पिछले पांच वर्षों में गोवा में विकास के कई कार्य हुए: प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री मोदी का गोवा के लोगों से आग्रह, एक बार फिर से भाजपा में अपना विश्वास जताते हुए पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनाएं
गोवा में प्रतिष्ठा स्वरुप सब कुछ है। हम सर्वोत्तम इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं: प्रधानमंत्री
हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम भारत के विकास के मूल मुद्दे से भटक जाएँ: प्रधानमंत्री
आज भारत में एक ऐसी सरकार है जो कड़े एवं साहसिक निर्णय ले सकती है: प्रधानमंत्री मोदी

मंच पर विराजमान मंत्री परिषद के मेरे साथी देश के रक्षा मंत्री श्रीमान मनोहर पर्रिकर जी, यहां के मुख्यमंत्री श्रीमान लक्ष्मीकांत जी, केंद्र में मेरे साथी श्री नितिन गडकरी जी, श्रीपाद नायक जी, प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्रीमान विजय जी, गोवा के उप मुख्यमंत्री फ्रांसिस डिसूजा जी, सांसद श्री नरेंद्र जी, राज्य सरकार में मंत्री श्रीमान दयानंद जी, श्रीमति कूडा जी, श्रीमान राजेंद्र जी, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मिशन के कन्वीनर श्रीमान राजेंद्र फड़के, श्रीमान नरेंद्र गोबले जी, श्रीमान सदानंद तानबड़े जी, प्रकाश बेलीपे जी और विशाल संख्या में पधारे हुए प्यारे भाइयो और बहनों।  

मैं सबसे पहले वर्तमान में गोवा में जो सरकार है, उस सरकार को बधाई देना चाहता हूं, गोवावासियों को बधाई देना चाहता हूं, क्योंकि ये पांच वर्ष गोवा के विकास के वर्ष रहे हैं। एक ऐसी मजबूत नीव वर्तमान सरकार ने रखी है, जिस पर आने वाले दिनों में विकास की भव्य इमारत बनाने का हमारा सपना है। कुछ महीने पहले एक मैगजीन ने पूरे देश का सर्वे किया और उन्होंने पाया कि हिंदुस्तान में जितने भी छोटे राज्य है, उन छोटे राज्यों में चमकता हुआ कोई सितारा है तो वो गोवा प्रदेश है। चाहे शिक्षा का मामला हो, सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर की पहल हो, इंफ्रास्ट्रक्चर के काम हो, गोवा सरकार ने हिंदुस्तान के सिर्फ छोटे नहीं, बड़े-बड़े राज्यों को भी सबक सीखने के लिए प्रेरित किया है। ये काम गोवा ने करके दिखाया है। कभी-कभी हम क्रिकेट को देखने के लिए स्टेडियम में बैठे होते हैं तो उतनी बारीकी का पता नहीं चलता है, जितना कि दूर घर में बैठकर के कोई टीवी पर देखता है। उसको बराबर समझ आती है बॉल कैसे जा रहा है, कहां कैच किया जा रहा है, फील्डर क्या कर रहा है, क्योंकि दूर से कैमरा लगा हुआ है, बराबर दिखाई देता है। मैं दिल्ली में बैठा हूं। मुझे गोवा पूरा पूरा दिखता है और जब प्रगति की बातें देखता हूं। इतना संतोष होता है, इतना आनंद होता है, कोई क्षेत्र अछूता नहीं रहने दिया है। सर्वांगीण विकास किसे कहते है ये गोवा की वर्तमान सरकार ने उत्तम उदहारण प्रस्तुत किया है।

भाइयों बहनों।

बहुत वर्षों से गोवा को एक बीमारी लगी हुई है। ये चुनाव उस बीमारी से गोवा को मुक्त करने का चुनाव है। कौन-सी बीमारी है, सबसे बड़ी बीमारी है अस्थिरता। अस्थिरता ने राजनीतिक उठापटक ने राजनीतिक खरीद बिक्री ने गोवा की सारी  बातों को पीछे रख दिया। आप कल्पना कर सकते हैं।

