वाहे गुरू जी का खालसा,

वाहे गुरू जी की फतेह।

साथियो, आज इस पवित्र धरती पर आकर मैं धन्‍यता का अनुभव कर रहा हूं। ये मेरा सौभाग्‍य है कि मैं आज देश को करतारपुर साहिब कॉरिडोर समर्पित कर रहा हूं। जैसी अनुभूति आप सभी को कारसेवा के समय होती है, अभी इस समय मुझे भी वही भाव अनुभव हो रहा है। मैं आप सभी को, पूरे देश को, दुनियाभर में बसे सिख भाइयों-बहनों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

आज शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, उन्‍होंने मुझे ‘कौमी सेवा पुरस्‍कार’ भी दिया। ये पुरस्‍कार, ये सम्‍मान, ये गौरव हमारी महान संत परम्‍परा के तेज, त्‍याग और तपस्‍या का प्रसाद है। मैं इस पुरस्‍कार को, इस सम्‍मान को गुरू नानक देवजी के चरणों में समर्पित करता हूं।

आज इस पवित्र भूमि से गुरु नानक साहिब के चरणों में, गुरू ग्रंथ साहिब के सामने मैं नम्रतापूर्वक यही प्रार्थना करता हूं कि मेरे भीतर का सेवा भाव दिनों-दिन बढ़ता रहे और उनका आशीर्वाद मुझ पर ऐसे ही बना रहे।

साथियो, गुरू नानक देवजी के 550वें प्रकाश उत्‍सव से पहले Integrated Check Post- करतारपुर साहिब कॉरिडोर, इसका आरंभ होना हम सभी के लिए दोहरी खुशी ले करके आया है। कार्तिक पूर्णिमा पर इस बार देव-दीपावली और जगमग करके हमें आशीर्वाद देगी।

भाइयो और बहनों, इस कॉरिडोर के बनने के बाद अब गुरुद्वारा दरबार साहिब के दर्शन आसान हो जाएंगे। मैं पंजाब सरकार का, शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी का, इस कॉरिडोर को तय समय में बनाने वाले हर श्रमिक साथी का बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

मैं पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री श्रीमान इमरान खान नियाजी का भी धन्‍यवाद करता हूं कि उन्‍होंने करतारपुर कॉरिडोर के विषय में भारत की भावनाओं को समझा, सम्‍मान दिया और उसी भावना के अनुरूप कार्य किया। मैं पाकिस्‍तान के श्रमिक साथियों का भी आभार व्‍यक्‍त करता हूं जिन्‍होंने इतनी तेजी से अपनी तरफ के कॉरिडोर को पूरा करने में मदद की।

साथियो, गुरू नानक देवजी सिर्फ सिख पंथ की, भारत की ही धरोहर नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा-पुंज हैं। गुरू नानक देव एक गुरू होने के साथ-साथ एक विचार है, जीवन का आधार है। हमारे संस्‍कार, हमारी संस्‍कृति, हमारे मूल्‍य, हमारी परवरिश, हमारी सोच, हमारे विचार, हमारे तर्क, हमारे बोल, हमारी वाणी, ये सब गुरू नानक देवजी जैसी पुण्‍यात्‍माओं द्वारा ही गढ़ी गई है। जब गुरू नानक देव यहां सुल्‍तानपुर लोधी से यात्रा पर निकले थे तो किसे पता था कि वो युग बदलने वाले हैं। उनकी वो ‘उदासियां’, वो यात्राएं, संपर्क-संवाद और समन्‍वय से सामाजिक परिवर्तन की बेहतरीन मिसाल है।

अपनी यात्राओं का मकसद स्‍वयं गुरू नानक देवजी ने बताया था-

बाबे आखिआ, नाथ जी, सचु चंद्रमा कूडु अंधारा !!

कूडु अमावसि बरतिआ, हउं भालण चढिया संसारा

साथियो, वो हमारे देश पर, हमारे समाज पर अन्‍याय, अधर्म और अत्‍याचार की जो अमावस्‍या छाई हुई थी, उससे बाहर निकालने के लिए निकल पड़े थे। गुलामी के उस कठिन कालखंड में भारत की चेतना को बचाने के लिए, जगाए रखने के लिए उन्‍होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया।

