‘का हाल बा’ ?
नीदरलैंड के मेरे प्यारे भारत के प्रवासी भाइयों और बहनों मैं यहां के मैडम मेयर का, डिप्युटी मेयर का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने मेरा स्वागत सम्मान किया वो स्वयं इस कार्यक्रम में उपस्थित हैं। मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं।
ये जो गूंज आपके चारों तरफ सुनाई दे रही है। जो उत्साह उमंग दिखाई दे रहा है। जो लोग भारत में टीवी पर इसे देखते होंगे, उन्हें जरूर आश्चर्य होता होगा कि छोटे से हेग में भी भारतीयों का इतना दम है। मैं खास कर के सूरीनाम के जो लोग हैं। उनका मैं विशेष रूप से अभिनन्दन करना चाहता हूं। बहुत वर्ष पहले मुझे सूरीनाम जाने का सौभाग्य मिला था।
5 जून हर वर्ष सूरीनाम के लोग बड़े गौरव से मनाते हैं। दुनिया में जहां जहां भारतवासी गये उन सबके लिये ये हमारे सूरीनाम के भाई-बहन या उस कालखंड में दुनिया के जिन जिन देशों में मजदूर के रूप में लोगों को ले जाया गया। चाहे मॉरीशिस हो, चाहे सूरीनाम हो, गयाना हो, डेढ़ सौ साल हो गये। चार-चार पीढ़ियां बीत गईं। लेकिन आज भी भारत की भाषा, भारत की संस्कृति, भारत की परम्परा उसको ऐसे उन्होंने बरकरार रखा हैं। मैं उनको लाख लाख बधाई देता हूं अभिनन्दन करता हूं। और हमें हमारे उन पूर्वजों को नमन करना चाहिए कि जिन्होंने भारत का किनारा छोड़ने के बाद कभी भारत की ओर देखने का मौका नहीं मिला लेकिन अपने साथ जिस भारतीयता को लेकर के गये आज चौथी, पांचवीं पीढ़ी, छठी पीढ़ी होगी वैसे ही वैसे परिवार के अंदर उसको बरकरार रखा है। वरना आज एक ही पीढ़ी में सब कुछ बदल जाता है भाषा भी छूट जाती है और कभी कभी मां-बाप गर्व करते हैं कि मेरे बेटे को भारतीय भाषा नहीं आती है। इन चीजों से अपने जड़ों के साथ जुड़ने से एक ताकत प्राप्त होती है। लोहे का गोला कितना ही ताकतवर क्यों न हो कितना ही बड़ा क्यों न हो कितना ही मजबूत क्यों न हो लेकिन ढंग से दो बालक भी उसको धक्का मारे तो धीरे धीरे चला जाता है। लेकिन पेड़ जिसकी जड़ें जमीन से जूड़ी हुई हैं, उसकी ताकत कुछ और होती है, वो न हिल पाता है और वो साया भी देता है और इसलिये जड़ों से जुड़े रहना और जुड़े रहने के कारण ताकत क्या होती है ये मेरे सूरीनाम के भाइयों-बहनों से सीख सकते हैं। उसी प्रकार से आप में से बहुत लोग होंगे, जिन्होंने अभी भी हिन्दुस्तान नहीं देखा होगा। आपमें से कई ऐसे होंगे जिनके पहले उनके दादा परदादा हिन्दुस्तान छोड़कर आए वो कहां से आये किस गांव के थे क्या था, रिश्तेदार कौन थे। कुछ पता नहीं होगा। लेकिन उसके बाद भी दिल में हिन्दुस्तान आज भी मौजूद है। एक प्रकार से आप जो कुछ भी हैं, अपने बलबूते पर हैं, परिश्रम से हैं, अपने सामर्थ से हैं। उसके बावजूद भी आपके दिल में हमेशा रहता है कि भारत का जैसे आप पर कोई कर्ज है और मौका मिले तो भारत का ये कर्ज चुकाना है। मैं समझता हूं इससे बड़ी कोई भक्ति नहीं हो सकती, भावना नहीं हो सकती।
यहां पर दो प्रकार के लोग हैं। एक तो वो हैं जो डेढ़ सौ साल से हिन्दुस्तान छोड़कर के निकले हुए लोग वाया सूरीनाम यहां पहुंचे हैं और दूसरे वो हैं जो ताजा ताजा हवाई जहाज में बैठकर के आए हैं। जो अभी अभी आये हैं मैं उनसे कहना चाहता हूं क्या कभी आपने सोचा कि आप अगर डेढ़ सौ साल हिन्दुस्तान से कटऑफ होते तो क्या आपके अंदर वही भारतीयता, हिन्दुस्तानी का भाव वैसा ही बरकरार होता जैसे सूरीनाम के लोगों का है। और इसलिये मैं चाहूंगा कि यहां पर रहने वाले पासपोर्ट का रंग कोई भी क्यों न हो, पासपोर्ट के रंग बदलने से खून के रिश्ते नहीं बदलते।