जरा याद करें, पुराने लोग।

1990 से 2000 का कालखंड। दस साल में गोवा ने 12 से ज्यादा मुख्यमंत्री देखे हैं। दस साल में एक दर्जन से ज्यादा मुख्यमंत्री। दस साल में ज्यादा से ज्यादा दो हो सकते हैं। जब भी चाहो सरकार, इसी बात पे व्यस्त थी कि अगला शपथ समारोह कब होगा और उसने गोवा को बहुत पीछे छोड़ दिया और कांग्रेस को अस्थिरता बड़ी सूट कर जाती थी। ... क्योंकि अस्थिरता के नाम पे वो लोगों को कहते थे, इधर अस्थिरता के नाम पर खरीद बिक्री चलती थी और जनता को समझाते थे। क्या करे भाई? अस्थिर सरकार है तो साथी दल वाले मानते नहीं है, इसलिए कुछ काम होते नहीं है, बच जाते थे। बड़ी मुश्किल से 5 साल पहले आपने स्थिर सरकार देने का एक प्रमाणिक प्रयास किया। गोवा के नागरिक, इस बात को समझ गए लेकिन फिर भी, कुछ कमी रह गई थी और इसलिए आपने देखा अपने स्वार्थ के खातिर आखिर आखिर में भाग ही गए।

भाइयों और बहनों।

गोवा इस बात की अब गलती करे। पूर्ण बहुमत दे। comfortable majority दे। मैं आपको वादा करता हूं, अगर आप हमें comfortable majority देंगे, हम गोवा को हिंदुस्तान का सबसे comfortable स्टेट बना देंगे। आज पूरे देश मे केंद्र में जो सरकार है, वो टूरिज्म पे बल दे रही है। ... और लोगों को लगता था, टूरिज्म खत्म हो जायेगा। नोटबंदी के कारण तो बिलकुल ही बंद हो जायेगा। उनकी बोलती बंद हो गई। दिवाली के बाद भी, टूरिज्म में बढ़ोतरी होती गई।

आप मुझे बताइए। हिंदुस्तान में टूरिज्म बढ़ता है, हिन्दुस्तान में विदेश के टूरिस्ट  आते हैं। सबसे ज्यादा लाभ किसको मिलता है... जरा बोलिए , किसको लाभ मिलता है... दुनिया भर के टूरिस्ट कहां आना पसंद करते हैं ... ये इसलिए संभव है, क्योंकि गोवा की हमारी सरकार ने टूरिज्म को केंद्र में रखते हुए इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया है और दिल्ली की भारत सरकार ने वीजा नियमों में ऐसा बदलाव किया है कि बहुत आसानी से टूरिस्टों को आने की सुविधा हो गई है। अनेक देशों को arrival वीजा देने की शुरुआत कर दी। अनेक देशों को ऑनलाइन -वीजा की जरूरत कर दी। टूरिस्ट को ये सुविधा अच्छी लगती है। इसका सीधा-सीधा लाभ अगर किसी ने उठाया है तो गोवा की जनता ने, गोवा की सरकार ने उठाया है और आने वाले दिनों में भी ... टूरिज्म के लिए पहले क्या होता था? सिर्फ टीवी पे advertisment जाये तो उनको लगता था की टूरिज्म बढ़ जायेगा। अब हिदुस्तान में ही आप advertisment दिखाते रहोगे। कलाकारों को लाके दिखाओगे तो विदेश का टूरिस्ट आएगा क्या? ये पुरानी सरकार इस बात की समझी नहीं थी। वो यहां पर टीवी पे खर्चा करते थे। अगर टूरिज्म बढ़ाना है तो विदेशों में ताकत लगानी होती है। विदेशों से आने वाले लोगों की संख्या बढ़ानी होती है। विदेशों से आने वाले लोगों को प्रेरित करना होता है। हमने हमारा पूरा फोकस सरकार की इस नीति को बदल दिया और टूरिस्ट कैसे ज्यादा आये। विदेश से टूरिस्ट कैसे आये, उस पर  बल दिया। ... और राज्यों को प्रेरित किया कि जो आये, वो ज्यादा दिन रूके कैसे? इसके लिए आप काम करो। ऐसा मेल जोल के साथ चल रहा है कि आज देश में टूरिज्म तेज गति से बढ़ रहा है और उस तरीके का लाभ सबसे ज्यादा गोवा को मिल रहा है। टूरिज्म एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सबसे कम पूंजी निवेश से भी आगे बढ़ाया जा सकता है। कम इंवेस्टमेंट में ज्यादा रोजगार की संभावना टूरिज्म में होती है। हर कोई कमाता है। रिक्शेवाला कमाएगा, गेस्ट हाउस वाला कमाएगा, नाव वाला कमाएगा, टूरिस्ट गाइड कमाएगा, चाय बेचने वाला कमाएगा, बिस्कुट बेचने वाला कमाएगा, चने मुरमुरे बेचने वाला कमाएगा, गरीब से गरीब कमाता है।

