भारत माता की जय...
भारत माता की जय...
मंच पर विराजमान हिमाचल प्रदेश प्रतिपक्ष के नेता, यहां के भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री प्रेम कुमार धूमल जी, केन्द्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी, इसी हिमाचल की धरती की संतान श्री जगत प्रसाद नड्डा जी, मेरे साथी नौजवान, ऊर्जामंत्री पीयूष गोयल, प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्रीमान सतपाल जी, यहां के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता शांता कुमार जी, श्री अनुराग ठाकुर जी, यहां के सांसद श्रीमान राम स्वरूप जी, सांसद श्री वीरेन्द्र कश्यप जी, श्री रामसिंह और हिमाचल के मेरे प्यारे भाईयों व बहनों....इस देवभूमी पर मुझे आने का अवसर मिला आप लोग इतनी बड़ी संख्या में आए इसके लिए मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूं। मैं काशी लोकसभा का सांसद हूं और काशी के सांसद को आज छोटी काशी में सर झुकाने का अवसर मिला है ये मेरे लिए एक और सौभाग्य की बात है।
आज जब मैं यहां आया तो मेरे मन में एक संकोच था, भीतर से मैं हिला हुआ था कि हिमाचल के लोगों ने मुझे इतना प्यार दिया और मैंने यहां आने में देर कर दी, मुझे लगा आप लोग नाराज होंगे पर यहां आकर मैंने देखा की आपका ह्रदय तो हिमालय की तरह बड़ा है आपने मुझे उतना ही प्यार दिया। पल भर में जैसे बर्फ पिघल जाए वैसे ही सारे गिले शिकवे दूर हो गए। मैं आपका सर झुका के नमन करता हूं... आपके प्यार के लिए लेकिन आप जानते हैं कि जब नई जिम्मेदारी मिलती है नया काम सिखना होता है तो लगता है चलो अपनों के बीच देर से जाएंगे तो चलेगा इसलिए स्वभाविक था कि और काम करते करते आज आपके बीच आने का मौका मिला। और मंडी में आए तो शेपू बरी की तो याद आएगी और बिना झोल के काम चलेगा कैसे लेकिन अब तो उससे भी नाता टूट गया है, लेकिन टेस्ट आँफ मंडी बरकरार है। हिमाचल का दशहरा तो देशभर में मशहुर है और सबके मन में रहता है कि कुल्लू का दशहरा कभी न कभी जरुर देखने का अवसर मिलेगा और कल ही रघुनाथ जी महराज मंदिर लौट गए हैं। हंसी खुशी से बहुत भक्ति भाव से देवताओं के आगमन और विदाई में आप शरीक हुए... आज हिमाचल की धरती से देश को भी एक नई उर्जा के स्रोत का लाभ मिल रहा है और उसी निमित्त मुझे आप सब के बीच आने का अवसर मिला एक साथ तीन हाइड्रो प्रोजेक्ट के लोकार्पण का अवसर मिला है मुझे, ये भी एक सौभाग्य की ही बात है कि जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, प्रेमकुमार धूमल मुख्यमंत्री थे तो जिस प्रोजेक्ट का शिलान्यास हुआ था तो उसमें एक संगठन के प्रभारी के रुप में मैं भी था तब कहां सोचा था कि उसके लोकार्पण के लिए मुझे आने का अवसर मिलेगा लेकिन ये एक सुखद संयोग है कि आपलोगों ने जो जिम्मेदारी मुझे दी है उस जिम्मेदारी के तहत अटल जी ने जिसका आरंभ किया था और अटल जी को तो हिमाचल वाले कभी बाहर का नहीं मानते थे। वे खुद भी हिमाचल को अपना दूसरा घर मानते थे और इसलिए जब इस प्रोजेक्ट का लोकार्पण कर रहा हूं तब मैं अटल जी के उस दीर्घदृष्टि को भी नमन करता हूं। जो पुरे हिमाचल के पूरे आर्थिक दृष्टि को बदलने की ताकत रखता है उर्जा की अपनी इतनी बड़ी ताकत है किसी एक माध्यम से भी हिमाचल हिन्दुस्तान के छोटे राज्यों में विकास की नई ऊचाईयों को पार करने का सामर्थ्य रखता है।
