स्वच्छ भारत अभियान के लिए प्रधानमंत्री मोदी को मिला 'ग्लोबल गोलकीपर अवॉर्ड'
स्वच्छ भारत मिशन ने न सिर्फ भारत के करोड़ों लोगों के जीवन को बेहतर बनाया गया है, उनकी गरिमा की रक्षा की है बल्कि संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्यों को भी प्राप्त करने में अहम भूमिका निभाई है: पीएम मोदी
गांधी जी कहते थे कि एक आदर्श गांव तभी बन सकता है, जब वो पूरी तरह स्वच्छ हो, आज हम गांव ही नहीं, पूरे देश को स्वच्छता के मामले में आदर्श बनाने की तरफ बढ़ रहे हैं: प्रधानमंत्री

Mrs and Mr Gates,
Excellencies,
Friend,

आप सभी ने जो सम्मान दिया है, उसके लिए मैं आपका हृदय से बहुत-बहुत आभारी हूं। ये सम्मान मेरा नहीं बल्कि उन करोड़ों भारतीयों का है जिन्होंने स्वच्छ भारत के संकल्प को न केवल सिद्ध किया बल्कि अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में ढाला भी है। बिल और मिलिंडा गेट् फाउंडेशन से पुरस्कार प्राप्त करना, मेरे लिए दो और वजहों से विशेष है। पहला, स्वच्छ भारत मिशन में ये फाउंडेशन एक अहम भागीदार के तौर पर भारत के दूर-दराज वाले इलाकों में काम कर रहा है। दूसरा, बिल और मिलिंडा गेट्स जिस तरह व्यक्तिगत जीवन में अनेक सफलताएं प्राप्त करने के बाद अब सामाजिक जीवन में अपना योगदान दे रहे हैं, उसे मैं बहुत प्रशंसा की दृष्टि से देखता हूं।

साथियों,

महात्मा गांधी की 150 जन्म जयंती पर मुझे ये अवार्ड दिया जाना मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है। ये इस बात का प्रमाण है कि अगर 130 करोड़ लोगों की जनशक्ति, किसी एक संकल्प को पूरा करने में जुट जाए, तो किसी भी चुनौती पर जीत हासिल की जा सकती है। मुझे याद है कि जब पाँच साल पहले मैंने स्वच्छ भारत का जिक्र किया था तो किस तरह की प्रतिक्रिया आई थी। आज भी कई बार लोग मुझ पर ताने कसते हैं। लेकिन जब एक लक्ष्य को लेकर, एक मकसद को लेकर काम किया जाता है, अपने काम के लिए प्रतिबद्धता होती है, तो ऐसी बातें मायने नहीं रखतीं। मेरे लिए मायने रखता है, 130 करोड़ भारतीयों का, अपने देश को स्वच्छ बनाने के लिए एकजुट हो जाना। मेरे लिए मायने रखता है, 130 करोड़ भारतीयों में, स्वच्छता के लिए एक सोच विकसित होना। मेरे लिए मायने रखता है, 130 करोड़ भारतीयों का हर वो प्रयास जो उन्होंने स्वच्छ भारत के लिए किया है। और इसलिए, मैं ये सम्मान उन भारतीयों को समर्पित करता हूं जिन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को एक जनआंदोलन में बदला, जिन्होंने स्वच्छता को अपनी दैनिक जिंदगी में सर्वोच्च प्राथमिकता देनी शुरू की। आज मुझे वो बुजुर्ग महिला याद आ रही है जिसने गांव में शौचालय बनाने के लिए अपनी बकरियां बेच दीं। आज मुझे वो रिटायर्ड शिक्षक याद आ रहे हैं जिन्होंने शौचालयों के निर्माण के लिए अपनी पूरी पेंशन दान कर दी। आज मुझे वो महिला याद आ रही है जिसने घर में शौचालय बनाने के लिए अपना मंगलसूत्र तक बेच दिया।