मेरे हर हिन्दुस्तानी से प्रार्थना है, आग्रह है कि पासपोर्ट के रंग के आधार पर रिश्ते नाते न जोड़ें पासपोर्ट का रंग कुछ भी क्यों न हो उसके और मेरे पूर्वज एक हैं। जिस धरती की पूजा वो करता है उस धरती की पूजा मैं करता हूं। उसकी जिन्दगी की वो मुसीबत रही कि डेढ़ सौ साल पहले उसे देश छोड़कर जाना पड़ा। मैं भाग्यवान हूं मैं अब भी मेरे देश की जड़ों से जुड़ा हुआ हूं। मेरा ज्यादा कर्तव्य बनता है कि मैं सूरीनाम वालों को गले लगाऊँ। हम एक बनकर के रहें। हम साथ मिलकर के कार्यक्रम करें। अब हमारे बीच में जरा सा भी दूरी नहीं होनी चाहिए। हो सकता हैं जो अभी आयें हैं अभी अभी आये हैं उनको शायद हिन्दी बोलने में तकलीफ होती होगी। सूरीनाम वालों को नहीं होती है।
न सिर्फ यूरोप में लेकिन Caribbean Countries में भी हम सब मिलकर के इसे एक ऐसा ऊर्जा भूमि बना सकते हैं हेग को इन सारे भू भाग के भारतीयों के साथ हमारा नाता जुड़ जाए। और आज तो आज तो Technology इतनी सरल है कि आप मोबाइल फोन से इन सभी परिवारों से निकट से जुड़ सकते हैं, संगठन में ही तो शक्ति है। और इसलिये मैंने देखा आपकी ताकत मेरा कार्यक्रम तो अभी अचानक बना है। कुछ ज्यादा तैयारी करने का मौका नहीं मिला। पिछले दो चार दिन में शायद आपको खबर मिली और इतनी बड़ी मात्रा में आप लोग पहुंच गए। सरकार की तरफ से Embassy होती है, Ambassador होते हैं, बाबू लोग होते हैं, लेकिन आपको पता है उनको राजदूत कहते हैं। हिन्दी भाषा में उन्हें राजदूत कहते हैं। लेकिन यहां आप सब राष्ट्रदूत हैं। हर हिन्दुस्तानी, हर हिन्दुस्तानी दुनिया के हर कोने में राष्ट्रदूत है। हमारे देश की उन अच्छाइयों से विश्व को परिचित करना है, जब विश्व को पता चलता है कि भारत ऐसा देश है, जहां दुनिया के सभी सम्प्रदाय दुनिया का कोई ऐसा सम्प्रदाय नहीं है, जिसको भारत में गौरवपूर्ण स्थान न हो। लोगों को आश्चर्य होता है। दुनिया का छोटा सा छोटा सम्प्रदाय भी होगा पंथ होगा मानने वाले लोग होंगे भारत में आपको अवश्य मिलेंगे और गर्व से जीते हैं। दुनिया को जब पता चलता है कि हिन्दुस्तान में 100 भाषाएं हैं Hundred languages, 1700 Dialects .. 1700 से भी ज्यादा बोलियां लोगों को आश्चर्य होता है| अच्छा हमें तो यूरोप में देश बदलता है भाषा बदलता है हमें तो दिक्कत हो जाती है। आप सौ भाषाओं के बीच कैसे जी रहे हो। हमें जोड़ने वाली जो ताकत है वो हमारी मातृभूमि के प्रति हमारा प्यार है। उस धरती के प्रति त्याग तपस्या के प्रति ...इतिहास के प्रति ...परम्पराओं के प्रति हमारा लगाव है। और इसलिये कोई भी हिन्दुस्तानी दुनिया में गर्व के साथ खड़ा हो सकता है कि मेरा देश विविधताओं से भरा हुआ है।