आज जब मैं मंडी में आया हूं तो विशेषकर मंडी जिला वासियों का अभिनंदन करता हूं। जब मैं हिमाचल में संगठन का काम देखता था तहसील, तहसील का दौरा करता था तब अनेक चिर परिचीत चेहरे जिसे मैं आज अपने सामने देख रहा हूं। उस समय धूमल जी की सरकार थी और नड्डा जी पर्यावरण मंत्री थे और उस समय हिमाचल में पहली बार पाँलीथीन पर बैन का निर्णय लेकर स्वच्छता के प्रति पहला कदम उठाया गया था और इस बार मुझे दिल्ली में स्वच्छता को बढ़ावा देने वालों को ईनाम देने का मौका मिला तो ईनाम लेने वालों में मंडी जिला था। मंडी के बहनों ने स्वच्छता के क्षेत्र में जो बीड़ा उठाया है उसके लिए मैं यहां के सांसद उनकी टीम और पुरे जिला वासियों को बहुत बहुत बधाई देता हूं। यहां आज मंडी के शिवाय से भी लोग आए होंगे मंडी वालों ने तो स्वच्छता के अंदर नई ऊँचाई प्राप्त कर ली है पर मेरा आप सबसे भी आग्रह है कि जब आप लोग यहां से जाएंगे तो बिल्कुल मैदान साफ कर के जाएंगे कोई भी प्लास्टिक की बोतल वगैरह छोड़ कर नहीं जाएंगे। नहीं तो मंडी वाले मेरी शिकायत करेंगे क्योंकि यहां के लोगों ने सफाई के क्षेत्र में बहुत बड़ा पैरामीटर सेट किया है। हिमाचल ऐसे ही देवभूमी नहीं है यहां के लोग भी पवित्र हैं जो ऐसे कामों में पुरी ताकत झोंक देते हैं। हिमाचल देवभूमी भी है और वीरभूमी भी शायद ही यहां कोई परिवार ऐसा न होगा जिसका लाल भारत माता की रक्षा के लिए सीमा पर तैनात न हुआ हो। ऐसा परिवार मुश्किल से मिलेगा हर परिवार में एक फौजी, हर परिवार में देश के लिए मिटने वाले पीढ़ीयों की परंपरा वाला हिमाचल वीरों की जन्मभूमी है। अगर परमवीर चक्र की सूची देखें तो छोटा सा दिखने वाला हिमाचल अपनी आन बान और शान के साथ पुरे हिन्दुस्तान में सर ऊँचा करके खड़ा हुआ दिखाई देगा। मैं उन फौजीयों को नमन करता हूं। उन वीरों को नमन करता हूं। आजकल पुरे देश में हमारे सेना के पराक्रम की चर्चा है पहले इजराइल ने ऐसा किया था सुनते थे, पर देश ने देखा की भारत की सेना भी किसी से कम नहीं है। जितना गौरव सेना में तैनात उन अफसरों पर करते हैं उतना हीं गौरव उन रिटायर्ड सैनिकों के लिए है क्योंकि उन्होंने भी इस महान परंपरा को कायम रखते हुए एक नई उर्जा का संचार नई पीढ़ी को देकर आए हैं। और इसलिए जो आज सीमा पर तैनात हैं उनको भी मेरा सौ सौ सलाम है और उनको भी जो रिटायर्ड होकर हिमाचल के हर घर में हैं, उनको भी मेरा सौ सौ सलाम। मैं लोकसभा चुनाव के दौरान इसी मैदान में सभा करने के लिए आया था और उसी सभा के दौरान मैंने वन रैंक वन पेंशन की बात की थी।
