो कि ये पैसे में दे नहीं पाऊंगा, तो क्या होगा, मां-बाप भी डांटते होंगे, ये दुबई से घर वापस चला आया, क्या होगा?

लाभार्थी – मेरी मां को थोड़ा टेंशन था, लेकिन वह भगवान की कृपा से सब कुछ हो गया।

प्रधानमंत्री - उन लोगों का क्या रिएक्शन है जिनको पीएम सूर्यघर से अब मुफ्त बिजली मिल रही है, क्योंकि केरल में घर नीचे होते हैं, पेड़ बड़े होते हैं, सूर्य बहुत कम आता है, बारिश भी रहती है, तो उनको कैसा लग रहा है?

लाभार्थी – ये लगाने के बाद उन लोगों को बिल कितना 240-250 के अंदर ही आता है। 3000 वालों को अभी 250 rupees का अंदर ही आता है बिल।

प्रधानमंत्री - अभी आप हर महीने कितने का काम करते हैं? अकाउंट कितना होगा?

लाभार्थी – ये अमाउन्ट मेरे को...

प्रधानमंत्री - नहीं इनकम टैक्स वाला नहीं आएगा, डरो मत, डरो मत।

लाभार्थी – ढाई लाख मिल रहा है।

प्रधानमंत्री – ये वित्त मंत्री मेरे बगल में बैठे हैं, मैं उनको बताता हूं, वह आपके यहां इनकम टैक्स वाला नहीं आएगा।

लाभार्थी – ढाई लाख से ऊपर मिलते हैं।

लाभार्थी – सपने वो नहीं जो हम सोते वक्त देखते हैं, सपने वो होते हैं जो हमें सोने नहीं देते हैं। मुसीबतें होंगी और मुश्किलें भी आएंगी, जो संघर्ष करेगा, वही सफलता पाएगा।

लाभार्थी – I am the founder of हाउस ऑफ़ पुचका. घर पर खाना-वाना बनाते थे तो हाथों में टेस्ट अच्छा था, तो सबने सजेस्ट किया कि आप कैफे फील्ड में जाओ। फिर उसमें रिसर्च करके पता चला कि प्रॉफिट मार्जिन वगैरा भी अच्छा है, तो फूड कॉस्ट वगैरा मैनेज करेंगे, तो आप एक सक्सेसफुल बिजनेस रन कर सकते हैं।

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प्रधानमंत्री - एक यूथ, एक जनरेशन है, कुछ पढ़ाई की तो उनको लगता है कि नहीं-नहीं मैं तो कहीं नौकरी करके सेटल हो जाऊंगा, रिस्क नहीं लूंगा। आप में रिस्क टेकिंग कैपेसिटी है।

लाभार्थी – जी।

प्रधानमंत्री - तो आपके रायपुर के भी दोस्त होंगे और corporate वर्ल्ड के दोस्त होंगे, स्टूडेंट दोस्त भी होंगे। उन सब में इसकी क्या चर्चा है? क्या सवाल पूछते हैं? उनको क्या लगता है? ऐसा कर सकते हैं? करना चाहिए, उनको भी आगे आने का मन करता है?

लाभार्थी – सर मैं जैसे कि अभी मेरी ऐज 23 ईयर्स है, तो मेरे पास अभी रिस्क टेकिंग एबिलिटी भी है, और टाइम भी है, तो यही समय होता है, मैं ना यूथ को लगता है कि हमारे पास फंडिंग नहीं है, बट वह गवर्नमेंट स्कीम्स के बारे में अवेयर नहीं है, तो मैं अपनी साइड से यहीं उन्हें सजेशन देना चाहूंगी, आप थोड़ा रिसर्च करो, जैसे मुद्रा लोन भी है, वैसे पीएम ईजीपी लोन भी है, कई लोन जो आपको विदाउट mortgage मिल रहे हैं, तो अगर आप में पोटेंशियल है तो आप जब ड्रॉप करो, क्योंकि sky has no limits for you, तो आप बिजनेस करिए और जितना चाहे उतना grow कर सकते हैं।

लाभार्थी – सीढ़ियां उन्हें मुबारक हो जिन्हें छत तक जाना है, अपनी मंजिल आसमान है रास्ता हमें खुद बनाना है। I am MD, Mudasir Naqasbandi, the owner of Bake My Cake, Baramulla Kashmir. We have become job creators from job seekers with the successful business. We have provided stable jobs for 42 persons from remote areas of Baramulla.

