एक भारत-श्रेष्‍ठ भारत के मार्ग पर चलते हुए हम सभी नेताजी की भावनाओं के अनुरूप आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं: प्रधानमंत्री मोदी
केन्‍द्र सरकार बीते साढ़े 4 वर्षों से अपने वैभवशाली इतिहास के हर छोटे से छोटे हिस्‍से को उभारने का प्रयास कर रही है: पीएम मोदी
अबसे रॉस द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप से जाना जाएगा, नील द्वीप को शहीद द्वीप से जाना जाएगा और हैवलॉक द्वीप को स्‍वराज द्वीप के नाम से जाना जाएगा: प्रधानमंत्री

भारत माता की जय

वन्‍दे – मातरम

वन्‍दे – मातरम

वन्‍दे – मातरम 

आप सबसे पहले मेरा आग्रह है कि आज ही के दिन नेताजी यहां आए थे, उनका स्‍मरण करते हुए अपना मोबाइल फोन बाहर निकालिए, सभी अपने मोबाइल की flash light चालू कीजिए और एक साथ सबके मोबाइल की flash light चालू कीजिए और नेताजी को सम्‍मान दीजिए, हरेक के मोबाइल के। मेरे साथ बोलिए  

नेताजी जिंदाबाद

नेताजी जिंदाबाद

नेताजी जिंदाबाद 

सुभाष बाबू जिंदाबाद

सुभाष बाबू जिंदाबाद 

सुभाष बाबू जिंदाबाद  

वन्‍दे – मातरम

वन्‍दे – मातरम

वन्‍दे – मातरम 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद 

मंच पर उपस्थितसभी महानुभव, आज विशेष रूप से पधारे हुए सुभाष बाबू के परिवारजन और विशाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों।

आजादी के लिए अपना जीवन दांव पर लगाने वाले संख्‍य देशभक्‍तों के त्‍याग और पराक्रम से पवित्र हुई इस भूमि को मैं शत-शत नमन करता हूं।अंडमान निकोबार द्वीप समूह भारत के प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक तो है ही, भारतवासियों के लिए ये तीर्थ समान है1 इस भूमि की महानता भूगोल के साथ ही इसके अतीत को उजागर करने वाले स्‍वर्णिम इतिहास में है1 ये द्वीप समूह हमारी आजादी के आंदोलन का आजादी के लिए एक-एक भारतीय के शौर्य का, संकल्‍प का प्रतीक है। 

साथियो, देश के इतिहास, वर्तमान और भविष्‍य के लिए महत्‍वपूर्ण ये द्वीप समूह सशक्‍त बने, देश की विकास गाथा का अहम हिस्‍सा बने; इसके लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। इसी सोच को जमीन पर उतारते हुए आज अंडमान के कोने-कोने को सुविधाओं से जोड़ने वाली सैंकड़ों करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्‍यास भी किया गया है। ये प्रोजेक्‍ट शिक्षा, स्‍वास्‍थ्य, connectivity, tourism  और उद्योग रोजगार से जुड़े हैं। इन सभी विकास परियोजनाओं के लिए आप सब मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। 

साथियो, देश की आजादी के संकल्‍प से जुड़े दो महत्‍वपूर्ण स्‍मारकों का दर्शन करने का मुझे सौभाग्‍य मिला है। पहले मैं सेल्‍युलर जेल गया था और उसके बाद उस जगह पर गया जहां 75 वर्ष पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देश की आजादी का उदघोष करते हुए झंडा फहराया था।

साथियो, सेल्‍युलर जेल के कैम्‍पस में प्रवेश करते ही एक अलग ही एहसास मन-मस्तिष्‍क में भर जाता है। वो लोग न जाने किस मिट्टी के बने थे जिन्‍होंने तब हंसते-हंसते यातनाएं झेली थीं। सेल्‍युलर जेल के कैम्‍पस में चलते हुए ऐसा अनुभव होता है कि भारत मां के वीर सपूत समंदर की लहरों पर अपने खून-पसीने से भारत मां की जय लिख रहे हैं। वे पल-पल, तिल-तिल अपने-आपको जला रहे हैं, अपनी जिंदगी जला रहे हैं, ताकि आजादी की रोशनी प्रकट हो। 