आज इस वीरभूमि में आकर सेना को उनके परिवारों को नतमस्तक होकर बड़े संतोष के साथ ये कहना चाहता हूं कि आपका जो हक था जिसके लिए आप लोग पिछले 40, 40 सालों से लड़ रहे थे सरकारें आई गई वादे बहुत हुए, बड़े चुलबुले भाषण हुए कुछ लोगों ने तो बजट में 200, 500 करोड़ डालकर के आंख में धूल झोंकने का भी प्रयास कर दिया पर किसी ने हिसाब नहीं लगाया कि वन रैंक वन पेंशन है क्या, इससे कितना आर्थिक बोझ आएगा... कैसे करेंगे कुछ नहीं किया जब मैंने ये काम हाथ में लिया तो हर दिन नई चीजें निकलती थी आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा था। मैं हैरान रह गया कि पहले की सरकार 200, 500 करोड़ कहती थी, ये मामला तो 10,000 करोड़ का था। किसी भी सरकार के लिए एकमुश्त इतनी बड़ी रकम बड़ी बात थी मैंने फौज के लोगों से बात कि मैंने कहा यह मेरा वादा है और मैं तो फौज की बहुत इज्जत करता हूं। मैंने कहा मुझे आपकी मदद चाहिए फौज की लोगों ने कहा बताइये मोदी जी क्या चाहिए मैंने कहा एक मुश्त में नहीं दे पाऊंगा चार किश्तो में दूंगा, उन्होंने एक बार में बात मान ली और मैं धन्यवाद कहना चाहूंगा उनका कि आज लगभग 550 करोड़ मैं दे चुका हूं और आगे की किश्त भी देकर रहूंगा। वन रैंक वन पेंशन 40 सालों से लटका सवाल देश के लिए मर मिटनें वालों का सवाल, ये सरकार है जो देश की सेना का गौरव करने वाली उस काम को पूर्ण कर दिया और आज जहां भी जाता हूं न सिर्फ फौजी बल्कि उनके परिवारों का भी आशीर्वाद मुझे मिलता है और मुझे ऐसे लोगों से और नया करने की उर्जा मिलती है। आज यहां एक रामपुर हाइड्रो पावर जो सतलुज नदी पर करीब करीब 4,200 करोड़ रुपया खर्च, कोल डैम, 800 मेगावाट वो भी सतलुज नदी पर और बहुत कम लोगों को ये मालुम होगा कि 1962 में रुस के साथ ये कोल डैम बनाने का प्रस्ताव हुआ था। सतलुज में इतना पानी बह गया सरकारें आई गई और कागज वहीं का वहीं रखा रह गया पर अटल जी के आने के बाद ये काम आगे बढ़ा और आज इसका फल हिमाचल और देश को मिल रहा है। ये बड़े गौरव की बात है। पार्वती, ये बड़े कमाल का प्रोजेक्ट है, प्रोजेक्ट 1, प्रोजेक्ट 2, प्रोजेक्ट 3, परिवार में अगर तीन बेटियां हो और तीसरी की शादी पहले हो रही हो तो बड़ा अजीब सा लगता है। अभी तो प्रोजेक्ट 1 शुरु हो रहा है दो और तीन के लिए तो मुझे बहुत धक्के मारने हैं।
मैं एक ‘प्रगति कार्यक्रम’ करता हूं टेक्नोलाँजी के द्वारा और जो भी प्रोजेक्ट चल रहे हो, मैं खुद बैठ कर उसका रिव्यू करता हूं, लाखों करोड़ो के प्रोजेक्ट रिव्यू किया। जब मैंने प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी ली और जब मैं चुनाव के दौरान कैंपेन करता था तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि प्रधानमंत्री और पीएमओ को एक आर्कियोलाँजी डिपार्टमेंट चलाना पड़ेगा। पर जब मैं प्रधानमंत्री बना तो मुझे एक नए तरीके का पुरातत्व विभाग खोलना पड़ा जिसमें मुझे बाबा आदम के जमाने के प्रोजेक्ट जिसका शिलान्यास हुआ हो और 30, 30 साल तक उसकी फाईल खो गई हो तो ऐसे चीजों को खोज खोज कर निकाल रहा हूं कि भाई हुआ क्या। मैं हैरान था कि एक प्रोजेक्ट देखा मैंने रेलवे का देखा नांगलबांध तलवाड़ा प्रोजेक्ट जो 1981 में शुरु हुआ था आज 35 साल हो गए आज हमारे पुरातत्व विभाग ने उसे खोज के निकाला। ये प्रोजेक्ट जब शुरु हुआ था तब केवल 34 करोड़ का था और अब वह प्रोजेक्ट 2,100 करोड़ का हो गया आप कल्पना कर सकते हैं कि यदि ये प्रोजेक्ट उस समय पुरा हो जाता तो एक तो 34 करोड़ में पूरा हो जाता और लोगों को कितना फायदा होता, और आज 2100 करोड़ वहन करने का