प्रधानमंत्री - आप इतना बहुत तेजी से प्रोग्रेस कर रहे हैं, जिस बैंक ने आपको लोन दिया, लोन देने से पहले आपकी स्थिति क्या थी?

लाभार्थी – Sir, overall that was 2021 before this I was not in lacs or crores, I was just in thousands.

प्रधानमंत्री – आपके यहां भी यूपीआई का उपयोग होता है?

लाभार्थी – सर शाम को जब कैश चेक करते है तो I get very disappointed because 90% transactions UPI होती है, and we have just 10% of cash in hand.

लाभार्थी – एक्चुअली मुझे वह बहुत ज्यादा पोलाइट लगे और ऐसा लग ही नहीं कि He is the Prime Minister of our country, ऐसा लग रहा था कोई हमारे साथ का और हमें गाइड कर रहा है, So वह एक humbleness उनकी तरफ से show हुआ।

प्रधानमंत्री - सुरेश आपको यह कहां से जानकारी मिली, पहले क्या काम करते थे, परिवार में पहले से क्या काम है?

लाभार्थी – सर पहले से मैं जॉब करता था।

प्रधानमंत्री – कहां पर?

लाभार्थी – वापी में, और 2022 में फिर मुझे ख्याल आया कि जॉब से कुछ होने वाला नहीं है, तो खुद का बिजनेस स्टार्ट करू।

प्रधानमंत्री - वापी में जो आप डेली ट्रेन में जाते थे, रोजी-रोटी कमाते थे, वह ट्रेन की जो दोस्ती बड़ी गजब होती है, तो ये....

लाभार्थी – सर मैं सिलवासा में रहता हूं और जॉब में वापी में करता था, अब मेरा सिलवासा में ही है।

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प्रधानमंत्री - मैं जानता हूं सब अप-डाउन वाली गैंग हैं वो, लेकिन वह लोग अब पूछते होंगे कि तुम ये कैसे कमाने लग गए हो, क्या कर रहे हो? उनमें से किसी का मन करता है कि वह भी मुद्रा लोन ले, कहीं जाए?

लाभार्थी – हां सर अभी रिसेंटली जब मैं यहां पर आ रहा था, तो मेरा एक फ्रेंड ने भी वही मेरे को बोला कि अगर हो सके तो मुझे भी थोड़ा गाइड करना मुद्रा लोन के लिए।

प्रधानमंत्री - सबसे पहले तो मेरे घर में आप सबका आने के लिए मैं धन्यवाद करता हूं। हमारे यहां शास्त्रों में कहा जाता है कि जब मेहमान घर में आते हैं और उनके चरण रज पड़ती है तो घर पवित्र हो जाता है। तो मैं बहुत स्वागत करता हूं आपका। आप सबके भी कुछ अनुभव होंगे, किसी का कोई बहुत इमोशनल ऐसा अनुभव हो, अपना काम करते हुए। अगर किसी को कहने का मन करता है तो मैं सुनना चाहता हूं

लाभार्थी – सर सबसे पहले मैं सिर्फ आपसे इतना कहना चाहूंगी, चूंकि आप मन की बात कहते भी और सुनते भी हैं, तो आपके सामने एक बहुत छोटे शहर रायबरेली की महिला व्यापारी खड़ी है, जो इस बात का प्रमाण है कि आपके सहयोग और समर्थन से जितना फायदा MSMEs को हो रहा है, मतलब मेरे लिए बहुत ही भावनात्मक समय है यहां पर आना और हम आपसे वादा करते हैं कि हम भारत को विकसित भारत मिलकर बनाएंगे, जिस तरीके का आप सहयोग और बिल्कुल बच्चों की तरह ट्रीट कर रहे हैं आप MSMEs को, चाहे हमें लाइसेंस लेने में जो प्रॉब्लम्स आती थीं, गवर्नमेंट से वह नहीं होती हैं, या फंडिंग को लेकर...

प्रधानमंत्री - आप चुनाव लड़ना चाहती हैं?

लाभार्थी – नहीं-नहीं सर यह सिर्फ मेरी मन की बात है जो मैंने आपसे बोली है, जी-जी क्योंकि मुझे ऐसा लगा कि यह प्रॉब्लम पहले मैं फेस कर रही थी, कि लोन वगैरा जब लेने जाते थे तो मना होता था।

प्रधानमंत्री - आप यह बताइए, आप करती क्या है?

लाभार्थी – बेकरी-बेकरी

प्रधानमंत्री - बेकरी

लाभार्थी – जी-जी।

प्रधानमंत्री - अभी कितना पैसा आप कमाती हो?

