Quoteप्रधानमंत्री मोदी ने विभिन्न कल्याणकारी गतिविधियों में योगदान और पूर्वी अफ्रीका के विकास के लिए कच्छी लेवा पटेल समुदाय की सराहना की
Quoteकभी रेगिस्तानी स्थान के तौर पर पहचान रखनेवाला कच्छ आज एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में बदल चुका है: पीएम मोदी
Quoteप्रधानमंत्री ने कच्छ में केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों की तरफ से किये गये विकास कार्यों का उल्लेख किया

बुजुर्गो को मेरा प्रणाम! और माताओ बहनो को वंदन! युवाओ और बच्चोको बहुत-बहुत प्यार!

ये टेक्नोलॉजी का ज़माना है और उसका चमत्कार देखिए कि हजारो किलोमीटर दूर से मुझे आप सब को मिलने का मौका मिला, आप मुझे देख सकते है, सुन सकते है, में आप सब के चेहरे देख रहा हूं,उस के उपर प्रसन्नता देख रहा हूं, ख़ुशी देख रहा हूं।

आज नैरोबी वेस्ट कॉम्प्लेक्स की रजत जयंती मनाई जा रही है, कच्छी लेउआ पटेल समाज की संस्कृति और परम्पराओको केन्या में बरकरार रखने के आपके इस प्रयास के लिए आप सब को हृदयसे बहुत-बहुत अभिनंदन देता हूं,और अनेक अनेक शुभकामनाएँ देता हूं!

भाइयों –बहनो

इस कॉम्प्लेक्स को भले ही 25 साल हो गये हो, लेकिन पूर्व अफ्रीका की विकास यात्रा में कच्छी लेउआ पटेल समाज का योगदान लगभग सवा सो साल से भी पुराना है।केन्या की विकास यात्रा में भी कई दशको से आप सभी की सक्रियता रही है, आपके द्वारा शिक्षण, आरोग्य, गरीबी से सशक्तिकरण की दिशामें हो रहे अनेक कल्याणकारी कार्य, सभी लोग इससे परिचित है।

जिस तरह स्कूल, अस्पताल और किफायतीदाम पर घर बनाने का काम आपने अपने हाथ में लिया है, वह सही मायने में अभिनंदन के पात्र है, प्रशंसनीय है। बच्चे, गरीब महिलाएं, उनके लिए जिस प्रकार केन्या के अंदरूनी इलाको में आप चेरिटी कार्यक्रम चला रहे है वे भी अत्यंत सराहनीय है,सच में केन्या के लिए भारतीयों का योगदान केवल पसीना बहाने तक ही नहीं लेकिन त्याग और बलिदान का भी है।

माखणसिंह, श्रीमान एम ए देसाई, श्रीमान पिओगामा पिन्टो, कितने सारे नाम है, इनके जैसे अनेक भारतीयों ने केन्या को आज़ादी दिलाने में अपना योगदान दिया है।आज़ादी के बाद नए उद्योगों की स्थापना हो, या फिर समाज सेवा, हर एक कार्य में भारतीय मूल के लोगो ने केन्या की उन्नति के लिए अविरत पुरुषार्थ किया है।

आज उसी का परिणाम है की जिन भारतीयों को गुलामी के लिए, रेलवे लाइन बिछाने के लिए वहाँ ले जाया गया था, आज उन्ही के वंशज केन्या के सक्षम और समृद्ध लोगो में से एक है, अपने दिल में भारत को जिंदा रख कर अनेक लोग आज केन्या की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ न्यायतंत्र हो, मेडिकल क्षेत्र हो, शिक्षण क्षेत्र हो, उसमे नए प्राण भरने का निरंतर प्रयास कर रहे हैऔर ऐसे तिन महानुभाव श्रीमान मणिलाल प्रेमचंद चंदेरिया, श्रीमान फ़िरोज़ नवरोजजी और डॉ ऍफ़ आर एस डिसोज़ा को पिछले कुछ सालोमें प्रवासी भारतीय सन्मान से सम्मानित भी किया गया है, ये आप सभी का ही प्रताप और परिश्रम है की 2016 में जब में केन्या आया था और जिसका अभी उल्लेख किया गया तब केन्या की सरकार द्वारा मेरा भावपूर्ण स्वागत किया गया था, और मुझे अच्छे से याद है कसारा के स्टेडियम में आप सब ने हज़ारो की तादाद में आकर के प्रेम से मुझे इतने सारे आशीर्वाद दिए आपके भावजगत के अंदर में डूब गया, आप मे से अनेक लोग उस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

