"उत्तराखंड के लोगों का सामर्थ्य, इस दशक को उत्तराखंड का दशक बनाएगा"
“लखवाड़ परियोजना के बारे में पहली बार 1976 में सोचा गया था। आज 46 साल बाद, हमारी सरकार ने इसके काम का शिलान्यास किया है। यह देरी किसी अपराध से कम नहीं है"
"अतीत की बदहाली और बाधाओं को अब सुविधाओं एवं सद्भाव में बदला जा रहा है"
"आज दिल्ली और देहरादून में सत्ताभाव से नहीं, सेवाभाव से चलने वाली सरकारें हैं"
“आपके सपने, हमारे संकल्प हैं; आपकी इच्छा, हमारी प्रेरणा है; और आपकी हर आवश्यकता को पूरा करना हमारी ज़िम्मेदारी है"
 

भारत माता की जय, भारत माता की जय उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह जी, युवा और करमठ यहाँ के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री मदन कौशिक जी, केंद्रीय मंत्री श्री अजय भट्ट जी, मेरे साथी रमेश पोखरियाल निशंक जी, श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी, तीरथ सिंह रावत जी, श्री विजय बहुगुणा जी, उत्तराखंड सरकार में मंत्री श्री सतपाल महाराज जी, श्री हरक सिंह रावत जी, श्री सुबोध उनियाल जी, श्री वंशीधर भगत जी, संसद में हमारी साथी श्रीमती माला राज्यलक्ष्मी जी, श्री अजय टमटा जी, अन्य सांसद और विधायक गण और कुमाऊं के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों !

वहाँ जो ऊपर हैं वो सब सलामत है ना। आपको सुनाई देता होगा। आप इतनी बड़ी मात्रा में वहाँ कभी डर लगता है आप आगे मत बढ़ना भाई। चारों तरफ सारी बिल्डिंग पर... आपका यह प्यार, आपका आशीर्वाद इसके लिए मैं आपका बहुत- बहुत अभारी हूँ। गोलज्यूकि यो पवित्र धर्ती कुमाऊं में, ऑपू सबै, भाई बैणिन को म्यार नमस्कार, व सबै नानातिनाकैं म्योर प्यार व आशीष ! जागेश्वर- बागेश्वर- सोमेश्वर- रामेश्वर इन तीर्थस्थली की इस शिवस्थली को मेरा शत-शत प्रणाम ! देश की आजादी में भी कुमाऊं ने बहुत बड़ा योगदान दिया है। यहां पंडित बद्रीदत्त पांडे जी उनके नेतृत्व में, उत्तरायणी मेले में कुली बेगार प्रथा का अंत हुआ था।

साथियों,

आज कुमाऊँ आने का सौभाग्य मिला तो स्वभाविक है के आप लोगों के साथ जो मेरा पुराना नाता रहा है जो गहरा नाता रहा है, उसकी पुरानी यादें ताज़ा होना बहुत स्वाभाविक है। और ये इतनी आत्मीयता से आपने जो आज उत्तराखंड की टोपी पहनाई है, मेरे लिए इससे बड़ा गर्व क्या हो सकता। मैं इसे छोटा सम्मान नहीं मानता हूँ। उत्तराखंड के गर्व के साथ मेरी भावनाएं जुड़ जाती हैं। आज यहां 17 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। ये प्रोजेक्ट्स कुमाऊं के सभी साथियों को बेहतर कनेक्टिविटी, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने वाले हैं। और मैं आपको एक और आज खुशखबरी देना चाहता हूँ। हल्द्वानी वालों के लिए मैं नए साल की एक और सौगात लेकर आया हूँ। हल्द्वानी शहर के ओवरआल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए विकास के लिए, हम लगभग दो हजार करोड़ रुपए की योजना लेकर आ रहे हैं। अब हल्द्वानी में पानी, सीवरेज, सड़क, पार्किंग, स्ट्रीट लाइट्स, सभी जगह अभूतपूर्व सुधार होगा।

