भीम-आधार डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म में भारतीय अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता: पीएम मोदी
भीम-आधार प्लेटफार्म से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलेगा: प्रधानमंत्री मोदी
डिजि-धन अभियान भ्रष्टाचार के खतरे को दूर करने के उद्देश्य से शुरू किया गया ‘स्वच्छ अभियान’: पीएम मोदी
डॉ अंबेडकर में कटुता या बदले की भावना कभी नहीं रही। बाबासाहेब अंबेडकर की यही विशेषता थी: प्रधानमंत्री

धम: चक्र परावर्तने च कार्य, य: दीक्षा भूमिवर डॉक्‍टर बाबा साहेब अम्‍बेडर जी ने केला य: भूमिला माझे प्रणाम। काशी प्राचीन ज्ञान नागरिया है, नागपुर बनु सकता क्या?

आज एक साथ इतनी लम्‍बी बड़ी लिस्‍ट है सबके नाम बोल नहीं रहा हूं। काफी लोगों ने बोल दिए, आपको याद रह गए होंगे।

एक साथ इतने सारे प्रकल्‍प आज नागपुर की धरती से देश को समर्पित हो रहे हैं। और आज.. आज 14 अप्रैल डॉक्‍टर बाबा साहेब अम्‍बेडर की जन्‍म जयंती का प्रेरक अवसर है। यह मेरा सौभाग्‍य रहा कि आज प्रात: दीक्षाभूमि में जा करके उस पवित्र भूमि को नमन करने का अवसर मिला। एक नई ऊर्जा, नई प्रेरणा ले करके मैं आपके बीच आया हूं।

इस देश के दलित, पीडि़त शोषित, वंचित गांव, गरीब, किसान हर किसी के जीवन में आजाद भारत में उनके सपनों का क्‍या होगा? उनकी आशाओं, आकांक्षाओं का क्‍या होगा? क्‍या आजाद भारत में इन लोगों की भी कोई पूछ होगी कि नहीं होगी? इन सारे सवालों के जवाब भीम राव अम्‍बेडकर जी ने संविधान के माध्‍यम से देशवासियों को दिए थे, गारंटी के रूप में दिए थे। और उसी का परिणाम है कि संवैधानिक व्‍यवस्‍थाओं के कारण आज देश के हर तबके के व्‍यक्ति को कुछ करने के लिए अवसर सुलभ है और वही अवसर उसके सपनों को साकार करने के लिए उमंग और उत्‍साह के साथ जी और जान से जोड़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

व्‍यक्तिगत रूप से मैंने जीवन में.. मैं हमेशा अनुभव करता हूं कि आभाव के बीच में पैदा हो करके भी किसी भी प्रकार के प्रभाव से प्रभावित हुए बिना अभावों के रहते हुए भी प्रभावी ढंग से जीवन के यात्रा को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया जा सकता है और वो प्रेरणा बाबा अम्‍बेडर राव से मिलती है। आभाव का रोना नहीं रोना और प्रभाव से विचलित नहीं होना, यह संतुलित जीवन दबे-कुचले हर किसी के लिए एक ताकत बन जाती है और वो ताकत देने का काम बाबा साहेब अम्‍बेडरक ने अपने जीवन से दिया है। कभी-कभार व्‍यक्ति के जीवन में अविरत रूप से जब कटु अनुभव रोज की जिंदगी का हिस्‍सा बन जाता है, अपमानित होना है, प्रताडि़त होना है, तिरस्‍कृत होना। अगर इंसान छोटे मन का हो तो ये चीजें घर में, मन-मंदिर में, मन-मस्तिष्‍क में किस प्रकार से कटुता के रूप में भर जाती है। और मौका मिले तो कभी लगता है अरे इसको दिखाऊंगा मैं। यह मेरे साथ हुआ था, बचपन में मेरे साथ यह हुआ था, स्‍कूल गया तो यह हुआ था, नौकरी करने गया तो यह हुआ था। क्‍या कुछ मन में नहीं था, लेकिन ये भीमराव अम्‍बेडकर थे, इतनी बुराइयों से सामना करना पड़ा। इतनी प्रताड़ना झेलनी पड़ी, लेकिन खुद के जीवन में जब मौका आया रत्‍तीभर इस कटुता को बाहर आने नहीं दिया। बदले का भाव अंश भर भी न संविधान में कभी प्रकट हुआ, न कभी उनकी वाणी में प्रकट हुआ, न उनके कभी अधिकार क्षेत्र में प्रकट हुआ। व्‍यक्ति की ऊंचाई ऐसे समय कसौटी कसने पर पता चलता है, कैसा महानतम व्‍यक्तित्‍व होगा। हम शिवजी को जब उनकी महानता की चर्चा सुनते हैं तो कहते है जहर पी लिया था। बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने जीवन में हर पल जहर पीते-पीते भी हम लोगों के लिए अमृत वर्षा की थी। और इसलिए उस महापुरूष की जन्‍म जयंती पर और वो भी जिस धरती पर उनका नव जन्‍म हुआ उस दीक्षा भूमि पर प्रणाम करते हुए देश के चरणों में एक नई व्‍यवस्‍था देने का आज प्रयास हम कर रहे हैं।

