Quoteहमारे ऐतिहासिक संबंध और सांस्कृतिक निकटता ही हमारी संपत्ति हैं: भारत-सिंगापुर आर्थिक सम्मेलन में प्रधानमंत्री
Quoteसिंगापुर भारत में एफडीआई के दूसरे सबसे बड़े स्रोत के रूप में उभरा है; सिंगापुर में भारत द्वारा किये जाने वाले एफडीआई में भी वृद्धि: पीएम
Quoteसिंगापुर और भारत कई प्रमुख क्षेत्रों में एक साथ काम कर सकते हैं: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteअमरावती के लिए तैयार किये जाने वाले मास्टर प्लान में सिंगापुर की भी भूमिका: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteसिंगापुर हमारे वैश्विक दृष्टिकोण में भारत का एक महत्वपूर्ण और मूल्यवान साथी: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteभारत अपने लुक एंड एक्ट पॉलिसी को क्रियान्वित करने में सिंगापुर को आवश्यक सहयोगी के रूप में देखता है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteभारत तेज़ी से एवं व्यापक स्तर पर ऐतिहासिक आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
Quoteभारतीय अर्थव्यवस्था आज सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteहमारी रणनीति - मजबूत अर्थव्यवस्था, लोगों का सशक्तिकरण, वित्त रहित को वित्तीय सहायता, गरीबों की सुरक्षा, सभी के आय स्तर में वृद्धि: पीएम
Quoteहमने 190 लाख नए खाते खोले। इसके माध्यम से हम गरीबों को लाभ का सीधा हस्तांतरण सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteभारत अब आर्थिक क्रांति के अगले चरण में है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteहमारे बदलते प्रतिमान से वैश्विक निवेशक समुदाय के लिए नए अवसर बने हैं: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteप्रधानमंत्री मोदी ने सरकार के डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया अभियानों के बारे में बात की
Quoteप्रधानमंत्री मोदी ने भारत सरकार द्वारा किये जा रहे विभिन्न सुधारों के बारे में की
Quoteहम अपने कर व्यवस्था को पारदर्शी और आशानुरूप बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteएफडीआई इनफ्लो में पिछले साल की इस अवधि की तुलना में 40% की बढ़ोत्तरी हुई है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteहम भारत को वैश्विक विनिर्माण का केंद्र बनाने के लिए सभी मोर्चों पर काम कर रहे हैं: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteहमने उद्योग और बुनियादी सुविधाओं के लिए मंजूरी प्रक्रिया को तेज़ किया है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteपीपीपी के माध्यम से हम उन क्षेत्रों में निजी निवेश को बढ़ावा दे रहे हैं जिनमें पहले सिर्फ़ सरकार द्वारा ही निवेश किया जाता था: पीएम
Quoteप्रकृति हमारी माता है और जलवायु परिवर्तन के खतरों को कम करने की हमारी प्रतिबद्धता हमारी इसी मौलिक सोच से प्रेरित है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteव्यापक स्तर पर सुधार किये जा रहे हैं। देश के सुदूर क्षेत्रों में बसे सभी नागरिकों को इसका लाभ पहुँचाया जा रहा है: प्रधानमंत्री मोदी

श्री एस ईश्वरन, व्यापार और उद्योग मंत्री, सम्मानित मंत्रियों और प्रिय दोस्तों! 

यह बहुत खुशी की बात है कि आज मैं आप के बीच हूं। भारत-सिंगापुर आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। मेरी यह यात्रा बहुत लाभदायक और सकारात्मक रही है। आज सुबह सिंगापुर के नेताओं के साथ मेरी बैठकें बहुत बेहतरीन रही हैं।

हमने सामरिक भागीदारी पर जो निर्णय लिए हैं वे हमारे संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाएगें। हमने इस रिश्ते के लिए महत्वाकांक्षा का एक उच्च स्तर निर्धारित किया है।

दोस्तों! हमारे ऐतिहासिक संबंध और सांस्कृतिक निकटता हमारी संपत्ति है। बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी सिंगापुर के जीवन और काम के माहौल को समृद्ध कर रहे हैं। हाल के वर्षों में आर्थिक संबंधों ने हमारे संबंधों में निर्णायक भूमिका निभाई है।

सिंगापुर, विश्व स्तर पर हमारा 10वां सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। आसियान देशों में यह दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। 2005 में व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते के बाद द्विपक्षीय व्यापार में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। भारत में विदेशी निवेश के स्रोत के रूप में सिंगापुर दूसरे सबसे बड़े देश के रूप में उभरा है। हाल के दिनों में सिंगापुर में भारतीय विदेशी प्रत्यक्ष निवेश भी काफी बढ़ा है। सिंगापुर अब भारतीय निवेश के लिए शीर्ष स्थलों में से एक है।

भारतीय कंपनियाँ बड़ी संख्या में सिंगापुर में पंजीकृत हैं। पिछले कुछ दशकों में भारतीय बाजार की मौजूदगी की वजह से सिंगापुर की कंपनियों का भी भारतीय बाजार के साथ एक अपनेपन का रिश्ता बना है। हमारी कंपनियां बेहतरीन सेवा देने की स्थिति में हैं। दोनो ही तरफ से बड़ी संख्या में कंपनियों की बढ़ती हुई भागीदारी और दोनो देशों के बाजारों में विदेशी कंपनियों की मौजूदगी से मैं और भी रोमांचक भागीदारी की उम्मीद करता हूं।

|
  • आप को सुनिश्चितता की आदत है; भारत में विस्तार के लिए गुंजाइश है;
  • आप उर्ध्वाधर बढ़ने के शौकीन हैं; भारत का विकास ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज दोनों दिशाओं में है।
  • आप एक रोमांचक इनक्यूबेटर हैं; भारत एक विशाल प्रयोगशाला है।

इस प्रकार, सिंगापुर और भारत कई संभावनाओं वाले क्षेत्रों में एक साथ काम कर सकते हैं।

