मंच पर विराजमान उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान राम नाइक जी, उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य जी, उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल के सदस्यगण, संसद में मेरे सहयोगी श्रीमान श्यामाचरण गुप्ता जी, विनोद कुमार सोनकर जी, वीरेन्द्र सिंह जी, प्रयागराज की मेयर अभिलाषा गुप्ता जी और भारी संख्या में पधारे प्रयागराज के मेरे भाइयो और बहनों।
तप, तपस्या, संस्कृति, संस्कार की धरती तीर्थराज प्रयाग के जन-जन को मेरा सादर प्रणाम। जब भी प्रयागराज आने का अवसर मिलता है, तो मन एवं मस्तिष्क में एक अलग ही ऊर्जा का संचार होता है। यहां के वातावरण में, यहां के कण-कण में ही ऋषियों और मनीषियों की दिव्यता का वास है। जिसका संचार यहां आने वाले हर यात्री को अनंतकाल से होता रहा है।
प्रयाग के बारे में कहा गया है- को कहि सकहि प्रयाग प्रभाऊ। कलुष पुंज कुंजर मृगराऊ।।
मतलब ये कि पापों के समूहरूपी हाथी को मारने के लिए सिंह रूप प्रयागराज के प्रभाव और महात्मय का वर्णन करना मुश्किल है। ये वो पवित्र तीर्थस्थल है जिसके दर्शन कर सुख के समुद्र रघुकुल श्रेष्ठ श्रीराम जी ने भी सुख पाया।
भाइयो और बहनों, आज जब अर्द्धकुंभ से पहले मैं यहां आया हूं, तब मैं आप सभी को, देश के हर जन को, एक खुशखबरी भी देना चाहता हूं। इस बार अर्द्धकुंभ में सभी श्रद्धालु अक्षय वट के दर्शन कर सकेंगे। कई पीढ़ियों से अक्षय वट किले में बंद था, लेकिन इस बार यहां आने वाला हर श्रद्धालु प्रयागराज की त्रिवेणी में स्नान करने के बाद अक्षय वट के दर्शन का भी सौभाग्य प्राप्त कर सकेगा।
इतना ही नहीं, अक्षय वट के साथ सरस्वती कुंभ दर्शन भी अब उसके लिए संभव हो पाएंगे। मैं तो खुद भी थोड़ी देर पहले अक्षय वट के दर्शन करके आपके बीच आया हूं। ये वृक्ष अपनी गहरी जड़ों के कारण बार-बार पल्लिवित होकर हमें भी जीवन के प्रति ऐसा ही जीवट रवैया अपनाने की प्रेरणा देता है।
साथियो, ऐसे दिव्य औरजीवंत प्रयागराज को और आकर्षक और आधुनिक बनाने से जुड़ी करीब साढ़े चार हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास थोड़ी देर पहले यहां किया गया है। इसमें सड़क, रेलवे, शहर और मां गंगा की साफ-सफाई, स्मार्ट सिटी जैसे सैंकड़ों प्रोजेक्ट इसमें शामिल हैं।
प्रयागराज के जन-जन आप सभी के जीवन को सुगम और सरल बनाने के लिए बनी इन सुविधाओं के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। इन परियोजनाओं से कुंभ में यहां प्रवास करने वाले कल्पवासियों को भी बहुत सुविधा मिलेगी।
साथियो, भाजपा सरकार ने कुंभ के दौरान connectivity से लेकर यहां के infrastructure पर विशेष ध्यान दिया है। हमारा प्रयास प्रयागराज तक आने वाले हर रास्ते को मजबूत करने का, सुधारने का; चाहे वो रेल मार्ग हो, air connectivity हो या फिर सड़कों को सुधारने की बात हो। कुंभ को ध्यान में रखकर रेलवे मंत्रालय इस बार भी अनेक नई ट्रेन चलाने जा रहा है। अभी शहर के बड़े फ्लाईओवर, रेलवे ओवर ब्रिज और अंडरपास, बिजली व पेयजल की जिन-जिन परियोजनाओं का लोकार्पण मैंने किया है, उससे यहां का infrastructure और connectivity, दोनों ही सुधरेंगे।
