उपस्थित सभी वरिष्‍ठ महानुभाव, और उज्‍बेकिस्‍तान में भारत की महान परम्‍परा, संस्‍कृति और उज्‍बेकिस्‍तान की महान संस्‍कृति और परम्‍परा के बीच आदान-प्रदान करना, एक सेतु बनाना इसका जो अविरल प्रयास चल रहा है उसके साथ जुड़े हुए आप सभी महानुभावों का मुझे आज दर्शन करने का अवसर मिला है।

यहां पर जो सांस्‍कृतिक कार्यक्रम प्रस्‍तुत किया गया है उज्‍बेक की बेटियों ने, और मैं देख रहा था कि उन्‍होंने सिर्फ practice नहीं की है, एक प्रकार से साधना की है और उत्‍तम प्रदर्शन सिर्फ उनके हाथ-पैर नहीं हिल रहे थे उनका मन-मंदिर भी जुड़ रहा था, ऐसा मैं अनुभव कर रहा था।

कल मेरी प्रधानमंत्रीजी और राष्‍ट्रपतिजी के साथ बहुत विस्‍तार से बातचीत हुई है। कल जब हम रात को खाना खा रहे थे, वहां संगीत की योजना की गई थी instrumental तो सारे western थे लेकिन बहुत अच्‍छी प्रयत्‍न करके भारतीय गीतों को प्रस्‍तुत करने का बहुत ही सफल प्रयास किया। मैंने राष्‍ट्रपति जी को बधाई दी और मुझे आश्‍चर्य हुआ कि राष्‍ट्रपति जी को राजधानी के विषय में मालूम था, कौन सा गीत बजाया जाएगा वो पहले से बताते थे, फिर उन्‍होंने मुझे गर्व से कहा - और प्रधानमंत्री जी ने भी कहा - कि हम हमारे यहां सभी गांवों में संगीत स्‍कूल का आग्रह करते हैं। कुछ मात्रा में हमने पिछले पांच साल में संगीत स्‍कूल खोले हैं और आगे भी इन स्‍कूलों को बढ़ाना चाहते हैं और यह भी बताया कि भारतीय संगीत के प्रति सभी की रूचि बहुत बढ़ रही है, और संगीत के माध्‍यम से संस्‍कार करने का हम एक प्रयास कर रहे हैं। अगर युद्ध से मुक्ति चाहिए तो संगीत व्‍यक्ति को कभी भी हिंसा की ओर जाने नहीं देता है। ये बातें कल मुझे राष्‍ट्रपति जी ने सुनकर के बहुत ही आनन्‍द आया।

व्यक्तित्‍व के विकास के लिए अनेक पहलुओं की चर्चा हुई। Personality development में इन बातों को सिखाया जाता है। लेकिन मैं मानता हूं कि Personality के development में भाषा की बहुत बड़ी ताकत है। आपको किसी और देश का व्‍यक्ति मिल जाए, और आपकी भाषा में पहला शब्‍द अगर वह बोल दें तो आप देखेगें बिना कोई पहचान, बिना कोई जानकारी आप एकदम स्‍तब्‍ध हो जाते हैं, खुल जाते हैं - ये ताकत होती है भाषा में। अगर कोई विदेशी व्‍यक्ति हम भारतीयों को मिले तो नमस्‍ते बोल देंगे ऐसा लगता है कि हमें कोई अपना मिल गया।

भाषा को जो बचाता है, भाषा को संभालता है, भाषा का जो संबोधन करता है, वह देश अपने भविष्‍य को तो ताकतवर बनाता ही है, लेकिन वह अपने भव्‍य भाल से उसका essence लगातार लेता रहता है। भाषा ऐसी खिड़की है कि उस भाषा को अगर जानें तो फिर उस भाषा में उपलब्‍ध ज्ञान के सागर में डुबकी लगाने का अवसर मिलता है, आनन्‍द मिलता है।

हमारे यहां कहते हैं “पानी रे पानी, तेरा रंग कैसा?” पानी को जिसके साथ मिलाओ उसका रंग वैसा ही हो जाता है। भाषा को भी हर पल एक नया संगी-साथी मिल जाता है। भाषा को मित्र बना कर देखिए। भाषा उस हवा के झोंके जैसा होता है जो जिस बगीचे से गुजरे जिन फूलों को स्पर्श करके वो हवा चले, तो हमें उसी की महक आती है।