साथियों,

इस दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने के लिए तेज गति से ऐसे ही विकास कार्यों पर अनेक काम करने की जरूरत पर हमने ज़ोर दिया है। और जब मैं कहता हूं कि ये उत्तराखंड का दशक है, तो ऐसे नहीं कह रहा हूँ। यह जो मैं कह रहा हूँ तो इसकी बहुत सारी वजहें हैं। उत्तराखंड के लोगों का सामर्थ्य, इस दशक को उत्तराखंड का दशक बनाएगा, यह मेरा पक्का विश्वास है। मैं इस मिट्टी की ताकत को जानता हूँ दोस्तो। उत्तराखंड में बढ़ रहा आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, चार धाम महापरियोजना, नए बन रहे रेल रेल के सारे रूट्स, इस दशक को उत्तराखंड का दशक बनाएंगे। उत्तराखंड में बन रहे नए हाइड्रो प्रोजेक्ट्स, उत्तराखंड की बढ़ रही औद्योगिक क्षमता, इस दशक को उत्तराखंड का दशक बनाएगी। उत्तराखंड में टूरिज्म सेक्टर का हो रहा विकास, पूरी दुनिया में योग के लिए बढ़ रहा आकर्षण वो उत्तराखंड की धरती पर ही खींच करके लाने वाला है। पर्यटकों के लिए बढ़ रही सुविधाएं- होम स्टे अभियान, इस दशक को उत्तराखंड का दशक बना के रहने वाले हैं। उत्तराखंड में बढ़ रही प्राकृतिक खेती, natural farming यहां के हर्बल उत्पाद, कृषि क्षेत्र में भी यह दशक उत्तराखंड का होने वाला है, उत्तराखंड का दशक गौरवपूर्ण होने वाला है। आज की परियोजनाएं इन सबसे जुड़ी हुई हैं। मैं उत्तराखंड के लोगों को आज हल्द्वानी की इस धरती से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

हम तो जानते हैं, हिमालय की ताकत को जानते हैं। हम यह भी जानते हैं कि उत्तराखंड से कितनी ही नदियां निकलती हैं। आजादी के बाद से ही, यहां के लोगों ने दो धाराएं और देखी हैं। एक धारा है- पहाड़ को विकास से वंचित रखो। और दूसरी धारा है- पहाड़ के विकास के लिए दिन रात एक कर दो। पहली धारा वाले लोग आपको हमेशा विकास से वंचित रखना चाहते हैं। पहाड़ों पर सड़क, बिजली और पानी पहुंचाने के लिए जो मेहनत करनी थी, वो हमेशा इससे दूर भागते रहे। यहां के सैकड़ों गांवों की कितनी पीढ़ियां अच्छी सड़कों के अभाव में, अच्छी सुविधाओं के अभाव में वह हमारा प्यारा उत्तराखंड छोड़ करके कहीं ओर जाकर के बस गयी। आज मुझे संतोष है कि उत्तराखंड के लोग, देश के लोग इन लोगों का सच जान चुके हैं। आज हमारी सरकार, सबका साथ- सबका विकास के मंत्र के साथ तेज गति से देश को नई ऊंचाई पर ले जाने में जुटी है। आज उधम सिंह नगर जिले में एम्स ऋषिकेश के सैटेलाइट केंद्र और पिथौरागढ़ में जगजीवन राम सरकारी मेडिकल कॉलेज की आधारशिला रखी गई है। इन दोनों अस्पतालों से कुमाऊं और तराई क्षेत्रों के लोगों को बहुत मदद मिलेगी। अल्मोड़ा मेडिकल कालेज को भी जल्द शुरू करने के लिए तेजी से काम चल रहा है। उत्तराखंड में कनेक्टिविटी की जो बहुत बड़ी चुनौती रही है, उसे भी हम दूर करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। आज इस कार्यक्रम में भी करीब 9 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट तो सड़क निर्माण से जुड़े हैं। प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 1200 किलोमीटर ग्रामीण सड़क बनाने का काम भी शुरू हुआ है। इन सड़कों के अलावा 151 पुलों के निर्माण का काम भी किया जाएगा।

