Quoteपरिवर्तन करने के लिए अपने अंतर्गत आने वाले सभी पुलिस स्टेशनों की एक सूची बनाएं, आप व्यक्ति को बदल भी सकते हैं और नहीं भी लेकिन निश्चित रूप से आप सिस्टम और वातावरण को बदल सकते हैं: आईपीएस अधिकारियों से प्रधानमंत्री मोदी
Quoteपीएम मोदी ने हमारे पुलिस स्टेशनों की संस्कृति को बदलने और इन्हें सामाजिक विश्वास के केंद्र बनाने पर जोर दिया
Quoteहमने कभी अपने पुलिस स्टेशनों की संस्कृति पर जोर दिया है, हमारे पुलिस स्टेशन सामाजिक विश्वास के केंद्र कैसे बनने चाहिए: आईपीएस अधिकारियों से प्रधानमंत्री

नमस्कार!

दीक्षांत परेड समारोह में मौजूद केंद्रीय परिषद के मेरे सहयोगी श्री अमित शाह जी, डॉ. जितेंद्र सिंह जी, जी. किशन रेड्डी जी, सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के अधिकारी गण और युवा जोश से भारतीय पुलिस सेवा को नेतृत्व देने के लिए तैयार 71 आर आर के मेरे सभी युवा साथियों!

वैसे मैं लगातार आपके यहां से निकलने वाले सब साथियों को रूबरू में दिल्‍ली में मिलता था। मेरा सौभाग्‍य रहता था कि मेरे निवास स्‍थान पर सबको बुलाता था, गप्‍पें-गोष्‍ठी भी करता था। लेकिन कोरोना के कारण जो परिस्थितियां पैदा हुई हैं, उसके कारण मुझे ये मौका गंवाना पड़ रहा है। लेकिन मुझे पक्‍का विश्‍वास है कि कार्यकाल के दौरान कभी न कभी आप लोगों से भेंट हो ही जाएगी।

साथियों,

लेकिन एक बात निश्चित है कि अब तक आप एक ट्रेनी के रूप में काम करते हैं, आपको लगता है कि एक शेल्‍टर हैएकprotective environment में आप काम कर रहे हैं। आपको लगता है कि गलती करेंगे तो साथी भी है, संभालेगा, आपके ट्रेनिंग देने वाले लोग हैं वो भी संभाल लेंगे। लेकिन रातों-रात स्थिति बदल जाएगी। जैसे ही यहां से आप बाहर निकलोगे, आप protective environment में नहीं होंगे। सामान्‍य मानवी आपको, नए हो अनुभव अभी हुआ नहीं है, कुछ नहीं समझेगा। वो तो ये समझेगा कि भई आप तो यूनिफॉर्म में हैं, आप तो साहब हैं, मेरा ये काम क्‍यों नहीं हो रहा है। अरे आप तो साहब हैं, आप ऐसा कैसे करते हो? यानी आपकी तरफ देखने का नजरिया बिल्‍कुल बदल जाएगा।

ऐसे समय आप किस प्रकार से अपने आपको प्रस्‍तुत करते हैं, कैसे आप अपने आपको वहां से कार्यरत करते हैं, इसको बहुत बारीकी से देखा जाएगा।

मैं चाहूंगा कि आप इसमें शुरू के कालखंड में जितने over conscious रहें, जरूर रहें क्‍योंकि First impression is the last impression. अगर आपकी एक छवि शुरू में ऐस बन गई कि भई ये इस प्रकार के अफसर हैं, फिर आप कहीं पर भी ट्रांसफर करोगे, वो आपकी छवि आपके साथ travel करती जाएगी। तो आपको उसमें से बाहर आने में बहुत समय जाएगा। आप बहुत carefully ये कोशिश कीजिए।

दूसरा, समाज व्‍यवस्‍था का एक दोष रहता है। हम भी जब चुन करके दिल्‍ली में आते हैं तो दो-चार लोग हमारे आसपास ऐसे ही चिपक जाते हैं, पता ही नहीं होता कि कौन हैं। और थोड़े ही दिन में सेवा करने लग जाते हैं; साहब गाड़ी की जरूरत हो तो बता देनाव्‍यवस्‍था कर दूंगा। पानी की जरूरत हो तो बोलिए साहब। ऐसा करो, अभी तो आप खाना नहीं होगा, ये भवन का खाना अच्‍छा नहीं है, चलिएवहां खाना है मैं ले आऊं क्‍या? पता ही नहीं होता ये सेवादान कोन हैं। आप भी जहां जाएंगे जरूर ऐसी एक टोली होगी जो, शुरू में आपको भी जरूरत होती है कि भई नए हैं, इलाका नया है, और अगर उस चक्‍कर में फंस गए तो फिर निकलना बहुत मुश्किल हो जाएगा। आप कष्‍ट हो शुरू में तो कष्‍ट, नया इलाका है तो नया इलाका, अपनी आंखों से, अपने कान से, अपने‍ दिमाग से चीजों को समझने का प्रयास कीजिए। शुरू में जितना हो सके तो अपने कान को फिल्‍टर लगा दीजिए।