इस कार्यक्रम के बाद मैं यहां से आपके प्रयागराज एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का उद्घाटन करने के लिए भी जा रहा हूं। इस नए टर्मिनल को रिकॉर्ड एक साल केभीतर बनाया गया है। इस टर्मिनल से यात्रियों की सुविधा तो बढ़ेगी ही, देश के कई शहरों से प्रयागराज की connectivity भी बढ़ जाएगी। मैं प्रयागराज के लोगों को इसकी अग्रिम बधाई देता हूं।
साथियो, ये तमाम सुविधाएं यूं तो अर्द्धकुंभ से ठीक पहले तैयार हो रही हैं, लेकिन इनका प्रभाव यहीं तक सीमित नहीं रहने वाला। ये आने वाले समय में प्रयागराज में जीवन के हर स्तर पर सकारात्मक असर लाने वाली हैं। इसमें सबसे खास बात ये भी है कि पहले की तरह कच्चा-पक्का काम नहीं किया गया है, जिन सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है, वो स्थाई हैं, permanent हैं। 100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनेइन्टीग्रेटेड कमांड कन्ट्रोल सेन्टरप्रयागराज की पौराणिकता के आधुनिकता से संगम का प्रतीक है।ये स्मार्ट प्रयागराज का एक अहम सेंटर है। सड़क, बिजली, पानी से लेकर तमाम व्यवस्थाएं इसी सेंटर से संचालित होने वाली हैं।
भाइयो और बहनों, सरकार का प्रयास है कि इस बार अर्द्धकुंभ में तप से तकनीक तक, उसके हर पहलु का अनुभव, दुनियाभर के लोगों को मिल सके। तप की भी अनुभूति हो और आधुनिक तकनीक की भी अनुभूति हो। अध्यात्म, आस्था और आधुनिकता की त्रिवेणी कितनी भव्य और बेजोड़ हो सकती है, इसका अनुभव लेकर लोग यहां से जाएं, इसकी पूरी कोशिश की जा रही है।
यहां बना सेल्फी प्वाइंट भी आकर्षण का केंद्र है। थोड़ी देर पहले मैंने विशेष अतिथियों के साथ दिव्य कुंभ, भव्य कुंभ सेल्फी प्वाइंट पर भी फोटो खिंचवाई है।
साथियो अर्द्धकुंभ और सेल्फी का संगम तब तक अधूरा रहेगा जब तक यहां की मूल शक्ति, मूल संगम, त्रिवेणी भव्य न हो।त्रिवेणी की शक्ति का एक बड़ा स्रोत है मां गंगा। मां गंगा स्वच्छ हो, निर्मल हो, अविरल हो; इसके लिए सरकार तेज गति से काम कर रही है।
आज यहां जो हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण हुआ है, उसमें गंगा जी की सफाई और यहां के घाटों के सौन्दर्यीकरण से जुड़े अनेक प्रोजेक्ट्स भी उसमें शामिल हैं। 1700 करोड़ रुपये की लागत से बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से शहर के करीब एक दर्जन नालों को सीधे गंगाजी में बहने से रोका जा सकेगा। वहीं नमामि गंगे परियोजना में करीब 150 घाटों का सौन्दर्यीकरण भी किया जा रहा है। इसमें से करीब 50 घाटों का काम पूरा हो गया है। ऐसे 6 घाटों का लोकार्पण भी आज यहां किया गया है।
भाइयो और बहनों, प्रयागराज हो, काशी हो, कानपुर हो, यूपी के तमाम शहरों समेत गंगा के किनारे बसे हर राज्य में इस प्रकार की सुविधाओं का निर्माण हो रहा है।नमामि गंगे मिशन के तहत अब तक साढ़े 24 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा कीपरियोजनाओं को स्वीकृति दे दी जा चुकी है। 5 हजार करोड़ रुपये के 75 प्रोजेक्ट्स पूरे किए जा चुके हैं। हजारों करोड़ रुपये के 150 प्रोजेक्ट्स, उस पर तेजी से काम चल रहा है।