आज अनेक योजनाओं का प्रारंभ हो रहा है, नये भवनों का प्रारंभ हो रहा है। करीब दो हजार मेगावाट बिजली के कारखानों का लोकार्पण हुआ। ऊर्जा जीवन का अटूट अंग बन गई है। विकास का कोई भी सपना ऊर्जा के अभाव में संभव नहीं है। और 21वीं सदी में ऊर्जा एक प्रकार से हर नागरिक का हक बन गया है। लिखित हो या न हो, बन चुका है। देश को 21वीं सदी की प्रगति की ऊंचाईयों पर ले जाना है अगर भारत को आधुनिक भारत के रूप में देखना है, तो ऊर्जा उसकी पहली आवश्‍यकता है। और एक तरफ पर्यावरण की चिंता के कारण विश्‍व Thermal Power को चुनौती दे रहा है तो दूसरी तरफ विकसित देशों के लिए वही एक सहारा है। वैश्विक स्‍तर पर इतनी बड़े conflict के बीच में जब रास्‍ता निकालना है तब भारत ने भी बीड़ा उठाया है कि हम पूरे विश्‍व को परिवार मानने वाले लोग है, पूरे ब्रह्माण को अपना मानने वाले लोग हैं, हमारे द्वारा हम ऐसा कुछ नहीं होने देंगे, जो भावी पीढ़ी के लिए कोई संकट पैदा करे और इसलिए भारत ने 175 गीगावाट renewable energy का सपना देखा है। Solar Energy हो, Wind Energy हो, Hydro के projects हो और जब नितीन जी बड़े गर्व के साथ बता रहे थे कि नागपुर वासियों को जो गंदा पानी है, वो बिजली के उत्‍पादन में काम लाया जाता है, recycle किया जाता है। एक प्रकार से पर्यावरण के अनुकूल जो initiative है, मैं इसके लिए नागपुर को बधाई देता हूं। और देश के अन्‍य भागों में भी zero waste का concept धीरे-धीरे पनप रहा है।

आज यहां आवास निर्माण का भी एक बहुत बड़ा कार्यक्रम हाथ में लिया गया, उसका भी प्रारंभ हुआ है। 2022 आजादी के 75 साल हो गए। पल भर के लिए हम 75 साल की पहले की जिंदगी के जीने का प्रयास करके देखे। हम उस कल्‍पना में अगर पहुंचे 1930, 40, 50 के पहले का कालखंड जब देश के लिए लोग जान की बाजी लगा देते थे। हिंदुस्‍तान का तिरंगा फहराने के लिए फांसी के तख्‍ते पर चढ़ जाते थे। मां भारती को गुलामी की जंजीरों से मुक्‍त कराने के लिए जवानी जेल में खपा देते थे। मृत्‍यु का आलिंगन करते थे। हंसते-हंसते देश के लिए मर मिटने वालों की कतार कभी बंद नहीं हुई थी। इस देश के वीरों ने वो ताकत दिखा थी कि फांसी के फंदे कभी कम पड़ जाते थे, लेकिन मरने वाले देश के लिए शहादत देने वालों की संख्‍या कभी कम नहीं हुआ करती थी। अनगिनत बलिदानों का प्रणाम था कि भारत मां हमारी आजाद हुई है। लेकिन आजादी के दीवानों ने भी तो कुछ सपने देखे थे उन्‍होंने भी भारत कैसा हो, एक इरादा रखा था। उनको तो वो सौभाग्‍य मिला नहीं आजाद हिंदुस्‍तान में सांस लेने का। हमें सौभाग्‍य मिला नहीं उस आजादी के आंदोलन में अपनी जिंदगी खपाने का, लेकिन हमें मौका मिला है, देश के लिए मरने का मौका न मिला, देश के लिए जीने का मौका मिला है।