लाभार्थी – सर जो महीने का मेरा टर्न ओवर हो रहा है वह ढाई से तीन लाख रुपए का हो रहा है।

प्रधानमंत्री – अच्छा, और कितने लोगों को काम देती है?

लाभार्थी – सर हमारे पास 7 से 8 लोगों का ग्रुप है।

प्रधानमंत्री – अच्छा।

लाभार्थी – जी।

लाभार्थी – सर मेरा नाम लवकुश मेहरा है, मैं भोपाल मध्य प्रदेश से हूं। चूंकि पहले मैं जॉब करता था सर, किसी के यहां नौकरी करता था तो नौकर था सर, आपने हमारी गारंटी ली है सर, मुद्रा लोन के माध्यम से और सर आज हम मालिक बन गए सर। मैंने, एक्चुअली मैं एमबीए हूँ। और फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री का मुझे बिल्कुल नॉलेज नहीं था। मैंने 2021 में अपना काम चालू किया और सर मैंने पहले बैंकों को अप्रोच किया, मुझे 5 लाख की उन्होंने सीसी लिमिट मुद्रा लोन की दी। लेकिन सर मुझे डर ये लगता था कि पहली बार इतना बड़ा लोन ले रहे हैं, पटा पाएंगे कि नहीं पटा पाएंगे। तो मैं उसमें से तीन-साढे तीन लाख ही खर्च करता था सर। आज की डेट में सर 5 लाख से साढ़े 9 लाख का मेरा मुद्रा लोन हो गया है और मेरा फर्स्ट ईयर 12 लाख का टर्नओवर था, जो कि आज के डेट में लगभग more than 50 लाख हो गया।

प्रधानमंत्री - आपके अन्य मित्र होंगे उनको लगता है कि भई जीवन का यह भी एक तरीका है

लाभार्थी – यस सर।

प्रधानमंत्री - आखिरकार मुद्रा योजना यह कोई मोदी की वाहा-वाही के लिए नहीं है, मुद्रा योजना मेरे देश के नौजवानों को अपने पैरों पर खड़े रहने की हिम्मत और उनका हौसला बुलंद होता चले, मैं रोजी-रोटी कमाने के लिए क्यों भटकूंगा, मैं 10 लोगों को रोजी-रोटी दूंगा।

लाभार्थी – जी सर

प्रधानमंत्री - यह मिजाज पैदा करना है, यह आपके अगल-बगल के लोगों के अनुभव में आता है?

लाभार्थी – यस सर। मेरा जो गांव है- बाचावानी मेरा एक गांव है भोपाल से लगभग 100 किलोमीटर। वहां कम से कम दो-तीन लोगों ने किसी ने कोई ऑनलाइन डिजिटल की शॉप खोली है, किसी ने कोई फोटो स्टूडियो के लिए उन्होंने भी एक-एक, दो-दो लाख का लोन लिया है और मैंने उनकी हेल्प भी की है सर। Even मेरे जो फ्रेंड्स है सर....

प्रधानमंत्री - क्योंकि अब आप लोगों से मेरी अपेक्षा है, आप लोगों को रोजगार तो दें, लेकिन आप लोगों को कहिए की कोई गारंटी के बिना पैसा मिल रहा है, घर में क्यों बैठे हो, जाओ भई, बैंक वालों को परेशान करो।

लाभार्थी – मैंने सिर्फ इस मुद्रा लोन की वजह से अभी रिसेंटली 6 महीने पहले 34 लाख का अपना खुद का घर लिया है।

प्रधानमंत्री – ओ हो।

लाभार्थी – इतना मैं 60-70 हजार की जॉब करता था, आज मैं per month more than 1.5 lakh खुद का कमाता हूं सर।

प्रधानमंत्री - चलिए, बहुत-बहुत बधाई आपको।

लाभार्थी – और सब आपकी वजह से Thank You So Much Sir.

प्रधानमंत्री – खुद की मेहनत काम करती है भाई।

लाभार्थी – मोदी जी का ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगा हमको कि हम प्रधानमंत्री जी से बात कर रहे हैं। ऐसे लगा की कोई हमारे घर का, परिवार का बड़ा कोई सदस्य हमसे बात कर रहा है। वो किस तरीके से यह मतलब नीचे उनकी जो मुद्रा लोन की स्कीम जो चल रही है उसमें कैसे हम लोग सफल हुए हैं, वह पूरी कहानी उन्होंने समझी। उन्होंने जिस तरह से हमको मोटिवेट किया कि आप भी उस मुद्रा लोन के और भी लोगों को अवेयर कीजिए ताकि और empower और लोग अपना व्यापार स्टार्ट कर सके।

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लाभार्थी – मैं भावनगर गुजरात से आया हूं।

प्रधानमंत्री - सबसे छोटे लगते हैं आप?

