परिवर्तन करने के लिए अपने अंतर्गत आने वाले सभी पुलिस स्टेशनों की एक सूची बनाएं, आप व्यक्ति को बदल भी सकते हैं और नहीं भी लेकिन निश्चित रूप से आप सिस्टम और वातावरण को बदल सकते हैं: आईपीएस अधिकारियों से प्रधानमंत्री मोदी
पीएम मोदी ने हमारे पुलिस स्टेशनों की संस्कृति को बदलने और इन्हें सामाजिक विश्वास के केंद्र बनाने पर जोर दिया
हमने कभी अपने पुलिस स्टेशनों की संस्कृति पर जोर दिया है, हमारे पुलिस स्टेशन सामाजिक विश्वास के केंद्र कैसे बनने चाहिए: आईपीएस अधिकारियों से प्रधानमंत्री

नमस्कार!

दीक्षांत परेड समारोह में मौजूद केंद्रीय परिषद के मेरे सहयोगी श्री अमित शाह जी, डॉ. जितेंद्र सिंह जी, जी. किशन रेड्डी जी, सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के अधिकारी गण और युवा जोश से भारतीय पुलिस सेवा को नेतृत्व देने के लिए तैयार 71 आर आर के मेरे सभी युवा साथियों!

वैसे मैं लगातार आपके यहां से निकलने वाले सब साथियों को रूबरू में दिल्‍ली में मिलता था। मेरा सौभाग्‍य रहता था कि मेरे निवास स्‍थान पर सबको बुलाता था, गप्‍पें-गोष्‍ठी भी करता था। लेकिन कोरोना के कारण जो परिस्थितियां पैदा हुई हैं, उसके कारण मुझे ये मौका गंवाना पड़ रहा है। लेकिन मुझे पक्‍का विश्‍वास है कि कार्यकाल के दौरान कभी न कभी आप लोगों से भेंट हो ही जाएगी।

साथियों,

लेकिन एक बात निश्चित है कि अब तक आप एक ट्रेनी के रूप में काम करते हैं, आपको लगता है कि एक शेल्‍टर हैएकprotective environment में आप काम कर रहे हैं। आपको लगता है कि गलती करेंगे तो साथी भी है, संभालेगा, आपके ट्रेनिंग देने वाले लोग हैं वो भी संभाल लेंगे। लेकिन रातों-रात स्थिति बदल जाएगी। जैसे ही यहां से आप बाहर निकलोगे, आप protective environment में नहीं होंगे। सामान्‍य मानवी आपको, नए हो अनुभव अभी हुआ नहीं है, कुछ नहीं समझेगा। वो तो ये समझेगा कि भई आप तो यूनिफॉर्म में हैं, आप तो साहब हैं, मेरा ये काम क्‍यों नहीं हो रहा है। अरे आप तो साहब हैं, आप ऐसा कैसे करते हो? यानी आपकी तरफ देखने का नजरिया बिल्‍कुल बदल जाएगा।

ऐसे समय आप किस प्रकार से अपने आपको प्रस्‍तुत करते हैं, कैसे आप अपने आपको वहां से कार्यरत करते हैं, इसको बहुत बारीकी से देखा जाएगा।

मैं चाहूंगा कि आप इसमें शुरू के कालखंड में जितने over conscious रहें, जरूर रहें क्‍योंकि First impression is the last impression. अगर आपकी एक छवि शुरू में ऐस बन गई कि भई ये इस प्रकार के अफसर हैं, फिर आप कहीं पर भी ट्रांसफर करोगे, वो आपकी छवि आपके साथ travel करती जाएगी। तो आपको उसमें से बाहर आने में बहुत समय जाएगा। आप बहुत carefully ये कोशिश कीजिए।