आपको लीडरशिप में success होना है तो शुरू में आपके कान को फिल्‍टर लगा दीजिए। मैं ये नहीं कहता हूं कान को ताला लगाइए। मैं फिल्‍टर लगाने के‍ लिए कह रहा हूं। इससे क्‍या होगा कि जो जरूरी चीजें हैं जो आपके career के लिए आपकी ड्यूटी के लिए एक इंसान के नाते वो फिल्‍टर की हुई चीजें जब आपके दिमाग में जाएंगी आपको बहुत काम आएंगी। सारा कूड़ा-कचरा, वरना तो आप देखिए कोई भी जाता है तो लोग उसको एक dustbin मान लेते हैं। और जितना बड़ा आदमी, उतना बड़ा dustbin मानते हैं और कूड़ा-कचरा फेंकते ही चले जाते हैं। और हम भी उस कूड़े-कचरे को संपत्ति मान लेते हैं।हम अपने मन-मंदिर को जितना साफ रखेंगे, उतना फायदा होगा।

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दूसरा एक विषय है-क्‍या कभी हमने अपने थाने के कल्‍चर पर बल दिया है। हमारा थाना एक सामाजिक विश्‍वास का केंद्र कैसे बने, उसका environment, आज थाना देखिए स्‍वच्‍छता का भाव होता है, ये ठीक है। कुछ इलाकों में थाने बहुत पुराने हैं, जर्जर हैं, ये मैं जानता हूं, लेकिन साफ-सुथरा रखना तो कोई मुश्किल काम नहीं है।

हम तय करें कि मैं जहां जाऊंगा मेरे हाथ के नीचे 50-100-200, जो भी थाने होंगे उसमें ये 12-15 चीजें मैं कागज पर तय करूंगा, ये बिल्‍कुल पक्‍का कर दूंगा। व्‍यक्ति को मैं बदल पाऊं, न बदल पाऊं, व्‍यवस्‍था को मैं बदल सकता हूं। मैं environment को बदल सकता हूं। क्‍या आपकी priority में ये चीज हो सकती है। और आप देखिए फाइलें कैसे रखना, चीजें कैसे रखना, कोई आएं तो बुलाना, बिठाना, ये छोटी-छोटी चीजें आप कर लीजिए।

कुछ पुलिस के लोग जब नए ड्यूटी पर जाते हैं तो उनको लगता है मेरा रौब पहले मैं दिखाऊं। लोगों को मैं डरा दूं, मैं लोगों में एक अपना हुक्‍म छोड़ दूं। और जोanti-social elementहैं वो तो मेरे नाम से ही कांपने चाहिए। ये जो सिंघम वाली फिल्‍में देखकर जो बड़े बनते हैं, उनके दिमाग में ये भर जाता है। और उसके कारण करने वाले काम छूट जाते हैं। आप, आपके हाथ के नीचे अगर 100-200 लोग हैं, 500 लोग हैं उनमें क्‍वालिटी में चेंज कैसे आए, एक अच्‍छी टीम कैसे बने, आपकी सोच के अनुसार अच्‍छा, आप देखिए, आपको देखने का तरीका बदल जाएगा।

सामान्‍य मानवी पर प्रभाव पैदा करना है, कि सामान्‍य मानवी में प्रेम का सेतु जोड़ना है, तय कर लीजिए। अगर आप प्रभाव पैदा करेंगे तो उसकी उम्र बहुत कम होती है। लेकिन प्रेम का सेतु जोड़ेंगे तो रिटायर हो जाएंगे तब भी जहां आपकी पहली ड्यूटी रही होगी, वहां के लोग आपको याद करेंगे कि 20 साल पहले ऐसा एक नौजवान अफसर हमारे यहां आया था, भाषा तो नहीं जानता था, लेकिन जो उसका व्‍यवहार था लोगों के दिलों को जीत लिया था। आप एक बार जन-सामान्‍य के दिल को जीत लेंगे, सब बदल जाएगा।

एक पुलिसिंग में मान्‍यता है, मैं जब नया-नया सीएम बना तो गुजरात में दिवाली के बाद नया साल होता है। तो हमारे यहां एक फंक्‍शन छोटा सा होता है जिसमें पुलिस के लोगों से दिवाली मिलन का कार्यक्रम होता है और मुख्‍यमंत्री उसमें regular जाते हैं, मैं भी जाता हूं। जब मैं जाता था, पहले जो मुख्‍यमंत्री जाते थे वो जा करके मंच पर बैठते थेऔर कुछ बोलते थे और शुभकामनाएं देकर निकल जाते थे। मैं वहां जितने लोगों को मिलता था, तो मैं शुरू में जब गया तो वहां जो पुलिस के अधिकारी थे, उन्‍होंने मुझे रोका। बोले, आप सबसे हाथ क्‍यों मिला रहे हैं, मत मिलाइए। अब उसमें कांस्‍टेबल भी होते थे, छोटे-मोटे हर प्रकार के मुलाजिम होते थे और करीब 100-150 का gathering होता था। मैंने कहा क्‍यों? अरे बोले, साहब आपके तो हाथ ऐसे होते हैं कि आप हाथ मिलाते-मिलाते हों तो शाम को आपके हाथ में सूजन आ जाएगी और treatment करनी पड़ेगी। मैंने कहा, ये क्‍या सोचा आपने? वो भी समझता है कि मैं जिससे मिल रहा हूं उसका हाथ बड़ा सामान्‍य है तो मैं उससे उसी प्रकार से मिलूंगा। लेकिन एक सोच, पुलिस डिपार्टमेंट में ऐसा ही होगा। वो गाली बोलेगा, तू-तू फटकार करेगा, ये कल्‍पना गलत है जी।

इस कोरोना कालखंड के अंदर ये जो यूनिफॉर्म में जो बनी-बनाई छवि है, वो पुलिस real में नहीं है। वो भी एक इंसान है। वो भी अपनी ड्यूटी मानवता के हित के लिए कर रहा है। ये इस जन-सामान्‍य में भरेगा हमारे अपने व्‍यवहार से। हम अपने व्‍यवहार से ये पूरा character कैसे बदल सकते हैं?