वीर सावरकर को लेकर जितनी भी बातें सुनी और पढ़ी हैं, वो एक-एक घटना दृश्‍य बनकर जीवंत हो जाती है। वो कोठरियां जिनमें सावरकर, बाबा भान सिंह, महावीर सिंह, इन्‍द्रभूषण रॉय, जैसे सैंकड़ों-हजारों महान क्रान्ति वीरों को यातनाएं दी गई थीं। जहां पर उन्‍होंने इतने वर्ष बिताए, वो व्‍यक्तिगत रूप से हम सबके लिए किसी मंदिर से कम नहीं है। बारेन्‍द्र कुमार घोष, उल्‍लासकर दत्‍त, पृथ्‍वी सिंह आजाद, त्रैलोक्‍य नाथ चक्रवर्ती, भाई परमानंद, ऐसे अनेक आजादी के नायकों ने से सेल्‍युलर जेल के चप्‍पे-चप्‍पे को गौरवान्वित किया है। आजादी के इन गुमनाम नायकों को ये कृतज्ञ राष्‍ट्र कभी भूल नहीं सकता।

मेरे साथ बोलिए-

शहीदों – अमर  रहो

शहीदों – अमर रहो

साथियो, जब आजादी के नायकों की बात आती है तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम हमें गौरव से भर देता है, नई ऊर्जा से भर देता है। आजाद हिंद सरकार के पहले प्रधानमंत्री सुभाष बाबू ने अंडमान की इस धरती को भारत की आजादी की संकल्‍प–भूमि बनाया था। नेताजी के आह्वान पर अंडमान के अनेक वीरों ने देश की आजादी के लिए खुद को समर्पित कर दिया था, जिसके बाद आजाद हिंद फौज ने यहां आजादी का तिरंगा फहराया था। 

30 दिसम्‍बर, 1943 की उस ऐतिहासिक घटना को आज 75 वर्ष पूरे हो गए हैं। आज उसी की याद में यहां 150 फीट ऊंचा ध्‍वज फहराकर हमने अपने इस दिन को देशवासियों की चिर स्‍मृति में अंकित करने का एक नम्र प्रयास किया है। सौभाग्‍य से कुछ महीने पहले ही मुझे लालकिले पर भी ऐसा ही अवसर मिला था। तब आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष पूरे हुए थे। 

भाइयो और बहनों, इतिहास के इस गौरवमय पल की स्‍मृति में सिक्‍का और postal stamp भी जारी किए गए हैं। इतना ही नहीं, नेताजी समेत आजादी के नायकों की स्‍मृति अंडमान के कोने-कोने में अमिट रहे, पूरा देश यहां से प्रेरणा लेता रहे, इसके लिए एक महत्‍वपूर्ण फैसला सरकार ने लिया है। इस समय जब मैं आपसे बात कर रहा हूं तो एक notification किया जा रहा है। और मैं अब आप सबके सामने बड़े गर्व के साथ उस घोषणा को करने जा रहा हूं। अबसे रॉस द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप से जाना जाएगा, नील द्वीप को शहीद द्वीप से जाना जाएगा और हैवलॉक द्वीप को स्‍वराज द्वीप के नाम से जाना जाएगा। 

भाइयो और बहनों, नेताजी ने स्‍वयं भारत भूमि के इस द्वीप समूह पर झंडा फहराकर इसे ब्रिटिश शासन से मुक्‍त घोषित किया था। इसी दिन उन्‍होंने भारतीयों की एक बड़ी जनसभा को इसी ग्राउंड में संबोधित किया था, जो अब नेताजी स्‍टेडियम बन गया है। तब उन्‍होंने कहा था कि इस इलाके पर अधिकार के साथ ही अंतरिम सरकार की राष्‍ट्रीय अस्मिता अब सत्‍यता और वास्‍तविकता का चोला ओढ़ चुकी है। इस वचन के चार वर्ष बाद ही मां भारती दासता की बेड़ियों से मुक्‍त हो गई। 