लाभार्थी – यस सर।

प्रधानमंत्री – इस सारी टोली में?

लाभार्थी – मैं फाइनल ईयर में हूं और 4 महीने....

प्रधानमंत्री - तुम पढ़ते और कमाते हो?

लाभार्थी – यस।

प्रधानमंत्री – शाबाश!

लाभार्थी – मैं आदित्य टेक लैब का फाउंडर हूं जिसमें मैं 3D प्रिंटिंग, रिवर्स इंजीनियरिंग और रैपिड प्रोटो टाइपिंग और साथ-साथ में थोड़ा रोबोटिक्स का वर्क भी करता हूं, क्योंकि मैं फाइनल ईयर mekatronix स्टूडेंट हूं, तो ऑटोमेशन और वो सब में ज्यादा रहता है। तो जैसे की मुद्रा लोन से मुझे ये, जैसे कि अभी मेरी ऐज 21 है तो उसमें स्टार्ट करने में सुना था बहुत की लोन लेने का प्रोसेस बहुत कंपलेक्स है, इस साल में नहीं मिलेगी, कौन बिलीव करेगा, अभी तो एक-दो साल जॉब का एक्सपीरियंस करो, बाद में लोन मिलेगी। तो जैसे सौराष्ट्र ग्रामीण बैंक है वहां हमारे भावनगर में तो वहां जाकर मैंने मेरा आइडिया, कि मैं क्या करना चाहता हूं, वह सब बताया, तो उन लोगों ने कहा की ठीक है, आपको मुद्रा लोन जो किशोर कैटिगरी है 50000 से 5 लाख तक उसके अंडर, तो मैंने 2 लाख की लोन ली और 4 महीने से मैं शुरू करा उसको, तो सोम से शुक्रवार तक मैं कॉलेज जाता हूं और बाद में वीकेंड्स में भावनगर रहकर मेरा वर्क पेंडिंग है वह खत्म कर देता हूं और अभी मैं महीने का 30 से 35000 कमा रहा हूं सर।

प्रधानमंत्री – अच्छा।

लाभार्थी – हां।

प्रधानमंत्री – कितने लोग काम करते हैं?

लाभार्थी – अभी मैं रीमोटली वर्क करता हूं।

प्रधानमंत्री – तुम दो दिन काम करते हो।

लाभार्थी – मैं रीमोटली वर्क करता हूं, मम्मी पापा है घर पर, वह पार्ट टाइम में मेरी हेल्प कर देते हैं। फाइनेंशियल सपोर्ट तो मिलता है मुद्रा लोन से, बट खुद में जो बिलीव करना है ना, Thank You Sir!

लाभार्थी – अभी हम मनाली में अपना बिजनेस कर रहे हैं! सबसे पहले मेरे हस्बैंड सब्जी मंडी में काम करते थे फिर शादी के बाद जब मैं उनके साथ गई तो मैंने उनको कहा कि किसी के पास काम करने से अच्छा है हम दोनों एक दुकान खोलते हैं, सर फिर हमने सब्जी की दुकान की तो सर जैसे सब्जी रखते रहे धीरे-धीरे मतलब सर लोग बोलने लगे, आटा-चावल रखो, फिर सर पंजाब नेशनल बैंक का स्टाफ हमारे पास सब्जी लेने आता था, तो मैंने ऐसे उनसे बात की कि अगर हमने पैसे लेने हो, क्या हमें मिलेंगे, तब उन्होंने पहले मना कर दिया, मतलब यह 2012-13 की बात है, फिर मैंने बोला ऐसे.....

प्रधानमंत्री - आप यह 2012-2013 कह रहो हो, कोई पत्रकार को पता चलेगा तो आपको कहेंगे कि पुरानी सरकार को गाली दे रहे हैं।

