नमस्कार, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के चांसलर, His Holiness, डॉक्टर सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब, शिक्षा मंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक जी, शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमान संजय धोत्रे जी, वाइस चांसलर भाई तारिक मंसूर जी, सभी प्रोफेसर्स, स्टाफ, इस कार्यक्रम में जुड़े एएमयू के हजारों छात्र –छात्राएं, AMU के लाखों Alumni, अन्य महानुभाव और साथियो।
सबसे पहले मैं आप सभी का आभार व्यक्त करना चाहता हूं। आपने AMU के शताब्दी समारोह के इस ऐतिहासिक अवसर पर मुझे अपनी खुशियों के साथ जुड़ने का मौका दिया है। मैं तस्वीरों में देख रहा था सेंचुरी गेट्स, सोशल साइंस डिपार्टमेंट्स, मास कम्युनिकेशन, तमाम विभागों की buildings को खूबसूरती से सजाया गया है। ये सिर्फ बिल्डिंग नहीं है, इनके साथ शिक्षा का जो इतिहास जुड़ा है वो भारत की अमूल्य धरोहर है।
आज एएमयू से तालीम लेकर निकले सारे लोग भारत के सर्वश्रेष्ठ स्थानों पर और संस्थानों में ही नहीं बल्कि दुनिया के सैंकड़ों देशों में छाए हुए हैं। मुझे विदेश यात्रा के दौरान अक्सर यहां के Alumni’s मिलते हैं जो बहुत गर्व से बताते हैं कि मैं AMU से पढ़ा हूं। AMU के Alumni कैंपस से अपने साथ हंसी-मजाक और शेरो-शायरी का एक अलग अंदाज लेकर आते हैं। वो दुनिया में कहीं भी हों, भारत की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
Proud Aligs, यही कहते हैं ना आप, पार्टनर्स आपके इस गर्व की वजह भी है। अपने सौ वर्ष के इतिहास में AMU ने लाखों जीवन को तराशा है, संवारा है, एक आधुनिक और वैज्ञानिक सोच दी है। समाज के लिए, देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा जगाई है। मैं सभी के नाम लूंगा तो समय शायद बहुत कम पड़ जाएगा। AMU की ये पहचान, इस सम्मान का आधार, उसके वो मूल्य रहे हैं जिन पर सर सैयद अहमद खान द्वारा इस संस्थान की स्थापना की गई है। ऐसे प्रत्येक छात्र-छात्रा और इन सौ वर्षों में AMU के माध्यम से देश की सेवा करने वाले प्रत्येक टीचर, प्रोफेसर का भी मैं अभिनंदन करता हूं।
अभी कोरोना के इस संकट के दौरान भी AMU ने जिस तरह समाज की मदद की, वो अभूतपूर्व है। हजारों लोगों का मुफ्त टेस्ट करवाना, आइसोलेशन वार्ड बनाना, प्लाज्मा बैंक बनाना और पीएम केयर फंड में एक बड़ी राशि का योगदान देना, समाज के प्रति आपके दायित्वों को पूरा करने की गंभीरता को दिखाता है। अभी कुछ दिन पहले ही मुझे चांसलर डॉ. सैयदना साहब की चिट्ठी भी मिली है। उन्होंने vaccination drive में भी हर स्तर पर सहयोग देने की बात कही है। देश को सर्वोपरि रखते हुए ऐसे ही संगठित प्रयासों से आज भारत कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का सफलता से मुकाबला कर रहा है।
साथियो,
मुझे बहुत सारे लोग बोलते हैं कि AMU Campus अपने-आप में एक शहर की तरह है। अनेको डिपार्टमेंट्स, दर्जनों होस्टल्स, हजारों टीचर, प्रोफेसर्स, लाखों स्टूडेंट्स के बीच एक Mini India भी नजर आता है। AMU में भी एक तरफ उर्दू पढ़ाई जाती है तो हिन्दी भी, अरबी पढ़ाई जाती है तो यहां संस्कृत की शिक्षा का भी एक सदी पुराना संस्थान है। यहां की लायब्रेरी में कुरान की manuscript है तो गीता-रामायण के अनुवाद भी उतने ही सहेज कर रखे गए हैं। ये विविधता AMU जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की ही नहीं, देश की भी ताकत है। हमें इस शक्ति को न भूलना है न ही न ही इसे कमजोर पड़ने देना है। AMU के कैंपस में एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना दिनों-दिन मजबूत होती रहे, हमें मिलकर इसके लिए काम करना है।
