Quoteनए इंडिया के मूल में व्यक्तिगत आकांक्षाएं, सामूहिक प्रयास और राष्ट्रीय प्रगति के लिए स्वामित्व की भावना है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteभारत अब उन क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है जहां हम शायद ही पहले मौजूद थे, चाहे वह स्टार्टअप हों या खेल आप छोटे शहरों और गांवों के उन साहसी युवाओं के बारे में सुन रहे हैं जिनके बारे में ज्यादातर लोगों को पता नहीं था: पीएम मोदी
Quoteनया भारत कुछ लोगों की नहीं बल्कि हर नागरिक की आवाज है, यह वह भारत है जहां भ्रष्टाचार एक विकल्प नहीं है चाहे कोई भी शख्स क्यों न हो, सबके लिए योग्यता ही आदर्श है: प्रधानमंत्री

श्री मेमन मैथ्यू, श्री जैकब मैथ्यू, श्री जयंत जैकब मैथ्यू, श्री प्रकाश जावड़ेकर और डॉ. शशि थरूर, मित्रो नमस्कारम,

मलयाला मनोरमा समाचार सम्मेलन-2019 को संबोधित करते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है। मैं केरल की पवित्र मिट्टी और उसकी अनोखी संस्कृति को प्रणाम करता हूँ। यह अध्यात्म और सामाजिक ज्ञानोदय की धरती है जिसने भारत को आदि शंकर, महात्मा आय्यन कली, श्री नारायण गुरु, छतंबी स्वामीगल पंडित करुप्पन, संत कुरियाकोस एलियास छावरा, संत एलफोन्स और अन्य महान विभूतियां दी। केरल व्यक्तिगत तौर पर मेरे लिए विशेष स्थान है, मुझे केरल की यात्रा करने के अनेक अवसर मिले। देश की जनता द्वारा मुझे एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी सौंपने के बाद मैंने पहला काम गुरुवयूर श्रीकृष्ण मंदिर की यात्रा करने का किया।

मित्रो,

मलयाला मनोरमा समाचार सम्मेलन में मेरे संबोधन ने काफी जिज्ञासा पैदा कर रखी है। आमतौर से ऐसा माना जाता है कि सार्वजनिक हस्तियों की प्राथमिकता ऐसे मंचों पर जाने की होती है जहां उनकी सोच किसी अन्य व्यक्ति की दुनिया से मिलती हो। क्योंकि इस तरह के लोगों के बीच जाने में काफी आराम रहता है। निश्चित रूप से मैं भी ऐसे माहौल में जाकर आनंद उठाता हूँ। साथ ही मेरा मानना है कि व्यक्ति और संगठनों के बीच निरंतर बातचीत जारी रहनी चाहिए चाहे व्यक्ति की चिंतन प्रक्रिया किसी भी प्रकार की हो।

यह जरूरी नहीं है कि हम हर बात पर सहमत हो लेकिन विभिन्न क्षेत्रों के सार्वजनिक जीवन में इतनी शिष्टता होनी चाहिए कि हम एक-दूसरे के विचारों को सोच सकें। यहाँ मैं ऐसे मंच पर हूं जहां हो सकता है कि ऐसे बहुत कम लोग मेरी तरह सोचते होंगे। लेकिन ऐसे बहुत से लोग हैं जिनकी रचनात्मक आलोचना का मैं स्वागत करता हूँ।

मित्रो,

मुझे जानकारी है कि मलयाला मनोरमा एक शताब्दी से भी अधिक समय से मलयाली दिलो दिमाग का हिस्सा रहा है। इसने अपनी खबरों के जरिए केरल के लोगों को अधिक जागरूक बनाया है। इसने भारत की आजादी के आंदोलन का समर्थन करने में एक भूमिका निभाई है। अनेक युवा खासतौर से जो प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठते हैं उन्होंने आपकी वार्षिक पुस्तक अवश्य पढ़ी होंगी ! अतः आप कई पीढ़ियों के बीच मशहूर हैं। मैं उन सभी संपादकों, रिपोर्टरों और कर्मचारियों का अभिवादन करता हूं जो इस महान यात्रा का हिस्सा रहे हैं।

मित्रो,

इस सम्मेलन के आयोजकों ने बेहद दिलचस्प विषय-वस्तु – न्यू इंडिया चुनी है। आलोचक आपसे सवाल कर सकते हैं – क्या आप भी अब मोदी जी की भाषा बोलने लगे हैं ? मुझे उम्मीद है आपने उसका जवाब तैयार कर रखा होगा ! लेकिन चूंकि आपने एक विषय वस्तु चुनी है जो मेरे दिल के काफी करीब है, इसलिए मैं आपके साथ इस अवसर को बांटना चाहता हूँ। नए भारत की भावना के बारे में मैं क्या सोचता हूँ।

मित्रो,

मैंने हमेशा कहा है – हम आगे बढ़ें या न बढ़ें, हम बदलाव चाहते हों या न चाहते हों, भारत तेजी से बदल रहा है और यह बदलाव बेहतरी के लिए हो रहा है। नए भारत की भावना के मर्म में अलग-अलग व्यक्तियों की आकांक्षाएं, सामूहिक प्रयास और राष्ट्रीय प्रगति के स्वामित्व के अधिकार की भावना है। नया भारत सहभागी लोकतंत्र, नागरिकों की सरकार और अति सक्रिय नागरिकों का नया भारत उत्तरदायी लोगों और उत्तरदायी सरकार का युग है।

