गुजरात के लोगों की सेवा-भावना की प्रशंसा की
"हमें सरदार पटेल के विचारों का पालन करना चाहिए और अपने देश से प्रेम करना चाहिए, आपसी स्नेह और सहयोग से अपना भाग्य बनाना चाहिए"
“अमृतकाल हमें नए संकल्पों के साथ ही, उन व्यक्तित्वों को याद करने की भी प्रेरणा देता है, जिन्होंने जनचेतना जागृत करने में बड़ी भूमिका निभाई, आज की पीढ़ी को उनके बारे में जानना बहुत आवश्यक है"
"देश अपने पारंपरिक कौशल को भी अब आधुनिक संभावनाओं से जोड़ रहा है"
'सबका साथ, सबका विकास' की शक्ति क्या है, यह मैंने गुजरात से सीखा है
"कोरोना के कठिन समय के बाद हमारी अर्थव्यवस्था ने जितनी तेजी से वापसी की है, उससे पूरा विश्व भारत को लेकर आशा से भरा हुआ है"

नमस्कार!

कार्यक्रम में उपस्थित गुजरात के मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेन्द्र भाई पटेल जी, केंद्र सरकार में मेरे सहयोगी श्री मनसुख़ मंडविया, श्री पुरुशोत्‍तम भाई रुपाला, दर्शना बेन, लोक सभा के मेरे सांसद साथी और गुजरात भारतीय जनता पार्टी के अध्‍यक्ष श्रीमान सीआर पाटिल जी, सौराष्ट्र पटेल सेवा समाज के अध्यक्ष श्री कानजी भाई, सेवा समाज के सभी सम्मानित सदस्यगण, और विशाल संख्‍या में उपस्थित मेरे प्‍यारे भाइयों और बहनों! 'सौराष्ट्र पटेल सेवा समाज' द्वारा आज विजया दशमी के अवसर पर एक पुण्य कार्य का शुभारंभ हो रहा है। मैं आप सभी को और पूरे देश को विजया दशमी की हार्दिक बधाई देता हूँ।

साथियों,

रामचरित मानस में प्रभु श्रीराम के भक्तों के बारे में, उनके अनुयायियों के बारे में बहुत ही सटीक बात कही गई है। रामचरित मानस में कहा गया है-

''प्रबल अबिद्या तम मिटि जाई।

हारहिं सकल सलभ समुदाई''॥

अर्थात्, भगवान राम के आशीर्वाद से, उनके अनुसरण से अविद्या, अज्ञान और अंधकार मिट जाते हैं। जो भी नकारात्मक शक्तियाँ हैं, वो हार जाती हैं। और भगवान राम के अनुसरण का अर्थ है- मानवता का अनुसरण, ज्ञान का अनुसरण! इसीलिए, गुजरात की धरती से बापू ने रामराज्य के आदर्शों पर चलने वाले समाज की कल्पना की थी। मुझे खुशी है कि गुजरात के लोग उन मूल्यों को मजबूती से आगे बढ़ा रहे हैं, उन्हें मजबूत कर रहे हैं। 'सौराष्ट्र पटेल सेवा समाज' द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में आज की गई ये पहल भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है। आज फेज-वन हॉस्टल का भूमि पूजन हुआ है।

मुझे बताया गया है कि साल 2024 तक दोनों फेज का काम पूरा कर लिया जाएगा। कितने ही युवाओं को, बेटे-बेटियों को आपके इन प्रयासों से एक नई दिशा मिलेगी, उन्हें अपने सपनों को साकार करने का अवसर मिलेगा। मैं इन प्रयासों के लिए सौराष्ट्र पटेल सेवा समाज को, और विशेष रूप से अध्यक्ष श्री कानजी भाई को भी और उनकी सारी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। मुझे इस बात से भी बहुत संतोष है कि सेवा के इन कार्यों में, समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने की चेष्टा है, प्रयास है।

साथियों,

जब मैं अलग-अलग क्षेत्रों में सेवा के ऐसे कार्यों को देखता हूँ, तो मुझे गर्व होता है कि गुजरात किस तरह सरदार पटेल की विरासत को आगे बढ़ा रहा है। सरदार साहब ने कहा था और सरदार साहब के वाक्‍य हमने अपने जीवन में बांध्‍कर रखना है। सरदार साहब ने कहा था-जाति और पंथ को हमें रुकावट नहीं बनने देना है। हम सभी भारत के बेटे और बेटियां हैं। हम सभी को अपने देश से प्रेम करना चाहिए, परस्पर स्नेह और सहयोग से अपना भाग्य बनाना चाहिए। हम खुद इसके साक्षी हैं कि सरदार साहब की इन भावनाओं को गुजरात ने किस तरह हमेशा मजबूती दी है। राष्ट्र प्रथम, ये सरदार साहब की संतानों का जीवन मंत्र है। आप देश दुनिया में कहीं भी चले जाइए, गुजरात के लोगों में ये जीवन मंत्र आपको हर जगह दिखेगा।