साथियों,
बीते 100 वर्षों में AMU ने दुनिया के कई देशों से भारत के संबंधों को सशक्त करने का भी काम किया है। उर्दू, अरबी और फारसी भाषा पर यहाँ जो रिसर्च होती है, इस्लामिक साहित्य पर जो रिसर्च होती है, वो समूचे इस्लामिक वर्ल्ड के साथ भारत के सांस्कृतिक रिश्तों को नई ऊर्जा देती है। मुझे बताया गया है कि अभी लगभग एक हजार विदेशी स्टूडेंट्स यहाँ पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे में AMU की ये भी जिम्मेदारी है कि हमारे देश में जो अच्छा है, जो बेहतरीन है, जो देश की ताकत है, वो देखकर, वो सीखकर, उसकी यादें ले करके ये छात्र अपने प्रदेशों में जाएं। क्योंकि AMU में जो भी बातें वो सुनेंगे, देखेंगे, उसके आधार पर वो राष्ट्र के तौर पर भारत की Identity से जोड़ेंगे। इसलिए आपके संस्थान पर एक तरह से दोहरी जिम्मेदारी है।
अपना respect बढ़ाने की और अपनी responsibility बखूबी निभाने की। आपको एक तरफ अपनी यूनिवर्सिटी की soft power को और निखारना है और दूसरी तरफ Nation बिल्डिंग के अपने दायित्व को निरंतर पूरा करना है। मुझे विश्वास है, AMU से जुड़ा प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक छात्र-छात्रा, अपने कर्तव्यों को ध्यान में रखते हुए ही आगे बढ़ेगा। मैं आपको सर सय्यद द्वारा कही गई एक बात की याद दिलाना चाहता हूं। उन्होंने कहा था- 'अपने देश की चिंता करने वाले का पहला और सबसे बड़ा कर्तव्य है कि वो सभी लोगों के कल्याण के लिए कार्य करे। भले ही लोगों की जाति, मत या मजहब कुछ भी हो'।
साथियों,
अपनी इस बात को विस्तार देते हुए सर सय्यद ने एक उदाहरण भी दिया था। उन्होंने कहा था- 'जिस प्रकार मानव जीवन और उसके अच्छे स्वास्थ्य के लिए शरीर के हर अंग का स्वस्थ रहना जरूरी है, वैसे ही देश की समृद्धि के लिए भी उसका हर स्तर पर विकास होना आवश्यक है'।
साथियों,
आज देश भी उस मार्ग पर बढ़ रहा है जहां प्रत्येक नागरिक को बिना किसी भेदभाव देश में हो रहे विकास का लाभ मिले। देश आज उस मार्ग पर बढ़ रहा है जहां का प्रत्येक नागरिक, संविधान से मिले अपने अधिकारों को लेकर निश्चिंत रहे, अपने भविष्य को लेकर निश्चिंत रहे। देश आज उस मार्ग पर बढ़ रहा है जहां मजहब की वजह से कोई पीछे न छूटे, सभी को आगे बढ़ने के समान अवसर मिलें, सभी अपने सपनें पूरे कर पाएं। 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' इसका मूल आधार है। देश की नीयत और नीतियों में यही संकल्प झलकता है। आज देश गरीबों के लिए जो योजनाएँ बना रहा है वो बिना किसी मत मजहब के भेद के हर वर्ग तक पहुँच रही हैं।
बिना किसी भेदभाव, 40 करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक खाते खुले। बिना किसी भेदभाव, 2 करोड़ से ज्यादा गरीबों को पक्के घर दिए गए। बिना किसी भेदभाव 8 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को गैस कनेकिशन मिला। बिना किसी भेदभाव, कोरोना के इस समय में 80 करोड़ देशवासियों को मुफ्त अन्न सुनिश्चित किया गया। बिना किसी भेदभाव आयुष्मान योजना के तहत 50 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज संभव हुआ। जो देश का है वो हर देशवासी का है और इसका लाभ हर देशवासी को मिलना ही चाहिए, हमारी सरकार इसी भावना के साथ काम कर रही है।
