भारतीय मूल के लोग विश्व में भारत के स्थायी राजदूत: प्रधानमंत्री मोदी 
भारतीय मूल के प्रवासी जहां भी गए, उसे अपना घर बनाया और इसी के साथ खुद में भारतीयता को जीवित रखा, वहीं दूसरी तरफ वहां की जीवन शैली में भी पूरी तरह घुल-मिल गए: पीएम मोदी 
भारत के युवाओं की आशाएं-आकांक्षाएं इस समय उच्चतम स्तर पर हैं: प्रधानमंत्री 
विश्व के अस्थिरता से भरे वातावरण में भारतीय सभ्यता और संस्कृति के मूल्य, पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर सकते हैं: प्रधानमंत्री मोदी
जहां वैश्विक समाज अलग-अलग स्तरों और विचारधाराओं में बंट रहा है, वहां आप भारत के 'सबका साथ, सबका विकास' मंत्र का उदाहरण दे सकते हैं: पीएम मोदी

आप सभी को प्रवासी भारतीय दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। प्रवासी दिवस की इस परंपरा में आज,

प्रथम “प्रवासी सांसद सम्मेलन” एक नया अध्याय जोड़ रहा है। मैं North America, South America, Africa, Europe, Asia, Pacific क्षेत्र, आदि विश्व के हर कोने से यहाँ आये सभी प्रवासी मित्रों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। 

Welcome to India! Welcome Home! 

आपकी पुरानी पीढ़ियां, पुरानी यादें भारत के अलग-अलग हिस्से से जुड़ी हुई हैं। आपके पुरखों में से कुछ लोग व्यापार के लिए, कुछ लोग शिक्षा के लिए गए थे। कुछ लोगों को जबरन यहां से ले जाया गया, तो कुछ को बहला-फ़ुसला कर ले जाया गया। वो यहां से सशरीर भले ही चले गए, लेकिन अपने मन का, अपनी आत्मा का, एक अंश इसी मिट्टी पर छोड़ गए थे। इसलिए आज जब आप भारत के किसी एयरपोर्ट पर उतरते हैं तो आपको इस धरती पर देखकर आत्मा का वही अंश प्रफुल्लित होने लगता है।

उस वक्त गला कुछ रुंधा हुआ महसूस होता है। कुछ भावनाएं आंखों से निकलना चाहती हैं। आप उन्हें रोकने के लिए भरसक प्रयास करते हैं, लेकिन रोक नहीं पाते। आपकी आंखें गीली होती हैं, लेकिन उनमें भारत आने की चमक भी महसूस होती है। आपकी उस भावना को मैं समझ सकता हूं। वो स्नेह, वो दुलार, वो सम्मान, वो यहां की मिट्टी, यहां की हवा की खुशबू, जिस अंश की वजह से है, मैं उसे नमन करता हूं। आज आपको यहां देखकर आपके पूर्वजों को कितनी प्रसन्नता हो रही होगी, इसका अंदाजा हम सभी लगा सकते हैं। वो जहां भी होंगे, आपको यहां देखकर सर्वाधिक खुश होंगे, प्रसन्न होंगे। 

साथियों,

सैकड़ों वर्षों के कालखंड में भारत से जो भी लोग बाहर गए, भारत उनके मन से कभी भी बाहर नहीं निकला। विश्व के जिस भी भू-भाग में वे गए, उन्होंने भारत की सभ्यता और मूल्यों को जीवित रखा। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि भारतीय मूल के प्रवासी जहां भी गए, वहीं पूरी तरह integrate हो कर, उस जगह को अपना घर बना लिया। 

उन्होंने जहां एक तरफ खुद में भारतीयता को जीवित रखा, तो दूसरी तरफ वहां की भाषा, वहां के

खान-पान, वहां की वेश-भूषा में भी पूरी तरह घुल-मिल गए। 

Sports, Arts, Cinema में भारतीय मूल के लोगों ने Global Platform पर अपनी छाप छोड़ी है। राजनीति की बात करूं तो, मैं देख ही रहा हूं कि कैसे भारतीय मूल की एक Mini World Parliament मेरे सामने उपस्थित है। आज भारतीय मूल के लोग मॉरीशस, पुर्तगाल और आयरलैंड में प्रधानमंत्री हैं। भारतीय मूल के लोग और भी बहुत से देशों में Head of State और Head of Government रह चुके हैं। हमारे लिए यह विशेष सम्मान की बात है कि Guyana के पूर्व राष्ट्रपति जी श्री भरत जगदेव आज हमारे साथ यहाँ मौजूद हैं। आप सभी विशिष्ट लोग भी अपने-अपने देशों में प्रमुख राजनीतिक भूमिका अदा कर रहे हैं। 