पिछले महीने मुझे सिंगापुर के सहयोग से शुरू होने वाली दो परियोजनाओं की आधारशिला रखने का अवसर मिला। पहली है, आंध्र प्रदेश की नयी राजधानी है- अमरावती। सिंगापुर इस नये शहर के मास्टर प्लान के निर्माण में जुड़ा है। दूसरा, मैंने मुंबई के जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट पर चौथे कंटेनर टर्मिनल की आधारशिला रखी जो पीएसए सिंगापुर की साझेदारी से बनाया जा रहा है। हम भी चांगी हवाई अड्डे के सहयोग से दो भारतीय हवाई अड्डों को संचालित करने का अवसर तलाश रहे हैं। ये हमारी आर्थिक साझेदारी को मजबूत बनाने के हाल के उदाहरण हैं।

सिंगापुर भी हमारे वैश्विक दृष्टिकोण में भारत का एक महत्वपूर्ण और मूल्यवान दोस्त है। हमारी लुक एंड एक्ट ईस्ट पॉलिसी के कार्यान्वयन में सिंगापुर एक आवश्यक सहयोगी है। इस नीति के क्रियान्वयन में सिंगापुर ने जो महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है, उसका मुझे पूरा ज्ञान है। मैं सिंगापुर के साथ एक बड़े स्तर पर काम करने को तत्पर हूं।

द्विपक्षीय दायरे से परे, तीसरे देशों के साथ, सहयोग के माध्यम से, काम करने के महत्वपूर्ण अवसर भी हैं। इसका एक उदाहरण आसियान आर्थिक समुदाय है जो अस्तित्व में आ चुका है। यह 600 मिलियन लोगों के लिए 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बाजार का निर्माण कर रहा है। यह आगे हमारे व्यापार को साझे तौर पर व्यापक दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में अवसर तलाशने में मदद करेगा।

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी), जिसमें आसियान और उसके छह वार्ता भागीदार हैं, में भी हमारी कंपनियों के लिए एक और संभावित अवसर है। अभी हाल में नई दिल्ली  में आयोजित भारत अफ्रीका फोरम समिट में, सिंगापुर को खास मेहमान के तौर पर आमंत्रित किया गया था। यह भारत-सिंगापुर एकजुटता के एक और आयाम की मान्यता है। हम अफ्रीकी देशों में संयुक्त रूप से काम कर सकते हैं।

देवियो और सज्जनों!

भारत आर्थिक और सामाजिक पैमाने पर परिवर्तन की ऐसी गति के दौर से गुजर रहा है जो इतिहास में बेजोड़ है। हमारी विकास दर पिछले साल 7.3 प्रतिशत थी। विश्व बैंक ने इस साल और बेहतर विकास दर का अनुमान लगाया है। बड़े देशों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हम भी इस विकास का लाभ आम आदमी तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। हमने वित्तीय समावेशन पर प्रमुख योजनाओं की शुरूआत की है। हमारी रणनीति है:

  • अर्थव्यवस्था को उत्साहित करना
  • लोगों को सशक्त बनाना
  • गैर वित्त पोषित को वित्त पोषित बनाना
  • गरीब को सुरक्षित बनाना
  • और सभी के आय स्तर में वृद्धि करना।
|

धन अंतिम व्यक्ति तक पहुँचना चाहिए। इस उद्देश्य के साथ, हमने 190 मिलियन नए बैंक खाते खोले हैं। उनके माध्यम से, हम गरीबों को लाभ का सीधा हस्तांतरण सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं। यह लक्ष्यीकरण भी सरकारी खर्च में अनुशासन ला रहा है। हमने नई बीमा और पेंशन योजनाओं की शुरूआत की है। ‘मुद्रा’ नामक एक नए बैंक के माध्यम से, हम छोटे व्यापारियों और व्यवसायियों का वित्त पोषण कर रहे हैं। हमने सभी के लिए आवास, पानी, बिजली और स्वच्छता प्रदान करने के लिए समयबद्ध लक्ष्य निर्धारित किया है। इस प्रकार, भारत अब आर्थिक क्रांति के अगले दौर में है। हमारे बदलते प्रतिमानों ने वैश्विक निवेशक समुदाय के लिए नए अवसर पैदा किये हैं।

इन अवसरों में 100 स्मार्ट शहरों की स्थापना के लिए 50 लाख सस्ते घरों के निर्माण से लेकर; रेलवे नेटवर्क का आधुनिकीकरण और नये रेल गलियारों की स्थापना के लिए रेलवे स्टेशनों का फिर से विकास; पारेषण और वितरण नेटवर्क के साथ 175 गीगावॉट का अक्षय ऊर्जा का उत्पादन। राष्ट्रीय राजमार्गों, पुलों और मेट्रो रेल नेटवर्क का निर्माण।

माल के उत्पादन और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए इस तरह की एक विशाल संभावना की क्षमता किसी भी अन्य देश में उपलब्ध नहीं होगी। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि पृथ्वी पर कोई भी जगह ऐसी नहीं है जो इतने बड़े पैमाने पर ग्राहक आधार की पेशकश कर सकती है।

हम अपनी नीतियों और लोगों के माध्यम से इस विकास की क्षमता का दोहन करने की कोशिश कर रहे हैं। डिजिटल भारत और कौशल भारत जैसे अभियान इस प्रक्रिया में भाग लेने के लिए लोगों को तैयार कर रहे हैं। हमने हाल के दिनों में नए व्यवसायों की संख्या में भारी वृद्धि देखी है। इनमें से कुछ की स्थापना तो वैश्विक खिलाड़ियों को चुनौती देने वाली है। पूरी तरह से इस ऊर्जा का दोहन करने के लिए, हमने हाल ही में स्टार्ट अप इंडिया अभियान शुरू किया है। स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया।

मित्रों, पिछले कुछ महीनों में विदेशी निवेशकों की भारत में रूचि बहुत तेजी से बढ़ी है। हालांकि, कुछ विनियामक और कराधान मुद्दे उनकी भावनाओं पर प्रतिकूल असर डाल रहे थे। हमने लंबे समय से विचाराधीन चिंताओं तो दूर करने के लिए बहुत निर्णायक कदम उठाए हैं।