साथियों,
कुछ दिनों पहले मेरी मुलाकात अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के ही एक Alumni से हुई थी। वो एक इस्लामिक scholar भी हैं। उन्होंने एक बहुत Interesting बात मुझे बताई, जो मैं आपसे भी शेयर करना चाहता हूं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत जब देश में 10 करोड़ से ज्यादा शौचालय बने, तो इसका लाभ सभी को हुआ। ये शौचालय भी बिना भेदभाव ही बने थे। लेकिन इसका एक Aspect ऐसा है, जिसकी न उतनी चर्चा हुई है और न ही Academic world का इस पर उतना ध्यान गया है। मैं चाहता हूं कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का भी हर Student इस पर गौर करे।
मेरे साथियों,
एक समय था जब हमारे देश में मुस्लिम बेटियों का ड्रॉप आउट रेट 70 प्रतिशत से ज्यादा था। मुस्लिम समाज की प्रगति में, बेटियों का इस तरह पढ़ाई बीच में छोड़ना हमेशा से बहुत बड़ी बाधा रहा है। लेकिन 70 साल से हमारे यहां स्थिति यही थी कि 70 परसेंट से ज्यादा मुस्लिम बेटियां, अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाती थीं। इन्हीं स्थितियों में स्वच्छ भारत मिशन शुरू हुआ, गांव-गांव शौचालय बने। सरकार ने स्कूल जाने वाली Girl Students के लिए मिशन मोड में अलग से शौचालय बनवाए। आज देश के सामने क्या स्थिति है? पहले मुस्लिम बेटियों का जो स्कूल ड्रॉप आउट रेट 70 प्रतिशत से ज्यादा था, वो अब घटकर करीब-करीब 30 प्रतिशत रह गया है।
पहले लाखों मुस्लिम बेटियां, शौचालय की कमी की वजह से पढ़ाई छोड़ देती थीं। अब हालात बदल रहे हैं। मुस्लिम बेटियों का ड्रॉप रेट कम से कम हो, इसके लिए केंद्र सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। आपकी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में ही स्कूल-ड्राप आउट छात्र-छात्राओं के लिए "ब्रिज कोर्स" चलाया जा रहा हैं। और अभी मुझे एक और बात बताई गई है जो बहुत अच्छी लगी है। AMU में अब female students की संख्या बढ़कर 35 प्रतिशत हो गई है। मैं आप सबको बधाई देना चाहूंगा। मुस्लिम बेटियों की शिक्षा पर, उनके सशक्तिकरण पर सरकार का बहुत ध्यान है। पिछले 6 साल में सरकार द्वारा करीब-करीब एक करोड़ मुस्लिम बेटियों को स्कॉलरशिप्स दी गई है।
साथियों,
Gender के आधार पर भेदभाव न हो, सबको बराबर अधिकार मिलें, देश के विकास का लाभ सबको मिले, ये AMU की स्थापना की प्राथमिकताओं में था। आज भी AMU के पास ये गौरव है कि इसकी founder chancellor की ज़िम्मेदारी बेगम सुल्तान ने संभाली थी। सौ साल पहले की परिस्थितियों में ये किया जाना, कितना बड़ा काम था, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। आधुनिक मुस्लिम समाज के निर्माण का जो प्रयास उस समय शुरू हुआ था, तीन तलाक जैसी कुप्रथा का अंत करके देश ने आज उसे आगे बढ़ाया है।
साथियों,
पहले ये कहा जाता था कि अगर एक महिला शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित हो जाता है। ये बात सही है। लेकिन परिवार की शिक्षा के आगे भी इसके गहरे मायने हैं। महिलाओं को शिक्षित इसलिए होना है ताकि वो अपने अधिकारों का सही इस्तेमाल कर सकें, अपना भविष्य खुद तय कर सकें। Education अपने साथ लेकर आती है employment और entrepreneurship. Employment और entrepreneurship अपने साथ लेकर आते हैं Economic independence. Economic independence से होता है Empowerment. एक Empowered women का हर स्तर पर, हर फैसले में उतना ही बराबर का योगदान होता है, जितना किसी और का। फिर बात चाहे परिवार को direction देने की हो या फिर देश को direction देने की। आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं तो देश की अन्य शिक्षा संस्थाओं से भी कहूंगा कि ज्यादा से ज्यादा बेटियों को शिक्षा से जोड़ें। और उन्हें सिर्फ education ही नहीं बल्कि higher education तक लेकर आएं।