विशिष्ट अतिथियों, अनेक वर्षों से एक ऐसी संस्कृति आगे बढ़ रही थी जिसमें आकांक्षा बुरा शब्द था। दरवाजों का खुलना आपके संपर्कों पर निर्भर करता था। सफलता इस बात पर निर्भर करती थी की क्या आप धन और सत्ता रखने वाले किसी समूह से ताल्लुक रखते हैं। बड़े शहर, चुने हुए बड़े संस्थान और बड़े परिवार – यही सब मायने रखता था। लाइसेंस राज और परमिट राज की आर्थिक संस्कृति व्यक्तियों की महत्वकांक्षाओं के बीच फंस गई। लेकिन आज चीजें बेहतरी के लिए बदल रही है। हम जोशीली स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी प्रणाली में नए भारत की भावना देख रहे हैं। हजारों प्रतिभाशाली युवा शानदार मंच तैयार कर रहे हैं, उद्यम के प्रति अपने जोश का प्रदर्शन कर रहे हैं। हमने खेलों के क्षेत्रों में भी यह उत्साह देखा है।

भारत अब नए कार्य क्षेत्रों में भी उत्कृष्टता हासिल कर रहा है जहाँ हम पहले शायद ही कहीं दिखाई देते थे। चाहे स्टार्ट-अप हो या खेल, इस जोश को कौन ऊर्जा प्रदान कर रहा है ? यह छोटे कस्बो और गांवों के साहसी युवा हैं जिनके बारे में अधिकांश लोगों ने सुना भी नहीं होगा। उनका प्रतिष्ठित परिवारों से ताल्लुक नहीं है अथवा न ही उनके पास बड़ा बैंक बैंलेंस है। उनके पास बहुत बड़ी मात्रा में समर्पण और आकांक्षा है। वे अपनी आकांक्षा को उत्कृष्टता में बदल रहे हैं और भारत को गौरवान्वित कर रहे हैं। मेरे लिए यह नए भारत का जोश है। यह एक ऐसा भारत है जहाँ युवक के उपनाम का कोई महत्व नहीं है, महत्व है तो केवल अपना नाम कमाने के लिए उनकी क्षमता। यह एक ऐसा भारत है जहाँ भ्रष्टाचार कभी भी एक विकल्प नहीं है, चाहे कोई भी व्यक्ति हो। केवल योग्यता ही एक प्रतिमान है।

नया भारत कुछ चुने हुए लोगों की आवाज नहीं है। यह 130 करोड़ भारतीयों में से प्रत्येक भारतीय की आवाज का भारत है और मीडिया मंचों के लिए यह जरूरी है कि वह लोगों की इस आवाज को सुनें। प्रत्येक नागरिक या तो कुछ योगदान देना चाहता है अथवा देश के लिए कुछ छोड़ना चाहता है। उदाहरण के लिए निपटान नहीं होने योग्य प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिए उठाया गया हाल का कदम है। यह न केवल नरेन्द्र मोदी का विचार अथवा प्रयास है। भारत के लोगों ने स्वयं गांधी जी की 150वीं जयंती के अवसर पर भारत को निपटान नहीं होने योग्य प्लास्टिक से मुक्त करने का बीड़ा उठाया है। यह अनोखा समय है और ऐसे किसी अवसर को नहीं होना चाहिए जिससे हमारे देश में बदलाव आता हो।

मित्रो,

सरकार के रूप में, हमने भारत की बेहतरी के लिए व्यक्तिगत महत्वकांक्षाओं और सामूहिक प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास किया। जीवन सुगम बनाना हो, चाहे मूल्यों पर नियंत्रण करना हो, पांच वर्षों में 1.25 करोड़ मकानों का निर्माण करना हो, सभी गांवों का विद्युतीकरण करना हो, प्रत्येक परिवार को जल प्रदान करना हो, स्वास्थ्य शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार करना हो, इन्हें हमारे युवाओं के लिए अच्छा माहौल बनाने की दिशा में उठाए गए सुधार के कदम हैं। जिस हद तक इस सरकार ने कार्य किया है वह चौंका देने वाला है। हम काफी तेजी से और बेमिसाल पैमाने के साथ अंतिम मील तक पहुंच चुके हैं। 36 करोड़ बैंक खाते खोले गए हैं, छोटे उद्यमियों को 20 करोड़ ऋण प्रदान किए गए हैं। 8 करोड़ से अधिक गैस कनेक्शनों ने धुंआ मुक्त रसोई दी है, सड़क निर्माण की गति दोगुनी हुई है।

यह केवल कुछ उदाहरण है। तथापि मुझे जो सबसे ज्यादा खुशी देता है और मेरे अनुसार जो नए भारत की सुगंध है यह है कि भारत के लोग किस प्रकार स्वार्थ से ऊपर उठते हैं और समाज का हित देखते हैं। क्या कारण है कि गरीब से गरीब आदमी एक लाख करोड़ रुपये से अधिक जमा करा रहा है।

जीरो बैंलेंस खाता होने के बावजूद जन धन खातों में ? क्यों हमारे मध्यम वर्ग ने अपनी गैस सब्सिडी छोड़ दी है ? क्यों हमारे वरिष्ठ नागरिकों ने एक ही अनुरोध पर रेलवे में दी जाने वाली रियायत छोड़ दी है?

हो सकता है कि यह संरक्षण के सिद्धांत के रूप में गांधीजी द्वारा एक शताब्‍दी पूर्व कही गई बात की अभिव्‍यक्ति हो। आज न केवल भारत के बदलाव को देखने की हार्दिक इच्‍छा है बल्कि इसमें अपनी भूमिका निभाने की भी इच्‍छा है। इसमें कोई आश्‍चर्य नहीं कि करदाताओं की संख्‍या बढ़ी है। लोगों ने फैसला कर लिया है कि वे भारत को आगे ले जाना चाहते हैं!