साथियों,

आपके पूर्वजों की मातृभूमि भारत को आप पर गर्व है। आपकी उपलब्धियाँ और आपकी सफ़लता हमारे लिए मान का विषय है, सम्मान का विषय है। आपके कोई पद संभालने की खबर जब मीडिया में आती है, कहीं आप चुनाव के लिए नामांकन भी करते हैं , तो उसकी viewer-ship और reader-ship भारत में बहुत ज़्यादा होती है। आप जहां है, वहां किस तरह पूरे क्षेत्र की geo-politics को प्रभावित कर रहे हैं, देश की नीतियां बना रहे हैं, इस तरह की खबरों को यहां पर लोग चाव से पढ़ते हैं। यह भी चर्चा करते हैं कि देखो, कोई अपना उस अहम पद पर पहुंच गया है। हमें यह खुशी देने के लिए, हमारा गौरव बढ़ाने के लिए आप अभिनन्दन के पात्र हैं । 

भाइयों और बहनों,

आप लोग लंबे समय से अलग-अलग देशों में रह रहे हैं। आपने अनुभव किया होगा कि पिछले तीन-चार वर्षों में भारत के प्रति नजरिया बदल गया है। हम पर focus बढ़ रहा है, विश्व का हमारे प्रति नजरिया बदल रहा है, तो इसका मुख्य कारण यही है कि भारत स्वयं बदल रहा है, transform हो रहा है। यह बदलाव आर्थिक-सामाजिक स्तर पर होने के साथ ही वैचारिक स्तर पर भी आया है। “जैसा पहले था, वैसे ही चलता रहेगा, कुछ बदलेगा नहीं”, कुछ होने वाला नहीं है, इस सोच से भारत अब बहुत आगे बढ़ चुका है। भारत के लोगों की आशाएं-आकांक्षाएं इस समय उच्चतम स्तर पर हैं। व्यवस्थाओं में हो रहे संपूर्ण परिवर्तन का, एक irreversible change का परिणाम आपको हर सेक्टर में नजर आएगा। 

· इसी का नतीजा है कि साल 2016-17 में 60 billion dollars का अभूतपूर्व FDI भारत में आया।

· Ease of Doing Business की ranking में पिछले तीन वर्षों में 42 स्थानों का सुधार हुआ है।

· पिछले दो वर्षों में World Economic Forum की Global Competitiveness Index में हम 32 स्थान ऊपर चढ़े हैं।

· पिछले दो वर्षों में Global Innovation Index में हमारी rank में 21 स्थानों का सुधार हुआ है।

· Logistics Performance Index में 19 अंकों का सुधार हुआ है।

· आज World Bank, IMF, Moody’s जैसी संस्थाएं भारत की ओर बहुत Positive तरीके से देख रही हैं। 

· कंस्ट्रक्शन, एयर ट्रांसपोर्ट, माइनिंग, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर-हार्डवेयर, इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट्स जैसे सेक्टरों में अब तक हुए निवेश का आधे से ज्यादा निवेश सिर्फ और सिर्फ पिछले तीन वर्ष में ही हुआ है।

यह सब इसलिए हुआ है, क्योंकि हम भारत की अर्थव्यवस्था के हर हिस्से में far-reaching policy reforms ला रहे हैं। “Reform to Transform” हमारा guiding principle है। हमारा उद्देश्य है पूरे System को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने का, Corruption को जड़ से ख़त्म करने का।

साथियों,

Goods and Services Tax- GST के माध्यम से हमने देश में सैकड़ों टैक्स का जाल खत्म किया है-देश का आर्थिक एकीकरण किया है। Mining, Fertilizers, Textiles, Aviation, Health, Defence, Construction, Real Estate, Food Processing, ऐसा कोई sector नहीं है जिसमें हम reforms न लाए हों।

साथियों,

भारत आज दुनिया का सबसे नौजवान देश है। नौजवानों के असीम सपने हैं, उम्मीदें हैं। वो अपनी ऊर्जा सही क्षेत्र में लगाएं, अपने दम पर रोजगार कर सकें, इस दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है।

