नए इंडिया के मूल में व्यक्तिगत आकांक्षाएं, सामूहिक प्रयास और राष्ट्रीय प्रगति के लिए स्वामित्व की भावना है: प्रधानमंत्री मोदी
भारत अब उन क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है जहां हम शायद ही पहले मौजूद थे, चाहे वह स्टार्टअप हों या खेल आप छोटे शहरों और गांवों के उन साहसी युवाओं के बारे में सुन रहे हैं जिनके बारे में ज्यादातर लोगों को पता नहीं था: पीएम मोदी
नया भारत कुछ लोगों की नहीं बल्कि हर नागरिक की आवाज है, यह वह भारत है जहां भ्रष्टाचार एक विकल्प नहीं है चाहे कोई भी शख्स क्यों न हो, सबके लिए योग्यता ही आदर्श है: प्रधानमंत्री

श्री मेमन मैथ्यू, श्री जैकब मैथ्यू, श्री जयंत जैकब मैथ्यू, श्री प्रकाश जावड़ेकर और डॉ. शशि थरूर, मित्रो नमस्कारम,

मलयाला मनोरमा समाचार सम्मेलन-2019 को संबोधित करते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है। मैं केरल की पवित्र मिट्टी और उसकी अनोखी संस्कृति को प्रणाम करता हूँ। यह अध्यात्म और सामाजिक ज्ञानोदय की धरती है जिसने भारत को आदि शंकर, महात्मा आय्यन कली, श्री नारायण गुरु, छतंबी स्वामीगल पंडित करुप्पन, संत कुरियाकोस एलियास छावरा, संत एलफोन्स और अन्य महान विभूतियां दी। केरल व्यक्तिगत तौर पर मेरे लिए विशेष स्थान है, मुझे केरल की यात्रा करने के अनेक अवसर मिले। देश की जनता द्वारा मुझे एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी सौंपने के बाद मैंने पहला काम गुरुवयूर श्रीकृष्ण मंदिर की यात्रा करने का किया।

मित्रो,

मलयाला मनोरमा समाचार सम्मेलन में मेरे संबोधन ने काफी जिज्ञासा पैदा कर रखी है। आमतौर से ऐसा माना जाता है कि सार्वजनिक हस्तियों की प्राथमिकता ऐसे मंचों पर जाने की होती है जहां उनकी सोच किसी अन्य व्यक्ति की दुनिया से मिलती हो। क्योंकि इस तरह के लोगों के बीच जाने में काफी आराम रहता है। निश्चित रूप से मैं भी ऐसे माहौल में जाकर आनंद उठाता हूँ। साथ ही मेरा मानना है कि व्यक्ति और संगठनों के बीच निरंतर बातचीत जारी रहनी चाहिए चाहे व्यक्ति की चिंतन प्रक्रिया किसी भी प्रकार की हो।

यह जरूरी नहीं है कि हम हर बात पर सहमत हो लेकिन विभिन्न क्षेत्रों के सार्वजनिक जीवन में इतनी शिष्टता होनी चाहिए कि हम एक-दूसरे के विचारों को सोच सकें। यहाँ मैं ऐसे मंच पर हूं जहां हो सकता है कि ऐसे बहुत कम लोग मेरी तरह सोचते होंगे। लेकिन ऐसे बहुत से लोग हैं जिनकी रचनात्मक आलोचना का मैं स्वागत करता हूँ।

मित्रो,

मुझे जानकारी है कि मलयाला मनोरमा एक शताब्दी से भी अधिक समय से मलयाली दिलो दिमाग का हिस्सा रहा है। इसने अपनी खबरों के जरिए केरल के लोगों को अधिक जागरूक बनाया है। इसने भारत की आजादी के आंदोलन का समर्थन करने में एक भूमिका निभाई है। अनेक युवा खासतौर से जो प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठते हैं उन्होंने आपकी वार्षिक पुस्तक अवश्य पढ़ी होंगी ! अतः आप कई पीढ़ियों के बीच मशहूर हैं। मैं उन सभी संपादकों, रिपोर्टरों और कर्मचारियों का अभिवादन करता हूं जो इस महान यात्रा का हिस्सा रहे हैं।

मित्रो,

इस सम्मेलन के आयोजकों ने बेहद दिलचस्प विषय-वस्तु – न्यू इंडिया चुनी है। आलोचक आपसे सवाल कर सकते हैं – क्या आप भी अब मोदी जी की भाषा बोलने लगे हैं ? मुझे उम्मीद है आपने उसका जवाब तैयार कर रखा होगा ! लेकिन चूंकि आपने एक विषय वस्तु चुनी है जो मेरे दिल के काफी करीब है, इसलिए मैं आपके साथ इस अवसर को बांटना चाहता हूँ। नए भारत की भावना के बारे में मैं क्या सोचता हूँ।