क्‍या 2022 जब आजादी के 75 साल हो रहे है। आज हम 2017 में खड़े हैं। पांच साल का समय हमारे पास हैं। सवा सौ करोड़ देशवासी अगर संकल्‍प करे कि जिन महापुरूषों ने आजादी के लिए जीवन लगा दिया, उनके सपनों का भारत बनाने के लिए मेरी तरफ से इतना योगदान होगा। मैं भी कुछ करके रहूंगा, और संकल्‍प करके रहूंगा और सही दिशा में करके रहूंगा, मैं नहीं मानता हूं कि 2022 आते-आते देश विश्‍व के सामने खड़े होने की ताकत के साथ खड़ा नहीं होगा, मुझे कोई आशंका नहीं है। और उसमें एक सपना है हमारा 2022 जब आजादी के 75 साल हो तब मेरे देश के गरीब से गरीब का अपना घर हो। इस देश का कोई गरीब ऐसा न हो, जिसको अपना रहने के लिए अपना घर न हो, अपनी छत न हो। और घर भी ऐसा हो, जिसमें बिजली हो, पानी हो, चूल्‍हा हो, गैस का चूल्‍हा हो, नजदीक में बच्‍चों के लिए स्‍कूल हो, बुजुर्गों के लिए नजदीक में अस्‍पताल हो ऐसा हिन्‍दुस्‍तान क्‍यों नहीं देख सकते। क्या सवा सौ देशवासी मिल करके हमारे देश के गरीब के आंसू नहीं पोंछ सकते? भीम राव अम्‍बेडकर जी ने जिन सपनों को ले करके संविधान में रचना की है, उन संविधान को जी करके दिखाने का अवसर आया है। हम 2022 के लिए संकल्‍प करे, कुछ कर-गुजरने का इरादा लेकर चल पड़े। मैं मानता हूं कि यह सपना पूरा होगा।

मैं महाराष्‍ट्र सरकार को बधाई देता हूं कि भारत सरकार की योजनाके साथ महाराष्‍ट्र भी कदम से कदम मिला करके आगे बढ़ रहा है। और बहुत बड़ी मात्रा में घर बनाने की दिशा में काम चल रहा है और उससे लोगों को रोजगार भी बहुत मिलने वाला है। गरीब को घर मिलेगा, लेकिन घर बनाने वालों को रोजगार भी मिलेगा। सीमेंट बनाने वालों को काम मिलेगा, लोहा बनाने वालों को काम मिलेगा, हर व्‍यक्ति को काम मिलेगा। एक प्रकार से रोजगार के सृजन की भी बड़ी संभावना है। और हिन्‍दुस्‍तान के हर कौने में अपने-अपने तरीके से घर बनाने का बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। आज उसका भी प्रारंभ करने का मुझे अवसर मिला है।

21वीं सदी ज्ञान की सदी है। और मानव इतिहास इस बात का गवाह है जब-जब मानवजात ज्ञान युग में रहा है, तब-तब हिंदुस्‍तान ने नेतृत्‍व किया है। 21वीं सदी ज्ञानका युग है। भारत को नेतृत्‍व देने का एक बहुत बड़ा अवसर है। आज यहां एक साथ IIIT, IIM, AIIMS एक से बढ़कर एक और यहां नये भवनों के निर्माण पर यह सारी institutions चलेगी। महाराष्‍ट्र के और देश के नौजवानों को अपना भाग्‍य बनाने के लिए, आधुनिक भातर बनाने के लिए अपनी योग्‍यता बढ़ाने की इन संस्‍थानों के द्वारा अवसर मिलेगा। मेरी युवा पीढ़ी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। यह आज जब मैं उनको, मेरी देश की युवा पीढ़ी को यह अर्पित कर रहा हूं, मेरी उन सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