भाइयों और बहनों,

आपको सुख-सुविधा से वंचित रखने की सोच रखने वालों के उनके कारण ही मानस-खंड, जो मानसरोवर का प्रवेश द्वार था, सड़कों से वंचित रहा। हमने न सिर्फ टनकपुर पिथौरागढ़ आल वेदर रोड पर काम किया, बल्कि लिपुलेख तक भी सड़क बनाई और इस पर आगे भी विस्तार कार्य चल रहा है। वैसे आज जब जनता जनार्दन इन लोगों की सच्चाई जान चुकी है, तो इन लोगों ने एक नई दुकान खोल रखी है। ये दुकान है, अफवाह फैलाने की। अफवाह मैन्युफैक्चर करो फिर अफवाह को प्रवाहित करो। और उसी अफवाह को सच मान करके दिन- रात चिल्लाते रहो। मुझे बताया गया है कि यहां टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन को लेकर ये उत्तराखंड विरोधी, नए भ्रम फैला रहे हैं।

साथियों,

टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन का फाइनल लोकेशन सर्वे, इस प्रोजेक्ट का बहुत बड़ा आधार है। और इसलिए हो रहा है ताकि इस रेल लाइन पर जल्दी से काम शुरू हो सके। और मैं आप लोगों को आज यहाँ आ करके विश्वास देने के लिए आया हूं। आज ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल रूट बन रहा है, कल टनकपुर बागेश्वर रूट भी ऐसे ही बनेगा। मेरे उत्तराखंड के भाइयों और बहनों, ये शिलान्यास के सिर्फ पत्थर नहीं है, यह पत्थर मात्र नहीं हैं, ये वो संकल्प शिलाएं हैं जो डबल इंजन की सरकार सिद्ध करके दिखाएगी।

साथियों,

उत्तराखंड अपनी स्थापना के दो दशक 20 साल पूरे कर चुका है। इन वर्षों में आपने ऐसे भी सरकार चलाने वाले देखे हैं जो कहते थे- चाहे उत्तराखंड को लूट लो, मेरी सरकार बचा लो। इन लोगों ने दोनों हाथों से उत्तराखंड को लूटा। जिन्हें उत्तराखंड से प्यार हो, वो ऐसा सोच भी नहीं सकते। जिसे कुमाऊं से प्यार हो, वो कुमाऊं छोड़कर नहीं जाता। ये तो देवभूमि है। यहां के लोगों की सेवा करना, उत्तराखंड की सेवा करना, देवी-देवताओं की सेवा करने के समान है। और इसी भावना से हमारी सरकार काम कर रही है। मैं स्वयं जी-जान से जुटा हुआ हूँ। पहले की असुविधा और अभाव को अब सुविधा और सद्भाव में बदला जा रहा है। उन्होंने आपको मूल सुविधाओं का अभाव दिया, हम हर वर्ग, हर क्षेत्र तक शत-प्रतिशत बुनियादी सुविधाओं को पहुंचाने के लिए दिन- रात एक कर रहे हैं।

भाइयों और बहनों,

अभाव में रखने की राजनीति का सबसे अधिक नुकसान अगर किसी को भुगतना पड़ा है तो वो हमारी माताएं, हमारी बहनें, हमारी बेटियां हैं। रसोई में धुआं, तो समस्या माताओं-बहनों की। शौचालय नहीं, तो दिक्कत सबसे ज्यादा बहनों-बेटियों को। कच्ची छत की वजह से पानी टपका, तो सबसे ज्यादा परेशानी मां को। बच्चे बीमार हुए, इलाज के पैसे नहीं, सुविधा नहीं- दिल सबसे ज्यादा दुखता है मां का। पानी के लिए सबसे ज्यादा परिश्रम और समय लगता है- हमारी माताओं-बहनों का। बीते 7 सालों में मातृशक्ति की इन समस्याओं को हमने जड़ से दूर करने का प्रयास किया है। जल जीवन मिशन- हर घर जल, हर घर नल से जल ऐसा ही एक प्रयास है। 2 साल में इस मिशन के तहत देश के 5 करोड़ से अधिक परिवारों को पाइप से पानी दिया जा चुका है। आज भी जिन 70 से अधिक परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ है, उससे 13 जिलों की बहनों का जीवन आसान होने वाला है। यही नहीं, हल्द्वानी और जगजीतपुर के आसपास के क्षेत्रों को भी पर्याप्त पानी का अब वो व्यवस्था भी पीने का पानी यह सुनिश्चित होगा।