साथियो, गंगा मैया निर्मल और अविरल होगी, इस निश्चय के पीछे की सबसे बड़ी शक्ति, सरकारी तंत्र तो है ही; करोड़ों स्वच्छाग्रहियों, मां गंगा के सेवकों का भी योगदान है। जन-जन इस अभियान से जुड़े रहे हैं। अपने स्तर पर काम कर रहे हैं। गंगाजी के प्रति जन-भागीदारी और जिम्मेदारी ने हमारे प्रयासों को अधिक बल दिया है। अब गंगा के किनारे के करीब-करीब सारे गांव अब खुले में शौच से मुक्त घोषित कर चुके हैं।
भाइयो और बहनों, शास्त्रों में स्वच्छता को देवत्व से जोड़ा गया है। कुंभ में देवताओं का निवास होता है। ऐसे में कुंभ में मां गंगा की सफाई हो या फिर स्वच्छ कुंभ की बात, इस बार के कुंभ में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
अभी मैंने यहां आने से पहले स्वच्छ कुंभ की प्रदर्शनी देखी। और लोकार्पण में भी कुंभ में स्वच्छता रहे, इसके लिए आधुनिक तकनीक और पोर्टेबल काम्पैक्टरजैसे उपकरण लगाने की योजना की शुरूआत कर दी है।
साथियों, केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिल करके ये सुनिश्चित करने में जुटी है कि आयोजन दर्शनीय, दार्शनिक और दिव्य बने। सरकार का पूरा प्रयास है कि यहां भारत के गौरवशाली अतीत के दर्शन और वैभवशाली भविष्य की झलक दुनिया को देखने के लिए मिले।
मुझे प्रसन्नता है कि सरकार के इन प्रयासों में प्रयागराज का एक-एक नागरिक जुड़ा है। अपने स्तर पर अनेक प्रयास आप सभी कर रहे हैं। शहर की साफ-सफाई से लेकर अतिथि के सत्कार के लिए सकारात्मक वातावरण बनाने में आप लगे हुए हैं। यहां जो प्रदर्शनी लगी है उसमें मैंने देखा कि कैसे आकर्षक पेंटिंग्स, उससे शहर को सजाया जा रहा है। चित्रों के माध्यम से प्रयागराज और भारत के दर्शन कराने का ये अद्भुत प्रयास सराहनीय है और यह अनुभव यहां आने वाले हर यात्री के लिए अनुपम होगा।
साथियो, प्रयागराज के लोगों की इसी भावना को समझते हुए, आपके स्नेह को देखते हुए, मैं दुनियाभर में लोगों को अर्द्धकुंभ में आने के लिए न्योता दे आया हूं। बीते एक-डेढ़ वर्ष से जहां भी मैं गया हूं, वहां रहने वाले हर भारतवासी को अपने विदेशी दोस्तों के साथ प्रयागराज आकर भारत की सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने का निमंत्रण मैंने स्वयं जा-जा करके दिया है; क्योंकि मैं भी अब उत्तर प्रदेश वाला हूं ना।
आपने देखा होगा, कल ही यहां संगम पर 70 देशों का झंडा लहराया गया । 70 देशों के भारत में नियुक्त प्रतिनिधियों ने, राजनयिकों ने पूरे कुंभ क्षेत्र का दौरा किया, यहां के अद्भुत वातावरण का आनंद लिया। इस तरह के प्रयास कुंभ की वैश्विक लोकप्रियता बढ़ाने में और सहायक सिद्ध होंगे।
साथियो, इस बार दो महत्वपूर्ण आयोजन दुनिया के सबसे पुरातन सांस्कृतिक शहरों- प्रयागराज और काशी में एक साथ हो रहे हैं। जब यहां अर्द्धकुंभ के लिए दुनिया जुटेगी तब काशी में प्रवासी भारतीय दिवस के लिए दुनियाभर के भारतीय जुटने वाले हैं। जाहिर है उनका भी यहां आने का कार्यक्रम बनेगा।