साथियों, दशकोपूर्वकीवहपरिस्थिति ने भले ही हमें भारत से दूर बसाया हो, लेकिन आपका एक अंश आज भी इस धरती पर है,आपके हृदय में आपके खून के अंदर रहा वो अंश आप सब को भारत भूमि के साथ अटूट तरीके से जोड़े रखता है।

एक गुजराती कहावत है, ‘कलम ने ज्यां वावी त्या उगी निकली’और आप सब ने अच्छे तरीके से उसे सार्थक किया है।आज आप सब केन्या के समाज में एकाकार हो चुके हो, आप में से ज्यादातर लोगो का पासपोर्ट केन्या का होगा, लेकिन सच्चाई ये है की आपके मन के अंदर भारतीयता जिंदा है उसका साक्षी होकर में इस कार्यक्रम के अंदर, में आप सब को देख रहा हूं,में भी अनुभव कर रहा हूं।

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हमारे यहाँ कहते है ‘कछडो खेले खलक भये, कछडो खेले खलक में, जी महासागर में बछ, जे ते हेकड़ो कच्छी वसे, ओ तडीयांडी कच्छ’ यानि की जिस प्रकार महासागर में मगरमच्छ आराम से खेलता है,घूमता है उसी तरफ कच्छ निवासी, ठाठ से पूरी दुनिया घूम लेते है और जहाँ कच्छी रुक जाए वहां कुछ ही दिनों में अपने आप एक नया कच्छ बन जाता है।

कच्छी भाई-बहन चाहे केन्या में रहे या कच्छ में आफत को वे लोग किस तरह से अवसर में पलट देते है वो मैने खुद अपनी आँखों से देखा है। 2001 के विनाशक भूकंप के समय पर कच्छ की ऐसी हालत थी की पूरी दुनिया को ऐसा लग रहा था की कच्छ कभी भी उठ नही पाएगा लेकिन कुछ ही सालो में कच्छ के परीश्रमी लोगों ने, आप सब के भाई-बहनों,स्वजनो ने सभी की धारणाओको जूठा साबित कर दिया।

जो कच्छ एक समय में वीरान भूमि का पर्याय था वो अब दुनिया के लिए पर्यटन का केंद्र बन गया है। कच्छ के बारे में पहले ऐसामाना जाता था कि दूर-दूर का वीरान प्रदेश विकास का नामोनिशान नहीं, कनेक्टिविटी एक समस्या हुआ करती थी और अब यही कच्छ देश के टूरिस्ट नक्शे पर का एक चमकता हुआ सितारा बन गया है। रणोत्सव, आप में से कई लोग रणोत्सव में आए होंगे और अगर नहीं आए है तो मेरा आपसे आग्रह है की आप सब को जरुर से जाना चाहिए।रणोत्सव केवल कच्छ की संस्कृति का प्रचारक नहीं है, बल्कि एक व्यापक आर्थिक प्रवृत्ति का निमित्त भी बन गया है।

इतने सालो में कच्छ के विकास में एक उल्लेखनीय परिवर्तन आया है। और खास कर के येसामने सुन रहे युवा दोस्तों को में बताना चाहता हूं, क्योंकि ये सारी नई पीढ़ी भी मेरे सामने बैठी हुई है, कच्छ में एक समय ऐसा था जब महीनों तक पानी नहीं आता था, गर्मियो में कच्छ के लोगो को घर-बार, पशु, सब कुछ ले कर के गाँव और घर छोड़ना पड़ता था, पानी के लिए तरसते थे, पशु हिजरत करते थे, मौत को गले लगाते थे। आज उसी कच्छ में हमारी सरकार ने सरदार सरोवर नर्मदा का पानी अंतिम छोर तक पहुँचाया है। आपने टप्पर डेम का नाम सुना होगा वहां तक पानी पहुँच चुका है।

परिणाम स्वरूप आज कच्छ के सैकड़ों गाँव और बड़े-बड़े शहरो को नर्मदा का पानी मिलने लगा है। कच्छ के विकास के लिए अब केंद्र सरकार और राज्य सरकार जैसे कीडबल इंजिन लग गये है।दोनों ही डबल इंजिन की ताकत काम कर रही है। पिछले कुछ सालो में कच्छ में हजारो करोड़ो रूपये का निवेश आया है।कच्छ में लगभग 50 हजार एकड़ का कोस्टल इकोनॉमिक ज़ोन को बनाने की विचार प्रक्रिया चल रही है। कंडला पोर्ट को स्मार्ट इन्डस्ट्रीयल पोर्ट की तरह विकसित करने की योजना भी चल रही है।