दूसरा, समाज व्‍यवस्‍था का एक दोष रहता है। हम भी जब चुन करके दिल्‍ली में आते हैं तो दो-चार लोग हमारे आसपास ऐसे ही चिपक जाते हैं, पता ही नहीं होता कि कौन हैं। और थोड़े ही दिन में सेवा करने लग जाते हैं; साहब गाड़ी की जरूरत हो तो बता देनाव्‍यवस्‍था कर दूंगा। पानी की जरूरत हो तो बोलिए साहब। ऐसा करो, अभी तो आप खाना नहीं होगा, ये भवन का खाना अच्‍छा नहीं है, चलिएवहां खाना है मैं ले आऊं क्‍या? पता ही नहीं होता ये सेवादान कोन हैं। आप भी जहां जाएंगे जरूर ऐसी एक टोली होगी जो, शुरू में आपको भी जरूरत होती है कि भई नए हैं, इलाका नया है, और अगर उस चक्‍कर में फंस गए तो फिर निकलना बहुत मुश्किल हो जाएगा। आप कष्‍ट हो शुरू में तो कष्‍ट, नया इलाका है तो नया इलाका, अपनी आंखों से, अपने कान से, अपने‍ दिमाग से चीजों को समझने का प्रयास कीजिए। शुरू में जितना हो सके तो अपने कान को फिल्‍टर लगा दीजिए।

आपको लीडरशिप में success होना है तो शुरू में आपके कान को फिल्‍टर लगा दीजिए। मैं ये नहीं कहता हूं कान को ताला लगाइए। मैं फिल्‍टर लगाने के‍ लिए कह रहा हूं। इससे क्‍या होगा कि जो जरूरी चीजें हैं जो आपके career के लिए आपकी ड्यूटी के लिए एक इंसान के नाते वो फिल्‍टर की हुई चीजें जब आपके दिमाग में जाएंगी आपको बहुत काम आएंगी। सारा कूड़ा-कचरा, वरना तो आप देखिए कोई भी जाता है तो लोग उसको एक dustbin मान लेते हैं। और जितना बड़ा आदमी, उतना बड़ा dustbin मानते हैं और कूड़ा-कचरा फेंकते ही चले जाते हैं। और हम भी उस कूड़े-कचरे को संपत्ति मान लेते हैं।हम अपने मन-मंदिर को जितना साफ रखेंगे, उतना फायदा होगा।

दूसरा एक विषय है-क्‍या कभी हमने अपने थाने के कल्‍चर पर बल दिया है। हमारा थाना एक सामाजिक विश्‍वास का केंद्र कैसे बने, उसका environment, आज थाना देखिए स्‍वच्‍छता का भाव होता है, ये ठीक है। कुछ इलाकों में थाने बहुत पुराने हैं, जर्जर हैं, ये मैं जानता हूं, लेकिन साफ-सुथरा रखना तो कोई मुश्किल काम नहीं है।

हम तय करें कि मैं जहां जाऊंगा मेरे हाथ के नीचे 50-100-200, जो भी थाने होंगे उसमें ये 12-15 चीजें मैं कागज पर तय करूंगा, ये बिल्‍कुल पक्‍का कर दूंगा। व्‍यक्ति को मैं बदल पाऊं, न बदल पाऊं, व्‍यवस्‍था को मैं बदल सकता हूं। मैं environment को बदल सकता हूं। क्‍या आपकी priority में ये चीज हो सकती है। और आप देखिए फाइलें कैसे रखना, चीजें कैसे रखना, कोई आएं तो बुलाना, बिठाना, ये छोटी-छोटी चीजें आप कर लीजिए।

कुछ पुलिस के लोग जब नए ड्यूटी पर जाते हैं तो उनको लगता है मेरा रौब पहले मैं दिखाऊं। लोगों को मैं डरा दूं, मैं लोगों में एक अपना हुक्‍म छोड़ दूं। और जोanti-social elementहैं वो तो मेरे नाम से ही कांपने चाहिए। ये जो सिंघम वाली फिल्‍में देखकर जो बड़े बनते हैं, उनके दिमाग में ये भर जाता है। और उसके कारण करने वाले काम छूट जाते हैं। आप, आपके हाथ के नीचे अगर 100-200 लोग हैं, 500 लोग हैं उनमें क्‍वालिटी में चेंज कैसे आए, एक अच्‍छी टीम कैसे बने, आपकी सोच के अनुसार अच्‍छा, आप देखिए, आपको देखने का तरीका बदल जाएगा।

