लोगों ने बिहार को मजबूत बनाने और परिवर्तन लाने का निर्णय कर लिया है: प्रधानमंत्री मोदी #ParivartanInBihar
मैं बिहार की विकास यात्रा में कंधा से कंधा मिलाकर चलूँगा। अगर आप एक कदम चलेंगे तो मैं सवा कदम चलूँगा: प्रधानमंत्री #ParivartanInBihar
बिहार की प्रगति ही एनडीए का एकमात्र लक्ष्य है। हम युवाओं की शिक्षा, रोजगार एवं उनके कौशल विकास में सुधार करना चाहते हैं: प्रधानमंत्री #ParivartanInBihar

भारत माता की जय

ये जो कोई ऊपर हैं, अगर आप में से कोई नीचे गिरा तो मेरा क्या होगा। मैं देख रहा था कि एयरपोर्ट से यहाँ तक पूरे रास्ते भर ऐसा ही लोगों का हुजूम जमा था  गया वालों से मेरी एक शिकायत है। शिकायत करूं, आप बुरा नहीं मानोगे न। पक्का नहीं मानोगे। मैं गया लोकसभा के चुनाव के समय भी आया था, इसी मैदान में आया था और करीब-करीब इसी समय आया था और चुनाव पीक पर थे तब आया था। मैं ख़ुद चुनाव लड़ रहा था, लोकसभा का चुनाव था, प्रधानमंत्री बनाने का निर्णय करना था लेकिन उस सभा में तो इससे आधे लोग भी नहीं आये थे और आज उससे डबल से भी ज्यादा मैं देख रहा हूँ। हवा का रुख़ मुझे पता चल रहा है। लेकिन मेरी ये शिकायत प्यार की है, नाराजगी की नहीं है। ये शिकायत आपको अभिनंदन करने के लिए है, आपको बधाई देने के लिए है। कमाल कर दिया है आज गया वालों ने। ये हमारे जीतन राम जी की कर्मभूमि है ना।     

मंच पर विराजमान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान अमित भाई शाह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्रीमान मंगल पांडेय जी, केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे वरिष्ठ साथी श्रीमान राम विलास पासवान जी, हम पार्टी के संस्थापक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमान जीतन राम मांझी जी, केन्द्रीय मंत्री एवं रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान उपेन्द्र कुशवाहा जी, बिहार विधानमंडल के नेता श्रीमान सुशील कुमार मोदी जी, बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता श्रीमान नंद किशोर यादव जी, केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्री अनंत कुमार, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव श्री भूपेन्द्र यादव जी, पूर्व मंत्री और हम सबके मार्गदर्शक श्रीमान डॉ. सी पी ठाकुर जी, केंद्र में मेरे साथी मंत्री श्रीमान राधामोहन सिंह जी, श्री रविशंकर प्रसाद जी, श्रीमान राजीव प्रताप रूडी जी, श्री गिरिराज जी, श्री राम कृपाल यादव जी, हम पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्रीमान शकुनी चौधरी जी, रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष और मेरे मित्र डॉ. अरुण जी, राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमान शाहनवाज़ हुसैन जी, मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव और विशाल संख्या में पधारे हुए गया के मेरे प्यारे भाईयों और बहनों।

चुनाव बहुत जल्द आ रहे हैं और मैं साफ देख रहा हूँ जनता ने दो फैसले कर लिये हैं। बिहार की जनता ने दो निर्णय कर लिये हैं - एक निर्णय बिहार के जीवन में, बिहार के विकास में, बिहार का भाग्य बदलने के लिए एक आधुनिक ताकतवर नया बिहार बनाने का निर्णय कर लिया है और दूसरा निर्णय बिहार की जनता ने कर लिया है, बिहार में परिवर्तन का। 25 साल से जिनको झेला है, जिनके हर ज़ुल्म को झेला है, जिनके अहंकार को झेला है, जिनकी धोखाधड़ी को झेला है, इन सबसे मुक्ति का पर्व ये चुनाव आने वाला है भाईयों। और ये चुनाव बिहार को जंगलराज से मुक्ति का पर्व बनने वाला है, ये चुनाव बिहार में अहंकारी हुकूमत से मुक्ति का पर्व बनने वाला है।

भाईयों-बहनों, 25 साल हो गए, इन्हीं लोगों ने बिहार पर राज किया है। आप मुझे बताईये, आज जैसे 25 साल बीते हैं, अगर आने वाले 5 साल भी ऐसे बीते तो नौजवान बर्बाद हो जाएगा कि नहीं हो जाएगा? आपका भविष्य तबाह हो जाएगा, आपको बिहार छोड़कर रोजी-रोटी के लिए कहीं जाना पड़ेगा, बूढ़े मां-बाप को छोड़ना पड़ेगा, क्या हम ऐसा बिहार चाहते हैं? क्या बिहार में परिवर्तन चाहिए? बिहार का भला करने वाली सरकार चाहिए? लोकतंत्र में विश्वास करने वाली सरकार चाहिए? अहंकार से मुक्त सरकार चाहिए? जंगलराज के सपनों को चूर-चूर करना चाहिए? इसलिए भाईयों-बहनों, आज मैं बिहार की जनता के पास आया हूँ। मैं आपका आशीर्वाद लेने आया हूँ। क्या करके रख दिया बिहार को? आज भी हिन्दुस्तान के सांस्कृतिक इतिहास की चर्चा कोई करेगा तो उस चर्चा की शुरुआत बिहार के भव्य भूतकाल से होती है। आज भी विश्व में अहिंसा के संदेश की कोई चर्चा करता है तो भगवान बुद्ध का स्मरण करता है तो बात बिहार से प्रारंभ होती है। सत्ता के लिए संघर्ष के बाद जनता की भलाई के लिए सत्य को छोड़ने का महाप्रयास, इसकी भी चर्चा होगी तो यही बिहार से चर्चा होती है। विज्ञान हो, संस्कृति हो, इतिहास हो, वीरता हो, पराक्रम हो, कोई ऐसा विषय नहीं है, हिन्दुस्तान जब भी उसकी चर्चा करे तो चर्चा का प्रारंभ बिहार से होता है।