पिछले साल ही घोघा-दहेज़ के बिच में रो-रो सर्विस सरकार ने शुरू की है। ऐसी ही रो-रो सर्विस कच्छ के अखात में भी शुरू करने की कल्पना है। कच्छ और जामनगर के बीच में यह सेवा शुरू करने का विचार चल रहा है।सरकार को इस प्रोजेक्ट का एक ब्रीफ फिज़ीबीलीटी रिपोर्ट भी प्रदान किया गया है। रो-रो फेरी शुरू होने से सौराष्ट्र और कच्छ के बिच का अंतर बिलकुल कम हो जाएगा। आज कच्छ में जो आर्थिक विकास हो रहा है, वो समग्र गुजरात के विकास को गति प्रदान कर रहा है और गुजरात का विकास देश के विकास को आगे बढ़ाने में पूरक बन रहा है।

पिछले 17-18 सालो में विकास का मोडल गुजरात की प्रजा ने भारत मेंउपस्थित हमारे ही स्वजनों ने उसे विकसित किया हैऔर वो आज देश के विकास का मॉडल बन गया है।कुछ सालों पहले राज्य में निवेश को आकर्षित करने के लिए वाईब्रन्ट गुजरात का आयोजन शुरू किया गया और आज देश के अनेक राज्यों, दक्षिण के हो, उत्तर के हो, पूर्व के हो, पश्चिम के हो, देश के अनेक राज्यों में उस मॉडल को अपनाया गया है। आज आपके गुजरात के विकास को देख कर के दुसरे देशो से आने वाले राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को देख कर आश्चर्य होता है। इजरायल के राष्ट्रपति बेन्जामिन नेत्यानाहू हो, जापान के प्रधानमंत्री शिन्जो आबे हो, या फिर चीन के राष्ट्रपति श्री शी जिनपिंग हो, केन्या के राष्ट्रपति सभी ने गुजरात आने में अपनी दिलचस्पी जताई और विकास कार्यो को नजदीक से देखा।

केन्या के राष्ट्रपति तो गुजरात के वाईब्रंट समिट में भी आए थे, उत्साह पूर्वक हिस्सा लिया था। आप में से जिन्होंने भारत नहीं देखा है उनको मेरा आग्रह है कि आने वाले साल में जनवरी में उत्तर प्रदेश के इलाहाबादमें कुम्भ मेला होने वाला है। ये कुम्भ मेला 12 साल बाद आता है और सभी को कुम्भ के मेले में जाने की इच्छा होती है, बुजुर्ग को खास तौर पर होती है, आनेवाले 2019के जनवरी से लगभग महीने डेढ़ महीने तक ये कुम्भ का मेला चलेगा ईलाहाबादमें।मेरा आप सभी को आग्रह है की अफ्रीका में बसने वाले कोई भी ऐसे भारतीय न हो जिन्होंने भारत देखा ही न हो। यही पर जन्मे हो और बड़े हो गये हो।

देश कोसांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से देखने का और समजने का ये एक सुन्दर अवसर है। कुम्भ के निमित्त पर इन सभी को भारत लाने की योजना अभी से बना लेनी चाहिए और भारत दर्शन करवाना चाहिए। और कुम्भ के मेले में आए तो उस वक्त रणोत्सव भी चल रहा होगा तो फिर हमारा कछडो बारेमास।।वहां तो एक चक्कर लगाना ही चाहिए,ये जो आर्थिक निति हो या सामाजिक प्रगति की निति हो, भारत परिवर्तन के एक बहुत बड़े कालखंड में आज प्रगतिशील तरीके से गुजर रहा है, आगे बढ़ रहा है। देश के विकास की रफ़्तार ही तेज़ गति से बढ़ाने के लिए भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए और आतंकवाद की कमर तोड़ने के लिए अनेक महत्वपूर्ण और सख्ताई से भरे निर्णय ले करहम काम कर रहे है।

