समाज और व्यवस्था में रिफॉर्म्स के बहुत बड़े प्रतीक स्वयं गुरु नानक देव जी थे : वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी
देश अब गरीबी, अन्याय और भेदभाव के अंधकार के खिलाफ भी बदलाव के दीये जला रहा है : प्रधानमंत्री मोदी
नेक नीयत से जब अच्छे कर्म किए जाते हैं, तो विरोध के बावजूद उनकी सिद्धि होती ही है : पीएम मोदी

हर हर महादेव! हर हर महादेव! हर हर महादेव!

काशी कोतवाल की जय! माता अन्‍नपूर्णा की जय! माँ गंगा की जय!

जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल! नमो बुद्धाय!

सभी काशीवासियों को, सभी देशवासियों को कार्तिक पूर्णिमा देव दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ। सभी को गुरुनानक देव जी के प्रकाश पर्व की भी बहुत-बहुत बधाई।

उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ जी, संसद में मेरे साथी श्रीमान राधामोहन सिंह जी, यू पी सरकार में मंत्री भाई आशुतोष जी, रविन्‍द्र जैसवाल जी, नीलकंठ तिवारी जी, प्रदेश भाजपा के अध्‍यक्ष भाई स्‍वतंत्रदेव सिंह जी, विधायक सौरव श्रीवास्‍तव जी, विधान परिषद सदस्‍य भाई अशोक धवन जी, स्‍थानिय भाजपा के महेशचंद श्रीवास्‍तव जी, विद्यासागर राय जी, अन्‍य सभी वरिष्‍ठ महानुभाव और मेरे काशी के प्‍यारे भाईयों और बहनों,

नारायण क विशेष महीना मानै जाने वाले पुण्य कार्तिक मास के आपन काशी के लोग कतिकि पुनवासी कहैलन। अऊर इ पुनवासी पर अनादि काल से गंगा में डुबकी लगावै, दान- पुण्य क महत्व रहल हौ। बरसों बरस से श्रद्धालु लोगन में कोई पंचगंगा घाट तो कोई दशाश्वमेध, शीतला घाट या अस्सी पर डुबकी लगावत आयल हौ। पूरा गंगा तट अऊर गोदौलिया क हरसुंदरी, ज्ञानवापी धर्मशाला तो भरल पडत रहल। पंडित रामकिंकर महाराज पूरे कार्तिक महीना बाबा विश्वनाथ के राम कथा सुनावत रहलन। देश के हर कोने से लोग उनकर कथा सुनैं आवैं।

कोरोना काल ने भले ही काफी कुछ बदल दिया है लेकिन काशी की ये ऊर्जा, काशी की ये भक्‍ति, ये शक्‍ति उसको कोई थोड़े ही बदल सकता है। सुबह से ही काशीवासी स्‍नान, ध्‍यान और दान में ही लगे हैं। काशी वैसे ही जीवंत है। काशी की गलियाँ वैसे ही ऊर्जा से भरी हैं। काशी के घाट वैसे ही दिव्‍यमान हैं। यही तो मेरी अविनाशी काशी है।

साथियों,

माँ गंगा के सान्निध्य में काशी प्रकाश का उत्‍सव मना रही है और मुझे भी महादेव के आशीर्वाद से इस प्रकाश गंगा में डूबकी लगाने का सौभाग्‍य मिल रहा है। आज दिन में काशी के six lane हाईवे के लोकार्पण के कार्यक्रम में उपस्‍थित रहने का अवसर मिला। शाम को देव दीपावली का दर्शन कर रहा हूँ। यहां आने से पहले काशी विश्‍वनाथ कोरिडोर भी जाने का मौका भी मुझे मिला और अभी रात में सारनाथ में लेजर शो का भी साक्षी बनूंगा। मैं इसे महादेव का आशीर्वाद और आप सब काशीवासियों का विशेष स्‍नेह मानता हूँ।