स्किल इंडिया मिशन, स्टार्ट अप योजना, स्टैंड अप योजना, मुद्रा योजना इसलिए ही

शुरू की गई हैं। मुद्रा योजना के तहत स्वरोजगार के लिए लगभग 10 करोड़ लोन स्वीकृत किए गए हैं। लोगों को 4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज बिना बैंक गारंटी दिया गया है। सिर्फ इस एक योजना ने देश को लगभग 3 करोड़ नए entrepreneurs दिए हैं। सरकार 21वीं सदी के भारत की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इंफ्रास्ट्रक्चर पर, ट्रांसपोर्ट सेक्टर पर निवेश बढ़ा रही है। नीतियों में इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि भविष्य के भारत को किस तरह के logistics चाहिए। हाईवे-रेलवे-एयरवे, वॉटरवे और पोर्ट इस तरह विकसित किए जा रहे हैं, कि वो एक दूसरे को सपोर्ट करें, एक दूसरे से connected हों।

साथियों,

आज भारत में दोगुनी से अधिक गति से नई रेलवे लाइनें बिछाई जा रही हैं, दोगुनी से अधिक रफ्तार से रेलवे लाइन का दोहरीकरण हो रहा है। दोगुनी रफ्तार से नेशनल हाईवे का निर्माण किया जा रहा है। दोगुनी से ज्यादा Renewable Energy की नई क्षमता को ग्रिड पावर से जोड़ा गया है।

जहां पहले शिपिंग इंडस्ट्री में कार्गो हैंडलिंग की ग्रोथ Negative थी, वहीं इस सरकार में 11 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है। इन सारे प्रयासों से रोजगार के नए अवसर बन रहे हैं। स्थानीय स्तर पर

छोटे-छोटे उद्योगों को भी नया काम मिल रहा है। जैसे उज्ज्वला योजना की ही बात करें, तो ये सिर्फ गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देने तक ही सीमित नहीं है।

इस योजना से अब तक 3 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को धुएं से मुक्ति मिली है, राज्यों को केरोसीन फ्री बनाने में मदद मिली है, लेकिन इसका एक और फायदा हुआ है। उज्जवला योजना के बाद से देश में रसोई गैस के नए डीलर बनाए गए हैं, घर-घर गैस सिलेंडर ले जाने वालों की संख्या बढ़ी है। यानि सामाजिक सुधार के साथ-साथ समाज का आर्थिक सशक्तिकरण भी हो रहा है।

भाइयों और बहनों,

वसुधैव कुटुम्बकम की परंपरा में विश्वास रखने वाली हमारी संस्कृति ने विश्व को बहुत कुछ दिया है। जब मैं पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ गया था, तब मैंने विश्व के सामने International Yoga Day का प्रस्ताव रखा था। आप सभी को पता है कि न सिर्फ़ 75 दिन से भी कम समय में यह प्रस्ताव सर्व सम्मति से पारित हुआ, बल्कि इसे रिकार्ड संख्या में, 177 देशों ने co-sponsor भी किया। आज जिस तरह 21 June को पूरे विश्व में करोड़ों लोग योग दिवस को मनाते हैं, वो आपके-हमारे लिए गर्व की बात है।

Holistic Living की यह पद्धति विश्व को भारत की सम्पन्न परम्परा की सौगात है।

साथियों,

Climate Change के विषय पर Paris Agreement के समय मैंने France के राष्ट्रपति के साथ मिल कर International Solar Alliance बनाने का प्रस्ताव रखा था। अब यह वास्तविकता में बदल गया है। इसके माध्यम से हम solar rich देशों के साथ मिल कर solar technology और financing के लिए एक global platform बना रहे हैं।

प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर चलने का यह तरीका भी पुराने समय से ही भारत की देन है।

भाइयों और बहनों,

जब नेपाल में भूकंप आया, या श्रीलंका में बाढ़ आई, या मालदीव में पानी का संकट हुआ, तो भारत First Responder के रूप में उपस्थित रहा है।

जब यमन में संकट आया तो हमने अपने साढ़े चार हजार नागरिकों को सुरक्षित निकाला, तो 48 अन्य देशों के दो हजार व्यक्तियों को भी हम सुरक्षित बाहर निकाल कर लाए थे।

विकट परिस्थिति में भी मानवीय मूल्यों के संरक्षण का यह तरीका भारत की वसुधैव कुटुम्बकम की परंपरा का हिस्सा है।