मित्रो,

मैंने हमेशा कहा है – हम आगे बढ़ें या न बढ़ें, हम बदलाव चाहते हों या न चाहते हों, भारत तेजी से बदल रहा है और यह बदलाव बेहतरी के लिए हो रहा है। नए भारत की भावना के मर्म में अलग-अलग व्यक्तियों की आकांक्षाएं, सामूहिक प्रयास और राष्ट्रीय प्रगति के स्वामित्व के अधिकार की भावना है। नया भारत सहभागी लोकतंत्र, नागरिकों की सरकार और अति सक्रिय नागरिकों का नया भारत उत्तरदायी लोगों और उत्तरदायी सरकार का युग है।

विशिष्ट अतिथियों, अनेक वर्षों से एक ऐसी संस्कृति आगे बढ़ रही थी जिसमें आकांक्षा बुरा शब्द था। दरवाजों का खुलना आपके संपर्कों पर निर्भर करता था। सफलता इस बात पर निर्भर करती थी की क्या आप धन और सत्ता रखने वाले किसी समूह से ताल्लुक रखते हैं। बड़े शहर, चुने हुए बड़े संस्थान और बड़े परिवार – यही सब मायने रखता था। लाइसेंस राज और परमिट राज की आर्थिक संस्कृति व्यक्तियों की महत्वकांक्षाओं के बीच फंस गई। लेकिन आज चीजें बेहतरी के लिए बदल रही है। हम जोशीली स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी प्रणाली में नए भारत की भावना देख रहे हैं। हजारों प्रतिभाशाली युवा शानदार मंच तैयार कर रहे हैं, उद्यम के प्रति अपने जोश का प्रदर्शन कर रहे हैं। हमने खेलों के क्षेत्रों में भी यह उत्साह देखा है।

भारत अब नए कार्य क्षेत्रों में भी उत्कृष्टता हासिल कर रहा है जहाँ हम पहले शायद ही कहीं दिखाई देते थे। चाहे स्टार्ट-अप हो या खेल, इस जोश को कौन ऊर्जा प्रदान कर रहा है ? यह छोटे कस्बो और गांवों के साहसी युवा हैं जिनके बारे में अधिकांश लोगों ने सुना भी नहीं होगा। उनका प्रतिष्ठित परिवारों से ताल्लुक नहीं है अथवा न ही उनके पास बड़ा बैंक बैंलेंस है। उनके पास बहुत बड़ी मात्रा में समर्पण और आकांक्षा है। वे अपनी आकांक्षा को उत्कृष्टता में बदल रहे हैं और भारत को गौरवान्वित कर रहे हैं। मेरे लिए यह नए भारत का जोश है। यह एक ऐसा भारत है जहाँ युवक के उपनाम का कोई महत्व नहीं है, महत्व है तो केवल अपना नाम कमाने के लिए उनकी क्षमता। यह एक ऐसा भारत है जहाँ भ्रष्टाचार कभी भी एक विकल्प नहीं है, चाहे कोई भी व्यक्ति हो। केवल योग्यता ही एक प्रतिमान है।

नया भारत कुछ चुने हुए लोगों की आवाज नहीं है। यह 130 करोड़ भारतीयों में से प्रत्येक भारतीय की आवाज का भारत है और मीडिया मंचों के लिए यह जरूरी है कि वह लोगों की इस आवाज को सुनें। प्रत्येक नागरिक या तो कुछ योगदान देना चाहता है अथवा देश के लिए कुछ छोड़ना चाहता है। उदाहरण के लिए निपटान नहीं होने योग्य प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिए उठाया गया हाल का कदम है। यह न केवल नरेन्द्र मोदी का विचार अथवा प्रयास है। भारत के लोगों ने स्वयं गांधी जी की 150वीं जयंती के अवसर पर भारत को निपटान नहीं होने योग्य प्लास्टिक से मुक्त करने का बीड़ा उठाया है। यह अनोखा समय है और ऐसे किसी अवसर को नहीं होना चाहिए जिससे हमारे देश में बदलाव आता हो।