भारत की विदेश निति को भी हमारी सरकार ने नया आयाम दिया है। बीते हुए तीन-चार सालो में सिर्फ केन्या ही नहींलेकिन सम्पूर्ण अफ्रीका महाद्वीप में भारत के मजबूत संबंधो की एक नयी दिशा खुली है।हमारी सरकार के इस कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री इन तीन स्तरों पर कहूं तो लगभग हम तीनो मिलकर के 20 से ज्यादा देशो की यात्रा कर चुके है। इतना ही नहीं, भारत में इंडिया अफ्रीका समिट का भी अत्यंत सफलतापूर्वक आयोजन हुआ, इस समिट में हिस्सा लेने के लिए 54 आफ्रीकी देशो के प्रतिनिधि मंडल आए हुए थे और 41 अफ्रीकन देशो के शासक,प्रमुखएवं राष्ट्राध्यक्षकी सामूहिक उपस्थिति ने एक तरह का नया रिकोर्ड स्थापित किया है।

इस समिट के दौरान अफ्रिका के विकास कार्यो के लिए दस बिलियन डालर की आर्थिक सहायता का एलान भी भारतने किया है। पिछले साल मई महीने में अहमदाबाद में आफ्रिकन डेवलपमेंट बेंक की बैठक का भी सफल आयोजन हुआ था और उसमे आफ्रिकन देशो के अनेक मंत्री अनेक प्रतिनिधि और अनेक बैंकोंके प्रतिनिधि वहाँ आए हुए थे।हाल ही में भारत ने अफ्रीकीदेशो में 18 नई एम्बेसी क्योंकि बहुत सारे हमारे भारतीय समुदाय के लोग छोटे-छोटे देशो में भी रहते है उनकी मांग थी की हमारे वहां एम्बेसी हो, तो अच्छा है। आपको जान कर ख़ुशी होगी और सारे अफ्रीकावासियो को में खबर देता हूंकि हाल ही में भारत सरकार ने निर्णय लिया है की अफ्रीका के देशो में नई 18 एम्बेसी और हाईकमिशन शूरूकरने का ऐलान हमने कर दिया है, निर्णय ले लिया है। थोड़े ही समय में काम आगे बढ़ेगा।

ये नए हाई कमिशन और एम्बेसी भारत और आफ्रिका के बिच के संबंधो को मजबूत करने में मददगार होंगे। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण बात यानि पूरेअफ्रीकामें फैले हुए भारतीय समाज के लिए ये बहुत ही सहायक साबित होगा।हमारी सरकार केन्या के साथ भी बहुत ज्यादा मजबूतसंबंध बना रही है।केन्या में शिक्षा से ले कर के सामाजिक क्षेत्रो के विकास में भारत सरकार आर्थिक मदद दे रही है। विशेष रूप से उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, किफायती मकानऔर यूनिवर्सल हेल्थ केयर जैसे क्षेत्रो में भारत के द्वारा निवेश हो रहा है। हमारी सरकार कौशल्य विकास के लिए भी नए अवसर पैदा हो रहे है। मुझे तो भारत वाला एल्युम्नी एसोसिएशन के सभ्यों के साथ की मुलाकात आज भी याद है। ये भारत वाला एल्युम्नी एसोसिएशन ने केन्या के ऐसे विद्यार्थियो को सभ्य बनाए है जिन्होंने पिछले 50 सालो में भारत में रह कर शिक्षा प्राप्त की है।

साथियो मैं तो मानता हूंकि विश्व के साथ भारत के संबंधो को मजबूत करने के लिए अगर कोई स्थायी राजदूत हो तो वे भारतीय मूल के लोग, प्रवासी भारतीय, आप सब, जो मेरे सामने बेठे है वाही सब सच्चे राष्ट्र दूत है। सरकार तो राजदूत रखती है लेकिन आप सभी राष्ट्र दूत हो।आप सभी ने वहाँ एम् पैसा की ताकत देखीडिजिटल लेन-देन, पारदर्शी अर्थव्यवस्था लाने के लिए कितनी जरुरी है वो आप सब अच्छी तरह से जानते है।

और एम् पैसा एक मोडल की तरह उसकी चर्चा करते है।भारत में भी डिजिटल लेन-देन बढ़ाने के लिए सरकार ने कईं फैसले लिए है। हमारे वहाँ भारत में भीम एप काफी लोकप्रिय है।आप भी मोबाइल फोन पर जाकर के आप भीम एप डाउनलोड कर सकते हैऔर मेरा आपसे विशेष आग्रह है की कच्छ में तो आप के जीवंत संबंध है। कच्छ में बारिश हो और तुरंत ही आप हलवा बनाने की तैयारी करते है,इतना ज्यादा आपका कच्छ के प्रति प्रेम होता है।आप हर रोज़ उससे बातें करते होते है उनको कहियेकिएम् पेसा ने कितना परिवर्तन किया है तो यहाँ भी वो सब लोग सीखे, गुजरात में कच्छी भाइयों वे भी भीम एप द्वारा डिजिटल लेन-देन करना शुरू करे।आप कहेंगे तो वे तुरंत इस बात को मानेंगे।