लाभार्थी – तो फिर उन्होंने, नहीं-नहीं, फिर उन्होंने बोला कि आपके पास प्रॉपर्टी वगैरह है, मैंने बोला नहीं, जैसे ही यह मुद्रा लोन का पता चला ना जब, यह स्टार्ट हुआ 2015-16 में तब जैसे मैंने उनसे कहा कि ऐसे-ऐसे, उन्होंने खुद ही बताया हमें कि एक योजना चली है, अगर आपको चाहिए तो। सर मैंने बोला हमें चाहिए, तो उन्होंने हमें कोई कागज, पत्र कुछ नहीं मांगा। उन्होंने ढाई लाख रुपये हमें फर्स्ट टाइम दिये। वह ढाई लाख रुपये मैंने दो-ढाई साल में उनको वापस दिए, उन्होंने मुझे फिर ₹500000 दिये, फिर मैंने राशन की एक शॉप खोल ली, फिर वह दोनों शॉप मुझे छोटे पड़ने लगी, सर मेरा काम बहुत बढ़ने लगा, यानी कि जो मैं दो ढाई लाख साल में कमाती थी, आज मैं 10 से 15 लाख साल में काम रही हूं।

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प्रधानमंत्री – वाह।

लाभार्थी - फिर उन्होंने, मैंने 5 लाख भी कंप्लीट कर दिया, तो उन्होंने मुझे 10 लाख दिया, सर मैंने 10 लाख भी कंप्लीट कर दिया तो ढाई साल में ऐसे ही, तो अब उन्होंने मुझे 2024 नवंबर में 15 लाख दे दिया। और सर मेरा काम बहुत ज्यादा बढ़ रहा है और मुझे अच्छा लग रहा है कि अगर हमारे प्रधानमंत्री ऐसे हैं और अगर वह हमारा साथ दे रहे हैं, तो हम भी उनका साथ ऐसे ही देंगे, हम कहीं भी ऐसे गलत नहीं होने देंगे कि हमारा भी करियर खराब हो, कि हां जी उन लोगों ने ऐसे पैसे वापस नहीं दिए। बैंक वाले अब मैं, बैंक वाले तो बोले रहे थे 20 लाख ले लो, तो मैंने बोला अब हमें नहीं चाहिए, फिर भी उन्होंने बोला 15 लाख रखो जरूरत हो निकालो तो, ब्याज बढ़ेगा, नहीं निकालोगे तो नहीं बढ़ेगा। पर सर आपकी यह स्कीम मुझे बहुत अच्छी लगी।

लाभार्थी – I came from AP. I don’t know Hindi, but I will speak in Telugu.

प्रधानमंत्री - कोई बात नहीं अब तेलुगू बोलिए।

लाभार्थी – Is it sir!! I got married in 2009 sir. I remained as a housewife until 2019.I was trained with Regional training centre of Canara bank for thirteen days for the manufacturing of Jute bags.I got 2 lakhs loan under mudra yojana through the bank.I have started my business in November 2019. Canara bank people believed in me and sanctioned Rs.2 lakhs. They did not ask for any surety, no help was needed to get the loan. I got the loan sanctioned without any surety.In 2022 because of my loan repayment history, Canara bank has sanctioned additional Rs.9.5 lakhs. Now fifteen people are working under me.

प्रधानमंत्री – यानी 2 लाख से शुरू किया, साढ़े 9 लाख तक पहुंच गए।

लाभार्थी – Yes Sir!

प्रधानमंत्री – How many people are working with you?

लाभार्थी – 15 members sir.

प्रधानमंत्री – 15.

लाभार्थी – All are housewives and all are RCT (Rural self-employment centre) trainees.I used to be one of the trainees, now I am also one of the faculty. I am very much grateful for this opportunity. Thank you Thank you Thank you very much sir.

प्रधानमंत्री – Thank you, Thank You धन्यवाद।

लाभार्थी – सर मेरा नाम पूनम कुमारी है। सर मैं बहुत ही गरीब फैमिली से हूं, बहुत गरीब फैमिली थी हमारी, इतना गरीब....

प्रधानमंत्री – आप दिल्ली पहली बार है आई?

लाभार्थी – Yes Sir.

प्रधानमंत्री – वाह।

लाभार्थी – और मैं फ्लाइट में भी पहली बार बैठी हूं सर।

प्रधानमंत्री – अच्छा।

लाभार्थी – इतनी गरीबी थी मेरे यहां कि मैं अगर एक टाइम खाती थी तो दूसरा बार सोचना पड़ता था, लेकिन सर बहुत हिम्मत जुटा चुकी मैं किसान परिवार से हूं।