... और इसलिए गोवा की आर्थिक उन्नति के लिए, सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देने के लिए, हम टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में, राज्य सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर के हम प्रयास कर रहे हैं। व्यवस्था के लिए ब्रिज बनना, वो स्वाभाविक बात है, लेकिन क्या कारण है कि दस साल दिल्ली में ऐसी सरकार बैठी थी कि जिसको गोवा में एक भी ब्रिज बनाने में रूचि नहीं थी। रोड़े अटकाने में लगे हुए थे। अगर गोवा में उपयुक्त इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होगा तो छोटा सा राज्य सिकुड़कर रह जायेगा। विकास की संभावनाएं धीरे-धीरे कम हो जाएगी। लोगों को यहां से हटकर के कहीं कर्नाटक, कहीं महारास्ट्र जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। अगर ये रिवर्स ट्रेंड चालू हो गया तो गोवा के भाग्य का क्या होगा? इन बातों को ध्यान में रखते हुए हमने ब्रिज को भी प्राथमिकता दी। ... और हमने ये भी तय किया कि और शहर में जो ब्रिज बनते हैं, और राज्यों में जो ब्रिज बनते हैं, वह और गोवा में जो ब्रिज बने वो, उसमें आसमान जमीन का अंतर होना चाहिए। यहां हर चीजें ऐसी बननी चाहिये जो टूरिस्ट के लिए आइकोनिक हो। यहां सिंपल चीजें नहीं चल सकती, क्योंकि हमें टूरिज्म को बढ़ावा देना है। ... और इसलिए जुवारी पूल करीब-करीब एक हजार करोड़ का लागत और एक हजार करोड़ की लागत से, एक ऐसा अदभुत ब्रिज बनाने का काम चल रहा है, जो पूरे गोवा के लिए एक नया आइकोनिक नजराना जुड़ जायेगा। टूरिस्ट के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। गोवावासियों के लिए सुविधा का आधार बन जाएगा।

भाइयों बहनों।

मैं आज गर्व से कह सकता हूं। पिछले 50 वर्ष की सब सरकारों ने, केंद्र सरकारों ने 50 साल में जितनी मदद की है। उससे ज्यादा 25 महीनों में हमारी सरकार ने गोवा को मदद की है। आप कल्पना कर सकते हैं, एक तरफ 50 साल का टोटल और दूसरी तरफ 25 महीने का टोटल। ये गति है हमारी, ये हमारी दिशा है।