उसी प्रकार से मैंने देखा है कि आमतौर पर political leaders और पुलिस का सबसे पहला मुकाबला हो जाता है। और जब यूनिफॉर्म में होते हैं तो उसको ऐसा लगता है कि मैं ऐसा करूँगा तो मेरा बराबर जमेगा और 5-50 ताली बजाने वो तो मिल ही जाते हैं।

हमें भूलना नहीं चाहिए कि हम एक democratic व्‍यवस्‍था हैं। लोकतंत्र में दल कोई भी हो, जन प्रतिनिधि का एक बड़ा महत्‍व होता है। जन-प्रतिनिधि का सम्‍मान करने का मतलब है लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्‍मान करना। उसके साथ हमारे differencesहो तो भी एक तरीका होता है। उस तरीके को हमें अपनाना चाहिए। मैं मेरा अपना अनुभव बता रहा हूं। मैं जब नया-नया मुख्‍यमंत्री बना तो ये जो आपको ट्रेनिंग दे रहे हैं ना अतुल, वो उस समय मुझे ट्रेनिंग दे रहे थे।और मैं उनके अंडर में ट्रेंड हुआ हूं। क्‍योंकि वो मेरे security in charge थे।CM Security के।

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तो एक दिन क्‍या हुआ मुझे ये पुलिस, तामझाम, मुझे mentally मैं फिट नही होता। मुझे बड़ा अटपटा लगता है, लेकिन मजबूरन मुझे उसमें रहना पड़ता था। और कभी-कभी मैं कानून-नियम तोड़कर कार से उतर जाता था, भीड़ में उतरकर लोगों से हाथ मिला लेता था। तो एक दिन अतुल करवल ने मेरे से टाइम लिया। मेरे चैंबर में मिलने आए। शायद उनको याद है कि नहीं मुझे मालूम नहीं, और उन्‍होंने अपनी नाराजगी मुझे प्रकट की। काफी जूनियर थे वो, मैं आज से 20 साल पहले की बात कर रहा हूं।

उन्‍होंने अपने मुख्‍यमंत्री के सामने आंख में आंख मिला करके अपनी नाराजगी व्‍यक्‍त की। उन्‍होंने कहा, साहब आप ऐसे नहीं जा सकते, कार में से आप अपनी मर्जी से नहीं उतर सकते, आप ऐसे भीड़ में नहीं जा सकते।मैंन कहा, भाई मेरी जिंदगी के तुम मालिक हो क्‍या? ये तुम तय करोगे क्‍यामुझे क्‍या करना है क्‍या नहीं? वो जरा भी हिले नहीं, मैं उसके सामने बोल रहा हूं आज। वो जरा भी हिले नहीं, डिगे नहीं उन्‍होंने मुझे साफ कहा कि साहब आप व्‍यक्तिगत नहीं हैं। आप राज्‍य की संपत्ति हैं। और मेरी इस संपत्ति को संभालना जिम्‍मेदारी है। आपको नियमों का पालन करना होगा, ये मेरा आग्रह रहेगा और मैं नियमों का पालन करवाऊंगा।

मैं कुछ नहीं बोला। लोकतंत्र का सम्‍मान भी था, जनप्रतिनिधि का सम्‍मान भी था लेकिन अपनी ड्यूटी के संबंध में बहुत ही polite wordमें अपनी बात बताने का तरीका भी था। मेरे जीवन के वो बिल्‍कुल शुरूआती कालखंड थे मुख्‍यमंत्री के नाते। वो घटना आज भी मेरे मन पर स्थिर क्‍यों है? क्‍योंकि एक पुलिस अफसर ने जिस तरीके से और जिस दृढ़ता से और लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि के महत्‍व को समझते हुए बात रखी थी, मैं मानता हूं हर पुलिस का जवान ये काम कर सकता है, हर कोई कर सकता है। हमें इन बातों को देखना होगा।

एक और विषय है –देखिए इन दिनों टेक्‍नोलॉजी ने बहुत बड़ी मदद की है। ज्‍यादातर हमें जो काम पहले हमारीConstabulary level की जो information होती थी, intelligence होती थी, उसी से पुलिसिंग का काम अच्‍छे ढंग से होता था। दुभाग्‍य से उसमें थोड़ी कमी आई है। इसमें कभी भी compromise मत होने देना। Constabulary level की intelligence पुलिसिंगके लिए बहुत आवश्‍यक होती है जी, इसमें कमी मत आने देना। आपको अपनी assets, अपने रिसोर्सस, इसको जितना पनपा सकते हैं पनपाएं, पर थाने के लोगों को बल देना चाहिए, उनको प्रोत्‍साहित करना चाहिए। लेकिन इन दिनों टेक्‍नोलॉजी इतनी बड़ी मात्रा में सरलता से उपलब्‍ध है, इतने दिनों जितने भी क्राइम detect होते हैं, उसमें टेक्‍नोलॉजी बहुत मदद कर रही है। चाहेसीसीटीवी कैमरा फुटेज हों, या मोबाइल ट्रेकिंग हो, आपको बहुत बड़ी मदद करते हैं।अच्छी चीज है लेकिन इन दिनों जितने पुलिस के लोग suspend होते हैं, उसका कारण भी टेक्‍नोलॉजी है। क्‍योंकि वो कहीं बदतमीजी कर देते हैं, कहीं गुस्‍सा कर देते हैं, कहीं बैलेंस खो देते हैं, कभी आवश्‍यकता से अधिक कुछ कर देते हैं और दूर कोई वीडियो उतारता है, पता ही नहीं होता है। फिर वो वीडियो वायरल हो जाता है। फिर इतना बड़ा मीडिया का प्रेशर बन जाता है और वैसे भी पुलिस के खिलाफ बोलने के लिए ज्‍यादा लोग मिल ही जाते हैं। आखिरकार सिस्‍टम को कुछ दिन के लिए तो उनको suspend करना ही पड़ता है। पूरे career में धब्‍बा लग जाता है।