सामान्‍य मानवी पर प्रभाव पैदा करना है, कि सामान्‍य मानवी में प्रेम का सेतु जोड़ना है, तय कर लीजिए। अगर आप प्रभाव पैदा करेंगे तो उसकी उम्र बहुत कम होती है। लेकिन प्रेम का सेतु जोड़ेंगे तो रिटायर हो जाएंगे तब भी जहां आपकी पहली ड्यूटी रही होगी, वहां के लोग आपको याद करेंगे कि 20 साल पहले ऐसा एक नौजवान अफसर हमारे यहां आया था, भाषा तो नहीं जानता था, लेकिन जो उसका व्‍यवहार था लोगों के दिलों को जीत लिया था। आप एक बार जन-सामान्‍य के दिल को जीत लेंगे, सब बदल जाएगा।

एक पुलिसिंग में मान्‍यता है, मैं जब नया-नया सीएम बना तो गुजरात में दिवाली के बाद नया साल होता है। तो हमारे यहां एक फंक्‍शन छोटा सा होता है जिसमें पुलिस के लोगों से दिवाली मिलन का कार्यक्रम होता है और मुख्‍यमंत्री उसमें regular जाते हैं, मैं भी जाता हूं। जब मैं जाता था, पहले जो मुख्‍यमंत्री जाते थे वो जा करके मंच पर बैठते थेऔर कुछ बोलते थे और शुभकामनाएं देकर निकल जाते थे। मैं वहां जितने लोगों को मिलता था, तो मैं शुरू में जब गया तो वहां जो पुलिस के अधिकारी थे, उन्‍होंने मुझे रोका। बोले, आप सबसे हाथ क्‍यों मिला रहे हैं, मत मिलाइए। अब उसमें कांस्‍टेबल भी होते थे, छोटे-मोटे हर प्रकार के मुलाजिम होते थे और करीब 100-150 का gathering होता था। मैंने कहा क्‍यों? अरे बोले, साहब आपके तो हाथ ऐसे होते हैं कि आप हाथ मिलाते-मिलाते हों तो शाम को आपके हाथ में सूजन आ जाएगी और treatment करनी पड़ेगी। मैंने कहा, ये क्‍या सोचा आपने? वो भी समझता है कि मैं जिससे मिल रहा हूं उसका हाथ बड़ा सामान्‍य है तो मैं उससे उसी प्रकार से मिलूंगा। लेकिन एक सोच, पुलिस डिपार्टमेंट में ऐसा ही होगा। वो गाली बोलेगा, तू-तू फटकार करेगा, ये कल्‍पना गलत है जी।

इस कोरोना कालखंड के अंदर ये जो यूनिफॉर्म में जो बनी-बनाई छवि है, वो पुलिस real में नहीं है। वो भी एक इंसान है। वो भी अपनी ड्यूटी मानवता के हित के लिए कर रहा है। ये इस जन-सामान्‍य में भरेगा हमारे अपने व्‍यवहार से। हम अपने व्‍यवहार से ये पूरा character कैसे बदल सकते हैं?

उसी प्रकार से मैंने देखा है कि आमतौर पर political leaders और पुलिस का सबसे पहला मुकाबला हो जाता है। और जब यूनिफॉर्म में होते हैं तो उसको ऐसा लगता है कि मैं ऐसा करूँगा तो मेरा बराबर जमेगा और 5-50 ताली बजाने वो तो मिल ही जाते हैं।

हमें भूलना नहीं चाहिए कि हम एक democratic व्‍यवस्‍था हैं। लोकतंत्र में दल कोई भी हो, जन प्रतिनिधि का एक बड़ा महत्‍व होता है। जन-प्रतिनिधि का सम्‍मान करने का मतलब है लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्‍मान करना। उसके साथ हमारे differencesहो तो भी एक तरीका होता है। उस तरीके को हमें अपनाना चाहिए। मैं मेरा अपना अनुभव बता रहा हूं। मैं जब नया-नया मुख्‍यमंत्री बना तो ये जो आपको ट्रेनिंग दे रहे हैं ना अतुल, वो उस समय मुझे ट्रेनिंग दे रहे थे।और मैं उनके अंडर में ट्रेंड हुआ हूं। क्‍योंकि वो मेरे security in charge थे।CM Security के।