मित्रो

आप ऐसे बदलाव देख रहे होंगे जिन्‍हें पहले पूरी तरह असम्‍भव माना जाता था। हरियाणा जैसे राज्‍य में, ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता था कि सरकारी नौकरियों में पारदर्शी तरीके से नियुक्तियां की जा सकती हैं। लेकिन हरियाणा के किसी भी गांव में चले जाइए, लोग पारदर्शी तरीके से नियुक्तियां होने की चर्चा कर रहे हैं। अब लोगों को रेलवे स्‍टेशनों पर वाई-फाई की सुविधा का इस्‍तेमाल करते हुए देखा जाना आम बात है।

कौन सोच सकता था कि यह एक दिन हकीकत होगी। इससे पहले प्‍लेटफॉर्मों को माल और यात्रियों से जोड़ा जाता था। लेकिन अब, टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्‍कूल अथवा कॉलेज के बाद छात्र स्‍टेशनों पर जाते हैं, वाई-फाई इस्‍तेमाल करते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। व्‍यवस्‍था वही है, लोग भी वही हैं, जमीन पर व्‍यापक बदलाव हो रहे हैं।

मित्रो

भारत में लोगों की भावना कैसे बदली है उसे केवल दो शब्‍दों में समझा जा सकता है। पांच वर्ष पहले, लोग पूछते थे-क्‍या हम कर सकते हैं? क्‍या हम कभी गंदगी से मुक्‍त हो सकते हैं? क्या नीतिगत कमजोरियों के कारण हम भविष्य में कुछ कर पाएंगे? आज लोग कह रहे हैं – हम कर सकते हैं ! हमारा स्वच्छ भारत होगा, हम भ्रष्टाचार से मुक्त राष्ट्र होंगे। हम सुशासन को जन आंदोलन बनाएंगे। “करेंगे” शब्द, जो इससे पूर्व निराशावादी सवाल का द्योतक था अब एक युवा राष्ट्र की रचनात्मक भावना को दर्शाता है।

मित्रो,

मैं आपके साथ इस उदाहरण को साझा करना चाहता हूँ कि किस प्रकार हमारी सरकार एक नए भारत के सृजन के लिए समग्र रूप से कार्य कर रही है। आप सभी जानते हैं हमारी सरकार ने गरीबों के लिए बड़ी तेजी से 1.5 करोड़ घर बनाए हैं। पिछली सरकार की तुलना में यह बड़ा सुधार है। अनेक लोग मुझसे सवाल पूछते हैं कि योजनाएं और निधि पहले भी विद्यमान थी, तो आपने ऐसा अलग क्या किया ? उन्हें सवाल पूछने का अधिकार है।

सबसे पहले हम इस तथ्य के प्रति सचेत थे कि हम मकानों को तैयार नहीं कर रहे बल्कि घरों का निर्माण कर रहे हैं। अतः हमें केवल चार दीवारी का निर्माण करने की अवधारणा से हटने की जरूरत थी। हमारी सोच अधिक सुविधाएं देना, अधिक मूल्य देना, कम समय में और अतिरिक्त लागत के बिना आवास देना रही।

हमारी सरकार ने जिन घरों का निर्माण किया उनमें हमने बनावट के कठिन रास्ते को नहीं अपनाया। हमने स्थानीय लोगों की जरूरतों और लोगों की इच्छाओं के अनुसार घरों का निर्माण किया। सभी मूलभूत सुविधाएं देने के लिए हमने विभिन्न सरकारी योजनाओं के साथ तालमेल किया ताकि घरों को बिजली, गैस कनेक्शन, शौचलय और ऐसी सभी जरूरतें मिल सकें।

अधिक मूल्य देने के लिए हमने लोगों की जरूरतें सुनी और न केवल घरों का क्षेत्रफल बढ़ाया बल्कि निर्माण की राशि में भी वृद्धि की। हमने इस प्रक्रिया में महिलाओं सहित स्थानीय शिल्पियों और श्रमिकों को शामिल किया। कम समय में और अतिरिक्त लागत के बिना मकान सौंपने के लिए हमने इस प्रक्रिया में टेक्नॉलोजी को एक महत्वपूर्ण घटक बनाया। विभिन्न चरणों पर निर्माण की तस्वीरें ऑनलाइन अपलोड की गई जिससे प्रशासन को स्पष्ट तस्वीर मिल सके। धन के सीधे हस्तांतरण के परिणामस्वरूप बीच में कोई गड़बड़ी देखने को नहीं मिली और पूर्ण संतुष्टि हुई। अब यदि आप पीछे मुड़कर देखें तो इनमें से यदि कोई एक भी व्यवधान आया होता तो यह संभव नहीं था। अकेले न तो केवल टेक्नोलॉजी से और न ही योजनाओं के मेलमिलाप से समस्याओं का समाधान हो सकता था। समाधान तभी संभव है जब समग्र परिणाम देने के लिए सभी चीजें एक स्थान पर हों। यह हमारी सरकार की विशेषता है।

मित्रो,

नए भारत की हमारी कल्पना में न केवल देश में रहने वालों की बल्कि बाहर की भी चिंता करना है। हमारे प्रवासी भारतीय हमारा गौरव हैं, जो भारत के आर्थिक विकास में योगदान दे रहे हैं जब कभी भी विदेश में रहने वाले किसी भारतीय को समस्या का सामना करना पड़ा है, हम समाधान के लिए सबसे आगे रहे। पश्चिम एशिया के विभिन्न भागों में जब भारतीय नर्सों को पकड़ लिया गया, उन्हें स्वदेश वापस लाने में हमने कोई कसर नहीं छोड़ी। इनमें से अधिकतर नर्सें दक्षिण भारत की थी। यही भावना केरल के एक अन्य सपूत फादर टॉम को पकड़े जाने पर भी देखी गई। अनेक लोग यमन से वापस आएं।