साथियो, एक तरफ गुरू नानक देवजी ने सामाजिक दर्शन के जरिए समाज को एकता, भाईचारे और सौहार्द का रास्‍ता दिखाया, वहीं, दूसरी तरफ उन्‍होंने समाज को एक ऐसी आर्थिक व्‍यवस्‍था की भेंट दी, जो सच्‍चाई, ईमानदारी और आत्‍मसम्‍मान पर टिकी है। उन्‍होंने सीख दी कि सच्‍चाई और ईमानदारी से किए गए विकास से हमेशा तरक्‍की और समृद्धि के रास्‍ते खुलते हैं। उन्‍होंने सीख दी कि धन तो आता-जाता रहेगा, पर सच्‍चे मूल्‍य हमेशा रहते हैं। उन्‍होंने सीख दी हे कि अगर हम अपने मूल्‍यों पर अडिग रहकर काम करते हैं तो समृद्धि स्‍थाई होती है।

भाइयो और बहनों, करतारपुर सिर्फ गुरू नानक देवजी की कर्मभूमि नहीं है। करतारपुर के कण-कण में गुरू नानक देवजी का पसीना मिला हुआ है। उसकी वायु में उनकी वाणी घुली हुई है। करतारपुर की धरती पर ही हल चलाकर उन्‍होंने अपने पहले नियम- ‘किरत करो’ का उदाहरण प्रस्‍तुत किया, इसी धरती पर उन्‍होंने ‘नाम जपो’ की विधि बताई और यहीं पर अपनी मेहनत से पैदा की गई फसल को मिल-बांट कर खाने की ‘रीत’ भी शुरू की- ‘वंड छको’ का मंत्र भी दिया।

सा‍थियो, इस पवित्र स्‍थली के लिए हम जितना भी कुछ कर पाएंगे, उतना कम ही रहेगा। ये कॉरिडोर, integrated check post हर दिन हजारों श्रद्धालुओं की सेवा करेगा, उन्‍हें गुरूद्वारा दरबार साहिब के करीब ले जाएगा। कहते हैं शब्‍द हमेशा ऊर्जा बनकर वातावरण में विद्यमान रहते हैं। करतापुर से मिली गुरूवाणी की ऊर्जा सिर्फ हमारे सिख भाई-बहनों को ही नहीं, बल्कि हर भारतवासी को अपना आशीर्वाद देगी।

साथियो, आप सभी भलीभांति जानते हैं कि गुरू नानक देवजी के दो बहुत ही करीबी अनुयायी थे- भाई लालो और भाई मरदाना। इन होनहारों को चुनकर नानक देवजी जी ने हमें संदेश दिया कि छोटे-बड़े का कोई भेद नहीं होता और सबके सब बराबर होते हैं। उन्‍होंने सिखाया है कि बिना किसी भेदभाव के जब हम सभी मिलकर काम करते हैं तो प्रगति होना पक्‍का हो जाता है।

भाइयो और बहनों, गुरू नानक जी का दर्शन केवल मानव जाति तक ही सीमित नहीं था। करतारपुर में ही उन्‍होंने प्रकृति के गुणों का गायन किया था। उन्‍होंने कहा था-

पवणु गुरू, पाणी पिता, माता धरति महतु।

यानी हवा को गुरू मानो, पानी को पिता और धरती को माता के बराबर महत्‍व दो। आज जब प्रकृति के दोहन की बातें होती हैं, पर्यावरण की बातें होती हैं, प्रदूषण की बातें होती हैं तो गुरू की ये वाणी ही हमारे आगे के मार्ग का आधार बनती है।

साथियो, आप सोचिए, हमारे गुरू कितने दीर्घदृष्‍टा थे कि जिस पंजाब में पंच-आब, पांच नदियां बहती थीं, उनमें भरपूर पानी रहता था, तब- यानी पानी लबालब भरा हुआ था, तब गुरूदेव ने कहा था और पानी को लेकर चिंता जताई थी। उन्‍होंने कहा था-

पहलां पानी जिओ है, जित हरिया सभ कोय।

यानी पानी को हमेशा प्राथमिकता देनी चाहिए क्‍योंकि पानी से ही सारी सृष्टि का जीवन मिलता है। सोचिए- सैंकड़ों साल पहले ये दृष्टि, भविष्‍य पर ये नजर। आज भले हम पानी को प्राथमिकता देना भूल गए, प्रकृति-पर्यावरण के प्रति लापरवाह हो गए, लेकिन गुरू की वाणी बार-बार यही कह रही है कि वापस लौटो, उन संस्‍कारों को हमेशा याद रखो जो इस धरती ने हमें दिए हैं, जो हमारे गुरूओं ने हमें दिए हैं।