भाइयो और बहनों, अर्द्धकुंभ सिर्फ करोड़ों लोगों के एकजुट होने का ही पर्व नहीं है, यहां आने वाले करोड़ों लोगों के जरिए पूरा देश, उसमें आने वाले करोड़ों लोगों के बीच होने वाला संपर्क और संवाद हमारे देश को दिशा देता है। कुंभ में आने वाले करोड़ों लोगों के साथ ही करोडों विचारों का प्रवाह भी भारत को समृद्ध और सशक्त बनाता है।
कुंभ का पर्व भारत और भारतीयता का सबसे बड़ा प्रमाण है। ये पर्व भाषा, भूषा और भिन्नता को खत्म कर एक होने की प्रेरणा देता है। ये पर्व हमें जोड़ता है, ये पर्व गांव और शहर को एक करता है। एक भारत-श्रेष्ठ भारत की सही तस्वीर यहां दिखती है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि यहां आने वाले हर अतिथि का हम खुद ध्यान रखें।ये आयोजन सिर्फ श्रद्धा नहीं, देश की प्रतिष्ठा का भी सवाल है। हमें ये सुनिश्चित करना है कि भारत की एक नई तस्वीर, उसे ले करके दुनिया यहां से वापस जाए।
इस दौरान दुनियाभर के हजारों छात्र यहां के मैनेजमेंट के बारे में सीखने-पढ़ने भी आएंगे। दुनिया की सबसे बड़ी मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी इस आयोजन की विशालता, विविधता और सफलता पर बच्चों को मैनेजमेंट के गुर सिखाती रही है।
साथियो, भारत की पहचान हमारी सांस्कृतिक विरासत से है, ज्ञान के भंडार से है। इसी शक्ति से दुनिया को परिचित करवाने के लिए स्वामी विवेकानंद समेत तमाम महर्षियो ने अपना जीवन समर्पित कर दिया।बीते चार-साढ़े चार वर्षों सेकेंद्र सरकार भी ये निरंतर प्रयास कर रही है कि संसाधनों के साथ-साथ देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का भी प्रभाव बढ़े।
साथियो, मैं आज पवित्र प्रयागराज में आपसे और देश के लोगों से एक और अहम विषय पर बात करना चाहता हूं। प्रयागराज वो जगह है, जिसे उत्तर प्रदेश में न्याय का मंदिर भी कहा जा सकता है। बीते कुछ समय से जिस तरह एक बार फिर न्यायपालिका पर दबाव का खेल शुरू हुआ है, उस स्थिति में देश को, आज की युवा पीढ़ी को सतर्क किया जाना बहुत आवश्यक है।
साथियो, देश पर सबसे ज्यादा समय शासन करने वाली पार्टी ने हमेशा ही खुद को हर कानून, न्यायपालिका, संस्था, और यहां तक कि देश से भी अपने-आपको ऊपर माना है। देश की हर उस संस्था को, यहां तक कि संवैधानिक संस्थाओं को भी इस पार्टी ने बर्बाद कर दिया, जो उसकी मर्जी से नहीं चलीं, उसके इशारों पर काम करने को, झुकने को तैयार नहीं हुईं।
भाइयो और बहनों, इसी मनमानी की वजह से हमारे देश की न्याय प्रणाली को भी कमजोर करने का प्रयास किया गया। इसका सिर्फ एक कारण था कि न्यायपालिका उन संस्थाओं में से एक रही है, जो इस पार्टी के भ्रष्ट और निरंकुश तरीकों के खिलाफ खड़ी रहती हैं। इस बात को प्रयागराज और यूपी के लोगों से बेहतर कौन जान सकता है कि कांग्रेस को न्यायपालिका क्यों पसंद नहीं है? यूपी के लोग वो दिन याद करें- जब इस पार्टी के सर्वोच्च नेता द्वारा यहां जनमत को अपमानित करने का काम किया गया था। क्या ये लोकतंत्र का अपमान नहीं था?