मैं अनेक पश्चिम एशियाई देशों की यात्रा पर गया और मेरे एजेंडे में सबसे ऊपर भारतीयों के साथ समय बिताना रहा। मैं हाल ही में बहरीन की यात्रा से लौटा हूँ। बहरीन भारत का अहम मित्र है जहाँ अनेक भारतीय रहते हैं, लेकिन कोई भी भारतीय प्रधानमंत्री वहाँ नहीं गया। यह गौरव मेरे लिया बचा था। इस यात्रा की विशेषता रही की राजसी परिवार ने सहानुभूतिपूर्ण फैसला लेते हुए वहाँ सज़ा काट रहे 250 भारतीयों को माफी दे दी। इसी तरह की माफी ओमान और सऊदी अरब ने भी दी थी। इस वर्ष के शुरू में सऊदी अरब का हज़ कोटा बड़ा दिया।

मित्रो,

संयुक्त अरब अमीरात की मेरी हाल की यात्रा में, वहां रूपे कार्ड की शुरुआत की गई और जल्दी ही बहरीन के पास भी रूपे कार्ड होगा। डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के अलावा इससे खाड़ी में काम कर रहे लाखों लोगों को लाभ मिलेगा जो अपने घरों को धनराशि भेजते हैं। आज मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि खाड़ी के साथ भारत के संबंध इससे पहले इतने अच्छे कभी नहीं हुए। यह कहने की आवश्यकता नहीं कि इससे आम नागरिक को फायदा होगा।

मित्रों, आज के मीडिया में हम नए भारत का उत्साह देख रहे हैं। भारत का मीडिया सबसे अधिक भिन्न प्रकार का बढ़ता हुआ मीडिया है। समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं, टी.वी. चैनलों, वेबसाइटों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। ऐसे समय पर मैं विभिन्न अभियानों के दौरान मीडिया की रचनात्मक भूमिका को उजागर करना चाहता हूँ। चाहे वह स्वच्छ भारत अभियान हो, निपटान नहीं होने योग्य प्लास्टिक का इस्तेमाल खत्म करना हो, जल संरक्षण, फिट इंडिया अथवा कुछ अन्य हो। मीडिया ने इन अभियानों को अपना माना और इनके लिए लोगों को एकजुट किया।

मित्रों, वर्षों से भाषा एक विशेष समयसीमा और काल में लोकप्रिय विचारों के साथ आगे बढ़ने के लिए एक सशक्त माध्यम रही है। भारत दुनिया का शायद एकमात्र ऐसा देश है जहां इतनी अधिक भाषा हैं। लेकिन बांटने के लिए देश में कृत्रिम दीवारें खड़ी करने के लिए कुछ स्वार्थी तत्वों द्वारा भाषा का उपयोग किया गया। आज मेरा सुझाव है कि क्या हम भाषा की ताकत का इस्तेमाल भारत को एकजुट करने के लिए नहीं कर सकते?

क्या मीडिया विभिन्न भाषाएं बोलने वाले लोगों को नजदीक लाने के लिए सेतु की भूमिका निभा सकता है। यह उतना कठिन नहीं है जितना दिखाई देता है। हम देशभर में बोली जाने वाली 10-12 विभिन्न भाषाओं में एक शब्द प्रकाशित करने के साथ हम साधारण तरीके से इसकी शुरुआत कर सकते हैं। एक वर्ष में कोई भी व्यक्ति विभिन्न भाषाओं के 300 से ज्यादा नए शब्द सीख सकता है। एक बार जब कोई व्यक्ति एक अन्य भारतीय भाषा सीख जाता है तो वह भाषा का ताना-बाना समझने लगता है और भारतीय संस्कृति की एकता का सच्चे मायने में प्रशंसक बन जाता है। इससे ऐसे लोगों के समूहों में बढ़ोत्तरी हो सकती है जो विभिन्न भाषाएं सीखना चाहते हैं। कल्पना कीजिए कि हरियाणा में एक समूह मलयालम और कर्नाटक में एक समूह बांग्ला सीख रहा है ! पहला कदम उठाते ही सभी बड़ी दूरियां खत्म हो जाएंगी, क्या हम पहला कदम उठा सकते हैं?

मित्रो,

इस धरती पर आने वाले महान संतों, हमारे पितामाह जिन्होंने स्वाधीनता संग्राम में हिस्सा लिया, उनके बड़े सपने थे। 21वीं सदी में हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें पूरा करें और एक ऐसे भारत का निर्माण करें जिसपर उन्हें गर्व हो।

मुझे विश्वास है कि हम इसे हासिल करेंगे और आने वाले समय में मिलकर बहुत कुछ कर सकेंगे।

एक बार फिर, मलयाला मनोरमा समूह को मेरी शुभकामनाएं और मैं आप सभी को मुझे आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद देता हूँ।

धन्यवाद, बहुत-बहुत धन्यवाद।

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आज भारत सिर्फ Nation of Dreams नहीं, बल्कि Nation That Delivers भी है: TV9 समिट में पीएम मोदी
March 28, 2025
QuoteToday, the world's eyes are on India: PM
QuoteIndia's youth is rapidly becoming skilled and driving innovation forward: PM
Quote"India First" has become the mantra of India's foreign policy: PM
QuoteToday, India is not just participating in the world order but also contributing to shaping and securing the future: PM
QuoteIndia has given Priority to humanity over monopoly: PM
QuoteToday, India is not just a Nation of Dreams but also a Nation That Delivers: PM

श्रीमान रामेश्वर गारु जी, रामू जी, बरुन दास जी, TV9 की पूरी टीम, मैं आपके नेटवर्क के सभी दर्शकों का, यहां उपस्थित सभी महानुभावों का अभिनंदन करता हूं, इस समिट के लिए बधाई देता हूं।