जैसे टेक्‍नोलॉजी मदद कर रही है, टेक्‍नोलॉजी मुसीबत भी कर रही है। पुलिस को सबसे ज्‍यादा कर रही है। आपको trained करना होगा लोगों को। टेक्‍नोलॉजी को सकारात्‍मक अच्‍छे से अच्‍छा, ज्‍यादा से ज्‍यादा उपयोग कैसे हो, इस पर बल देना चाहिए। और मैंने देखा कि आपकी पूरी बैच में टेक्‍नोलॉजी के background वाले लोग बहुत हैं। आज information की कमी नहीं है जी। आज information का analysis और उसमें से सही चीज निकालना, big data और artificial intelligence, social media, ये चीजें अपने-आप में आपके एक नए हथियार बन गए हैं। आपको अपनी एक टोली बनानी चाहिए। अपने साथ काम करने वाले लोग, उनको जोड़ना चाहिए। और जरूरी नहीं है कि हर कोई बढ़ी टेक्‍नोलॉजी का एक्‍सपर्ट हो।

मैं एक उदाहरण बताता हूं। जब मैं सीएम था तो मेरी सिक्‍युरिटी में एक कांस्‍टेबल था। कांस्‍टेबल या थोड़ा उससे ऊपर का होगा, मुझे याद नहीं है। भारत सरकार, यूपीए गर्वनमेंट थी और एक email, वो email correct नहीं हो रहा था। और भारत सरकार के लिए ये चिंता का विषय था इस मामले में। तो ये चीजें अखबार में भी आईं। मेरी टोली में एक सामान्‍य 12वं कक्षा पढ़ा हुआ एक नौजवान था, उसनेउसमें रुचि ली। और आप हैरान हो जाएंगे, उसने उसको correct किया और उस समय शायद गृहमंत्री चिदम्‍बरम जी थे, उन्‍होंने उसको बुलाया, उसको सर्टिफिकेट दिया। यानी कि कुछ ही ऐसे लोग होते हैं जिनके पास विधा होती है।

हमें इनको ढूंढना चाहिए, इनका उपयोग करना चाहिए और उनको काम में लगाना चाहिए। अगर ये आप करते हैं तो आप देखिए कि आपके नए शस्‍त्र बन जाएंगे, ये आपकी नई शक्ति बन जाएगी। अगर आपके पास 100 पुलिस का बल है, इन साधनों पर अगर आपकी ताकत आ गई, information के analysis में टेक्‍नोलॉजी का उपयोग किया; आप 100 नहीं रह जाएंगे हजारों में तब्‍दील हो जाएंगे इतनी ताकत बढ़ जाएगी, आप उस पर बल दीजिए।

दूसरा, आपने देखा होगा कि पहले natural calamities होती थीं, बहुतबाढ़ आ गई, भूकंप आ गया, कोई बहुत बड़ा एक्‍सीडेंट हो गया, साइक्‍लोन आ गया। तो आमतौर पर फौज के लोग वहां पहुंचते थे। और लोगों को भी लगता था भई चलिए ये फौज के लोग आ गए हैं, अब इस मुसीबत में से निकलने के लिए हमको बहुत बड़ी मदद मिल जाएगी, ये बड़ा स्‍वाभाविक बन गया था। पिछले कुछ वर्षों में SDRF और NDRFके कारण हमारे पुलिस बल के ही जवान हैं, उन्‍होंने जो काम किया है, और जिस प्रकार से टीवी का ध्‍यान भी उन्‍हीं लोगों पर, उनका स्‍पेशल यूनिफॉर्म बन गया है, और पानी में भी दौड़ रहे हैं, मिट्टी में भी दौड़ रहे हैं, पत्‍थरों पर काम कर रहे हैं। बड़ी-बड़ी शिलाएं उठा रहे हैं। इसने एक नई पहचान बना दी है पुलिस विभाग की।

मैं आप सबसे आग्रह करूंगा कि आप अपने इलाके में अपने क्षेत्र में SDRF और NDRFके काम के‍ लिए जितनी ज्‍यादा टोलियां आप तैयार कर सकते हैं आपको करनी चाहिए। आपके पुलिस बेड़े में भी और उस इलाके के लोगों में भी।

अगर आप natural calamitiesमें जनता की मदद करने में पुलिस बल की क्‍योंकि ड्यटी तो आपकी आ ही जाती है, लेकिन ये अगर महारत है तो बड़ी आसानी से इस ड्यूटी को आप संभाल सकते हैं और इन दिनों इसकी requirement बढ़ती चली जा रही है। और through NDRF, through SDRF आप पूरे पुलिस बेड़े की एक नई छवि, एक नई पहचान आज देश में बन रही है।