मित्रो,

सरकार के रूप में, हमने भारत की बेहतरी के लिए व्यक्तिगत महत्वकांक्षाओं और सामूहिक प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास किया। जीवन सुगम बनाना हो, चाहे मूल्यों पर नियंत्रण करना हो, पांच वर्षों में 1.25 करोड़ मकानों का निर्माण करना हो, सभी गांवों का विद्युतीकरण करना हो, प्रत्येक परिवार को जल प्रदान करना हो, स्वास्थ्य शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार करना हो, इन्हें हमारे युवाओं के लिए अच्छा माहौल बनाने की दिशा में उठाए गए सुधार के कदम हैं। जिस हद तक इस सरकार ने कार्य किया है वह चौंका देने वाला है। हम काफी तेजी से और बेमिसाल पैमाने के साथ अंतिम मील तक पहुंच चुके हैं। 36 करोड़ बैंक खाते खोले गए हैं, छोटे उद्यमियों को 20 करोड़ ऋण प्रदान किए गए हैं। 8 करोड़ से अधिक गैस कनेक्शनों ने धुंआ मुक्त रसोई दी है, सड़क निर्माण की गति दोगुनी हुई है।

यह केवल कुछ उदाहरण है। तथापि मुझे जो सबसे ज्यादा खुशी देता है और मेरे अनुसार जो नए भारत की सुगंध है यह है कि भारत के लोग किस प्रकार स्वार्थ से ऊपर उठते हैं और समाज का हित देखते हैं। क्या कारण है कि गरीब से गरीब आदमी एक लाख करोड़ रुपये से अधिक जमा करा रहा है।

जीरो बैंलेंस खाता होने के बावजूद जन धन खातों में ? क्यों हमारे मध्यम वर्ग ने अपनी गैस सब्सिडी छोड़ दी है ? क्यों हमारे वरिष्ठ नागरिकों ने एक ही अनुरोध पर रेलवे में दी जाने वाली रियायत छोड़ दी है?

हो सकता है कि यह संरक्षण के सिद्धांत के रूप में गांधीजी द्वारा एक शताब्‍दी पूर्व कही गई बात की अभिव्‍यक्ति हो। आज न केवल भारत के बदलाव को देखने की हार्दिक इच्‍छा है बल्कि इसमें अपनी भूमिका निभाने की भी इच्‍छा है। इसमें कोई आश्‍चर्य नहीं कि करदाताओं की संख्‍या बढ़ी है। लोगों ने फैसला कर लिया है कि वे भारत को आगे ले जाना चाहते हैं!

मित्रो

आप ऐसे बदलाव देख रहे होंगे जिन्‍हें पहले पूरी तरह असम्‍भव माना जाता था। हरियाणा जैसे राज्‍य में, ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता था कि सरकारी नौकरियों में पारदर्शी तरीके से नियुक्तियां की जा सकती हैं। लेकिन हरियाणा के किसी भी गांव में चले जाइए, लोग पारदर्शी तरीके से नियुक्तियां होने की चर्चा कर रहे हैं। अब लोगों को रेलवे स्‍टेशनों पर वाई-फाई की सुविधा का इस्‍तेमाल करते हुए देखा जाना आम बात है।

कौन सोच सकता था कि यह एक दिन हकीकत होगी। इससे पहले प्‍लेटफॉर्मों को माल और यात्रियों से जोड़ा जाता था। लेकिन अब, टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्‍कूल अथवा कॉलेज के बाद छात्र स्‍टेशनों पर जाते हैं, वाई-फाई इस्‍तेमाल करते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। व्‍यवस्‍था वही है, लोग भी वही हैं, जमीन पर व्‍यापक बदलाव हो रहे हैं।

मित्रो

भारत में लोगों की भावना कैसे बदली है उसे केवल दो शब्‍दों में समझा जा सकता है। पांच वर्ष पहले, लोग पूछते थे-क्‍या हम कर सकते हैं? क्‍या हम कभी गंदगी से मुक्‍त हो सकते हैं? क्या नीतिगत कमजोरियों के कारण हम भविष्य में कुछ कर पाएंगे? आज लोग कह रहे हैं – हम कर सकते हैं ! हमारा स्वच्छ भारत होगा, हम भ्रष्टाचार से मुक्त राष्ट्र होंगे। हम सुशासन को जन आंदोलन बनाएंगे। “करेंगे” शब्द, जो इससे पूर्व निराशावादी सवाल का द्योतक था अब एक युवा राष्ट्र की रचनात्मक भावना को दर्शाता है।