ऐसी ये महान भूमि, ऐसी ये पवित्र भूमि, उसके सपनों को सत्ता के नशे में बैठे लोगों ने चूर-चूर कर दिए। आधुनिक भारत में भी बिहार ने देश को जितना दिया है, शायद ही हिन्दुस्तान का कोई राज्य इसका दावा कर सकता है जितना बिहार ने देश को दिया है। जब बिहार देश को उत्तम मानव संसाधन दे सकता है आज हिंदुस्तान का कोई राज्य ऐसा नहीं होगा जिस राज्य में बिहार का नौजवान आईएएस बनकर न बैठा हो, कोई राज्य नहीं होगा। भारत के कोने-कोने में बिहार का नौजवान जिस पद पर बैठा है उस राज्य को विकास के नई ऊंचाईयों पर ले जाने का पराक्रम करके दिखाता है। ये बिहार के नौजवानों की ताकत है, ये बिहार के लोगों की ताकत है लेकिन क्या कारण है कि बिहार आगे बढ़ नहीं पा रहा है। क्या कारण है? बिहार को किसने बर्बाद किया? बिहार के सपनों को किसने चूर-चूर किया? बिहार में जंगलराज कौन लाया? बिहार में जंगलराज लाने का और प्रयास कौन कर रहा है? क्या फिर से बिहार को उन 25 साल की बर्बादी की ओर ले जाना है क्या? फिर से उस दोज़ख में जाना है क्या? क्या बिहार बचाना है? क्या नया बिहार बनाना है? क्या बिहार को आगे ले जाना है? तो भाईयों-बहनों, हम कंधे से कंधे मिलाकर चलने के लिए तैयार हैं। अब दिल्ली बिहार के साथ है। अब दिल्ली बिहार का भाग्य बदलने के लिए आपकी सेवा में तैनात है और इसलिए भाईयों-बहनों, आज मैं आपके पास आया हूँ बिहार के जीवन को बदलने के लिए, एक अच्छी सरकार चुनने के लिए आपसे प्रार्थना करने के लिए आया हूँ। बिहार की जनता ने पिछले लोकसभा के चुनाव में मुझपर इतना प्यार बरपाया, इतना प्यार बरपाया कि मैं उस प्यार को ब्याज समेत लौटाना चाहता हूँ, विकास करके लौटाना चाहता हूँ लेकिन जो विकास के लिए प्रतिबद्ध हो, ऐसी सरकार यहाँ होना जरुरी है।

भाईयों-बहनों, गंगाजी तो बहती है लेकिन अगर हम उल्टा लोटा लेकर जाएंगे तो कोई एक बूँद भी पानी नहीं ले पाएंगे। दिल्ली से विकास की गंगा तो बह रही है लेकिन यहाँ के शासकों का अहंकार उल्टा लोटा पकड़े हुए है ताकि दिल्ली के विकास की गंगा बिहार के गाँव-गली में ना पहुंचे। पिछले दिनों जब मैं बिहार आया था, अनेक योजनाओं का शिलान्यास किया। 10-10 साल से रुकी पड़ी थी, कोई देखने को तैयार नहीं था। यही लोग दिल्ली की सरकार को चलाते थे और आज वही लोग साथ मिलकर के बिहार के लोगों को फिर से एकबार जंगलराज की ओर घसीटने के लिए, अपने निजी स्वार्थ के लिए तैयार बैठे हैं। आप मुझे बताईए, ये जो राजनीतिक लाभ लेने के लिए गठबंधन हुआ है, क्या चुनाव के बाद भी ये गठबंधन चलेगा क्या? ये जो जहर अभी पीया गया है, चुनाव के बाद जहर उगलेंगे कि नहीं उगलेंगे। ये जहर पीने वाले चुनाव के बाद जब जहर उगलेंगे तो वो जहर किसकी थाली में जाकर पड़ेगा? जनता की थाली में पड़ेगा कि नहीं पड़ेगा? जनता मरेगी कि नहीं मरेगी? जनता बर्बाद होगी कि नहीं होगी? जिन्होंने जहर पीया है, उनको जहर उगलने का मौका देना चाहिए क्या? ये जहर पीने वालों की जरुरत है क्या? जहर पिलाने वालों की जरुरत है क्या? मुझे तो पता ही नहीं चल रहा, ये बिहार में भुजंग प्रसाद कौन है और चंदन कुमार कौन है? नए भुजंग प्रसाद, नए चंदन कुमार, पता नहीं कौन किसको जहर पिला रहा है, कौन किसका जहर पी रहा है लेकिन इतना मुझे पता है कि चुनाव समाप्त होते ही ये जहर उगलना शुरू करेंगे। बिहार को बर्बाद करने में अब जंगलराज के साथ जहरीला वातावरण भी आने वाला है और इसलिए बिहार को बचाना समय की मांग है।

अब देखिए, भाजपा की सरकार क्यों बनानी चाहिए, एनडीए की सरकार क्यों बनानी चाहिए। जीतन राम मांझी, राम विलास पासवान, उपेन्द्र कुशवाहा, सुशील मोदी, ये सारे अनुभवी लोग, इनके नेतृत्व में बिहार में नई सरकार क्यों बनानी चाहिए। मैं अनुभव से बताता हूँ, हमारे देश में कई वर्षों से ये चर्चा चली, बीमारू राज्य है। बीमारू राज्य शब्द का प्रयोग चल पड़ा। आर्थिक विकास के पैमानों के आधार पर चल पड़ा और उस बीमारू राज्य में बिहार का भी नाम, उत्तरप्रदेश का भी नाम, मध्यप्रदेश का भी नाम, राजस्थान का भी नाम, ये बीमारू राज्य में गिने जाते हैं। लेकिन जब मध्यप्रदेश की जनता ने भाजपा की सरकार बनाई, अभी तो वहां 15 साल का भी सेवा करने का समय पूरा नहीं हुआ, अभी तो 10-12 साल हुए हैं लेकिन 10-12 साल के अन्दर-अन्दर मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा ने मध्यप्रदेश को बीमारू राज्य से बाहर निकाल लिया है। भाईयों-बहनों, क्या बिहार को बीमारू से बाहर निकालना है? पक्का निकालना है? मध्यप्रदेश को निकाला भाजपा ने, बिहार को कौन निकालेगा? राजस्थान को बीमारू राज्य कहा जाता था। वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी और विकास की नई ऊंचाईयों को पार किया। आज राजस्थान बीमारू राज्य से बाहर निकाल आया है तो भाईयों-बहनों, क्या बिहार बीमारू राज्य से बाहर आ सकता है? क्या हम ला सकते हैं? आप मदद करोगे? आप आशीर्वाद दोगे? मैं आपसे वादा करता हूँ कि 5 साल के भीतर-भीतर हम बिहार को बीमारू राज्य से बाहर निकाल देंगे।

