ये हिन्दुत्व के ज्ञानी से मैं पूछना चाहता हूं – जब सरदार पटेल जी ने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया था तब देश के पहले प्रधानमंत्री ने सोमनाथ मंदिर के संबंध में क्या रूख अपनाया था ये पूरा देश जानता है: प्रधानमंत्री मोदी
कांग्रेस एक झूठ की यूनिवर्सिटी बन गई है: पीएम मोदी
कांग्रेस के लोग मान के चलते हैं कि राजनीति में कुछ करने की जरूरत नहीं है, विकास तो बेकार की बाते हैं: प्रधानमंत्री

ये धरती संत सुखराम दास जी की धरती है। संत सुखराम दास जी की इस धरती को प्रणाम करने का मुझे फिर से एक बार सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मां चामुंडा जहां विराजमान हैं, जो मांडव ऋषि की तपोस्थली है, राव जोधा महाराणा प्रताप को प्रेरित करने वाले राव चंद्रसेन जी, दुर्गादास राठौर और अमर सिहं राठौर के शौर्य की गाथा जहां के कण-कण में है। जहां प्रकृति और पर्यावरण के लिए जीने मरने वाला एक जीवंत समाज बसता है। जिस मारवाड़ ने देश और दुनिया को व्यापार और कारोबार की सफलता का मंत्र दिया ऐसी नीली नगरी जोधपुर को, पूरे मारवाड़ के जन-जन को मैं फिर एक बार नमन करता हूं।

दो दिन पहले ही मेजर शैतान सिंह का जन्मदिवस था, मैं उनके शौर्य को राजस्थान के शूरवीरों को नमन करता हूं। जोधपुर की भुजाओं में शौर्य है तो जुबान पर उतना ही मीठापन और अपनापन है। जोधपुर की मिठाइयों के साथ ही यहां की बोली भी उतनी ही मीठी है। प्याज की कचौरी और मिर्ची बड़े, उसका स्वाद देश-विदेशों में हर किसी की जुबां पर सुनने को मिलता है। यहां के लोगों की बोली की मिठास के कारण कोई नाराज हो ही नहीं सकता। मेहमाननवाजी और मनुहार सीखनी है तो फिर जोधपुर से ही सीखना होता है। मुझे कभी राजस्थान में संगठन का काम करने का अवसर मिला, तो जब जोधपुर के कार्यकर्ताओं से मिलता था, तो जोधपुर की मीठी बोली की बात सुनाते थे। वो कहते थे की सास घर के बाहर ऐसे ही कुछ काम कर रही थी और बहू दौड़ती-दौड़ती बाहर आई और कहने लगी कि सासू जी-सासू जी चूल्हो जी में बिच्छू जी बैठो जी। जिस धरती में बिच्छू को भी बिच्छू जी बोलते हैं, इतना मीठापन इतना प्यार।

भाइयो बहनो ये मारवाड़, ये जोधपुर अनेक वर्षों से भारतीय जनता पार्टी का अजेय किला रहा हुआ है। और वो आपके आशीर्वाद से है। ये आपकी ताकत के कारण है। और मैंने हर बार अनुभव किया है कि हमारे विरोधी जब यहां आते हैं, इतना कीचड़ उछालते हैं, इतना कीचड़ उछालते हैं, लेकिन उन्हें पता नहीं है, ये कांग्रेस वालों को पता नहीं है कि आप जितना कीचड़ उछालोगे उतना ही कमल ज्यादा खिलने वाला है। और ये झूठ फैलाने में तो कांग्रेस एक ऐसी यूनिवर्सिटी बन गई है, एक ऐसा विद्यालय बन गया है, जहां प्रवेश करते ही झूठ की पीएचडी का अध्य्यन शुरू हो जाता है। और जो ज्यादा मार्क लेकर के झूठ बोलने में पारंगत हो जाता है, उसको नए-नए पद और पदवी दिए जाते हैं।