गर्व के साथ आज देश कह रहा है कि देखिए भई इस संकट की घड़ी में पहुंच गए, इमारत गिर गई, लोग दबे थे, पहुंच गए उन्‍होने निकाला।

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मैं चाहूंगा कि अनेक ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें आप लीडरशिप दे सकते हैं। आपने देखा होगा trainingका बहुत बड़ा महत्‍व होता है। हम training को कभी कम मत आंकें। ज्‍यादातर हमारे देश में सरकारी मुलाजिम के लिए trainingको punishment माना जाता है। ट्रेनिंग यानी कोई निकम्‍मा अफसर होगा तो उसको ट्रेनिंग के काम में लगाया होगा, ऐसा impression बन जाता है। हमने ट्रेनिंग को इतना नीचे कर दिया है, वो हमारी सारी good governance की समस्‍याओं की जड़ में है और उसमें से हमको बाहर आना होगा।

देखिए मैं अतुल करवाल की दोबारा तारीफ करना चाहूंगा आज। अतुल को उसका, वो भी technology background के हैं, एवरेस्‍ट हो आए हैं, बड़े साहसिक हैं। उनके लिए पुलिस में कोई भी पद प्राप्‍त करना मैं नहीं मानता हूं मुश्किल है। लेकिन आज से कुछ साल पहले भी उन्‍होंने हैदराबाद में ट्रेनिंग के काम को खुद ने choice से लिया था और वहां आकर काम किया था। इस बार भी उन्‍होंने खुद ने choice से कहा कि मुझे तो ट्रेनिंग का काम दीजिए और वो आज वहां आए हैं। इसकी बहुत बड़ी अहमियत होती है जी। मैं चाहूंगा कि इसको महत्‍व दिया जाए।

और इसलिए भारत सरकार ने एक मिशन कर्मयोगी, अभी दो दिन पहले ही कैबिनेट ने उसको मंजूर किया है। हम बहुत बड़ी प्रतिष्‍ठा देना चाहते हैं इस ट्रेनिग की activity को। एक मिशन कर्मयोगी के रूप में देना चाहते हैं।

मुझे लगता है कि इसको करना चाहिए और आगे बढ़ाना चाहिए। मैं एक अपना अनुभव और बताना चाहता था। मैं गुजरात एक 72 घंटे का capsule बनाया था मैंनेट्रेनिंग का और सरकारी अफसरों को तीन-तीन दिन के लिए सब प्रकार के मुलाजिम के लिए ट्रेनिंग थी 72 घंटे की। और बाद में मैं खुद उनका फीडबैक लेता था क्‍या अनुभव हुआ।

जब शुरू का कालखंड था तो एक 250 लोग, जिन्‍होंने ट्रेनिंग ली थी, मैंने उनकी मीटिंग की, पूछा भई कैसा रहा इन 72 घंटे में? ज्‍यादातर लोगों ने कहा, साहब 72 घंटों को जरा बढ़ाना चाहिए, हमारी लिए बहुत उपयोगी होता है। कुछ लोगों ने कहा, उसमें एक पुलिस वाला खड़ा हुआ था। उससे मैंने पूछा कि भई आपका क्‍या अनुभव है?तो उसने मुझे कहा, साहब इस 72 घंटे में मैं अब तक पुलिसवाला था, इस 72 घंटे ने मुझे इंसान बना दिया। इन शब्‍दों की बहुत बड़ी ताकत थी। वो कहता है कि मुझे कोई मानता ही नहीं था कि मैं इंसान हूं, सब लोग यही देखते थे कि मैं पुलिसवाला हूं। इस 72 घंटे की ट्रेनिंग में मैंने अनुभव किया कि मैं सिर्फ पुलिस नहीं हूं, मैं एक इंसान हूं।

देखिए, ट्रेनिंग की ये ताकत होती है। हमें ट्रेनिंग की लगातार, अब जैसे आपके यहां परेड, आपको पक्‍का करना चाहिए परेड के जो घंटे हैं एक मिनट कम नहीं होने देंगे। आप अपने स्‍वास्‍थ्‍य की‍ जितनी चिंता करें, अपने साथियों को हमेशा पूछते रहिए, स्‍वास्‍थ्‍य कैसा है, एक्‍सरसाइज करे हो नही करते हो, weight कंट्रोल रखते हो कि नहीं रखते हो, मेडिकल चेकअप कराते हो नहीं कराते हो। इन सारी चीजों पर बल दीजिए क्‍योंकि आपका क्षेत्र ऐसा है कि जिसमें physical fitness सिर्फ यूनिफॉर्म में अच्‍छे दिखने के लिए नहीं है, आपकी ड्यूटी ही ऐसी है कि आपको इसको करना पड़ेगा और इसमें आपको नेतृत्‍व देना पड़ेगा। और हमारे यहां शास्‍त्रों में कहा गया है कि