साथियो, बीते पांच सालों से हमारा ये प्रयास रहा है कि भारत को हमारे समृद्ध अतीत ने जो कुछ भी सौंपा है, उसको संरक्षित भी किया जाए और पूरी दुनिया तक पहुंचाया भी जाए। बीते एक वर्ष से गुरू नानक देव के 550वें प्रकाशोत्‍सव के समारोह चल रहे हैं, वो इसी सोच का हिस्‍सा हैं। इसके तहत पूरी दुनिया में भारत के उच्‍चायोग और दूतावास विशेष कार्यक्रम कर रहे हैं, सेमिनार आयोजित कर रहे हैं। गुरु नानक देवजी उनकी स्‍मृति में स्‍मारक सिक्‍के और स्‍टैंप भी जारी किए गए हैं।

साथियो, बीते एक साल से देश और विदेश में कीर्तन, कथा, प्रभातफेरी, लंगर जैसे आयोजनों के माध्‍यम से गुरू नानक देव की सीख का प्रचार किया जा रहा है। इससे पहले गुरू गोविंद सिंह जी के 350वें प्रकाशोत्‍सव को भी इसी तरह भव्‍यता के साथ पूरी दुनिया में मनाया गया था। पटना में हुए भव्‍य कार्यक्रम में तो मुझे खुद जाने का सौभाग्‍य भी मिला था। उस विशेष अवसर पर 350 रुपये का स्‍मारक सिक्‍का और डाक टिकट भी जारी किए गए। गुरु गोविंद सिंह जी की स्‍मृति और उनका संदेश अमर रहे- इसके लिए गुजरात के जामनगर में 750 बेड का आधुनिक अस्‍पताल भी उन्‍हीं के नाम से बनाया गया है।

भाइयो और बहनों, गुरू नानक जी के बताये रास्‍ते से दुनिया की नई पीढ़ी भी परिचित हो, इसके लिए गुरबाणी का अनुवाद विश्व की अलग-अलग भाषाओं में किया जा रहा है। मैं यहां यूनेस्को का भी आभार व्यक्त करना चाहूंगा, जिसने केंद्र सरकार के आग्रह को स्वीकार किया। यूनेस्को द्वारा भी गुरु नानक देव जी की रचनाओं को अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद करने में मदद की जा रही है।

साथियों, गुरु नानक देव और खालासा पंथ से जुड़ी रिसर्च को बढ़ावा मिले, इसके लिए ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी में Chairs की स्थापना की गई है। ऐसा ही प्रयास कनाडा में हो रहा है। इसी तरह अमृतसर में Inter-faith University की स्थापना करने का भी फैसला लिया गया है, ताकि सद्भाव और विविधता के प्रति सम्मान को और प्रोत्साहन मिले।

भाइयों और बहनों, हमारे गुरुओं से जुड़े अहम स्थानों में कदम रखते ही उनकी विरासत से साक्षात्‍कार हो, नई पीढ़ी से उनका जुड़ाव आसानी से हो, इसके लिए भी गंभीर कोशिशें हो रही हैं। यहीं सुल्‍तानपुर लोधी में आप इन कोशिशों को साक्षात अनुभव कर सकते हैं। सुल्‍तानपुर लोधी को Heritage town बनाने का काम चल रहा है। Heritage Complex हो, म्‍यूजियम हो, ऑडिटोरियम हो, ऐसे अनेक काम यहां या तो पूरे हो चुके हैं या फिर जल्‍द पूरे होने वाले हैं। यहां के रेलवे स्‍टेशन से लेकर शहर के अन्‍य क्षेत्रों में गुरू नानक देवजी की विरासत हमें देखने को मिले, ये कोशिश भी की जा रही है। गुरू नानक देवजी से जुड़े तमाम स्‍थानों से होकर गुजरने वाली एक विशेष ट्रेन भी हफ्ते में पांच दिन चलाई जा रही है ताकि श्रद्धालुओं को आने-जाने में परेशानी न हो।

भाइयो और बहनों, केंद्र सरकार ने देशभर में स्थित सिखों के अहम स्‍थानों के बीच connectivity को सशक्‍त करने का भी प्रयास किया है। श्री अकाल तख्त, दमदमा साहिब, केशगढ़ साहिब, पटना साहिब और हज़ूर साहिब के बीच रेल और हवाई connectivity पर बल दिया गया है। अमृतसर और नांदेड़ के बीच विशेष फ्लाइट की भी अपनी सेवा शुरु कर चुकी है। ऐसे ही अमृतसर से लंदन के लिए जाने वाली एयरइंडिया की फ्लाइट में ‘इक ओँकार’ के संदेश को भी अंकित किया गया है।