विश्व में जो कुछ भी आप अनुभव करते हैं। आप मेरे देश में स्वाभाविक रूप से कर सकते हैं। देश की विशालता है। जब दुनिया के लीडर से मैं मिलता हूं और मैं सवा सौ करोड़ देशवासियों का सरकार का प्रधानमंत्री हूं तो मेरे सामने देखते रहते हैं। उनको लगता है हमें छोटे से देश को चलाने में इतनी दिक्कत होती है आप कैसे चलाते हो। मैं उनको कहता हूं कि आप लोग देश यहां आप चलाते हैं मेरे यहां सवा सौ करोड़ देशवासी देश चलाते हैं। लोकतंत्र की यही ताकत है। भारत के अंदर विशेष रूप से जब से मुझे सरकार में सेवा करने का मौका मिला है। हमने सबसे बड़ा प्रयास ये किया है कि जन भागीदारी से देश के हर काम में जन भागीदारी को प्राथमिकता दी है। सब कुछ सरकार करेगी सारी समस्याओं का समाधान सरकार के पास ही है |भागवान बुद्धि बांटने निकले तो सारे सरकार वालों को ही बुद्धि मिली थी ये सोच से हम बाहर निकल आ चुके हैं और हमारी कोशिश ये है कि जन भागीदारी से देश कई गुना प्रगति कर सकता है, तेज गति से प्रगति कर सकता है। अगर सरकार तय करती कि हम Toilet बनाएंगे खुले में शौच जाना बंद करवाएंगे, स्कूलों में बच्चियों के लिये शौचालय बनाएंगे, ये कार्यक्रम तो पहले भी चलते थे। लेकिन वो कार्यक्रम सरकार चलाती थी। हमने आकर के कहा लोग इसको उठाने और आपको जानकर के खुशी होगी कि स्कूलों के अंदर एक साल के भीतर भीतर बालिकाओं के लिये अलग शौचालय बनाने का काम बालकों के लिये अलग शौचालय बनाने का काम लोगों ने पूरा कर दिया। कहने का तात्पर्य यह है कि नई जो सरकार बनी है आज देश में जिसने अपने हर काम में लोक भागीदारी जन भागीदारी को प्राथमिकता दी है। वरना पहले क्या होता था। लोकतंत्र का मतलब बहुत सीधा सादा हो गया था...Democracy मतलब पांच साल में एक बार जाना, ईवीएम मशीन का बटन दबाना और जो पसंद आए उसको जिता देना और उसको पांच साल का कॉन्ट्रैक्ट दे देना देखो पांच साल तुमको बैठाया है ये हमारे दस काम कर देना। नहीं कर पाए तो छुट्टी जाओ दूसरा आए। ये लोकतंत्र की मर्यादा नहीं है। ये तो लोकतंत्र का एक सीमित भाग है कि जिसमें जन वोट देता है सरकार उनकी है। लेकिन सरकार चलती है जन भागीदारी से।
हमारे यहां कोई प्राकृतिक आपदा आ जाए, तो हम सबने अनुभव किया है कि सरकारी तंत्र की ताकत बहुत छोटी पड़ जाती है। लेकिन लोग सामाजिक संस्थाएं, धार्मिक संस्थाएं ऐसे फूड पैकेट ढिकना फलाना लेकर के निकल पड़ते हैं प्राकृतिक आपदा में हर किसी की मदद तुरंत पहुंच जाती है क्यों जनशक्ति का सामर्थ है। इस सरकार की कोशिश है कि हर काम में जनभागीदारी। भारत का संघीय ढांचा है राज्य, केन्द्र कंधे से कंधा मिलाकर कैसे काम करें in true spirit Federal Structure को कैसे बढ़ावा मिले उस पर इस सरकार ने बल दिया है।
Good Governance मैं मानता हूं कि Development plus Good Governance तभी जाकर के जनता जनार्दन के सपने पूरे होते हैं। सिर्फ Development से स्पिरिट्स पूरे नहीं होते हैं। सिर्फ Good Governance से भी नहीं होते हैं। Development And Good Governance दोनों का Combination होता है, तब जनसामान्य को समाधान होता है। बस अड्डा बनाऊं, बस स्टेशन अच्छा बनाऊँ Development हुआ, लेकिन बस समय पर आए, बस में साफ सफाई हो, Driver, Conductor का व्यवहार ठीक हो ये Good Governance होता है। तब सामान्य व्यक्ति को संतोष मिलता है। उसको समाधान मिलता है हां ये मेरी सरकार है ये मेरा देश है, ये मेरी संपत्ति है। इस सरकार का लगातार भाव यही है कि जन भागीदारी को बल मिले, जनशक्ति को बल मिले और जनशक्ति के भरोसे देश को आगे बढ़ाने का