यत्, यत् आचरति, श्रेष्ठः,

तत्, तत्, एव, इतरः, जनः,

सः, यत्, प्रमाणम्, कुरुते, लोकः,

तत्, अनुवर्तते।

अर्थात श्रेष्ठ लोग जिस तरह का आचरण दिखाते हैं, बाकी लोग भी वैसा ही आचरण करते हैं

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मुझे विश्वास है कि आप उन श्रेष्‍ठ जनों की श्रेणी में हैं, आप उस श्रेष्‍ठता को सिद्ध करने की श्रेणी में हैं, आपको एक अवसर मिला है, साथ-साथ एक जिम्‍मेदारी मिली है। और जिस प्रकार की चुनौतियों से आज मानव जाति गुजर रही है, उस मानव जाति की रक्षा के लिए हमारे देश के तिरंगे की आन-बान-शान के लिए, भारत के संविधान के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ सेवा परमो धर्म:; रूल की अपनी एक महत्‍ता है लेकिन रोल, इसकी विशेष महत्‍ता है।

मैं rule based काम करूंगा कि role based काम करूंगा। अगर हमारा role based ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण मानेंगे तो rule तो अपने-आप फोलो हो जाएंगे। और हमारा रोल perfectly हमने पालन किया तो लोगों में विश्‍वास और बढ़ जाएगा।

मैं फिर एक बार आप सब को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और मुझे विश्‍वास है कि खाकी का सम्‍मान बढ़ाने में आपकी तरफ से कोई कमी नहीं रहेगी। मेरी तरफ से भी आपकी, आपके परिवारजनों की, आपके सम्‍मान की जो कुछ भी जिम्‍मेदारियां निभाने की हैं, उसमें कभी कमी नहीं आने दूंगा। इसी विश्‍वास के साथ आज के इस शुभ अवसर पर अनेक-अनेक शुभकामनाएं देते हुए आपको मैं शुभास्‍तेबंधा कहता हूं!

धन्यवाद !

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The masterminds of terror now know that raising an eye against India will lead to nothing but destruction: PM at Adampur Air Base
May 13, 2025
QuoteInteracted with the air warriors and soldiers, Their courage and professionalism in protecting our nation are commendable: PM
Quote‘Bharat Mata ki Jai’ is not just a slogan, This is the oath of every soldier who puts his life at stake for the honour and dignity of his country: PM
QuoteOperation Sindoor is a trinity of India's policy, intent, and decisive capability: PM
QuoteWhen the Sindoor of our sisters and daughters was wiped away, we crushed the terrorists in their hideouts: PM
QuoteThe masterminds of terror now know that raising an eye against India will lead to nothing but destruction: PM
QuoteNot only were terrorist bases and airbases in Pakistan destroyed, but their malicious intentions and audacity were also defeated: PM
QuoteIndia's Lakshman Rekha against terrorism is now crystal clear,If there is another terror attack, India will respond and it will be a decisive response: PM
QuoteEvery moment of Operation Sindoor stands as a testament to the strength of India's armed forces: PM
QuoteIf Pakistan shows any further terrorist activity or military aggression, we will respond decisively, This response will be on our terms, in our way: PM
QuoteThis is the new India! This India seeks peace, But if humanity is attacked, India also knows how to crush the enemy on the battlefield: PM

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

इस जयघोष की ताकत अभी-अभी दुनिया ने देखी है। भारत माता की जय, ये सिर्फ उद्घोष नहीं है, ये देश के हर उस सैनिक की शपथ है, जो मां भारती की मान-मर्यादा के लिए जान की बाजी लगा देता है। ये देश के हर उस नागरिक की आवाज़ है, जो देश के लिए जीना चाहता है, कुछ कर गुजरना चाहता है। भारत माता की जय, मैदान में भी गूंजती है और मिशन में भी। जब भारत के सैनिक मां भारती की जय बोलते हैं, तो दुश्मन के कलेजे काँप जाते हैं। जब हमारे ड्रोन्स, दुश्मन के किले की दीवारों को ढहा देते हैं, जब हमारी मिसाइलें सनसनाती हुई निशाने पर पहुँचती हैं, तो दुश्मन को सुनाई देता है- भारत माता की जय! जब रात के अंधेरे में भी, जब हम सूरज उगा देते हैं, तो दुश्मन को दिखाई देता है- भारत माता की जय! जब हमारी फौजें, न्यूक्लियर ब्लैकमेल की धमकी की हवा निकाल देती हैं, तो आकाश से पाताल तक एक ही बात गूंजती है- भारत माता की जय!

साथियों,

वाकई, आप सभी ने कोटि-कोटि भारतीयों का सीना चौड़ा कर दिया है, हर भारतीय का माथा गर्व से ऊंचा कर दिया है। आपने इतिहास रच दिया है। और मैं आज सुबह-सुबह आपके बीच आया हूं, आपके दर्शन करने के लिए। जब वीरों के पैर धरती पर पड़ते हैं, तो धरती धन्य हो जाती है, जब वीरों के दर्शन का अवसर मिलता है, तो जीवन धन्य हो जाता है। और इसलिए मैं आज सुबह-सुबह ही आपके दर्शन करने के लिए यहां पहुंचा हूं। आज से अनेक दशक बाद भी जब भारत के इस पराक्रम की चर्चा होगी, तो उसके सबसे प्रमुख अध्याय आप और आपके साथी होंगे। आप सभी वर्तमान के साथ ही देश की आने वाली पीढ़ियों की, और उनके लिए भी नई प्रेरणा बन गए हैं। मैं वीरों की इस धरती से आज एयरफोर्स, नेवी और आर्मी के सभी जांबाजों, BSF के अपने शूरवीरों को सैल्यूट करता हूं। आपके पराक्रम की वजह से आज ऑपरेशन सिंदूर की गूंज हर कोने में सुनाई दे रही है। इस पूरे ऑपरेशन के दौरान हर भारतीय आपके साथ खड़ा रहा, हर भारतीय की प्रार्थना आप सभी के साथ रही। आज हर देशवासी, अपने सैनिकों, उनके परिवारों के प्रति कृतज्ञ है, उनका ऋणी है।