भारतीय मूल के लोग, आप सभी के लिएसौहार्द और सम्मान का भाव होना,ये बिलकुल आप सभी के लिए गर्व लेने का विषय है।हमारी सरकार का सदा यही प्रयास रहा है किभारतीय मूल के लोग, प्रवासी भारतीय दुनिया में जहाँ पर भी बस रहे हो उनके साथ हमेशा हम जुड़े रहेंऔर उनकी समस्याओंका निराकरण करे।

पहले प्रवासी भारतीयों के लिए एक मंत्रालय काम करता था लेकिन हमे जब से प्रवासी भारतीयों की तरफ से ऐसी जानकारी और फीडबैक मिला कि इसके कारण तो विदेश मंत्रालय के साथ कोओर्डीनेशन की कमी रह जाती थी। इसलिए हमने आप सब की भावनाओ के अनुसार इस समस्या को हल करने के लिए दोनों ही मंत्रालयों को इकठ्ठा कर दिया है। पहले तो पीआईओ और ओसीआई योजना भी अलग अलग हुआ करती थी।और ज्यादातरलोगों को तो इसके बीच के अंतर का पता भी नहींहोता था। हमने इन दोनों योजनाओं की प्रक्रिया को सरल बना दिया है। और दोनों योजनाओ को मिलाकर के एक ही तरह से कार्यरत कर दी है।

भारत के विदेश मंत्रालय, कोंस्युलर ग्रिवान्सिस के रियल टाइम मोनिटरिंग और रिस्पोंस के लिए मदद – MADAD – इस पोर्टल की सुविधा दी है।और आप इस पोर्टल पर जा कर सरकार के साथ अपनी बातचीत कर सकते है।अब तो प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन नियमितरूप से हर दो सालमें, वैकल्पिक साल पर किया जा रहा है। इसके साथ ही रिजनल प्रवासी भारतीय दिवस भी मनाया जाता है। हमारी सरकार के बीते हुए चार सालो में भारत की बदली हुई सोच और बदले हुए अभिगमका ये जीवंत उदाहरण है।

भाइयों बहनों

आपको भी यह अनुभव हुआ होगा किपिछले तीन-चार सालो में दुनिया का नजरिया भी भारत के प्रति सकारात्मक तरीके से,लोगो की भावना बदल चुकी है।आज जो भी भारतीय विदेश में जहाँ भी जाए तो उसे भारतीय पासपोर्ट की ताकत का एहसास होता है।व्यवस्थाओं में आ रहे सम्पूर्ण परिवर्तन और उसके परिणाम आपको हर क्षेत्र में देखने को मिलेंगे।भारत का आर्थिक विकास हो, या सामाजिक विकासऔर ये तो आपका देश है। नई नई ऊंचाईयों को पाने के लिए न्यू इंडिया का सपना और संकल्प को पूरा करने के लिए दिन रात सभी हिन्दुस्तानी प्रयास कर रहे है।उसमे आप सभी के अनुभव का लाभ मिलता रहेगा, आप सभी के आशीर्वाद मिलते रहेंगे तो न्यू इंडिया के निर्माण के लिए हम सबका मार्ग बहुत आसान हो जाएगा।

फिर एकबार में आप सभी को श्री कच्छी लेउआ पटेल समाज के सिल्वर ज्युबिली सेलिब्रेशन सफलता के लिए मेरी बहुत बहुत शुभकामनाएँ देता हूं।आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं।

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Prime Minister Narendra Modi greets the people of Arunachal Pradesh on their Statehood Day
February 20, 2025

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has extended his greetings to the people of Arunachal Pradesh on their Statehood Day. Shri Modi also said that Arunachal Pradesh is known for its rich traditions and deep connection to nature. Shri Modi also wished that Arunachal Pradesh may continue to flourish, and may its journey of progress and harmony continue to soar in the years to come.

The Prime Minister posted on X;

“Greetings to the people of Arunachal Pradesh on their Statehood Day! This state is known for its rich traditions and deep connection to nature. The hardworking and dynamic people of Arunachal Pradesh continue to contribute immensely to India’s growth, while their vibrant tribal heritage and breathtaking biodiversity make the state truly special. May Arunachal Pradesh continue to flourish, and may its journey of progress and harmony continue to soar in the years to come.”