साथियों,
AMU ने higher education में अपने contemporary curriculum से बहुतों को आकर्षित किया है। आपकी यूनिवर्सिटी में inter-disciplinary विषय पहले से पढ़ाए जाते हैं। अगर कोई छात्र साइंस में अच्छा है और उसे हिस्ट्री भी अच्छी लगती है तो ऐसी मजबूरी क्यों हो कि वो किसी एक को ही चुन सके। यही भावना नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में है। इसमें 21वीं सदी में भारत के स्टूडेंट्स की जरूरतों, उसके Interest को सबसे ज्यादा ध्यान में रखा गया है। हमारे देश का युवा, Nation First के आह्वान के साथ देश को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। वो नए-नए स्टार्ट-अप्स के जरिए देश की चुनौतियों का समाधान निकाल रहा है। Rational Thinking और Scientific outlook उसकी पहली priority है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारत के युवाओं की इसी aspirations को प्राथमिकता दी गई है। हमारी कोशिश ये भी है कि भारत का education eco-system, दुनिया के आधुनिक शिक्षा व्यवस्थाओं में से एक बने। नई National Education Policy में जो multiple entry है, exit points की व्यवस्था है, उससे Students को अपनी शिक्षा के बारे में फैसले लेने में आसानी होगी। हर exit option के बाद उन्हें appropriate certificate भी दिया जाएगा। ये students को पूरे कोर्स की फीस की चिंता किए बिना, अपना फैसला लेने की आजादी होगी।
साथियों,
सरकार higher education में number of enrollments बढ़ाने और सीटें बढ़ाने के लिए भी लगातार काम कर रही है। वर्ष 2014 में हमारे देश में 16 IITs थीं। आज 23 IITs हैं। वर्ष 2014 में हमारे देश में 9 IIITs थीं। आज 25 IIITs हैं। वर्ष 2014 में हमारे यहां 13 IIMs थे। आज 20 IIMs हैं। Medical education को लेकर भी बहुत काम किया गया है। 6 साल पहले तक देश में सिर्फ 7 एम्स थे, आज देश में 22 एम्स हैं। शिक्षा चाहे Online हो या फिर Offline, सभी तक पहुंचे, बराबरी से पहुंचे, सभी का जीवन बदले, हम इसी लक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं।
साथियों,
AMU के सौ साल पूरा होने पर मेरी आप सभी युवा 'पार्टनर्स' से कुछ और अपेक्षाएँ भी हैं। क्यों न 100 साल के इस मौके पर AMU के 100 hostels एक extra-curricular task करें। ये टास्क देश की आज़ादी के 75 साल पूरे होने से जुड़े हों। जैसे AMU के पास इतना बड़ा innovative और research Oriented talent है। क्यों न हॉस्टल के छात्र ऐसे स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों पर रिसर्च करके उनके जीवन को देश के सामने लाएँ जिनके बारे में अभी उतनी जानकारी नहीं है। कुछ स्टूडेंट्स इन महापुरुषों के जन्मस्थान जाएँ, उनकी कर्मभूमि जाएँ, उनके परिवार के लोग अब कहाँ हैं, उनसे संपर्क करें। कुछ स्टूडेंट्स ऑनलाइन resources को explore करें। उदाहरण के तौर पर 75 hostels एक एक आदिवासी freedom fighter पर एक एक रिसर्च documents तैयार कर सकते हैं, इसी तरह 25 hostels महिला freedom fighters पर रिसर्च कर सकते हैं काम कर सकते हैं।