साथियों,

जब हम किसी ऐतिहासिक स्थल पर जाते हैं, तो वहां हमें ये बताया जाता है कि इस स्थान को इतने साल पहले बनाया गया था, ये इमारत इतनी पुरानी है। लेकिन दशकों तक देश का ये हाल रहा है कि बड़ी योजनाओं की बात आते ही हमारे यहां क्या कहा जाता है, हमारे यहां कहा जाता है- ये योजना इतने साल से अटकी है, ये प्रोजेक्ट इतने दशक से अधूरा है। पहले जो सरकार में रहे हैं, ये उनका परमानेंट ट्रेडमार्क रहा है। आज यहां उत्तराखंड में जिस लखवाड़ प्रोजेक्ट का काम शुरू हुआ है, उसका भी यही इतिहास है। आप सोचिए साथियों, उत्तराखंड में आज जो यहाँ लोग बैठें हैं उनके चार- चार दशक बीच गए होंगे। यह बातें सुनते आए होंगे आप जानकर भी शायद भूल भी गए होंगे कि मसला क्या है? इस परियोजना के बारे में पहली बार 1976 में सोचा गया था। करीब- करीब अब 50 साल हो जाएंगें इस बात को। आज 46 साल बाद, हमारी सरकार ने इसके काम का शिलान्यास किया है। मैं ज़रा उत्तराखंड के भाईयों- बहनों को पूछना चाहता हूँ, जो काम 1974 में सोचा गया 46 साल लग गए, यह गुनाह है कि नहीं है। ऐसे नहीं लगना चाहिए गुनाहगारों को गुनाह है। ये गुनाह है कि नहीं है, ये गुनाह है कि नहीं है, ऐसा गुनाह करने वालो को सज़ा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए। इस प्रकार देरी करने से आपका नुक्सान हुआ है कि नहीं हुआ है। उत्तराखंड का नुक्सान हुआ है कि नहीं हुआ है। दो- दो पीढ़ी का नुक्सान हुआ है कि नहीं हुआ है। क्या ऐसा पाप करने वालों को भूल जाओगे क्या, ऐसा गुनाह करने वालों को भूल जाओगे क्या, या उनकी बड़ी- बड़ी बातों से भ्रम में आ जाओगे क्या। कोई देश सोच नहीं सकता ऐसा करीब- करीब पांच दशक तक एक योजना फाइलों में इधर से उधर लटकती रहे। हर चुनाव में वादें किये जाएं। भाईयों- बहनों मेरा सात साल का रिकॉर्ड देख लीजिए, खोज- खोज करके ऐसी पुरानी चीजों को ठीक करने में मेरा टाइम जा रहा है। अब मैं काम को ठीक रहा हूँ आप उनको ठीक कीजिए। जो लोग पहले सरकार में थे, अगर उन्हें आपकी चिंता होती, तो क्या ये परियोजना 4 दशक तक लटकती क्या? अगर उनका आपके प्रति प्यार था तो इस काम की यह दुर्दशा होती क्या ? सच्चाई यही है कि जो पहले सरकार में थे, उन्होंने उत्तराखंड के सामर्थ्य की कभी परवाह नहीं की। परिणाम ये हुआ कि ना तो हमें पर्याप्त बिजली मिली, ना किसानों के खेतों को सिंचाई मिली, और देश की अधिकतर ग्रामीण आबादी को पाइप से शुद्ध पानी के अभाव में जिंदगी गुजारनी पड़ी।

साथियों,

बीते सात सालों से भारत, अपने पर्यावरण की रक्षा भी कर रहा है और अपने प्राकृतिक सामर्थ्य का सही इस्तेमाल करने में भी जुटा है। आज जो प्रोजेक्ट शुरू हुए हैं, वो उत्तराखंड की पहचान पावर सरप्लस स्टेट के रूप में तो सशक्त करेंगे ही यहां के किसानों को सिंचाई की पर्याप्त सुविधा भी देंगे। ये बिजली हमारे उद्योगों को मिलेगी, ये बिजली हमारे स्कूल-कॉलेजों को मिलेगी, ये बिजली हमारे अस्पतालों को मिलेगी, ये बिजली हमारे हर परिवार को मिलेगी।