दुनिया में कई देशों में मुझे जाने का सौभाग्य मिला, एशिया के कई देशों में जाने का सौभाग्य मिला और वहां पर बड़े से बड़े राजनेता को मिलना हुआ हो, वहां के उद्योगपतियों से मिलना हुआ हो, वहां के साहित्यकारों से मिलना हुआ हो, वहां के छोटे-मोटे व्यापारियों से मिलना हुआ हो, वहां के सरकारी अफसरों से मिलना हुआ हो, हर किसी ने मुझसे एक बात कही। जिन-जिन देशों में बौद्ध धर्म का प्रभाव है, बौद्ध परंपरा का प्रभाव है, उन सभी देशों के मुखिया ने कहा कि एक बार तो बोधगया जाने की इच्छा है। दुनिया का हर व्यक्ति जो बौद्ध परंपरा से जुड़ा हुआ है, कम्युनिस्ट विचारधारा के नेता भी मिले, वो भी मुझे कहते हैं कि एक बार बोधगया के दर्शन के लिए जाएंगे। जितने यात्री ताजमहल देखने के लिए आते हैं, उससे ज्यादा यात्री बोधगया में माथा टेकने के लिए तैयार हैं। मुझे बताईये, क्या हमें बोधगया को ऐसा बनाना चाहिए कि नहीं चाहिए? बोधगया से ऐसा विकास हो टूरिज्म का ऐसा क्षेत्र बने ताकि दुनियाभर में बुद्ध को मानने वाले लोगों को बोधगया आने की व्यवस्था मिले और इतनी बड़ी संख्या में अगर यात्री आएंगे तो इस इलाके में कभी गरीबी रहेगी क्या।

टूरिज्म एक ऐसा उद्योग है, टूरिज्म एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ कम से कम पूँजी से ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है। अगर एक बार बोधगया में विश्वभर के यात्रियों के आने का सिलसिला चालू हो जाए और बहुत बड़ी संख्या में हो जाए तो इस इलाके के किसी नौजवान को बेरोजगार रहने की नौबत नहीं आएगी। इतनी ताकत है उसमें और गरीब से गरीब आदमी कमाता है, ऑटो रिक्शावाला भी कमायेगा, बिस्कुट बेचने वाला भी कमायेगा, चने मुरमुरे बेचने वाला भी कमायेगा, खिलौने बेचने वाला भी कमायेगा, फूल बेचने वाला कमायेगा, अरे चाय बेचने वाला भी कमायेगा। लेकिन भाईयों-बहनों, इनकी राजनीति वोट-बैंक की राजनीति इतनी है कि उन्होंने बोधगया का विकास करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया। इतना ही नहीं, जब यहाँ पर बम धमाका हुआ तो पूरे विश्व को बहुत बड़ा सदमा पहुंचा। विश्वभर में बौद्ध परंपरा को निभाने वाले सभी देशों के लोगों को सदमा पहुंचा लेकिन वोट बैंक की राजनीति में डूबे हुए लोग, उनको इसकी कोई परवाह नहीं थी। उनके लिए ऐसी घटनाएं आती है, जाती है। भाईयों-बहनों, मुझे यह स्थिति बदलनी है।

मुझे बोधगया को पूरे एशिया में तीर्थ-क्षेत्र के रूप में परिवर्तित करना है और मुझे आगे बढ़ाना है। ये गया पितृ तर्पण का स्थल है। हिन्दुस्तान का हर युवक, हर बेटा-बेटी, जब पितृ तर्पण की बात आती है तो उसका एक सपना रहता है कि उसके पिता का तर्पण मैं गया जी में जाकर करूँ। हिंदुस्तान भर के लोगों का ये सपना है कि नहीं है? पितृ तर्पण के लिए लोग आते हैं कि नहीं आते हैं? सवा सौ करोड़ का देश, हर वर्ष करोड़ों बड़ी आयु के लोग स्वर्ग सिधारते हैं, उनके संतान पितृ गया में आ करके तर्पण करना चाहते हैं। करोड़ों लोग आने के लिए तैयार बैठे हैं लेकिन यहाँ का समाचार सुनते हैं और इसके लिए आते नहीं हैं वो पितृ भी नाराज होते हैं और यहाँ के लोगों की रोजी-रोटी का भी नुकसान होता है। मुझे बताईये, हर हिन्दुस्तानी का पितृ तर्पण का सपना पूरा हो, ये व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? यहाँ के लोगों को रोजगार मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए?

आप मुझे बताईये, विकास करने की दिशा में अगर आगे बढ़ना है। भाईयों-बहनों, लेकिन अगर जंगलराज पार्ट-2, ये अगर आ गया फिर तो सब बर्बाद हो जाएगा। कोई व्यक्ति जेल जाता है तो क्या सीख कर आता है भाई? कोई अच्छी चीज़ें सीख कर आता है क्या? बुरी-बुरी चीज़ें सीख कर के आता है ना जितनी बुराईयां हैं सब लेकर के आता है कि नहीं आता है? जंगलराज पार्ट-1 में जेल का अनुभव नहीं था, जंगलराज पार्ट-2 में अब जेल का अनुभव जुड़ गया है और इसलिए बर्बादी की संभावना ज्यादा बढ़ गई है। इसलिए पिछली बार जब मैं आया था, तब मैंने कहा था आरजेडी का सीधा-सीधा मतलब है – रोजाना जंगलराज का डर और जो लोग उनके साथ जुड़ गए हैं; आपने देखा होगा कि अभी पटना में सवेरे-सवेरे भाजपा के कार्यकर्ता को गोलियों से भून दिया गया, मौत के घाट उतार दिया गया, पटना में हुआ और इनकी नाक के नीचे हुआ। भाईयों-बहनों, ये जंगलराज की शुरुआत है कि नहीं है? और ये जो जंगलराज पार्ट-2 आ रहा है, जंगलराज और जेल का अनुभव जुड़ रहा है, जंगलराज और जहर उगलने का अवसर खड़ा किया जा रहा है तो उस समय एक तरफ रोजाना जंगलराज का डर और दूसरी तरफ जनता का दमन और उत्पीड़न। जेडीयू - जनता का दमन और उत्पीड़न, जनता – जे, दमन – डी और उत्पीड़न – यू। आप बताईये, बिहार को ऐसे लोगों के हाथ में सौंपा जा सकता है, 25 साल जिन्होंने बर्बाद किया, उनको मौका दिया जा सकता है?