तो एक दिन क्‍या हुआ मुझे ये पुलिस, तामझाम, मुझे mentally मैं फिट नही होता। मुझे बड़ा अटपटा लगता है, लेकिन मजबूरन मुझे उसमें रहना पड़ता था। और कभी-कभी मैं कानून-नियम तोड़कर कार से उतर जाता था, भीड़ में उतरकर लोगों से हाथ मिला लेता था। तो एक दिन अतुल करवल ने मेरे से टाइम लिया। मेरे चैंबर में मिलने आए। शायद उनको याद है कि नहीं मुझे मालूम नहीं, और उन्‍होंने अपनी नाराजगी मुझे प्रकट की। काफी जूनियर थे वो, मैं आज से 20 साल पहले की बात कर रहा हूं।

उन्‍होंने अपने मुख्‍यमंत्री के सामने आंख में आंख मिला करके अपनी नाराजगी व्‍यक्‍त की। उन्‍होंने कहा, साहब आप ऐसे नहीं जा सकते, कार में से आप अपनी मर्जी से नहीं उतर सकते, आप ऐसे भीड़ में नहीं जा सकते।मैंन कहा, भाई मेरी जिंदगी के तुम मालिक हो क्‍या? ये तुम तय करोगे क्‍यामुझे क्‍या करना है क्‍या नहीं? वो जरा भी हिले नहीं, मैं उसके सामने बोल रहा हूं आज। वो जरा भी हिले नहीं, डिगे नहीं उन्‍होंने मुझे साफ कहा कि साहब आप व्‍यक्तिगत नहीं हैं। आप राज्‍य की संपत्ति हैं। और मेरी इस संपत्ति को संभालना जिम्‍मेदारी है। आपको नियमों का पालन करना होगा, ये मेरा आग्रह रहेगा और मैं नियमों का पालन करवाऊंगा।

मैं कुछ नहीं बोला। लोकतंत्र का सम्‍मान भी था, जनप्रतिनिधि का सम्‍मान भी था लेकिन अपनी ड्यूटी के संबंध में बहुत ही polite wordमें अपनी बात बताने का तरीका भी था। मेरे जीवन के वो बिल्‍कुल शुरूआती कालखंड थे मुख्‍यमंत्री के नाते। वो घटना आज भी मेरे मन पर स्थिर क्‍यों है? क्‍योंकि एक पुलिस अफसर ने जिस तरीके से और जिस दृढ़ता से और लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि के महत्‍व को समझते हुए बात रखी थी, मैं मानता हूं हर पुलिस का जवान ये काम कर सकता है, हर कोई कर सकता है। हमें इन बातों को देखना होगा।

एक और विषय है –देखिए इन दिनों टेक्‍नोलॉजी ने बहुत बड़ी मदद की है। ज्‍यादातर हमें जो काम पहले हमारीConstabulary level की जो information होती थी, intelligence होती थी, उसी से पुलिसिंग का काम अच्‍छे ढंग से होता था। दुभाग्‍य से उसमें थोड़ी कमी आई है। इसमें कभी भी compromise मत होने देना। Constabulary level की intelligence पुलिसिंगके लिए बहुत आवश्‍यक होती है जी, इसमें कमी मत आने देना। आपको अपनी assets, अपने रिसोर्सस, इसको जितना पनपा सकते हैं पनपाएं, पर थाने के लोगों को बल देना चाहिए, उनको प्रोत्‍साहित करना चाहिए। लेकिन इन दिनों टेक्‍नोलॉजी इतनी बड़ी मात्रा में सरलता से उपलब्‍ध है, इतने दिनों जितने भी क्राइम detect होते हैं, उसमें टेक्‍नोलॉजी बहुत मदद कर रही है। चाहेसीसीटीवी कैमरा फुटेज हों, या मोबाइल ट्रेकिंग हो, आपको बहुत बड़ी मदद करते हैं।अच्छी चीज है लेकिन इन दिनों जितने पुलिस के लोग suspend होते हैं, उसका कारण भी टेक्‍नोलॉजी है। क्‍योंकि वो कहीं बदतमीजी कर देते हैं, कहीं गुस्‍सा कर देते हैं, कहीं बैलेंस खो देते हैं, कभी आवश्‍यकता से अधिक कुछ कर देते हैं और दूर कोई वीडियो उतारता है, पता ही नहीं होता है। फिर वो वीडियो वायरल हो जाता है। फिर इतना बड़ा मीडिया का प्रेशर बन जाता है और वैसे भी पुलिस के खिलाफ बोलने के लिए ज्‍यादा लोग मिल ही जाते हैं। आखिरकार सिस्‍टम को कुछ दिन के लिए तो उनको suspend करना ही पड़ता है। पूरे career में धब्‍बा लग जाता है।