भाइयों और बहनों,

भारत इस समय अपनी आजादी के 75वें वर्ष में है। ये अमृतकाल हमें नए संकल्पों के साथ ही, उन व्यक्तित्वों को याद करने की भी प्रेरणा देता है, जिन्होंने जनचेतना जागृत करने में बड़ी भूमिका निभाई। आज की पीढ़ी को उनके बारे में जानना बहुत ही आवश्यक है। आज गुजरात जिस ऊंचाई पर पहुंचा है, उसके पीछे ऐसे अनेकों लोगों का तप-त्याग और तपस्या रही है। विशेषकर शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे-ऐसे व्यक्तित्व हुए जिन्होंने गुजरात की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाई।

हम सब शायद जानते होंगे, उत्‍तर गुजरात में इनका जन्म हुआ, और आज गुजरात के हर कोने में उनको याद किया जाता है। ऐसे ही एक महापुरुष थे श्री छगनभा। उनका दृढ़ विश्वास था कि शिक्षा ही समाज के सशक्तिकरण का सबसे बड़ा माध्यम है। आप कल्पना कर सकते हैं, आज से 102 साल पहले 1919 में उन्होंने 'कडी' में सर्व विद्यालय केलवणी मंडल की स्थापना की थी। ये छगन भ्राता, ये दूरदृष्टि का काम था। ये उनकी दूरदृष्टि थी, उनका विजन था। उनका जीवन मंत्र था- कर भला, होगा भला और इसी प्रेरणा से वो आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को संवारते रहे। जब 1929 में गांधी जी, छगनभा जी के मंडल में आए थे तो उन्होंने कहा था कि- छगनभा बहुत बड़ा सेवाकार्य कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में अपने बच्चे, छगनभा के ट्रस्ट में पढ़ने के लिए भेजने को कहा था।

साथियों,

देश की आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के लिए अपना वर्तमान खपा देने वाले, ऐसे ही एक और व्यक्ति का जिक्र मैं जरूर करना चाहूंगा- वो थे भाई काका। भाई काका ने आनंद और खेड़ा के आसपास के इलाके में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए बहुत काम किया था। भाई काका स्‍वयं तो इंजीनियर थे, करियर अच्छा चल रहा था लेकिन सरदार साहब के एक बार कहने पर उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अहमदाबाद म्यूनिसिपैलिटी में काम करने आ गए थे। कुछ समय बाद वो चरोतर चले गए थे जहां उन्होंने आनंद में चरोतर एजुकेशन सोसायटी का काम संभाला। बाद में वो चरोतार विद्या मंडल से भी जुड़ गए थे। भाईकाका ने उस दौर में एक रूरल यूनिवर्सिटी का सपना भी देखा था। एक ऐसी यूनिवर्सिटी जो गांव में हो और जिसके केंद्र में ग्रामीण व्यवस्था के विषय हों। इसी प्रेरणा से उन्होंने सरदार वल्लभभाई विद्यापीठ के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी। ऐसे ही भीखाभाई पटेल भी थे जिन्होंने भाईकाका और सरदार पटेल के साथ काम किया था।

साथियों,

जो लोग गुजरात के बारे में कम जानते हैं, उन्हें मैं आज वल्लभ विद्यानगर के बारे में भी बताना चाहता हूं। आप में से काफी लोगों को पता होगा, ये स्थान, करमसद-बाकरोल और आनंद के बीच में पड़ता है। इस स्थान को इसलिए विकसित किया गया था ताकि शिक्षा का प्रसार किया जा सके, गांव के विकास से जुड़े कामों में तेजी लाई जा सके। वल्लभ विद्यानगर के साथ सिविल सेवा के दिग्गज अधिकारी एच एम पटेल जी भी जुड़े थे। सरदार साहब जब देश के गृह मंत्री थे, तो एच एम पटेल जी उनके काफी करीबी लोगों में गिने जाते थे। बाद में वो जनता पार्टी की सरकार में वित्त मंत्री भी बने।