भाईयों-बहनों, आपको हैरानी होगी, पूरे हिन्दुस्तान में ये लालटेन वालों ने आपको अँधेरे में रखा है। बिजली आती है? बिजली मिलती है? परीक्षा का समय हो, अगर पढ़ना है तो बिजली मिलती है क्या? अँधेरे में गुजारा करना पड़ता है? मिट्टी के तेल पर गुजारा करना पड़ता है। पिछले चुनाव में यहाँ के नेता ने आपको वादा किया था कि आपको बिजली देंगे। बिजली देने का वादा किया था, बिजली नहीं मिलेगी तो वोट नहीं मांगूंगा, ऐसा कहा था? बिजली मिली? धोखा किया? फिर से वोट मांगने आए, दूसरा धोखा किया। ये बार-बार धोखा हो रहा है। आप इनके झांसे में आ जाएंगे क्या? आज हिन्दुस्तान में प्रति व्यक्ति कम से कम बिजली की खपत कहीं पर है तो दुर्भाग्यशाली मेरे बिहार के भाई-बहन हैं। उनके भाग्य को इन्होंने अंधकारमय बना दिया है। हिन्दुस्तान में औसत प्रति व्यक्ति करीब-करीब एक हजार किलोवाट बिजली की खपत है जबकि बिहार में 150 किलोवाट भी नहीं है। कहाँ हजार और कहाँ ढेढ़ सौ, छठवां हिस्सा है आपका! इतना ही नहीं, बिहार से भी छोटा राज्य सिक्किम के लोगों की छह गुना ज्यादा खपत है। बिहार से निकला हुआ झारखंड, 10 साल के अंदर-अंदर झारखंड का नागरिक बिहार से 5 गुना ज्यादा बिजली का खपत करता है। आपको अँधेरे में रखने वाला पाप किसने किया है? 25 साल की दो सरकारों ने किया है कि नहीं किया है? 25 साल के दो मुख्यमंत्रियों ने किया है कि नहीं किया है? और इसलिए जिन्होंने आपको बर्बाद किया है, उनको दोबारा भार नहीं दिया जा सकता है।

शिक्षा के क्षेत्र में आज हिन्दुस्तान में कोई भी टीवी चैनल उठा लीजिए, आपको दो-चार बिहार के तेजस्वी नौजवान उस टीवी चैनल के माध्यम से देश को संबोधित करते नजर आएंगे। ऐसे तेजस्वी लोगों की यह भूमि है लेकिन यहाँ के नौजवानों को अवसर नहीं दिया जाता है। टेक्निकल एजुकेशन में आज बिहार का क्या हाल है। अगर हमें नौजवानों को रोजगार देना है तो उनको टेक्निकल एजुकेशन देना होगा, स्किल डेवलपमेंट कराना होगा, इंजीनियरिंग कॉलेज में शिक्षा दिलाना होगा डिग्री इंजीनियरिंग, डिप्लोमा इंजीनियरिंग करानी पड़ेगी, सर्टिफिकेट कोर्स करना पड़ेगा। बिहार के अन्दर नौजवानों को शिक्षा मिलनी चाहिए। आज मुझे दुःख के साथ कहना पड़ता है, आज बिहार का हाल क्या है शिक्षा में।

17-20 साल उम्र के 80 लाख से ज्यादा नौजवान बिहार में हैं। इन 80 लाख बच्चों के मां-बाप के सपने हैं कि उनके बच्चों को डिप्लोमा करने का मौका मिले, डिग्री करने का मौका मिले, सर्टिफिकेट कोर्स करने का मौका मिले लेकिन बिहार में ये सारा होने के बावजूद भी बिहार में इंजीनियरिंग की सीटें कितनी हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि बिहार में सिर्फ़ 25,000 सीट है। 80 लाख नौजवान पढ़ना चाहते हैं उसमें से 5-10 लाख तो इंजीनियरिंग में जाना चाहते होंगे कि नहीं लेकिन सिर्फ़ 25,000 सीट है और ये जिम्मेवारी बिहार सरकार की है। 25 साल हो गए और सिर्फ़ 25,000 सीट।

इतना बड़ा बिहार और दूसरी तरफ देखिये हिन्दुस्तान के और राज्यों का हाल। मैं बताना चाहता हूँ जो बिहार से बहुत छोटे हैं... हिमाचल प्रदेश, पूरे पटना की जितनी जनसंख्या है, पूरे हिमाचल की जनसंख्या उतनी ही है लेकिन हिमाचल प्रदेश में इंजीनियरिंग में पढने के लिए सीटों की संख्या है - 24,000। इतने छोटे हिमाचल में 24,000 और इतने बड़े बिहार में 25,000। क्या होगा यहाँ के नौजवानों का! उड़ीसा, हमारे बगल में है, पिछड़ा राज्य माना गया लेकिन उस उड़ीसा में इंजीनियरिंग की सीटें कितनी हैं, आप कल्पना नहीं कर सकते कि उड़ीसा जैसा बिहार से भी छोटा प्रदेश, वहां इंजीनियरिंग की सीटें हैं -  1 लाख 13 हजार से भी ज्यादा। इस स्थिति के लिए कौन जिम्मेवार है? पंजाब बहुत ही छोटा राज्य है और पंजाब में सीटें हैं - 1 लाख 4 हजार। पंजाब बिहार का एक-चौथाई भी नहीं है और वहां 1 लाख सीटें हैं और बिहार में 25 हजार है। कौन जिम्मेवार है? जंगलराज जिम्मेवार है कि नहीं है? ये दोबारा जंगलराज लाना है? उत्तराखंड बहुत छोटा राज्य है, पटना की जितनी जनसंख्या है, उत्तराखंड की उससे ज्यादा नहीं है, पटना से भी कम जनसंख्या और उसके बावजूद भी उत्तराखंड में इंजीनियरिंग की सीटें हैं – 40,000 से ज्यादा। अब मुझे बताईये कि बिहार के नौजवानों के साथ अन्याय है कि नहीं? बिहार के नौजवानों का भाग्य बर्बाद किया जा रहा है कि नहीं किया जा रहा है? क्या बिहार के नौजवानों को इंजीनियरिंग में पढने का हक होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? उनको ये सुविधा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? जिन्होंने यह सुविधा नहीं दी है, उन्हें जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए? उनको भगाना चाहिये कि नहीं चाहिए?