जैसे टेक्‍नोलॉजी मदद कर रही है, टेक्‍नोलॉजी मुसीबत भी कर रही है। पुलिस को सबसे ज्‍यादा कर रही है। आपको trained करना होगा लोगों को। टेक्‍नोलॉजी को सकारात्‍मक अच्‍छे से अच्‍छा, ज्‍यादा से ज्‍यादा उपयोग कैसे हो, इस पर बल देना चाहिए। और मैंने देखा कि आपकी पूरी बैच में टेक्‍नोलॉजी के background वाले लोग बहुत हैं। आज information की कमी नहीं है जी। आज information का analysis और उसमें से सही चीज निकालना, big data और artificial intelligence, social media, ये चीजें अपने-आप में आपके एक नए हथियार बन गए हैं। आपको अपनी एक टोली बनानी चाहिए। अपने साथ काम करने वाले लोग, उनको जोड़ना चाहिए। और जरूरी नहीं है कि हर कोई बढ़ी टेक्‍नोलॉजी का एक्‍सपर्ट हो।

मैं एक उदाहरण बताता हूं। जब मैं सीएम था तो मेरी सिक्‍युरिटी में एक कांस्‍टेबल था। कांस्‍टेबल या थोड़ा उससे ऊपर का होगा, मुझे याद नहीं है। भारत सरकार, यूपीए गर्वनमेंट थी और एक email, वो email correct नहीं हो रहा था। और भारत सरकार के लिए ये चिंता का विषय था इस मामले में। तो ये चीजें अखबार में भी आईं। मेरी टोली में एक सामान्‍य 12वं कक्षा पढ़ा हुआ एक नौजवान था, उसनेउसमें रुचि ली। और आप हैरान हो जाएंगे, उसने उसको correct किया और उस समय शायद गृहमंत्री चिदम्‍बरम जी थे, उन्‍होंने उसको बुलाया, उसको सर्टिफिकेट दिया। यानी कि कुछ ही ऐसे लोग होते हैं जिनके पास विधा होती है।

हमें इनको ढूंढना चाहिए, इनका उपयोग करना चाहिए और उनको काम में लगाना चाहिए। अगर ये आप करते हैं तो आप देखिए कि आपके नए शस्‍त्र बन जाएंगे, ये आपकी नई शक्ति बन जाएगी। अगर आपके पास 100 पुलिस का बल है, इन साधनों पर अगर आपकी ताकत आ गई, information के analysis में टेक्‍नोलॉजी का उपयोग किया; आप 100 नहीं रह जाएंगे हजारों में तब्‍दील हो जाएंगे इतनी ताकत बढ़ जाएगी, आप उस पर बल दीजिए।

दूसरा, आपने देखा होगा कि पहले natural calamities होती थीं, बहुतबाढ़ आ गई, भूकंप आ गया, कोई बहुत बड़ा एक्‍सीडेंट हो गया, साइक्‍लोन आ गया। तो आमतौर पर फौज के लोग वहां पहुंचते थे। और लोगों को भी लगता था भई चलिए ये फौज के लोग आ गए हैं, अब इस मुसीबत में से निकलने के लिए हमको बहुत बड़ी मदद मिल जाएगी, ये बड़ा स्‍वाभाविक बन गया था। पिछले कुछ वर्षों में SDRF और NDRFके कारण हमारे पुलिस बल के ही जवान हैं, उन्‍होंने जो काम किया है, और जिस प्रकार से टीवी का ध्‍यान भी उन्‍हीं लोगों पर, उनका स्‍पेशल यूनिफॉर्म बन गया है, और पानी में भी दौड़ रहे हैं, मिट्टी में भी दौड़ रहे हैं, पत्‍थरों पर काम कर रहे हैं। बड़ी-बड़ी शिलाएं उठा रहे हैं। इसने एक नई पहचान बना दी है पुलिस विभाग की।

