आज जब असम में विकास, विश्वास, अध्यात्म और आस्था के सेतु बन रहे हैं, तब असम को बहुत सावधान रहने की जरूरत है : बिहपुरिया में पीएम मोदी
असम में डबल इंजन की सरकार मूल सुविधाओं से लेकर विकास की आकांक्षाओं तक राज्य को आगे बढ़ाने में जुटी है : बिहपुरिया में पीएम मोदी
कांग्रेस का महाजोत नहीं, कांग्रेस का महाझूठ है ! ऐसा महाझूठ- जिसका ना विचार है, ना संस्कार है : बिहपुरिया में प्रधानमंत्री मोदी
5 साल से जो डबल इंजन की सरकार चल रही है, वो सेतुओं वाली सरकार है, हमने विकास के सेतु बांधे हैं : सिपाझर में पीएम मोदी
कांग्रेस का मतलब है- विनाश की गारंटी। कांग्रेस का ट्रैक रिकॉर्ड है- अस्थिरता। कांग्रेस का ट्रैक रिकॉर्ड है- गरीबों से विश्वासघात: सिपाझर में पीएम मोदी

भारत माता की… 

भारत माता की…

कुमरिग-छुडुङरैगाम

मोगोने दाखिया छुइनामोगने छुइना

मोगने छुइना?

जिस प्रकार का उत्साह मैं देख रहा हूं, वो डबल इंजन की सरकार के प्रति आपका ये उत्साह, आपका ये विश्वास चरमसीमा पर देख रहा हूं। मैं दूर-दूर लोगों को देख रहा हूं, मुंड ही मुंड नजर आ रहे हैं, लोग ही लोग नजर आ रहे हैं। और मैं उधर देख रहा हूं, ऐसा लग रहा है वहां दूसरी पब्लिक मीटिंग चल रही है। ये जो दीवार बनाई हुई है दीवार के पीछे इतनी बड़ी तादाद में लोग सुन रहे हैं। मुझे पता नहीं उनको सुनाई देता होगा कि नहीं, लेकिन इतनी बड़ी तादाद में वहां भी लोग खड़े हैं। मैं आप सब को प्रणाम करता हूं। आप आशीर्वाद देने के लिए इतनी बड़ी तादाद में आए, और मैं देख रहा हूं असम के हर कोने में जो मिजाज है, जो मूड है, जो उत्साह है लखीमपुर भी इससे अछूता नहीं है। 

भाइयो और बहनो,

महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव जी के पद्चिन्ह जहां पड़े हैं, जहां श्री श्री माधवदेव जी ने जन्म लिया है, ऐसी पावन धरती को मैं सर झुका कर के वंदन करता हूं। लेटेकु पुखुरी यहां से ज्यादा दूर नहीं है। आप सभी के पास अध्यात्म की, आस्था की एक बहुत समृद्ध धरोहर है। भारत रत्न डॉक्टर भूपेन हज़ारिका जी ने हमारी संस्कृति के इन दोनों साधकों के लिए कहा था-

शंकर-माधवर महा महा सृष्टिरे,

उज्ज्वल लुइतरे पार

महाबाहो ब्रह्मपुत्र के कोने-कोने को इन दोनों संत आत्माओं ने प्रकाशित किया है। बीजेपी सरकार का ये सौभाग्य है कि असम की संस्कृति को समृद्ध करने वाले इन महापुरुषों को, उन महापुरुषों की परंपरा को आने वाली पीढ़ियों के लिए जन-जन तक पहुंचाने का, बढ़ाने का हमें अवसर मिला है। कोरोना की मुश्किल परिस्थिति को जिस प्रकार यहां की सरकार ने संभाला है, भाजपा के कार्यकर्ताओं ने जिस सेवा भाव से काम किया है, जिस प्रकार गरीब से गरीब की सहायता की है, ये संस्कार श्रीमंत शंकरदेव की संत परंपरा से ही मिलते हैं।