इसलिए मैं आज यह कहने आया हूँ कि अगर बिहार के नौजवानों का भाग्य बदलना है तो शिक्षा में बदलाव लाने की जरुरत है और शिक्षा में बदलाव एनडीए की सरकार ला सकती है, बिहार का भाग्य बदल सकती है। हर वर्ष, बिहार के जिन मां-बाप के पास कुछ पैसे हैं वे अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए बिहार से बाहर भेजते हैं। करीब 4-5 लाख नौजवान बिहार छोड़कर के, अपने मां-बाप को छोड़कर के, यार-दोस्तों को छोड़कर के कहीं न कहीं पढने के लिए जाते हैं और हर साल एक-एक युवक के पढने के पीछे खर्चा करीब-करीब एक लाख रूपया आता है। मुझे बताईये, चार लाख लोग बिहार से बाहर जाएं, हर वर्ष एक लाख रूपया साथ-साथ चला जाए तो बिहार का चार हजार करोड़ का नुकसान होता है कि नहीं होता है? ये बिहार का चार हजार करोड़ रूपया बचना चाहिए कि नहीं चाहिए? अगर बिहार का चार हजार करोड़ रूपया बचाना है तो बिहार के नौजवान को यहाँ पढने के लिए सुविधा मिलनी चाहिए। ये बिहार सरकार भाजपा की सरकार बनाईए, एनडीए की बनाईए और हम बना कर रहेंगे। इसलिए मैं आपसे आग्रह करने आया हूँ कि हमें विकास के लिए वोट चाहिए, बिहार को जंगलराज से मुक्त कराने के लिए वोट चाहिए, धोखेबाजी से बिहार को मुक्त कराने के लिए वोट चाहिए। मैं आपको भरोसा दिलाने आया हूँ कि मैं बिहार की विकास यात्रा में कंधा से कंधा मिलाकर चलूँगा। अगर आप एक कदम चलेंगे तो मैं सवा कदम चलूँगा, मैं ये विश्वास दिलाने आया हूँ। चुनाव के समय भारी मतदान करके परिवर्तन लाकर के रहिये, बिहार का भाग्य बदल के रहिये। 

बहुत बहुत धन्यवाद!       

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केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से बुंदेलखंड क्षेत्र में समृद्धि के नए द्वार खुलेंगे: खजुराहो, मध्य प्रदेश में पीएम
December 25, 2024
प्रधानमंत्री ने ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सौर परियोजना का उद्घाटन किया
प्रधानमंत्री ने 1153 अटल ग्राम सुशासन भवनों की नींव रखी
प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के मौके पर उनकी याद में एक डाक टिकट और सिक्का जारी किया
आज हम सभी के लिए बहुत प्रेरणादायक दिन है, आज श्रद्धेय अटल जी की जयंती है: प्रधानमंत्री
केन-बेतवा जोड़ो परियोजना बुंदेलखंड क्षेत्र में समृद्धि और खुशहाली के नए द्वार खोलेगी: प्रधानमंत्री
भारत के इतिहास में बीते दशक को जल सुरक्षा और जल संरक्षण के अभूतपूर्व दशक के रूप में याद किया जाएगा: प्रधानमंत्री
केंद्र देश-विदेश से आने वाले सभी पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाने का भी निरंतर प्रयास कर रही है: प्रधानमंत्री

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

वीरों की धरती ई बुंदेलखंड पै रैवे वारे सबई जनन खों हमाई तरफ़ से हाथ जोर कें राम राम पौचे। मध्यप्रदेश के गर्वनर श्रीमान मंगू भाई पटेल, यहां के कर्मठ मुख्यमंत्री भाई मोहन यादव जी, केंद्रीय मंत्री भाई शिवराज सिंह जी, वीरेंद्र कुमार जी, सीआर पाटिल जी, डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा जी, राजेंद्र शुक्ला जी, अन्य मंत्रीगण, सांसदगण, विधायकगण, अन्य सभी महानुभाव, पूज्य संत गण और मध्यप्रदेश के मेरे प्यारे भाईयों और बहनों।

आज पूरे विश्व में क्रिसमस की धूम है। मैं देश और दुनिया भर में उपस्थित इसाई समुदाय को क्रिसमस की ढेर सारी बधाई देता हूं। मोहन यादव जी के नेतृत्व में बनी भाजपा सरकार का एक साल पूरा हुआ है। मध्यप्रदेश के लोगों को, भाजपा के कार्यकर्ताओं को मैं बहुत बहुत बधाई देता हूं। इस एक वर्ष में एमपी में विकास को एक नई गति मिली है। आज भी यहां हजारों करोड़ रुपयों की विकास परियोजनाओं की शुरूआत हुई है। आज ऐतिहासिक केन बेतवा लिंक परियोजना का दौधन बांध का शिलान्यास भी हुआ है। ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्लांट, उसका भी लोकार्पण हुआ है और ये मध्यप्रदेश का पहला floating plant है। मैं इन परियोजनाओं के लिए एमपी के लोगों को ढेर सारी बधाई देता हूं।

साथियों,

आज हम सभी के लिए बहुत ही प्रेरणदायी दिन है। आज श्रद्धेय अटल जी की जन्म जयंती है। आज भारत रत्न अटल जी के जन्म के 100 साल हो रहे हैं। अटल जी की जयंती का ये पर्व सुशासन की सु सेवा की हमारी प्रेरणा का भी पर्व है। थोड़ी देर पहले जब मैं अटल जी की स्मृति में डाक टिक्ट और स्मारक सिक्का जारी कर रहा था, तो अनेक पुरानी बाते मन में चल रही थी। वर्षों वर्षों तक उन्होंने मुझ जैसे अनेक कार्यकर्ताओं को सिखाया है, संस्कारित किया है। देश के विकास में अटल जी का योगदान हमेशा हमारे स्मृति पटल पर अमिट रहेगा। मध्यप्रदेश में 1100 से अधिक अटल ग्राम सेवा सदन के निर्माण का काम आज से शुरू हो रहा है, इसके लिए पहली किस्त भी जारी की गई है। अटल ग्राम सेवा सदन गांवों के विकास को नई गति देंगे।