एक और काम है जो देश के लिए AMU के छात्र-छात्राएं कर सकते हैं। AMU के पास देश की इतनी बेशकीमती प्राचीन पांडुलिपियाँ हैं। ये सब हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं। मैं चाहूँगा कि आप टेक्नोलॉजी के माध्यम से इन्हें digital या virtual अवतार में पूरी दुनिया के सामने लाएँ। मैं AMU के विशाल Alumni नेटवर्क को भी आह्वान करता हूं कि नए भारत के निर्माण में अपनी भागीदारी और बढ़ाएं। आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने के लिए, वोकल फॉर लोकल को सफल बनाने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। इसे लेकर अगर मुझे AMU से सुझाव मिलें, AMU Alumni के सुझाव मिलें, तो मुझे बहुत खुशी होगी।
साथियों,
आज पूरी दुनिया की नजरें भारत पर हैं। जिस सदी को भारत की सदी बताया जा रहा है, उस लक्ष्य की तरफ भारत कैसे आगे बढ़ता है, इसे लेकर पूरी दुनिया में Curiosity है। इसलिए आज हम सभी का एकमात्र और एकनिष्ठ लक्ष्य ये होना चाहिए कि भारत को आत्मनिर्भर कैसे बनाएं। हम कहां और किस परिवार में पैदा हुए, किस मत-मज़हब में बड़े हुए, इससे भी अहम ये है कि हर एक नागरिक की आकांक्षाएं और उसके प्रयास देश की आकांक्षाओं से कैसे जुड़ें। जब इसको लेकर एक मज़बूत नींव पड़ेगी तो लक्ष्य तक पहुंचना और आसान हो जाएगा।
साथियों,
समाज में वैचारिक मतभेद होते हैं, ये स्वाभाविक भी है। लेकिन जब बात राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति की हो तो हर मतभेद किनारे रख देना चाहिए। जब आप सभी युवा साथी इस सोच के साथ आगे बढ़ेंगे तो ऐसी कोई मंजिल नहीं, जो हम मिल करके हासिल न कर सकें। शिक्षा हो, आर्थिक विकास हो, बेहतर रहन-सहन हो, अवसर हों, महिलाओं का हक हो, सुरक्षा हो, राष्ट्रवाद हो, ये वो चीज़ें हैं जो हर नागरिक के लिए ज़रूरी होती हैं। ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर हम अपनी राजनैतिक या वैचारिक मजबूरियों के नाम पर असहमत हो ही नहीं सकते। यहां अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इन मुद्दों पर बात करना मेरे लिए इसलिए भी स्वाभाविक है क्योंकि यहां से स्वतंत्रता के अनेक सेनानी निकले हैं। इस मिट्टी से निकले हैं। इन स्वतंत्रता सेनानियों की भी अपनी पारिवारिक, सामाजिक, वैचारिक परवरिश थी, अपने-अपने विचार थे। लेकिन जब गुलामी से मुक्ति की बात आई तो, सारे विचार आज़ादी के एक लक्ष्य के साथ ही जुड़ गए।
साथियों,
हमारे पूर्वजों ने जो आज़ादी के लिए किया, वही काम अब आपको, युवा पीढ़ी को नए भारत के निर्माण के लिए करना है। जैसे आजादी एक Common ground थी, वैसे ही नए भारत के लिए हमें एक Common ground पर काम करना है। नया भारत आत्मनिर्भर होगा, हर प्रकार से संपन्न होगा तो लाभ भी सभी 130 करोड़ से ज्यादा देशवासियों का होगा। ये विमर्श समाज के हर हिस्से तक पहुंचे, ये काम आप कर सकते हैं, युवा साथी कर सकते हैं।
साथियों,
हमें ये समझना होगा कि सियासत, सोसायटी का एक अहम हिस्सा है। लेकिन सोसायटी में सियासत के अलावा भी दूसरे मसले हैं। सियासत और सत्ता की सोच से बहुत बड़ा, बहुत व्यापक, किसी भी देश का समाज होता है। पॉलिटिक्स से ऊपर भी समाज को आगे बढ़ाने के लिए बहुत स्पेस होती है। उस Space को भी explore करते रहना बहुत ज़रूरी है। ये काम हमारे AMU जैसे कैंपस कर सकते हैं, आप सभी कर सकते हैं।
