वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह, जो बोले सो निहाल! सत् श्री अकाल! गुरपूरब के पवित्र पर्व के इस आयोजन पर हमारे साथ उपस्थित सरकार में मेरे सहयोगी श्री हरदीप सिंह पुरी जी, श्री जॉन बरला जी, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन श्री लालपुरा जी सिंह साहिब भाई रंजीत सिंह जी, श्री हरमीत सिंह कालका जी, और सभी भाइयों-बहनों!
मैं आप सभी को, और सभी देशवासियों को गुरपूरब की, प्रकाश पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूँ। आज ही देश में देव-दीपावली भी मनाई जा रही है। विशेषकर काशी में बहुत भव्य आयोजन हो रहा है, लाखों दीयों से देवी-देवताओं का स्वागत किया जा रहा है। मैं देव-दीपावली की भी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।
साथियों,
आप सभी को पता है कि कार्यकर्ता के तौर पर मैंने काफी लंबा समय पंजाब की धरती पर बिताया है और उस दौरान मुझे कई बार गुरपूरब पर अमृतसर में हरमंदिर साहिब के सामने मत्था टेकने का सौभाग्य मिला है। अब मैं सरकार में हूं तो इसे भी मैं अपना और अपनी सरकार का बहुत बड़ा सौभाग्य मानता हूं कि गुरुओं के इतने अहम प्रकाश पर्व हमारी ही सरकार के दौरान आए। हमें गुरु गोबिन्द सिंह जी के 350वें प्रकाश पर्व मनाने का सौभाग्य मिला। हमें गुरु तेगबहादुर जी के 400वां प्रकाश पर्व को मनाने का सौभाग्य मिला और जैसा अभी बताया गया लाल किले पर तब बहुत ऐतिहासिक और पूरे विश्व को एक संदेश देने वाला कार्यक्रम था। तीन साल पहले हमने गुरु नानकदेव जी का 550वां प्रकाशोत्सव भी पूरे उल्लास से देश और विदेश में मनाया है।
साथियों,
इन विशेष अवसरों पर देश को अपने गुरुओं का जो आशीर्वाद मिला, उनकी जो प्रेरणा मिली, वो नए भारत के निर्माण की ऊर्जा बढ़ा रही है। आज जब हम गुरु नानकदेव जी का ‘पांच सौ तिरपनवां’ प्रकाश पर्व मना रहे हैं, तो ये भी देख रहे हैं कि इन वर्षों में गुरु आशीर्वाद से देश ने कितनी ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं।
साथियों,
प्रकाश पर्व का जो बोध सिख परंपरा में रहा है, जो महत्व रहा है, आज देश भी उसी तन्मयता से कर्तव्य और सेवा परंपरा को आगे बढ़ा रहा है। हर प्रकाश पर्व का प्रकाश देश के लिए प्रेरणापुंज का काम कर रहा है। ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे लगातार इन अलौकिक आयोजनों का हिस्सा बनने का, सेवा में सहभागी होने का अवसर मिलता रहा है। गुरुग्रंथ साहिब को शीश नवाने का ये सुख मिलता रहे, गुरबानी का अमृत कानों में पड़ता रहे, और लंगर के प्रसाद का आनंद आता रहे,इससे जीवन के संतोष की अनुभूति भी मिलती रहती है, और देश के लिए, समाज के लिए समर्पित भाव से निरंतर काम करने की ऊर्जा भी अक्षय बनी रहती है। इस कृपा के लिए गुरु नानक देव जी और हमारे सभी गुरुओं के चरणों में जितनी बार भी नमन करूं, वो कम ही होगा।
साथियों,
गुरु नानकदेव जी ने हमें जीवन जीने का मार्ग दिखाया था। उन्होंने कहा था- “नाम जपो, किरत करो, वंड छको”। यानी, ईश्वर के नाम जप करो, अपने कर्तव्यपथ पर चलते हुये मेहनत करो और आपस में मिल बांटकर खाओ। इस एक वाक्य में, आध्यात्मिक चिंतन भी है, भौतिक समृद्धि का सूत्र भी है, और सामाजिक समरसता की प्रेरणा भी है। आज आजादी के अमृतकाल में देश इसी गुरु मंत्र पर चलकर 130 करोड़ भारतवासियों के जीवन कल्याण की भावना से आगे बढ़ रहा है। आजादी के अमृतकाल में देश ने अपनी संस्कृति, अपनी विरासत और हमारी आध्यात्मिक पहचान पर गर्व का भाव जागृत किया है। आजादी के अमृतकाल को देश ने कर्तव्य की पराकाष्ठा तक पहुंचाने के लिए कर्तव्यकाल के रूप में माना है। और, आज़ादी के इस अमृतकाल में देश, समता, समरसता, सामाजिक न्याय और एकता के लिए ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास’ के मंत्र पर चल रहा है। यानी, जो मार्गदर्शन देश को सदियों पहले गुरुवाणी से मिला था, वो आज हमारे लिए परंपरा भी है, आस्था भी है, और विकसित भारत का विज़न भी है।
साथियों,