भाइयों और बहनों,

हाल-फिलहाल में किसी देश में, ऐसा अभियान सुनने और देखने को नहीं मिला। ये अभियान शुरू भले हमारी सरकार ने किया था, लेकिन इसकी कमान जनता ने खुद अपने हाथों में ले ली थी। इसी का नतीजा था कि बीते पाँच साल में देश में रिकॉर्ड 11 करोड़ से ज्यादा शौचालयों का निर्माण कराया जा सका। इसी का नतीजा है कि 2014 से पहले जहां ग्रामीण स्वच्छता का दायरा 40 प्रतिशत से भी कम था, आज वो बढ़कर करीब-करीब 100 प्रतिशत पहुंच रहा है। सोचिए, आजादी के बाद 70 साल में 40 प्रतिशत से कम और 5 साल में लगभग 100 प्रतिशत। लेकिन मैं मानता हूं कि स्वच्छ भारत मिशन की सफलता, किसी भी आंकड़े से ऊपर है। इस मिशन ने अगर सबसे ज्यादा लाभ किसी को पहुंचाया तो वो देश के गरीब को, देश की महिलाओं को। जो साधन संपन्न हैं, उनके लिए घरों में दो-दो तीन-तीन शौचालय बनवाना भी साधारण बात है। लेकिन शौचालय न होने का मतलब क्या होता था, इसे वो भली-भांति जानता था, जो इस सुविधा से वंचित था। खासकर, महिलाओं को, बेटियों-बहनों के लिए तो शौचालय न होना, उनके जीवन की सबसे बड़ी मुश्किलों में से एक था। ये उनकी गरिमा, उनकी इज्जत के खिलाफ था। ये मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि सारी स्थिति जानने के बावजूद, ये सोच ही नहीं थी कि घर में शौचालय का निर्माण कितना अहम है। आप कल्पना कर सकते हैं कि सुबह से लेकर पूरे दिन, महिलाएं शाम होने का इंतजार करती थीं। खुले में शौच से होने वाली बीमारियों के साथ ही, ये इंतजार उन्हें और बीमारियों की तरफ धकेल देता था।

शौचालय न होने की वजह से अनेक बच्चियों को अपनी स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ती थीं। हमारी बेटियां पढ़ना चाहती हैं, लेकिन शौचालय की कमी, उन्हें स्कूल छोड़कर घर बैठने के लिए मजबूर कर रही थी। देश की गरीब महिलाओं को, बेटियों को इस स्थिति से निकालना मेरी सरकार का दायित्व था और हमने इसे पूरी शक्ति से निभाया, पूरी ईमानदारी से निभाया। आज मेरे लिए ये बहुत संतोष की बात है कि स्वच्छ भारत मिशन, लाखों जिंदगियों के बचने का माध्यम बना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ही रिपोर्ट है कि स्वच्छ भारत की वजह से 3 लाख जिंदगियों को बचाने की संभावना बनी है। इसी तरह यूनिसेफ ने अनुमान लगाया है कि गांव में रहने वाला हर वो परिवार जो अपने घरों में शौचालय बनवा रहा है उसे कम से कम 50 हजार रुपए की बचत हो रही है।

मुझे बताया गया है कि बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन की एक रिपोर्ट में भी आया है कि भारत में Rural Sanitation बढ़ने से बच्चों में Heart Problem कम हुई हैं और महिलाओं के Body Mass Index में भी सुधार आया है। स्वच्छता के इन्हीं सब फायदों को देखते हुए महात्मा गांधी ने कहा था कि वो स्वतंत्रता से ज्यादा महत्वपूर्ण स्वच्छता को मानते हैं। आज मुझे इस बात की भी खुशी है कि महात्मा गांधी ने स्वच्छता का जो सपना देखा था, वो अब साकार होने जा रहा है। गांधी जी कहते थे कि एक आदर्श गांव तभी बन सकता है, जब वो पूरी तरह स्वच्छ हो। आज हम गांव ही नहीं, पूरे देश को स्वच्छता के मामले में आदर्श बनाने की तरफ बढ़ रहे हैं।

भाइयों और बहनों,

संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय से ही इसका प्रमुख उद्देश्य लोगों के जीवन को बेहतर बनाना रहा है। स्वच्छ भारत मिशन ने न सिर्फ भारत के करोड़ों लोगों के जीवन को बेहतर बनाया गया है, उनकी गरिमा की रक्षा की है बल्कि संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्यों को भी प्राप्त करने में अहम भूमिका निभाई है।

यूनिसेफ की एक और स्टडी के बारे में मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं। इस रिपोर्ट में सामने आया है कि बीते पाँच साल में ग्राउंड वॉटर की क्वालिटी बहुत सुधरी है और मैं मानता हूं कि इसमें भी बहुत बड़ा योगदान स्वच्छ भारत मिशन का है। स्वच्छ भारत मिशन का एक और प्रभाव है जिसकी चर्चा बहुत कम हुई है। इस अभियान के दौरान बनाए गए 11 करोड़ से ज्यादा शौचालयों ने ग्रामीण स्तर पर economic activity का एक नया द्वार भी खोल दिया। शौचालय निर्माण के लिए जुटाए गए raw material ने, रानी मिस्त्री के तौर पर मिलने वाले महिलाओं के काम ने, बहुत जमीनी स्तर पर गरीबों को रोजगार के नए अवसर दिए।