भाइयो बहनो, आए दिन झूठ बोलना, जहां मौका मिले झूठ बोलना, बिना सिर-पैर के झूठ बोलना, जादूगर की तरह हवा में से झूठ निकालना। भाइयो बहनो, ये चुनाव अगर कांग्रेस के लोग इस फिराक में होंगे कि झूठ बोलकर के उनकी गाड़ी चल देगी। तो मैं विश्वास से कहता हूं कि इनके सपने हिंदुस्तान के हर राज्य में चूर-चूर हो गए हैं, यहां पर भी वही हाल होने वाला है। ये कांग्रेस के लोग ये मानकर के चलते हैं कि राजनीति में कुछ करने की जरूरत नहीं है। अरे विकास-विकास सब बेकार की बातें हैं। कांग्रेस के एक नेता तो कहते हैं, ये विकास छोड़ो भाई, जातियों के समीकरण बैठा दो और वोट के ठेकेदारों को अपना कर लो, गाड़ी निकल जाएगी। क्या देश ऐसे चलने देना है क्या....। ऐसे लोगों के हाथ में राजस्थान सुपुर्द करना है क्या...। ये ऐसा झूठ चलाते हैं कि उन्हें कुछ करना ही न पड़े। दिल्ली से जितने पत्रकार आते हैं और यहां का चुनाव एनालिसिस करते है, कांग्रेस के नेताओं से पूछते हैं। जब दिल्ली वापस आते हैं तो हम उनको पूछते हैं कि भाई बताओ क्या खबर लेकर आए हो। तो क्या खबर लाते हैं...बोले कांग्रेस वाले तो मौज में हैं। मैंने कहा किस मौज में हैं। बोले वो तो कहते हैं कि भाई राजस्थान की जनता ने तय करके रखा है कि एक बार कांग्रेस एक बार बीजेपी, एक बार कांग्रेस एक बार बीजेपी। और इसलिए इस बार हमारी बारी है और हमें कुछ करने की जरूरत ही नहीं। भाइयो बहनो, ये दिल्ली के मीडिया के दिमाग में ऐसा झूठ भर दिया है, जब मैं उनको याद कराता हूं कि इसी धरती ने भैरोंसिंह शेखावत जी को दो-दो बार सरकार बनाने का मौका दिया था। और इस बार भी राजस्थान की धरती ये कांग्रेस के झूठ को, ये कांग्रेस के मूर्खतापूर्ण तर्क को किसी भी हालत में राजस्थान स्वीकार करने वाला नहीं है। यदि राजस्थान कांग्रेस ये मानकर चलती है कि पांच साल के लिए लोग राजस्थान को गिरवी रख देंगे, अरे वो जमाना चला गया।

भाइयो बहनो, आजकल आप मुझे बताइए चुनाव में आखिरकार सरकार क्यों बनती है। आखिरकार हम चुनाव में वोट करते हैं, सरकार बनाते हैं, क्यों बनाते हैं। हमारी समस्याओं का समाधान हो इसीलिए सरकार बनाते हैं न, कुछ अच्छे काम हों इसीलिए सरकार बनाते हैं न। जहां रोड नहीं है, वहां रोड बने इसके लिए सरकार बनाते हैं कि नहीं बनाते हैं....। जहां बिजली नहीं है वहां बिजली पहुंचे इसके लिए सरकार बनाते हैं कि नहीं बनाते हैं....। जहां बच्चों को शिक्षा अच्छी न हो, वहां बच्चों को शिक्षा अच्छी हो इसके लिए सरकार बनाते हैं कि नहीं बनाते हैं....। इसका मतलब हुआ कि चुनाव में ऐसे विकास के मुद्दों की चर्चा होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए....। मैं आप सबसे पूछना चाहता हूं कि विकास के मुद्दों पर चर्चा होना चाहिए कि नहीं होनी चाहिए....। आपने कांग्रेस के इतने नेताओं के भाषण सुने, वे राजस्थान के विकास के संबंध में एक भी भाषण करते हैं क्या...। एक भी बात करते हैं क्या...। बात क्या करते हैं, अभी तो उन्होंने एक नई बात कह दी और ये तो नामदार हैं भाई, उनको तो सबकुछ कहने का हक होता है और हम कामदार हैं हमें तो सुनना ही पड़ेगा जी। ये नामदार को तो सबकुछ बोलने का हक है। इन दिनों उन्होंने अभी चुनाव में बताइए...कह रहे हैं कि मोदी को हिंदू का कोई ज्ञान ही नहीं है। अरे भाई मोदी को ज्ञान है या नहीं है, क्या राजस्थान में इसके मुद्दे पर वोट डालना है क्या...। राजस्थान को बिजली, सड़क, पानी के लिए वोट चाहिए कि मोदी को हिंदू का ज्ञान है कि नहीं है, उस पर वोट चाहिए। वो इसकी बात कर रहे हैं, मैं तो समझ नहीं पा रहा हूं भाई। हां मैं ये बात जरूर कहूंगा, हजारों साल पुरानी ये संस्कृति है, ये परंपरा है। ऋषियों, मुनियों की तपस्या से निकला हुआ ये ज्ञान का भंडार है। हर युग में, हर कसौटी से खरा उतरा हुआ ये हिंदुत्व एक विपुल विरासत है। और ये हिंदुत्व, ये हिंदू का ज्ञान इतना अगाध है, इतना अगाध है, इतना विशाल, इतना चिर पुरातन है, इतना चिरंजीव है, ये इतना हिमालय से भी ऊंचा है, समंदर से भी गहरा है। ऋषि, मुनियों ने भी कभी दावा नहीं किया उन्हें हिंदू और हिंदुत्व का पूरा ज्ञान है। किसी ने नहीं किया, ये इतना विशाल है कि कोटि-कोटि जन्मों के बावजूद भी इस पूरे ज्ञान को समेटना इंसान के बस की बात नहीं है। ये तो एक छोटा कामदार है। मोदी एक ऐसा कामदार है, मैं इस अगाध ज्ञान का भंडार मेरे पास है, ऐसा दावा कभी नहीं कर सकता हूं। नामदार कर सकते हैं, जो दावा ऋषि-मुनि नहीं करते थे वो नामदार कर सकते हैं। उनका ये ज्ञान उनको मुबारक और देश को भी मुबारक ताकि आपका मन हल्का-फुल्का रहता है जरा, मनोरंजन मिल जाता है।