TV9 नेटवर्क का विशाल रीजनल ऑडियंस है। और अब तो TV9 का एक ग्लोबल ऑडियंस भी तैयार हो रहा है। इस समिट में अनेक देशों से इंडियन डायस्पोरा के लोग विशेष तौर पर लाइव जुड़े हुए हैं। कई देशों के लोगों को मैं यहां से देख भी रहा हूं, वे लोग वहां से वेव कर रहे हैं, हो सकता है, मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूं। मैं यहां नीचे स्क्रीन पर हिंदुस्तान के अनेक शहरों में बैठे हुए सब दर्शकों को भी उतने ही उत्साह, उमंग से देख रहा हूं, मेरी तरफ से उनका भी स्वागत है।

साथियों,

आज विश्व की दृष्टि भारत पर है, हमारे देश पर है। दुनिया में आप किसी भी देश में जाएं, वहां के लोग भारत को लेकर एक नई जिज्ञासा से भरे हुए हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि जो देश 70 साल में ग्यारहवें नंबर की इकोनॉमी बना, वो महज 7-8 साल में पांचवे नंबर की इकोनॉमी बन गया? अभी IMF के नए आंकड़े सामने आए हैं। वो आंकड़े कहते हैं कि भारत, दुनिया की एकमात्र मेजर इकोनॉमी है, जिसने 10 वर्षों में अपने GDP को डबल किया है। बीते दशक में भारत ने दो लाख करोड़ डॉलर, अपनी इकोनॉमी में जोड़े हैं। GDP का डबल होना सिर्फ आंकड़ों का बदलना मात्र नहीं है। इसका impact देखिए, 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं, और ये 25 करोड़ लोग एक नियो मिडिल क्लास का हिस्सा बने हैं। ये नियो मिडिल क्लास, एक प्रकार से नई ज़िंदगी शुरु कर रहा है। ये नए सपनों के साथ आगे बढ़ रहा है, हमारी इकोनॉमी में कंट्रीब्यूट कर रहा है, और उसको वाइब्रेंट बना रहा है। आज दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी हमारे भारत में है। ये युवा, तेज़ी से स्किल्ड हो रहा है, इनोवेशन को गति दे रहा है। और इन सबके बीच, भारत की फॉरेन पॉलिसी का मंत्र बन गया है- India First, एक जमाने में भारत की पॉलिसी थी, सबसे समान रूप से दूरी बनाकर चलो, Equi-Distance की पॉलिसी, आज के भारत की पॉलिसी है, सबके समान रूप से करीब होकर चलो, Equi-Closeness की पॉलिसी। दुनिया के देश भारत की ओपिनियन को, भारत के इनोवेशन को, भारत के एफर्ट्स को, जैसा महत्व आज दे रहे हैं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। आज दुनिया की नजर भारत पर है, आज दुनिया जानना चाहती है, What India Thinks Today.

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साथियों,

भारत आज, वर्ल्ड ऑर्डर में सिर्फ पार्टिसिपेट ही नहीं कर रहा, बल्कि फ्यूचर को शेप और सेक्योर करने में योगदान दे रहा है। दुनिया ने ये कोरोना काल में अच्छे से अनुभव किया है। दुनिया को लगता था कि हर भारतीय तक वैक्सीन पहुंचने में ही, कई-कई साल लग जाएंगे। लेकिन भारत ने हर आशंका को गलत साबित किया। हमने अपनी वैक्सीन बनाई, हमने अपने नागरिकों का तेज़ी से वैक्सीनेशन कराया, और दुनिया के 150 से अधिक देशों तक दवाएं और वैक्सीन्स भी पहुंचाईं। आज दुनिया, और जब दुनिया संकट में थी, तब भारत की ये भावना दुनिया के कोने-कोने तक पहुंची कि हमारे संस्कार क्या हैं, हमारा तौर-तरीका क्या है।

साथियों,

अतीत में दुनिया ने देखा है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब भी कोई वैश्विक संगठन बना, उसमें कुछ देशों की ही मोनोपोली रही। भारत ने मोनोपोली नहीं बल्कि मानवता को सर्वोपरि रखा। भारत ने, 21वीं सदी के ग्लोबल इंस्टीट्यूशन्स के गठन का रास्ता बनाया, और हमने ये ध्यान रखा कि सबकी भागीदारी हो, सबका योगदान हो। जैसे प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती है। देश कोई भी हो, इन आपदाओं से इंफ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान होता है। आज ही म्यांमार में जो भूकंप आया है, आप टीवी पर देखें तो बहुत बड़ी-बड़ी इमारतें ध्वस्त हो रही हैं, ब्रिज टूट रहे हैं। और इसलिए भारत ने Coalition for Disaster Resilient Infrastructure - CDRI नाम से एक वैश्विक नया संगठन बनाने की पहल की। ये सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयार करने का संकल्प है। भारत का प्रयास है, प्राकृतिक आपदा से, पुल, सड़कें, बिल्डिंग्स, पावर ग्रिड, ऐसा हर इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षित रहे, सुरक्षित निर्माण हो।

साथियों,

भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए हर देश का मिलकर काम करना बहुत जरूरी है। ऐसी ही एक चुनौती है, हमारे एनर्जी रिसोर्सेस की। इसलिए पूरी दुनिया की चिंता करते हुए भारत ने International Solar Alliance (ISA) का समाधान दिया है। ताकि छोटे से छोटा देश भी सस्टेनबल एनर्जी का लाभ उठा सके। इससे क्लाइमेट पर तो पॉजिटिव असर होगा ही, ये ग्लोबल साउथ के देशों की एनर्जी नीड्स को भी सिक्योर करेगा। और आप सबको ये जानकर गर्व होगा कि भारत के इस प्रयास के साथ, आज दुनिया के सौ से अधिक देश जुड़ चुके हैं।