आज...पिछले कुछ दिनों से डिजिटल इंडिया की दिशा में हम काम कर रहे हैं और बहुत व्‍यापक रूप से काम कर रहे हैं। उसका एक फलक है – डिजि-धन, और मेरा मत है वो दिन दूर नहीं होगा। गरीब से गरीब व्‍यक्ति कहने लगेगा डिजि-धन, निजि-धन। यह डिजि-धन, निजि-धन यह गरीब की आवाज बनने वाला है। मैंने देखा बड़े-बड़े विद्वान विरोध करने के लिए ऐसा विरोध कर रहे थे कि मोदी जी अब कह रहे हैं कि कैशलैस सोसायटी, फलाना-ढिंकाना। मैंने ऐसे-ऐसे भाषण सुने आपको फिर मुझे बड़ा व्‍यंग विनोद के लिए और कुछ करना नहीं पड़ा था। उनको याद कर लेता था तो मुझे बड़ा.. मैं हैरान था मतलब विद्वान लोग क्‍या बोल रहे हैं।

कम कैश घर में भी आपने देखा होगा धनी से धनी परिवार होगा, बेटा होस्‍टल में रहता होगा तो भी मां-बाप के बीच चर्चा होती है। एक साथ ज्‍यादा पैसा मत भेजो, कहीं बेटे की आदत बिगड़ जाये। धनी से धनी परिवार भी, गरीब से गरीब परिवार भी बेटा कहेगा मां मुझे आज पांच रुपया दो, तो बाप समझाता है नहीं-नहीं बेटा ऐसा कर दो रुपया ले जाओ। कम कैश जीवन में भी महत्‍व रखती है, यह हम परिवार में अनुभव करते आए हैं। सुखी से सुखी परिवार भी बंडल के बंडल बेटों को नहीं देते, क्‍योंकि उनको मालूम है इससे क्‍या-क्‍या होता है। अच्‍छा कम होता है, बुरा ज्‍यादा होता है। जो व्‍यक्ति के जीवन में है वही समाज के जीवन में होता है, वहीं राष्‍ट्र के जीवन में होता है, वही अर्थव्‍यव्‍सथा के भी जीवन में होता है। यह सीधी-सीधी सरल समझ को हमने व्‍यवहार में लाना चाहिए। कम कैश, कम नगद इससे कारोबार चलाया जा सकता है और कोई एक जमाना था जब सोने की ही लगड़ी ही करेंसी रहती थी। सोने की गिनी हुआ करती थी, बदलते-बदलते कभी चमड़े का भी आया, कागज़ का भी आया, न जाने कितने बदलाव आए। और हर युग ने हर बदलाव को स्‍वीकार किया है। हो सकता है उस समय भी कुछ लोग रह होंगे, जो कुछ कहते होंगे शायद उस समय अखबार नहीं होंगे, इसलिए छपता नहीं होगा, लेकिन कुछ कहते तो होंगे ही होंगे उस समय भी। विवाद भी रह होंगे, लेकिन बदलाव भी हुए होंगे। अब वक्‍त बदला है। आपके पास alternate व्‍यवस्‍थाएं available, सुरक्षित व्‍यवस्‍थाएं available हैं और उसमें से BHIM App. और मैं मानता हूं भारत के संविधान में सामान्‍य मानव को हक देने का काम जिस तरीके से भीमराव अम्‍बेडकर ने किया है, उसी तरीके से BHIM App अर्थव्‍यवस्‍था के महारथी के रूप में काम करने वाली है। यह मेरे शब्‍द लिख करके रखिए। कोई रोक नहीं पाएगा, यह होकर रहने वाला है।