साथियों,

ऐसे कितने ही नाम है जो आज मुझे याद आ रहे हैं। स्‍वराष्‍ट्र की अगर बात करें हमारे मोहनलाल लालजीभाई पटेल जिनको हम मोला पटेल के नाम ने जानते थे। मोला पटेल ने एक विशाल शैक्षिक परिसर का निर्माण करवाया था। एक और मोहनभाई विरजीभाई पटेल जी ने सौ साल से भी पहले 'पटेल आश्रम' के नाम से एक छात्रावास की स्थापना कर अमरेली में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने का काम किया था। जामनगर में केशावाजी भाई अरजीभाई विराणी और करशनभाई बेचरभाई विराणी, इन्‍होंने दशकों पहले बेटियों को शिक्षित करने के लिए स्कूल और छात्रालय बनाए थे। आज नगीनभाई पटेल, साकलचंद पटेल, गणपतभाई पटेल ऐसे लोगों द्वारा किए गए प्रयासों का विस्तार हमें गुजरात के अलग-अलग विश्वविद्यालयों के रूप में दिखता है। आज का ये सुअवसर, इन्हें याद करने का भी बेहतरीन दिन है। हम ऐसे सभी व्यक्तियों की जीवन गाथा को देखें, तो पाएंगे कि किस तरह छोटे-छोटे प्रयासों से उन्होंने बड़े बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करके दिखाया। प्रयासों की यही सामूहिकता, बड़े से बड़े नतीजे लाकर दिखाती है।

साथियों,

आप सबके आशीर्वाद से मुझ जैसे अत्यंत सामान्य व्यक्ति को, जिसका कोई पारिवारिक या राजनैतिक background नहीं था, जिसके पास जातिवादी राजनीति का कोई आधार नहीं था, ऐसे मुझ जैसे सामान्‍य व्यक्ति को आपने आशीर्वाद देकर गुजरात की सेवा का मौका 2001 में दिया था। आपके आशीर्वाद की ताकत, इतनी बड़ी है कि आज बीस साल से अधिक समय हो गया, फिर भी अखंड रूप से, पहले गुजरात की और आज पूरे देश की सेवा करने का सौभाग्य मिल रहा है।

साथियों,

'सबका साथ, सबका विकास' का सामर्थ्य क्या होता है, ये भी मैंने गुजरात से ही सीखा है। एक समय गुजरात में अच्छे स्कूलों की कमी थी, अच्छी शिक्षा के लिए शिक्षकों की कमी थी। उमिया माता का आशीर्वाद लेकर, खोड़ल धाम के दर्शन करके, मैंने इस समस्या के समाधान के लिए लोगों का साथ मांगा, लोगों को अपने साथ जोड़ा। आपको याद होगा, गुजरात ने इस परिस्थिति को बदलने के लिए प्रवेशोत्सव की शुरुआत की थी। स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़े, इसके लिए साक्षरदीप और गुणोत्सव शुरू किया गया था।

तब गुजरात में बेटियों के ड्रॉपआउट की भी एक बड़ी चुनौती थी। अभी हमारे मुख्‍यमंत्री भूपेन्द्र भाई ने इसका वर्णन भी किया। इसके कई सामाजिक कारण तो थे ही, कई व्यवहारिक कारण भी थे। जैसे कितनी ही बेटियाँ चाहकर भी इसलिए स्कूल नहीं जा पाती थीं क्योंकि स्कूलों में बेटियों के लिए शौचालय नहीं होते थे। इन समस्याओं के समाधान के लिए गुजरात ने पंचशक्तियों से प्रेरणा पाई। पंचामृत, पंचशक्ति यानी- ज्ञानशक्ति, जनशक्ति, जलशक्ति, ऊर्जाशक्ति, और रक्षाशक्ति! स्कूलों में बालिकाओं के लिए शौचालय बनवाए गए। विद्या लक्ष्मी बॉन्ड, सरस्वती साधना योजना, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय ऐसे अनेक प्रयासों का परिणाम ये हुआ कि गुजरात में न केवल पढ़ाई का स्तर बेहतर हुआ, बल्कि स्कूल ड्रॉप आउट रेट भी तेजी से कम हुआ।