साथियों,

बीते कुछ समय से दुनिया, ग्लोबल ट्रेड में असंतुलन और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी challenges का सामना कर रही है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भी भारत ने दुनिया के साथ मिलकर नए प्रयास शुरु किए हैं। India–Middle East–Europe Economic Corridor (IMEC), ऐसा ही एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। ये प्रोजेक्ट, कॉमर्स और कनेक्टिविटी के माध्यम से एशिया, यूरोप और मिडिल ईस्ट को जोड़ेगा। इससे आर्थिक संभावनाएं तो बढ़ेंगी ही, दुनिया को अल्टरनेटिव ट्रेड रूट्स भी मिलेंगे। इससे ग्लोबल सप्लाई चेन भी और मजबूत होगी।

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साथियों,

ग्लोबल सिस्टम्स को, अधिक पार्टिसिपेटिव, अधिक डेमोक्रेटिक बनाने के लिए भी भारत ने अनेक कदम उठाए हैं। और यहीं, यहीं पर ही भारत मंडपम में जी-20 समिट हुई थी। उसमें अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का परमानेंट मेंबर बनाया गया है। ये बहुत बड़ा ऐतिहासिक कदम था। इसकी मांग लंबे समय से हो रही थी, जो भारत की प्रेसीडेंसी में पूरी हुई। आज ग्लोबल डिसीजन मेकिंग इंस्टीट्यूशन्स में भारत, ग्लोबल साउथ के देशों की आवाज़ बन रहा है। International Yoga Day, WHO का ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क, ऐसे कितने ही क्षेत्रों में भारत के प्रयासों ने नए वर्ल्ड ऑर्डर में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है, और ये तो अभी शुरूआत है, ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर भारत का सामर्थ्य नई ऊंचाई की तरफ बढ़ रहा है।

साथियों,

21वीं सदी के 25 साल बीत चुके हैं। इन 25 सालों में 11 साल हमारी सरकार ने देश की सेवा की है। और जब हम What India Thinks Today उससे जुड़ा सवाल उठाते हैं, तो हमें ये भी देखना होगा कि Past में क्या सवाल थे, क्या जवाब थे। इससे TV9 के विशाल दर्शक समूह को भी अंदाजा होगा कि कैसे हम, निर्भरता से आत्मनिर्भरता तक, Aspirations से Achievement तक, Desperation से Development तक पहुंचे हैं। आप याद करिए, एक दशक पहले, गांव में जब टॉयलेट का सवाल आता था, तो माताओं-बहनों के पास रात ढलने के बाद और भोर होने से पहले का ही जवाब होता था। आज उसी सवाल का जवाब स्वच्छ भारत मिशन से मिलता है। 2013 में जब कोई इलाज की बात करता था, तो महंगे इलाज की चर्चा होती थी। आज उसी सवाल का समाधान आयुष्मान भारत में नजर आता है। 2013 में किसी गरीब की रसोई की बात होती थी, तो धुएं की तस्वीर सामने आती थी। आज उसी समस्या का समाधान उज्ज्वला योजना में दिखता है। 2013 में महिलाओं से बैंक खाते के बारे में पूछा जाता था, तो वो चुप्पी साध लेती थीं। आज जनधन योजना के कारण, 30 करोड़ से ज्यादा बहनों का अपना बैंक अकाउंट है। 2013 में पीने के पानी के लिए कुएं और तालाबों तक जाने की मजबूरी थी। आज उसी मजबूरी का हल हर घर नल से जल योजना में मिल रहा है। यानि सिर्फ दशक नहीं बदला, बल्कि लोगों की ज़िंदगी बदली है। और दुनिया भी इस बात को नोट कर रही है, भारत के डेवलपमेंट मॉडल को स्वीकार रही है। आज भारत सिर्फ Nation of Dreams नहीं, बल्कि Nation That Delivers भी है।

साथियों,

जब कोई देश, अपने नागरिकों की सुविधा और समय को महत्व देता है, तब उस देश का समय भी बदलता है। यही आज हम भारत में अनुभव कर रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। पहले पासपोर्ट बनवाना कितना बड़ा काम था, ये आप जानते हैं। लंबी वेटिंग, बहुत सारे कॉम्प्लेक्स डॉक्यूमेंटेशन का प्रोसेस, अक्सर राज्यों की राजधानी में ही पासपोर्ट केंद्र होते थे, छोटे शहरों के लोगों को पासपोर्ट बनवाना होता था, तो वो एक-दो दिन कहीं ठहरने का इंतजाम करके चलते थे, अब वो हालात पूरी तरह बदल गया है, एक आंकड़े पर आप ध्यान दीजिए, पहले देश में सिर्फ 77 पासपोर्ट सेवा केंद्र थे, आज इनकी संख्या 550 से ज्यादा हो गई है। पहले पासपोर्ट बनवाने में, और मैं 2013 के पहले की बात कर रहा हूं, मैं पिछले शताब्दी की बात नहीं कर रहा हूं, पासपोर्ट बनवाने में जो वेटिंग टाइम 50 दिन तक होता था, वो अब 5-6 दिन तक सिमट गया है।