प्रयास हो और ये अनुभव हमारा देश की जनता जनार्दन को जिस काम में ढूंढ़ने के लिये, आपने देखा होगा दो साल पहले जब हमारी सरकार बनी तो टीवी पर एक ही खबर आती रहती थी कि दाल महंगी है दाल महंगी है। मोदी बताओ दाल के दाम क्यों कम नहीं हो रहे जहां भी जाओ बस यही अब दाल के भाव इतने कम हो गए कोई पूछता ही नहीं है। कैसे हो गया, लेकिन देश के किसानों से मैंने प्रार्थना की कि आप Pulses की खेती को भी बल दीजिए और पल्सेस की खेती के लिये इतना कुछ करना नहीं पड़ता फसल के बीच के अंदर उसको बोया जा सकता है। Extra Income होती है। और मेरे देश के किसानों ने ये करके दिखाया। विपुल मात्रा में Pulses का उत्पादन किया, तो आज थाली सस्ती हो गई। मध्यम वर्ग के परिवार में Pulses अगर ज्यादा खाता है तो प्रोटीन भी ज्यादा मिलता तो शरीर की शक्ति भी बढ़ती है, शरीर की काफी Requirement पूरी होती है। कहने का तात्पर्य यह है कि सरकारी प्रयत्नों से ज्यादा जन सामान्य का सामर्थ एक बहुत बड़ा रोल प्ले करता है।
भारत के बाहर ऐसी धारणा है कि भारत में महिलाएं तो House Wife हैं। कुछ करना वरना नहीं किचन में होती हैं। ये बाहर एक कल्पना है , सत्य अलग है। आज भी हिन्दुस्तान का पशुपालन, डेयरी, मिल्क ये पूरा क्षेत्र एक प्रकार से भारत में महिलाएं ही संभालती हैं। पुरुष का बहुत कम योगदान है। कृषि में भी महिलाओं की भागीदारी बहुत बड़ी होती है। वो Physically Contribute करती हैं लेकिन हमारी सामाजिक रचना ऐसी है कि उसको रुपये पैसे के तराजू में तोला नहीं जाता। इसका मतलब ये नहीं कि भारत की आर्थिक विकास की यात्रा में महिलाओं की भूमिका नहीं है। महिलाओं की भूमिका है। महिलाओं में Potential भी है और इसलिये हमारी सरकार ने पचास प्रतिशत जो जनसंख्या है उसको भारत की विकास यात्रा का एक प्रमुख हिस्सा बनाने की दिशा में बीड़ा उठाया है। Empowerment of Women और इतना ही नहीं Women led Development हमने जब प्रधानमंत्री जनधन योजना का अभियान चलाया बैंक के खाते खोलने का हमारे देश में 40 प्रतिशत लोग ऐसे थे जो कभी बैंक के दरवाजे नहीं गए Formal Economy से बाहर थे। हमने अभियान चलाया और खुशी की बात है कि जब बैंक एकाउंट खोले गए तो उसमें ज्यादातर महिलाओं के बैंक एकाउंट थे। महिलाओं को लगने लगा हां मैं भी कुछ आर्थिक व्यवस्था का हिस्सा हूं। अभी हमने एक योजना बनाई मुद्रा योजना। मुद्रा योजना से हमने entrepreneurship को बल मिले। हमारे देश का नौजवान Job Seeker से Job Creator बने। वो जॉब देने वाला बने छोटे –छोटे ही काम करते ही लोग एक को नौकरी रखत सकते हैं दो को रख सकते हैं, काम दे सकते हैं। और इसलिये छोटे छोटे कारोबार को मदद करने की दिशा में हमने बड़ा अभियान उठाया।
मुद्रा योजना और मुद्रा योजना ऐसी है कि किसी भी प्रकार की गारंटी दिये बिना नागरिक को अगर वो बैंक में आता है अपनी सारी जानकारियां देता है। तो पचास हजार रुपये से लेकर के दस लाख रुपये तक उसको लोन मिलती है। करीब सात करोड़ लोगों ने इसका फायदा उठाया सात करोड़ लोगों ने। और करीब तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रकम इन लोगों को मिली है। किसी को पचास हजार, किसी को पचपन हजार किसी को अस्सी हजार किसी को लाख और आपको जानकर के खुशी होगी एक मुद्रा योजना का लाभ लेने वाले में 70 प्रतिशत महिलाएं हैं 70 परसेंट महिलाएं।