गुरुग्रंथ साहिब के रूप के हमारे पास जो अमृतवाणी है, उसकी महिमा, उसकी सार्थकता, समय और भूगोल की सीमाओं से परे है। हम ये भी देखते हैं कि जब संकट बड़ा होता है तो समाधान की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। आज विश्व में जो अशांति है, जो अस्थिरता है, आज दुनिया जिस मुश्किल दौर से गुजर रही है, उसमें गुरुओं साहिब की शिक्षाएं और गुरु नानकदेव जी का जीवन, एक मशाल की तरह विश्व को दिशा दिखा रहा हैं। गुरु नानक जी का प्रेम का संदेश बड़ी से बड़ी खाई को पाट सकता है, और इसका प्रमाण हम भारत की इस धरती से ही दे रहे हैं। इतनी भाषाओं, इतनी बोलियों, इतने खान-पान, रहन सहन के बावजूद हम एक हिंदुस्तानी होकर रहते हैं, देश के विकास के लिए खुद को खपाते हैं। इसलिए हम जितना अपने गुरूओं के आदर्शों को जिएंगे, हम जितना आपसी विभेदों को दूर करके ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत करेंगे, हम जितना मानवता के मूल्यों को प्राथमिकता देंगे, हमारे गुरुओं की वाणी उतनी ही जीवंत और प्रखर स्वर से विश्व के जन-जन तक पहुंचेगी।
साथियों,
बीते 8 वर्षों में हमें गुरु नानक देव जी के आशीर्वाद से सिख परंपरा के गौरव के लिए निरंतर काम करने का अवसर मिला है। और, ये निरंतरता लगातार बनी हुई है। आपको पता होगा, अभी कुछ दिन पहले ही मैं उत्तराखंड के माणा गाँव गया था। इस यात्रा में मुझे गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब के लिए रोपवे प्रोजेक्ट के शिलान्यास का सौभाग्य मिला। इसी तरह, अभी दिल्ली ऊना वंदेभारत एक्सप्रेस की शुरुआत भी हुई है। इससे आनंदपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक नई आधुनिक सुविधा शुरू हुई है। इससे पहले गुरु गोबिन्द सिंह जी से जुड़े स्थानों पर रेल सुविधाओं का आधुनिकीकरण भी किया गया है। हमारी सरकार दिल्ली-कटरा-अमृतसर एक्सप्रेसवे के निर्माण में भी जुटी है। इससे दिल्ली और अमृतसर के बीच दूरी 3-4 घंटे कम हो जाएगी। इस पर हमारी सरकार 35 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने जा रही है। हरमंदिर साहिब के दर्शनों को आसान बनाने के लिए ये भी हमारी सरकार का एक पुण्य प्रयास है।
और साथियों,
ये कार्य केवल सुविधा और पर्यटन की संभावनाओं का विषय नहीं है। इसमें हमारे तीर्थों की ऊर्जा, सिख परंपरा की विरासत और एक व्यापक बोध भी जुड़ा है। ये बोध सेवा का है, ये बोध स्नेह का है, ये बोध अपनेपन का है, ये बोध श्रद्धा का है। मेरे लिए शब्दों में बताना कठिन है जब दशकों के इंतजार के बाद करतारपुर साहिब कॉरिडॉर खुला था। हमारा प्रयास रहा है कि सिख परंपराओं को सशक्त करते रहें, सिख विरासत को सशक्त करते रहें। आप भली-भांति जानते हैं कि कुछ समय पहले अफगानिस्तान में किस तरह हालात बिगड़े थे। वहाँ हिन्दू-सिख परिवारों को वापस लाने के लिए हमने अभियान चलाया। गुरुग्रंथ साहिब के स्वरूपों को भी हम सुरक्षित लेकर आए। 26 दिसम्बर को गुरुगोबिन्द सिंह जी के साहिबजादों के महान बलिदान की स्मृति में ‘वीर बाल दिवस’ मनाने की शुरुआत भी देश ने की है। देश के कोने-कोने में, भारत की आज की पीढ़ी, भारत की आने वाली पीढ़ियां ये जानें तो सही कि इस महान धरती की क्या परंपरा रही है। जिस धरती पर हमने जन्म लिया, जो हमारी मातृभूमि है, उसके लिए साहिबजादों जैसा बलिदान देना, कर्तव्य की वो पराकाष्ठा है, जो पूरे विश्व इतिहास में भी कम ही मिलेगी।
साथियों,
विभाजन में हमारे पंजाब के लोगों ने, देश के लोगों ने जो बलिदान दिया, उसकी स्मृति में देश ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस की शुरुआत भी की है। विभाजन के शिकार हिन्दू-सिख परिवारों के लिए हमने सीएए कानून लाकर उन्हें नागरिकता देने का भी एक मार्ग बनाने का प्रयास किया है। अभी आपने देखा होगा, गुजरात ने विदेश में पीड़ित और प्रताड़ित सिख परिवारों को नागरिकता देकर उन्हें ये अहसास दिलाया है कि दुनिया में सिख कहीं भी है, भारत उसका अपना घर है। गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुये मुझे गुरुद्वारा कोट लखपत साहिब के जीर्णोद्धार और कायाकल्प का सौभाग्य भी मिला था।
साथियों,
इन सभी कार्यों की निरंतरता के मूल में गुरुनानक देव जी के दिखाए मार्ग की कृतज्ञता है। इस निरंतरता के मूल में गुरु अर्जनदेव और गुरु गोविंद सिंह के असीम बलिदानों का ऋण है,
जिसे पग-पग पर चुकाना देश का कर्तव्य है। मुझे विश्वास है, गुरुओं की कृपा से भारत अपनी सिख परंपरा के गौरव को बढ़ाता रहेगा, और प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता रहेगा। इसी भावना के साथ मैं एक बार फिर, गुरु चरणों में नमन करता हूँ। एक बार आप सभी को, सभी देशवासियों को गुरू पूरब की शुभकामनाएं देता हूं! बहुत बहुत धन्यवाद!