मुझे खुशी है कि आज बेटियों की पढ़ाई के लिए, उनके भविष्य के लिए प्रयास लगातार बढ़ रहे हैं। मुझे याद है, ये आप ही लोग थे जिन्होंने सूरत से पूरे गुजरात में बेटी बचाओ अभियान चलाया था, और मुझे याद है उस समय मैं आपके समाज के लोगों के बीच में आता था तो ये कड़वी बात बताए बिना कभी चूकता नहीं था। आप राजी हो जाएं, नाराज हो जाएं, इसका ख्‍याल किए बिना मैंने हमेशा कड़वी बात बताई थी बेटियों को बचाने की। और मुझे आज संतोष से कहना है कि आप सबने मेरी बात को उठा लिया। और आपने सूरत से जो यात्रा निकाली थी, पूरे गुजरात में जा करके, समाज के हर कोने में जा करके, गुजरात के हर कोने में जा करके बेटी बचाने के लिए लोगों को शपथ दिलाई थी। और मुझे भी आपके उस महाप्रयास में आपके साथ जुड़ने का मौका मिला था। बहुत बड़ा प्रयास किया था आप लोगों ने। गुजरात ने, रक्षाशक्ति यूनिवर्सिटी, अभी हमारे भूपेन्द्र भाई बड़ा विस्‍तार से यूनिवर्सिटी का वर्णन कर रहे थे लेकिन मैं भी इसको दोहराना चाहता हूं, ताकि आज हमारे देश के लोग इस कार्यक्रम को देख रहे हैं तो उनको भी पता चले। गुजरात ने इतने कम समय में रक्षाशक्ति यूनिवर्सिटी, दुनिया की पहली फ़ॉरेन्सिक साइन्स यूनिवर्सिटी, लॉ यूनिवर्सिटी, और दीन दयाल एनर्जी यूनिवर्सिटी, इसके साथ ही दुनिया की पहली चिल्ड्रेन्स यूनिवर्सिटी, टीचर्स ट्रेनिंग यूनिवर्सिटी, स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी, कामधेनु यूनिवर्सिटी, जैसी अनेकों innovative शुरुआत करके देश को नया मार्ग दिखाया है। आज इन सारे प्रयासों का लाभ गुजरात की युवा पीढ़ी को मिल रहा है। मैं जानता हूं, आप में से अधिकतर को इनके बारे में पता है और अभी भूपेन्‍द्र भाई ने बताया भी है, लेकिन आज मैं ये बातें आपके सामने इसलिए दोहरा रहा हूं क्योंकि जिन प्रयासों में आपने मेरा साथ दिया, आप मेरे साथ कंधे से कंधा मिला करके चले, आपने कभी पीछे मुड़ करके देखा नहीं। उससे मिले अनुभव आज देश में बड़े बदलाव ला रहे हैं।

साथियों,

आज नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए देश की शिक्षा व्यवस्था को भी आधुनिक बनाया जा रहा है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रोफेशनल कोर्सेस की पढ़ाई स्थानीय भाषा में मातृभाषा में कराए जाने का विकल्प भी दिया गया है। बहुत कम लोगों को समझ आ रहा है कि इसका कितना बड़ा प्रभाव पैदा होने वाला है। गांव का, गरीब का बच्‍चा भी अब अपने सपने साकार कर सकता है। भाषा के कारण उसकी जिंदगी में अब रुकावट नहीं आने वाली। अब पढ़ाई का मतलब डिग्री तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पढ़ाई को स्किल के साथ जोड़ा जा रहा है। देश अपने पारंपरिक स्किल्स को भी अब आधुनिक संभावनाओं से जोड़ रहा है।

साथियों,

स्किल का क्या महत्व होता है, इसे आपसे ज्यादा और कौन समझ सकता है। एक समय आप में से अधिकांश लोग, सौराष्ट्र में अपना घर छोड़कर, खेत-खलिहान, अपने दोस्त-रिश्तेदार छोड़कर हीरा घिसने सूरत आए थे। एक छोटे से कमरे में 8-8, 10-10 लोग रहा करते थे। लेकिन ये आपकी स्किल ही थी, आपका कौशल ही था जिसकी वजह से आज आप लोग इतनी ऊंचाई पर पहुंचे हैं। और पांडुरंग शास्त्री जी ने तभी तो आपके लिए कहा था- रत्न कलाकार। हमारे कानजी भाई तो स्वयं में एक उदाहरण हैं। अपनी आयु की परवाह ना करते हुए, वो पढ़ते ही गए, नया-नया कौशल अपने साथ जोड़ते ही चले गए थे और शायद आज भी पूछोगे कि कानजी भाई कोई पढ़ाई-वढ़ाई चल रही है क्‍या तो हो सकता है कुछ न कुछ तो पढ़ते ही होंगे। ये बहुत बड़ी बात है जी।