Women Empowerment कैसे होगा, Women led Development कैसे होगा। ये उससे नजर आता है। आज भी दुनिया के Forever कहे जाने वाले देशों में Maternity leave Average 12 week है... developed Country में भी Working Women के लिये Maternity leave 12 week है। भारत एक ऐसा देश है जिसने Parliament में कानून बनाया और अब Working Women को 26 week का Maternity leave दिया जाता है। 6 महीने और वो इसलिये हम भारत के भविष्य की ओर देखते हैं अभी तो ऐसा लगेगा अच्छा 6 महीने नौकरी करेगी पगार खाएगी। किसी को लगता होगा। लेकिन वो 6 महीने उस बालक की परवरिश करती है, जो मेरे देश के आने वाले कल है। ये Investment है यानी 26 सप्ताह एक Working Women को नौकरी से छुट्टी देना पगार चालू रखना शुरू में तो लगता है काम कौन करेगा, शुरू में तो लगता है मुफ्त का पैसा देना लेकिन लम्बे दूर देखते हैं तो पता चलता है उसकी गोद में जो बालक है उसका मां की गोद में ऐसा लालन पालन होना छह महीने का उसका Base इतना मजबूत होगा कि मेरा भविष्य उज्वल हो जाएगा, मेरा भविष्य मजबूत हो जाएगा इस दिशा में काम करते हैं।
जब अमेरिका के राष्ट्रपति पूर्व राष्ट्रपति श्रीमान ओबामा 26 जनवरी को प्रजा सत्ता पर्व के लिये भारत आए थे। अब जब गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया उनको तो फौज की तीनों पंक्ति आर्मी, नेवी, एयरफोर्स सब महिला पुलिस फौज के तीनों उनको गॉर्ड ऑफ ऑनर दे रही थीं| कमान उनका संचालन भी एक महिला कर रही थी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने मंच पर चलते हुए कहा मोदी जी बड़ा अचरज है भई ये है हिन्दुस्तान में। मैंने कहा अभी तो शुरुआत है मैंने कहा कल देखना और 26 जनवरी की परेड हुई तो सारी दुनिया के लिये मुख्य खबर थी कि उस परेड का नेतृत्व महिला ही कर रही थी। परेड के अंदर जो दस्ते चल रहे थे वो महिलाओं के चल रहे थे। सुरक्षा के क्षेत्र में भी मेरे देश की महिलाएं बहुत बड़ी भूमिका अदा करती हैं। दिल्ली में अगर आप जाएं या देश के अन्य किसी राज्य में जाएंगे जहां पर पुलिस में 33 परसेंट महिला पुलिस के लिये रिज़र्व किया गया है और सुरक्षा की जिम्मेवारी भी ये Empower महिलाएं हमारी करेगी। उस दिशा में हम काम कर रहे हैं।
अभी आपने देखा होगा फाइटर विमान उड़ा रही है हमारी महिलाएं बहनें। फाइटर प्लेन का नेतृत्व महिलाओं के हाथ में दुनिया के अंदर चर्चा है। आज भारत स्पेस टेक्नॉलॉजी की दुनिया में अंतरिक्ष में पूरे विश्व में उसने अपना बड़ा नाम कमाया है। अभी पिछले सप्ताह एक साथ 30 नैनो सेटेलाइट छोड़ने का काम सफलतापूर्वक हमारे यहां हुआ। इसके पहले हमारे साइंटिस्टों ने वर्ल्ड रिकॉर्ड किया। 104 सैटलाइट लॉन्च करने का काम हिन्दुस्तान के स्पेस साइंस ने किया। पिछले महीने सबसे भारी वजन का सैटलाइट छोड़ा गया और वजन इतना तो अखबार वालों ने लिखा इतने इतने हाथी जितना यानी हाथी के वजन के बराबर लिखा गया। आपको जानकर के खुशी होगी। इस पूरी स्पेस की दुनिया में काम करने में तीन प्रमुख वैज्ञानिक महिलाएं हैं जो इस काम को कर रही हैं। क्यों गर्व नहीं होगा मेरे देश की माताओं बहनों की ये शक्ति किसको गर्व नहीं होगा। चाहे विज्ञान का क्षेत्र