आपको कुछ उदाहरण दे रहा हूँ -

  • हमने सुरक्षा और पर्यावरण मंजूरी सहित नियामक मंजूरी में तेजी लाई है;
  • हमने लाइसेंस राज को काफी उदार बनाया है;
  • हमने रक्षा औद्योगिक लाइसेंस की वैधता अवधि तीन साल से बढ़ाकर अठारह साल कर दी है;
  • हमने करीब 60 प्रतिशत रक्षा मदों को लाइसेंस देने की प्रक्रिया से बाहर कर दिया है। निर्यात के लिए अंतिम उपयोग प्रमाण पत्र जैसे प्रतिबंधों को उदार बनाया है।
  • हमने स्पष्ट कर दिया है कि हम पूर्वव्यापी कराधान का सहारा नहीं लेंगे।
  • और हमने इस स्थिति का कई तरीकों से प्रदर्शन किया है।
  • हमने विदेशी एवं अन्य निवेशकों के लिए कम्पोजिट सेक्टर कैप की अवधारणा प्रस्तुत की है।
  • हमने वैकल्पिक निवेश कोष के लिए नियमों को अधिसूचित किया है।
  • हमने रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट के लिए पूंजी लाभ कर व्यवस्था को तर्कसंगत बनाया है।
  • हमने स्थायी प्रतिष्ठान के मानदंडों को संशोधित किया है;
  • हमने जनरल एंटी-अवॉयडेंस रूल्स के कार्यान्वयन को दो साल के लिए स्थगित करने का फैसला किया है।
  • हमने संसद में जीएसटी विधेयक को पेश किया है, हमें उम्मीद है कि 2016 में यह पारित हो जाएगा।
  • एक नया दिवालियापन संहिता और नई आईपीआर नीति का मसौदा तैयार किया जा रहा है। कंपनी कानून न्यायाधिकरण का जल्द ही गठन किया जाएगा।
  • कोयला, स्पेक्ट्रम, और लौह अयस्क जैसे प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन एवं नीलामी की हमारी पारदर्शी प्रणाली अब स्थिर है।

ये तो कुछ उदाहरण भर हैं। हम अपनी टैक्स व्यवस्था को पारदर्शी एवं उम्मीदों के मुताबिक बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। हम इसके लिए भी उत्सुक हैं कि असली निवेशक और ईमानदार करदाता जल्द मिलें और टैक्स के मामलों में स्पष्ट फैसला लें। इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए हमने पहले ही काफी सुधार किए हैं।

|

हमारी पहल का परिणामः

  • विदेशी निवेश को लेकर भावनाएं अब प्रतिबद्धता में बदलने लगी है।
  • इस अवधि में पिछले साल की तुलना में इस साल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़कर 40% हो गया है।
  • धारणाएं सकारात्मक परिणाम में बदल रही हैं।
  • विश्व बैंक के मुताबिक कारोबार को सरल बनाने के मामले में हम 12 पायदान ऊपर चढ़ गए हैं।
  • 32 फीसदी स्प्रिंट के साथ ब्रांड वैल्यू के मामले में भारत दुनिया का 7वां सबसे तरजीही देश बन गया है।
  • तमाम एजेंसियों एवं संस्थानों ने भारत को सबसे आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में लागातार नामित किया है।
  • साथ ही निवेश आकर्षित करने के मामले में भारत की यूएनसीटीएडी रैंकिंग सुधार हुआ है। हम पहले 15वें स्थान पर थे। लेकिन हम 9वें स्थान पर पहुंच गए हैं।
  • भारत भी विश्व आर्थिक मंच के वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक पर 16 स्थानों की बढ़त हासिल की है।
  • रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की रैंकिंग को सकारात्मक रूप से उन्नत किया है।

इस प्रकार सिर्फ 18 महीनों में हमने वैश्विक दिग्गजों की नजर में भारत की विश्वसनीयता को सफलतापूर्वक बहाल किया है। जैसे ही मेरी सरकार ने कार्यभार संभाला, हमने अन्य तमाम सुधारों के साथ एफडीआई जैसे उदारवाद को शुरू किया है। हमने रेलवे में 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति दी है और रक्षा एवं बीमा क्षेत्र में इसकी सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दी है। हम ऐसी नीतियों को लेकर सचेत रहे हैं। हम पूरी भावना के साथ प्रक्रियाओं की भावना को तय कर रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में एफडीआई के लिए अपनी अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए कदम उठाए हैं।

इसके साथ अंतिम सुधारों का दौर: 

  • भारत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लिए सबसे अधिक खुली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
  • एफडीआई के लिए कुछ नए क्षेत्रों को पूरी तरह खोल दिया गया है।
  • अधिकतर क्षेत्रों में अब एफडीआई को स्वतः मंजूरी दी जा रही है।
  • ग्रीनफील्ड क्षेत्रों के अलावा ब्राउनफील्ड जैसे क्षेत्र एफडीआई को स्वतः स्वीकर कर रहे हैं। इसमें सड़क, निर्माण एवं मेडिकल उपरण जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
  • एफडीआई के लिए प्रवेश और निकासी की स्थितियों में काफी राहत दी गई है।

दोस्तों! हम डिजिटल नेटवर्क्स और स्वच्छ ऊर्जा सहित अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे में निवेश को बढाने के लिए उत्सुक हैं। मुख्य बुनियादी ढांचे के अलावा, अपने लोगों की आय तथा जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए हम अपने सामाजिक, औद्योगिक एवं कृषि-ढांचे में निवेश करने के लिए उत्सुक हैं।

हमने खर्चों पर नियंत्रण करके सार्वजनिक क्षेत्रों के द्वारा पूंजी निवेश में भारी बढ़ोतरी की है। इसका लाभ उठाने के लिए हमने नेशनल इंवेस्टमेंट एंड इफ्रास्ट्रक्चर फंड की स्थापना की है। कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट को विस्तार देने के लिहाज से हम टैक्स फ्री इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्डस लेकर भी आ रहे हैं। यह बुनियादी ढांचे के लिए दीर्घकालीन स्थिति में वित्त मुहैया कराएगा। बुनियादी ढांचे के लिए हमने कुछ देशों में रुपया बांड लांच करने का फैसला भी किया है। सिंगापुर भी उसमें से एक हो सकता है। इसको लेकर हम सिंगापुर के साथ काम करने के लिए काफी उत्सुक हैं।