...और इसलिए भाइयों बहनों।

मैं गोवावासियों से आज विशेष आग्रह करने आया हूं। 4 तारीख को आप मतदान करेंगे। गोवा का एक दुर्भाग्य है। यहां अच्छा करने का उमंग वाले नेताओं से ज्यादा दूसरे का बुरा करने में आनंद आने वाले नेताओं की संख्या ज्यादा है। उनको इस बात पे आनंद नहीं आता कि चलो गोवा का भला हो। ये भी नहीं कि मैं कुछ अच्छा करूंगा। उनका तो यही है कि मैं मरूं तो मरूं लेकिन तुझको नहीं छोडूं। मेरे गोवा वासी ये जो वोट कटाउ लोग हैं , वोट काटने वाले लोग, ये लोकतंत्र का जेब काट लेते हैं। ये लोग लोकतंत्र के जेबकतरे हैं। ... और लोकतंत्र के जो जेबकतरे होते हैं, वो किसी के लिए भला नहीं चाहते हैं। वो सिर्फ वोट काट-काट कर लोकतंत्र की जेब काट लेते हैं और लोकतंत्र को नीचा दिखाने का, लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास करते हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है। कुछ लोग जैसे, एक तारीख को बजट आने वाला है, भारत सरकार का। कुछ पार्टियां अभी से बैठी है। कुछ इकोनॉमिक्स को बुला रहे हैं, कुछ लिखने पढ़ने वालों को बुला रहे हैं और अभी से ड्राफ्ट बना रहे हैं कि एक तारीख को भारत सरकार का बजट आएगा। अभी तो बजट आया नहीं है। बजट में क्या आने वाला है, उनको पता नहीं है। ये अभी से प्लान बना रहे हैं कि जैसे ही बजट पूरा हो, हम उस पर कैसा हमला कर दें ताकि गोवा में भी मैसेज चला जाये, पंजाब में भी मैसेज चला जाये, उत्तर प्रदेश भी मैसेज चला जाये, उत्तराखंड मैसेज चला जाये, मणिपुर मैसेज मेसेज चला जाये, उसके लिए कागज पर अभी से ड्राफ्टिंग कर रहे हैं। बजट आने के बाद कोई प्रतिक्रिया दे, तो हम समझते हैं। विपक्ष आलोचना करे ये भी समझते हैं लेकिन अभी से वो मेहनत वित्त मंत्री बजट के लिए जितनी मेहनत कर रहे हैं। उससे ज्यादा इस सरकार को बुरा-भला कहने का मौका ढूंढने वाले लोग, अभी से इतनी मेहनत कर रहे हैं कि बजट के खिलाफ क्या बोलना है? ... ये लोकतंत्र के लिए अच्छी सोच नहीं है। कुछ लोग पराजय सामने दिखता है तो पराजय अपने सर पे आये इसलिए पहले से माहौल बना देते हैं, जब उनको पता चल जाता है। आपने देखा होगा, कुछ बच्चे एग्जाम में अगर ठीक नहीं कर रहे हैं तो कहते हैं कि टीचर ने पढ़ाया नहीं था। मां बाप भी कहेंगे कि ये स्कूल बेकार है। हमारा बच्चा फिर कहेंगे, नहीं नहीं वो एग्जामिनर जो था, उसने ठीक से देखा नहीं  इसलिए मार्क्स कम आये। कभी ये नहीं देखते कि उनके बच्चे ने पढ़ाई की थी या नहीं की थी  लेकिन कारण ढूंढते हैं। यहां भी मैं देख रहा हूं। इस चुनाव में मैंने एक पार्टी का बयान पढ़ा, वो कह रहे थे कि हमें आश्चर्य है कि पंजाब और गोवा का चुनाव साथ-साथ क्यों आया? दोनों एक ही तारीख को क्यों? दोनों 4 तारीख ही क्यों? दोनों बिलकुल शुरू में कैसे गए? ये तो पीएमओ ने इलेक्शन कमीशन पर दबाव डाला है इसलिए ऐसा हुआ मतलब पराजय की तैयारियां चल रही है। बहाने ढूंढे जा रहे हैं। हार जायेंगे तो क्या कहेंगे। इलेक्शन कमीशन ने डेट ऐसी दे दी इसलिए हार गए। क्या चुनाव में लोकतंत्र में लड़ाई ऐसे मुद्दे पे करोगे कि इलेक्शन कमीशन ने डेट कौन सी दे दी। अगर अंपायर पे भरोसा नहीं करते हो तो खेल के मैदान में आते ही क्यों हो ? लोकतंत्र है। हमें व्यवस्थाओं को स्वीकार करना होता है। व्यवस्था के प्रति आस्था  बनानी होती है। अगर व्यवस्था पर आस्था तोड़ देंगे तो सामान्य वर्ग का विश्वास डिग जायेगा।

लेकिन भाइयों बहनों।

राजनीति को इतने नीचे स्तर पे ले जाने का प्रयास हो रहा है कि जिसके कारण सार्वजानिक जीवन के मूल्य, उसको गिराने के लिए, कुछ लोगों को गौरव महसूस हो रहा है।