भाइयो बहनो, कुछ दिन पहले उनके एक नेता ने सनातन धर्म पर ही सवाल उठा दिए और ये लोग कैसे हैं, जो कहते हैं कि उन्हें हिंदुत्व का अगाध ज्ञान है। अरे हिंदुत्व के कई पहलू हैं, एक पहलू ये भी है- जाति पाति पूछे न कोई, हरि को भजे सो हरि का होई। ये हिंदुत्व की एक छोटी सी परिभाषा, गांव का आदमी भी बता देता है। लेकिन, जिस हिंदुत्व के ज्ञान के आप ठेकेदार हो, आप पूछ रहे हो मोदी की जाति कौन सी है। ये कहां से हिंदुत्व सीख कर आए हो भाई, ये कहां से हिंदुत्व का ज्ञान लाए हो। भाइयो बहनो, जो लोग हमें हिंदुत्व की बात करते हैं, मैं जरा उनसे पूछना चाहता हूं और कांग्रेस को अच्छा लगे, बुरा लगे एक परिवार ने चार पीढ़ी तक राज किया है और एक परिवार को हजारों साल तक ये चार पीढ़ी के कारनामों का जवाब देना ही पड़ेगा। बच नहीं सकते वो, ये लोकतंत्र में हिंदुस्तान का हक है कि जिन चार पीढ़ियों ने देश पर शासन किया है, उन चारों पीढ़ियों को जवाब देना पड़ेगा। ये हिंदुत्व के ज्ञानी, जरा मैं उनको पूछना चाहता हूं, देश आजाद हुआ गुलामी के कालखंड में आक्रांताओं ने सोमनाथ के मंदिर को लूटा था, बार-बार ध्वस्त किया था। देश आजाद होने के बाद गुलामी की इस निशानी को खत्म करने के लिए इस देश के सपूत सरदार वल्लभभाई पटेल ने सोमनाथ की धऱती पर जाकर के समुंदर का जल अपने हाथ में लेकर के प्रतिज्ञा की थी कि गुलामी की इस निशानी को नष्ट करूंगा और फिर से सोमनाथ के इस मंदिर का पुनरुद्धार करूंगा। मैं ये हिंदुत्व के ज्ञानी को पूछना चाहता हूं कि जब सरदार वल्लभभाई पटेल ने सोमनाथ के मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया था, तब देश के पहले प्रधानमंत्री और आपके ही परिवार की पुरानी पीढ़ी के महारथी, उन्होंने सोमनाथ के मंदिर के संबंध में क्या रुख अपनाया था वो क्या हिंदुस्तान नहीं जानता है क्या। आप हमें हिंदू सिखाने आए हो। अरे इतना ही नहीं आज हिंदुस्तान गर्व के साथ भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र बाबू का जन्मदिन मना रहा है। उनके जन्मदिन पर मैं भी उनको नमन करता हूं, आदरपूर्वक अंजलि देता हूं और उनके महान कार्य हमें निरंतर अच्छा कार्य करने की प्रेरणा देते रहें, इस संकल्प को मैं फिर एक बार दोहराता हूं। लेकिन मैं पूछना चाहता हूं ये ज्ञानी नामदार, हिंदुत्व का इतना अगाध ज्ञान आपके पास है, जरा ये तो बताइए, जब सोमनाथ का पुनर्निर्माण हो गया, सरदार साहब ने अपने बलबूते पर कर लिया, उस समय के प्रधानमंत्री का विरोध होने के बावजूद भी कर दिया। लेकिन जब राजेंद्र बाबू उसकी प्राण प्रतिष्ठा के लिए जा रहे थे, तब जिस हिंदुत्व के ज्ञान की चर्चा कर रहे हो आप ही के परिवार के उस समय के प्रधानमंत्री ने डॉ. राजेंद्र बाबू का गुजरात सोमनाथ जाने का घोर विरोध किया था। वो कौन सा हिंदुत्व था आपका, वो कौन सा हिंदुत्व का ज्ञान था आपका। मोदी ने तो कभी दावा नहीं किया है, हम तो एक ऐसे सामान्य परिवार से आए हैं। हम किसी ज्ञान का दावा कभी कर नहीं सकते, लेकिन हम इस बात का दावा कर सकते हैं कि सवा सौ करोड़ देशवासी ज्ञान का भंडार हैं और वो ही मेरा रिमोट कंट्रोल है, वो ही मुझे चलाता है, इसलिए में सही रास्ते पर चलता हूं।