मैं आप सबसे आग्रह करूंगा कि आप अपने इलाके में अपने क्षेत्र में SDRF और NDRFके काम के‍ लिए जितनी ज्‍यादा टोलियां आप तैयार कर सकते हैं आपको करनी चाहिए। आपके पुलिस बेड़े में भी और उस इलाके के लोगों में भी।

अगर आप natural calamitiesमें जनता की मदद करने में पुलिस बल की क्‍योंकि ड्यटी तो आपकी आ ही जाती है, लेकिन ये अगर महारत है तो बड़ी आसानी से इस ड्यूटी को आप संभाल सकते हैं और इन दिनों इसकी requirement बढ़ती चली जा रही है। और through NDRF, through SDRF आप पूरे पुलिस बेड़े की एक नई छवि, एक नई पहचान आज देश में बन रही है।

गर्व के साथ आज देश कह रहा है कि देखिए भई इस संकट की घड़ी में पहुंच गए, इमारत गिर गई, लोग दबे थे, पहुंच गए उन्‍होने निकाला।

मैं चाहूंगा कि अनेक ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें आप लीडरशिप दे सकते हैं। आपने देखा होगा trainingका बहुत बड़ा महत्‍व होता है। हम training को कभी कम मत आंकें। ज्‍यादातर हमारे देश में सरकारी मुलाजिम के लिए trainingको punishment माना जाता है। ट्रेनिंग यानी कोई निकम्‍मा अफसर होगा तो उसको ट्रेनिंग के काम में लगाया होगा, ऐसा impression बन जाता है। हमने ट्रेनिंग को इतना नीचे कर दिया है, वो हमारी सारी good governance की समस्‍याओं की जड़ में है और उसमें से हमको बाहर आना होगा।

देखिए मैं अतुल करवाल की दोबारा तारीफ करना चाहूंगा आज। अतुल को उसका, वो भी technology background के हैं, एवरेस्‍ट हो आए हैं, बड़े साहसिक हैं। उनके लिए पुलिस में कोई भी पद प्राप्‍त करना मैं नहीं मानता हूं मुश्किल है। लेकिन आज से कुछ साल पहले भी उन्‍होंने हैदराबाद में ट्रेनिंग के काम को खुद ने choice से लिया था और वहां आकर काम किया था। इस बार भी उन्‍होंने खुद ने choice से कहा कि मुझे तो ट्रेनिंग का काम दीजिए और वो आज वहां आए हैं। इसकी बहुत बड़ी अहमियत होती है जी। मैं चाहूंगा कि इसको महत्‍व दिया जाए।

और इसलिए भारत सरकार ने एक मिशन कर्मयोगी, अभी दो दिन पहले ही कैबिनेट ने उसको मंजूर किया है। हम बहुत बड़ी प्रतिष्‍ठा देना चाहते हैं इस ट्रेनिग की activity को। एक मिशन कर्मयोगी के रूप में देना चाहते हैं।

मुझे लगता है कि इसको करना चाहिए और आगे बढ़ाना चाहिए। मैं एक अपना अनुभव और बताना चाहता था। मैं गुजरात एक 72 घंटे का capsule बनाया था मैंनेट्रेनिंग का और सरकारी अफसरों को तीन-तीन दिन के लिए सब प्रकार के मुलाजिम के लिए ट्रेनिंग थी 72 घंटे की। और बाद में मैं खुद उनका फीडबैक लेता था क्‍या अनुभव हुआ।