भाइयों बहनों।

आप मुझे बताइए। हिदुस्तान की जनता समझदार है कि नहीं है? … मुझे बताइए समझदार है कि नहीं है ... समझदार है कि नहीं है ... सबके सब चुनाव में, देश के हर कोने में कांग्रेस की विदाई क्यों हो रही है भाई? ... पिटाई क्यों हो रही है ... समझदार है कि नहीं है .... जो समझ हिंदुस्तान के नागरिक को है, उससे ज्यादा समझ गोवा के नागरिक को है। गोवा का नागरिक कांग्रेस के कुशासन को देख चुका है, भ्रष्टाचार की पाप लीला को भुगत चुका है, खरीद बिक्री के खेल देखे हैं। अब कभी भी हम गोवा को ऐसी मुसीबतों में फंसने नहीं देंगे। ये इस चुनाव के अन्दर आप लोगों को निर्णय करना है।

भाइयों बहनों। राजनीतिक विचार हो सकते हैं, राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं। निर्णयों की आलोचना हो सकती है। लोकतंत्र में वो स्वभाविक भी है।

लेकिन भाइयों बहनों।

पीड़ा तब होती है जब राजनीतिक नेता राजनीतिक दल विकास के मुद्दे पर चर्चा करने से भागते हैं। देश में चुनाव विकास के मुद्दे पे लड़े जाने चाहिए। देश में सरकारों की कसौटी को विकास के तराजू से तौलनी चाहिए। हिंदुस्तान के सामान्य मानवी के जीवन में बदलाव तभी आने वाला है।

भाइयों बहनों।

आज दुनिया देख रही है कि हिदुस्तान में वर्षों के बाद एक ऐसी सरकार आई है जिसमें हिम्मत है, हिम्मत से फैसले भी लेते हैं। आप मुझे बताइए। पूरी दुनिया में, मैं आपसे जवाब चाहता हूं। आज पूरी दुनिया में हिंदुस्तान का जय जयकार हो रहा है कि नहीं हो रहा है ... हिदुस्तान का जय जय कार हो रहा है कि नहीं हो रहा है ... अमेरिका में हो रहा है कि नहीं हो रहा है ... जापान में हो रहा है कि नहीं हो रहा है ... चीन में हो रहा है कि नहीं हो रहा है ... श्रीलंका में हो रहा है कि नहीं हो रहा है ... नेपाल में हो रहा है कि नहीं हो रहा है ...

भाइयों बहनों।

ये जय जयकार क्यों हो रहा है? ... क्या कारण है? क्या कारण है कि जय जयकार हो रहा है? ... पूरी ताकत से बताइए। क्या कारण है कि जय जयकार हो रहा है। ... मोदी के कारण नहीं हो रहा है। ये जय जयकार हो रहा है। सवा सौ करोड़ हिदुस्तानवासियों ने 30 साल के बाद पूर्ण बहुमत वाली सरकार चुनी है। अगर दिल्ली में अस्थिर सरकार होती तो आज विश्व हिदुस्तान की तरफ जिस प्रकार से देख रहा है, नहीं देखता। क्या गोवा में भी comfortable majority के साथ स्थिर सरकार बनानी चाहिए कि नहीं बनानी चाहिए... बननी चाहिए कि नहीं बननी चाहिए ... पूरे हिदुस्तान में गोवा का डंका बजनी चाहिए कि नहीं बजनी चाहिए। हिदुस्तान के हर कोने में गोवा का जय जयकार होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...

और इसलिए भाइयो बहनों।

मैं आज आपसे आग्रह करने करना आया हूं। पूर्ण बहुमत के साथ-साथ मैं comfortable majority कहता हूं। आने वाले 5 साल में जो काम 50 साल में नहीं हो पाए, वो मुझे करके दिखाना है गोवा में क्योंकि दुनियाभर से में टूरिस्ट को लाना चाहता हूं। विश्वभर में जो वातावरण बना है, वो मैं गोवा की झोली भरने के लिए लगाना चाहता हूं। ... और इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं।  