साथियों,

2018 में पहले विश्व युद्ध की समाप्ति को सौ साल हो जाएंगे।पहले और दूसरे विश्व युद्ध में डेढ़ लाख से अधिक भारतीय सैनिकों की जान गई थी। और यह तब हुआ जबकि भारत का उन युद्धों से सीधे तौर पर कोई लेना-देना नहीं था। दोनों विश्व युद्धों में एक इंच ज़मीन जितना भी भारत का interest नहीं था। विश्व को मानना पड़ेगा की भारत ने कितना बड़ा बलिदान दिया था| आज़ादी के बाद भी यह परंपरा जारी रही है। UN Peace-keeping Forces में सबसे बड़ा योगदान देने वाले देशों में भारत है।मानवीय मूल्यों और शांति के लिए बलिदान का यह संदेश विश्व को भारत की देन है।

यह नि:स्वार्थ भाव, यह त्याग और सेवा की भावना हमारी पहचान है।

इसी मानवीय मूल्य के कारण विश्व में भारत की एक विशेष acceptance है। और भारत के साथ, भारतीय मूल के समाज की, आपकी भी विशेष acceptance है।

Friends,

मैं जब भी किसी देश की यात्रा करता हूँ, तो मेरा प्रयास होता है कि वहां रहने वाले भारतीय मूल के लोगों से अवश्य मिलूँ। इन्हीं यात्राओं में आप में से कई लोगों से मुझे मिलने का सौभाग्य भी मिला है। मेरे इस effort का सबसे बड़ा कारण है कि मैं मानता हूँ कि विश्व के साथ भारत के संबंधों के लिए यदि सही मायने में कोई Permanent Ambassadors हैं तो वो भारतीय मूल के लोग हैं। हमारा सतत प्रयास है कि हम प्रवासी भारतीयों से लगातार जुड़े रहें, उनकी समस्याओं को हल करें।

एक समय में प्रवासी भारतीयों के लिए अलग मंत्रालय हुआ करता था, लेकिन हमें प्रवासी भारतीयों से feedback मिला कि विदेश मंत्रालय के साथ coordination में कुछ कमी रह जाती है। आपकी राय के बाद हमने दोनों मंत्रालयों को मिला कर एक कर दिया। आपको याद होगा, पहले PIO और OCI scheme अलग-अलग होती थीं, और अधिकांश लोगों को इनके बीच अंतर तक ज्ञात नहीं था। हमने इस प्रक्रिया को सरल किया और दोनों को मिला कर एक scheme बनाई।

हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जी न सिर्फ़ भारतीय नागरिकों, बल्कि प्रवासी भारतीयों की समस्याओं पर भी 24 by 7 नज़र रखती हैं, वह आपको सक्रिय नज़र आयेंगी। उनके नेतृत्व में विदेश मंत्रालय ने consular grievances की real time monitoring और response के लिए “मदद” portal की व्यवस्था खड़ी की है। प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन अब हर alternate year पर किया जा रहा है। साथ ही साथ Regional प्रवासी भारतीय दिवस भी मनाए जा रहे हैं। सुषमा जी अभी-अभी सिंगापुर में ऐसे ही सम्मलेन में शामिल हो कर आईं हैं।

भाइयों और बहनों,

आज यहां जिस इमारत में हम सब उपस्थित हैं, उसे 2016 में 2 अक्तूबर को आप सभी प्रवासी भारतीयों के नाम पर समार्पित किया गया था। यह बहुत सुखद बात है कि इतने कम समय में ही यह केंद्र प्रवासी भारतीयों के लिए एक hub के रूप में उभरा है। यहाँ आप इस भवन में महात्मा गांधी के जीवन से जुडी एक प्रदर्शनी भी बनाई गयी , में आपसे आग्रह करूँगा कि आप उसे जरूर देखें|

प्रवासी भारतीयों के मन से जुड़ने के इन प्रयासों का परिणाम हमें “भारत को जानिए” यानि “Know India” quiz competition में देखने को मिला है। इस प्रतियोगिता में लगभग सौ देशों के 5700 से ज़्यादा प्रवासी युवाओं ने हिस्सा लिया है। भारत के प्रति उनका उत्साह और उनकी ललक, हम सभी के लिए बहुत उत्साहजनक है। उनसे प्रोत्साहन लेते हुए, हम इस वर्ष इसे और भी बड़े स्तर पर आयोजित कर रहे हैं।