दोस्तों! भारत में लगभग 80 करोड़ लोग 35 साल की उम्र के नीचे हैं। उनकी आकांक्षाओं, ऊर्जा, उद्यम और कौशल का इस्तेमाल भारत के आर्थिक बदलाव के लिए किया जाएगा। लेकिन इसका लाभ उठाने के लिए युवाओं को रोजगार देना तात्कालिक चुनौती है। इस चुनौती से निपटने के लिए हमें विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने की जरूरत है, जो कई दशकों से जीडीपी के करीब 16 फीसदी पर ठहर गई है। अल्प एवं मध्यम अवधि में इस साझेदारी को करीब 25 फीसदी तक पहुंचाना होगा। इसके मद्देनजर हमने मेक इन इंडिया की शुरुआत की है। हम सभी मोर्चों पर भारत को एक वैश्विक निर्माण हब बनाने के लिए काम कर रहे हैं। आधुनिक अर्थव्यवस्था की स्थापना के लिए विश्वस्तरीय निर्माण क्षेत्र के साथ हम वैश्विक कौशल को विकसित कर रहे हैं। इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए कारोबार को सरल बनाने हेतु  उद्योगों एवं निर्माण क्षेत्र के लिए त्वरित मंजूरी दे रहे हैं। हमारी रणनीति का हॉल मार्क सुशासन है, जो भागीदारी एवं नीतियों को चलाने वाली है।

पीपीपी मॉडल के जरिये हम उन क्षेत्रों में निवेश के लिए निजी क्षेत्रों को उत्साहित कर रहे हैं, जहां अब तक सिर्फ सरकार निवेश करती रही है। हम बाजार में अनुशासन स्थापित करने के लिए सार्वजिनक क्षेत्र में अपनी हिस्सेदारी कम कर रहे हैं। अपनी अर्थव्यवस्था को दुनिया के साथ एकीकृत करने के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि आगामी तीन महीने भारत में निवेश को प्रभावित करने वाले मुद्दों को सुलझा लेंगे।

दोस्तों! जो कुछ भी हम कर रहे हैं;  उसकी दो तरह की प्रतिबद्धताएं हैं - पहली, हमारे लोग उसके केंद्र में रहने चाहिए। जो हम निवेश कर रहे हैं वह जनता के लिए होना चाहिए। हमारी विकास की तेज रफ्तार से लोगों का जीवन बदलना चाहिए।

हमारी दूसरी प्रतिबद्धता पर्यावरण, धरती और प्रकृति के प्रति है। राजनीति और अर्थव्यवस्था के विकास से जलवायु परिवर्तन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता कम नहीं होती है। उनमें भय या पक्षपात का भाव नहीं दिखना चाहिए। वे इससे अलग नहीं कर सकते हैं कि प्रकृति हमारी मां है। प्रकृति हमें जीवन देती है और हमारे जीवन को स्थायीत्व प्रदान करती है। यह हमारी आस्था का एक लेख है। मुझे भरोसा है कि वैश्विक समुदाय इसके प्रति उससे अधिक काम करेगा जितनी आवश्यकता है। हम सामान्य रूप से जितना कर सकते हैं उससे अधिक काम करेंगे।

|

इन दोनों प्रतिबद्धताओं के साथ आर्थिक अवसर एवं गतिविधि मुहैया कराने के लिहाज से एक लहर पैदा होती है जो कि दूसरे देशों में नहीं है। बड़े निवेशकों के लिए अवसर के द्वार खुले हुए हैं।

यहां वे बातें बता रहा हूँ जो पिछले 18 महीनों में हमने कही हैं,

  • सुधारों से बड़े रास्ते खुल रहे हैं, अब उन्हें अंतिम दूरी तय करनी है;
  • सुधार से व्यवस्था में बदलाव आएगा ताकि वे काम कर सकें;
  • सामान्य भाषा में कहें तो उनका लक्ष्य लोगों को यह अहसास कराना है कि उनमें क्षमता है और वे अपने सपने पूरे कर सकते हैं;
  • इस और सामान्य भाषा में कहें तो, उनके चेहर पर और अधिक चमक आ गई है
  • इसके अलावा नई सीमाओं और वित्तीय बाजारों के लिए नींव रखी गई है।
  • अर्थव्यवस्था के उड़ान भरने के रास्ते तय कर दिए गए हैं

हाल ही में आईएमएफ प्रमुख ने कहा था कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत बेहतरीन जगह है। मैं इस बात का इंतजार नहीं करना चाहता कि इस बेहतरी को खुद चलकर आप तक जाना पड़े।

इसलिए, मैं यहां हूं।

मैं यहां आपको भारत आमंत्रित करने के लिए आया हूं।

मैं यह भी भरोसा दिलाना चाहता हूं कि मैं वहां आपका ख्याल रखूंगा।

बहुत, बहुत, धन्यवाद 

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
Laying the digital path to a developed India

Media Coverage

Laying the digital path to a developed India
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
India is driving global growth today: PM Modi at Republic Plenary Summit
March 06, 2025
QuoteIndia's achievements and successes have sparked a new wave of hope across the globe: PM
QuoteIndia is driving global growth today: PM
QuoteToday's India thinks big, sets ambitious targets and delivers remarkable results: PM
QuoteWe launched the SVAMITVA Scheme to grant property rights to rural households in India: PM
QuoteYouth is the X-Factor of today's India, where X stands for Experimentation, Excellence, and Expansion: PM
QuoteIn the past decade, we have transformed impact-less administration into impactful governance: PM
QuoteEarlier, construction of houses was government-driven, but we have transformed it into an owner-driven approach: PM

नमस्कार!