साथियों,

ऑपरेशन सिंदूर कोई सामान्य सैन्य अभियान नहीं है। ये भारत की नीति, नीयत और निर्णायक क्षमता की त्रिवेणी है। भारत बुद्ध की भी धरती है और गुरु गोबिंद सिंह जी की भी धरती है। गुरू गोबिंद सिंह जी ने कहा था- सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज़ तुड़ाऊं, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं।” अधर्म के नाश और धर्म की स्थापना के लिए शस्त्र उठाना, ये हमारी परंपरा है। इसलिए जब हमारी बहनों, बेटियों का सिंदूर छीना गया, तो हमने आंतकियों के फ़न को उनके घर में घुसके कुचल दिया। वो कायरों की तरह छिपकर आए थे, लेकिन वो ये भूल गए, उन्होंने जिसे ललकारा है, वो हिन्द की सेना है। आपने उन्हें सामने से हमला करके मारा, आपने आतंक के तमाम बड़े अड्डों को मिट्टी में मिला दिया, 9 आतंकी ठिकाने बर्बाद हुए, 100 से ज्यादा आतंकियों की मौत हुई, आतंक के आकाओं को अब समझ आ गया है, भारत की ओर नज़र उठाने का एक ही अंजाम होगा- तबाही! भारत में निर्दोष लोगों का खून बहाने का एक ही अंजाम होगा- विनाश और महाविनाश! जिस पाकिस्तानी सेना के भरोसे ये आतंकी बैठे थे, भारत की सेना, भारत की एयरफोर्स और भारत की नेवी ने, उस पाकिस्तानी सेना को भी धूल चटा दी है। आपने पाकिस्तानी फौज को भी बता दिया है, पाकिस्तान में ऐसा कोई ठिकाना नहीं है, जहां बैठकर आतंकवादी चैन की सांस ले सके। हम घर में घुसकर मारेंगे और बचने का एक मौका तक नहीं देंगे। और हमारे ड्रोन्स, हमारी मिसाइलें, उनके बारे में तो सोचकर पाकिस्तान को कई दिन तक नींद नहीं आएगी। कौशल दिखलाया चालों में, उड़ गया भयानक भालों में। निर्भीक गया वह ढालों में, सरपट दौड़ा करवालों में। ये पंक्तियां महाराणा प्रताप के प्रसिद्ध घोड़े चेतक पर लिखी गई हैं, लेकिन ये पंक्तियां आज के आधुनिक भारतीय हथियारों पर भी फिट बैठती हैं।

मेरे वीर साथियों,

ऑपरेशन सिंदूर से आपने देश का आत्मबल बढ़ाया है, देश को एकता के सूत्र में बाँधा है, और आपने भारत की सीमाओं की रक्षा की है, भारत के स्वाभिमान को नई ऊंचाई दी है।

साथियों,

आपने वो किया, जो अभूतपूर्व है, अकल्पनीय है, अद्भुत है। हमारी एयरफोर्स ने पाकिस्तान में इतना डीप, आतंक के अड्डों को टारगेट किया। सिर्फ 20-25 मिनट के भीतर, सीमापार लक्ष्यों को भेदना, बिल्कुल पिन पॉइंट टारगेट्स को हिट करना, ये सिर्फ एक मॉडर्न टेक्नोलॉजी से लैस, प्रोफेशनल फोर्स ही कर सकती है। आपकी स्पीड और प्रिसीजन, इस लेवल की थी, कि दुश्मन हक्का-बक्का रह गया। उसको पता ही नहीं चला कि कब उसका सीना छलनी हो गया।

साथियों,

हमारा लक्ष्य, पाकिस्तान के अंदर terror हेडक्वार्टर्स को हिट करने का था, आतंकियों को हिट करने का था। लेकिन पाकिस्तान ने अपने यात्री विमानों को सामने करके जो साजिश रची, मैं कल्पना कर सकता हूं, वो पल कितना कठिन होगा, जब सिविलियन एयरक्राफ्ट दिख रहा है, और मुझे गर्व है आपने बहुत सावधानी से, बहुत सतर्कता से सिविलियन एयरक्राफ्ट को नुकसान किए बिना, तबाह करके दिखाया, उसका जवाब दे दिया आपने। मैं गर्व के साथ कह सकता हूं, कि आप सभी अपने लक्ष्यों पर बिल्कुल खरे उतरे हैं। पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों और उनके एयरबेस ही तबाह नहीं हुए, बल्कि उनके नापाक इरादे और उनके दुस्साहस, दोनों की हार हुई है।

साथियों,

ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाए दुश्मन ने इस एयरबेस के साथ-साथ, हमारे अनेक एयरबेस पर हमला करने की कई बार कोशिश की। बार-बार उसने हमें टारगेट किया, लेकिन पाक के नाकाम, नापाक इरादे हर बार नाकाम हो गए। पाकिस्तान के ड्रोन, उसके UAV, पाकिस्तान के एयरक्राफ्ट और उसकी मिसाइलें, हमारे सशक्त एयर डिफेंस के सामने सब के सब ढेर हो गए। मैं देश के सभी एयरबेस से जुड़ी लीडरशिप की, भारतीय वायुसेना के हर एयर-वॉरियर की हृदय से सराहना करता हूं, आपने वाकई बहुत शानदार काम किया है।