साथियों,

हमारे लिए सुशासन दिवस सिर्फ एक दिन का कार्यक्रम भर नहीं है। गुड गर्वनेंस, सुशासन, भाजपा सरकारों की पहचान है। देश की जनता ने लगातार तीसरी बार केंद्र में भाजपा की सरकार बनाई। मध्य प्रदेश में आप सभी, लगातार भाजपा को चुन रहे हैं, इसके पीछे सुशासन का भरोसा ही सबसे प्रबल है। और मैं तो जो विद्वान लोग हैं, जो लिखा पढ़ी analysis करने में माहिर हैं।, ऐसे देश के गणमान्य लोगों से आग्रह करूंगा कि जब आजादी के 75 साल हो चुके हैं तो एक बार evaluation किया जाए। एक 100-200 विकास के, जनहित के, गुड गर्वनेंस के पेरामीटर निकाले जाएं और फिर जरा हिसाब लगाएं कि कांग्रेस सरकारें जहां होती हैं वहां क्या काम होता है, क्या परिणाम होता है। जहां left वालों ने सरकार चलाई, कम्युनिस्टों ने सरकार चलाई, वहां क्या हुआ। जहां परिवारवादी पार्टियों ने सरकार चलाई, वहां क्या हुआ। जहां मिली जुली सरकारे चलीं वहां क्या हुआ और जहां जहां भाजपा को सरकार चलाने का मौका मिला, वहां क्या हुआ I

मैं दावे से कहता हूं, देश में जब जब भाजपा को जहां जहां भी सेवा करने का अवसर मिला है, हमनें पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ कर जनहित के, जनकल्याण के और विकास के कामों में सफलता पाई है। निश्चित मानदंडों पर मूल्यांकन हो जाए, देश देखेगा कि हम जनसामान्य के प्रति कितने समर्पित हैं। आजादी के दीवानों ने जो सपने देखे थे, उन सपनों को साकार करने के लिए हम दिन रात पसीना बहाते हैं। जिन्होंने देश के लिए खून बहाया, उनका रक्त बेकार न जाए हम अपने पसीने से उनके सपनों को सींच रहे हैं। और सुशासन के लिए अच्छी योजनाओं के साथ ही उन्हें अच्छी तरह लागू करना भी जरूरी है। सरकार की योजनाओं का लाभ कितना पहुंचा, ये सुशासन का पैमाना होता है। अतीत में कांग्रेस सरकारें घोषणाएं करने में माहिर हुआ करती थी। घोषणाएं करना, , फीता काटना, दीया जलाना, अखबार मे तस्वीर छपवा देना, उनका काम वहीं पूरा हो जाता था। और उसका फायदा कभी भी लोगों को नहीं मिल पाता था। प्रधानमंत्री बनने के बाद मैं प्रगति के कार्यक्रम के एनालिसिस में पुराने प्रोजेक्ट देखता हूं। मैं तो हैरान हूं 35-35, 40-40 साल पहले जिसके शिलान्यास हुए, बाद में वहां एक इंच भी काम नहीं हुआ। कांग्रेस की सरकारों की ना तो नीयत थी और ना ही उनमें योजनाओं को लागू करने की गंभीरता थी।

आज हम पीएम किसान सम्मान निधि जैसी योजना का लाभ देख रहे हैं। मध्य प्रदेश के किसानों को किसान सम्मान निधि के 12 हज़ार रुपए मिल रहे हैं। ये भी तभी संभव हुआ, जब जनधन बैंक खाते खुले। यहां एमपी में ही लाडली बहना योजना है। अगर हम बहनों के बैंक खाते ना खुलवाते, उनको आधार और मोबाइल से ना जोड़ते, तो क्या ये योजना लागू हो पाती? सस्ते राशन की योजना तो पहले से भी चलती थी, लेकिन गरीब को राशन के लिए भटकना पड़ता था। अब आज देखिए, गरीब को मुफ्त राशन मिल रहा है, पूरी पारदर्शिता से मिल रहा है। ये तभी हुआ, जब टेक्ऩॉलॉजी लाने के कारण, फर्ज़ीवाड़ा बंद हुआ। जब एक देश, एक राशन कार्ड जैसी देशव्यापी सुविधाएं लोगों को मिलीं।

साथियों,

सुशासन का मतलब ही यही है, कि अपने ही हक के लिए नागरिक को सरकार के सामने हाथ फैलाना ना पड़े, सरकारी दफ्तरों के चक्कर ना काटने पड़ें। और यही तो सैचुरेशन की, शत-प्रतिशत लाभार्थी को, शत-प्रतिशत लाभ से जोड़ने की हमारी नीति है। सुशासन का यही मंत्र, भाजपा सरकारों को दूसरों से अलग करता है। आज पूरा देश इसे देख रहा है, इसलिए बार-बार भाजपा को चुन रहा है।

साथियों,

जहां सुशासन होता है, वहां वर्तमान चुनौतियों के साथ ही, भविष्य की चुनौतियों पर भी काम किया जाता है। लेकिन दुर्भाग्य से, देश में लंबे वक्त तक कांग्रेस की सरकारें रहीं। कांग्रेस, गवर्नमेंट पर अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझती है लेकिन गवर्नेंस का उससे छत्तीस का नाता रहा है। जहां कांग्रेस, वहां गवर्नेंस हो नहीं सकती। इसका बहुत बड़ा खामियाजा दशकों तक यहां बुंदेलखंड के लोगों ने भी भुगता है। पीढ़ी दर पीढ़ी, यहां के किसानों, यहां की माताओं-बहनों ने बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष किया है। ये हालात क्यों बने? क्योंकि कांग्रेस ने कभी जल संकट के स्थाई समाधान के बारे में सोचा ही नहीं।

साथियों,

भारत के लिए नदी जल का महत्व क्या है, इसको समझने वाले पहले लोगों में और आपको भी जब बताऊं तो आश्चर्य होगा, यहां किसी को भी पूछ लीजिए, हिन्दुस्तान में किसी को पूछ लीजिए, देश आजाद होने के बाद सबसे पहले जल शक्ति, पानी का सामर्थ्य, पानी के लिए दूरदर्शी आयोजन, इसके विषय में किसने सोचा था? किसने काम किया था? यहां मेरे पत्रकार बंधू भी जवाब नहीं दे पाएंगे। क्यों, जो सच्चाई है उसको दबा कर रखा गया, उसे छिपा कर के रखा गया और एक ही व्यक्ति को क्रेडिट देने के नशे में सच्चे सेवक को भुला दिया गया। और आज मैं बताता हूं, देश आजाद होने के बाद भारत की जलशक्ति, भारक के जल संसाधन, भारत में पानी के लिए बांधों की रचना, इन सबकी दूरदृष्टि किसी एक महापुरूष को क्रेडिट जाती है, तो उस महापुरूष का नाम है बाबा साहेब आंबेडकर। भारत में जो बड़ी नदी घाटी परियोजनाएं बनीं, इन परियोजनाओं के पीछे डॉक्टर बाबा साहब आंबेडकर का ही विजन था। आज जो केंद्रीय जल आयोग है, इसके पीछे भी डॉक्टर आंबेडकर के ही प्रयास थे। लेकिन कांग्रेस ने कभी जल संरक्षण से जुड़े प्रयासों के लिए, बड़े बांधों के लिए बाबा साहेब को श्रेय नहीं दिया, किसी को पता तक चलने नहीं दिया। कांग्रेस इसके प्रति कभी भी गंभीर नहीं रही। आज सात दशक बाद भी देश के अनेक राज्यों के बीच पानी को लेकर कुछ ना कुछ विवाद है। जब पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक, कांग्रेस का ही शासन था, तब ये विवाद आसानी से सुलझ सकते थे। लेकिन कांग्रेस की नीयत खराब थी इसलिए उसने कभी भी ठोस प्रयास नहीं किए।