भाइयो बहनो, ये हिंदुत्व की ध्वजा पताका लेकर के आजकर घूम रहे हैं, जरा ये तो बताइए जब दिल्ली में आपकी सरकार थी, मैडम रिमोट कंट्रोल से, आपकी माता जी दिल्ली की सरकार जब चलाती थीं, नामदार महोदय, तब कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लिखित में कहा है कि भगवान राम का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। आप सहमत हैं इससे....। आप सहमत हैं....। उन्होंने कहा कि ये काल्पनिक पात्र है। भाइयो बहनो, अब ये मुझे पूछ रहे हैं कि मोदी को हिंदू का ज्ञान है कि नहीं है। इस प्रकार की बातें करने वालों पर क्या आप भरोसा कर सकते हैं क्या...। आप भरोसा कर सकते हैं क्या....।

भाइयो बहनो, आपने देखा होगा कि पिछले दिनों पर्यावरण को लेकर के हमारे देश को यूनाइटेड नेशन्स ने एक बहुत बड़ा सम्मान दिया- चैंपियन ऑफ अर्थ। मालूम है न। लोग कहते हैं कि देखिए मोदी जी आपका सम्मान हो गया। मुझे लगता है कि दुनिया को पता नहीं है कि मेरी इस राजस्थान की धरती पर ये विश्नोई समाज जब दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग का ‘ग’ मालूम नहीं था। जब दुनिया को पर्यावरण क्या होता है उसका ‘प’ मालूम नहीं था। सदियों से हमारे विश्नोई समाज के लोगों ने पर्यावरण की रक्षा के लिए बलिदान दिए। आज भारत को चैंपियन ऑफ दि अर्थ का जो सम्मान मिला है, उसके मूल में पर्यावरण की रक्षा के लिए बलिदान देने की महान परंपरा वाले विश्नोई समाज जैसे देश के कोने-कोने में लोग हैं, जिसके कारण ये संभव हुआ है। इसलिए भाइयो बहनो, भारत आज उसकी जो महान परंपराएं हैं, ऋषि-मुनियों द्वारा मिली हुई जो महान शिक्षा है, उसके लिए इन सदियों से चली आ रही साधना को शत-शत नमन करता है। पर्यावरण की रक्षा के लिए जीवन की बलि चढ़ाने वाले उस समाज के हर व्यक्ति को मैं प्रणाम करता हूं।

भाइयो बहनो, आज भी राजस्थान में टूरिज्म को लेकर के जो बढ़ावा मिल रहा है, तो भैरोंसिंह शेखावत को हर कोई याद करता है। आप मुझे बताइए मरु भूमि जहां पानी का संकट हो, जहां बड़ा रेगिस्तान हो और इधर रेगिस्तान, उधर पाकिस्तान। यहां के लोगों की रोजी-रोटी का सुनहरा अवसर यानि टूरिज्म। आप मुझे बताइए भाइयो बहनो, ये जोधपुर हो, ये पूरा उदयपुर हो, ये हमारा जैसलमेर हो, ये हमारे राजस्थान के किले हों, ये हमारे राजस्थान के महल हों, ये सब मोदी के आने के बाद बने हैं क्या....। मोदी के पहले थे कि नहीं थे...। कांग्रेस के जमाने में थे कि नहीं थे....। नेहरू जी के जमाने में थे कि नहीं थे....। इंदिरा जी के जमाने में थे कि नहीं थे....। राजीव जी के जमाने में थे कि नहीं थे....। नामदार जी की माता जी के जमाने थे कि नहीं थे....। उसके बावजूद भी हिंदुस्तान में टूरिज्म क्यों नहीं बढ़ रहा था। अगर भारत ने प्रारंभ से टूरिज्म पर बल दिया होता, भारत की जो विशेषताएं हैं, वो विशेषताएं अगर गर्व के साथ दुनिया के सामने हमने प्रस्तुत की होतीं तो आज दुनिया में टूरिज्म की दुनिया में हम नंबर एक पर होते भाइयो। विश्व का सबसे बड़ा व्यापार आज अगर कोई है तो वो टूरिज्म का है। ट्रिलियंस ऑफ ट्रिलियंस डॉलर का व्यापार टूरिज्म है। लेकिन, भारत को इसका जितना लाभ मिलना चाहिए वो नहीं ले पाए। क्यों...इस परिवार की सोच यही थी, कि हिंदुस्तान में जिस दिन उन्होंने पहली बार तिरंगा फहराया, उसके बाद ही इतिहास शुरू होता है। पहले वाले इतिहास को भुला देने में लगे रहे और उसके कारण टूरिज्म को भी बहुत नुकसान हुआ। भाइयो बहनो, टूरिज्म एक ऐसा क्षेत्र है जहां कम से कम पूंजी से ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलता है। जोधपुर के लोगों को टूरिज्म समझाने की जरूरत नहीं है। जब टूरिज्म बढ़ने लगता है, टूरिस्ट आता है तो चना-मुरमुरे बेचने वाला भी कमाता है, बिस्किट बेचने वाला भी कमाता है, खिलौने बेचने वाला भी कमाता है, गुलदस्ते-फूल बेचने वाला भी कमाता है। भाइयो बहनो, टैक्सी वाला भी कमाएगा, ऑटो वाला भी कमाएगा, गेस्ट हाउस वाला भी कमाएगा, छोटे-मोटे होटल वाला भी कमाएगा, अरे चायवाला भी कमाएगा। आप मुझे बताइए क्या टूरिज्म का विकास होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए....। दुनियाभर के टूरिस्ट हिंदुस्तान आने चाहिए कि नहीं आने चाहिए.....। दुनियाभर के टूरिस्ट जोधपुर आने चाहिए कि नहीं आने चाहिए....। जोधपुर के लोगों को रोजगार मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए....। लेकिन आपको जानकर के हैरानी होगी, जब उनकी सरकार थी, तब हमारे देश में टूरिज्म का विकास चार-पांच पर्सेंट से ऊपर नहीं जाता था। आज मैं गर्व के साथ कहता हूं कि आज भारत में टूरिज्म का ग्रोथ 10-15 पर्सेंट पर पहुंचा हुआ है। तीन गुना-चार गुना हो गया है। आप मुझे बताइए जो टूरिस्ट डेस्टिनेशन है राजस्थान, उसको इसका लाभ मिलेगा कि नहीं मिलेगा....। मिलेगा कि नहीं मिलेगा....। भाइयो बहनो, पिछले वर्ष एक करोड़ टूरिस्ट हमारे देश में आए हैं, एक करोड़। हिंदुस्तान को बदनाम करने के लिए विदेशों में जाकर के गाली-गलौच करने वाले नेताओं को हम भलीभांति जानते हैं। इसके वाबजूद भी दुनिया ने हिंदुस्तान की ताकत को माना है, हिंदुस्तान की ताकत को स्वीकार किया है और हिंदुस्तान का आकर्षण बढ़ता चला जा रहा है। लोग आज शादी-विवाह के लिए दुनिया के देशों में भारत की शादी कैसी होती है, परंपरा क्या होती है, शादी के लिए धीरे-धीरे हमारा देश डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। चाहे गोवा हो, केरल हो, राजस्थान हो लोग यहां मुड़ रहे हैं।

भाइयो बहनो, टूरिज्म की पहली शर्त होती है स्वच्छता। आप मुझे बताइए भाइयो, महात्मा गांधी का सपना स्वच्छ भारत का था कि नहीं था...। महात्मा गांधी जीवनभर स्वच्छता के लिए लोगों को आग्रह करते रहे थे कि नहीं करते रहे थे....। ये स्वच्छता का विषय कोई नया है क्या....। अंजान है क्या.....। आप मुझे बताइए इतने सारे प्रधानमंत्री हो गए, इनकी चार-चार पीढ़ी हो गई, आपने कभी उनके मुंह से गांधी जी की इच्छा को पूरा करने के लिए एक बार भी सुना था क्या....। सच बताइए सुना था क्या.....। इन्होंने गांधी जी के सपनों को भी चूर-चूर किया कि नहीं किया....। इन्होंने गांधी जी को भुला दिया कि नहीं भुला दिया....। क्योंकि उन्हें मालूम था कि अगर वो फकीर गांधी याद रहेगा तो फिर ये नामदार गांधी को कौन याद करेगा। इसलिए वो फकीर गांधी को भुला देने में, उन्होंने देश की स्वच्छता को भी भुला दिया। भाइयो बहनो, जो काम आजादी के 70 साल के दरम्यान हो जाना चाहिए था, वो काम मेरे जिम्मे आया। लोग हैरान हो गए कि पहले की तो सरकारें आती थीं, बड़ी-बड़ी बातें करती थीं, लेकिन ये ऐसा प्रधानमंत्री आया कि लालकिले पर से बड़े-बड़े ब्रिज बनाने की बात नहीं कर रहा है, बड़े-बड़े होटल बनाने की बात नहीं कर रहा है। ये तो आकर के टॉयलेट बनाने की बात कर रहा है। भाइयो बहनो, माथा शर्म से झुक जाता है, जब मेरी किसी मां को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। आप कल्पना कर सकते हैं, जरा पलभर के लिए सोचिए, जो मां, जिसके घर में शौचालय नहीं है, उसको प्राकृतिक काम के लिए जाना है, या तो वो सूरज उगने से पहले अंधेरे में जाकर के निपट के आ जाती है और अगर दिन में कभी जाना पड़ा तो दिनभर वो मुसीबत झेलती है, कष्ट झेलती है, अपनेआप को रोक कर रखती है और जब शाम को सूरज ढलता है उसके बाद वो जाती है। उसके शरीर पर कितनी तकलीफ होती होगी, क्या किसी सरकार को ये देखने की फुर्सत नहीं मिली। आप मुझे बताइए मेरी माताओं-बहनों को सम्मान मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए....। शौचालय जैसी एक व्यवस्था हमारी माताओं-बहनों को उपलब्ध होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए....। इतनी सरकारें चली गईं, उनको यह जरूरी नहीं लगा और जब मैं टॉयलेट की बात कर रहा था तो जो नामदार आज मेरी जाति को लेकर के मेरा मजाक उड़ाते हैं, जो मेरे हिंदू के ज्ञान को लेकर के मजाक उड़ाते हैं, वही कभी योग को लेकर के मजाक उड़ाते थे, वो टॉयलेट और स्वच्छता को लेकर भी मजाक उड़ाते थे। लेकिन, उन्हें पता नहीं था कि स्वच्छता का अभियान ही है, जिसने हिंदुस्तान में टूरिज्म को 10 प्रतिशत बढ़ाने में महत्तवपूर्ण योगदान दिया है। जिसने देश के लाखों नौजवानों को रोजगार के नए अवसर दिए हैं।

भाइयो बहनो, आप मुझे बताइए और मैं वसुंधरा जी का भी अभिनंदन करना चाहूंगा, उन्होंने ने भी भारत सरकार के इस अभियान को इतनी ताकत दी, राजस्थान में इतना बल दिया कि देश में हमने 9 करोड़ शौचालय बनाए हैं। चार साल में 9 करोड़ शौचालय ये छोटा आंकड़ा नहीं है और हमारे राजस्थान ने भी 80 लाख से ज्यादा टॉयलेट बनाकर के ये माताओं-बहनों को इज्जत देने का काम किया है।

भाइयो बहनो, जिस धरती पर विश्नोई समाज ने पर्यावरण की रक्षा के लिए बलिदान दिया, यहां पर प्रकृति की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, जैसे लोग विश्नोई समाज को याद करते हैं, वैसे ही जब गौरक्षा की बात आती है, तेजा जी महाराज को कोई भूल नहीं सकता। उनके त्याग, तपस्या, बलिदान को कोई भूल नहीं सकता है। भाइयो बहनो, आज विश्व जब ग्लोबल वार्मिंग से परेशान है, तब रिन्यूयेबल एनर्जी, सौर्य ऊर्जा के लिए ये धरती फिर से एक बार आगे आई है। और ये पूरा मेरा बाड़मेर, जोधपुर इलाका, ये जैसलमेर समेत आज राजस्थान 6 बड़े सोलर पार्क इसका नेतृत्व कर रहा है। प्रकृति की रक्षा का कैसा परिणाम लाया जाता है, वो राजस्थान की धरती ने दिखा दिया है। लेकिन, इसमें भी झूठ बोलना, यहां के कांग्रेस पार्टी के नेता और ये राहुल गांधी बड़े कमाल के हैं जी, उनकी झूठ बोलने की ताकत इतनी है कि यहां आते हैं तो इनको मुख्यमंत्री बताते हैं, वहां जाते हैं तो दूसरे को मुख्यमंत्री बताते हैं। आदिवासियों के बीच जाते हैं तो तीसरे को मुख्यमंत्री बताते हैं। भाइयो बहनो, यहां उन्होंने हर एक को कह के रखा है कि हां तुम्हारी बारी आने वाली है। क्योंकि उन्हें मालूम है कि आने वाले तो है नहीं और इसलिए झूठ बोलने में जाता क्या है। भाइयो बहनो, राजस्थान में सात हजार मेगावाट सोलर एनर्जी और पिछले चार वर्षों में डबल करने का काम हमारी बहन वसुंधरा जी ने करके दिखाया है। ये सिर्फ राजस्थान ही नहीं पूरी मानवता की सेवा का काम हुआ है।

लेकिन भाइयो बहनो, ये आज किसानों के नाम पर जो घड़ियाली आंसू बहाते हैं वो जरा राजस्थान के इस इलाके में जाकर के देखकर आएं कि दिल्ली से खासमखास लोगों ने आकर के मुफ्त के दाम यहां के किसानों की जमीनें हड़प की हैं कि नहीं की हैं....। मुफ्त के दाम ले लिया है कि नहीं ले लिया है....। किसान के साथ घोर अन्याय किया है कि नहीं किया है....। अगर उन किसानों को पता होता कि भविष्य में यहां सोलर का बहुत बड़ा पार्क बनने वाला है तो ये मेरे भले-भोले किसान भाइयों ने ये जमीन दे दी होती क्या.....। और भाइयो बहनो, ये कैसा कारोबार चलाते थे, मैं आपको समझाना चाहता हूं। इन्होंने एक कांग्रेस नाम का ताबीज बना के रखा हुआ है ताबीज। और जो गलत काम करते हैं, बुरा काम करते हैं, सरकारी खजाने से लूट चलाते हैं, बैंकों से पैसे मार लेते हैं उनको कुछ करने की जरूरत नहीं ये कांग्रेस का ताबीज बांध लो तो उन्हें एक रक्षा कवच मिल जाता था। वो लूटते रहते थे, मौज करते रहते थे। न बैंक कभी उनसे पैसे मांगती थी, न बैंक के पास कोई पैसे मांगने की व्यवस्था थी। भाइयो बहनो, देश आजाद होने के बाद, देश में जितना पैसा बैंकों से लोगों को दिया गया, उससे ज्यादा 2006 से 2014 के आठ साल के दरम्यान दिया गया। अरे ले जाओ, लूटो बस हमारा करते रहो। टेलीफोन करके बैंकों को लूटा गया। नामदार के टेलीफोन जाते थे और बैंक से पैसे दिए जाते थे और ये आपके राजस्थान की कथा अभी दो दिन पहले अखबारों में विस्तार से आई है। एक स्टील का कारखाना डूबता हुआ, मौज करता हुआ। लाखों करोड़ों लूटने वाले, उन्होंने क्या किया। बैंक से हमें पैसे दिलवा दो, एक फर्जी कंपनी बन गई। उसने जमीनों खरीद ली और जमीन उनके खासमखास व्यक्ति को मिल गई। भाइयो बहनो, बैंक का पैसा लेकर के वो बैठ गए। हम आए, हमने खोजबीन शुरू की। भाइयो बहनो, हमने पाई-पाई वापस लेने के लिए कानून बनाया और जो अपने आपको बड़े-बड़े तीसमारखां करोड़पति मानते थे, उनको रोडपति बनाकर के छोड़ दिया। भाइयो आप मुझे बताइए ये जिन्होंने देश का पैसा लूटा है उन लोगों से रुपया वापस लेना चाहिए कि नहीं लेना चाहिए....। इसलिए हमने कठोर कानून बनाया है और कठोर कानून बनाने का परिणाम है, पिछले दिनों जो बैंकों से पैसे लेने के बाद बैंकों का मुंह देखने को तैयार नहीं थे, तीन लाख करोड़ रुपया अब तक बैंकों का वापस देने को मजबूर हुए हैं भाइयो। अभी तो कानून बनाने की खबर मात्र से, अभी तो डंडा थोड़े लोगों पर चलाया है, लेकिन ज्यादातर लोगों ने तीन लाख करोड़ रुपया बैंकों में कैसे भी करके जमा करा दिया है। हमने कानून बनाया है कि अगर ऐसी बेईमानी करोगे तो आपकी कंपनी के मालिक खुद बैंक हो जाएगी, बैंक किसी और को दे देगी और आप करोड़पति से रोडपति हो जाओगे। और कितने हो गए...दिवालिया कानून ऐसा कठोर बनाया। उसके बाद भी पैसे नहीं देते हो तो आपकी कोई और भी कंपनी होगी, जिसने एक भी रुपया नहीं लिया होगा, उस कंपनी को भी सरकार जब्त कर लेगी। उसकी कार होगी, हेलिकॉप्टर होगा, विमान होगा वो भी सरकार जब्त कर लेगी। इतना ही नहीं दुनिया के किसी देश में आपकी संपत्ति होगी, उसको भी सरकार जब्त करेगी और इसलिए लोग कांप रहे हैं।

भाइयो बहनो, जिन्होंने मिलीभगत कर के 70 साल तक मौज की है, आप मुझे बताइए वो एक मिनट भी मोदी को पसंद करेंगे क्या....। वो मोदी को चाहेंगे क्या...। भाजपा की नैतिकता वाली सरकारें चाहेंगे क्या....। और इसलिए मैं कहना चाहता हूं भाइयो बहनो, आप भारतीय जनता पार्टी को मजबूत बनाइए। राजस्थान में हमें फिर से एक बार सेवा करने का मौका दीजिए। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, आपने पिछले 70 साल में जिन चीजों के सपने देखे हैं वो आने वाले दिनों में पूरा करने में मैं सफल हो के रहूंगा। ये मैं आपको वादा करने आया हूं।

भाइयो बहनो, आजकल किसानों के नाम पर झूठ चला रहे हैं। मेरा स्पष्ट मत है भाइयो, ये गुलाब का फूल लगाकर घूमने वाले लोग, बगीचों का ज्ञान था उनको खेतों का कोई ज्ञान नहीं था। उनको किसान के पसीने का ज्ञान नहीं था। अगर हिंदुस्तान के पहले प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल बने होते तो मेरे देश के किसान की ये दुर्दशा ना हुई होती। जिनको किसानी का कोई ज्ञान नहीं था, चार-चार पीढ़ी तक देश में वो लोग बैठे, उसी की मुसीबत है कि आज मेरे किसान को भुगतना पड़ रहा है। भाइयो बहनो, जो किसानी पर भाषण दे रहे हैं, उन्हें ये भी ज्ञान नहीं है कि चने का पौधा होता या चने का पेड़ होता है। जो तिल और सरसों में फर्क नहीं कर पाते वो हमें किसानी का ज्ञान देने निकले हैं। स्वामीनाथन कमीशन ने 2006 में रिपोर्ट दी थी कि किसान को उसकी लागत का डेढ़ गुना देना होगा। मुझे बताइए 2006 में जो रिपोर्ट आई वो 2006 में लागू करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए....। करना चाहिए था कि नहीं करना चाहिए था.....। उन्होंने किया था....। किया था.....। 2007 में किया था....। 2008 में किया था....। 2009 में किया था....। 2010 में किया था....। भाइयो बहनो, जब तक हमारी सरकार नहीं आई तब तक वो फाइल वैसे की वैसी पड़ी हुई थी, सड़ रही थी। नहीं किया....। अगर वो उस समय कर दिया होता तो मेरे किसान को मुसीबत नहीं होती, आज व्यवस्थाएं बन गई होतीं। हमने आकर के वादा पूरा किया। आज किसान की लागत का डेढ़ गुना करने का पहली बार आजादी के बाद किसी ने फैसला किया तो आपके एक वोट ने किया है भाइयो। आपके वोट की ताकत है, आपने मुझे वोट दिया, आपने मुझे जिम्मेदारी दी, मैंने जिम्मेदारी को निभाया और मेरे किसानों को डेढ़ गुना उनकी लागत कीमत पर एमएसपी देने का फैसला कर लिया।

भाइयो बहनो, आप मुझे बताइए जब ये गहलोत जी की सरकार थी, यूरिया ब्लैक में बिकता था कि नहीं बिकता था....। यूरिया लेने के लिए रात को कतार में रहना पड़ता था कि नहीं रहना पड़ता था....। यूरिया पाने के लिए गए हुए किसानों पर लाठीचार्ज होता था कि नहीं होता था....। आज यूरिया के लिए कोई कतार नहीं है, यूरिया कहीं ब्लैक में नहीं बिकता है। यूरिया जब चाहे, जितना चाहे किसान को उपलब्ध है। कैसे हुआ भाई, इसका कारण यही है, मोदी ने चोरी पर ताले लगा दिए। पहले किसानों के नाम पर यूरिया निकलता था, केमिकल के कारखानों में चला जाता था और केमिकल वाले दूसरी चीजें बनाकर के अपना पैसा कमाते थे। किसान मेरा यूरिया के बिना मरता था और सब्सिडी की चोरी होती वो अलग। हमने यूरिया का नीम कोटिंग कर दिया, यूरिया पर नीम की फली का रस लगा दिया। अब यूरिया सिर्फ और सिर्फ खेत में काम आ सकता है, वो किसी कारखाने में काम नहीं आ सकता, यूरिया की चोरी बंद हो गई और मेरे किसान को यूरिया पहुंचना शुरू हो गया।

भाइयो बहनो, इतनी बड़ी मात्रा में देश की भलाई के लिए हमने काम किए हैं  और तब जाकर के मैं आपको आग्रह करता हूं कि आप 7 तारीख को भारतीय जनाता पार्टी को पूरी ताकत के साथ समर्थन कीजिए, फिर एक बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाइए, ताकि आप हमारे से भी काम का हिसाब मांग सको। ये नामदार से तो कभी हिसाब नहीं मांग पाओगे। उन्होंने चार पीढ़ी का हिसाब नहीं दिया है भाइयो, हिसाब देंगे तो हम देंगे। इसलिए मैं आपसे आग्रह करने आया हूं कि आप भारतीय जनता पार्टी के हमारे सभी उम्मीदवारों को विजयी बनाइए। मैं एक बार मेरे सभी उम्मीदवारों को याद करता हूं- सूरसागर से हमारी सबसे वरिष्ठ नेता श्रीमती सूर्यकांता जी, भोपालगढ़ से श्रीमती कमसा मेघवाल जी, ओसियां से श्रीमान भैराराम सियोल जी, लूणी से श्रीमान जोगाराम जी, बिलाड़ा से श्रीमान अर्जुनराम गढ़ जी, सरदारपुरा से श्रीमान एसएस खेतासर जी, पाली से श्रीमान ज्ञानचंद पारख जी, जोधपुर सिटी से श्रीमान अतुल भंसाली जी, सोजत से श्रीमती शोभा चौहान जी, सुमेरपुर से श्रीमान जोराराम कुमावत जी, जैतारण से श्रीमान अविनाश गहलोत जी। आप सब से मेरा आग्रह है दोनों हाथ मुट्ठी बंद कर के भारत मां की जय बोल के इनको आशीर्वाद दीजिए।

भारत माता की....जय, भारत माता की....जय, भारत माता की...जय

बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका

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प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को नई दिल्ली के सीबीसीआई सेंटर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में शामिल होंगे
December 22, 2024
प्रधानमंत्री कार्डिनल और बिशप सहित ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं से बातचीत करेंगे
यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसंबर को शाम 6:30 बजे नई दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें कार्डिनल, बिशप और चर्च के प्रमुख नेता शामिल होंगे।

यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे।

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है।