साथियों,

लोकतंत्र का सीधा सा अर्थ है कि व्यवस्थाओं और योजनाओं के केंद्र में लोक यानि People रहने चाहिए। एक सशक्त लोकतंत्र वही होता है जो जनता की जरूरत को केंद्र में रखकर नीतियों का निर्माण करता है। और जहां जनता-जनार्दन की अपेक्षा और आवश्यकता, सरकार की नीतियां और निर्णय एक प्लेटफॉर्म होते हैं, तो जनता खुद योजनाओं को सफल बना देती है। स्वच्छ भारत अभियान में लोकतंत्र की इस शक्ति की भी झलक है। स्वच्छ भारत मिशन की सफलता, संविधान की एक व्यवस्था को भी जीवंत करने का उदाहरण है।

साथियों,

भारत ने दशकों तक सिर्फ Constitutional Federalism ही देखा था। हमारी सरकार ने इसे Co-Operative Federalism में बदलने का प्रयास किया और समय के साथ अब हम Competitive- Cooperative Federalism के मार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं। इस अभियान में भारत के अलग-अलग राज्यों ने जिस तरह आगे बढ़कर हिस्सा लिया, लोगों को जागरूक किया, शौचालयों के निर्माण के लिए काम किया, वो भी प्रशंसनीय है। इस अभियान के दौरान केंद्र सरकार ने स्वच्छता से जुड़े हर विषय पर राज्य सरकारों को साझीदार और भागीदार बनाया। ट्रेनिंग से लेकर फंडिंग तक में कोई कमी नहीं छोड़ी गई। राज्यों को हर तरीके से मदद दी गई कि वो अपने स्तर पर, अपने तरीके से स्वच्छ भारत अभियान को गति दें, उससे जुड़े संकल्प पूरे करें। आज मुझे खुशी है कि स्वच्छता सर्वेक्षण के माध्यम से अब राज्यों में आपस में होड़ लगी है कि कौन का राज्य स्वच्छता रैंकिंग में सबसे ऊपर जगह बनाता है।

Friends & Excellencies

दुनिया के लिए भारत के इस योगदान से मुझे इसलिए भी खुशी होती है क्योंकि हमने विश्व को अपना परिवार माना है। हज़ारों वर्षों से हमें ये सिखाया गया है कि उदार चरितानाम तु वसुधैव कुटुम्बकम्। यानी बड़ी सोच वालों के लिए, बड़े दिल वालों के लिए पूरी धरती ही एक परिवार है। लिहाज़ा Sanitation और Hygiene के लिए International Cooperation में भारत मजबूत भूमिका निभाना चाहता है। हम अपने Experience को, अपनी Expertise को, दुनिया के दूसरे देशों के साथ शेयर करने के लिए तैयार हैं। भारत, स्वच्छता को लेकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के करीब है, लेकिन भारत दूसरे बड़े मिशन पर भी तेज़ी से काम कर रहा है। Fit India Movement के जरिए Fitness और Preventive Healthcare को Promote करने का अभियान चल रहा है। 2025 तक हमने भारत को टीबी से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है और हम Universal Immunisation की तरफ भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। National Nutrition Mission से अनीमिया और Stunting जैसी समस्या से भी भारत बहुत तेजी से काबू पाने वाला है। जल जीवन मिशन के तहत हमारा फोकस Water conservation और Recycling पर है, ताकि हर भारतीय को पर्याप्त और साफ पानी मिलता रहे।

और भारत ने साल 2022 तक सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्ति का अभियान भी चलाया है। आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं, तब भी भारत के अनेक हिस्सों में प्लास्टिक वेस्ट को इकट्ठा करने का काम चल रहा है। ऐसे अनेक जनआंदोलन आज भारत में चल रहे हैं। मुझे 1.3 बिलियन भारतीयों के सामर्थ्य पर पूरा विश्वास है। मुझे विश्वास है कि स्वच्छ भारत अभियान की तरह बाकी मिशन भी सफल होंगे। इसी उम्मीद के साथ बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के तमाम साथियों को, इस अवॉर्ड के लिए और यहां मौजूद बाकी साथियों को फिर से धन्यवाद के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद !!!

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।