भाइयो और बहनो, 

कांग्रेस के लंबे कालखंड में जिन सत्रों, जिन नामघरों को अवैध कब्जाधारियों के हवाले किया गया था, उनको आज मुक्त किया गया है। ये हम सभी के लिए कितने कष्ट का कारण था कि ‘बताद्रवा थान’ उसको भी इन्होंने नहीं छोड़ा था। इन पवित्र स्थानों की सुरक्षा के लिए कांग्रेस ने कुछ नहीं किया। उनको सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने में रस था न कि हमारे सत्र बचाने में रस था। मैं असम सरकार को बधाई दूंगा कि उन्होंने ज़मीन से जुड़े कानून में संशोधन करके, बारपेटा, दखिनपट, पटेकिबोरी, ऐसे अनके सत्रों को अवैध कब्ज़े से मुक्त कराया है।

साथियो, 

एनएडीए सरकार की प्रतिबद्धता है कि बताद्रवा थान में एक बड़ा संस्थान बने। श्री श्री माधवदेव कलाक्षेत्र के लिए भी काम किया जा रहा है। श्री माधवदेव यूनिवर्सिटी के लिए काम तेज गति से आगे बढ़ रहा है। सिवसागर को देश की 5 महान धरोहरों में शामिल करने के लिए भी कदम उठाए गए हैं। यहां की कला, यहां का क्राफ्ट, संस्कृति से जुड़ी हर धरोहर को संजोने और संवारने के लिए काम किया जा रहा है। असम की शान काज़ीरंगा को भी कांग्रेस के पाले-पोसे कब्ज़ाधारियों से मुक्त किया गया है। घुसपैठ को रोकने के लिए ढूबरी के बॉर्डर को सील किया जा चुका है। जो हिस्सा बाकी रह गया है उसको सील करने का काम तेज गति से चल रहा है।  

भाइयो और बहनो,

आज जब असम को हिंसा, आतंक, घुसपैठ, अराजकता और अवैध कब्जों से मुक्ति मिल रही है। आज जब असम में विकास के सेतु बन रहे हैं। आज जब असम में विश्वास के सेतु मजबूत हो रहे हैं। आज जब असम में अध्यात्म और आस्था के सेतु हमें नई ऊंचाई पर ले जा रहे हैं। तब असम को बहुत सावधान रहने की ज़रूरत है। मैं आपको जगाने आया हूं। कांग्रेस का हाथ आज ऐसे लोगों के साथ है, जिसका आधार है असम की पहचान को तबाह करना। क्या आप होने देंगे? पूरी ताकत से जवाब दीजिए होने देंगे? ये होने देंगे? बर्बाद होने देंगे? आपकी संस्कृति परंपरा को नष्ट होने देंगे? यहां के जीवन प्रथा को नष्ट होने देंगे? भाइयों-बहनों जो दल घुसपैठ पर ही फला-फूला हो, आज उसके वोट बैंक पर कांग्रेस असम की सत्ता हथियाना चाहती है। क्या ऐसे लोगों के हाथ में असम की सरकार की चाबी देनी चाहिए क्या? देनी चाहिए क्या? जो दल असम के मूल निवासियों के साथ भेदभाव का प्रतीक रहा हो, कांग्रेस आज उसके हाथ में असम को सौंपने की बात कर रही है। कांग्रेस वोट के लिए कुछ भी कर सकती है, किसी का भी साथ ले सकती है, और जरूरत पड़ने पर किसी को धोखा भी दे सकती है। यहां लखीमपुर में जिन वामपंथियों, जिन लेफ्ट के लोगों के साथ कांग्रेस मिल रही है, इन्हीं वाम वालों को इन्हीं लेफ्ट वालों को ये कांग्रेस वाले केरल में जाकर गालियां दे रहे हैं। यहां दोस्ती कर रहे हैं वहां कुश्ती कर रहे हैं। आपको याद रखना है, ये कांग्रेस का महाजोत नहीं, ये कांग्रेस का महाझूठ है! कांग्रेस का ऐसा महाझूठ- जिसका ना विचार है, ना संस्कार है। कांग्रेस का ऐसा महाझूठ- जिसके पास ना नेता है, ना नीति है। कांग्रेस का ऐसा महाझूठ- जो सिर्फ और सिर्फ घुसपैठ की, लूट की गारंटी देता है। ऐसा महाझूठ जो हमारे सत्रों-नामघरों-अभ्यारण्यों में अवैध कब्जे की गारंटी देता है। कांग्रेस का ऐसा महाझूठ जो अवैध शिकार की और करप्शन की गारंटी दे सकता है। ये कांग्रेस का एक ऐसा महाझूठ है- जो अपनी सत्ता के लिए असम के गौरव को, असम की चाय तक को पूरी दुनिया में बदनाम कर सकता है।