खर्च इस सरकार पर न आता। कागज पर प्रोजेक्ट शुरु कर देना और कहीं जाकर पत्थर लगा देना इसी का परिणाम है कि भानुपलि, विलासपुर, बेरी रेल लाईन करीब 10 साल पहले इसकी कल्पना हुई और उसके बाद 3000 करोड़ का ये प्रोजेक्ट चुनाव गया बात भूल गए और छोड़ दिया। हमने इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया और इस पर भी काम शुरु करने के आदेश दे दिए गए हैं। हिमाचल में उर्जा के क्षेत्र में तो प्रगति करनी ही करनी है टूरिज्म के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं पड़ी हैं। और हिमाचल की जनता ये भलीभांति जानती है कि जब भी हिमाचल में बीजेपी की सरकार आई, हमारे पहले मुख्यमंत्री थे शांताकुमार, हिमाचल के किसी भी कोने में चले जाइए शांताकुमार की पहचान पानी वाले मुख्यमंत्री के रुप में थी। पानी पहुंचाने का बीड़ा उठाया था उन्होंने, बाद में धूमल जी की सरकार बनी उनकी पहचान ग्रामीण सड़क वाले मुख्य़मंत्री के रुप में बनी, गांव गांव सड़क बिछाने वाले मुख्यमंत्री के रुप में पहचान बनी और अभी के मुख्यमंत्री की पहचान क्या है, बताना पड़ेगा क्या...? ये फर्क है बीजेपी के मुख्यमंत्री और बाकी के मुख्यमंत्री में। बीजेपी के मुख्यमंत्री ने किसी ने पानी के लिए तो किसी ने सड़क के लिए अपने आप को खपा दिया और एक हैं जिसने अपने लिए न जाने क्या क्या खपा दिया। ज्यादातर सरकारों की पहचान किसी एक काम को कर लिया हो जाती है... पर आज जो सरकार दिल्ली में बैठी है वो जीवन के हर क्षेत्र को स्पर्श करने की कोशिश करती है।
अगर हम टॉयलेट बनाने की चिंता करते हैं तो उतनी ही चिंता हाइड्रो प्रोजेक्ट को बनाने की करते हैं, अगर हम गांव की सड़कों को बनाने की चिंता करते हैं तो उतनी ही चिंता रेलवे के अटके प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की करते हैं। एक तरफ हिमाचल पूरे देश को उर्जा देने की ताकत रखता है उसी हिमाचल में हम उर्जा बचाने का भी करते हैं। हिमाचल वाले कह सकते हैं कि जितनी उर्जा की खपत है उनकी उससे ज्यादा उर्जा है फिर भी मोदी जी क्यों उर्जा बचाने को कह रहें हैं, पर 70 लाख आबादी वाला हिमाचल, लगभग 10 लाखों परिवारों वाला हिमाचल एलईडी बल्व का प्रयोग करके लगभग रोज 95 लाख और साल के 3.5 सो करोड़ की बचत यहां के परिवारों को हो रही है। काम कैसे किया जाता है इसका उदाहरण यहां के लोग हैं। एलईडी के इस्तेमाल से पर्यावरण की भी रक्षा होती है, और पर्यावरण की रक्षा पर बल देना... यहां के लोगों के लिए और आवश्यक है। जब धूमल जी की सरकार थी तब उन्होंने पेड़ लगाने की एक स्कीम शुरु की थी तब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था और मैंने एक टीम भेजी थी की उस स्कीम से कुछ सीखकर गुजरात का भी भला हो सके। और आज जंगल को बचाने के लिए हम लोगों ने एक बीड़ा उठाया है और गरीब से गरीब परिवारों को आने वाले तीन सालों में गैस कनेक्शन देने की योजना बनाई है।
