Quoteबीते 6 वर्षों में गंगा नदी में जाने वाले 130 नालों को बंद किया गया
Quoteअपनी तरह की पहले गंगा नदी संग्रहालय 'गंगा अवलोकन' का उद्घाटन
Quote2 अक्टूबर से 100 दिवसीय विशेष अभियान चलाकर देश के प्रत्येक स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने की घोषणा
Quoteकोरोना महामारी के दौर में 50,000 परिवारों को पेयजल कनेक्शन उपलब्ध करवाने के लिए उत्तराखंड सरकार की सराहना की

उत्तराखंड की गवर्नर श्रीमती बेबी रानी मौर्या जी, मुख्यमंत्री श्रीमान त्रिवेंद्र सिंह रावत जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी श्री गजेंद्र सिंह शेखावत जी, डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक जी, श्री रतन लाल कटारिया जी, अन्य अधिकारीगण और उत्तराखंड के मेरे भाइयों और बहनों, चार धाम की पवित्रता को अपने में समेटे देवभूमि उत्तराखंड की धरा को मेरा आदरपूर्वक नमन!

आज मां गंगा की निर्मलता को सुनिश्चित करने वाले 6 बड़े प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण किया गया है। इसमें हरिद्वार, ऋषिकेश, बद्रीनाथ और मुनी की रेती में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और म्यूजियम जैसे प्रोजेक्ट्स भी शामिल हैं। इन तमाम प्रोजेक्ट्स के लिए उत्तराखंड के सभी साथियों को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों, अब से कुछ देर पहले जल जीवन मिशन के खूबसूरत Logo का और मिशन मार्गदर्शिका का भी विमोचन हुआ है। जल जीवन मिशन- भारत के गांवों में, हर घर तक शुद्ध जल, पाइप से पहुंचाने का ये बहुत बड़ा अभियान है। मिशन का Logo, निरंतर इस बात की प्रेरणा देगा कि पानी की एक-एक बूंद को बचाना आवश्यक है. वहीं ये मार्गदर्शिका, गांव के लोगों, ग्राम पंचायत के लिए भी उतनी ही जरूरी है जितनी सरकारी मशीनरी के लिए आवश्‍यक है। ये परियोजना की सफलता सुनिश्चित करने का बहुत बड़ा माध्यम है।

साथियों, आज जिस पुस्तक का विमोचन हुआ है, उसमें भी विस्तार से बताया गया है कि गंगा किस तरह हमारे सांस्कृतिक वैभव, आस्था और विरासत, तीनों का ही बहुत बड़ा प्रतीक हैं। उत्तराखंड में उद्गम से लेकर पश्चिम बंगाल में गंगा सागर तक गंगा, देश की करीब-करीब आधी आबादी के जीवन को समृद्ध करती हैं। इसलिए गंगा की निर्मलता आवश्यक है, गंगा जी की अविरलता आवश्यक है। बीते दशकों में गंगा जल की स्वच्छता को लेकर बड़े-बड़े अभियान शुरू हुए थे। लेकिन उन अभियानों में न तो जन-भागीदारी थी और न ही दूरदर्शिता। नतीजा ये हुआ कि गंगा का पानी, कभी साफ ही नहीं हो पाया।

साथियों, अगर गंगा जल की स्वच्छता को लेकर वही पुराने तौर-तरीके अपनाए जाते, तो आज भी हालत उतनी ही बुरी रहती। लेकिन हम नई सोच, नई अप्रोच के साथ आगे बढ़े। हमने नमामि गंगे मिशन को सिर्फ गंगा जी की साफ-सफाई तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे देश का सबसे बड़ा और विस्तृत नदी संरक्षण कार्यक्रम बनाया। सरकार ने चारों दिशाओं में एक साथ काम आगे बढ़ाया। पहला- गंगा जल में गंदा पानी गिरने से रोकने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों का जाल बिछाना शुरू किया। दूसरा- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ऐसे बनाए, जो अगले 10-15 साल की भी जरूरतें पूरी कर सकें। तीसरा- गंगा नदी के किनारे बसे सौ बड़े शहरों और पांच हजार गांवों को खुले में शौच से मुक्त करना और चौथा- जो गंगा जी की सहायक नदियां हैं, उनमें भी प्रदूषण रोकने के लिए पूरी ताकत लगाना।