साथियों,
न्यू इंडिया के विजन की जब हम बात करते हैं तो उसके मूल में भी यही है कि राष्ट्र के, समाज के विकास को राजनैतिक चश्मे से ना देखा जाए। हां, जब हम इस बड़े उद्देश्य के लिए साथ आते हैं तो संभव है कि कुछ तत्व इससे परेशान हों। ऐसे तत्व दुनिया की हर सोसायटी में मिल जाएंगे। ये कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनके अपने स्वार्थ होते हैं। वो अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए हर हथकंडा अपनाएंगे, हर प्रकार की Negativity फैलाएंगे। लेकिन जब हमारे मन और मस्तिष्क में नए भारत का निर्माण सर्वोच्च होगा तो ऐसे लोगों का space अपने आप सिकुड़ता जाएगा।
साथियों,
पॉलिटिक्स इंतज़ार कर सकती है, सोसायटी इंतज़ार नहीं कर सकती है। देश का डवलपमेंट इंतज़ार नहीं कर सकता। गरीब, समाज के किसी भी वर्ग का हो, वो इंतज़ार नहीं कर सकता। महिलाएं, वंचित, पीड़ित, शोषित, विकास का इंतज़ार नहीं कर सकते। सबसे बड़ी बात हमारे युवा, आप सभी, और इंतज़ार नहीं करना चाहेंगे। पिछली शताब्दी में मतभेदों के नाम पर बहुत वक्त पहले ही जाया हो चुका है। अब वक्त नहीं गंवाना है, सभी को एक लक्ष्य के साथ मिलकर, नया भारत, आत्मनिर्भर भारत बनाना है।
साथियों,
सौ साल पहले 1920 में जो युवा थे, उन्हें देश की आजादी के लिए संघर्ष करने का, खुद को समर्पित करने का, बलिदान देने का अवसर मिला था। उस पीढ़ी के तप और त्याग से देश को 1947 में आजादी मिली थी। आपके पास, आज की पीढ़ी के पास आत्मनिर्भर भारत, नए भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए बहुत कुछ करने का अवसर है। वो समय था 1920 का, ये समय है 2020 का। 1920 के 27 साल बाद देश आजाद हुआ था। 2020 के 27 बाद, जो कि 2020 से 2047, आपके जीवन के बहुत महत्वपूर्ण साल हैं।
वर्ष 2047 में जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरा करेगा, आप उस ऐतिहासिक समय के भी साक्षी बनेंगे। इतना ही नहीं, इन 27 साल में आधुनिक भारत बनाने के आप हिस्सेदार होंगे। आपको हर पल देश के लिए सोचना है, अपने हर फैसले में देशहित सोचना है, आपका हर निर्णय देशहित को आधार बनाते हुए ही होना चाहिए।
मुझे विश्वास है, हम सब साथ मिलकर आत्मनिर्भर भारत के सपनों को पूरा करेंगे, हम सब मिलकर देश को विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएंगे। आप सभी को AMU के 100 वर्ष होने पर फिर से एक बार बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और इन 100 साल में जिन-जिन महापुरुषों ने इस संस्थान की गरिमा को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए निरंतर प्रयास किया है आज उनका भी पुण्य स्मरण करता हूं, उन सबका भी आदर करता हूं। और फिर एक बार आज के इस पवित्र अवसर से भविष्य के लिए अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। विश्वभर में फैले हुए Alumni को भी मैं उत्तम स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएं करता हूं, उनके उत्तम भविष्य के लिए भी शुभकामनाएं करता हूं और AMU के भी उत्तम भविष्य के लिए अनेक-अनेक शुभकामनाओं के साथ मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि ये सरकार आपकी प्रगति के लिए, आपके सपनों को साकार करने के लिए हम भी कभी पीछे नहीं रहेंगे।
इसी एक विश्वास के साथ आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।