साथियों,

स्किल और eco-system, ये मिलकर आज नए भारत की नींव रख रहे हैं। स्टार्टअप इंडिया की सफलता हमारे सामने है। आज भारत के स्टार्टअप्स पूरी दुनिया में पहचान बना रहे हैं, हमारे यूनिकॉर्न्स की संख्या रिकॉर्ड बना रही है। कोरोना के कठिन समय के बाद हमारी अर्थव्यवस्था ने जितनी तेजी से वापसी की है, उससे पूरा विश्व भारत को लेकर आशा से भरा हुआ है। अभी हाल में एक विश्व संस्था ने भी कहा है कि भारत फिर दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। मुझे विश्वास है, गुजरात, राष्ट्र निर्माण के अपने प्रयासों में हमेशा की तरह सर्वश्रेष्ठ रहेगा, सर्वश्रेष्ठ करेगा। अब तो भूपेन्द्र भाई पटेल जी और उनकी पूरी टीम एक नई ऊर्जा के साथ गुजरात की प्रगति के इस मिशन में जुट गए हैं।

साथियों,

वैसे भूपेंद्र भाई के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद आज पहली बार मुझे इतने विस्तार से गुजरात के लोगों को संबोधित करने का अवसर मिला है। एक साथी कार्यकर्ता के रूप में भूपेंद्र भाई से मेरा परिचय, 25 वर्ष से भी ज्यादा का है। ये हम सभी के लिए बहुत गौरव की बात है कि भूपेंद्र भाई, एक ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो टेक्नोलॉजी के भी जानकार हैं और जमीन से भी उतना ही जुड़े हुए हैं। अलग-अलग स्तर पर काम करने का उनका अनुभव, गुजरात के विकास में बहुत काम आने वाला है। कभी एक छोटी सी नगरपालिका के सदस्य, फिर नगरपालिका के अध्यक्ष, फिर अहमदाबाद महानगर के कॉरपोरेटर, फिर अहमदाबाद महानगर पालिका की स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन, फिर AUDA- औडा जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के चेयरमैन, करीब-करीब 25 वर्षों तक अखंड रूप से उन्होंने ग्रास रूट शासन-प्रशासन को देखा है, परखा है, उस का नेतृत्व किया है। मुझे खुशी है कि आज ऐसे अनुभवी व्यक्ति गुजरात की विकास यात्रा को, तेज गति से आगे बढ़ाने के लिए गुजरात का नेतृत्व कर रहे हैं।

साथियों,

आज हर गुजराती को इस बात का भी गर्व होता है कि इतने लंबे समय तक सार्वजनिक जीवन में रहने के बावजूद, इतने बड़े पदों पर रहने के बाद, 25 साल तक कार्य करने के बाद भी भूपेंद्र भाई के खाते में कोई विवाद नहीं है। भूपेंद्र भाई बहुत ही कम बोलते हैं लेकिन कार्य में कभी कोई कमी नहीं आने देते। एक साइलेंस वर्कर की तरह, एक मूकसेवक की तरह काम करना, उनकी कार्यशैली का हिस्सा है। बहुत कम ही लोगों को ये भी पता होगा कि भूपेंद्र भाई का परिवार, हमेशा से अध्यात्म के प्रति समर्पित रहा है। उनके पिताजी, अध्यात्मिक क्षेत्र से जुड़े रहे हैं। मेरा विश्वास है, ऐसे उत्तम संस्कार वाले भूपेंद्र भाई के नेतृत्व में गुजरात चौतरफा विकास करेगा।

साथियों,

मेरा एक आग्रह आप सभी से आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर भी है। इस अमृत महोत्सव में आप सभी को भी कुछ संकल्प लेना चाहिए, देश को कुछ देने वाला मिशन शुरू करना चाहिए। ये मिशन ऐसा हो, जिसका प्रभाव गुजरात के कोने-कोने में नजर आना चाहिए। जितना सामर्थ्य आप में है, मैं जानता हूं आप सब मिल करके ये कर सकते हैं। हमारी नई पीढ़ी, देश के लिए, समाज के लिए जीना सीखे, इसकी प्रेरणा भी आपके प्रयासों का अहम हिस्सा होनी चाहिए। 'सेवा से सिद्धि' के मंत्र पर चलते हुए हम गुजरात को, देश को नई ऊंचाई पर पहुंचाएंगे। आप सबके बीच लंबे अर्से के बाद आने का सौभाग्‍य मिला। यहां वर्चुअली मैं सबके दर्शन कर रहा हूं। सारे पुराने चेहरे मेरे सामने हैं।

इसी शुभकामना के साथ, आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद !

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.