साथियो, गुलामी के लंबे कालखंड में अगर भारत की एकता को लेकर कोई शक और संदेह पैदा हुआ है तो वो सिर्फ मानसिकता का प्रश्‍न है, संस्‍कारों का नहीं। सुभाष बाबू का भी ये मानना था कि हम सभी प्राचीन काल से ही एक हैं; हां, गुलामी के समय में इस एकता को छिन्‍न-भिन्‍न करने का प्रयास जरूर हुआ है। नेताजी का ये दृढ़ विश्‍वास था कि एक राष्‍ट्र के रूप में अपनी पहचान पर बल देकर उस मानसिकता को भी बदला जा सकता है। आज मुझे प्रसन्‍नता है कि एक भारत-श्रेष्‍ठ भारत के मार्ग पर चलते हुए हम सभी नेताजी की भावनाओं के अनुरूप आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। 

सा‍थियो, कई बार कुछ लोग जाने-अनजाने में चर्चा के दौरान mainland और आईलैंड की बात करते हैं, हमारी जुबान पर चढ़ गया है। 

मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, मेरे लिए समूचा भारत, यहां का कण-कण, जर्रा-जर्रा mainland है। पोर्ट ब्‍लेयर उतना ही mainland है, जितना दिल्‍ली, मुम्‍बई और चेन्नई है। यही कारण है कि हमारी सरकार उन क्षेत्रों में connectivity पर बल दे रही है जो किसी भी वजह से पीछे रहगए थे। देश के फिजीकल और इमोशनल integration  को और मजबूत करने का हमारा निश्‍चय अटल है। 

भाइयो और बहनों, integration  की ये भावना तब और मजबूत हो जाती है जब हम इतिहास के अपने नायकों को स्‍मरण रखते हैं। मैं बार-बार ये कहता रहा हूं कि जो देश अपने वास्‍तविक नायकों, अपने इतिहास को, अपने सम्‍मान को नहीं सहज पाता है; वो कभी भी तरक्‍की नहीं कर सकता है। जो देश अपने इतिहास, विरासत को जितना संभाल लेता है, उसका विकास उतना ही सशक्‍त होता है। 

केन्‍द्र सरकार बीते साढ़े चार वर्षों से अपने वैभवशाली इतिहास के हर छोटे से छोटे  हिस्‍से को उभारने का प्रयास कर रही है। उसे देशवासियों के सामने प्रेरणा के तौर पर रखने में जुटी है क्‍योंकि इतिहास घटना है तो इतिहास गहना भी है। इतिहास बीता हुआ कल है तो इतिहास आने वाले कल का एहसास भी है। इतिहास पुरुषार्थ, पराक्रम, पीड़ा को संजोए है तो इतिहास पुरुषाथ, पराक्रम भी प्रेरणा भी है। इतिहास हमारे प्रयत्‍नों का परखी है तो इतिहास हमारे परिश्रम का प्रतिबिंब भी है। इतिहास हमें सर्तक करता है तो इतिहास हमें सजग रहना भी सिखाता है। इतिहास समय से बंधा हुआ है तो इतिहास नए संकल्‍प की ऊर्जा भी है। इतिहास हमें नई उम्‍मीदों, नए सपनों को देखने का हौसला देता है तो इतिहास हमें भविष्‍य के लिए खुद को समर्पित करने का साहस भी देता है। 

साथियो, इसी सोच के साथ सरकार ने कई वर्षों से लटके पुलिस मेमोरियल के सपने को साकार किया। बाबा साहेब भीमराम अम्‍बेडकर के पंचतीर्थों का निर्माण किया। राष्‍ट्रीय एकता और किसान आंदोलन के प्रणेता सरदार वल्‍लभ भाई पटेल को सम्‍मान देने के लिए दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा Statue of Unity आज देश को गौरवान्वित कर रही है। ये तमाम स्‍मारक सिर्फ इतिहास को संजोने की क्रिया नहीं बल्कि देश को एक करने वाले अपने सच्‍चे और वीर सपूतों को हमारा नमन भी है।

इतना ही नहीं, नेताजी सुभाषचंद्र बोस और सरदार पटेल के नाम पर हमने राष्‍ट्रीय पुरस्‍कारों की घोषणा भी की है। आज मैं यहां पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस Deemed University की भी घोषणा कर रहा हूं। 