साथियों,

जब देश में अटल जी की सरकार बनी तो उन्होंने पानी से जुड़ी चुनौतियों को हल करने के लिए गंभीरता से काम शुरू किया था। लेकिन 2004 के बाद, उनके प्रयासों को भी जैसे ही अटल जी की सरकार गई, वो सारी योजनाए, सारे सपने, ये कांग्रेस वालों ने आते ही ठंडे बस्ते में डाल दिया। अब आज हमारी सरकार देशभर में नदियों को जोड़ने के अभियान को गति दे रही है। केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट का सपना भी अब साकार होने वाला है। केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से बुंदेलखंड क्षेत्र में समृद्धि और खुशहाली के नए द्वार खुलेंगे। छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, पन्ना, दमोह और सागर सहित मध्यप्रदेश के 10 जिलों को सिंचाई सुविधा का लाभ मिलेगा। अभी मैं मंच पर आ रहा था। मुझे यहां अलग अलग जिलों के किसानों से मिलने का मौका मिला, मैं उनकी खुशी देख रहा था। उनके चेहरों पर आनंद देख रहा था। उनको लगता था कि हमारी आने वाली पीढ़ियों का जीवन बन गया है।

साथियों,

उत्तरप्रदेश में जो बुंदेलखंड का हिस्सा है, उसके भी बांदा, महोबा, ललितपुर और झांसी जिलों को फायदा होने वाला है।

साथियों,

मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बना है, जहां नदियों को जोड़ने के महाअभियान के तहत दो परियोजनाएं शुरू हो गई है। कुछ दिन पहले ही मैं राजस्थान में था, मोहन जी ने उसका विस्तार से वर्णन किया। वहां पार्वती-कालीसिंध-चम्बल और केन-बेतवा लिंक परियोजनाओं के माध्यम से कई नदियों का जुड़ना तय हुआ है। इस समझौते का बड़ा लाभ मध्य प्रदेश को भी होने जा रहा है।

साथियों,

21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है- जल सुरक्षा। 21वीं सदी में वही देश आगे बढ़ पाएगा, वही क्षेत्र आगे बढ़ पाएगा, जिसके पास पर्याप्त जल होगा और उचित जल प्रबंधन होगा। पानी होगा तभी खेत-खलिहान खुशहाल होंगे, पानी होगा तभी उद्योग-धंधे फलेंगे फूलेंगे, और मैं तो उस गुजरात से आता हूं, जहां के ज्यादातर हिस्सों में साल में ज्यादातर समय सूखा ही पड़ता था। लेकिन मध्य प्रदेश से निकली मां नर्मदा के आशीर्वाद ने, गुजरात का भाग्य बदल दिया। एमपी के भी सूखा प्रभावित इलाकों को पानी के संकट से मुक्त करना, मैं अपना दायित्व सझता हूं। इसलिए मैंने बुंदेलखंड की बहनों से, यहां के किसानों से वादा किया था कि आपकी मुश्किलें कम करने के लिए पूरी ईमानदारी से काम करुंगा। इसी सोच के तहत, बुंदेलखंड में पानी से जुड़ी करीब 45 हज़ार करोड़ रुपए की योजना हमने बनाई थी। हमने मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की भाजपा सरकारों को निरंतर प्रोत्साहित किया। और आज केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के तहत दौधन बांध का भी शिलान्यास हो गया है। इस बांध से सैकड़ों किलोमीटर लंबी नहर निकलेगी। बांध का पानी करीब 11 लाख हेक्टेयर भूमि तक पहुंचेगा।

साथियों,

बीता दशक, भारत के इतिहास में जल-सुरक्षा और जल संरक्षण के अभूतपूर्व दशक के रूप में याद किया जाएगा। पहले की सरकारों के दौरान पानी से जुड़ी ज़िम्मेदारियां, अलग-अलग विभागों के बीच बंटी हुई थीं। हमने इसके लिए जलशक्ति मंत्रालय बनाया। पहली बार, हर घर नल से जल पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय मिशन शुरु किया गया। आज़ादी के बाद के 7 दशक में, सिर्फ 3 करोड़ ग्रामीण परिवारों के पास ही नल से जल नल कनेक्शन था। बीते 5 वर्षों में 12 करोड़ नए परिवारों तक हमने नल से जल पहुंचाया है। इस योजना पर अभी तक साढ़े 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च किया जा चुका है। जल जीवन मिशन का एक और पक्ष है जिसकी उतनी चर्चा नहीं होती। वो है, पानी की गुणवत्ता की जांच। पीने के पानी को टेस्ट करने के लिए देशभर में 2100 वॉटर क्वालिटी लैब बनाई गई हैं। पानी को टेस्ट करने के लिए गांवों में 25 लाख महिलाओं को ट्रेन किया गया है। इससे देश के हज़ारों गांव ज़हरीला पानी पीने की मजबूरी से मुक्त हो चुके हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, बच्चों को, लोगों को बीमारियों से बचाने के लिए ये कितना बड़ा काम हुआ है।