आप लोग सब थक गए होंगे, अर्णब की ऊंची आवाज से कान तो जरूर थक गए होंगे, बैठिये अर्णब, अभी चुनाव का मौसम नहीं है। सबसे पहले तो मैं रिपब्लिक टीवी को उसके इस अभिनव प्रयोग के लिए बहुत बधाई देता हूं। आप लोग युवाओं को ग्रासरूट लेवल पर इन्वॉल्व करके, इतना बड़ा कंपटीशन कराकर यहां लाए हैं। जब देश का युवा नेशनल डिस्कोर्स में इन्वॉल्व होता है, तो विचारों में नवीनता आती है, वो पूरे वातावरण में एक नई ऊर्जा भर देता है और यही ऊर्जा इस समय हम यहां महसूस भी कर रहे हैं। एक तरह से युवाओं के इन्वॉल्वमेंट से हम हर बंधन को तोड़ पाते हैं, सीमाओं के परे जा पाते हैं, फिर भी कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं रहता, जिसे पाया ना जा सके। कोई मंजिल ऐसी नहीं रहती जिस तक पहुंचा ना जा सके। रिपब्लिक टीवी ने इस समिट के लिए एक नए कॉन्सेप्ट पर काम किया है। मैं इस समिट की सफलता के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। अच्छा मेरा भी इसमें थोड़ा स्वार्थ है, एक तो मैं पिछले दिनों से लगा हूं, कि मुझे एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है और वो एक लाख ऐसे, जो उनकी फैमिली में फर्स्ट टाइमर हो, तो एक प्रकार से ऐसे इवेंट मेरा जो यह मेरा मकसद है उसका ग्राउंड बना रहे हैं। दूसरा मेरा व्यक्तिगत लाभ है, व्यक्तिगत लाभ यह है कि 2029 में जो वोट करने जाएंगे उनको पता ही नहीं है कि 2014 के पहले अखबारों की हेडलाइन क्या हुआ करती थी, उसे पता नहीं है, 10-10, 12-12 लाख करोड़ के घोटाले होते थे, उसे पता नहीं है और वो जब 2029 में वोट करने जाएगा, तो उसके सामने कंपैरिजन के लिए कुछ नहीं होगा और इसलिए मुझे उस कसौटी से पार होना है और मुझे पक्का विश्वास है, यह जो ग्राउंड बन रहा है ना, वो उस काम को पक्का कर देगा।

साथियों,

आज पूरी दुनिया कह रही है कि ये भारत की सदी है, ये आपने नहीं सुना है। भारत की उपलब्धियों ने, भारत की सफलताओं ने पूरे विश्व में एक नई उम्मीद जगाई है। जिस भारत के बारे में कहा जाता था, ये खुद भी डूबेगा और हमें भी ले डूबेगा, वो भारत आज दुनिया की ग्रोथ को ड्राइव कर रहा है। मैं भारत के फ्यूचर की दिशा क्या है, ये हमें आज के हमारे काम और सिद्धियों से पता चलता है। आज़ादी के 65 साल बाद भी भारत दुनिया की ग्यारहवें नंबर की इकॉनॉमी था। बीते दशक में हम दुनिया की पांचवें नंबर की इकॉनॉमी बने, और अब उतनी ही तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।

|

साथियों,

मैं आपको 18 साल पहले की भी बात याद दिलाता हूं। ये 18 साल का खास कारण है, क्योंकि जो लोग 18 साल की उम्र के हुए हैं, जो पहली बार वोटर बन रहे हैं, उनको 18 साल के पहले का पता नहीं है, इसलिए मैंने वो आंकड़ा लिया है। 18 साल पहले यानि 2007 में भारत की annual GDP, एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंची थी। यानि आसान शब्दों में कहें तो ये वो समय था, जब एक साल में भारत में एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी होती थी। अब आज देखिए क्या हो रहा है? अब एक क्वार्टर में ही लगभग एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही है। इसका क्या मतलब हुआ? 18 साल पहले के भारत में साल भर में जितनी इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही थी, उतनी अब सिर्फ तीन महीने में होने लगी है। ये दिखाता है कि आज का भारत कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा, जो दिखाते हैं कि बीते एक दशक में कैसे बड़े बदलाव भी आए और नतीजे भी आए। बीते 10 सालों में, हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुए हैं। ये संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। आप वो दौर भी याद करिए, जब सरकार खुद स्वीकार करती थी, प्रधानमंत्री खुद कहते थे, कि एक रूपया भेजते थे, तो 15 पैसा गरीब तक पहुंचता था, वो 85 पैसा कौन पंजा खा जाता था और एक आज का दौर है। बीते दशक में गरीबों के खाते में, DBT के जरिए, Direct Benefit Transfer, DBT के जरिए 42 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं, 42 लाख करोड़ रुपए। अगर आप वो हिसाब लगा दें, रुपये में से 15 पैसे वाला, तो 42 लाख करोड़ का क्या हिसाब निकलेगा? साथियों, आज दिल्ली से एक रुपया निकलता है, तो 100 पैसे आखिरी जगह तक पहुंचते हैं।

साथियों,

10 साल पहले सोलर एनर्जी के मामले में भारत दुनिया में कहीं गिनती नहीं होती थी। लेकिन आज भारत सोलर एनर्जी कैपेसिटी के मामले में दुनिया के टॉप-5 countries में से है। हमने सोलर एनर्जी कैपेसिटी को 30 गुना बढ़ाया है। Solar module manufacturing में भी 30 गुना वृद्धि हुई है। 10 साल पहले तो हम होली की पिचकारी भी, बच्चों के खिलौने भी विदेशों से मंगाते थे। आज हमारे Toys Exports तीन गुना हो चुके हैं। 10 साल पहले तक हम अपनी सेना के लिए राइफल तक विदेशों से इंपोर्ट करते थे और बीते 10 वर्षों में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट 20 गुना बढ़ गया है।

|

साथियों,

इन 10 वर्षों में, हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्टील प्रोड्यूसर हैं, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरर हैं और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बने हैं। इन्हीं 10 सालों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपने Capital Expenditure को, पांच गुना बढ़ाया है। देश में एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी हो गई है। इन दस सालों में ही, देश में ऑपरेशनल एम्स की संख्या तीन गुना हो गई है। और इन्हीं 10 सालों में मेडिकल कॉलेजों और मेडिकल सीट्स की संख्या भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है।