साथियों,

ऐसा ही ट्रांसफॉर्मेशन हमने बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में भी देखा है। हमारे देश में 50-60 साल पहले बैंकों का नेशनलाइजेशन किया गया, ये कहकर कि इससे लोगों को बैंकिंग सुविधा सुलभ होगी। इस दावे की सच्चाई हम जानते हैं। हालत ये थी कि लाखों गांवों में बैंकिंग की कोई सुविधा ही नहीं थी। हमने इस स्थिति को भी बदला है। ऑनलाइन बैंकिंग तो हर घर में पहुंचाई है, आज देश के हर 5 किलोमीटर के दायरे में कोई न कोई बैंकिंग टच प्वाइंट जरूर है। और हमने सिर्फ बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का ही दायरा नहीं बढ़ाया, बल्कि बैंकिंग सिस्टम को भी मजबूत किया। आज बैंकों का NPA बहुत कम हो गया है। आज बैंकों का प्रॉफिट, एक लाख 40 हज़ार करोड़ रुपए के नए रिकॉर्ड को पार कर चुका है। और इतना ही नहीं, जिन लोगों ने जनता को लूटा है, उनको भी अब लूटा हुआ धन लौटाना पड़ रहा है। जिस ED को दिन-रात गालियां दी जा रही है, ED ने 22 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक वसूले हैं। ये पैसा, कानूनी तरीके से उन पीड़ितों तक वापिस पहुंचाया जा रहा है, जिनसे ये पैसा लूटा गया था।

साथियों,

Efficiency से गवर्नमेंट Effective होती है। कम समय में ज्यादा काम हो, कम रिसोर्सेज़ में अधिक काम हो, फिजूलखर्ची ना हो, रेड टेप के बजाय रेड कार्पेट पर बल हो, जब कोई सरकार ये करती है, तो समझिए कि वो देश के संसाधनों को रिस्पेक्ट दे रही है। और पिछले 11 साल से ये हमारी सरकार की बड़ी प्राथमिकता रहा है। मैं कुछ उदाहरणों के साथ अपनी बात बताऊंगा।

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साथियों,

अतीत में हमने देखा है कि सरकारें कैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिनिस्ट्रीज में accommodate करने की कोशिश करती थीं। लेकिन हमारी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही कई मंत्रालयों का विलय कर दिया। आप सोचिए, Urban Development अलग मंत्रालय था और Housing and Urban Poverty Alleviation अलग मंत्रालय था, हमने दोनों को मर्ज करके Housing and Urban Affairs मंत्रालय बना दिया। इसी तरह, मिनिस्ट्री ऑफ ओवरसीज़ अफेयर्स अलग था, विदेश मंत्रालय अलग था, हमने इन दोनों को भी एक साथ जोड़ दिया, पहले जल संसाधन, नदी विकास मंत्रालय अलग था, और पेयजल मंत्रालय अलग था, हमने इन्हें भी जोड़कर जलशक्ति मंत्रालय बना दिया। हमने राजनीतिक मजबूरी के बजाय, देश की priorities और देश के resources को आगे रखा।

साथियों,

हमारी सरकार ने रूल्स और रेगुलेशन्स को भी कम किया, उन्हें आसान बनाया। करीब 1500 ऐसे कानून थे, जो समय के साथ अपना महत्व खो चुके थे। उनको हमारी सरकार ने खत्म किया। करीब 40 हज़ार, compliances को हटाया गया। ऐसे कदमों से दो फायदे हुए, एक तो जनता को harassment से मुक्ति मिली, और दूसरा, सरकारी मशीनरी की एनर्जी भी बची। एक और Example GST का है। 30 से ज्यादा टैक्सेज़ को मिलाकर एक टैक्स बना दिया गया है। इसको process के, documentation के हिसाब से देखें तो कितनी बड़ी बचत हुई है।

साथियों,

सरकारी खरीद में पहले कितनी फिजूलखर्ची होती थी, कितना करप्शन होता था, ये मीडिया के आप लोग आए दिन रिपोर्ट करते थे। हमने, GeM यानि गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म बनाया। अब सरकारी डिपार्टमेंट, इस प्लेटफॉर्म पर अपनी जरूरतें बताते हैं, इसी पर वेंडर बोली लगाते हैं और फिर ऑर्डर दिया जाता है। इसके कारण, भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम हुई है, और सरकार को एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की बचत भी हुई है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर- DBT की जो व्यवस्था भारत ने बनाई है, उसकी तो दुनिया में चर्चा है। DBT की वजह से टैक्स पेयर्स के 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा, गलत हाथों में जाने से बचे हैं। 10 करोड़ से ज्यादा फर्ज़ी लाभार्थी, जिनका जन्म भी नहीं हुआ था, जो सरकारी योजनाओं का फायदा ले रहे थे, ऐसे फर्जी नामों को भी हमने कागजों से हटाया है।

साथियों,

 

हमारी सरकार टैक्स की पाई-पाई का ईमानदारी से उपयोग करती है, और टैक्सपेयर का भी सम्मान करती है, सरकार ने टैक्स सिस्टम को टैक्सपेयर फ्रेंडली बनाया है। आज ITR फाइलिंग का प्रोसेस पहले से कहीं ज्यादा सरल और तेज़ है। पहले सीए की मदद के बिना, ITR फाइल करना मुश्किल होता था। आज आप कुछ ही समय के भीतर खुद ही ऑनलाइन ITR फाइल कर पा रहे हैं। और रिटर्न फाइल करने के कुछ ही दिनों में रिफंड आपके अकाउंट में भी आ जाता है। फेसलेस असेसमेंट स्कीम भी टैक्सपेयर्स को परेशानियों से बचा रही है। गवर्नेंस में efficiency से जुड़े ऐसे अनेक रिफॉर्म्स ने दुनिया को एक नया गवर्नेंस मॉडल दिया है।

साथियों,

पिछले 10-11 साल में भारत हर सेक्टर में बदला है, हर क्षेत्र में आगे बढ़ा है। और एक बड़ा बदलाव सोच का आया है। आज़ादी के बाद के अनेक दशकों तक, भारत में ऐसी सोच को बढ़ावा दिया गया, जिसमें सिर्फ विदेशी को ही बेहतर माना गया। दुकान में भी कुछ खरीदने जाओ, तो दुकानदार के पहले बोल यही होते थे – भाई साहब लीजिए ना, ये तो इंपोर्टेड है ! आज स्थिति बदल गई है। आज लोग सामने से पूछते हैं- भाई, मेड इन इंडिया है या नहीं है?