साथियों,

अपनी-अपनी कर्मभूमि में प्रगति के लिए आपके योगदान से भारत का नाम भी ऊँचा होता है। और भारत में प्रगति और उन्नति से प्रवासी भारतीय समाज की प्रतिष्ठा भी बढ़ती है। भारत के विकास के लिए हमारे प्रयासों में हम प्रवासी भारतीयों को अपना partner मानते हैं। नीति आयोग ने भारत के विकास के लिए 2020 तक का जो Action Agenda बनाया है, उसमें प्रवासी भारतीयों को विशेष स्थान दिया है।

भाइयों और बहनों,

भारत की विकास यात्रा में हाथ बंटाने के लिए प्रवासी भारतीयों के सामने कई avenues हैं। पूरे विश्व में प्रवासी remittances का सबसे बड़ा recipient भारत है।

भारत की अर्थव्यवस्था में इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए हम विदेश में रह रहे हर भारतीय के ऋणी हैं। अर्थव्यवस्था से जुड़ा एक और रास्ता है भारत में निवेश का। आज अगर विश्व में FDI के लिए सर्वाधिक आकर्षक अर्थव्यवस्था भारत की है, तो इसके प्रति जागरूकता फ़ैलाने और इस निवेश को facilitate करने में प्रवासी भारतीयों का बहुत बड़ा हाथ है। मैं समझता हूँ कि अपने-अपने समाज में आपकी प्रमुख भूमिका को देखते हुए इसमें आप एक catalyst की भूमिका निभा सकते हैं।इसी संदर्भ में Tourism को बढ़ावा देने में भी भारतीय मूल के diaspora का बहुत योगदान हो सकता है।

साथियों,

विश्व की अनेक बड़ी कंपनियों के CEOs एवं leaders हमारे प्रवासी भारतीय हैं। भारत की अर्थव्यवस्था को वो बहुत तरीके से समझते हैं। इसलिए, भारत की विकास यात्रा में उनके मजबूत विश्वास के लिए हम उनके आभारी हैं। आज विदेश में बसा भारतीय खुद को देश की प्रगति का एक stake-holder मानता है। वो इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहते हैं, अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहते हैं।

विश्व पटल पर अपने भारत को और ऊपर उठते हुए देखना चाहते हैं। हम जानते हैं कि आपका अनुभव देश में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन के लिए कितना महत्वपूर्ण है। आपका अनुभव भारत को मदद कर सके इसलिए VAJRA यानि Visiting Adjunct Joint Research Faculty स्कीम शुरू की गई है।

इस स्कीम के तहत आप भारत के संस्थानों में एक से तीन महीने तक काम कर सकते हैं।

आज इस मंच से मैं आप सभी से आह्वान करता हूं कि इस योजना से जुड़ें, और अपने देश में अन्य भारतीयों को भी इससे जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करें। आपके अनुभव का फायदा, भारत की युवा पीढ़ी को मिलेगा, तो आपको भी बहुत सुखद अनुभूति होगी। भारत की आवश्यकताओं, शक्तियों और विशेषताओं को विश्व तक पहुंचाने की जितनी क्षमता आपमें हैं, और किसी में नहीं है।

दुनिया के अस्थिरता से भरे वातावरण में भारतीय सभ्यता और संस्कृति के मूल्य,पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर सकते हैं। विश्व में Health-care को लेकर चिंता बढ़ रही है। तो आप दुनिया को आपकी पुरातन holistic living की परंपरा के बारे में बता सकते हैं। जहां वैश्विक समाज अलग-अलग स्तरों और विचारधाराओं में बंट रहा है, वहां आप भारत की सबको साथ लेकर चलने वाली Inclusive Philosophy-'सबका साथ सबका विकास' का उदाहरण दे सकते हैं। जहां विश्व में Extremism और Radicalization के बारे में चिंता बढ़ रही है, वहां आप दुनिया को भारतीय संस्कृति के “सर्व पंथ समभाव” का संदेश दुहरा सकते हैं।