साथियो, देश वो दिन भी नहीं भूल सकता जब प्रयागराज के हाईकोर्ट ने सत्य और संविधान का साथ देकर उनको संसद से, पार्लियामेंट मेंबर से बेदखल कर दिया तो उन्होंने लोकतंत्र को ही समाप्त करने की कोशिश की। देश पर आपातकाल मढ़ दिया। यहां तक कि देश का संविधान भी बदल डाल दिया गया। कोशिश तो यहां तक हुई कि न्यायपालिका से चुनाव याचिका सुनने तक का अधिकार छीन लिया जाए।
साथियो, कांग्रेस के नेताओं की यही प्रवृत्ति रही है। इस प्रवृत्ति में देश की संवैधानिक संस्थाओं को एक पार्टी के आगे हाथ बांधे खड़ा रहने पर मजबूर किया जाता है। जो झुकता नहीं उसे तोड़ने की कोशिश की जा रही है। ये उनकी सामंती और राजाशाही सोच है जो उन्हें निष्पक्ष संस्थाओं को बलपूर्वक बर्बाद करने को उकसाती रहती है। न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को बर्बाद करने, उसे नष्ट करने के लिए ये पार्टी सिर्फ बल का ही इस्तेमाल नहीं करती है, वो छल का भी इस्तेमाल करती है। अपनी साजिश को सफल करने के लिए कपट, प्रपंच, धूर्तता की हर हद पार कर जाती है। न्यायपालिका को लेकर इस पार्टी की कार्य संतुति रही है- जब शासन में होते हैं तो लटकाना और विपक्ष में होते हैं तो धमकाना।
साथियो, मैं देश को केशवानंद भारती के महत्वपूर्ण केस की भी याद दिलाना चाहता हूं। इस केस में फैसला सुनाने वाले जजों ने जब दबाव में आने से इनकार कर दिया तोवर्षों से चली आ रही न्यायिक परम्परा को ही बदल डाला गया। सबसे सीनियर जज को चीफ जस्टिस बनाने की बजाय एक ऐसे न्यायमूर्ति को ये पद दे दिया, जो वरिष्ठता के क्रम में तीन जजों के बाद आते थे। ये था इन लोगों के काम करने का तरीका, न्यायपालिका पर दबाव बनाने का तरीका।इसी तरह आपातकाल के फैसले पर जब जस्टिस खन्ना ने असहमति जताई, तो उनके साथ भी यही किया गया। उनके भी वरिष्ठता क्रम को नजरअंदाज किया गया।
भाइयो और बहनों, अपने स्वार्थ के आगे न ये देश का हित देखते हैं, न लोकतंत्र का। इनके मन में न कानून के लिए सम्मान है, न परम्परा के लिए। इनके एक नेता का सार्वजनिक तौर पर दिया गया बयान तो खूब चर्चा में रहा था। उन्होंने कहा था- हम मुख्य न्यायाधीश उसी को बनने देंगे जो हमारी विचारधारा, हमारे विचारों से सहमत हो और हमारे हिसाब से चले।
साथियों, हमारे देश में न्यायपालिका देश के संविधान को सर्वोपरि रख करके काम करती रही है। लेकिन देश इस बात का भी गवाह रहा है कि नयायपालिका को अपने हिसाब से मोड़ने के लिए कैसे एक राजनीतिक दल द्वारा लोभ, लालच, बैर, सत्ता, सबका इस्तेमाल किया जाता रहा है। इस दल के पास न्यायपालिका को अटकाने, लटकाने, भटकाने और धमकाने के बहुत से तरीके उनकी आदत है।
हाल में ही हमने देखा कि कैसे उन्होंने न्यायपालिका के सर्वोच्च न्यायमूर्ति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की कोशिश की। जजों को डराने, धमकाने की ये कोशिश उनकी पुरानी सोच का हिस्सा है।
मुझे सर्खियों में रहा वो वाक्य भी याद है जब इनके एक नेता के एक केस की सुनवाई कर रहे जज से पूछा गया था कि क्या वो नहीं चाहते कि उनकी पत्नी करवाचौथ मनाए? ये धमकी नहीं तो क्या है?