प्रधानमंत्री – आप बिल्कुल स्वस्थ होकर के।

लाभार्थी – क्योंकि मैं किसान परिवार से हूं तो मुझे बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता था तो मैंने अपने हस्बैंड से बात की, कि क्यों ना हम कुछ लोन लेकर के कुछ अपना ही बिजनेस शुरू करते हैं, तो मेरे हस्बैंड ने बोला कि है हां तुम बिल्कुल अच्छे से सजेशन दे रही हो, हमें करना चाहिए, तो मेरे हस्बैंड ने दोस्त वगैरह से बात की है तो उन लोगों ने बताया की मुद्रा लोन आपके लिए बहुत अच्छा रहेगा, आप करिए। फिर मैं बैंक वालों के पास गई वहां एसबीआई बैंक (जगह का नाम अस्पष्ट) फिर वो लोगों ने बताया कि हां आप ले सकते हैं बिना किसी भी वो कागजात के। तो सर मैं वहां से मुझे 8 लाख का स्वीकृत किया गया लोन और मैं बिजनेस शुरू की सर। मैं 2024 में ही ली हूं सर और बहुत अच्छा ग्रोथ हुआ सर।

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प्रधानमंत्री – क्या काम करती हो?

लाभार्थी – सर सीड्स का.. जिसमें मेरे हस्बैंड बहुत हेल्प करते हैं मार्केट का काम अधिकतर वो करते हैं मैं एक कर्मचारी भी रखी हूं सर।

प्रधानमंत्री – अच्छा।

लाभार्थी – यस सर। और बहुत आगे बढ़ रही हूं सर मुझे विश्वास है कि मैं जल्द ही लोन को ये कंप्लीट करूंगी, मुझे पूरा विश्वास है।

प्रधानमंत्री – तो अभी एक महीने का कितना कमा सकती है?

लाभार्थी – सर 60000 तक हो जाता है।

प्रधानमंत्री – अच्छा 60000 रुपया। तो परिवार को विश्वास हो गया?

लाभार्थी – बिल्कुल सर, बिल्कुल। आज मैं आत्मनिर्भर हूं आपकी इस योजना की वजह से।

प्रधानमंत्री – चलिए बहुत बढ़िया काम किया आपने।

लाभार्थी – Thank You Sir! मुझे आपसे बात करने की बहुत इच्छा थी सर, मुझे विश्वास नहीं था कि मैं, मैं भी मोदी जी से मिलने जा रही हूं, मुझे बिलीव ही नहीं हो रहा था। जब मैं यहां आ गई दिल्ली तो मुझे अरे रियली मैं जा रही हूं। Thank You Sir, मेरे हस्बैंड भी आने के लिए थे कि तुम जा रही हो चलो गुड लक।

प्रधानमंत्री – मुझे मेरा मकसद यही है कि मेरे देश का सामान्य-सामान्य नागरिक वो इतना विश्वास से भरा हुआ हो, मुसीबतें होती हैं, हर एक को होती हैं। जिंदगी में कठिनाइयां होती हैं। लेकिन अगर मौका मिले तो कठिनाइयों को परास्त करके जीवन को आगे बढ़ाना और मुद्रा योजना ने यही काम किया है।

लाभार्थी – Yes Sir!

प्रधानमंत्री – हमारे देश में बहुत कम लोग हैं, जिनको इन चीजों की समझ है कि साइलेंटली कैसे रेवोल्यूशन हो रहा है। ये बहुत बड़ा साइलेंट रेवोल्यूशन है।