साथियों,

काशी के लिए एक और भी विशेष अवसर है! आपने सुना होगा, कल मन की बात में भी मैंने इसका जिक्र किया था और अभी योगी जी ने बड़ी ताकत भरी आवाज में उस बात को भी दोहराया। 100 साल से भी पहले माता अन्नपूर्णा की जो मूर्ति काशी से चोरी हो गई थी, वो अब फिर वापस आ रही है। माता अन्नपूर्णा फिर एक बार अपने घर लौटकर आ रही हैं। काशी के लिए ये बड़े सौभाग्य की बात है। हमारे देवी देवताओं की ये प्राचीन मूर्तियाँ, हमारी आस्था के प्रतीक के साथ ही हमारी अमूल्य विरासत भी है। ये बात भी सही है कि इतना प्रयास अगर पहले किया गया होता, तो ऐसी कितनी ही मूर्तियाँ, देश को काफी पहले वापस मिल जातीं। लेकिन कुछ लोगों की सोच अलग रही है। हमारे लिए विरासत का मतलब है देश की धरोहर! जबकि कुछ लोगों के लिए विरासत का मतलब होता है, अपना परिवार और अपने परिवार का नाम। हमारे लिए विरासत का मतलब है हमारी संस्कृति, हमारी आस्था, हमारे मूल्य! उनके लिए विरासत का मतलब है अपनी प्रतिमाएं, अपने परिवार की तस्वीरें। इसलिए उनका ध्‍यान परिवार की विरासत को बचाने में रहा, हमारा ध्‍यान देश की विरासत को बचाने, उसे संरक्षित करने पर है। मेरे काशीवासियों बताओ, मैं सही रस्‍ते पर हूँ ना? मैं सही कर रहा हूँ ना? देखिए आपके आशीर्वाद से ही सब हो रहा है। आज जब काशी की विरासत जब वापस लौट रही है तो ऐसा भी लग रहा है जैसे काशी माता अन्‍नपूर्णा के आगमन की खबर सुनकर सजी-संवरी हो।

साथियों,

लाखों दीपों से काशी के चौरासी घाटों का जगमग होना अद्भुत है। गंगा की लहरों में ये प्रकाश इस आभा को और भी आलोकिक बना रहा है और साक्षी कौन है देखिए ना। ऐसा लग रहा है जैसे आज पूर्णिमा पर देव दीपावली मनाती काशी महादेव के माथे पर विराजमान चन्‍द्रमा की तरह चमक रही है। काशी की महीमा ही ऐसी है। हमारे शास्‍त्रों में कहा गया है- “काश्यां हि काशते काशी सर्वप्रकाशिका”॥ अर्थात काशी तो आत्‍मज्ञान से प्रकाशित होती है इसलिए काशी सबको पूरे विश्‍व को प्रकाश देने वाली है, पथ प्रदर्शन करने वाली है। हर युग में काशी के इस प्रकाश से किसी न किसी महापुरुष की तपस्‍या जुड़ जाती है और काशी दुनिया को रास्‍ता दिखाती रहती है। आज हम जिस देव दीपावली के दर्शन कर रहे हैं, इसकी प्रेरणा पहले पंचगंगा घाट पर स्‍वयं आदिशंकराचार्य जी ने दी थी। बाद में अहिल्याबाई होल्कर जी ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। पंचगंगा घाट पर अहिल्याबाई होल्कर जी द्वारा उनके द्वारा स्‍थापित 1000 दीपों को प्रकाश स्‍तम्‍भ आज भी इस परंपरा का साक्षी है।