भाइयो और बहनों, इन तमाम राष्‍ट्र पुरुषों की प्रेरणा से जिस नए भारत के निर्माण का बीड़ा हम सभी ने उठाया है, उसके स्‍वभाव में मूल तत्‍व विकास है। विकास हमारे संसाधनों का भी और हमारी संस्‍कृति का भी हो, ये सुनिश्चित किया जा रहा है। देश के कोने-कोने का, देश के जन-जन का विकास यानी सबका साथ सबका विकास। जब हम संसाधनों के विकास की बात करते हैं तो औद्योगिक विकास भी उसका एक महत्‍वपूर्ण पहलू है। 

सरकार यहां की परिस्थितियां, यहां के पर्यावरण के अनुकूल उद्योगों के विकास  के लिए प्रतिबद्ध है। सोलर पॉवर हो, LNG से बिजली बनाना हो, इलेक्ट्रिक कार हो, यहां की ट्रैफिक व्‍यवस्‍था का हिस्‍सा बनाना हो; ये सारी कोशिशें विकास और पर्यावरण में संतुलन बनाने के लिए की जा रही हैं। 

साथियो, इस क्षेत्र के औद्योगिक विकास के लिए भी सरकार ने एक बड़ी योजना बनाई है। जिसका ऐलान भी आप सबसे बीच आज मैं करने जा रहा हूं। इस ऐतिहासिक पल पर करने जा रहा हूं। इस योजना का नाम है लक्षद्वीप एंड अंडमान निकोबार आईलैंड इं‍डस्ट्रियल डेवलमेंट स्‍कीम। इसके तहत यहां जो भी उद्ययमी इको फ्रैंडली उद्योग लगाएंगे, उनको सरकार मदद देगी, रियायतें देगी। इस योजना से यहां अनेक उद्योग आने वाले समय में लगेंगे जिससे यहां के युवाओं को रोजगार मिलेगा।

इस योजना से टूरिज्‍म, फूड प्रोसेसिंग और इन्‍फोरमेशन टेक्‍नोलॉजी से जुड़े सैंकड़ों उद्यमों को लाभ मिलेगा। आज यहां स्‍टार्टअप्स के लिए भी एक पॉलिसी बुक का विमोचन किया गया है। इन तमाम प्रयासों से यहां के युवा साथियों को लाभ होना तय है। यहां की पहचान को, यहां की संस्‍कृति को संरक्षित रखते हुए पर्यटन को भी विकसित करने की कोशिश हो रही है। आज पर्यटन से जुड़े इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर को लेकर अनेक बड़ी योजनाओं का शिलान्‍यास और लोकार्पण किया गया है।हैवलॉक पोर्ट पर बनने वाला पैसेंजर टर्मिनल हो या फिर याट मरीना का विस्‍तारीकरण, इससे हाई एंड टूरिज्‍म के क्षेत्र में संभावनाएं बढ़ेंगी। यहां 20 यार्ड की जगह 100 यार्ड तक खड़े किए जा सके, इसके लिए योजना पर काम चल रहा है। 

साथियो, औद्योगिक और टूरिज्‍म का विकास तब होता है जब connectivity अच्‍छी होती है। यहां की connectivity को मजबूत करने के लिए इस वर्ष चार जहाज यहां के परिवहन बेड़े में आ चुके हैं। इसके अलावा चार जहाजों को मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत कोच्चि शिपयार्ड में तेजी से बनाया जा रहा है। हमारी कोशिश है कि ये द्वीप समूह ज्‍यादा से ज्‍यादा आत्‍मनिर्भर बन सके। यहां के बड़े जहाजों का रख-रखाव अभी देश के दूसरे हिस्‍सों में होता है। अब पोर्ट ब्‍लेयर के डॉक यार्ड को विस्‍तार दिया जा रहा है। 

साथियो, मुझे बताया गया कि चाथम से बोम्बूफ्लैटजाने में काफी समय लगता था। अब वहां एक पुल बनाने को मंजूरी दे दी गई है। आज जो स्‍थानीय प्रतिनिधियों के साथ मेरी बैठक हुई है, उनमें सड़कों से जुड़ा एक विषय उठाया गया था। मुझे बताया गया‍ कि यहां के rural इलाकों में सड़कों के repair और maintenance की समस्‍या है। मेरा लेफ्टिनेंट गवर्नर जी से आग्रह रहेगा कि सड़कों की स्थिति की समीक्षा की जाए और केन्‍द्रसरकार को दो हफ्ते के भीतर रिपोर्ट भेजी जाए। और रिपोर्ट के अध्‍ययन के बादकेन्‍द्रसरकार हर संभव मदद करेगी। 