लाभार्थी – सर मैं और लोगों को भी कोशिश करती हूं मुद्रा योजना के बारे में बताऊ।

प्रधानमंत्री – औरों को समझाना चाहिए।

लाभार्थी –बिल्कुल सर।

प्रधानमंत्री – देखिए हमारे यहां जब हम छोटे थे तो सुनते थे, कि उत्तम खेती, मध्यम व्यापार और कनिष्ठ नौकरी.. ऐसा सुनते थे, नौकरी को आखिरी गिनते थे। धीरे-धीरे समाज की मनोस्थिति ऐसी बदल गई कि नौकरी सबसे पहले, पहला काम भाई कहीं मिल जाए बस सेटल हो जाए। जिंदगी की surety हो जाती है। व्यापार मध्यम ही रहा और लोग यहां तक पहुंच गए खेती तो सबसे आखिरी में। इतना ही नहीं किसान भी क्या करता है अगर उसके तीन बेटे हैं तो एक को कहते हैं भाई तू खेती संभालना दो को कहते हैं तुम जाओ भाई कहीं रोजी-रोटी कमाओ। ये अब आपको ये जो मध्यम वाला विषय है कि व्यापार को हमेशा मध्यम माना गया है। लेकिन आज भारत का युवा उसके पास जो एंटरप्रेन्योर स्किल है, अगर उसको हैंड होल्डिंग हो जाए थोड़ी उसको मदद मिल जाए, तो बहुत बड़े परिणाम लाता है और इस मुद्रा योजना में किसी सरकार के लिए भी ये आंख खोलने वाला विषय है ये। सबसे ज्यादा महिलाएं आगे आई हैं, सबसे ज्यादा लोन के लिए अप्लाई करने वाली महिलाएं, सबसे ज्यादा लोन प्राप्त करने वाली महिलाएं, और सबसे जल्दी रिपेमेंट करने वाली भी महिलाएं हैं। यानी ये एक नया क्षेत्र और विकसित भारत के लिए जो संभावना है ना वो इस शक्ति में पड़ी हुई है वो दिखाई दे रहा है और इसलिए मैं समझता हूं कि हमें एक वातावरण बनाना चाहिए, आप जैसे लोग जो सफल हुए हैं आपको पता है अब आपको किसी पॉलिटिशियन की चिट्ठी की जरूरत नहीं पड़ी होगी। किसी MLA, MP के घर पर चक्कर नहीं काटना पड़ा होगा, आपको मेरा विश्वास है किसी को एक रुपया भी देना नहीं पड़ा होगा। और बिना गारंटी को आपको पैसा मिलना और एक बार पैसा आए तो उसका सदुपयोग करना ये अपने आप में आपके जीवन में भी एक डिसिप्लिन ले आता है। वरना किसी को लगेगा यार ले लिया है चलो अब दूसरे शहर में चले जाए, कहां ढूंढता रहेगा वो बैंक वाला। ये जीवन को बनाने का एक अवसर देता है और मैं चाहता हूं कि मेरे देश के नौजवान ज्यादा से ज्यादा इस क्षेत्र में आए। आप देखिए 33 लाख करोड़ रुपया, ये देश के लोगों को बिना गारंटी दे दिए गए हैं। आप अखबार में तो पढ़ते होंगे, अमीरों की सरकार है। सभी अमीरों का टोटल लगा दोगे तो भी 33 लाख करोड़ नहीं मिला होगा उनको। मेरे देश के सामान्य मानवी को 33 लाख करोड़ रुपया आपके हाथ में दिए हैं, आप जैसे देश के होनहार युवा-युवतियों को दिए गए हैं। और इन सबने किसी ने एक को, किसी ने दो को, किसी ने 10 को, किसी ने 40-50 को रोजगार दिया है। यानी रोजगार देने का बहुत बड़ा काम ये इकोनॉमी को जनरेट करता है। उसके कारण प्रोडक्शन तो होता ही होता है, लेकिन जो सामान्य मानवी कमाता है तो उसको लगता है चलो पहले साल में एक शर्ट लेते थे अब दो ले लेंगे। बच्चों को पढ़ाने से संकोच करते थे अब चलो पढ़ाएंगे, तो ऐसी हर चीज का एक समाज जीवन में बड़ा लाभ होता है। अब इस योजना को 10 साल हो गए हैं। सामान्यतः सरकार में उसका स्वभाव क्या रहता है कि एक निर्णय करें, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करे और घोषणा करे कि हम ऐसा करेंगे। उसके बाद कुछ लोगों को बुलाकर के दिया-विया जला दें, लोग ताली बजा दें, और अखबार वालों की चिंता करते रहते हैं तो अखबार में भी हेडलाइन छप जाए, और उसके बाद कोई पूछता नहीं है। ये सरकार ऐसी है कि एक योजना का 10 साल के बाद हिसाब लगा रही है, लोगों से पूछ रहे हैं कि भाई ठीक है हम तो कह रहे हैं कि ये हुआ लेकिन आप बताइए क्या हुआ। और जैसे मैं आपसे पूछ रहा हूं आज देश भर में आने वाले दिनों में ऐसे समूहों को मेरे सब साथी पूछने वाले हैं, उनसे मिलने वाले