साथियों,

आज के भारत का मिजाज़ कुछ और ही है। आज का भारत बड़ा सोचता है, बड़े टार्गेट तय करता है और आज का भारत बड़े नतीजे लाकर के दिखाता है। और ये इसलिए हो रहा है, क्योंकि देश की सोच बदल गई है, भारत बड़ी Aspirations के साथ आगे बढ़ रहा है। पहले हमारी सोच ये बन गई थी, चलता है, होता है, अरे चलने दो यार, जो करेगा करेगा, अपन अपना चला लो। पहले सोच कितनी छोटी हो गई थी, मैं इसका एक उदाहरण देता हूं। एक समय था, अगर कहीं सूखा हो जाए, सूखाग्रस्त इलाका हो, तो लोग उस समय कांग्रेस का शासन हुआ करता था, तो मेमोरेंडम देते थे गांव के लोग और क्या मांग करते थे, कि साहब अकाल होता रहता है, तो इस समय अकाल के समय अकाल के राहत के काम रिलीफ के वर्क शुरू हो जाए, गड्ढे खोदेंगे, मिट्टी उठाएंगे, दूसरे गड्डे में भर देंगे, यही मांग किया करते थे लोग, कोई कहता था क्या मांग करता था, कि साहब मेरे इलाके में एक हैंड पंप लगवा दो ना, पानी के लिए हैंड पंप की मांग करते थे, कभी कभी सांसद क्या मांग करते थे, गैस सिलेंडर इसको जरा जल्दी देना, सांसद ये काम करते थे, उनको 25 कूपन मिला करती थी और उस 25 कूपन को पार्लियामेंट का मेंबर अपने पूरे क्षेत्र में गैस सिलेंडर के लिए oblige करने के लिए उपयोग करता था। एक साल में एक एमपी 25 सिलेंडर और यह सारा 2014 तक था। एमपी क्या मांग करते थे, साहब ये जो ट्रेन जा रही है ना, मेरे इलाके में एक स्टॉपेज दे देना, स्टॉपेज की मांग हो रही थी। यह सारी बातें मैं 2014 के पहले की कर रहा हूं, बहुत पुरानी नहीं कर रहा हूं। कांग्रेस ने देश के लोगों की Aspirations को कुचल दिया था। इसलिए देश के लोगों ने उम्मीद लगानी भी छोड़ दी थी, मान लिया था यार इनसे कुछ होना नहीं है, क्या कर रहा है।। लोग कहते थे कि भई ठीक है तुम इतना ही कर सकते हो तो इतना ही कर दो। और आज आप देखिए, हालात और सोच कितनी तेजी से बदल रही है। अब लोग जानते हैं कि कौन काम कर सकता है, कौन नतीजे ला सकता है, और यह सामान्य नागरिक नहीं, आप सदन के भाषण सुनोगे, तो विपक्ष भी यही भाषण करता है, मोदी जी ये क्यों नहीं कर रहे हो, इसका मतलब उनको लगता है कि यही करेगा।

|

साथियों,

आज जो एस्पिरेशन है, उसका प्रतिबिंब उनकी बातों में झलकता है, कहने का तरीका बदल गया , अब लोगों की डिमांड क्या आती है? लोग पहले स्टॉपेज मांगते थे, अब आकर के कहते जी, मेरे यहां भी तो एक वंदे भारत शुरू कर दो। अभी मैं कुछ समय पहले कुवैत गया था, तो मैं वहां लेबर कैंप में नॉर्मली मैं बाहर जाता हूं तो अपने देशवासी जहां काम करते हैं तो उनके पास जाने का प्रयास करता हूं। तो मैं वहां लेबर कॉलोनी में गया था, तो हमारे जो श्रमिक भाई बहन हैं, जो वहां कुवैत में काम करते हैं, उनसे कोई 10 साल से कोई 15 साल से काम, मैं उनसे बात कर रहा था, अब देखिए एक श्रमिक बिहार के गांव का जो 9 साल से कुवैत में काम कर रहा है, बीच-बीच में आता है, मैं जब उससे बातें कर रहा था, तो उसने कहा साहब मुझे एक सवाल पूछना है, मैंने कहा पूछिए, उसने कहा साहब मेरे गांव के पास डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बना दीजिए ना, जी मैं इतना प्रसन्न हो गया, कि मेरे देश के बिहार के गांव का श्रमिक जो 9 साल से कुवैत में मजदूरी करता है, वह भी सोचता है, अब मेरे डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा। ये है, आज भारत के एक सामान्य नागरिक की एस्पिरेशन, जो विकसित भारत के लक्ष्य की ओर पूरे देश को ड्राइव कर रही है।

साथियों,

किसी भी समाज की, राष्ट्र की ताकत तभी बढ़ती है, जब उसके नागरिकों के सामने से बंदिशें हटती हैं, बाधाएं हटती हैं, रुकावटों की दीवारें गिरती है। तभी उस देश के नागरिकों का सामर्थ्य बढ़ता है, आसमान की ऊंचाई भी उनके लिए छोटी पड़ जाती है। इसलिए, हम निरंतर उन रुकावटों को हटा रहे हैं, जो पहले की सरकारों ने नागरिकों के सामने लगा रखी थी। अब मैं उदाहरण देता हूं स्पेस सेक्टर। स्पेस सेक्टर में पहले सबकुछ ISRO के ही जिम्मे था। ISRO ने निश्चित तौर पर शानदार काम किया, लेकिन स्पेस साइंस और आंत्रप्रन्योरशिप को लेकर देश में जो बाकी सामर्थ्य था, उसका उपयोग नहीं हो पा रहा था, सब कुछ इसरो में सिमट गया था। हमने हिम्मत करके स्पेस सेक्टर को युवा इनोवेटर्स के लिए खोल दिया। और जब मैंने निर्णय किया था, किसी अखबार की हेडलाइन नहीं बना था, क्योंकि समझ भी नहीं है। रिपब्लिक टीवी के दर्शकों को जानकर खुशी होगी, कि आज ढाई सौ से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप्स देश में बन गए हैं, ये मेरे देश के युवाओं का कमाल है। यही स्टार्टअप्स आज, विक्रम-एस और अग्निबाण जैसे रॉकेट्स बना रहे हैं। ऐसे ही mapping के सेक्टर में हुआ, इतने बंधन थे, आप एक एटलस नहीं बना सकते थे, टेक्नॉलाजी बदल चुकी है। पहले अगर भारत में कोई मैप बनाना होता था, तो उसके लिए सरकारी दरवाजों पर सालों तक आपको चक्कर काटने पड़ते थे। हमने इस बंदिश को भी हटाया। आज Geo-spatial mapping से जुडा डेटा, नए स्टार्टअप्स का रास्ता बना रहा है।