इसके अलावा air connectivity को और सशक्‍त करने के लिए वीर सावरकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एक नई integrated terminal building बन रही है। ये बिल्डिंग बहुत जल्‍द पूरी हो जाएगी। चेन्‍नई और कलकत्‍ता से पोर्ट ब्‍लेयर की चार्टर्ड फ्लाइट subsidized किराये पर आप सभी को उपलब्‍ध कराई जाएगी।

साथियो, water-way, air-way और road-way के साथ-साथ I-way भीआज की बहुत बड़ीजरूरत है।फोन और इंटरनेट connectivity को भी बेहतर किया जा रहा है। चेन्‍नई से आ रही under sea optical fibreसे अब पोर्ट ब्‍लेयर में उतना ही अच्‍छा इंटरनेट चलेगा जितना की दिल्‍ली या चेन्‍नई में चलता है। 

इतना ही नहीं SWAN यानी state wide area network, वो भी आज से शुरू किया गया है। इसके तहत पहले फेज में यहां के जो बड़े द्वीप हैं, जहां रिहायश है, वहां के 12 locations को जोड़ा जा रहा है। इससे जिला और ब्‍लॉक स्‍तर के सभी सरकारी दफ्तरों को हाई स्‍पीड इंटरनेट की सुविधा मिलेगी जिससे सरकार की सेवाओं की ऑनलाइन डिलीवरी में आसानी होगी। एक प्रकार से अंडमान और निकोबार सहित तमाम द्वीपों में डिजीटल इंडिया की मजबूती को सुनिश्चित करेगी।

साथियो, उद्योगों और टूरिज्‍म के अलावा अपने पुराने व्‍यवसायों से भी युवाओं को रोजगार मिले, इसके लिए 19 fish landing centreबनाए जा रहे हैं, 9 पूरे हो चुके हैं और बाकी 10 पर तेजी से काम चल रहा है। इसके साथ ही कृषि, मछली पालन और पशुपालन को प्रगति देने के लिए 200 करोड़ की मदद की जा रही है। 

भाइयो और बहनों, यहां बिजली, पीने का पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी आज अहम प्रोजेक्‍ट्स का शिलान्‍यास और लोकार्पण किया गया है। अगले 20 साल के लिए पोर्ट ब्‍लेयर और आसपास के इलाकों को पानी की समस्‍या न हो, इसके लिए धनीकारी बांध की ऊंचाई बढ़ाई जा रही है। 

जहां तक बिजली की बात है, तो बीते छह महीने में ही यहां 7 मेगावाट के सोलर पॉवर प्‍लांट्स को मंजूरी दी जा चुकी है। इसके अलावाआज जिस एलएनजी पॉवर प्‍लांट का शिलान्‍यास किया गया है, उससे अगले 25 वर्षों तक यहां बिजली की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।

साथियो, waste to energy की दिशा में भी पोर्ट ब्‍लेयर अहम भूमिका निभा रहा है। जो नया प्‍लाज्मा गैस प्‍लांट यहां बनेगा उससे पीने के साफ पानी के साथ-साथ clean energy और green fuel भी आपको उपलब्‍ध होगा। 

भाइयो और बहनों, स्‍वच्‍छता को लेकर भी आपका संकल्‍प प्रशसंनीय है और इसके लिए मैं नागरिकों को बधाई देता हूं। मुझे बहुत खुशी है कि यहां के लोगों ने पूरे द्वीप समूह को खुले में शौच से मुक्‍त घोषित किया है। स्‍वच्‍छता से यहां का सौन्‍दर्य तो निखर रहा है, वहीं स्‍वास्‍थ्‍य भी बेहतर हो रहा है। 

भाइयो और बहनों, देशवासियों के स्‍वास्‍थ्‍य को हमारी सरकार बहुत अधिक प्राथमिकता दे रही है। इसका लाभ आप सभी को भी मिल रहा है। दो वर्ष पहले  पोर्ट ब्‍लेयर में अंडमान एंड निकोबार आईलैंड इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस शुरू किया गया था। सरकार की योजना अंडमान निकोबार आइलैंड स्‍कीम पर हेल्‍थ इंश्‍योरेस के तहत ढाई हजार से ज्‍यादा गरीब और सेवानिवृत्‍त लोगों ने अपना इलाज कराया है, वहीं आयुष्‍मान भारत योजना के तहत यहां के भी अनेक गरीब परिवारों को लाभ मिल रहा है। देशभर के बड़े-बड़े अस्‍पतालों में गंभीर बीमारी की स्थिति- पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज यहां भी सु‍निश्चित हो रहा है। 