साथियों,

कहते हैं कि जब त्रिपुरासुर नामक दैत्‍य ने पूरे संसार को आतंकित कर दिया था, भगवान शिव ने कार्तिक की पूर्णिमा के दिन उसका अंत किया था। आतंक, अत्‍याचार और अंधकार के उस अंत पर देवताओं ने महादेव की नगरी में आकर दीये जलाये थे, दीवाली मनाई थी, देवों की वो दीपावली ही देव दीपावली है। लेकिन ये देवता कौन हैं? ये देवता तो आज भी है, आज भी बनारस में दीपावली मना रहे हैं। हमारे महापुरुषों ने, संतों ने लिखा है- “लोक बेदह बिदित बारानसी की बड़ाई, बासी नर-नारि ईस-अंबिका-स्वरूप हैं”। यानि कि काशी के लोग ही देव स्‍वरूप है। काशी के नर-नारी तो देवी और शिव के स्‍वरूप हैं, इसलिए इन चौरासी घाटों पर, इन लाखों दीपों को आज भी देवता ही प्रज्‍वलित कर रहे हैं, देवता ही ये प्रकाश फैला रहे हैं। आज ये दीपक उन आराध्‍यों के लिए भी जल रहे हैं जिन्‍होंने देश के लिए अपने प्राण न्‍यौछावर किए। जो जनमभूमि के लिए बलिदान हुए, काशी की ये भावना देव दीपावली की परंपरा का ये पक्ष भावुक कर जाता है। इस अवसर पर मैं देश की रक्षा में अपनी शहादत देने वाले, अपनी जवानी खपाने वाले, अपने सपनों को माँ भारती के चरणों में बिखेरने वाले हमारे सपूतों को नमन करता हूँ।

साथियों,

चाहे सीमा पर घुसपैठ की कोशिशे हों, विस्‍तारवादी ताकतों का दुस्‍साहस हो या फिर देश के भीतर देश को तोड़ने की कोशिश करने वाली साजिशें भारत आज सबका जवाब दे रहा है और मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। लेकिन इसके साथ ही देश अब गरीबी, अन्‍याय और भेदभाव के अंधकार के खिलाफ भी बदलाव के लिए बदलाव के दीये भी जला रहा है। आज गरीबों को उनको जिले में, उनके गांव में रोजगार देने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार अभियान चल रहा है। आज गांव में स्‍वामित्‍व योजना के जरिए सामान्‍य मानविय को उसके घर-मकान पर कानूनी अधिकार दिया जा रहा है। आज किसानों को उनके बिचौलियों और शोषण करने वालों से आजादी मिल रही है। आज रेहड़ी, पटरी और ठेले वालों को भी मदद और पूंजी देने के लिए बैंक आगे चलकर आ रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही मैंने ‘स्वनिधि योजना’ के लाभार्थियों से काशी में बात भी की थी। इसके साथ ही, आज आत्मनिर्भर अभियान के साथ चलकर देश लोकल के लिए वोकल भी हो रहा है, हो रहा है कि नहीं हो रहा है? बराबर याद रखते हो या भूल जाते हो मरे जाने के बाद? मैं बालूंगा वोकल फॉर आप बालेंगे लोकल, बालेंगे? वोकल फॉर लोकल। इस बार के पर्व, इस बार की दीवाली जैसे मनाई गई, जैसे देश के लोगों ने लोकल products, local gifts के साथ अपने त्योहार मनाए वो वाकई प्रेरणादायी है। लेकिन ये सिर्फ त्‍यौहार के लिए नहीं, ये हमारी जिंदगी का हिस्‍सा बनना चाहिए। हमारे प्रयासों के साथ साथ हमारे पर्व भी एक बार फिर से गरीब की सेवा का माध्यम बन रहे हैं।

साथियों,

गुरुनानक देव जी ने तो अपना पूरा जीवन ही गरीब, शोषित, वंचित की सेवा में समर्पित किया था। काशी का तो गुरुनानक देव जी से आत्मीय संबंध भी रहा है। उन्होंने एक लंबा समय काशी में व्यतीत किया था। काशी का गुरुबाग गुरुद्वारा तो उस ऐतिहासिक दौर का साक्षी है जब गुरुनानक देव जी यहां पधारे थे और काशीवासियों को नई राह दिखाई थी। आज हम रिफॉर्म्स की बात करते हैं, लेकिन समाज और व्यवस्था में रिफॉर्म्स के बहुत बड़े प्रतीक तो स्वयं गुरु नानक देव जी ही थे। और हमने ये भी देखा है कि जब समाज के हित में, राष्ट्रहित में बदलाव होते हैं, तो जाने-अनजाने विरोध के स्वर ज़रूर उठते हैं। लेकिन जब उन सुधारों की सार्थकता सामने आने लगती है तो सबकुछ ठीक हो जाता है। यही सीख हमें गुरुनानक देवजी के जीवन से मिलती है।