साथियो,

कांग्रेस के विश्वासघात के सबसे बड़े पीड़ित, असम के टी गार्डन्स में काम करने वाले हमारे मजदूर भाई-बहन हैं। दशकों तक कांग्रेस ने टी-गार्डन्स में काम करने वाले साथियों के लिए कुछ नहीं किया। 15 साल के शासन में ये लोग Tea Workers की मज़दूरी को बड़ा, बड़ा. बड़ा बढ़ाने के नाटक कर के 100 रुपए के ऊपर भी नहीं ले जा पाए थे, 100 रुपये पर आ कर के अटक गए थे। कांग्रेस की ये सच्चाई, असम का हर टी-गार्डन वर्कर जानता है।

साथियो, 

एनडीए की सरकार ने सिर्फ 5 साल में Tea Workers की मज़दूरी को बढ़ाकर दोगुने तक पहुंचाया है। अब वही कांग्रेस, बड़े-बड़े झूठ बोल रही है, श्रमिक भाई-बहनों में भ्रम फैला रही है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, यहां दोबारा एनडीए सरकार बनते ही टी-गार्डन्स में काम करने वालों के लिए जो फैसले हमने लिए हैं, वो और तेजी से लागू किए जाएंगे। टी गार्डन श्रमिकों का जीवन आसान बनाने के लिए हम कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे। एनडीए की सरकार चाय जनजाति के साथियों को, विशेष रूप से बहनों को सम्मान का, गरिमा का जीवन देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इस वर्ष केंद्र सरकार ने बजट में भी 1000 करोड़ रुपए की विशेष व्यवस्था सिर्फ और सिर्फ चाय बगान में काम करने वाले परिवारों के लिए की है। 

भाइयो और बहनो,

बीते 5 साल हमने असम के विकास की नींव मजबूत की, अब असम को आत्मनिर्भर भारत के रास्ते पर आगे बढ़ाने के लिए हम काम करने वाले हैं। असम भारतीय जनता पार्टी ने असम की भाजपा इकाई ने आपके सामने संकल्प पत्र घोषित किया है, आपके सामने प्रस्तुत किया है। मैं आज असम भाजपा की पूरी टीम को राज्य के पूरे नेतृत्व को इस संकल्प पत्र के लिए, उनकी कल्पना शक्ति के लिए, असम के उज्ज्वल भविष्य के लिए उनकी जो प्रतिबद्धता है जो संकल्प पत्र में उन्होंने पेश की है मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं आप सब को। ये संकल्प पत्र, असम की आकांक्षाओं, भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इस संकल्प पत्र में आत्मनिर्भर असम का रोडमैप है। इसमें आत्मनिर्भर असम के लिए अनेक संकल्प लिए गए हैं। ये संकल्प, असम के युवाओं के विकास, उनके लिए नए अवसर बनाने का है। ये संकल्प किसान परिवारों, यहां के मूल निवासियों के निरंतर विकास का है। ये संकल्प पढ़ाई, कमाई, दवाई, सिंचाई और आवाजाही बेहतर बनाने का है। इस संकल्प में असम की संस्कृति की सुरक्षा भी है, असम की समृद्धि भी है।

साथियो,

भाजपा की, एनडीए की, डबल इंजन की सरकार मूल सुविधाओं से लेकर विकास की आकांक्षाओं तक असम को आगे बढ़ाने में जुटी है। आज असम के हर हिस्से में रहने वाले गरीब परिवारों तक को एलपीजी गैस कनेक्शन मिल चुके हैं। उनको धुएं से मुक्ति मिली है। असम में एलपीजी कवरेज जो 5 साल पहले 50 प्रतिशत से भी कम थी, वो आज करीब-करीब शत-प्रतिशत होने को है। इसी तरह बिजली और टॉयलेट्स की सुविधा भी असम के गरीब से गरीब तक पहुंचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने एनडीए की सरकार ने दिन-रात मेहनत की है। आज आयुष्मान भारत योजना के तहत असम के लाखों परिवारों को 5 लाख रुपए के मुफ्त इलाज की सुविधा से जोड़ा जा चुका है। इसी योजना के तहत असम के गांव-गांव में आधुनिक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनाने के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं। कोशिश ये भी है कि असम की हर 3 लोकसभा सीटों के बीच एक मेडिकल कॉलेज बनाया जाए। 5 सालों में 8 मेडिकल कॉलेज यहां बन चुके हैं। इनमें लखीमपुर और बिश्वनाथ चरिआली के मेडिकल कॉलेज भी शामिल हैं। इससे आपको बेहतर इलाज भी मिलेगा और मेडिकल की, नर्सिंग की पढ़ाई करने वाले युवाओं को भी बेहतर अवसर मिलेंगे। 