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साथियों, आज इस चौतरफा काम का परिणाम हम सभी देख रहे हैं। आज नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 30 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं पर या तो काम चल रहा है या फिर पूरा हो चुका है। आज जिन प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण किया गया है, उनके साथ ही उत्तराखंड में इस अभियान के तहत चल रहे करीब-करीब सभी बड़े प्रोजेक्ट्स पूरे हो चुके हैं। हज़ारों करोड़ के इन प्रोजेक्ट्स से सिर्फ 6 सालों में ही उत्तराखंड में सीवेज ट्रीटमेंट की क्षमता करीब-करीब 4 गुना हो चुकी है।

साथियों, उत्तराखंड में तो स्थिति ये थी कि गंगोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ से हरिद्वार तक 130 से ज्यादा नाले गंगा जी में गिरते थे। आज इन नालों में से अधिकतर को रोक दिया गया है। इसमें ऋषिकेश से सटे 'मुनि की रेती' का चंद्रेश्वर नगर नाला भी शामिल है। इसके कारण यहां गंगाजी के दर्शन के लिए आने वाले, राफ्टिंग करने वाले, साथियों को बहुत परेशानी होती थी। आज से यहां देश का पहला चार मंजिला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट शुरु हो चुका है। हरिद्वार में भी ऐसे 20 से ज्यादा नालों को बंद किया जा चुका है। साथियों, प्रयागराज कुंभ में गंगा जी की निर्मलता को दुनियाभर के श्रद्धालुओं ने अनुभव किया था। अब हरिद्वार कुंभ के दौरान भी पूरी दुनिया को निर्मल गंगा स्नान का अनुभव होने वाला है। और उसके लिए लगातार प्रयास चल रहे हैं।

साथियों, नमामि गंगे मिशन के तहत ही गंगा जी पर सैकड़ों घाटों का सुंदरीकरण किया जा रहा है और गंगा विहार के लिए आधुनिक रिवरफ्रंट के निर्माण का कार्य भी किया जा रहा है। हरिद्वार में तो रिवरफ्रंट बनकर तैयार है। अब गंगा म्यूजियम के बनने से यहां का आकर्षण और अधिक बढ़ जाएगा। ये म्यूजियम हरिद्वार आने वाले पर्यटकों के लिए, गंगा से जुड़ी विरासत को समझने का एक माध्यम बनने वाला है।

साथियों, अब नमामि गंगे अभियान को एक नए स्तर पर ले जाया जा रहा है। गंगा जी की स्वच्छता के अलावा अब गंगा से सटे पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के विकास पर भी फोकस है। सरकार द्वारा उत्तराखंड सहित सभी राज्यों के किसानों को जैविक खेती, आयुर्वेदिक पौधों की खेती का लाभ दिलाने के लिए व्यापक योजना बनाई गई है। गंगा जी के दोनों ओर पेड़-पौधे लगाने के साथ ही ऑर्गेनिक फार्मिंग से जुड़ा कॉरिडोर भी विकसित किया जा रहा है। गंगा जल को बेहतर बनाने के इन कार्यों को अब मैदानी इलाकों में मिशन डॉल्फिन से भी मदद मिलने वाली है। इसी 15 अगस्त को मिशन डॉल्फिन का ऐलान किया गया है। ये मिशन गंगा जी में डॉल्फिन संवर्धन के काम को और मजबूत करेगा।

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साथियों, आज देश, उस दौर से बाहर निकल चुका है जब पानी की तरह पैसा तो बह जाता था, लेकिन नतीजे नहीं मिलते थे। आज पैसा न पानी की तरह बहता है, न पानी में बहता है, पर पैसा पाई-पाई पानी पर लगाया जाता है। हमारे यहां तो हालत ये थी कि पानी जैसा महत्वपूर्ण विषय, अनेकों मंत्रालयों और विभागों में बिखरा पड़ा था, बंटा हुआ था। इन मंत्रालयों में, विभागों में न कोई तालमेल था और न ही समान लक्ष्य के लिए काम करने का कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश। नतीजा ये हुआ कि देश में सिंचाई हो या फिर पीने के पानी से जुड़ी समस्या, ये निरंतर विकराल होती गईं। आप सोचिए, आजादी के इतने वर्षों बाद भी 15 करोड़ से ज्यादा घरों में पाइप से पीने का पानी नहीं पहुंचता था। यहां उत्तराखंड में भी हजारों घरों में यही हाल था। गांवों में, पहाड़ों में, जहां आना जाना तक मुश्किल हो, वहां पीने के पानी का इंतजाम करने में सबसे ज्यादा तकलीफ हमारी माताओं को- बहनों को- बेटियों को उठानी पड़ती थी, पढ़ाई छोड़नी पड़ती थी। इन समस्याओं को दूर करने के लिए, देश की पानी से जुड़ी सारी चुनौतियों पर एक साथ ऊर्जा लगाने के लिए ही जल-शक्ति मंत्रालय का गठन किया गया।

मुझे खुशी है कि बहुत ही कम समय में जलशक्ति मंत्रालय ने तेजी से काम संभालना शुरू कर दिया। पानी से जुड़ी चुनौतियों के साथ-साथ अब ये मंत्रालय देश के गांवों में, हर घर तक जल पहुंचाने के मिशन में जुटा हुआ है। आज जल-जीवन मिशन के तहत हर दिन करीब-करीब 1 लाख परिवारों को शुद्ध पेयजल की सुविधा से जोड़ा जा रहा है। सिर्फ 1 साल में ही देश के 2 करोड़ से ज्यादा परिवारों तक पीने का पानी पहुंचाया जा चुका है। यहां उत्तराखंड में तो त्रिवेंद जी और उनकी टीम ने एक कदम आगे बढ़ते हुए सिर्फ 1 रुपए में पानी का कनेक्शन देने का बीड़ा उठाया है। मुझे खुशी है कि उत्तराखंड सरकार ने साल 2022 तक ही राज्य के हर घर तक जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। कोरोना के इस कालखंड में भी उत्तराखंड में बीते 4-5 महीने में 50 हज़ार से अधिक परिवारों को पानी के कनेक्शन दिए जा चुके हैं। ये उत्तराखंड सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाता है, कमिटमेंट को दिखाता है।

साथियों, जलजीवन मिशन गांव और गरीब के घर तक पानी पहुंचाने का तो अभियान है ही, ये एक प्रकार से ग्राम स्वराज को, गांव के सशक्तिकरण को, उसके लिए भी एक नई ऊर्जा, नई ताकत, भी नई बुलंदी देने वाला अभियान है। सरकार के काम करने में कैसे बहुत बड़ा बदलाव आया है, ये उसका भी उदाहरण है। पहले सरकारी योजनाओं पर अक्सर दिल्ली में ही बैठकर फैसला होता था। किस गांव में कहां सोर्स टैंक बनेगा, कहां से पाइपलाइन बिछेगी, ये सब फैसले ज्यादातर राजधानियों में ही होते थे। लेकिन जल जीवन मिशन ने अब इस पूरी परिपाटी को ही बदल दिया है। गांव में पानी से जुड़े कौन से काम हों, कहां काम हों, उसकी क्या तैयारी हो, ये सब कुछ तय करने का, फैसला लेने का अधिकार अब गांव के लोगों को ही दे दिया गया है। पानी के प्रोजेक्ट्स की प्लानिंग से लेकर रख-रखाव और संचालन तक की पूरी व्यवस्था ग्राम पंचायत करेगी, पानी समितियां करेंगी। पानी समितियों में भी 50 प्रतिशत गांव की बहनें हों-गांव की बेटियां हों, ये भी सुनिश्चित किया गया है।

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साथियों, आज जिस मार्गदर्शिका का विमोचन किया गया है, वो इन्हीं बहनों-बेटियों, पानी कमेटी के सदस्यों, पंचायत सदस्यों के सबसे ज्यादा काम आने वाली हैं। एक प्रकार की मार्गदर्शिका है और मेरा पक्‍का विश्‍वास है कि पानी की कठिनाई क्‍या होती है, पानी का मूल्‍य क्‍या होता है, पानी की आवश्‍यकता कैसे सुविधा और संकट दोनों लाती है। इस बात को हमारी माताएं-बहने जितना समझती हैं, शायद ही कोई समझता है। और इसलिए जब इसका पूरा कारोबार माताओं-बहनों के हाथ में जाता है तो बड़ी संवेदनशीलता के साथ, बड़ी जिम्‍मेदारी के साथ वो इस काम को निभाती हैं और अच्‍छे परिणाम भी देती है।

ये गांव के लोगों को एक मार्ग दिखाएगी, उन्हें फैसला लेने में मदद करेगी। मैं समझता हूं, जल जीवन मिशन ने गांव के लोगों को एक अवसर दिया है। अवसर, अपने गांव को पानी की समस्याओं से मुक्त करने का, अवसर, अपने गांव को पानी से भरपूर करने का। मुझे बताया गया है कि जल जीवन मिशन इस 2 अक्टूबर, गांधी जयंती से एक और अभियान शुरू करने जा रहा है। 100 दिन का एक विशेष अभियान, जिसके तहत देश के हर स्कूल और हर आंगनबाड़ी में नल से जल को सुनिश्चित किया जाएगा। मैं इस अभियान की सफलता की शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों, नमामि गंगे अभियान हो, जल जीवन मिशन हो, स्वच्छ भारत अभियान हो, ऐसे अनेक कार्यक्रम बीते 6 सालों के बड़े रिफॉर्म्स का हिस्सा हैं। ये ऐसे रिफॉर्म हैं, जो सामान्य जन के जीवन में, सामाजिक व्यवस्था में हमेशा के लिए सार्थक बदलाव लाने में मददगार हैं। बीते एक-डेढ़ साल में तो इसमें और ज्यादा तेजी आई है। अभी जो संसद का सत्र खत्म हुआ है, इसमें देश की किसानों, श्रमिकों और देश के स्वास्थ्य से जुड़े बड़े सुधार किए गए हैं। इन सुधारों से देश का श्रमिक सशक्त होगा, देश का नौजवान सशक्त होगा, देश की महिलाएं सशक्त होंगी, देश का किसान सशक्त होगा। लेकिन आज देश देख रहा है कि कैसे कुछ लोग सिर्फ विरोध के लिए विरोध कर रहे हैं।

साथियों, अब से कुछ दिन पूर्व देश ने अपने किसानों को, अनेक बंधनों से मुक्त किया है। अब देश का किसान, कहीं पर भी, किसी को भी अपनी उपज बेच सकता है। लेकिन आज जब केंद्र सरकार, किसानों को उनके अधिकार दे रही है, तो भी ये लोग विरोध पर उतर आए हैं। ये लोग चाहते हैं कि देश का किसान खुले बाजार में अपनी उपज नहीं बेच पाए। ये लोग चाहते हैं कि किसान की गाड़ियां जब्त होती रहें, उनसे वसूली होती रहे, उनसे कम कीमत पर अनाज खरीदकर, बिचौलिए मुनाफा कमाते रहें। ये किसान की आजादी का विरोध कर रहे हैं। जिन सामानों की, उपकरणों की किसान पूजा करता है, उन्हें आग लगाकर ये लोग अब किसानों को अपमानित कर रहे हैं।

साथियों, बरसों तक ये लोग कहते रहे MSP लागू करेंगे, MSP लागू करेंगे, लेकिन किया नहीं। MSP लागू करने का काम स्‍वामीनाथन कमीशन की इच्‍छा के अनुसार, हमारी ही सरकार ने किया। आज ये लोग MSP पर ही किसानों में भ्रम फैला रहे हैं। देश में MSP भी रहेगी और किसानों को कहीं पर भी अपनी उपज बेचने की आजादी भी। लेकिन ये आजादी, कुछ लोग बर्दाश्त नहीं कर पा रहे। इनकी काली कमाई का एक और जरिया समाप्त हो गया है, इसलिए इन्हें परेशानी है।

साथियों, कोरोना के इस कालखंड में देश ने देखा है कि कैसे डिजिटल भारत अभियान ने, जनधन बैंक खातों ने, रूपे कार्ड ने लोगों की कितनी मदद की है। लेकिन आपको याद होगा, जब यही काम हमारी सरकार ने शुरू किए थे, तो ये लोग इनका कितना विरोध कर रहे थे। इनकी नजरों में देश का गरीब, देश के गांव के लोग अनपढ़ थे, अज्ञानी थे। देश के गरीब का बैंक खाता खुल जाए, वो भी डिजिटल लेन-देन करे, इसका इन लोगों ने हमेशा विरोध किया।

साथियों, देश ने ये भी देखा है कि जब वन नेशन-वन टैक्स की बात आई, जीएसटी की बात आई, तो फिर ये लोग फिर विरोध करने लगे। GST की वजह से, देश में घरेलू सामानों पर लगने वाला टैक्स बहुत कम हो गया है। ज्यादातर घरेलू सामानों, रसोई के लिए जरूरी चीजों पर टैक्स अब या तो नहीं है या फिर पांच प्रतिशत से भी कम है। पहले इन्हीं चीजों पर ज्यादा टैक्स लगा करता था, लोगों को अपनी जेब से ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते थे। लेकिन, आप देखिए, इन लोगों को GST से भी परेशानी है, ये उसका मजाक उड़ाते हैं, उसका विरोध करते हैं।

साथियों, ये लोग न किसान के साथ हैं, न नौजवान के साथ और न ही जवान के साथ। आपको याद होगा, जब हमारी सरकार वन रैंक वन पेंशन लाई, उत्तराखंड के हजारों पूर्व सैनिकों को भी उनका अधिकार दिया, तो ये लोग विरोध कर रहे थे। वन रैंक-वन पेंशन लागू करने के बाद से सरकार पूर्व सैनिकों को लगभग 11 हजार करोड़ रुपए एरियर के तौर दे चुकी है। यहां उत्तराखंड में भी एक लाख से ज्यादा पूर्व सैनिकों को इसका लाभ मिला है। लेकिन इन लोगों वन रैंक-वन पेंशन लागू किए जाने से हमेशा दिक्कत रही है। इन लोगों ने वन रैंक-वन पेंशन का भी विरोध किया है।

साथियों, बरसों तक इन लोगों ने देश की सेनाओं को, देश की वायुसेना को सशक्त करने के लिए कुछ नहीं किया। वायुसेना कहती रही कि हमें आधुनिक लड़ाकू विमान चाहिए। लेकिन ये लोग वायुसेना की बात को नजर-अंदाज करते रहे। जब हमारी सरकार ने सीधे फ्रांस सरकार से रफाएल लड़ाकू विमान का समझौता कर लिया, तो इनको फिर दिक्कत होने लगी। भारतीय वायुसेना के पास रफाएल आए, भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़े, ये इसका भी विरोध करते रहे हैं। मुझे खुशी है कि आज रफाएल भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ा रहा है। अंबाला से लेकर लेह तक उसकी गर्जना, भारतीय जांबाजों का हौसला बढ़ा रही है।

साथियों, चार साल पहले का यही तो वो समय था, जब देश के जांबांजों ने सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए आतंक के अड्डों को तबाह कर दिया था। लेकिन ये लोग अपने जांबाजों के साहस की प्रशंसा करने के बजाय, उनसे ही सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे थे। सर्जिकल स्ट्राइक का भी विरोध करके, ये लोग देश के सामने अपनी मंशा, अपनी नीयत साफ कर चुके हैं। देश के लिए हो रहे हर काम का विरोध करना, इन लोगों की आदत हो गई है। उनकी राजनीति का एकमात्र तरीका ही यही है- विरोध। आप याद करिए, भारत की पहल पर जब पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रही थी, तो ये भारत में ही बैठे ये लोग उसका विरोध कर रहे थे। जब देश की सैकड़ों रियासतों को जोड़ने का ऐतिहासिक काम करने वाले सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण हो रहा था, तब भी ये लोग इसका विरोध कर रहे थे। आज तक इनका कोई बड़ा नेता स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के दर्शन करने नहीं गया है। क्यों? क्योंकि इन्हें विरोध करना है।

साथियों, जब गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण का फैसला हुआ, तब भी ये इसके विरोध में खड़े थे। जब 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने की बात आई तब भी ये इसका विरोध कर रहे थे। डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर का विरोध कर रहे थे. साथियों, पिछले महीने ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया है। ये लोग पहले सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर का विरोध कर रहे थे फिर भूमिपूजन का विरोध करने लगे। हर बदलती हुई तारीख के साथ विरोध के लिए विरोध करने वाले ये लोग देश के लिए, समाज के लिए अप्रासंगिक होते जा रहे हैं। इसी की छटपटाहट है, बेचैनी है, हताशा है-निराशा है। एक ऐसा दल, जिसके एक परिवार की चार-चार पीढ़ियों ने देश पर राज किया। वो आज दूसरों के कंधों पर सवार होकर, देशहित से जुड़े हर काम का विरोध करवा कर, अपने स्वार्थ को सिद्ध करना चाहता है।

साथियों, हमारे देश में अनेकों ऐसे छोटे-छोटे दल हैं, जिन्हें कभी सत्ता में आने का मौका नहीं मिला। अपनी स्थापना से लेकर अब तक उन्होंने ज्यादा तर समय विपक्ष में ही बिताया है। इतने वर्षों तक विपक्ष में बैठने के बावजूद उन्होंने कभी देश का विरोध नहीं किया, देश के खिलाफ काम नहीं किया। लेकिन कुछ लोगों को विपक्ष में बैठे कुछ वर्ष ही हुए हैं। उनका तौर-तरीका क्या है, उनका रवैया क्या है, वो आज देश देख रहा है, समझ रहा है। इनकी स्वार्थनीति के बीच, आत्मनिर्भर भारत के लिए बड़े रिफॉर्म्स का ये सिलसिला, देश के संसाधनों को बेहतर बनाने का ये सिलसिला देशहित में है, देश की गरीबी से मुक्ति के अभियान के लिए है, देश को ताकतवर बनाने के लिए है और यह निरंतर जारी रहेगा।