सबसे ज्यादा आशीर्वाद मुझे माताओं से मिलेगा जब उनके घर में गैस चुल्हा होगा। हिमाचल में ठंड में लकड़ी से चाय बनाने में पता नहीं कितना वक्त लग जाता है ऐसे में गैस कनैक्शन हिमाचल की माताओँ के लिए सबसे बड़ा आशीर्वाद है। उज्ज्वला योजना को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। अभी धूमल जी चिंता जता रहे थे कि भारत सरकार इतना पैसै दे रही है कभी हिमाचल सरकार से हिसाब भी मांगे, उनकी बात बिल्कुल सही है हम ही क्यों हिमाचल की जनता भी तो उनसे हिसाब मांगेगी, क्योंकि 14वें वित्त आयोग ने हिमाचल के लिए 21 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए थे। और सरकार में 15वें वित्त आयोग ने 72हजार करोड़ आवंटित किए हैं। और मैं आशा करता हूं कि यहां कि सरकार, यहां के मुलाजिम इस धन के पाई-पाई का उपयोग हिमाचल के लोगों का भला करने में करेंगे तो निश्चय ही हिमाचल देश को देने वाला राज्य बन जाएगा। जो किसान फलों की खेती करते हैं। मैंने, अभी जो पेप्सी बेचते हैं, कोको-कोला बेचते हैं, बोतलों में पानी भर कर बेचते हैं उनसे आग्रह किया कि वो अपने जूस में 5 प्रतिशत नेचुरल फ्रूट के रस का इस्तेमाल कर सकते हैं क्या, और मुझे खुशी है कि नागपुर में संतरे का जूस का इस्तेमाल करने पर किसानों और कोको कोला के बीच सहमति बनी और अब फलों की खेती करने वाले किसानों को तत्काल बाजार मिलेगा। हिमाचल के किसानों के लिए भी जो फलों की खेती करते हैं आने वाले दिनों में उनके लिए भी आशीर्वाद बनेगा। हम जानते हैं कि हमारे देश में खेती प्राकृतिक आपदाओं से घिरी रहती है कभी कभी इतनी बाढ़ आ जाती है कि खेत के खेत काट के ले जाती है। फसल बर्बाद हो जाती है पहली बार आजाद हिन्दुस्तान में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत हुई जिससे कोई भी किसान प्राकृतिक आपदा में साल भर गुजारा करने में टिक सकता है। मैं हिमाचल सरकार से यह आग्रह करता हूं कि पूरे देश की सरकारों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को प्राथमिकता दी है उसके लिए एजेंसियां बुक कर दी है, टेंडर प्रक्रिया शुरु कर दी गई है। देश के करोड़ो किसानों ने इस योजना का लाभ उठाना शुरु कर दिया है, लेकिन हिमाचल में इस योजना को लेकर गति नहीं आई है।
हिमाचल के मेरे किसानों के साथ ये अन्याय नहीं होना चाहिए और इसलिए भारत सरकार ने यह अहम कदम उठाया है, मैं हिमाचल सरकार से आग्रह करता हूं कि यहां के किसानों को इस योजना के लिए प्रेरित करें, यहां के किसानों का जीवन बदल जाएगा। हम फूड प्रासेसिंग पर बल दे रहें हैं। हमारे यहां किनोर इलाके में आलू वगैरह जाने जाते हैं लेकिन अगर फूड प्राँसेसिंग होता तो उनको और आय की ताकत मिल जाती। हमारी सरकार फूड प्राँसेसिंग पर बल दे रही है क्योंकि हम जानते हैं कि पहाड़ी इलाकों में फसल तैयार होने के बाद शहर तक जाते-जाते काफी मात्रा में नष्ट हो जाता है और इसे बचाने के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर, आवश्यक कोल्ड स्टोरेज, आवश्यक पैकेजिंग, आवश्यक ट्रांसपोर्टेशन, ई-मंडी का प्रयोग ताकि किसान जो चाहे वो दाम उसको मिल सके उस पर बल देते हुए हम चीजों को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। मैं एक बार फिर आप सब का आभार व्यक्त करता हूं कि मुझे आप सबके बीच छोटी काशी में आने का अवसर प्राप्त हुआ।
भारत माता की जय...... भारत माता की.... जय
भारत माता की जय