साथियों,

उत्तराखंड में गंगा-यमुना का स्वास्थ्य, यहां के लोगों के साथ ही, देश की बहुत बड़ी आबादी की सेहत और समृद्धि पर प्रभाव डालता है। इसलिए, गंगोत्री से गंगासागर तक हम एक मिशन में जुटे हैं। शौचालयों के निर्माण से, बेहतर सीवरेज सिस्टम से और पानी के ट्रीटमेंट की आधुनिक सुविधाओं से गंगा जी में गिरने वाले गंदे नालों की संख्या तेज़ी से कम हो रही है। आज भी यहां नमामि गंगे योजना के तहत उधमसिंहनगर, रामनगर, नैनीताल, सीवर लाइन और सीवर ट्रीटमेंट प्लांट्स का लोकार्पण और शिलान्यास किया गया है। नैनीताल की जिस खूबसूरत झील की पहले किसी ने सुध नहीं ली, उसके संरक्षण के लिए भी अब काम किया जाएगा।

साथियों,

दुनिया में कोई भी जगह हो, वहां टूरिज्म तब तक नहीं बढ़ सकता, जब तक वहां टूरिस्टों के लिए सहूलियत ना हो। जो पहले सरकार में रहे, उन्होंने इस दिशा में भी नहीं सोचा। आज उत्तराखंड में जो नई सड़कें बन रही हैं, जो सड़कें चौड़ी हो रही हैं, नए रेल रूट बन रहे हैं, वो अपने साथ नए टूरिस्ट भी लेकर आएंगे। आज उत्तराखंड के प्रमुख स्थानों में जो रोपवे बन रहे हैं, वो अपने साथ नए टूरिस्ट लेकर आएंगे। आज उत्तराखंड में जो मोबाइल कनेक्टिविटी बढ़ रही है, जगह-जगह नए टावर लग रहे हैं, वो अपने साथ टूरिस्ट लेकर आएंगे। आज उत्तराखंड में जो मेडिकल सुविधाएं विकसित हो रही हैं, वो यहां आने वाले टूरिस्टों में भरोसा बढ़ाएंगी। और इन सबका सबसे ज्यादा लाभ किसको होगा? इनका सबसे बड़ा लाभ उत्तराखंड के युवाओं को,

हमारे पहाड़ के नौजवानों को होने वाला है। उत्तराखंड के लोग गवाह हैं कि जब केदारनाथ जी के दर्शन के लिए सुविधाएं बढ़ीं, तो वहां जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ गई। सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये। इसी तरह आज देश देख रहा है कि काशी विश्वनाथ धाम के बनने के बाद, वहां भी श्रद्धालुओं की संख्या दिनों-दिन बढ़ रही है। यहां कुमाऊं में भी जागेश्वर धाम, बागेश्वर जैसे पवित्र स्थल हैं। इनका विकास, इस क्षेत्र में विकास की नई संभावनाएं बनाएगा। केंद्र सरकार ने नैनीताल के देवस्थल पर भारत की सबसे बड़ी ऑप्टिकल टेलीस्कोप भी स्थापित की है। इससे देश-विदेश के वैज्ञानिकों को नई सुविधा तो मिली ही है, इस क्षेत्र को नई पहचान भी मिली है।