आप हैरान होंगे हिन्‍दुस्‍तान जैसे देश में करेंसी छापना, छाप करके पहुंचाना, सुरक्षित पहुंचाना अरबो-खरबों रुपया का खर्च होता है। अगर इन व्‍यवस्‍थाओं से पैसे बच जाए, तो कितने गरीबों के घर बन जाए दोस्‍तो। कितनी बड़ी देश सेवा हो जाए। और यह सब संभव है इसलिए करना है, न होता तो नहीं करना है। वो भी गुजारा करते थे, पहले वो व्‍यवस्‍था थी, जरूरी थी, करते थे। अगर कम कैश की दिशा में हम तय करे आप देखिए बदलाव संभव है। मैं तो हैरान हूं एक-एक एटीएम की रक्षा के लिए पांच-पांच पुलिस वाले लगे रहते हैं। एक इंसान को सुरक्षा के लिए पुलिस देने में दिक्‍कत होती है, एटीएम के लिए खड़ा रहना पड़ता है। अगर कम कैश का कारोबार हो जाए, आपका मोबाइल फोन ही आपका एटीएम बन जाए। और वक्‍त दूर नहीं है जब premises-less and paper-less banking जीवन का हिस्‍सा बनने वाला है। जब premises-less and paper-less banking जीवन का हिस्‍सा बनने वाला है इसका मतलब हुआ कि आपका मोबाइल फोन यह सिर्फ आपका बटुआ नहीं, आपका मोबाइल फोन आपका अपना बैंक बन जाएगा। Technology का revolution आर्थिक जीवन का हिस्‍सा बन रहा है। और इसलिए 25 दिसंबर को जब यह डिजिधन योजना को लॉन्‍च किया गया था। जिस दिन लॉन्‍च किया था क्रिसमस की शुरूआत थी। Happy Christmas के साथ शुरू किया था। सौ दिन तक सौ शहरों में चला। और आज उसकी पुर्नाणावति एक प्रकार से इधर 14 अप्रैल बाबा अम्‍बेडकर साहेब की जन्म जयंती, BHIM App का सीधा संबंध और दूसरी तरफ गुड फ्राइडे का दिन। Christmas के दिन प्रारंभ किया था, हंसी-खुशी के साथ शुरू किया था। यात्रा करते-करते अब तक चल पड़े।

आज तभी लोगों को लगता था कि जिसके पास मोबाइल फोन नहीं है, क्‍या करेंगे। मैंने Parliament में बहुत भाषण पढ़े, interesting भाषण हैं सब। देश के पास स्‍मार्ट फोन नहीं हैं, ढिंगना नहीं है, फलाना नहीं है। हमने उनको समझाया भई 800-1000 रुपया वाले फीचर वाले फोन से भी गाड़ी चलती है, लेकिन जिसको समझना नहीं उसको कैसे समझाए! लेकिन अब तो आपको मोबाइल फोन की आवश्‍यकता नहीं है, अब आप यह नहीं पूछोगे कि भई क्‍या करेंगे। आपके पास अंगूठा तो है न। एक जमाना था अनपढ़ होने की निशानी हुआ करती थी। युग कैसे बदल गया है, वही अंगूठा आपकी शक्ति का केंद्र बिंदू बनता जा रहा है। यहां सारे नौजवान दिन में दो-दो घंटे अंगूठे पर लगे रहते होंगे। मोबाइल फोन ले करके मैसेज लिखते होंगे। टेक्‍नोलॉजी ने अंगूठे को ताकतवर बना दिया है। और इसलिए BHIM-AADHAR भारत गर्व कर सकता है। दुनिया के टेक्‍नोलॉजी के लिए advance देश के पास भी यह व्‍यवस्‍था नहीं है, जो हिंदुस्‍तान के पास है।

अब जो लोग BHIM App पर विवाद करने के बाद भी लोग स्‍वीकार करते गए, तो वो आधार पर विवाद करने में लगे हुए हैं। वो उनको काम करते रहेंगे। आपके पास मोबाइल फोन हो या न हो, आपका अगर आधार नंबर है। आप स्‍वयं किसी दुकानदार के यहां गए हैं और उसके पास छोटा सा instrument होगा। बड़ा PoS मशीन की भी जरूरत नहीं होगा, छोटा सा एक होगा दो इचं बाय दो इंच का, वो आपका अंगूठा वहां लगवा देगा और उससे अगर आपका पहले से ही बैंक के साथ आपका आधार नंबर जुड़ा हुआ है। अगर आपने दस रुपया का माल लिया है, दस रुपया आपका automatic कट हो जाएगा। एक रुपया साथ में ले जाने की जरूरत नहीं। कहीं आपका कारोबार रूकेगा नहीं, कितनी उत्‍तम व्‍यवस्‍था की दिशा में हम जा रहे हैं। और इसलिए जो आज भीम आधार एक ऐसा version.. और आप देखना जी वो दिन दूर नहीं होगा दुनिया की बड़ी-बड़ी युनिवर्सिटी इस BHIM-AADHAR का case study करने के लिए भारत -- आएगी। सारे नौजवान study करेंगे। दुनिया में आर्थिक बदलाव क्‍या हो सकता है इसका यह आधार बनने वाला है। यह reference बनने वाला है।

और मैं कल ही हमारे रविशंकर जी को कहता था कि भारत सरकार ने इसका patent करवाया कि नहीं करवाया, क्योंकि यह होने वाला है, दुनिया इस विषय को अपना विषय बनाने के लिए.. मुझे अभी अफ्रीकन देशों के जितने मुखिया लोग मिले, उन्‍होंने मेरे से इसकी जिज्ञासा भी की और यह भी चाहा था कि हमारे देश के लिए आप कर सकते हैं क्‍या? धीरे-धीरे इसका वैश्विक विस्‍तार का कारण भी बन सकता है और भारत एक बहुत बड़े Catalytic Agent के रूप में काम कर सकता है।

इस डिजिधन योजना के तहत हिन्‍दुस्‍तान के सौ अलग-अलग शहरों में कार्यक्रम किए गए। लाखों लोगों ने बढ़-चढ़ करके हिस्‍सा लिया। टेक्‍नोलॉजी को समझने का प्रयास किया, स्‍वीकार करने का प्रयास किया। और बहुत बड़ी मात्रा में लोगों को ईनाम मिले और आज जिन लोगों को ईनाम मिला उनमें से एक सज्जन चेन्‍नई के उन्‍होंने तो घोषणा कर दी कि मुझे जो ईनाम मिला है, वो मैं गंगा सफाई के लिए समर्पित कर देता हूं। मैं उनका अभिनंदन करता हूं। और वैसे भी यह डिजिधन सफाई अभियान ही है। भ्रष्‍टाचार, कालेधन के खिलाफ लड़ाई का एक बहुत बड़ा माजा रखता है।

और मैं देशवासियों को कहना चाहता हूं कम cash विचार आपको पसंद आए या न आए। cash-less society का सपना आपको अच्‍छा लगे या न लगे। नोटो के बिना जिंदगी कैसे गुजरेगी आपके मन में सवाल या निशान हो या न हो, लेकिन इस देश में कोई ऐसा इंसान नहीं होगा, जिसके दिल, दिमाग में भ्रष्‍टाचार के प्रति गुस्‍सा न हो। देने वाला भी गुस्‍सा करता होगा, और कभी लेने वाला भी रात को जा करके सोचता होगा कि यार अभी मोदी आया है कहीं फंस जाऊंगा तो क्‍या होगा? बहुत बुरा हआ है, लेकिन आगे बुराई से बचने के लिए एक उत्‍तम साधन है। जो भी BHIM-AADHAR के सहारे मदद करेंगे मेरी, वो एक प्रकार से भ्रष्‍टाचार और कालेधन की लड़ाई लड़ने के सिपाही हैं मेरे लिए। यह बहुत बड़ी ताकत है मेरे लिए। और इसलिए मैं इसे निमं‍त्रण देता हूं मेरे नौजवानों! और इसमें दो नई चीजें जोड़ी है इस बार। और तो योजना यह है कि वो 14 अक्‍तूबर तक हम चलाएंगे। आज 14 अप्रैल है। 14 अक्‍तूबर इसलिए 14 अक्‍तूबर को बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने दीक्षा ली थी। बाबा साहेब अम्‍बेडकर का दीक्षा का वो पवित्र अवसर था, 14 अक्‍तूबर। और इसलिए आज 14 अप्रैल से 14 अक्‍तूबर तक एक विशेष योजना है। आज देखा होगा आपने अच्‍छे परिवार के नौजवान भी उनके दिमाग में भी है कि हम vacation में कुछ न कुछ काम करे और खुद कमाई करे। धनी परिवार के बच्‍चे भी अपनी पहचान छुपा करके ऐसी जगह पर जाते हैं और ऐसे काम करते हैं खुद को trained करना चाहते हैं। जिस सर्कल में वो पैदा हुए हैं वहां वो मौका नहीं बनता है। वो होटल में जाते हैं, बर्तन साफ करते हैं, चाय परोसते हैं इस प्रकार से काम करतेहैं। कई पेट्रोल पम्‍प पर जा करके काम करते हैं। एक गर्व से जीने का.. आज नई पीढ़ी के दिमाग में यह चीजें आ रही है।

पहले हम सुनते थे विदेश में नौजवान सब रात को जा करके दो-दो तीन-तीन घंटे ऐसी मेहनत काम करते हैं टैक्‍सी चलाते हैं, ढिंकाना करते हैं, फलाना करते हैं। कुछ कमाई करते हैं और फिर पढ़ते रहते हैं। आज हिंदुस्‍तान में यह चीज आई नहीं है, ऐसा नहीं है। हमारा ध्‍यान नहीं है। इस BHIM-AADHAR के तहत मैं इस vacation में मैं मेरे देश के नौजवानों को निमंत्रित करता हूं। इसमें एक योजना है referral यानी अगर आप किसी को भीम एप के संबंध में समझाएंगे। किसी merchant को समझाएंगे, किसी नागरिक को समझाएंगे, उसके मोबाइल फोन पर भीम एप download करवाएंगे। और आपकी प्रेरणा से वो तीन transaction करेगा, कभी पचास रुपयेकी चीज़ खरीदेगा, कभी 30 रुपये की, कभी 100 रुपये की खरीदेगा। यह आपके द्वारा अगर हुआ है तो एक अगर आपने व्‍यक्ति को इसमें जोड़ा तो सरकार की तरफ से आपके खाते में 10 रुपया जमा हो जाएगा। अगर एक दिन में आप 20 लोगों को भी यह कर लें, तो शाम को आपकी जेब में 200 रुपया खाते में आएंगे। अगर vacation के तीन महीने तय कर लें कि 200 रुपया कमाना है, बताइये मेरे नौजवान साथियों यह कोई मुश्किल काम है क्‍या आपके लिए? सामने से कुछ लेना-देना नहीं उसको सिर्फ सिखाना है, समझाना है और जो व्‍यापारी अपने दुकान पर BHIM-App को लागू करेगा कारोबार उससे शुरू करेगा, तो उसको जो उसकी minimum जो रैंक है उसको करेगा, तो उसको 25 रुपया मिलेगा। उसके खाते में 25 रुपये जमा हो जाएंगे। यानी जिसको आपको समझाना है उसको समझा सकते हैं। लेकिन मुझे तो 10 मिल रहा है, लेकिन तेरे को 25 मिलने वाला है। और यह योजना 14 अक्‍तूबर तक चलेगी बाबा साहेब अम्‍बेडकर का दीक्षा प्राप्‍त करने वाला दिवस था। छह महीने हमारे पास है। हर नौजवान इस vacation में 10 हजार, 15 हजार आराम से कमा सकता है। और आप भ्रष्‍टाचार के खिलाफ की लड़ाई जीतने के लिए मेरे सबसे बड़े मददगार बन जाएंगे, इसलिए मैं आपको निमंत्रण देता हूं कि इस योजना में उसकी बारीकी जो लिखित होगी वो ही फाइनल मैं समझाने के लिए थोड़ा plus-minus बोल रहा हूं। लेकिन जब आप लिखिल पढ़ेंगे तो पक्‍की योजना आपको समझ आ जाएगी। और मैं चाहता हूं, मैं देश के नौजवानों को चाहता हूं कि अब exam हो गई है, मोबाइल फोन उठाइये, इस व्‍यवस्‍था को समझिए और per day 20 लोग, 25 लोग, 30 लोग लग जाइये। आप शाम को 200-300 रुपये कमा करके घर चले जाएंगे और पूरे vacation में आप करेंगे अगली साल की आपका खर्चा पढ़ाई का pocket खर्चा अपने निकल जाएगा। कभी गरीब मां-बाप के पास से एक रुपया मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह revolution लाने का प्रयास है। 

आज यहां 75 township कम कैश वाली उसका लोकार्पण हुआ। इसका मतलब यह हुआ कि जहां पर township में लोग रहते हैं, अलग-अलग fertilizer कंपनियों की township है, कहीं रेलवे वालों की township है, कहीं फौज वालों की township है ऐसी 75 ने पूरी तरह अपने आप को कम कैश वाला किया है। तो जब मैंने इसकी पहली एक township कम कैश वाली बनी तो मैं उसका presentation ले रहा था। मैंने कहा सब्‍जी वाले का क्‍या interest है, वो क्‍यों यह कारोबार में आया। उसने बड़ा interesting जवाब दिया सब्‍जी वाले ने, उसने कहा पहले यह जो township में यह जो बैचने के लिए मैं फुटपाथ पर बैठता हूं, सब्‍जी बैचता हूं, तो जो महिलाएं सब्‍जी खरीदने आती हैं अगर बिल बन गया 25 रुपया 80 पैसा तो कहती है कि चलो 25 रुपये ले लो, काम चल जाएगा, वो 80 पैसे नहीं देती। कितनी भी अमीर परिवार की महिला हो, बड़े से बड़े बाबू की पत्‍नी हो। वो 80 पैसा नहीं देती थी। ले लो 25 रुपया, चलो ठीक है, छुट्टा छोड़ दो। बोले इसके कारण क्‍या हुआ है मुझे पूरा 25 रुपया 80 पैसा मिलता है। और बोला शाम को जो मेरा 15-20 रुपया कम पड़ जाता था अब मेरा 15-20 रुपया मेरी extra income ऐसे ही हो गई। अब देखिए कितना फायदा एक गरीब आदमी ने अपने में से ढूंढ लिया। लेकिन यह 75 township एक अच्‍छी शुरूआत है। यह हम लोगों की कोशिश रहनी चाहिए कि हम कम कैश की ओर देश को ले चले, हम इसमें योगदान दे और यह जो revolution हो रहा है। उसके हम स्‍वयं एक सिपाही बने। उस बात को हम आगे बढ़ाएं।

मुझे विश्‍वास है कि आज जिन लोगों को ईनाम मिला है और इतने कार्यकाल में करीब ढाई सौ करोड़ रुपये से ज्‍यादा ईनाम मिले हैं। वे ईनाम प्राप्‍त कर करके संतोष न माने। हजारों की तादाद में नागरिकों को ईनाम मिला है वे भी इसके एम्‍बेसेडर बने, वे भी इस काम को आगे बढ़ाए। यह देश में परिवर्तन लाने का नागरिकों की मदद से होने वाला एक बहुत बड़ा सफल अभियान है। मैं रविशंकर जी और उनके विभाग की पूरी टीम को नीति आयोग को बड़ी बधाई देता हूं कि full-proof technology के लिए उन्‍होंने भरसक कोशिश की। दुनिया में जितने प्रकार की technology में innovation हुए हैं इन सारी चीजों को स्‍टडी किया है और उसमें से उत्‍तम से उत्‍तम क्‍या हो सकता है। भारत के सामान्‍य मानव को गरीब से गरीब व्‍यक्ति भी इसको अपने कारोबार से चला सके। इतना user friendly विश्‍वस्‍त यह व्‍यवस्‍था विकसित हुई है। मैं फिर एक बार विभाग के सभी साथियों को बधाई देता हूं। मैं महाराष्‍ट्र सरकार का अभिनंदन करता हूं कि इस कार्यक्रम की रचना के लिए नागपुर को उन्‍होंने जजमान के रूप में उत्‍तम सेवा की। बहुत बड़ी मात्रा में आप सब से मुझे मिलने का अवसर मिला। आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.