हो, चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो, आरोग्य का क्षेत्र हो आज कल तो हिन्दुस्तान के किसी भी राज्य में अगर टीचर कॉन्फ्रेंस करें तो आपको एक जगह पर बोर्ड लगाना पड़ेगा कि ये कोना पुरुष टीचर के लिये रिज़र्व है। पूरा शिक्षा क्षेत्र का काम आज मेरे देश में माताएं बहनें संभाल रही हैं। खेल सैक्टर, नर्सिंग, पैरामैडिकल, मैडिकल, कहीं पर भी जाइए आपको नजर आएगा कि महिलाएं उस काम को कर रही हैं। कहने का तात्पर्य यही है कि महिला शक्ति और खेल कूद में ओलिम्पिक में कौन मैडल ले आया। सारे मैडल लाने वाली हमारी बेटियां थीं। हर किसी ने हिन्दुस्तान का नाम रौशन किया। इतना ही नहीं शारीरिक रूप से जिनको तकलीफ है पैराओलिम्पिक उसमें भी हिन्दुस्तान के तिरंगे झंडे को ऊप करने का काम हमारी महिला खिलाड़ियों ने किया।
एक ऐसी सरकार है दिल्ली में जिसके दिलो दिमाग में भारत की विकास की यात्रा में भारत की पचास प्रतिशत जनसंख्या वो ताकतवर कैसे बनें Empowerment कैसे हो, भारत की आर्थिक विकास की यात्रा के अंदर उसकी Equal Partnership कैसे हो, एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं और जिसका परिणाम है के आज मेरे देश की नागरिक शक्ति भारत के झंडे को ऊंचा उठाने में बहुत बड़ी अहम भूमिका अदा कर रही है। देश आगे तो बढ़ना चाहिए, पहले है उससे अच्छा होना चाहिए लेकिन वक्त ज्यादा इंतजार नहीं करेगा। जिस गति से हम यहां तक पहुंचे हैं, उस गति से आगे जाना उस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता है, जो हर हिन्दुस्तानी के दिल में है। और इसलिये गति को तेज करना अनिवार्य हो गया है। पहले सरकारें हुआ करती थीं। एक काम दो काम ऐसे हो जाते थे वो सरकार जानी जाती थी इस काम के लिये। आज हरदिन एक नया काम करो तो भी कम पड़ जाता है इतने aspirations बढ़ गये हैं। और देश को सिर्फ आगे ले जाना इतना काफी नहीं है। देश को आधुनिक बनाना बहुत जरूरी है। हमें आगे तो बढ़ना है। लेकिन हमें आधुनिक भी बनना है। 21वीं सदी का हिन्दुस्तान Global BenchMark में पीछे न रह जाए। विज्ञान टैक्नॉलॉजी के क्षेत्र में पीछे न रह जाए। हमारा Infrastructure Global Bench Mark अनुकूल हो और विश्व की बराबरी करने का सामर्थ हिन्दुस्तान में होना चाहिए। इस भूमिका से हम आगे बढ़ रहे हैं। आज Health concerns का माहौल है। एनवायरमेंट की चिंता है। हर किसी को लगता है भई सांस ले तो अच्छी सांस मिले पानी पीए तो अच्छा मिले, खाना खाए तो अच्छा मिले। बहुत स्वाभाविक concerns है शायद। भारत ने बीड़ा उठाया है ऊर्जा के क्षेत्र में रिन्युबल एनर्जी 175 गीगा वाट आप में से बहुत लोग होंगे जिनके लिये गीगा वाट शब्द नया होगा। क्योंकि सदियों से हम मेगा वाट से आगे सोचा ही नहीं। मेगा वाट यानी हमारा अल्टीमेट था। 175 गीगा वाट रिन्युबल एनर्जी का हमारा लक्ष्य है।
सोलर एनर्जी हमारे देश की आवश्यकताओं में कैसे रोल करें विंड एनर्जी, न्युक्लियर एनर्जी, बायोमास एनर्जी एक बहुत बड़ा बदलाव जो एन्वायरमेंट को पॉजिटिव इम्पैक्ट बनाकर उस दिशा में तेज गति से काम आगे बढ़ रहा है। और आज स्थिति ऐसी है कि कोयले से उत्पादन होने वाली बिजली से सोलर एनर्जी सस्ती हो जाए यहां तक स्पर्धा आगे बढ़ी है। आप भविष्य की कल्पना कर सकते हैं अगर पूरी व्यवस्था सोलर एनर्जी द्वारा चलती होगी, तो इकोनोमी में कितना बड़ा बदलाव आएगा।