भाइयों बहनों।

समय की मेरी सीमा है। सूर्यास्त होने से पहले हेलीकाप्टर को उड़ाना पड़ता है। और ये फिर फौज का हेलीकाप्टर है तो उनके नियमों का मुझे पालन करना पड़ता है। रक्षा मंत्री यहां बैठे हैं। मैं नियम तोड़ नहीं सकता हूं।

... लेकिन भाइयों बहनों।  

मैं गोवा का इस बात के लिए आभारी हूं कि देश को उन्होंने ऐसा मजबूत रक्षा मंत्री दिया है कि आज पूरा विश्व आज पूरा विश्व सर्जिकल स्ट्राइक की चर्चा कर रहा है। अभी भी लोग स्टडी कर रहे हैं कि कैसे हुआ। बोले आपके जवान वहां कैसे पहुंच गए। मैंने कहा कि मैं जब लाहौर गया था, दिन में गया था, गाजे बाजे के साथ गया था, तो भी दुनिया चौंक गई थी। कैसे पहुंच गया। मैंने कहा भाई अगर हिंदुस्तान एक बार ठान लेता है तो उसके जवान पराक्रम करके दिखाते हैं। देश की शान बढ़ा देते हैं। इस देश में गरीबी हटाने के भाषण करने की फैशन हो गई है। भ्रष्टाचार हटाने के भाषण करने की फैशन हो गयी है लेकिन अगर भ्रष्टाचार हटाने के लिए कोई कदम उठाया जाए तो उनको पता चलता है कि ये पहला हमला हमारे ऊपर ही हो गया है। आपके पड़ोस में कर्नाटक में कांग्रेस के मंत्री के घर से 150 करोड़ से ज्यादा नई नोटें, कालाधन, सोना, क्यों भाई? … और आपने देखा होगा कर्नाटक सरकार को कोई परेशानी नहीं है। वो तो होता रहता है, उस मंत्री का अभी तक इस्तीफा भी नहीं लिया गया है। उस मंत्री के खिलाफ नोटिस भी नहीं दी गई है। क्या आप ऐसे भ्रष्टाचार को गोवा में लाना चाहते हो ... ऐसे पनपना चाहते हो ...

भाइयों बहनों।

उदाहरण बहुत काफी होते हैं। सारे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ मैंने एक मुहीम छेड़ी है। ... और छोटा आदमी भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं होता है। बड़े-बड़े कदावर लोग होते हैं और ये मेरे पे जो जुल्म हो रहा है। ये जुल्म इसी बात का हो रहा है कि मेरे से उन्हें परेशानी हो रही है। सत्तर साल से जो जमा किया है, वो मोदी निकाल रहा है इसलिए परेशानी हो रही है।

भाइयों बहनों।

ये सरकार गरीबों ले लिए है। गरीबी से मुक्त हिदुस्तान बनाने के लिए, एक के बाद एक ठोस कदम उठाये जा रहे हैं ताकि गरीब की जिंदगी में बदलाव आये।

... और इसलिए भाइयों बहनों।

हमारे कदम कठोर होंगे लेकिन देश की भलाई के लिए होंगे। राजनीति के स्वार्थ के लिए नहीं होंगे। देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के एक ईमानदार प्रयास का हिस्सा होंगे। ... और इसलिए मैं आज गोवावासियों से अनुरोध करने आया हूं। चार तारीख को मतदान है, सर्वाधिक मतदान हो। फिर एक बार गोवा को स्थिर सरकार मिले comfortable majority के साथ भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने। फिर एक बार कमल पूरी ताकत के साथ खिले और जैसे कमल खिले, वैसे मेरा गोवा भी खिले।

भाइयों बहनों।

इसी एक अपेक्षा के साथ फिर एक बार यहां के सभी नेताओं को बधाई देता हूं। उनके पुरुषार्थ को बधाई देता हूं। गोवा को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने जो कोशिश की है, उसको बधाई देते हुए मेरी बात को पूर्ण विराम देता हूं। मेरे साथ पूरी ताकत से दोनों हाथ ऊपर उठाते हुए बोलिए भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। धन्यवाद।

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
India’s Biz Activity Surges To 3-month High In Nov: Report

Media Coverage

India’s Biz Activity Surges To 3-month High In Nov: Report
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!