|

साथियों,

न्यूक्लियर एनर्जी, न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े सेक्टर को भी पहले सरकारी कंट्रोल में रखा गया था। बंदिशें थीं, बंधन थे, दीवारें खड़ी कर दी गई थीं। अब इस साल के बजट में सरकार ने इसको भी प्राइवेट सेक्टर के लिए ओपन करने की घोषणा की है। और इससे 2047 तक 100 गीगावॉट न्यूक्लियर एनर्जी कैपेसिटी जोड़ने का रास्ता मजबूत हुआ है।

साथियों,

आप हैरान रह जाएंगे, कि हमारे गांवों में 100 लाख करोड़ रुपए, Hundred lakh crore rupees, उससे भी ज्यादा untapped आर्थिक सामर्थ्य पड़ा हुआ है। मैं आपके सामने फिर ये आंकड़ा दोहरा रहा हूं- 100 लाख करोड़ रुपए, ये छोटा आंकड़ा नहीं है, ये आर्थिक सामर्थ्य, गांव में जो घर होते हैं, उनके रूप में उपस्थित है। मैं आपको और आसान तरीके से समझाता हूं। अब जैसे यहां दिल्ली जैसे शहर में आपके घर 50 लाख, एक करोड़, 2 करोड़ के होते हैं, आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू पर आपको बैंक लोन भी मिल जाता है। अगर आपका दिल्ली में घर है, तो आप बैंक से करोड़ों रुपये का लोन ले सकते हैं। अब सवाल यह है, कि घर दिल्ली में थोड़े है, गांव में भी तो घर है, वहां भी तो घरों का मालिक है, वहां ऐसा क्यों नहीं होता? गांवों में घरों पर लोन इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि भारत में गांव के घरों के लीगल डॉक्यूमेंट्स नहीं होते थे, प्रॉपर मैपिंग ही नहीं हो पाई थी। इसलिए गांव की इस ताकत का उचित लाभ देश को, देशवासियों को नहीं मिल पाया। और ये सिर्फ भारत की समस्या है ऐसा नहीं है, दुनिया के बड़े-बड़े देशों में लोगों के पास प्रॉपर्टी के राइट्स नहीं हैं। बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कहती हैं, कि जो देश अपने यहां लोगों को प्रॉपर्टी राइट्स देता है, वहां की GDP में उछाल आ जाता है।

|

साथियों,

भारत में गांव के घरों के प्रॉपर्टी राइट्स देने के लिए हमने एक स्वामित्व स्कीम शुरु की। इसके लिए हम गांव-गांव में ड्रोन से सर्वे करा रहे हैं, गांव के एक-एक घर की मैपिंग करा रहे हैं। आज देशभर में गांव के घरों के प्रॉपर्टी कार्ड लोगों को दिए जा रहे हैं। दो करोड़ से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड सरकार ने बांटे हैं और ये काम लगातार चल रहा है। प्रॉपर्टी कार्ड ना होने के कारण पहले गांवों में बहुत सारे विवाद भी होते थे, लोगों को अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते थे, ये सब भी अब खत्म हुआ है। इन प्रॉपर्टी कार्ड्स पर अब गांव के लोगों को बैंकों से लोन मिल रहे हैं, इससे गांव के लोग अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, स्वरोजगार कर रहे हैं। अभी मैं एक दिन ये स्वामित्व योजना के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस पर उसके लाभार्थियों से बात कर रहा था, मुझे राजस्थान की एक बहन मिली, उसने कहा कि मैंने मेरा प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद मैंने 9 लाख रुपये का लोन लिया गांव में और बोली मैंने बिजनेस शुरू किया और मैं आधा लोन वापस कर चुकी हूं और अब मुझे पूरा लोन वापस करने में समय नहीं लगेगा और मुझे अधिक लोन की संभावना बन गई है कितना कॉन्फिडेंस लेवल है।

साथियों,

ये जितने भी उदाहरण मैंने दिए हैं, इनका सबसे बड़ा बेनिफिशरी मेरे देश का नौजवान है। वो यूथ, जो विकसित भारत का सबसे बड़ा स्टेकहोल्डर है। जो यूथ, आज के भारत का X-Factor है। इस X का अर्थ है, Experimentation Excellence और Expansion, Experimentation यानि हमारे युवाओं ने पुराने तौर तरीकों से आगे बढ़कर नए रास्ते बनाए हैं। Excellence यानी नौजवानों ने Global Benchmark सेट किए हैं। और Expansion यानी इनोवेशन को हमारे य़ुवाओं ने 140 करोड़ देशवासियों के लिए स्केल-अप किया है। हमारा यूथ, देश की बड़ी समस्याओं का समाधान दे सकता है, लेकिन इस सामर्थ्य का सदुपयोग भी पहले नहीं किया गया। हैकाथॉन के ज़रिए युवा, देश की समस्याओं का समाधान भी दे सकते हैं, इसको लेकर पहले सरकारों ने सोचा तक नहीं। आज हम हर वर्ष स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन आयोजित करते हैं। अभी तक 10 लाख युवा इसका हिस्सा बन चुके हैं, सरकार की अनेकों मिनिस्ट्रीज और डिपार्टमेंट ने गवर्नेंस से जुड़े कई प्रॉब्लम और उनके सामने रखें, समस्याएं बताई कि भई बताइये आप खोजिये क्या सॉल्यूशन हो सकता है। हैकाथॉन में हमारे युवाओं ने लगभग ढाई हज़ार सोल्यूशन डेवलप करके देश को दिए हैं। मुझे खुशी है कि आपने भी हैकाथॉन के इस कल्चर को आगे बढ़ाया है। और जिन नौजवानों ने विजय प्राप्त की है, मैं उन नौजवानों को बधाई देता हूं और मुझे खुशी है कि मुझे उन नौजवानों से मिलने का मौका मिला।