देश को आज खाड़ी के देशों से जो तेल आयात करना पड़ता है, उस आयात में कितनी बड़ी कटौती आएगी। देश कितना आत्मनिर्भर बनेगा। और उसलिये जो सूर्य शक्ति ये सूरज मैं प्रधानमंत्री बना हूं उसके बाद आया है क्या? पहले था कि नहीं था। था की नहीं था। मुझे दिखता था उनको नहीं दिखता था। और इसलिये पूरा जीवन को आधुनिक बनाने की दिशा में ये हमारी पहल है।
डिजिटल इंडिया जब मैं प्रधानमंत्री बना तो मैं शुरू शुरू में सीखना चाहता था। समझना भी चाहता था के आखिर ये है क्या इतना बड़ा है, तो मैं अफसरों की मीटिंग लेता था। ब्रीफिंग लेता था क्या चल रहा है कैसा नहीं है। तो एक दिन बिजली वालों की ब्रीफिंग ले रहा था। तो उन्होंने कहा साहब मैंने पूछा भई कोई जगह है जहां अभी भी बिजली नहीं पहुंची हो। सोचा आजादी के 70 साल हो गए तो ऐसा पूछना ही नहीं चाहिए। तो मैं थोड़ा डरते डरते पूछ लिया कि भई कहीं ऐसा तो नहीं है कहीं दूर अभी भी बिजली पहुंची नहीं। तो मैं हैरान हो गया उन्होंने कहा साहब 18000 गांव ऐसे हैं जहां अभी बिजली नहीं पहुंची है। आप मुझे बताइए 21वीं सदी और 18वीं शताब्दी में फर्क क्या। 18वीं शताब्दी में भी तो लोग बिना बिजली के सूर्य के प्रकाश में या चन्द्रमा की रौशनी में जिन्दगी का गुजारा करते थे आजादी के 70 साल के बाद मेरे देश में 18000 गांव 18वीं शताब्दी की जिन्दगी जीने के लिए मजबूर है। आधुनिक भारत का सपना मुझे पूरा करना था।
मैंने बीड़ा उठाया मैंने कहा हां भई बताइए कब तक होगा। उन्होंने कहा साहब सात साल तो लगेगा। उनकी ये हिम्मत ही मेरे लिये हैरानगी थी। आराम से कह दिया सात साल लगेगा। मैंने कहा भई जल्दी करना चाहिए ऐसा क्यों करते हो क्यों सोचते हो समझा रहा था। अखिरकार जब मैंने एक दिन लालकिले में 15 अगस्त को बोल दिया। 1000 दिन के अंदर हम 18000 गांव में हम बिजली पहुंचा देंगे। अभी हजार दिन हुए नहीं करीब तेरा चौदह हजार गांवों में बिजली पहुंच गई भइयो बहनों क्योंकि मुझे आधुनिक भारत बनाना है। और बाकी जो गांव बाकी हैं उसका काम भी बहुत तेजी से चल रहा है।
भारत में ढाई लाख पंचायत है। 6 लाख गांव हैं पंचायत के आप मुझे बताइए क्या आप एक घंटा भी मोबाइल के बिना जी सकते हो क्या। जी सकते हो क्या। परेशानी हो जाती है न अगर ये हक आपको है तो हिन्दुस्तान के हर गरीब को है कि नहीं है। गांव को है कि नहीं है। भाइयों बहनों हमने डिजिटल इंडिया का मिशन उठाया है उन ढाई लाख पंचायतें जहां पर ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क का काम चल रहा है। तेज गति से काम चल रहा है। और आने वाले कुछ ही समय में इन ढाई लाख गांवों तक डिजिटल व्यवस्था करने के लिये ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क खड़ा कर के आधुनिक से आधुनिक व्यवस्था ट्रांस्मीटर की और उसके कारण लॉन्ग डिस्टेंस एजुकेशन संभव होगा बड़ सेंक्सन में होगा। जो सुविधाएं शहर में उपलब्ध हैं वो ज्ञान की सुविधाएं गांव को भी उपलब्ध हो उस दिशा में हम काम करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। यानी भारत आगे बढ़े लेकिन भारत आधुनिक बने उन चीजों को बल देकर हम काम कर रहे हैं। और उस काम कि दिशा में प्रयास चल रहा है। भाईयों बहनों अनेक बातें हैं आप जरूर भारत के लिये रुचि रखते होंगे। लेकिन मैं आपसे आग्रह करता हूं। इतनी बड़ी संख्या में नीदरलैंड में आप लोग रहते हैं सूरीनाम से आए हैं डच सिटीजन हैं क्या तकलीफ है आपको ओसीआई कार्ड निकालने में आपका मन नहीं करता है ये नाता जोड़ना चाहिए। मैं हैरान हो गया जब मैंने सुना कि यहां इतनी मात्रा में हिन्दुस्तान का डायस्पोरा है लेकिन सिर्फ 10 परसेन्ट लोग हैं जिनका ओसीआई कार्ड है।