साथियो, केंद्र सरकार ने एक और महत्‍वपूर्ण फैसला लिया है, जिसका लाभ दुनियाभर में बसे अनेक सिख परिवारों को हुआ है। कई सालों से कुछ लोगों को भारत में आने पर जो दिक्‍कत थी, अब उन दिक्‍कतों को दूर कर दिया गया है। इस कदम से अब अनेक परिवार वीजा के लिए, OCI कार्ड के लिए अप्‍लाई कर सकेंगे। वो यहां भारत में अपने रिश्‍तेदारों से आसानी से मिल सकेंगे और यहां गुरुओं के स्‍थानों में जाकर अरदारस भी कर पाएंगे।

भाइयो और बहनों, केंद्र सरकार के दो और फैसलों से भी सिख समुदाय को सीधा लाभ हुआ है। आर्टिकल-370 के हटने से, अब जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख में भी सिख परिवारों को वही अधिकार मिल पाएंगे जो बाकी हिंदुस्‍तान में उन्‍हें मिलते हैं। अभी तक वहां हजारों परिवार ऐसे थे, जो अनेक अधिकारों से वंचित थे। इसी प्रकार Citizens Amendment Bill, उसमें संशोधन का भी बहुत बड़ा लाभ हमारे सिख भाई-बहनों को भी मिलेगा। उन्हें भारत की नागरिकता मिलने में आसानी होगी।

साथियो, भारत की एकता, भारत की रक्षा-सुरक्षा को लेकर गुरू नानक देवजी से लेकर गुरू गोविंद सिंह जी तक, हर गुरू साहिब ने निरंतर प्रयास किए हैं, अनेक बलिदान दिए हैं। इसी परम्‍परा को आजादी की लड़ाई और आजाद भारत की रक्षा में सिख सा‍थियों ने पूरी शक्ति से निभाया है। देश के लिए बलिदान देने वाले साथियों के समर्पण को सम्‍मान देने के लिए भी अनेक सार्थक कदम सरकार ने उठाए हैं। इसी साल जलियांवाला बाग हत्‍याकांड के 100 वर्ष पूरे हुए हैं। इससे जुड़े स्‍मारक को आधुनिक बनाया जा रहा है। सरकार द्वारा सिख युवाओं के स्‍कूल, स्किल और स्‍वरोजगार पर भी विशेष ध्‍यान दिया जा रहा है। बीते 5 वर्ष में करीब 27 लाख सिख स्‍टूडेंट्स को अलग-अलग स्‍कॉलरशिप दी गई है।

भाइयो और बहनों, हमारी गुरू परम्‍परा, संत परम्‍परा, ऋषि परम्‍परा ने अलग-अलग कालखंड में, अपने-अपने हिसाब से चुनौतियों से निपटने के रास्‍ते सुझाए हैं। उनके रास्‍ते जितने तब सार्थक थे, उतने ही आज भी अहम हैं। राष्‍ट्रीय एकता और राष्‍ट्रीय चेतना के प्रति हर संत, हर गुरू का आग्रह रहा है। अंधविश्‍वास हो, समाज की कु‍रीतियां हो, जाति भेद हो, इसके विरुद्ध हमारे संतों ने, गुरुओं ने मजबूती से आवाज बुलंद की है।

साथियों, गुरू नानक जी कहा करते थे-

“विच दुनिया सेवि कमाइये, तदरगिह बेसन पाइए”

यानि संसार में सेवा का मार्ग अपनाने से ही मोक्ष मिलता है, जीवन सफल होता है। आइए, इस अहम और पवित्र पड़ाव पर हम संकल्प लें कि गुरु नानक जी के वचनों को अपने जीवन का हिस्सा बनाएंगे। हम समाज के भीतर सद्भाव पैदा करने के लिए हर कोशिश करेंगे। हम भारत का अहित सोचने वाली ताकतों से सावधान रहेंगे, सतर्क रहेंगे। नशे जैसी समाज को खोखला करने वाली आदतों से हम दूर रहेंगे। अपनी आने वाली पीढ़ियों को दूर रखेंगे। पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाते हुए, विकास के पथ को सशक्त करेंगे। गुरु नानक जी की यही प्रेरणा मानवता के हित के लिए, विश्व की शांति के लिए आज भी प्रासंगिक है।

नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला !!!

साथियों, एक बार फिर आप सभी को, पूरे देश को, संपूर्ण विश्व में फैले सिख साथियों को गुरु नानक देवजी के 550वें प्रकाशोत्सव पर और करतारपुर साहिब कॉरिडोर की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। गुरू ग्रंथ्‍ साहिब के सामने खड़े हो करके इस पवित्र कार्य में हिस्‍सा बनने का अवसर मिला, मैं अपने-आपको धन्‍य मानते हुए मैं आप सबको प्रणाम करते हुए-

सतनाम श्री वाहेगुरु !

सतनाम श्री वाहेगुरु !

सतनाम श्री वाहेगुरु !

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।