साथियों,

काशी के लिए जब विकास के काम शुरू हुये थे, विरोध करने वालों ने सिर्फ विरोध के लिए विरोध तब भी किया था, किया था कि नहीं किया था? किया था ना? आपको याद होगा, जब काशी ने तय किया था कि बाबा के दरबार तक विश्वनाथ कॉरिडॉर बनेगा, भव्यता, दिव्यता के साथ साथ श्रद्धालुओं की सुविधा को भी बढ़ाया जाएगा, विरोध करने वालों ने तब इसे लेकर भी काफी कुछ कहा था। बहुत कुछ किया भी था। लेकिन आज बाबा की कृपा से काशी का गौरव पुनर्जीवित हो रहा है। सदियों पहले, बाबा के दरबार का माँ गंगा तक जो सीधा संबंध था, वो फिर से स्थापित हो रहा है।

साथियों,

नेक नियत से जब अच्छे कर्म किए जाते हैं, तो विरोध के बावजूद उनकी सिद्धि होती ही है। अयोध्या में श्री राममंदिर से बड़ा इसका और दूसरा उदाहरण क्या होगा? दशकों से इस पवित्र काम को लटकाने भटकाने के लिए क्या कुछ नहीं किया गया? कैसे कैसे डर पैदा करने के प्रयास किए गए! लेकिन जब राम जी ने चाह लिया, तो मंदिर बन रहा है।

साथियों,

अयोध्या, काशी और प्रयाग का ये क्षेत्र आज अध्यात्मिकता के साथ-साथ पर्यटन की अपार संभावनाओं के लिए तैयार हो रहा है। अयोध्या में जिस तेज गति से विकास हो रहा है, प्रयागराज ने जिस तरह से कुम्भ का आयोजन देखा है, और काशी आज जिस तरह से विकास के पथ पर अग्रसर है, उससे पूरी दुनिया का पर्यटक आज इस क्षेत्र की ओर देख रहा है। बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र के साथ-साथ दुर्गाकुंड जैसे सनातन महत्व के स्थलों का भी विकास किया गया है। दूसरे मंदिरों और परिक्रमा पथ को भी सुधारा जा रहा है। घाटों की तस्वीर तेज गति से बदली ही है, उसने सुबह-ए-बनारस को फिर से अलौकिक आभा दी है। माँ गंगा का जल भी अब निर्मल हो रहा है। यही तो प्राचीन काशी का आधुनिक सनातन अवतार है, यही तो बनारस का सदा बना रहने वाला रस है।

साथियों,

अभी यहाँ से मैं भगवान बुद्ध की स्थली सारनाथ जाऊंगा। सारनाथ में शाम के समय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए और लोक शिक्षा के लिए भी आप सबकी जो लंबे समय से मांग थी वो अब पूरी हो गई है। लेजर शो में अब भगवान बुद्ध के करुणा, दया और अहिंसा के संदेश साकार होंगे। ये संदेश आज और भी प्रासंगिक हो जाते हैं जब दुनिया हिंसा, अशांति और आतंक के खतरे देखकर चिंतित है। भगवान बुद्ध कहते थे- न हि वेरेन वेरानि सम्मन्ती ध कुदाचन अवेरेन हि सम्मन्ति एस धम्मो सनन्तनो अर्थात वैर से वैर कभी शांत नहीं होता। अवैर से वैर शांत हो जाता है। देव दीपावली से देवत्व का परिचय कराती काशी से भी यही संदेश है कि हमारा मन इन्हीं दीपों की तरह जगमगा उठे। सब में सकारात्मकता का भाव हो। विकास का पथ प्रशस्त हो। समूची दुनिया करुणा, दया के भाव को स्वयं में समाहित करे। मुझे विश्वास है कि काशी से निकलते ये संदेश, प्रकाश की ये ऊर्जा पूरे देश के संकल्पों को सिद्ध करेगी। देश ने आत्मनिर्भर भारत की जो यात्रा शुरू की है, 130 करोड़ देशवासियों की ताकत से हम उसे पूरा करेंगे।