भाइयो और बहनों, ये लोग हर संस्था को बर्बाद करने का प्रयास करने के बाद अब लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं। लेकिन इनका व्यवहार, इनकी साजिशें, बार-बार ये साबित कर रही हैं कि ये खुद को देश, लोकतंत्र, न्यायपालिका और यहां तक की लोगों के भी ऊपर समझते हैं।अभी दो दिन पहले भी हम इसका एक और उदाहरण देख चुके हैं। और इसलिए मैं आपसे फिर कहना चाहता हूं, सावधान रहिए, सतर्क रहिए ऐसे लोगों से, ऐसे दल से।
भाइयो और बहनों, कांग्रेस का इतिहास जितना स्याह है, वर्तमान उतना ही कलंकित। सत्ता और स्वार्थ में डूबे इन लोगों और इनके सहयोगियों को न तो देशवासियों से मतलब है, न देश से और न ही देश की आर्थिक-सांस्कृतिक समृद्धि से। उन्हें खास मौकों पर ही संस्कृति याद आती है, जबकि हमारे लिए तो राष्ट्र, राष्ट्र की सम्पन्नता, राष्ट्र का वैभव और आध्यात्मिक समृद्धि हमारी सोच का हिस्सा है।
इसी संस्कार के तहत यूपी समेत पूरे देश में प्रसाद योजना के तहत आस्था और आध्यात्म से जुड़े अहम स्थानों को जोड़ा जा रहा है। वहां सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है। प्रयागराज हो, काशी हो, अयोध्या-वृंदावन हो, केदारनाथ से लेकर कामख्या और सबरीमाला तक, आस्था के ऐसे अनेक केंद्रों को भव्य और दिव्य बनाया जा रहा है।
भाइयो और बहनों, भारत किस प्रकार बदल रहा है। नया भारत कैसे पौराणिकता और आधुनिकता को समेट रहा है, उसकी झलक अर्द्धकुंभ में मिलने वाली है।
मेरा आप सभी प्रयागवासियों से आग्रह है कि हम आधुनिकता से आध्यात्म को, विकास से विश्वास को और सहूलियत से श्रद्धा को जोड़़कर कुंभ को सफलतम आयोजन बनाएं।
सरकार अपने दायित्व को पूरा कर रही है। लेकिन इतना बड़ा आयोजन सिर्फ सरकारी व्यवस्थाओं के भरोसे पर सफल होना संभव नहीं है। मैं खुद, योगीजी, हमारे तमाम साथी, आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस बार अर्द्धकुंभ को अभूतपूर्व आयोजन बनाएंगे।
इसी आशा के साथ एक बार फिर आप सभी को, प्रयागराज को तमाम विकास परियोजनाओं के लिए बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
जय गंगा मैया - जय
जय यमुना मैया – जय
जय सरस्वती तैया – जय
जय तीर्थराज – जय तीर्थराज
जय तीर्थराज – जय तीर्थराज
भारत माता की – जय
भारत माता की – जय
भारत माता की – जय
बहुत-बहुत धन्यवाद