मित्रो,

मैं आपके साथ इस उदाहरण को साझा करना चाहता हूँ कि किस प्रकार हमारी सरकार एक नए भारत के सृजन के लिए समग्र रूप से कार्य कर रही है। आप सभी जानते हैं हमारी सरकार ने गरीबों के लिए बड़ी तेजी से 1.5 करोड़ घर बनाए हैं। पिछली सरकार की तुलना में यह बड़ा सुधार है। अनेक लोग मुझसे सवाल पूछते हैं कि योजनाएं और निधि पहले भी विद्यमान थी, तो आपने ऐसा अलग क्या किया ? उन्हें सवाल पूछने का अधिकार है।

सबसे पहले हम इस तथ्य के प्रति सचेत थे कि हम मकानों को तैयार नहीं कर रहे बल्कि घरों का निर्माण कर रहे हैं। अतः हमें केवल चार दीवारी का निर्माण करने की अवधारणा से हटने की जरूरत थी। हमारी सोच अधिक सुविधाएं देना, अधिक मूल्य देना, कम समय में और अतिरिक्त लागत के बिना आवास देना रही।

हमारी सरकार ने जिन घरों का निर्माण किया उनमें हमने बनावट के कठिन रास्ते को नहीं अपनाया। हमने स्थानीय लोगों की जरूरतों और लोगों की इच्छाओं के अनुसार घरों का निर्माण किया। सभी मूलभूत सुविधाएं देने के लिए हमने विभिन्न सरकारी योजनाओं के साथ तालमेल किया ताकि घरों को बिजली, गैस कनेक्शन, शौचलय और ऐसी सभी जरूरतें मिल सकें।

अधिक मूल्य देने के लिए हमने लोगों की जरूरतें सुनी और न केवल घरों का क्षेत्रफल बढ़ाया बल्कि निर्माण की राशि में भी वृद्धि की। हमने इस प्रक्रिया में महिलाओं सहित स्थानीय शिल्पियों और श्रमिकों को शामिल किया। कम समय में और अतिरिक्त लागत के बिना मकान सौंपने के लिए हमने इस प्रक्रिया में टेक्नॉलोजी को एक महत्वपूर्ण घटक बनाया। विभिन्न चरणों पर निर्माण की तस्वीरें ऑनलाइन अपलोड की गई जिससे प्रशासन को स्पष्ट तस्वीर मिल सके। धन के सीधे हस्तांतरण के परिणामस्वरूप बीच में कोई गड़बड़ी देखने को नहीं मिली और पूर्ण संतुष्टि हुई। अब यदि आप पीछे मुड़कर देखें तो इनमें से यदि कोई एक भी व्यवधान आया होता तो यह संभव नहीं था। अकेले न तो केवल टेक्नोलॉजी से और न ही योजनाओं के मेलमिलाप से समस्याओं का समाधान हो सकता था। समाधान तभी संभव है जब समग्र परिणाम देने के लिए सभी चीजें एक स्थान पर हों। यह हमारी सरकार की विशेषता है।

मित्रो,

नए भारत की हमारी कल्पना में न केवल देश में रहने वालों की बल्कि बाहर की भी चिंता करना है। हमारे प्रवासी भारतीय हमारा गौरव हैं, जो भारत के आर्थिक विकास में योगदान दे रहे हैं जब कभी भी विदेश में रहने वाले किसी भारतीय को समस्या का सामना करना पड़ा है, हम समाधान के लिए सबसे आगे रहे। पश्चिम एशिया के विभिन्न भागों में जब भारतीय नर्सों को पकड़ लिया गया, उन्हें स्वदेश वापस लाने में हमने कोई कसर नहीं छोड़ी। इनमें से अधिकतर नर्सें दक्षिण भारत की थी। यही भावना केरल के एक अन्य सपूत फादर टॉम को पकड़े जाने पर भी देखी गई। अनेक लोग यमन से वापस आएं।

मैं अनेक पश्चिम एशियाई देशों की यात्रा पर गया और मेरे एजेंडे में सबसे ऊपर भारतीयों के साथ समय बिताना रहा। मैं हाल ही में बहरीन की यात्रा से लौटा हूँ। बहरीन भारत का अहम मित्र है जहाँ अनेक भारतीय रहते हैं, लेकिन कोई भी भारतीय प्रधानमंत्री वहाँ नहीं गया। यह गौरव मेरे लिया बचा था। इस यात्रा की विशेषता रही की राजसी परिवार ने सहानुभूतिपूर्ण फैसला लेते हुए वहाँ सज़ा काट रहे 250 भारतीयों को माफी दे दी। इसी तरह की माफी ओमान और सऊदी अरब ने भी दी थी। इस वर्ष के शुरू में सऊदी अरब का हज़ कोटा बड़ा दिया।