जब शुरू का कालखंड था तो एक 250 लोग, जिन्‍होंने ट्रेनिंग ली थी, मैंने उनकी मीटिंग की, पूछा भई कैसा रहा इन 72 घंटे में? ज्‍यादातर लोगों ने कहा, साहब 72 घंटों को जरा बढ़ाना चाहिए, हमारी लिए बहुत उपयोगी होता है। कुछ लोगों ने कहा, उसमें एक पुलिस वाला खड़ा हुआ था। उससे मैंने पूछा कि भई आपका क्‍या अनुभव है?तो उसने मुझे कहा, साहब इस 72 घंटे में मैं अब तक पुलिसवाला था, इस 72 घंटे ने मुझे इंसान बना दिया। इन शब्‍दों की बहुत बड़ी ताकत थी। वो कहता है कि मुझे कोई मानता ही नहीं था कि मैं इंसान हूं, सब लोग यही देखते थे कि मैं पुलिसवाला हूं। इस 72 घंटे की ट्रेनिंग में मैंने अनुभव किया कि मैं सिर्फ पुलिस नहीं हूं, मैं एक इंसान हूं।

देखिए, ट्रेनिंग की ये ताकत होती है। हमें ट्रेनिंग की लगातार, अब जैसे आपके यहां परेड, आपको पक्‍का करना चाहिए परेड के जो घंटे हैं एक मिनट कम नहीं होने देंगे। आप अपने स्‍वास्‍थ्‍य की‍ जितनी चिंता करें, अपने साथियों को हमेशा पूछते रहिए, स्‍वास्‍थ्‍य कैसा है, एक्‍सरसाइज करे हो नही करते हो, weight कंट्रोल रखते हो कि नहीं रखते हो, मेडिकल चेकअप कराते हो नहीं कराते हो। इन सारी चीजों पर बल दीजिए क्‍योंकि आपका क्षेत्र ऐसा है कि जिसमें physical fitness सिर्फ यूनिफॉर्म में अच्‍छे दिखने के लिए नहीं है, आपकी ड्यूटी ही ऐसी है कि आपको इसको करना पड़ेगा और इसमें आपको नेतृत्‍व देना पड़ेगा। और हमारे यहां शास्‍त्रों में कहा गया है कि

यत्, यत् आचरति, श्रेष्ठः,

तत्, तत्, एव, इतरः, जनः,

सः, यत्, प्रमाणम्, कुरुते, लोकः,

तत्, अनुवर्तते।

अर्थात श्रेष्ठ लोग जिस तरह का आचरण दिखाते हैं, बाकी लोग भी वैसा ही आचरण करते हैं

मुझे विश्वास है कि आप उन श्रेष्‍ठ जनों की श्रेणी में हैं, आप उस श्रेष्‍ठता को सिद्ध करने की श्रेणी में हैं, आपको एक अवसर मिला है, साथ-साथ एक जिम्‍मेदारी मिली है। और जिस प्रकार की चुनौतियों से आज मानव जाति गुजर रही है, उस मानव जाति की रक्षा के लिए हमारे देश के तिरंगे की आन-बान-शान के लिए, भारत के संविधान के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ सेवा परमो धर्म:; रूल की अपनी एक महत्‍ता है लेकिन रोल, इसकी विशेष महत्‍ता है।

मैं rule based काम करूंगा कि role based काम करूंगा। अगर हमारा role based ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण मानेंगे तो rule तो अपने-आप फोलो हो जाएंगे। और हमारा रोल perfectly हमने पालन किया तो लोगों में विश्‍वास और बढ़ जाएगा।

मैं फिर एक बार आप सब को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और मुझे विश्‍वास है कि खाकी का सम्‍मान बढ़ाने में आपकी तरफ से कोई कमी नहीं रहेगी। मेरी तरफ से भी आपकी, आपके परिवारजनों की, आपके सम्‍मान की जो कुछ भी जिम्‍मेदारियां निभाने की हैं, उसमें कभी कमी नहीं आने दूंगा। इसी विश्‍वास के साथ आज के इस शुभ अवसर पर अनेक-अनेक शुभकामनाएं देते हुए आपको मैं शुभास्‍तेबंधा कहता हूं!

धन्यवाद !

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November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
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‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।