साथियों,

आप सभी की जानकारी में है कि 2019 में प्रयाग-इलाहाबाद में कुंभ मेले का आयोजन किया जाएगा। ये भी हम सभी के लिए गौरव की बात है कि हाल ही में कुंभ-मेले को यूनेस्को की ‘Intangible Cultural Heritage of Humanity की लिस्ट में स्थान मिला है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इसकी व्यापक पैमाने पर तैयारी शुरू कर दी गई है। मेरा आग्रह है कि अगले वर्ष जब आप भारत आएं तो इस तैयारी के साथ आएं कि प्रयाग के दर्शन भी जरूर करें। आप अपने देश में अन्य लोगों को इस भव्य आयोजन के बारे में बताएंगे, तो वो भी भारतीय संस्कृति की इस धरोहर से परिचित होंगे।

भाइयों और बहनों,

विश्व के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं, जिनका मुकाबला करने के लिए गांधी जी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग पर चलते हुए कोई भी विवाद सुलझाया जा सकता है। Extremism और Radicalization को counter करने वाली कोई विचारधारा है तो वो है गांधीजी की विचारधारा, भारतीय मूल्यों की विचारधारा।

Friends,

एक विकसित भारत के निर्माण के लिए, न्यू इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए, हम आपके साथ मिल कर आगे बढ़ना चाहते हैं। इस सम्मलेन में हम आपके अनुभव से लाभान्वित होना चाहते हैं। न्यू इंडिया के विकास के बारे में आपको बताना चाहते हैं, आपसे जुड़ना चाहते हैं। आप जहां भी हों, जिस भी देश में रहें, आपके विकास की यात्रा में भी हम साझेदार बनना चाहते हैं।

साथियों,

21वीं सदी को Asian Century कहा जा रहा है। इसमें निश्चित रूप से भारत की अहम भूमिका है। इस भूमिका का प्रभाव, भारत के बढ़ते कद का प्रभाव आप जहां भी रहेंगे, उसे महसूस करेंगे। भारत की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था, भारत की बढ़ती हुई ताकत देखकर जब आपका माथा ऊपर उठेगा, तो हम और ज्यादा परिश्रम करने के लिए प्रेरित होंगे।

भाइयों और बहनों,

भारत वो देश है जिसने विश्व पटल पर हमेशा सकारात्मक भूमिका निभाई है। हमने किसी भी देश के प्रति अपनी नीति को फ़ायदे-नुकसान के तराजू पर नहीं तोला है, बल्कि उसे मानवीय

मूल्यों के prism से देखा है। 

हमारा Development Aid देने का model भी “give and take” पर आधारित नहीं है। बल्कि यह उन देशों की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। हमारी न किसी के resources को exploit करने की मंशा रही है और न ही किसी की territory पर हमारी नज़र है। हमारा focus सदैव capacity building और resource development पर रहा है। Bilateral, Multilateral Platforms,

चाहे वो कॉमनवेल्थ हो, इंडिया-अफ्रीका फोरम समिट हो, Forum for India–Pacific Islands Cooperation हो, हम प्रत्येक मंच पर सभी को साथ लेकर आगे बढ़ने के लिए प्रत्यनशील रहे हैं।

आसियान देशों से हमारे मज़बूत सम्बन्धों को हमने आसियान संगठन के साथ सम्बन्ध बढ़ाकर और भी ठोस रुप प्रदान किया है। भारत-आसियान संबंधों का भविष्य कितना उज्ज्वल है, इसकी झांकी अब से कुछ दिनों बाद गणतंत्र दिवस पर पूरी दुनिया देख सकेगी। 

साथियों,

भारत सारे विश्व में सुख, शान्ति, समृद्धि, लोकतांत्रिक मूल्यों, समावेशिता, सहयोग और भाई-चारे का पक्षधर रहा है।यह वही सूत्र है जो जन-प्रतिनिधियों के रुप में आपको अपने electorate से भी जोड़ते हैं। भारत विश्व में शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए योगदान करता रहे, यही हमारा प्रयास है, और यही हमारा कमिटमेंट भी है। 

Friends,

हमारा निमंत्रण स्वीकार करने के लिए, अपने व्यस्त कार्यक्रमों से समय निकाल कर यहां आने के लिए, मैं आपका एक बार फिर ह्रदय से आभार प्रकट करता हूँ। मुझे विश्वास है कि आपकी सक्रिय साझेदारी से यह सम्मलेन सफ़ल होगा। मैं आशा करता हूँ कि अगले वर्ष प्रवासी भारतीय दिवस में आप लोगों से एक बार फ़िर मिलने का अवसर मिलेगा। बहुत बहुत धन्यवाद !!! जय हिंद !!!

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