साथियों,

आतंक के विरुद्ध भारत की लक्ष्मण रेखा अब एकदम स्पष्ट है। अब फिर कोई टैरर अटैक हुआ, तो भारत जवाब देगा, पक्का जवाब देगा। ये हमने सर्जिकल स्ट्राइक के समय देखा है, एयर स्ट्राइक के समय देखा है, और अब तो ऑपरेशन सिंदूर, भारत का न्यू नॉर्मल है। और जैसा मैंने कल भी कहा, भारत ने अब तीन सूत्र तय कर दिए हैं, पहला- भारत पर आतंकी हमला हुआ तो हम अपने तरीके से, अपनी शर्तों पर, अपने समय पर जवाब देंगे। दूसरा- कोई भी न्यूक्लियर ब्लैकमेल भारत नहीं सहेगा। तीसरा- हम आतंक की सरपरस्त सरकार और आतंक के आकाओं को अलग-अलग नहीं देखेंगे। दुनिया भी भारत के इस नए रूप को, इस नई व्यवस्था को समझते हुए ही आगे बढ़ रही है।

साथियों,

ऑपरेशन सिंदूर का एक-एक क्षण भारत की सेनाओं के सामर्थ्य की गवाही देता है। इस दौरान हमारी सेनाओं का को-ऑर्डिनेशन, वाकई मैं कहूंगा, शानदार था। आर्मी हो, नेवी हो या एयरफोर्स, सबका तालमेल बहुत जबरदस्त था। नेवी ने समुद्र पर अपना दबदबा बनाया। सेना ने बॉर्डर पर मजबूती दी। और, भारतीय वायुसेना ने अटैक भी किया और डिफेंड भी किया। BSF और दूसरे बलों ने भी अद्भुत क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। Integrated air and land combat systems ने शानदार काम किया है। और यही तो है, jointness, ये अब भारतीय सेनाओं के सामर्थ्य की एक मजबूत पहचान बन चुकी है।

साथियों,

ऑपरेशन सिंदूर में मैनपावर के साथ ही मशीन का को-ऑर्डिनेशन भी अद्भुत रहा है। भारत के पारंपरिक एयर डिफेंस सिस्टम हों, जिन्होंने अनेक लड़ाइयां देखी हैं, या फिर आकाश जैसे हमारे मेड इन इंडिया प्लेटफॉर्म हों, इनको S-400 जैसे आधुनिक और सशक्त डिफेंस सिस्टम ने अभूतपूर्व मज़बूती दी है। एक मजबूत सुरक्षा कवच भारत की पहचान बन चुकी है। पाकिस्तान की लाख कोशिश के बाद भी, हमारे एयरबेस हों, या फिर हमारे दूसरे डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर, इन पर आंच तक नहीं आई। और इसका श्रेय आप सभी को जाता है, और मुझे गर्व है आप सब पर, बॉर्डर पर तैनात हर सैनिक को जाता है, इस ऑपरेशन से जुड़े हर व्यक्ति को इसका श्रेय जाता है।

साथियों,

आज हमारे पास नई और cutting edge technology का ऐसा सामर्थ्य है, जिसका पाकिस्तान मुकाबला नहीं कर सकता। बीते दशक में एयरफोर्स सहित, हमारी सभी सेनाओं के पास, दुनिया की श्रेष्ठ टेक्नोलॉजी पहुंची है। लेकिन हम सब जानते हैं, नई टेक्नोलॉजी के साथ चुनौतियां भी उतनी ही बड़ी होती हैं। Complicated और sophisticated systems को मैंटेन करना, उन्हें efficiency के साथ ऑपरेट करना, एक बहुत बड़ी स्किल है। आपने tech को tactics से जोड़कर दिखा दिया है। आपने सिद्ध कर दिया है कि आप इस गेम में, दुनिया में बेहतरीन हैं। भारत की वायुसेना अब सिर्फ हथियारों से ही नहीं, डेटा और ड्रोन से भी दुश्मन को छकाने में माहिर हो गई है।

साथियों,

पाकिस्तान की गुहार के बाद भारत ने सिर्फ अपनी सैन्य कार्रवाई को स्थगित किया है। अगर, अगर पाकिस्तान ने फिर से आतंकी गतिविधि या सैन्य दुस्साहस दिखाया, तो हम उसका मुंहतोड़ जवाब देंगे। ये जवाब, अपनी शर्तों पर, अपने तरीके से देंगे। और इस निर्णय की आधारशिला, इसके पीछे छिपा विश्वास, आप सबका धैर्य, शौर्य, साहस और सजगता है। आपको ये हौसला, ये जुनून, ये जज्बा, ऐसे ही बरकरार रखना है। हमें लगातार मुस्तैद रहना है, हमें तैयार रहना है। हमें दुश्मन को याद दिलाते रहना है, ये नया भारत है। ये भारत शांति चाहता है, लेकिन, अगर मानवता पर हमला होता है, तो ये भारत युद्ध के मोर्चे पर दुश्मन को मिट्टी में मिलाना भी अच्छी तरह जानता है। इसी संकल्प के साथ, आइए एक बार फिर बोलें-

भारत माता की जय। भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

वंदे मातरम। वंदे मातरम।

वंदे मातरम। वंदे मातरम।

वंदे मातरम। वंदे मातरम।

वंदे मातरम। वंदे मातरम।

वंदे मातरम।

बहुत-बहुत धन्यवाद।