साथियों,

आज विकास की योजनाओं में जितना पैसा डबल इंजन की सरकार खर्च कर रही है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। जब ये सड़कें बनती हैं, नई इमारतें बनती हैं, पीएम आवास के घर बनते हैं, नए रेल रूट बनते हैं, तो उसमें स्थानीय उद्योगों के लिए, हमारे उत्तराखंड के उद्यमियों के लिए नई संभावनाएं बनती हैं। कोई उत्तराखंड का ही व्यापारी इनके लिए सीमेंट सप्लाई करता है। कोई उत्तराखंड का ही कारोबारी इनके लिए लोहा-गिट्टी सप्लाई करता है। कोई उत्तराखंड का ही इंजीनियर इनकी डिजाइन से जुड़े कामों को आगे बढ़ाता है। विकास की ये योजनाएं, आज यहां रोजगार के अनेकों अवसर बना रही हैं। उत्तराखंड के जो युवा अपने दम पर, अपना रोजगार करना चाहते हैं, उनके साथ भी डबल इंजन की सरकार, पूरी शक्ति के साथ खड़ी है। मुद्रा योजना के तहत नौजवानों को बिना बैंक गारंटी, सस्ता लोन दिया जा रहा है। जो नौजवान खेती से जुड़े हैं, उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड से मदद दी जा रही है। यहां पर छोटी दुकानदारी करने वाले भाइयों-बहनों को स्वनिधि योजना के माध्यम से मदद मिल रही है। उत्तराखंड के गरीबों के लिए, मध्यम वर्ग के युवाओं के लिए, हमारी सरकार ने बैंकों के दरवाजे खोल दिए हैं। वो अपने सपने पूरे कर सकें, कोई बाधा उनके रास्ते में ना आए, इसके लिए हम जी- जान से जुटे हुए हैं, दिन-रात काम कर रहे हैं। यहां उत्तराखंड में आयुष और सुगंधित उत्पादों से उससे जुड़े उद्योगों के लिए भी अनेक संभावनाएं हैं। देश और दुनिया में इसके लिए एक बहुत बड़ा बाज़ार है। काशीपुरा का एरोमा पार्क उत्तराखंड की इसी ताकत को बल देगा, किसानों को संबल देगा, सैकड़ों युवाओं को रोज़गार देगा। इसी तरह प्लास्टिक औद्योगिक पार्क भी रोज़गार के अनेक अवसरों का सृजन करेगा।

भाइयों और बहनों,

आज दिल्ली और देहरादून में सत्ताभाव से नहीं, सेवाभाव से चलने वाली सरकारें हैं, पहले की सरकारों ने सीमावर्ती राज्य होने के बावजूद कैसे इस क्षेत्र की अनदेखी की, ये राष्ट्ररक्षा के लिए संतानों को समर्पित करने वाली कुमाऊं की वीर माताएं भूल नहीं सकती हैं। कनेक्टिविटी के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के हर पहलू को अनदेखा किया गया। हमारी सेना और हमारे सैनिकों को सिर्फ और सिर्फ इंतज़ार ही कराया। वन रैंक, वन पेंशन के लिए इंतज़ार, आधुनिक अस्त्र-शस्त्र के लिए इंतज़ार, बुलेट प्रूफ जैकेट जैसे ज़रूरी सुरक्षा कवच के लिए इंतज़ार, आतंकियों को करारा जवाब देने के लिए इंतज़ार। लेकिन ये लोग सेना और हमारे वीर सैनिकों का अपमान करने में हमेशा आगे रहे, तत्पर रहे। सेना को कुमाऊं रेजिमेंट देने वाले उत्तराखंड के वीर लोग इस बात को कभी भूल नहीं सकते।

साथियों,

उत्तराखंड तेज़ विकास की रफ्तार को और तेज़ करना चाहता है। आपके सपने, यह हमारे संकल्प हैं; आपकी इच्छा, हमारी प्ररेणा है, और आपकी हर आवश्यकता को पूरा करना यह हमारी ज़िम्मेदारी। डबल इंजन की सरकार पर आपका ऐसे ही आशीर्वाद इस दशक को उत्तराखंड का दशक बनाएगा। एक बार फिर विकास परियोजनाओं के लिए आप सबको, पूरे उत्तराखंड को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। आपका हदृय से अभिनंदन करता हूँ। । पोरूं बटी साल 2022 उनेर छू, आपू सब उत्तराखण्डीन के, नई सालैकि बधै, तथा दगाड़ में उणी घुघुति त्यारेकि लै बधै !!

भारत माता की जय ! भारत माता की जय ! भारत माता की जय ! बहुत- बहुत धन्यवाद।

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