भाषा जहां-जहां से गुजरती है वहां की महक अपने साथ ले चलती है। जिस युग से गुजरती है, उस युग की महक लेकर जाती है, जिस इलाके से गुजरती है उस इलाके की महक साथ ले जाती है। जिस परपंरा से गुजरती है परंपरा की महक साथ ले जाती है और हर महक एक प्रकार से जीवन के ऐसे बगीचे को सुंगधित कर देती है यह भाषा, जहां पर हर प्रकार की महक हम महसूस करते हैं।

भाषा का आर्थिक स्थिति के साथ सीधा-सीधा नाता है। जिनकी आर्थिक समृद्धि होती है, उनकी भाषा के पंख बड़े तेज उड़ते हैं। दुनिया के सारे लोग उस भाषा को जानना चाहते हैं, समझना चाहते हैं क्‍योंकि आर्थिक व्यापार के लिए सुविधा होती है। आर्थिक अनुष्‍ठान बन जाती है भाषा, और मैं देखता हूं कि आने वाले दिनों में हिन्दुस्तान की भाषाओं का महत्‍व बढ़ने वाला है क्‍योंकि भारत आर्थिक उन्‍नति पर जैसे-जैसे जाएगा दुनिया उससे जुड़ना चाहेगी।

भाषा अगर एक वस्तु होती, एक इकाई होती - और अगर मानो उसको डीएनए test किया जाता तो मैं यह मानता हूं कि ये सबसे बड़ी चीज हाथ लगती, कि भाषा का हृदय बड़ा विशाल होता है, उसके DNA से पता चलता। क्‍योंकि भाषा सबको अपने में समाहित कर लेती है। उसे कोई बंधन नहीं होता। न रंग का बंधन होता है, न काल का बंधन होता है, न क्षेत्र विशेष का बंधन होता है। इतना विशाल हृदय होता है भाषा का जो हर किसी को अपने में समाहित कर लेता है। Inclusive.

मैं एक बार रशिया के एक इलाके में गया था - अगर मैं “Tea” बोलूं तो उनको समझ में नहीं आता था, “चाय” बोलूं तो समझ आता था। “Door” बोलूं तो समझ नहीं आता था, “द्वार” बोलूं तो समझ आता था। इतने सारे... जैसे हमारे यहां तरबूज बोलते है, watermelon. वो भी तरबूज बोलते हैं। यानी की किस प्रकार से भाषा अपने आप में सबको समाविष्ट कर लेती है। आपके यहां भी अगर कोई “दुतार” बजाता है, तो हमारे यहाँ “सितार” बजाता है। आपके यहां कोई “तम्‍बूर” बजाता है, तो हमारे यहां “तानपूरा” बजाता है, आपके यहां कोई “नगारे” बजाता है तो हमारे यहां “नगाड़े” बजाता है। इतनी समानता है इसका कारण है कि भाषा का हृदय विशाल है, वो हर चीज को अपने में समाहित कर लेती है।

आप कितने ही बड़े विद्वान हो, कितने ही बड़े भाषा शास्त्री हों, लेकिन ईश्‍वर हमसे एक कदम आगे है। हम हर भाषा का post-mortem कर सकते हैं। उसकी रचना कैसी होती है, ग्रामर कैसा होता है, कौन-सा शब्‍द क्‍यों ऐसा दिखता है - सब कर सकते है। लेकिन मानव की मूल संपदा को प्रकट करने वाली दो चीजें हैं, जो ईश्‍वर ने दी है। दुनिया की किसी भी भूभाग, किसी भी रंग के व्‍यक्ति, किसी भी युग के व्‍यक्ति में, दो भाषाओं में समानता है। एक है “रोना”, दूसरा है “हँसना” - हर किसी की रोने की एक भाषा है, और हंसने की भी एक ही भाषा है। कोई फर्क नहीं है और अभी तक कोई पंडित उनका व्‍याकरण नहीं खोल पाया है।

आज के युग में दो राष्‍ट्रों के संबंध सिर्फ सरकारी व्‍यवस्‍थाओं के तहत सीमित नहीं है। दो राष्‍ट्रों के संबंधों की मजबूती के आधार people-to-people contact होता है। और people-to-people contact का आधार सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान, एक-दूसरे की परम्‍पराओं को, इतिहास को, संस्‍कृति को जानना, जीना ये बहुत बड़ी ताकत होता है। आपका ये प्रयास भारत और उज्‍बेकिस्‍तान के साथ people-to-people contact बढ़ाने का एक बहुत बड़ा platform है, बहुत बड़ा प्रयास है। ये संबंध बड़े गहरे होते है और बड़े लम्‍बे अरसे तक रहते है। सरकारें बदलें व्‍यवस्‍थाएं बदलें, नेता बदले लेकिन ये नाता कभी बदलता नहीं है। जो नाता आप जोड़ रहे है, आपके प्रयासों से इसको मैं हृदय से अभिनंदन करता हूं।