भाइयो और बहनो, 

असम में गरीबों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत साढ़े 5 लाख से ज्यादा आवास स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से अनेक लाभार्थियों को अपने पक्के घर मिले चुके हैं। जिनको अभी अपना घर नहीं मिला है, वो आश्वस्त रहे, उनको भी ज़रूर अपना पक्का घर मिलेगा। ये मेरा सपना है जब देश आजादी के 75 साल मनाएगा तब हिंदुस्तान का कोई गरीब पक्की छत के बिना नहीं होगा। इसके लिए हम काम कर रहे हैं। हमारा प्रयास है कि बहुत जल्द हर गरीब को अपनी पक्की छत मिले, किसी को भी घर के लिए तरसना ना पड़े। विशेष रूप से जो टी गार्डन में रहने वाले हमारे साथी हैं, उन तक ये मूल सुविधाएं जल्द से जल्द और तेज़ी से पहुंचाई जाए, इसके लिए हर संभव कोशिश की जा रही है।

भाइयो और बहनो,

गांव में सड़कों की स्थिति को बेहतर बनाने में हमारी डबल इंजन की सरकार दोगुनी शक्ति से काम कर रही है। 5 साल पहले तक असम में करीब 13 हज़ार किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण हुआ था। यानि 70 साल में… याद रखिए.. याद रखोगे.. याद रखोगे.. 70 साल में 13 हजार किलोमीटर। बीते 5 साल में ही हमने इससे भी ज्यादा यानि करीब 15 हज़ार किलोमीटर नई ग्रामीण सड़कें असम में बनाई हैं। इसमें से लखीमपुर जिले में ही लगभग 7 सौ किलोमीटर नई सड़कें बनी हैं। इसी तरह असम में सैकड़ों किलोमीटर के नए हाईवे बने हैं, पुराने हाईवे का चौड़ीकरण किया गया है। इस वर्ष के केंद्रीय बजट में असम के नेशनल हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बहुत बड़ी वृद्धि की गई है।

भाइयो और बहनो,

इस क्षेत्र में भारत की ऑर्गेनिक उत्पाद में आत्मनिर्भरता के लिए बहुत बड़ी संभावनाएं हैं। ऑर्गेनिक उत्पादों की बहुत डिमांड देश में भी है और दुनिया में भी है। लखीमपुर सहित ये पूरा क्षेत्र तो बाओ-धान यानि लाल चावल के लिए मशहूर है। आत्मनिर्भर अभियान के तहत इस चावल को देश और विदेश के बाज़ारों में बेहतर पैकेजिंग, बेहतर मार्केटिंग के लिए काम किया जा रहा है। यहां के धान किसानों को और सुविधा मिले, भंडारण की अधिक से अधिक सुविधा मिले, इसके लिए काम किया जा रहा है। पीएम किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं से भी यहां के किसान परिवारों को बहुत लाभ हो रहा है। ऐसी ही अनेक योजनाएं असम में बिना करप्शन के चलती रहे, हर क्षेत्र, हर व्यक्ति को इनका लाभ मिलता रहे, इसी भरोसे के साथ आपको भारी संख्या में बूथ पर पहुंचना है। कमल के निशान पर बटन दबाना है और डबल इंजन की सरकार को मजबूत बनाना है।

असम में फिर एक बार, NDA सरकार… 

असम में फिर एक बार, NDA सरकार…

असम में फिर एक बार, NDA सरकार… 

इसी आग्रह के साथ इतनी बड़ी तादाद में आप आशीर्वाद देने के लिए आए, मैं हृदय से आपका आभार व्यक्त करता हूं। मेरे साथ बोलिए.. 

भारत माता की.. 

भारत माता की..

भारत माता की…

बहुत-बहुत धन्यवाद

 

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!