साथियों,

2014 से पहले देश में ऐसी 100 के करीब बड़ी सिंचाई परियोजनाएं थीं, जो कई दशकों से अधूरी पड़ी हुई थीं। हम हजारों करोड़ रुपए खर्च करके इन पुरानी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करवा रहे हैं। हम सिंचाई के आधुनिक तौर-तरीकों का भी उपयोग बढ़ा रहे हैं। पिछले 10 साल में करीब-करीब एक करोड़ हेक्टेयर भूमि को माइक्रो इरिगेशन की सुविधा से जोड़ा गया है। मध्य प्रदेश में भी पिछले 10 साल में करीब 5 लाख हेक्टेयर भूमि माइक्रो इरिगेशन से जुड़ी है। बूंद-बूंद पानी का सदुपयोग हो इसे लेकर लगातार काम हो रहा है। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर, हर जिले में 75 अम़ृत सरोवर बनाने का अभियान भी चलाया गया। इसके तहत देशभर में 60 हजार से ज्यादा अमृत सरोवर बनाए गए। हमने देशभर में जल शक्ति अभियान: कैच द रेन भी शुरु किया है। आज देशभर में 3 लाख से अधिक री-चार्ज वेल बन रहे हैं। और बड़ी बात ये कि इन अभियानों का नेतृत्व जनता जनार्दन खुद कर रही है, शहर हो या गांव, हर क्षेत्र के लोग इनमें बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। मध्य प्रदेश सहित देश के जिन राज्यों में भूजल स्तर सबसे कम था, वहां अटल भूजल योजना चलाई जा रही है।

साथियों,

हमारा मध्य प्रदेश, टूरिज्म के मामले में हमेशा से अव्वल रहा है। और मैं खजुराहो आया हूं और पर्यटन की चर्चा ना करुं ऐसा भला हो सकता है क्या? पर्यटन एक ऐसा सेक्टर है, जो युवाओं को रोजगार भी देता है और देश की अर्थव्यवस्था को भी ताकत देता है। अब जब भारत दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने जा रहा है, तो दुनिया में भारत को लेकर जिज्ञासा बढ़ी है। आज दुनिया भारत को जानना चाहती है, समझना चाहती है। इसका बहुत अधिक फायदा मध्य प्रदेश को होने वाला है। हाल में एक अमेरिकी अखबार में एक रिपोर्ट छपी है। हो सकता है मध्य प्रदेश के अखबारों में भी आपको नजर आई हो। अमेरिका के इस अखबार में छपी खबर में लिखा गया है कि मध्य प्रदेश को दुनिया के दस सबसे आकर्षक टूरिस्ट डेस्टिनेशन में से एक बताया गया है। दुनिया के टॉप 10 में एक मेरा मध्य प्रदेश। मुझे बताइये हर मध्य प्रदेश वासी को खुशी होगी कि नहीं होगी? आपका गौरव बढ़ेगा कि नहीं बढ़ेगा? आपका सम्मान बढ़ेगा कि नहीं बढ़ेगा? आपके यहां टूरिज्म बढ़ेगा कि नहीं बढ़ेगा? गरीब से गरीब को रोजगार मिलेगा कि नहीं मिलेगा?

साथियों,

केंद्र सरकार भी लगातार प्रयास कर रही है कि देश और विदेश के सभी पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ें, यहां आना-जाना आसान हो। विदेशी पर्यटकों के लिए हमने ई-वीज़ा जैसी योजनाएं बनाई हैं। भारत में जो हैरिटेज और वाइडलाइफ टूरिज्म है, उसको विस्तार दिया जा रहा है। यहां मध्य प्रदेश में तो इसके लिए अभूतपूर्व संभावनाएं हैं। खजुराहो के इस क्षेत्र में ही देखिए, यहां इतिहास की, आस्था की, अमूल्य धरोहरें हैं। कंदरिया महादेव, लक्ष्मण मंदिर, चौसठ योगिनी मंदिर अनेक आस्था स्थल हैं। भारत के पर्यटन का प्रचार करने के लिए हमने देशभर में जी-20 की बैठकें रखी थीं। एक बैठक यहां खजुराहो में भी हुई थी। इसके लिए, खजुराहो में एक अत्याधुनिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र भी बनाया गया।

साथियों,

केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत, मध्य प्रदेश को सैकड़ों करोड़ रुपए दिए गए हैं। ताकि यहां इको टूरिज्म सुविधाओं का, पर्यटकों के लिए नई सुविधाओं का निर्माण हो सके। आज साँची और अन्य बौद्ध स्थलों को बौद्ध सर्किट से जोड़ा जा रहा है। गांधीसागर, ओंकारेश्वर डेम, इंदिरा सागर डेम, भेड़ा घाट, बाणसागर डेम, ये इको सर्किट का हिस्सा हैं। खजुराहो, ग्वालियर, ओरछा, चंदेरी, मांडू, ऐेसे स्थलों को हेरिटेज सर्किट के रूप में कनेक्ट किया जा रहा है। पन्ना नेशनल पार्क को भी वाइल्डलाइफ सर्किट से जोड़ा गया है। बीते वर्ष तो पन्ना टाइगर रिजर्व में ही करीब ढाई लाख पर्यटक आए हैं। मुझे खुशी है कि यहां जो लिंक नहर बनाई जाएगी, उसमें पन्ना टाइगर रिजर्व के जीवों का भी ध्यान रखा गया है।

साथियों,

पर्यटन बढ़ाने के ये सारे प्रयास, स्थानीय अर्थव्यस्था को बड़ी ताकत देते हैं। जो पर्यटक आते हैं, वे भी यहां का सामान खरीदते हैं। यहां ऑटो, टैक्सी से लेकर होटल, ढाबे, होम स्टे, गेस्ट हाउस, सभी को फायदा पहुंचाता हैं। इससे किसान को भी बहुत फायदा होता है, क्योंकि दूध-दही से लेकर फल-सब्जी तक हर चीज के उन्हें अच्छे दाम मिलते हैं।

साथियों,

बीते दो दशकों में मध्य प्रदेश ने अनेक पैमानों में शानदार काम किया है। आने वाले दशकों में मध्य प्रदेश, देश की टॉप इक़ॉनॉमीज में से एक होगा। इसमें बुंदेलखंड की बहुत बड़ी भूमिका होगी। विकसित भारत के लिए विकसित मध्य प्रदेश बनाने में बुंदेलखंड का रोल अहम होगा। मैं आप सभी को भरोसा देता हूं डबल इंजन की सरकार इसके लिए ईमानदारी से प्रयास करती रहेगी। एक बार फिर, आप सभी को, ढेर सारी शुभकामनाएं। ये आज का कार्यक्रम है ना, इतना बड़ा कार्यक्रम, इस कार्यक्रम का मतलब मैं समझता हूं। इतन बड़ी संख्या में माताओं बहनों का आने का मतलब समझता हूं। क्योंकि ये पानी से जुड़ा काम है और हर जीवन से जुड़ा हुआ होता है पानी और ये आशीर्वाद देने के लिए लोग आए हैं ना, उसका मूल कारण पानी है, पानी के लिए काम कर रहे हैं और आपके आशीर्वाद से हम इन कामों को निरंतर करते रहेंगे, मेरे साथ बोलिये –

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!