मित्रो,

संयुक्त अरब अमीरात की मेरी हाल की यात्रा में, वहां रूपे कार्ड की शुरुआत की गई और जल्दी ही बहरीन के पास भी रूपे कार्ड होगा। डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के अलावा इससे खाड़ी में काम कर रहे लाखों लोगों को लाभ मिलेगा जो अपने घरों को धनराशि भेजते हैं। आज मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि खाड़ी के साथ भारत के संबंध इससे पहले इतने अच्छे कभी नहीं हुए। यह कहने की आवश्यकता नहीं कि इससे आम नागरिक को फायदा होगा।

मित्रों, आज के मीडिया में हम नए भारत का उत्साह देख रहे हैं। भारत का मीडिया सबसे अधिक भिन्न प्रकार का बढ़ता हुआ मीडिया है। समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं, टी.वी. चैनलों, वेबसाइटों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। ऐसे समय पर मैं विभिन्न अभियानों के दौरान मीडिया की रचनात्मक भूमिका को उजागर करना चाहता हूँ। चाहे वह स्वच्छ भारत अभियान हो, निपटान नहीं होने योग्य प्लास्टिक का इस्तेमाल खत्म करना हो, जल संरक्षण, फिट इंडिया अथवा कुछ अन्य हो। मीडिया ने इन अभियानों को अपना माना और इनके लिए लोगों को एकजुट किया।

मित्रों, वर्षों से भाषा एक विशेष समयसीमा और काल में लोकप्रिय विचारों के साथ आगे बढ़ने के लिए एक सशक्त माध्यम रही है। भारत दुनिया का शायद एकमात्र ऐसा देश है जहां इतनी अधिक भाषा हैं। लेकिन बांटने के लिए देश में कृत्रिम दीवारें खड़ी करने के लिए कुछ स्वार्थी तत्वों द्वारा भाषा का उपयोग किया गया। आज मेरा सुझाव है कि क्या हम भाषा की ताकत का इस्तेमाल भारत को एकजुट करने के लिए नहीं कर सकते?

क्या मीडिया विभिन्न भाषाएं बोलने वाले लोगों को नजदीक लाने के लिए सेतु की भूमिका निभा सकता है। यह उतना कठिन नहीं है जितना दिखाई देता है। हम देशभर में बोली जाने वाली 10-12 विभिन्न भाषाओं में एक शब्द प्रकाशित करने के साथ हम साधारण तरीके से इसकी शुरुआत कर सकते हैं। एक वर्ष में कोई भी व्यक्ति विभिन्न भाषाओं के 300 से ज्यादा नए शब्द सीख सकता है। एक बार जब कोई व्यक्ति एक अन्य भारतीय भाषा सीख जाता है तो वह भाषा का ताना-बाना समझने लगता है और भारतीय संस्कृति की एकता का सच्चे मायने में प्रशंसक बन जाता है। इससे ऐसे लोगों के समूहों में बढ़ोत्तरी हो सकती है जो विभिन्न भाषाएं सीखना चाहते हैं। कल्पना कीजिए कि हरियाणा में एक समूह मलयालम और कर्नाटक में एक समूह बांग्ला सीख रहा है ! पहला कदम उठाते ही सभी बड़ी दूरियां खत्म हो जाएंगी, क्या हम पहला कदम उठा सकते हैं?

मित्रो,

इस धरती पर आने वाले महान संतों, हमारे पितामाह जिन्होंने स्वाधीनता संग्राम में हिस्सा लिया, उनके बड़े सपने थे। 21वीं सदी में हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें पूरा करें और एक ऐसे भारत का निर्माण करें जिसपर उन्हें गर्व हो।

मुझे विश्वास है कि हम इसे हासिल करेंगे और आने वाले समय में मिलकर बहुत कुछ कर सकेंगे।

एक बार फिर, मलयाला मनोरमा समूह को मेरी शुभकामनाएं और मैं आप सभी को मुझे आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद देता हूँ।

धन्यवाद, बहुत-बहुत धन्यवाद।

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

Media Coverage

PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...

Prime Minister Shri Narendra Modi paid homage today to Mahatma Gandhi at his statue in the historic Promenade Gardens in Georgetown, Guyana. He recalled Bapu’s eternal values of peace and non-violence which continue to guide humanity. The statue was installed in commemoration of Gandhiji’s 100th birth anniversary in 1969.

Prime Minister also paid floral tribute at the Arya Samaj monument located close by. This monument was unveiled in 2011 in commemoration of 100 years of the Arya Samaj movement in Guyana.