मेरे प्‍यारे काशीवासियों, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, आप सभी को एक बार फिर से देव दीपावली और प्रकाश पर्व की बहुत बहुत शुभकामनायें देता हूँ। कोरोना के कारण, सबके लिए जो नियम निर्धारित हुए थे उसके कारण मैं पहले तो बार-बार आपके बीच आता था। लेकिन इस बार मुझे आने में विलम्‍ब हो गया। जब इतना समय बीत गया बीच में, तो मैं खुद feel करता था कि मैंने कुछ खो दिया है। ऐसा लग रहा था कि आपको देखा नहीं, आपके दर्शन नहीं हुए। आज जब आया तो मन इतना प्रफुल्‍लित हो गया। आपके दर्शन किए, मन इतना ऊर्जावान हो गया। लेकिन मैं इस कोरोना के कालखंड में भी एक दिन भी आपके दूर नहीं था मैं आपको बताता हूँ। कोरोना के केस कैसे बढ़ रहे हैं, अस्‍पताल की क्‍या व्‍यवस्‍था है, सामाजिक संस्‍थाएं किस प्रकार से काम कर रही हैं, कोई गरीब भूखा तो नहीं रहता है। हर बात में मैं सीधा जुड़ा रहता था साथियों और में माँ अन्‍नपूर्णा की इस धरती से आपने जो सेवा भाव से काम किया है, किसी को भूखा नहीं रहने दिया है, किसी को दवाई के बिना रहने नहीं दिया है। इसलिए मैं इस सेवा भाव के लिए, इस पूरे और समय बहुत लंबा चार-चार, छह-छह, आठ-आठ महीने तक निरंतर इस काम को करते रहना देश के हर कोने में हुआ है, मेरी काशी में भी हुआ है और इसका मेरे मन पर इतना आनंद है, मैं आज आपके इस सेवा भाव के लिए, आपके इस समर्पण के लिए मैं आज फिर माँ गंगा के तट से आप सब काशीवासियों को नमन करता हूँ। आपके सेवा भाव को प्रणाम करता हूँ और आपने गरीब से गरीब की जो चिंता की है उसने मेरे दिल को छू लिया है। मैं जितना आपकी सेवा करूँ उतनी कम है। मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूँ मेरी तरफ से आपकी सेवा में मैं कोई कमी नहीं रहने दूंगा।

मेरे लिए आज गौरव का पर्व है कि आज मुझे ऐसे जगमगाते माहौल में आपके बीच आने का अवसर मिला है। कोरोना को परास्‍त करके हम विकास के पथ पर तेज गति से बढ़ेंगे, माँ गंगा की धारा जैसे बह रही है। रूकावटों, संकटों के बाद भी बह रही है, सदियों से बह रही है। विकास की धारा भी वैसे ही बहती रहेगी। यही विश्‍वास लेकर के मैं भी यहां से दिल्‍ली जाऊंगा। मैं फिर एक बार आप सब का ह्रदय से आभार व्‍यक्‍त करता हूँ।

जय काशी। जय मॉ भारती।

हर हर महादेव!

 

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Prime Minister condoles passing away of former Prime Minister Dr. Manmohan Singh
December 26, 2024
India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji: PM
He served in various government positions as well, including as Finance Minister, leaving a strong imprint on our economic policy over the years: PM
As our Prime Minister, he made extensive efforts to improve people’s lives: PM

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has condoled the passing away of former Prime Minister, Dr. Manmohan Singh. "India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji," Shri Modi stated. Prime Minister, Shri Narendra Modi remarked that Dr. Manmohan Singh rose from humble origins to become a respected economist. As our Prime Minister, Dr. Manmohan Singh made extensive efforts to improve people’s lives.

The Prime Minister posted on X:

India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji. Rising from humble origins, he rose to become a respected economist. He served in various government positions as well, including as Finance Minister, leaving a strong imprint on our economic policy over the years. His interventions in Parliament were also insightful. As our Prime Minister, he made extensive efforts to improve people’s lives.

“Dr. Manmohan Singh Ji and I interacted regularly when he was PM and I was the CM of Gujarat. We would have extensive deliberations on various subjects relating to governance. His wisdom and humility were always visible.

In this hour of grief, my thoughts are with the family of Dr. Manmohan Singh Ji, his friends and countless admirers. Om Shanti."