हैं, उनसे जानकारी लेने वाले हैं। और उसके कारण अगर कोई इसमें बदलाव लाना है, कुछ सुधार करना है तो वो उस दिशा में भी हम जाने वाले हैं। लेकिन हमारी कोशिश, अब देखिए लगातार शुरू में 50000 से 5 लाख किया। सरकार का कॉन्फिडेंस देखिए कि पहले सरकार भी सोचती थी, भाई 5 लाख से ऊपर मत दो डूब जाएंगे तो क्या करेंगे, ये तो मोदी के बाल नोच लेंगे सब लोग। लेकिन मेरे देश के लोगों ने मेरे विश्वास को तोड़ा नहीं, मेरा जो मेरे देशवासियों पर भरोसा था, उसको आप लोगों ने मजबूत किया। और उसके कारण मेरी हिम्मत हुई कि 50000 से 20 लाख पर पहुंच गए। ये निर्णय छोटा नहीं है, ये निर्णय तब होता है, जब उस योजना की सफलता और लोगों पर भरोसा और इसमें दोनों चीजें दिखती हैं। आप सबको बहुत शुभकामनाएं और मेरी आपसे अपेक्षा रहेगी, कि जैसे आप 5-10 लोगों को रोजगार देते हैं, वैसे 5-10 लोगों को मुद्रा योजना लेकर के कुछ अपना काम करने के लिए प्रेरित कीजिए, उनको हिम्मत दीजिए, ताकि उनको एक विश्वास बनेगा और देश में 52 करोड़ लोन दिए गए हैं, 52 करोड़ लोग नहीं होंगे जैसे सुरेश ने बताया कि उसने पहले ढाई लाख लिया, फिर 9 लाख लिया, तो दो लोन हुआ। लेकिन 52 करोड़ लोन, यानी अपने आप में बहुत बड़ा आंकड़ा है। दुनिया के किसी देश में ये सोच भी नहीं सकते हैं और इसलिए मैं कहता हूं और हमारी युवा पीढ़ी को हम तैयार करें, कि भाई आप खुद शुरू करो बहुत कुछ फायदा होगा। मुझे याद है, जब मैं गुजरात में था तो मेरा एक कार्यक्रम होता था- गरीब कल्याण मेला। लेकिन उसमें एक स्ट्रीट प्ले जैसा करते बच्चे अब मुझे गरीब नहीं रहना है, ऐसा एक लोगों को मोटिवेट करने वाला एक ड्रामा होता था, मेरे कार्यक्रम में। और फिर कुछ लोग स्टेज पर आकर के अपना जो राशन कार्ड होते थे और वो सब सरकार में वापस जमा कराते थे और कहते थे कि हम गरीबी से बाहर आ गए हैं, अब हमें फैसिलिटी नहीं चाहिए। फिर वो भाषण करते थे, कि मैंने कैसे ये परिस्थिति पलटी। तो एक बार मैं शायद वलसाड जिले में था, एक 8-10 लोगों की टोली आई और सबने अपना गरीबी वाली जितने बेनिफिट थे वो सरकार को सरेंडर किए। फिर उन्होंने अपना एक्सपीरियंस सुनाया, तो क्या था? वो आदिवासी लोग थे और आदिवासियों में वो भगत का काम भजन मंडली बजाना और शाम को गाना यही काम करते थे, तो वहां से उनको एक दो लाख रुपए का लोन मिला, तब तो ये मुद्रा योजना वगैरह नहीं थी, मेरी सरकार वहां एक स्कीम चलाती थी। उसमें से कुछ वो इंस्ट्रूमेंट लाए बजाने के, कुछ उनकी ट्रेनिंग हुई, इसमें से उन्होंने 10-12 लोगों की एक ये बैंड बाजे बजाने वालों की एक कंपनी बना दी। और शादी-ब्याह में फिर वो बजाने के लिए जाने लगे फिर उन्होंने अपना अच्छा यूनिफॉर्म बना दिया। और धीरे-धीरे-धीरे करके वो बहुत पॉपुलर हो गए और वो सब के सब अच्छी स्थिति में आ गए। हर कोई, हर महीने 50-60 हजार रुपए कमाने लग गया। यानी छोटी चीज भी कितना बड़ा बदलाव लाती है, मैंने अपनी आंखों के सामने ऐसी कई घटनाएं देखी हैं। और उसी में से मुझे इंस्पिरेशन मिलता है, आप ही लोगों में से मुझे इंस्पिरेशन मिलता है कि भाई हां, देखिए देश में ऐसी शक्ति एक में नहीं अनेकों में होगी, चलो ऐसा कुछ करते हैं। देश के लोगों को साथ लेकर के देश को बनाया जा सकता है। उनकी आशा-आकांक्षा परिस्थितियों का अध्ययन करके किया, ये मुद्रा योजना उसी का एक रूप है। मुझे विश्वास है कि आप लोग इस सफलता को और नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे और अधिकतम लोगों को लाभ हो, और समाज ने आपको दिया है, आपने भी समाज को देना चाहिए, ऐसा नहीं होना चाहिए कि भाई चलो अब मौज करें, कुछ ना कुछ हमें भी समाज के लिए करना चाहिए, जिसके कारण मन को एक संतोष मिलेगा।

चलिए बहुत-बहुत धन्यवाद।