आप मुझे बताइए इस 26 जनवरी के पहले मिशन मोड में आप इस काम को पूरा करेंगे। करना चाहिए मैं यहां की एम्बेसी को भी कहता हूं। देखिये ये ओसीआई कार्ड ये आपका और हिन्दुस्तान के साथ सदियों पुराने नाते का एक लिंक है इसको भूलना नहीं चाहिए। और उसको रुपये पैसे के तराजू से तोलना नहीं चाहिए। जो भी देना पड़े देकर के भी ओसीआई कार्ड ये मेरे लिये। मैं कल दो दिन पहले पोर्तुगल में था। वहां के प्रधानमंत्री पब्लिकली अपना ओसीआई कार्ड दिखा रहे थे बोले मुझे गर्व है कि मेरे पास ओसीआई कार्ड है मैं मूल भारतीय हूं और मैं आज यहां प्रधानमंत्री हूं। पब्लिक में उन्होंने दिखाया। हर हिन्दुस्तानी के मन में स्पिरिट होना चाहिए । मैं हूं ..मेरे पर ओसीआई है। अच्छा तेरे पास नहीं ओ तेरी। ये भाव बनना चाहिए। और मैं चाहूंगा और मैं पूछूंगा हमारे एम्बीसी को अब नये एम्बेस्डर आए हैं। और मैं तो ये पूछूंगा ..कितने बने। मैं आपसे चाहूंगा मदद कीजिए।
क्योंकि ये काम हमारा पूरा होना चाहिए देखीए जो 2000 जो डच पासपोर्ट वाले हैं 2015 से उनके लिये भारत में ई-वीज़ा की व्यवस्था हो चुकी है। इसका लाभ आप लोग लेते होंगे। और मैं आपसे कह रहा हूं। डच नागरिकों के लिये आने वाले दिनों में पांच साल का बिजनेस वीज़ा देने की दिशा में भी भारत सरकार सोच रही है। पांच साल का बिजनेस एवं टूरिस्ट विजा ये अपने आप में डच नागरिकों को भारत के साथ जोड़ने का एक अहम प्रयास है। मेरी आप सबसे गुजारिश है कि आप लोग भारत के साथ जुड़ने के अपने प्रयासों को निरंतर बनाए रखीए अपने देश के साथ मन मस्तिष्क से जुड़े हुए हैं परम्परा से जुड़े हुए हैं। भारत की अच्छी बात सुनते ही आपको हर्षोल्लास हो जाता है। इतना भारतमय आपका जीवन है। उसको निकट बनाने का और प्रयास करते रहिये। आप लोग मेरे से जुड़ना चाहते हैं क्या? पक्का।
आप चाहते हैं कि देश का प्रधानमंत्री हिन्दुस्तान का प्रधानमंत्री आपके जेब में हो। क्यों आप चुप हो गए। क्या हिन्दुस्तान का प्रधानमंत्री आपके जेब में हो तो बुरा है क्या? आप नहीं चाहते हैं कि आप गर्व से अरे छोड़ो यार हिन्दुस्तान का प्रधानमंत्री मेरे जेब में है। नहीं चाहते क्या? मैं बताता हूं तरीका है उसका। आप अपने मोबाइल फोन पर नरेन्द्र मोदी एप डाउनलोड कर दीजिए मैं 24 घंटे, 24 घंटे आपके जेब में उपलब्ध रहूंगा। और आपकी हर धड़कन को मैं सुन पाऊंगा। आइए मेरा और आपका निकट का नाता बनना चाहिए। आप का मुझ पर पूरा पूरा अधिकार है। आपके पासपोर्ट के रंग के आधार पर तय नहीं होगा। आप जिसके दिल से आवाज उठती है भारत माता की जय उन सब के लिये मेरा जीवन समर्पित है। इसी भावना के साथ आप इतनी बड़ी संख्या में आए इतने कम समय के होने के बावजूद भी आए। मैं हृदय से आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं। बहुत बहुत धन्यवाद।