Central Asia की पाँचों देशों की एक साथ यात्रा करने का सौभाग्‍य शायद ही... एक साथ यात्रा करने का सौभाग्‍य बहुत कम लोगों को मिलता होगा। मुझे वो सौभाग्‍य मिला है और Central Asia की करीब 5 देशों की यात्रा, पहली उज्‍बेकिस्‍तान की यात्रा से प्रारम्‍भ हुआ। ये मेरा सार्वजनिक रूप से इस यात्रा का अंतिम कार्यक्रम है। मैं बड़े संतोष और गर्व के साथ कहता हूं कि यह यात्रा बहुत ही सफल रही है। लंबे अर्से तक सुफल देने वाली यात्रा रही है, और आने वाले दिनों में भारत और उज्‍बेकिस्‍तान के आर्थिक-सामूहिक संबंध और गहरे होते जाएंगे, जो दोनों देशों को ताकत देंगे, इस region को ताकत देंगे, और इस region के साथ भारत मिल करके मानवजात के कल्‍याण के लिए सामान्‍य मानव के उद्देश्‍यों की पूर्ति के लिए उत्‍तम से उत्‍तम काम करते रहेंगे। इस विश्‍वास के साथ मैं फिर एक बार उजबेक्सितान के राष्‍ट्रपति जी का, प्रधानमंत्री जी का, यहां की जनता-जनार्दन का और इस समारोह में इतना उत्‍तम कार्यक्रम बनाने के लिए मैं आप सबका अभिनंदन करता हूं और जो शब्दकोष का निर्माण हुआ है वो शब्‍दकोष आने वाले दिनों में नई पीढि़यों को काम आएगा।

आज technology का युग है। Internet के द्वारा online हम language सीख सकते है। हम सुन करके भी language सीख करते है, audio से भी सीख सकते है। एक प्रकार से आज अपनी हथेली में विश्‍व को जानने, समझने, पहचानने का आधार बन गया है। मुझे विश्‍वास है कि आने वाले दिनों में हमारे ये जो सारे प्रयास चल रहे है इसमें technology भी जुड़ेगी और technology के माध्‍यम से हम खुद audio system से भी अपनी भाषाओं को कैसे सीखें - Audio हो, Visual हो, written text हो एक साथ सभी चीजें हो गई तो pick up करने में बड़ी सुविधा रहती है। उसकी दिशा में भी आवश्‍यक जो भी मदद भारत को करनी होगी, भारत अवश्‍य मदद करेगा।

फिर एक बार मैं आप सबका बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, बहुत धन्‍यवाद करता हूं।

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भारत के कई स्पेस मिशंस का नेतृत्व महिला वैज्ञानिक कर रही हैं: GLEX 2025 में पीएम मोदी
May 07, 2025
Quoteअंतरिक्ष केवल एक गंतव्य नहीं है, बल्कि जिज्ञासा, साहस और सामूहिक प्रगति की घोषणा है: प्रधानमंत्री
Quoteभारत के रॉकेट सिर्फ पेलोड नहीं ले जाते बल्कि 1.4 अरब भारतीयों के सपनों को भी साथ ले जाते हैं: प्रधानमंत्री
Quoteभारत का पहला मानव अंतरिक्ष यान मिशन- गगनयान, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में देश की बढ़ती आकांक्षाओं को दर्शाता है: प्रधानमंत्री
Quoteभारत के कई अंतरिक्ष मिशनों का नेतृत्व महिला वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है: प्रधानमंत्री
Quoteभारत का अंतरिक्ष विजन 'वसुधैव कुटुम्बकम' के प्राचीन दर्शन में निहित है: प्रधानमंत्री

प्रतिष्ठित प्रतिनिधिगण, सम्मानित वैज्ञानिक, अन्वेषक, अंतरिक्ष यात्री और विश्व भर से आये मित्रो,
नमस्कार!

वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण सम्मेलन 2025 में आप सभी से जुड़कर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। अंतरिक्ष केवल एक मंजिल नहीं है। यह जिज्ञासा, साहस और सामूहिक प्रगति की घोषणा है। भारत की अंतरिक्ष यात्रा इसी भावना को प्रदर्शित करती है। वर्ष 1963 में एक छोटे रॉकेट को लॉन्च करने से लेकर, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बनने तक, हमारी यात्रा उल्लेखनीय रही है। हमारे रॉकेट पेलोड से अधिक वज़न ले जाते हैं। वे एक अरब चालीस करोड भारतीयों के सपने लेकर चलते हैं। भारत की उपलब्धियाँ महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि हैं। इसके अलावा, वे इस बात का सबूत हैं कि मानवीय भावना गुरुत्वाकर्षण का मुकाबला कर सकती है। भारत ने वर्ष 2014 में अपने पहले प्रयास में मंगल ग्रह पर पहुंचकर इतिहास रच दिया। चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी की खोज में सहायता की। चंद्रयान-2 ने हमें चंद्रमा की उच्चतम-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें भेजीं। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बारे में हमारी समझ को बढ़ाया। हमने रिकॉर्ड समय में क्रायोजेनिक इंजन गैयार किए। हमने एक ही मिशन में 100 उपग्रह लॉन्च किए। हमने अपने प्रक्षेपण वाहनों पर 34 देशों के 400 से अधिक उपग्रह लॉन्च किए हैं। इस वर्ष हमने दो उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित किया, जो एक बड़ा कदम है।

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मित्रो,

भारत की अंतरिक्ष यात्रा का अर्थ दूसरों से प्रतिस्पर्धा करना नहीं है। इसका अर्थ है एक साथ मिलकर ऊंचाइयों को छूना। हम मानवता की भलाई के लिए अंतरिक्ष की खोज करने के लिए एकसाथ मिलकर लक्ष्य साझा करते हैं। हमने दक्षिण एशियाई देशों के लिए एक उपग्रह लॉन्च किया। अब, हमारी जी-20 की अध्यक्षता के दौरान घोषित जी-20 सैटेलाइट मिशन ग्लोबल साउथ के लिए एक उपहार होगा। हम वैज्ञानिक अन्वेषण की सीमाओं को आगे बढ़ाते हुए नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं। हमारा पहला मानव अंतरिक्ष-उड़ान मिशन, 'गगनयान', हमारे देश की बढ़ती आकांक्षाओं को प्रदर्शित करता है। आने वाले हफ्तों में, एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक संयुक्त इसरो-नासा मिशन के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष की यात्रा करेगा। वर्ष 2035 तक, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन अनुसंधान और वैश्विक सहयोग में नई सीमाएं खोलेगा। वर्ष 2040 तक, एक भारतीय के पैरों के निशान चंद्रमा पर होंगे। मंगल और शुक्र भी हमारे रडार पर हैं।

मित्रो,

भारत के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण के साथ-साथ सशक्तिकरण का भी विषय है। यह शासन को सशक्त बनाता है, आजीविका को बढ़ाता है और पीढ़ियों को प्रेरित करता है। मछुआरों की चेतावनी से लेकर गतिशक्ति प्लेटफॉर्म तक, रेलवे सुरक्षा से लेकर मौसम की भविष्यवाणी तक, हमारे उपग्रह हर भारतीय के कल्याण के लिए तत्पर हैं। हमने अपने अंतरिक्ष क्षेत्र को स्टार्टअप, उद्यमियों और युवा प्रतिभाओं के लिए खोल दिया है। आज, भारत में 250 से अधिक अंतरिक्ष स्टार्टअप हैं। वे उपग्रह प्रौद्योगिकी, प्रणोदन प्रणाली, इमेजिंग और बहुत कुछ में अत्याधुनिक प्रगति में योगदान दे रहे हैं। आप जानते हैं कि यह और भी अधिक प्रेरणादायक है कि हमारे कई मिशनों का नेतृत्व महिला वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है।

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मित्रो,

भारत का अंतरिक्ष दृष्टिकोण 'वसुधैव कुटुम्बकम' के प्राचीन ज्ञान पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि पूरी दुनिया एक परिवार है। हम न केवल अपने विकास के लिए प्रयास करते हैं, बल्कि वैश्विक ज्ञान को समृद्ध करने, सामान्य चुनौतियों का समाधान करने और भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने का प्रयास करते हैं। भारत एक साथ सपने देखने, एक साथ निर्माण करने और एक साथ सितारों तक पहुँचने के लिए खड़ा है। आइए हम एक साथ मिलकर अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नया अध्याय लिखें, जो विज्ञान और बेहतर कल के लिए साझा सपनों द्वारा निर्देशित हो। मैं आप सभी को भारत में एक बहुत ही सुखद और उत्पादक प्रवास की कामना करता हूँ।

धन्यवाद।