|

साथियों,

बीते 10 वर्षों में देश ने एक new age governance को फील किया है। बीते दशक में हमने, impact less administration को Impactful Governance में बदला है। आप जब फील्ड में जाते हैं, तो अक्सर लोग कहते हैं, कि हमें फलां सरकारी स्कीम का बेनिफिट पहली बार मिला। ऐसा नहीं है कि वो सरकारी स्कीम्स पहले नहीं थीं। स्कीम्स पहले भी थीं, लेकिन इस लेवल की last mile delivery पहली बार सुनिश्चित हो रही है। आप अक्सर पीएम आवास स्कीम के बेनिफिशरीज़ के इंटरव्यूज़ चलाते हैं। पहले कागज़ पर गरीबों के मकान सेंक्शन होते थे। आज हम जमीन पर गरीबों के घर बनाते हैं। पहले मकान बनाने की पूरी प्रक्रिया, govt driven होती थी। कैसा मकान बनेगा, कौन सा सामान लगेगा, ये सरकार ही तय करती थी। हमने इसको owner driven बनाया। सरकार, लाभार्थी के अकाउंट में पैसा डालती है, बाकी कैसा घर बनेगा, ये लाभार्थी खुद डिसाइड करता है। और घर के डिजाइन के लिए भी हमने देशभर में कंपीटिशन किया, घरों के मॉडल सामने रखे, डिजाइन के लिए भी लोगों को जोड़ा, जनभागीदारी से चीज़ें तय कीं। इससे घरों की क्वालिटी भी अच्छी हुई है और घर तेज़ गति से कंप्लीट भी होने लगे हैं। पहले ईंट-पत्थर जोड़कर आधे-अधूरे मकान बनाकर दिए जाते थे, हमने गरीब को उसके सपनों का घर बनाकर दिया है। इन घरों में नल से जल आता है, उज्ज्वला योजना का गैस कनेक्शन होता है, सौभाग्य योजना का बिजली कनेक्शन होता है, हमने सिर्फ चार दीवारें खड़ी नहीं कीं है, हमने उन घरों में ज़िंदगी खड़ी की है।

साथियों,

किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी पक्ष है उस देश की सुरक्षा, नेशनल सिक्योरिटी। बीते दशक में हमने सिक्योरिटी पर भी बहुत अधिक काम किया है। आप याद करिए, पहले टीवी पर अक्सर, सीरियल बम ब्लास्ट की ब्रेकिंग न्यूज चला करती थी, स्लीपर सेल्स के नेटवर्क पर स्पेशल प्रोग्राम हुआ करते थे। आज ये सब, टीवी स्क्रीन और भारत की ज़मीन दोनों जगह से गायब हो चुका है। वरना पहले आप ट्रेन में जाते थे, हवाई अड्डे पर जाते थे, लावारिस कोई बैग पड़ा है तो छूना मत ऐसी सूचनाएं आती थी, आज वो जो 18-20 साल के नौजवान हैं, उन्होंने वो सूचना सुनी नहीं होगी। आज देश में नक्सलवाद भी अंतिम सांसें गिन रहा है। पहले जहां सौ से अधिक जिले, नक्सलवाद की चपेट में थे, आज ये दो दर्जन से भी कम जिलों में ही सीमित रह गया है। ये तभी संभव हुआ, जब हमने nation first की भावना से काम किया। हमने इन क्षेत्रों में Governance को Grassroot Level तक पहुंचाया। देखते ही देखते इन जिलों मे हज़ारों किलोमीटर लंबी सड़कें बनीं, स्कूल-अस्पताल बने, 4G मोबाइल नेटवर्क पहुंचा और परिणाम आज देश देख रहा है।

साथियों,

सरकार के निर्णायक फैसलों से आज नक्सलवाद जंगल से तो साफ हो रहा है, लेकिन अब वो Urban सेंटर्स में पैर पसार रहा है। Urban नक्सलियों ने अपना जाल इतनी तेज़ी से फैलाया है कि जो राजनीतिक दल, अर्बन नक्सल के विरोधी थे, जिनकी विचारधारा कभी गांधी जी से प्रेरित थी, जो भारत की ज़ड़ों से जुड़ी थी, ऐसे राजनीतिक दलों में आज Urban नक्सल पैठ जमा चुके हैं। आज वहां Urban नक्सलियों की आवाज, उनकी ही भाषा सुनाई देती है। इसी से हम समझ सकते हैं कि इनकी जड़ें कितनी गहरी हैं। हमें याद रखना है कि Urban नक्सली, भारत के विकास और हमारी विरासत, इन दोनों के घोर विरोधी हैं। वैसे अर्नब ने भी Urban नक्सलियों को एक्सपोज करने का जिम्मा उठाया हुआ है। विकसित भारत के लिए विकास भी ज़रूरी है और विरासत को मज़बूत करना भी आवश्यक है। और इसलिए हमें Urban नक्सलियों से सावधान रहना है।

साथियों,

आज का भारत, हर चुनौती से टकराते हुए नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मुझे भरोसा है कि रिपब्लिक टीवी नेटवर्क के आप सभी लोग हमेशा नेशन फर्स्ट के भाव से पत्रकारिता को नया आयाम देते रहेंगे। आप विकसित भारत की एस्पिरेशन को अपनी पत्रकारिता से catalyse करते रहें, इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत-बहुत आभार, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद!