'जो बीज मैंने 12 साल पहले बोया था, वह आज एक विशाल वटवृक्ष का आकार ले चुका है'
'भारत न रुकने वाला है और न थकने वाला है'
‘नए भारत के हर अभियान की जिम्मेदारी भारत के युवाओं ने खुद आगे बढ़कर उठाई है'
'सफलता का एक ही मंत्र है- दीर्घकालिक योजना और निरंतर प्रतिबद्धता'
'हमने देश की प्रतिभाओं को पहचानना शुरू किया और उन्हें हर जरूरी सहयोग दिया'

 

नमस्कार!

भारत माता की जय!

गुजरात के गवर्नर आचार्य देवव्रत जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल जी, संसद में मेरे साथी और प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष सी आर पाटिल जी, गुजरात सरकार में खेल राज्य मंत्री श्री हर्ष सांघवी जी, संसद में मेरे सहयोगी श्री हंसमुख भाई पटेल, श्री नरहरि अमीन और अहमदाबाद के मेयर भाई श्री किरीट कुमार परमार जी, अन्य महानुभाव और गुजरात के कोने-कोने से आए मेरे युवा दोस्तों !

मेरे सामने ये युवा जोश का ये सागर, ये उमंग, ये उत्साह की लहरें, ये साफ बता रही हैं कि गुजरात का नौजवान आप सब आसमान छूने के लिए तैयार हैं। ये न केवल खेलों का महाकुंभ है, बल्कि ये गुजरात की युवा शक्ति का भी महाकुंभ है। मैं आप सभी युवाओं को 11वें खेल महाकुंभ के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूँ। मैं गुजरात सरकार को, विशेष रूप से यशस्वी मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र भाई पटेल को भी इस भव्य आयोजन के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। कोरोना के कारण दो सालों तक खेल महाकुंभ पर ब्रेक लगा रहा। लेकिन भूपेन्द्र भाई ने जिस भव्यता के साथ इस आयोजन को शुरू किया है, उसने युवा खिलाड़ियों को नए जोश से भर दिया है। 

दोस्‍तों,

मुझे याद है, 12 साल पहले 2010 में गुजरात के मुख्‍यमंत्री के नाते, उस कार्यकाल में खेल महाकुंभ की शुरुआत की थी और आज मैं कह सकता हूं जिस सपने का बीज मैंने बोया था, आज वटवृक्ष बनता दिखाई दे रहा है। उस बीज को मैं आज इतने विशाल वटवृक्ष का आकार लेते देख रहा हूँ। 2010 में पहले खेल महाकुंभ में ही गुजरात ने 16 खेलों में 13 लाख खिलाड़ियों के साथ इसका आरंभ किया था। मुझे भूपेन्द्र भाई ने बताया कि, 2019 में हुये खेल महाकुंभ में ये भागीदारी 13 लाख से 40 लाख युवाओं तक पहुँच गई थी। 36 स्पोर्ट्स, और 26 पैरा-स्पोर्ट्स में 40 लाख खिलाड़ी! कबड्डी, खो-खो और tug of war से लेकर योगासन और मल्लखंभ तक! स्केटिंग और टेनिस से लेकर फेंसिंग तक, हर खेल में हमारे युवा आज कमाल कर रहे हैं और अब ये आंकड़ा 40 लाख को पार करके 55 लाख पहुंच रहा है। ‘शक्तिदूत’ जैसे कार्यक्रमों के जरिए खेल महाकुंभ के खिलाड़ियों को सहयोग देने की ज़िम्मेदारी भी सरकार उठा रही है। और ये जो लगातार अविराम प्रयास किये गए, खिलाड़ियों ने जो साधना की और जब खिलाड़ी प्रगति करता है तो उसके पीछे एक लंबी तपस्‍या होती है। जो संकल्प गुजरात के लोगों ने मिलकर लिया था, वो आज दुनिया में अपना परचम लहरा रहा है। 

मेरे नौजवान साथियों,

ये गुजरात की युवा शक्ति का आपको गर्व है? गुजरात के खिलाड़ी पराक्रम कर रहे हैं, आपको गर्व हो रहा है? खेल महाकुंभ से निकलने वाले युवा Olympics, Commonwealth और Asian Games समेत कई वैश्विक खेलों में आज देश का और गुजरात का युवा अपना जलवा बिखेर रहे हैं। ऐसी ही प्रतिभाएं इस महाकुंभ से भी आपके बीच से ही निकलने वाली हैं। खिलाड़ी युवा तैयार करते हैं। खेल के मैदान से उभरते हैं और पूरे हिंदुस्तान का परचम दुनिया में लहराते हैं।

साथियों,

एक समय था जब खेल जगत में भारत की पहचान केवल एक दो खेलों के भरोसे टिकी थी। इसका नतीजा ये हुआ कि जो खेल देश के गौरव और पहचान से जुड़े थे, उन्हें भी भुला दिया गया। इस वजह से खेलों से जुड़े संसाधन बढ़ाने, स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने पर ध्यान देना चाहिए था, जितनी प्राथमिकता देनी चाहिए थी, वो एक प्रकार से रुक गया था। इतना ही नहीं, जैसी राजनीति में भाई-भतीजावाद घुस गया है, खेल जगत में भी खिलाड़ियों के चयन में पारदर्शिता की कमी भी एक बहुत बड़ा फैक्टर थी। खिलाड़ियों की सारी प्रतिभा परेशानियों से जूझने में ही निकल जाती थी। उस भंवर से निकलकर भारत के युवा आज आसमान छू रहे हैं। गोल्ड और सिल्वर की चमक देश के आत्मविश्वास को भी चमका भी रही है और चमत्कार का अनुभव भी करा रही है। दुनिया का सबसे युवा देश खेल के मैदान में भी एक ताकत बनकर उभर रहा है। टोक्यो Olympics और Paralympics, उसमें हमारे खिलाड़ियों ने इस बदलाव को साबित किया है। टोक्यो Olympics में भारत ने पहली बार 7 मेडल जीते हैं। यही रिकॉर्ड भारत के बेटे-बेटियों ने टोक्यो Paralympics में भी बनाया। भारत ने इस वैश्विक प्रतियोगिता में 19 मेडल्स जीते। लेकिन, साथियों, ये तो शुरुआत है। न हिंदुस्तान रुकने वाला है, न थकने वाला है। मुझे मेरे देश की युवा शक्ति पर भरोसा है, मुझे मेरे देश के युवा खिलाड़ियों की तपस्या पर भरोसा है, मुझे मेरे देश के युवा खिलाड़ियों के सपने, संकल्प और समर्पण पर भरोसा है। और इसलिए आज मैं लाखों युवाओं के सामने हिम्मत के साथ कह सकता हूं कि भारत की युवा शक्ति इसे बहुत आगे लेकर जाएगी। वो दिन दूर नहीं जब हम कई खेलों में, कई गोल्ड एक साथ जीतने वाले देशों में हिन्‍दुस्‍तान का तिरंगा भी लहराता होगा।

साथियों, 

इस बार यूक्रेन से जो नौजवान वापस आए हैं, युद्ध के मैदान से आए हैं। बम-गोलों के बीच से आए हैं। लेकिन आकर के उन्होंने क्या कहा? उन्होंने ये कहा कि आज तिरंगे की आन-बान-शान क्या होती है, ये हमने यूक्रेन में अनुभव किया है। लेकिन साथियों, मैं एक और दृश्य की तरफ आपको ले जाना चाहता हूं। जब हमारे खिलाड़ी मेडल प्राप्त करके पोडियम पर खड़े रहते थे और जब तिरंगा झंडा दिखाई देता था, भारत का राष्‍ट्र गान होता था, आपने टीवी पर देखा होगा, हमारे खिलाड़ियों की आंखों से हर्ष के, गौरव के आंसू बह रहे थे। ये होती है देश भक्‍ति। 

साथियों,

भारत जैसे युवा देश को दिशा देने में आप सभी युवाओं की बहुत बड़ी भूमिका है। आने वाले कल को युवा ही गढ़ सकता है, और वही गढ़ सकता है जो उसके लिए संकल्‍प लेता है, और संकल्‍प के साथ समर्पण से जुट जाता है। आज इस खेल महाकुंभ में गुजरात के अलग-अलग इलाकों से, गाँव से, शहर से, कस्बों से, आप लाखों युवा यहाँ एक साथ जुड़े हैं। आप अपने सपनों को पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं। मैं आपके सपनों में आपके क्षेत्र का भविष्य देखता हूं, आपके जिले का भविष्य देखता हूँ। मैं आपके सपनों में पूरे गुजरात और देश का भविष्य देखता हूँ। और इसलिए, आज स्टार्टअप इंडिया से लेकर स्टैंड अप इंडिया तक! मेक इन इंडिया से लेकर आत्मनिर्भर भारत और ‘वोकल फॉर लोकल’ तक! नए भारत के हर अभियान की ज़िम्मेदारी भारत के युवाओं ने खुद आगे बढ़कर उठाई है। हमारे युवाओं ने भारत के सामर्थ्य को साबित करके दिखाया है।

मेरे नौजवान साथियों,

आज सॉफ्टवेयर से लेकर स्पेस पावर तक, defence से लेकर artificial intelligence तक, हर फील्ड में भारत का दबदबा है। दुनिया भारत को एक बड़ी शक्ति के रूप में देख रही है। भारत की इस शक्ति को ‘sports spirit’ कई गुना बढ़ा सकती है। यही आपकी सफलता का भी मंत्र है। और इसलिए मैं हमेशा कहता हूं, जो खेले! वही खिले! मेरी आप सब युवाओं के लिए भी सलाह है- सफलता के लिए कभी कोई शॉर्टकट मत खोजिएगा! आपने रेलवे प्लेटफार्म पर देखा होगा, कुछ लोग ब्रिज पर से जाने के बजाए पटरी क्रॉस करके जाते हैं, तो वहां रेलवे वालों ने लिखा होता है, Shortcut will cut you short. Shortcut का रास्‍ता बहुत अल्पजीवी होता है।

साथियों,

सफलता का केवल एक ही मंत्र है- ‘Long term planning, और continuous commitment’. न एक जीत कभी हमारा आखिरी पड़ाव हो सकती है, न ही एक हार! हम सबके लिए हमारे वेदों ने कहा है- ‘चरैवेति- चरैवेति’। आज देश भी अनेक चुनौतियों के बीच, बिना रुके बिना थके और बिना झुके आगे बढ़ रहा है। हम सबको मिलकर के सतत परिश्रम के साथ लगातार आगे बढ़ना है।

साथियों,

स्पोर्ट्स में हमें जीत के लिए 360 डिग्री perform करने की जरूरत होती है, और पूरी टीम को perform करना होता है। यहाँ अच्छे-अच्छे sportsman उपस्थित हैं। आप बताइये, क्या क्रिकेट में कोई टीम बैटिंग अच्छी करे, लेकिन bowling बिलकुल खराब करे, तो वो जीत पाएगी क्या? या टीम का एक खिलाड़ी बहुत अच्छा खेले, लेकिन बाकी सब perform न करें, तो भी जीतना मुमकिन होगा क्या? जीतने के लिए पूरी टीम को बैटिंग, bowling और fielding में सब जगह अच्छा खेलना होगा।

भाइयों बहनों,

भारत में खेलों को सफलता के शिखर तक पहुंचाने के लिए भी देश को आज ऐसे ही 360 डिग्री टीम वर्क की जरूरत है। इसीलिए, देश एक holistic approach के साथ काम कर रहा है। ‘खेलो इंडिया प्रोग्राम’ इसी प्रयास का एक बड़ा उदाहरण है। पहले हमारी युवा प्रतिभाएं दबी रह जाती थीं, उन्हें मौका नहीं मिलता था। हमने देश की प्रतिभाओं को पहचानना, उन्हें हर जरूरी सहयोग देना शुरू किया। प्रतिभा होने के बावजूद हमारे युवा ट्रेनिंग के अभाव में पीछे रह जाते थे। आज बेहतर से बेहतर ट्रेनिंग सुविधाएं खिलाड़ियों को दी जा रही हैं। देश ये सुनिश्चित कर रहा है कि खिलाड़ियों को resources की कोई कमी न पड़े। पिछले 7-8 सालों में स्पोर्ट्स बजट करीब-करीब 70 प्रतिशत बढ़ाया गया है। एक बड़ी चिंता खिलाड़ियों के भविष्य को लेकर भी रहती थी। आप कल्पना करिए, अगर खिलाड़ी अपने भविष्य के लिए आश्वस्त नहीं होगा तो क्या वो खेल के प्रति शत प्रतिशत समर्पण कर पाएगा? इसलिए, हमने खिलाड़ियों को मिलने वाले encouragement and awards में भी 60 फीसदी से ज्यादा का इजाफा किया है। अलग अलग स्कीम्स के जरिए अब उन सभी coaches को भी reward दिया जा रहा है जिन्होंने मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया था। इसका परिणाम है कि आज ग्रामीण इलाकों से, पिछड़े वर्ग से, आदिवासी समाज से भी वो प्रतिभाएं देश के लिए सामने आ रही हैं, जिसके लिए देश को गौरव हो रहा है।

साथियों,

हमारे देश में खिलाड़ियों को एक और भी विचित्र सी परेशानी का सामना करना पड़ता रहा है। पहले आप अगर किसी को बताते थे कि मैं एक खिलाड़ी हूँ, तो लोग पूछते थे कि भई ठीक है, खिलाड़ी हो, हर बच्चा खेलता है। लेकिन असल में आप करते क्या हो? यानी खेल को हमारे यहां सहज स्वीकृति ही नहीं थी।

साथियों, 

परेशान मत होइए। ये दिक्कत केवल आपके सामने ही नहीं आती थी। हमारे देश के बड़े-बड़े खिलाड़ियों को भी इससे गुजरना पड़ा है। 

मेरे नौजवान साथियों, 

हमारे खिलाड़ियों की सफलता ने अब समाज की इस सोच को बदलना शुरू किया है। अब लोग ये समझ रहे हैं कि स्पोर्ट्स में करियर का मतलब केवल वर्ल्ड नंबर वन बनना ही होता है, ऐसा नहीं है। स्पोर्ट्स से जुड़ी तमाम संभावनाओं में युवा अपना करियर बना सकते हैं। कोई कोच बन सकता है। कोई sports software में कमाल कर सकता है। स्पोर्ट्स मैनेजमेंट भी स्पोर्ट्स से जुड़ा एक बड़ा क्षेत्र है। कई युवा स्पोर्ट्स राइटिंग में शानदार करियर बना रहे हैं। ऐसे ही, खेलों के साथ-साथ trainer, physiotherapist और dietician जैसे तमाम अवसर पैदा होते हैं। इन सभी fields को युवा अपने लिए करियर के रूप में देखें, आगे बढ़ें, इसके लिए देश professional institutions खड़े कर रहा है। उदाहरण के तौर पर, 2018 में हमने मणिपुर में देश की पहली नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की स्थापना की। स्पोर्ट्स में higher education के लिए यूपी में भी मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी शुरू होने जा रही है। IIM रोहतक ने स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा भी शुरू किया है। हमारे गुजरात में ‘स्वर्णिम गुजरात स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी’ भी इसका एक बड़ा उदाहरण है। ‘स्वर्णिम गुजरात स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी’ ने यहाँ स्पोर्ट्स ecosystem बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। मुझे बताया गया है कि, गुजरात सरकार स्पोर्ट्स ecosystem और infrastructure को और व्यापक बनाने के लिए तालुका और जिला स्तर पर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स भी बना रही है। ये सभी प्रयास sports world में गुजरात और भारत की professional presence को और मजबूत करेंगे। मेरा एक सुझाव ये भी है कि गुजरात के विशाल तटीय संसाधन, हमारे पास लंबा समुद्री तट है, इतना बड़ा समुद्री तट है, अब हमने खेल के लिए, स्‍पोर्ट्स के लिए हमारे इस तटीय क्षेत्र के लिए भी खेल की दिशा में आगे आना चाहिए। हमारे यहां इतने सुंदर Beaches हैं। खेल महाकुंभ में Beach Sports की संभावनाओं के बारे में भी सोचा जाना चाहिए। 

साथियों,

आप जब खेलेंगे, फिट रहेंगे, स्वस्थ रहेंगे, तभी देश के सामर्थ्य से जुड़ेंगे। तभी देश के सामर्थ्य से आप भी value addition करने वाले एक महारथी बन जाएंगे। और तभी आप राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देंगे। मुझे पूरा भरोसा है, इस खेल महाकुंभ के आप सब स्टार अपने अपने क्षेत्र में चमकेंगे, नए भारत के सपनों को साकार करेंगे। मैं युवाओं के सभी आज परिवारजनों से भी आग्रह करना चाहता हूं। वक्‍त बहुत बदल चुका है। अगर आपकी संतान में, बेटा हो या बेटी अगर खेल में उसकी रुची है, आप उसको खोज निकालिये और उसको उत्साहित कीजिए। उसको आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन दीजिए। आप किताबों के लिए उसको वापस मत खींचिए। उसी प्रकार से मैं पहले दिन से, जब खेल महाकुंभ शुरू हुआ तक से कह रहा हूं कि गांव में जब खेल महाकुंभ का कार्यक्रम चलता हो, पूरा गांव वहां मौजूद रहना चाहिए। तालियां बजाने से भी खिलाड़ी को एक नया हौसला बुलंद हो जाता है। गुजरात का हर नागरिक, किसी न किसी खेल महाकुंभ के कार्यक्रम में फिजिकली जाना चाहिए। आप देखिए, गुजरात भी खेल की दुनिया में अपना परचम लहराएगा। हिंदुस्तान के खिलाड़ियों में गुजरात के खिलाड़ी भी जुड़ जाएंगे। इसी एक अपेक्षा के साथ मैं फिर एक बार भूपेंद्र भाई और उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूं। सभी युवाओं को शुभकामनाएं देता हूं। मेरे साथ बोलिए, भारत माता की जय! 

भारत माता की जय! 

भारत माता की जय! 

बहुत बहुत धन्यवाद!

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