साथियों,

आज हम भारत की मैन्युफैक्चरिंग एक्सीलेंस का एक नया रूप देख रहे हैं। अभी 3-4 दिन पहले ही एक न्यूज आई है कि भारत ने अपनी पहली MRI मशीन बना ली है। अब सोचिए, इतने दशकों तक हमारे यहां स्वदेशी MRI मशीन ही नहीं थी। अब मेड इन इंडिया MRI मशीन होगी तो जांच की कीमत भी बहुत कम हो जाएगी।

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साथियों,

आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियान ने, देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को एक नई ऊर्जा दी है। पहले दुनिया भारत को ग्लोबल मार्केट कहती थी, आज वही दुनिया, भारत को एक बड़े Manufacturing Hub के रूप में देख रही है। ये सक्सेस कितनी बड़ी है, इसके उदाहरण आपको हर सेक्टर में मिलेंगे। जैसे हमारी मोबाइल फोन इंडस्ट्री है। 2014-15 में हमारा एक्सपोर्ट, वन बिलियन डॉलर तक भी नहीं था। लेकिन एक दशक में, हम ट्वेंटी बिलियन डॉलर के फिगर से भी आगे निकल चुके हैं। आज भारत ग्लोबल टेलिकॉम और नेटवर्किंग इंडस्ट्री का एक पावर सेंटर बनता जा रहा है। Automotive Sector की Success से भी आप अच्छी तरह परिचित हैं। इससे जुड़े Components के एक्सपोर्ट में भी भारत एक नई पहचान बना रहा है। पहले हम बहुत बड़ी मात्रा में मोटर-साइकल पार्ट्स इंपोर्ट करते थे। लेकिन आज भारत में बने पार्ट्स UAE और जर्मनी जैसे अनेक देशों तक पहुंच रहे हैं। सोलर एनर्जी सेक्टर ने भी सफलता के नए आयाम गढ़े हैं। हमारे सोलर सेल्स, सोलर मॉड्यूल का इंपोर्ट कम हो रहा है और एक्सपोर्ट्स 23 गुना तक बढ़ गए हैं। बीते एक दशक में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट भी 21 गुना बढ़ा है। ये सारी अचीवमेंट्स, देश की मैन्युफैक्चरिंग इकोनॉमी की ताकत को दिखाती है। ये दिखाती है कि भारत में कैसे हर सेक्टर में नई जॉब्स भी क्रिएट हो रही हैं।

साथियों,

TV9 की इस समिट में, विस्तार से चर्चा होगी, अनेक विषयों पर मंथन होगा। आज हम जो भी सोचेंगे, जिस भी विजन पर आगे बढ़ेंगे, वो हमारे आने वाले कल को, देश के भविष्य को डिजाइन करेगा। पिछली शताब्दी के इसी दशक में, भारत ने एक नई ऊर्जा के साथ आजादी के लिए नई यात्रा शुरू की थी। और हमने 1947 में आजादी हासिल करके भी दिखाई। अब इस दशक में हम विकसित भारत के लक्ष्य के लिए चल रहे हैं। और हमें 2047 तक विकसित भारत का सपना जरूर पूरा करना है। और जैसा मैंने लाल किले से कहा है, इसमें सबका प्रयास आवश्यक है। इस समिट का आयोजन कर, TV9 ने भी अपनी तरफ से एक positive initiative लिया है। एक बार फिर आप सभी को इस समिट की सफलता के लिए मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं हैं।

मैं TV9 को विशेष रूप से बधाई दूंगा, क्योंकि पहले भी मीडिया हाउस समिट करते रहे हैं, लेकिन ज्यादातर एक छोटे से फाइव स्टार होटल के कमरे में, वो समिट होती थी और बोलने वाले भी वही, सुनने वाले भी वही, कमरा भी वही। TV9 ने इस परंपरा को तोड़ा और ये जो मॉडल प्लेस किया है, 2 साल के भीतर-भीतर देख लेना, सभी मीडिया हाउस को यही करना पड़ेगा। यानी TV9 Thinks Today वो बाकियों के लिए रास्ता खोल देगा। मैं इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, आपकी पूरी टीम को, और सबसे बड़ी खुशी की बात है कि आपने इस इवेंट को एक मीडिया हाउस की भलाई के लिए नहीं, देश की भलाई के लिए आपने उसकी रचना की। 50,000 से ज्यादा नौजवानों के साथ एक मिशन मोड में बातचीत करना, उनको जोड़ना, उनको मिशन के साथ जोड़ना और उसमें से जो बच्चे सिलेक्ट होकर के आए, उनकी आगे की ट्रेनिंग की चिंता करना, ये अपने आप में बहुत अद्भुत काम है। मैं आपको बहुत बधाई देता हूं। जिन नौजवानों से मुझे यहां फोटो निकलवाने का मौका मिला है, मुझे भी खुशी हुई कि देश के होनहार लोगों के साथ, मैं अपनी फोटो निकलवा पाया। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं दोस्तों कि आपके साथ मेरी फोटो आज निकली है। और मुझे पक्का विश्वास है कि सारी युवा पीढ़ी, जो मुझे दिख रही है, 2047 में जब देश विकसित भारत बनेगा, सबसे ज्यादा बेनिफिशियरी आप लोग हैं, क्योंकि आप उम्र के उस पड़ाव पर होंगे, जब भारत विकसित होगा, आपके लिए मौज ही मौज है। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद।