दुनिया के किसी भी हिस्से में रहने वाला हर भारतीय 'राष्ट्रदूत' है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 
हर भारतीय को इस बात का गर्व है कि भारत विविधताओं वाला देश है: प्रधानमंत्री मोदी 
भारत के विकास के लिए केंद्र और राज्य एक साथ काम कर रहे हैं: पीएम मोदी 
21वीं सदी का भारत प्रौद्योगिकी और इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में पीछे नहीं रह सकता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

‘का हाल बा’ ? 

नीदरलैंड के मेरे प्यारे भारत के प्रवासी भाइयों और बहनों मैं यहां के मैडम मेयर का, डिप्युटी मेयर का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने मेरा स्वागत सम्मान किया वो स्वयं इस कार्यक्रम में उपस्थित हैं। मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं। 

ये जो गूंज आपके चारों तरफ सुनाई दे रही है। जो उत्साह उमंग दिखाई दे रहा है। जो लोग भारत में टीवी पर इसे देखते होंगे, उन्हें जरूर आश्चर्य होता होगा कि छोटे से हेग में भी भारतीयों का इतना दम है। मैं खास कर के सूरीनाम के जो लोग हैं। उनका मैं विशेष रूप से अभिनन्दन करना चाहता हूं। बहुत वर्ष पहले मुझे सूरीनाम जाने का सौभाग्य मिला था। 

5 जून हर वर्ष सूरीनाम के लोग बड़े गौरव से मनाते हैं। दुनिया में जहां जहां भारतवासी गये उन सबके लिये ये हमारे सूरीनाम के भाई-बहन या उस कालखंड में दुनिया के जिन जिन देशों में मजदूर के रूप में लोगों को ले जाया गया। चाहे मॉरीशिस हो, चाहे सूरीनाम हो, गयाना हो, डेढ़ सौ साल हो गये। चार-चार पीढ़ियां बीत गईं। लेकिन आज भी भारत की भाषा, भारत की संस्कृति, भारत की परम्परा उसको ऐसे उन्होंने बरकरार रखा हैं। मैं उनको लाख लाख बधाई देता हूं अभिनन्दन करता हूं। और हमें हमारे उन पूर्वजों को नमन करना चाहिए कि जिन्होंने भारत का किनारा छोड़ने के बाद कभी भारत की ओर देखने का मौका नहीं मिला लेकिन अपने साथ जिस भारतीयता को लेकर के गये आज चौथी, पांचवीं पीढ़ी, छठी पीढ़ी होगी वैसे ही वैसे परिवार के अंदर उसको बरकरार रखा है। वरना आज एक ही पीढ़ी में सब कुछ बदल जाता है भाषा भी छूट जाती है और कभी कभी मां-बाप गर्व करते हैं कि मेरे बेटे को भारतीय भाषा नहीं आती है। इन चीजों से अपने जड़ों के साथ जुड़ने से एक ताकत प्राप्त होती है। लोहे का गोला कितना ही ताकतवर क्यों न हो कितना ही बड़ा क्यों न हो कितना ही मजबूत क्यों न हो लेकिन ढंग से दो बालक भी उसको धक्का मारे तो धीरे धीरे चला जाता है। लेकिन पेड़ जिसकी जड़ें जमीन से जूड़ी हुई हैं, उसकी ताकत कुछ और होती है, वो न हिल पाता है और वो साया भी देता है और इसलिये जड़ों से जुड़े रहना और जुड़े रहने के कारण ताकत क्या होती है ये मेरे सूरीनाम के भाइयों-बहनों से सीख सकते हैं। उसी प्रकार से आप में से बहुत लोग होंगे, जिन्होंने अभी भी हिन्दुस्तान नहीं देखा होगा। आपमें से कई ऐसे होंगे जिनके पहले उनके दादा परदादा हिन्दुस्तान छोड़कर आए वो कहां से आये किस गांव के थे क्या था, रिश्तेदार कौन थे। कुछ पता नहीं होगा। लेकिन उसके बाद भी दिल में हिन्दुस्तान आज भी मौजूद है। एक प्रकार से आप जो कुछ भी हैं, अपने बलबूते पर हैं, परिश्रम से हैं, अपने सामर्थ से हैं। उसके बावजूद भी आपके दिल में हमेशा रहता है कि भारत का जैसे आप पर कोई कर्ज है और मौका मिले तो भारत का ये कर्ज चुकाना है। मैं समझता हूं इससे बड़ी कोई भक्ति नहीं हो सकती, भावना नहीं हो सकती। 

यहां पर दो प्रकार के लोग हैं। एक तो वो हैं जो डेढ़ सौ साल से हिन्दुस्तान छोड़कर के निकले हुए लोग वाया सूरीनाम यहां पहुंचे हैं और दूसरे वो हैं जो ताजा ताजा हवाई जहाज में बैठकर के आए हैं। जो अभी अभी आये हैं मैं उनसे कहना चाहता हूं क्या कभी आपने सोचा कि आप अगर डेढ़ सौ साल हिन्दुस्तान से कटऑफ होते तो क्या आपके अंदर वही भारतीयता, हिन्दुस्तानी का भाव वैसा ही बरकरार होता जैसे सूरीनाम के लोगों का है। और इसलिये मैं चाहूंगा कि यहां पर रहने वाले पासपोर्ट का रंग कोई भी क्यों न हो, पासपोर्ट के रंग बदलने से खून के रिश्ते नहीं बदलते। 

मेरे हर हिन्दुस्तानी से प्रार्थना है, आग्रह है कि पासपोर्ट के रंग के आधार पर रिश्ते नाते न जोड़ें पासपोर्ट का रंग कुछ भी क्यों न हो उसके और मेरे पूर्वज एक हैं। जिस धरती की पूजा वो करता है उस धरती की पूजा मैं करता हूं। उसकी जिन्दगी की वो मुसीबत रही कि डेढ़ सौ साल पहले उसे देश छोड़कर जाना पड़ा। मैं भाग्यवान हूं मैं अब भी मेरे देश की जड़ों से जुड़ा हुआ हूं। मेरा ज्यादा कर्तव्य बनता है कि मैं सूरीनाम वालों को गले लगाऊँ। हम एक बनकर के रहें। हम साथ मिलकर के कार्यक्रम करें। अब हमारे बीच में जरा सा भी दूरी नहीं होनी चाहिए। हो सकता हैं जो अभी आयें हैं अभी अभी आये हैं उनको शायद हिन्दी बोलने में तकलीफ होती होगी। सूरीनाम वालों को नहीं होती है। 

न सिर्फ यूरोप में लेकिन Caribbean Countries में भी हम सब मिलकर के इसे एक ऐसा ऊर्जा भूमि बना सकते हैं हेग को इन सारे भू भाग के भारतीयों के साथ हमारा नाता जुड़ जाए। और आज तो आज तो Technology इतनी सरल है कि आप मोबाइल फोन से इन सभी परिवारों से निकट से जुड़ सकते हैं, संगठन में ही तो शक्ति है। और इसलिये मैंने देखा आपकी ताकत मेरा कार्यक्रम तो अभी अचानक बना है। कुछ ज्यादा तैयारी करने का मौका नहीं मिला। पिछले दो चार दिन में शायद आपको खबर मिली और इतनी बड़ी मात्रा में आप लोग पहुंच गए। सरकार की तरफ से Embassy होती है, Ambassador होते हैं, बाबू लोग होते हैं, लेकिन आपको पता है उनको राजदूत कहते हैं। हिन्दी भाषा में उन्हें राजदूत कहते हैं। लेकिन यहां आप सब राष्ट्रदूत हैं। हर हिन्दुस्तानी, हर हिन्दुस्तानी दुनिया के हर कोने में राष्ट्रदूत है। हमारे देश की उन अच्छाइयों से विश्व को परिचित करना है, जब विश्व को पता चलता है कि भारत ऐसा देश है, जहां दुनिया के सभी सम्प्रदाय दुनिया का कोई ऐसा सम्प्रदाय नहीं है, जिसको भारत में गौरवपूर्ण स्थान न हो। लोगों को आश्चर्य होता है। दुनिया का छोटा सा छोटा सम्प्रदाय भी होगा पंथ होगा मानने वाले लोग होंगे भारत में आपको अवश्य मिलेंगे और गर्व से जीते हैं। दुनिया को जब पता चलता है कि हिन्दुस्तान में 100 भाषाएं हैं Hundred languages, 1700 Dialects .. 1700 से भी ज्यादा बोलियां लोगों को आश्चर्य होता है| अच्छा हमें तो यूरोप में देश बदलता है भाषा बदलता है हमें तो दिक्कत हो जाती है। आप सौ भाषाओं के बीच कैसे जी रहे हो। हमें जोड़ने वाली जो ताकत है वो हमारी मातृभूमि के प्रति हमारा प्यार है। उस धरती के प्रति त्याग तपस्या के प्रति ...इतिहास के प्रति ...परम्पराओं के प्रति हमारा लगाव है। और इसलिये कोई भी हिन्दुस्तानी दुनिया में गर्व के साथ खड़ा हो सकता है कि मेरा देश विविधताओं से भरा हुआ है। 

विश्व में जो कुछ भी आप अनुभव करते हैं। आप मेरे देश में स्वाभाविक रूप से कर सकते हैं। देश की विशालता है। जब दुनिया के लीडर से मैं मिलता हूं और मैं सवा सौ करोड़ देशवासियों का सरकार का प्रधानमंत्री हूं तो मेरे सामने देखते रहते हैं। उनको लगता है हमें छोटे से देश को चलाने में इतनी दिक्कत होती है आप कैसे चलाते हो। मैं उनको कहता हूं कि आप लोग देश यहां आप चलाते हैं मेरे यहां सवा सौ करोड़ देशवासी देश चलाते हैं। लोकतंत्र की यही ताकत है। भारत के अंदर विशेष रूप से जब से मुझे सरकार में सेवा करने का मौका मिला है। हमने सबसे बड़ा प्रयास ये किया है कि जन भागीदारी से देश के हर काम में जन भागीदारी को प्राथमिकता दी है। सब कुछ सरकार करेगी सारी समस्याओं का समाधान सरकार के पास ही है |भागवान बुद्धि बांटने निकले तो सारे सरकार वालों को ही बुद्धि मिली थी ये सोच से हम बाहर निकल आ चुके हैं और हमारी कोशिश ये है कि जन भागीदारी से देश कई गुना प्रगति कर सकता है, तेज गति से प्रगति कर सकता है। अगर सरकार तय करती कि हम Toilet बनाएंगे खुले में शौच जाना बंद करवाएंगे, स्कूलों में बच्चियों के लिये शौचालय बनाएंगे, ये कार्यक्रम तो पहले भी चलते थे। लेकिन वो कार्यक्रम सरकार चलाती थी। हमने आकर के कहा लोग इसको उठाने और आपको जानकर के खुशी होगी कि स्कूलों के अंदर एक साल के भीतर भीतर बालिकाओं के लिये अलग शौचालय बनाने का काम बालकों के लिये अलग शौचालय बनाने का काम लोगों ने पूरा कर दिया। कहने का तात्पर्य यह है कि नई जो सरकार बनी है आज देश में जिसने अपने हर काम में लोक भागीदारी जन भागीदारी को प्राथमिकता दी है। वरना पहले क्या होता था। लोकतंत्र का मतलब बहुत सीधा सादा हो गया था...Democracy मतलब पांच साल में एक बार जाना, ईवीएम मशीन का बटन दबाना और जो पसंद आए उसको जिता देना और उसको पांच साल का कॉन्ट्रैक्ट दे देना देखो पांच साल तुमको बैठाया है ये हमारे दस काम कर देना। नहीं कर पाए तो छुट्टी जाओ दूसरा आए। ये लोकतंत्र की मर्यादा नहीं है। ये तो लोकतंत्र का एक सीमित भाग है कि जिसमें जन वोट देता है सरकार उनकी है। लेकिन सरकार चलती है जन भागीदारी से। 

हमारे यहां कोई प्राकृतिक आपदा आ जाए, तो हम सबने अनुभव किया है कि सरकारी तंत्र की ताकत बहुत छोटी पड़ जाती है। लेकिन लोग सामाजिक संस्थाएं, धार्मिक संस्थाएं ऐसे फूड पैकेट ढिकना फलाना लेकर के निकल पड़ते हैं प्राकृतिक आपदा में हर किसी की मदद तुरंत पहुंच जाती है क्यों जनशक्ति का सामर्थ है। इस सरकार की कोशिश है कि हर काम में जनभागीदारी। भारत का संघीय ढांचा है राज्य, केन्द्र कंधे से कंधा मिलाकर कैसे काम करें in true spirit Federal Structure को कैसे बढ़ावा मिले उस पर इस सरकार ने बल दिया है। 

Good Governance मैं मानता हूं कि Development plus Good Governance तभी जाकर के जनता जनार्दन के सपने पूरे होते हैं। सिर्फ Development से स्पिरिट्स पूरे नहीं होते हैं। सिर्फ Good Governance से भी नहीं होते हैं। Development And Good Governance दोनों का Combination होता है, तब जनसामान्य को समाधान होता है। बस अड्डा बनाऊं, बस स्टेशन अच्छा बनाऊँ Development हुआ, लेकिन बस समय पर आए, बस में साफ सफाई हो, Driver, Conductor का व्यवहार ठीक हो ये Good Governance होता है। तब सामान्य व्यक्ति को संतोष मिलता है। उसको समाधान मिलता है हां ये मेरी सरकार है ये मेरा देश है, ये मेरी संपत्ति है। इस सरकार का लगातार भाव यही है कि जन भागीदारी को बल मिले, जनशक्ति को बल मिले और जनशक्ति के भरोसे देश को आगे बढ़ाने का प्रयास हो और ये अनुभव हमारा देश की जनता जनार्दन को जिस काम में ढूंढ़ने के लिये, आपने देखा होगा दो साल पहले जब हमारी सरकार बनी तो टीवी पर एक ही खबर आती रहती थी कि दाल महंगी है दाल महंगी है। मोदी बताओ दाल के दाम क्यों कम नहीं हो रहे जहां भी जाओ बस यही अब दाल के भाव इतने कम हो गए कोई पूछता ही नहीं है। कैसे हो गया, लेकिन देश के किसानों से मैंने प्रार्थना की कि आप Pulses की खेती को भी बल दीजिए और पल्सेस की खेती के लिये इतना कुछ करना नहीं पड़ता फसल के बीच के अंदर उसको बोया जा सकता है। Extra Income होती है। और मेरे देश के किसानों ने ये करके दिखाया। विपुल मात्रा में Pulses का उत्पादन किया, तो आज थाली सस्ती हो गई। मध्यम वर्ग के परिवार में Pulses अगर ज्यादा खाता है तो प्रोटीन भी ज्यादा मिलता तो शरीर की शक्ति भी बढ़ती है, शरीर की काफी Requirement पूरी होती है। कहने का तात्पर्य यह है कि सरकारी प्रयत्नों से ज्यादा जन सामान्य का सामर्थ एक बहुत बड़ा रोल प्ले करता है। 

भारत के बाहर ऐसी धारणा है कि भारत में महिलाएं तो House Wife हैं। कुछ करना वरना नहीं किचन में होती हैं। ये बाहर एक कल्पना है , सत्य अलग है। आज भी हिन्दुस्तान का पशुपालन, डेयरी, मिल्क ये पूरा क्षेत्र एक प्रकार से भारत में महिलाएं ही संभालती हैं। पुरुष का बहुत कम योगदान है। कृषि में भी महिलाओं की भागीदारी बहुत बड़ी होती है। वो Physically Contribute करती हैं लेकिन हमारी सामाजिक रचना ऐसी है कि उसको रुपये पैसे के तराजू में तोला नहीं जाता। इसका मतलब ये नहीं कि भारत की आर्थिक विकास की यात्रा में महिलाओं की भूमिका नहीं है। महिलाओं की भूमिका है। महिलाओं में Potential भी है और इसलिये हमारी सरकार ने पचास प्रतिशत जो जनसंख्या है उसको भारत की विकास यात्रा का एक प्रमुख हिस्सा बनाने की दिशा में बीड़ा उठाया है। Empowerment of Women और इतना ही नहीं Women led Development हमने जब प्रधानमंत्री जनधन योजना का अभियान चलाया बैंक के खाते खोलने का हमारे देश में 40 प्रतिशत लोग ऐसे थे जो कभी बैंक के दरवाजे नहीं गए Formal Economy से बाहर थे। हमने अभियान चलाया और खुशी की बात है कि जब बैंक एकाउंट खोले गए तो उसमें ज्यादातर महिलाओं के बैंक एकाउंट थे। महिलाओं को लगने लगा हां मैं भी कुछ आर्थिक व्यवस्था का हिस्सा हूं। अभी हमने एक योजना बनाई मुद्रा योजना। मुद्रा योजना से हमने entrepreneurship को बल मिले। हमारे देश का नौजवान Job Seeker से Job Creator बने। वो जॉब देने वाला बने छोटे –छोटे ही काम करते ही लोग एक को नौकरी रखत सकते हैं दो को रख सकते हैं, काम दे सकते हैं। और इसलिये छोटे छोटे कारोबार को मदद करने की दिशा में हमने बड़ा अभियान उठाया। 

मुद्रा योजना और मुद्रा योजना ऐसी है कि किसी भी प्रकार की गारंटी दिये बिना नागरिक को अगर वो बैंक में आता है अपनी सारी जानकारियां देता है। तो पचास हजार रुपये से लेकर के दस लाख रुपये तक उसको लोन मिलती है। करीब सात करोड़ लोगों ने इसका फायदा उठाया सात करोड़ लोगों ने। और करीब तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रकम इन लोगों को मिली है। किसी को पचास हजार, किसी को पचपन हजार किसी को अस्सी हजार किसी को लाख और आपको जानकर के खुशी होगी एक मुद्रा योजना का लाभ लेने वाले में 70 प्रतिशत महिलाएं हैं 70 परसेंट महिलाएं। 

Women Empowerment कैसे होगा, Women led Development कैसे होगा। ये उससे नजर आता है। आज भी दुनिया के Forever कहे जाने वाले देशों में Maternity leave Average 12 week है... developed Country में भी Working Women के लिये Maternity leave 12 week है। भारत एक ऐसा देश है जिसने Parliament में कानून बनाया और अब Working Women को 26 week का Maternity leave दिया जाता है। 6 महीने और वो इसलिये हम भारत के भविष्य की ओर देखते हैं अभी तो ऐसा लगेगा अच्छा 6 महीने नौकरी करेगी पगार खाएगी। किसी को लगता होगा। लेकिन वो 6 महीने उस बालक की परवरिश करती है, जो मेरे देश के आने वाले कल है। ये Investment है यानी 26 सप्ताह एक Working Women को नौकरी से छुट्टी देना पगार चालू रखना शुरू में तो लगता है काम कौन करेगा, शुरू में तो लगता है मुफ्त का पैसा देना लेकिन लम्बे दूर देखते हैं तो पता चलता है उसकी गोद में जो बालक है उसका मां की गोद में ऐसा लालन पालन होना छह महीने का उसका Base इतना मजबूत होगा कि मेरा भविष्य उज्वल हो जाएगा, मेरा भविष्य मजबूत हो जाएगा इस दिशा में काम करते हैं। 

जब अमेरिका के राष्ट्रपति पूर्व राष्ट्रपति श्रीमान ओबामा 26 जनवरी को प्रजा सत्ता पर्व के लिये भारत आए थे। अब जब गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया उनको तो फौज की तीनों पंक्ति आर्मी, नेवी, एयरफोर्स सब महिला पुलिस फौज के तीनों उनको गॉर्ड ऑफ ऑनर दे रही थीं| कमान उनका संचालन भी एक महिला कर रही थी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने मंच पर चलते हुए कहा मोदी जी बड़ा अचरज है भई ये है हिन्दुस्तान में। मैंने कहा अभी तो शुरुआत है मैंने कहा कल देखना और 26 जनवरी की परेड हुई तो सारी दुनिया के लिये मुख्य खबर थी कि उस परेड का नेतृत्व महिला ही कर रही थी। परेड के अंदर जो दस्ते चल रहे थे वो महिलाओं के चल रहे थे। सुरक्षा के क्षेत्र में भी मेरे देश की महिलाएं बहुत बड़ी भूमिका अदा करती हैं। दिल्ली में अगर आप जाएं या देश के अन्य किसी राज्य में जाएंगे जहां पर पुलिस में 33 परसेंट महिला पुलिस के लिये रिज़र्व किया गया है और सुरक्षा की जिम्मेवारी भी ये Empower महिलाएं हमारी करेगी। उस दिशा में हम काम कर रहे हैं। 

अभी आपने देखा होगा फाइटर विमान उड़ा रही है हमारी महिलाएं बहनें। फाइटर प्लेन का नेतृत्व महिलाओं के हाथ में दुनिया के अंदर चर्चा है। आज भारत स्पेस टेक्नॉलॉजी की दुनिया में अंतरिक्ष में पूरे विश्व में उसने अपना बड़ा नाम कमाया है। अभी पिछले सप्ताह एक साथ 30 नैनो सेटेलाइट छोड़ने का काम सफलतापूर्वक हमारे यहां हुआ। इसके पहले हमारे साइंटिस्टों ने वर्ल्ड रिकॉर्ड किया। 104 सैटलाइट लॉन्च करने का काम हिन्दुस्तान के स्पेस साइंस ने किया। पिछले महीने सबसे भारी वजन का सैटलाइट छोड़ा गया और वजन इतना तो अखबार वालों ने लिखा इतने इतने हाथी जितना यानी हाथी के वजन के बराबर लिखा गया। आपको जानकर के खुशी होगी। इस पूरी स्पेस की दुनिया में काम करने में तीन प्रमुख वैज्ञानिक महिलाएं हैं जो इस काम को कर रही हैं। क्यों गर्व नहीं होगा मेरे देश की माताओं बहनों की ये शक्ति किसको गर्व नहीं होगा। चाहे विज्ञान का क्षेत्र हो, चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो, आरोग्य का क्षेत्र हो आज कल तो हिन्दुस्तान के किसी भी राज्य में अगर टीचर कॉन्फ्रेंस करें तो आपको एक जगह पर बोर्ड लगाना पड़ेगा कि ये कोना पुरुष टीचर के लिये रिज़र्व है। पूरा शिक्षा क्षेत्र का काम आज मेरे देश में माताएं बहनें संभाल रही हैं। खेल सैक्टर, नर्सिंग, पैरामैडिकल, मैडिकल, कहीं पर भी जाइए आपको नजर आएगा कि महिलाएं उस काम को कर रही हैं। कहने का तात्पर्य यही है कि महिला शक्ति और खेल कूद में ओलिम्पिक में कौन मैडल ले आया। सारे मैडल लाने वाली हमारी बेटियां थीं। हर किसी ने हिन्दुस्तान का नाम रौशन किया। इतना ही नहीं शारीरिक रूप से जिनको तकलीफ है पैराओलिम्पिक उसमें भी हिन्दुस्तान के तिरंगे झंडे को ऊप करने का काम हमारी महिला खिलाड़ियों ने किया। 

एक ऐसी सरकार है दिल्ली में जिसके दिलो दिमाग में भारत की विकास की यात्रा में भारत की पचास प्रतिशत जनसंख्या वो ताकतवर कैसे बनें Empowerment कैसे हो, भारत की आर्थिक विकास की यात्रा के अंदर उसकी Equal Partnership कैसे हो, एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं और जिसका परिणाम है के आज मेरे देश की नागरिक शक्ति भारत के झंडे को ऊंचा उठाने में बहुत बड़ी अहम भूमिका अदा कर रही है। देश आगे तो बढ़ना चाहिए, पहले है उससे अच्छा होना चाहिए लेकिन वक्त ज्यादा इंतजार नहीं करेगा। जिस गति से हम यहां तक पहुंचे हैं, उस गति से आगे जाना उस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता है, जो हर हिन्दुस्तानी के दिल में है। और इसलिये गति को तेज करना अनिवार्य हो गया है। पहले सरकारें हुआ करती थीं। एक काम दो काम ऐसे हो जाते थे वो सरकार जानी जाती थी इस काम के लिये। आज हरदिन एक नया काम करो तो भी कम पड़ जाता है इतने aspirations बढ़ गये हैं। और देश को सिर्फ आगे ले जाना इतना काफी नहीं है। देश को आधुनिक बनाना बहुत जरूरी है। हमें आगे तो बढ़ना है। लेकिन हमें आधुनिक भी बनना है। 21वीं सदी का हिन्दुस्तान Global BenchMark में पीछे न रह जाए। विज्ञान टैक्नॉलॉजी के क्षेत्र में पीछे न रह जाए। हमारा Infrastructure Global Bench Mark अनुकूल हो और विश्व की बराबरी करने का सामर्थ हिन्दुस्तान में होना चाहिए। इस भूमिका से हम आगे बढ़ रहे हैं। आज Health concerns का माहौल है। एनवायरमेंट की चिंता है। हर किसी को लगता है भई सांस ले तो अच्छी सांस मिले पानी पीए तो अच्छा मिले, खाना खाए तो अच्छा मिले। बहुत स्वाभाविक concerns है शायद। भारत ने बीड़ा उठाया है ऊर्जा के क्षेत्र में रिन्युबल एनर्जी 175 गीगा वाट आप में से बहुत लोग होंगे जिनके लिये गीगा वाट शब्द नया होगा। क्योंकि सदियों से हम मेगा वाट से आगे सोचा ही नहीं। मेगा वाट यानी हमारा अल्टीमेट था। 175 गीगा वाट रिन्युबल एनर्जी का हमारा लक्ष्य है। 

सोलर एनर्जी हमारे देश की आवश्यकताओं में कैसे रोल करें विंड एनर्जी, न्युक्लियर एनर्जी, बायोमास एनर्जी एक बहुत बड़ा बदलाव जो एन्वायरमेंट को पॉजिटिव इम्पैक्ट बनाकर उस दिशा में तेज गति से काम आगे बढ़ रहा है। और आज स्थिति ऐसी है कि कोयले से उत्पादन होने वाली बिजली से सोलर एनर्जी सस्ती हो जाए यहां तक स्पर्धा आगे बढ़ी है। आप भविष्य की कल्पना कर सकते हैं अगर पूरी व्यवस्था सोलर एनर्जी द्वारा चलती होगी, तो इकोनोमी में कितना बड़ा बदलाव आएगा। 

देश को आज खाड़ी के देशों से जो तेल आयात करना पड़ता है, उस आयात में कितनी बड़ी कटौती आएगी। देश कितना आत्मनिर्भर बनेगा। और उसलिये जो सूर्य शक्ति ये सूरज मैं प्रधानमंत्री बना हूं उसके बाद आया है क्या? पहले था कि नहीं था। था की नहीं था। मुझे दिखता था उनको नहीं दिखता था। और इसलिये पूरा जीवन को आधुनिक बनाने की दिशा में ये हमारी पहल है। 

डिजिटल इंडिया जब मैं प्रधानमंत्री बना तो मैं शुरू शुरू में सीखना चाहता था। समझना भी चाहता था के आखिर ये है क्या इतना बड़ा है, तो मैं अफसरों की मीटिंग लेता था। ब्रीफिंग लेता था क्या चल रहा है कैसा नहीं है। तो एक दिन बिजली वालों की ब्रीफिंग ले रहा था। तो उन्होंने कहा साहब मैंने पूछा भई कोई जगह है जहां अभी भी बिजली नहीं पहुंची हो। सोचा आजादी के 70 साल हो गए तो ऐसा पूछना ही नहीं चाहिए। तो मैं थोड़ा डरते डरते पूछ लिया कि भई कहीं ऐसा तो नहीं है कहीं दूर अभी भी बिजली पहुंची नहीं। तो मैं हैरान हो गया उन्होंने कहा साहब 18000 गांव ऐसे हैं जहां अभी बिजली नहीं पहुंची है। आप मुझे बताइए 21वीं सदी और 18वीं शताब्दी में फर्क क्या। 18वीं शताब्दी में भी तो लोग बिना बिजली के सूर्य के प्रकाश में या चन्द्रमा की रौशनी में जिन्दगी का गुजारा करते थे आजादी के 70 साल के बाद मेरे देश में 18000 गांव 18वीं शताब्दी की जिन्दगी जीने के लिए मजबूर है। आधुनिक भारत का सपना मुझे पूरा करना था। 

मैंने बीड़ा उठाया मैंने कहा हां भई बताइए कब तक होगा। उन्होंने कहा साहब सात साल तो लगेगा। उनकी ये हिम्मत ही मेरे लिये हैरानगी थी। आराम से कह दिया सात साल लगेगा। मैंने कहा भई जल्दी करना चाहिए ऐसा क्यों करते हो क्यों सोचते हो समझा रहा था। अखिरकार जब मैंने एक दिन लालकिले में 15 अगस्त को बोल दिया। 1000 दिन के अंदर हम 18000 गांव में हम बिजली पहुंचा देंगे। अभी हजार दिन हुए नहीं करीब तेरा चौदह हजार गांवों में बिजली पहुंच गई भइयो बहनों क्योंकि मुझे आधुनिक भारत बनाना है। और बाकी जो गांव बाकी हैं उसका काम भी बहुत तेजी से चल रहा है। 

भारत में ढाई लाख पंचायत है। 6 लाख गांव हैं पंचायत के आप मुझे बताइए क्या आप एक घंटा भी मोबाइल के बिना जी सकते हो क्या। जी सकते हो क्या। परेशानी हो जाती है न अगर ये हक आपको है तो हिन्दुस्तान के हर गरीब को है कि नहीं है। गांव को है कि नहीं है। भाइयों बहनों हमने डिजिटल इंडिया का मिशन उठाया है उन ढाई लाख पंचायतें जहां पर ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क का काम चल रहा है। तेज गति से काम चल रहा है। और आने वाले कुछ ही समय में इन ढाई लाख गांवों तक डिजिटल व्यवस्था करने के लिये ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क खड़ा कर के आधुनिक से आधुनिक व्यवस्था ट्रांस्मीटर की और उसके कारण लॉन्ग डिस्टेंस एजुकेशन संभव होगा बड़ सेंक्सन में होगा। जो सुविधाएं शहर में उपलब्ध हैं वो ज्ञान की सुविधाएं गांव को भी उपलब्ध हो उस दिशा में हम काम करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। यानी भारत आगे बढ़े लेकिन भारत आधुनिक बने उन चीजों को बल देकर हम काम कर रहे हैं। और उस काम कि दिशा में प्रयास चल रहा है। भाईयों बहनों अनेक बातें हैं आप जरूर भारत के लिये रुचि रखते होंगे। लेकिन मैं आपसे आग्रह करता हूं। इतनी बड़ी संख्या में नीदरलैंड में आप लोग रहते हैं सूरीनाम से आए हैं डच सिटीजन हैं क्या तकलीफ है आपको ओसीआई कार्ड निकालने में आपका मन नहीं करता है ये नाता जोड़ना चाहिए। मैं हैरान हो गया जब मैंने सुना कि यहां इतनी मात्रा में हिन्दुस्तान का डायस्पोरा है लेकिन सिर्फ 10 परसेन्ट लोग हैं जिनका ओसीआई कार्ड है। 

आप मुझे बताइए इस 26 जनवरी के पहले मिशन मोड में आप इस काम को पूरा करेंगे। करना चाहिए मैं यहां की एम्बेसी को भी कहता हूं। देखिये ये ओसीआई कार्ड ये आपका और हिन्दुस्तान के साथ सदियों पुराने नाते का एक लिंक है इसको भूलना नहीं चाहिए। और उसको रुपये पैसे के तराजू से तोलना नहीं चाहिए। जो भी देना पड़े देकर के भी ओसीआई कार्ड ये मेरे लिये। मैं कल दो दिन पहले पोर्तुगल में था। वहां के प्रधानमंत्री पब्लिकली अपना ओसीआई कार्ड दिखा रहे थे बोले मुझे गर्व है कि मेरे पास ओसीआई कार्ड है मैं मूल भारतीय हूं और मैं आज यहां प्रधानमंत्री हूं। पब्लिक में उन्होंने दिखाया। हर हिन्दुस्तानी के मन में स्पिरिट होना चाहिए । मैं हूं ..मेरे पर ओसीआई है। अच्छा तेरे पास नहीं ओ तेरी। ये भाव बनना चाहिए। और मैं चाहूंगा और मैं पूछूंगा हमारे एम्बीसी को अब नये एम्बेस्डर आए हैं। और मैं तो ये पूछूंगा ..कितने बने। मैं आपसे चाहूंगा मदद कीजिए। 

क्योंकि ये काम हमारा पूरा होना चाहिए देखीए जो 2000 जो डच पासपोर्ट वाले हैं 2015 से उनके लिये भारत में ई-वीज़ा की व्यवस्था हो चुकी है। इसका लाभ आप लोग लेते होंगे। और मैं आपसे कह रहा हूं। डच नागरिकों के लिये आने वाले दिनों में पांच साल का बिजनेस वीज़ा देने की दिशा में भी भारत सरकार सोच रही है। पांच साल का बिजनेस एवं टूरिस्ट विजा ये अपने आप में डच नागरिकों को भारत के साथ जोड़ने का एक अहम प्रयास है। मेरी आप सबसे गुजारिश है कि आप लोग भारत के साथ जुड़ने के अपने प्रयासों को निरंतर बनाए रखीए अपने देश के साथ मन मस्तिष्क से जुड़े हुए हैं परम्परा से जुड़े हुए हैं। भारत की अच्छी बात सुनते ही आपको हर्षोल्लास हो जाता है। इतना भारतमय आपका जीवन है। उसको निकट बनाने का और प्रयास करते रहिये। आप लोग मेरे से जुड़ना चाहते हैं क्या? पक्का। 

आप चाहते हैं कि देश का प्रधानमंत्री हिन्दुस्तान का प्रधानमंत्री आपके जेब में हो। क्यों आप चुप हो गए। क्या हिन्दुस्तान का प्रधानमंत्री आपके जेब में हो तो बुरा है क्या? आप नहीं चाहते हैं कि आप गर्व से अरे छोड़ो यार हिन्दुस्तान का प्रधानमंत्री मेरे जेब में है। नहीं चाहते क्या? मैं बताता हूं तरीका है उसका। आप अपने मोबाइल फोन पर नरेन्द्र मोदी एप डाउनलोड कर दीजिए मैं 24 घंटे, 24 घंटे आपके जेब में उपलब्ध रहूंगा। और आपकी हर धड़कन को मैं सुन पाऊंगा। आइए मेरा और आपका निकट का नाता बनना चाहिए। आप का मुझ पर पूरा पूरा अधिकार है। आपके पासपोर्ट के रंग के आधार पर तय नहीं होगा। आप जिसके दिल से आवाज उठती है भारत माता की जय उन सब के लिये मेरा जीवन समर्पित है। इसी भावना के साथ आप इतनी बड़ी संख्या में आए इतने कम समय के होने के बावजूद भी आए। मैं हृदय से आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं। बहुत बहुत धन्यवाद। 

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।