एक बार फिर आप सभी को विकास के सभी प्रोजेक्ट्स के लिए बहुत-बहुत बधाई।

फिर से मैं यही आग्रह करूंगा आप अपना ध्यान रखिए। स्वस्थ रहिए, सुरक्षित रहिए। बाबा केदार की कृपा हम सभी पर बनी रहे।

इसी कामना के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद ! जय गंगे !

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June 27, 2025

Prime Minister Shri Narendra Modi will undertake a visit to Ghana from July 02-03, 2025. This will be Prime Minister’s first ever bilateral visit to Ghana. This Prime Ministerial visit from India to Ghana is taking place after three decades. During the visit, Prime Minister will hold talks with the President of Ghana to review the strong bilateral partnership and discuss further avenues to enhance it through economic, energy, and defence collaboration, and development cooperation partnership. This visit will reaffirm the shared commitment of the two countries to deepen bilateral ties and strengthen India’s engagement with the ECOWAS [Economic Community of West African States] and the African Union.

In the second leg of his visit, at the invitation of the Prime Minister of the Republic of Trinidad & Tobago, H.E. Kamla Persad-Bissessar, Prime Minister will pay an Official Visit to Trinidad & Tobago (T&T) from July 03 - 04, 2025. This will be his first visit to the country as Prime Minister and the first bilateral visit at the Prime Ministerial level to T&T since 1999. During the visit, Prime Minister will hold talks with the President of Trinidad & Tobago, H.E. Christine Carla Kangaloo, and Prime Minister H.E. Kamla Persad-Bissessar and discuss further strengthening of the India-Trinidad & Tobago relationship. Prime Minister is also expected to address a Joint Session of the Parliament of T&T. The visit of Prime Minister to T&T will impart fresh impetus to the deep-rooted and historical ties between the two countries.

In the third leg of his visit, at the invitation of the President of Republic of Argentina, H.E. Mr. Javier Milei, Prime Minister will travel to Argentina on an Official Visit from July 04-05, 2025. Prime Minister is scheduled to hold bilateral talks with President Milei to review ongoing cooperation and discuss ways to further enhance India-Argentina partnership in key areas including defence, agriculture, mining, oil and gas, renewable energy, trade and investment, and people-to-people ties. The bilateral visit of Prime Minister will further deepen the multifaceted Strategic Partnership between India and Argentina.

In the fourth leg of his visit, at the invitation of President of the Federative Republic of Brazil, H.E. Luiz Inacio Lula da Silva, Prime Minister will travel to Brazil from July 5-8, 2025 to attend the 17th BRICS Summit 2025 followed by a State Visit. This will be Prime Minister’s fourth visit to Brazil. The 17th BRICS Leaders’ Summit will be held in Rio de Janeiro. During the Summit, Prime Minister will exchange views on key global issues including reform of global governance, peace and security, strengthening multilateralism, responsible use of artificial intelligence, climate action, global health, economic and financial matters. Prime Minister is also likely to hold several bilateral meetings on the sidelines of the Summit. For the State Visit to Brazil, Prime Minister will travel to Brasilia where he will hold bilateral discussions with President Lula on the broadening of the Strategic Partnership between the two countries in areas of mutual interest, including trade, defence, energy, space, technology, agriculture, health and people to people linkages.

In the final leg of his visit, at the invitation of the President of the Republic of Namibia, H.E. Dr. Netumbo Nandi-Ndaitwah, Prime Minister will embark on a State Visit to Namibia on July 09, 2025. This will be the first visit of Prime Minister to Namibia, and the third ever Prime Ministerial visit from India to Namibia. During his visit, Prime Minister will hold bilateral talks with President Nandi-Ndaitwah. Prime Minister will also pay homage to the Founding Father and first President of Namibia, Late Dr. Sam Nujoma. He is also expected to deliver an address at the Parliament of Namibia. The visit of Prime Minister is a reiteration of India’s multi-faceted and deep-rooted historical ties with Namibia.