साथियो, यहां की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को विस्‍तार देते हुए 2 पीएससी और सीएससी को अपग्रेड कर जिला अस्‍पताल बनाया जा रहा है। इसके अलावा एक आयुष अस्‍पताल का भी आज शिलान्‍यास किया गया है। इन सुविधाओं के बन जाने के बाद आपको इलाज के लिए दूर-दूर तक नहीं जाना पड़ेगा। 

भाइयो और बहनों, दवाई के साथ-साथ पढ़ाई पर भी सरकार का फोकस है। चार वर्ष पहले यहां नया डिग्री कॉलेज खोला गया था और साल 2016 में लॉ कॉलेज भी शुरू हो गया। अब आपको नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नाम से नेताजी सुभाषचंद्र डीम्ड यूनिवर्सिटी की सुविधा भी मिल चुकी है। डिगलीपुर में ploy technical collage की शुरूआत की गई है और थोड़ी देर पहले निकोबार में आईटीआई को भी मैं आप सभी के लिए समर्पित करके आया हूं।

भाइयो और बहनों, पूरे देश में विकास की पंचधारा, बच्‍चों की पढ़ाई, युवा को कमाई, बुजुर्गों को दवाई, किसानों को सिंचाई और जन-जन की सुनवाई- ये सुनिश्चित करने के लिए सरकार निरंतर ईमानदार प्रयास कर रही है। आज जितनी भी योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्‍यास यहां हुआ है, ये सभी इसी सोच से जुड़ी हुई हैं। 

इसके साथ-साथ हमारे शौर्य और बलिदान से भरे गौरवपूर्ण इतिहास, हमारी संस्‍कृति, हमारे नायकों का सम्‍मान हो- इसके लिए भी हम संकल्‍पबद्ध हैं। 

एक बार फिर इस ऐतिहासिक अवसर के लिए, जीवन आसान बनाने वाली सभी परियोजनाओं के लिए आप सब मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों को हृदयपूर्वक बहुत-बहुत बधाई देता हूं। 

2018 का कल आखिरी दिन है। परसों 2019 का नया साल प्रारंभ हो रहा है- आप सभी अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप वासियों और पूरे देश के लिए नया उत्‍साह, नया जोश, नई ऊर्जा और नए उत्‍तम स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर आए- इसी मंगल कामना के साथ आप सबसे फिर से आग्रह करता हूं- एक बार मोबाइल फोन बाहर निकालिए, अपनी फ्लैश लाइट चालू कीजिए, सबके मोबाइल फोन बाहर हों, आपकी फ्लैश लाइट बाहर हो-  और मेरे साथ पूरी ताकत से बोलना है- 

सुभाष बाबू ने स्‍वराज की नींव जहां रखी, 75 साल के इस पर्व पर सुराज की मजबूत यात्रा हम प्रारंभ करने का संकल्‍प ले करके चल रहे हैं, तब आप सबसे, आपके मोबाइल की फ्लैश लाइट चालू करके मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए- 

वंदे – मातरम

वंदे – मातरम

वंदे – मातरम 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 नवंबर को शाम करीब 5:30 बजे नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 'ओडिशा पर्व 2024' कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस अवसर पर वह उपस्थित जनसमूह को भी संबोधित करेंगे।

ओडिशा पर्व नई दिल्ली में ओडिया समाज फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके माध्यम से, वह ओडिया विरासत के संरक्षण और प्रचार की दिशा में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने में लगे हुए हैं। परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष ओडिशा पर्व का आयोजन 22 से 24 नवंबर तक किया जा रहा है। यह ओडिशा की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हुए रंग-बिरंगे सांस्कृतिक रूपों को प्रदर्शित करेगा और राज्य के जीवंत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक लोकाचार को प्रदर्शित करेगा। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख पेशेवरों एवं जाने-माने विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सेमिनार या सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।