प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर की आजादी के 50 साल पूरे होने पर वहां के लोगों को बधाई दी
प्रधानमंत्री मोदी ने ली कुआन यू को श्रद्धांजलि दी और उन्हें आधुनिक सिंगापुर का निर्माता बताया
ली कुआन यू सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत; उनकी सिंगापुर कहानियों से मैंने कई चीज़ें सीखी हैं: प्रधानमंत्री मोदी
स्वच्छ भारत सिर्फ हमारे पर्यावरण को साफ करने का नहीं बल्कि हमारी सोच, जीवनशैली और कार्यशैली में बदलाव लाने का कार्यक्रम है: पीएम मोदी
मैं अपने प्रयासों की सफ़लता नंबरों में नहीं बल्कि लोगों के चेहरों पर आने वाली मुस्कराहटों के आधार पर आंकता हूँ: प्रधानमंत्री मोदी
सिंगापुर एक ऐसा देश है जो सपनों को सच बनाने का रूपक बन गया है: प्रधानमंत्री मोदी
राष्ट्र का क्षेत्रफल उसकी उपलब्धियों के पैमाने के लिए कोई बाधा नहीं है: प्रधानमंत्री मोदी
सफलता की कुंजी: मानव संसाधन की गुणवत्ता, लोगों का विश्वास और राष्ट्र का संकल्प: प्रधानमंत्री
हम अपने लोगों को सशक्त करना चाहते हैं: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
हम ऐसी स्थिति बनाना चाहते हैं जिसमें उद्योग का विस्तार हो, अवसर बढ़ें और हमारे नागरिकों की क्षमताओं का समुचित उपयोग हो: प्रधानमंत्री
भारत बदलाव की दिशा में आगे बढ़ रहा है; आत्मविश्वास बढ़ रहा है; संकल्प मजबूत हुआ है और विकास की दिशा स्पष्ट है: प्रधानमंत्री
भारत और सिंगापुर अतीत में विभिन्न अवसरों पर एक साथ रहे हैं: प्रधानमंत्री मोदी
सिंगापुर दुनिया के लिए भारत का स्प्रिंगबोर्ड और पूर्वी देशों के लिए गेटवे है: प्रधानमंत्री मोदी
एशिया का पुनः उद्भव हमारे युग की सबसे बड़ी घटना: प्रधानमंत्री मोदी
एशिया की गतिशीलता और समृद्धि को बनाए रखने के लिए भारत आशा की एक किरण: प्रधानमंत्री मोदी
भारत सभी के लाभ के लिए समुद्र को सुरक्षित, संरक्षित और मुक्त रखने के लिए हरसंभव सहयोग देगा: प्रधानमंत्री मोदी
आतंकवाद एक प्रमुख वैश्विक चुनौती है और अलग-अलग समूहों से भी बड़ी ताकत है: प्रधानमंत्री मोदी
आतंकवाद सिर्फ मानव जीवन का नुकसान ही नहीं बल्कि अर्थव्यवस्थाओं को भी प्रभावित कर सकता है: प्रधानमंत्री मोदी 

महामहिम, प्रधानमंत्री ली सीन लूंग

महामहिम, उपप्रधानमंत्री थरमन षनमुगरत्नम

माननीय मंत्रियों,

प्रोफेसर टेन ताई योंग,

विशिष्ट अतिथिगणों,

सिंगापुर व्याख्यान देने के विशेषाधिकार और सम्मान के लिए धन्यवाद।

मैं इस बात को लेकर सचेत हूं कि मुझे उन नेताओं - पूर्व राष्ट्रपति श्री एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व प्रधानमंत्री श्री पीवी नरसिम्हा राव और पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी, के नक्शेकदम पर चलना है, जिन्होंने आधुनिक भारत और इस क्षेत्र के साथ हमारे संबंधों को आकार दिया। 

प्रधानमंत्री महोदय,  मैं यहां हमारे बीच आपकी उपस्थिति से सम्मानित महसूस कर रहा हूँ। 

हम जी -20 एवं आसियान और पूर्व एशिया शिखर सम्मेलनों के लिए पिछले कुछ हफ्तों से साथ रहे हैं। 

यह बताता है कि दोनों देशों की नियति कितनी गहराई से जुड़ी हुई है। 

आजादी के 50 साल पर मैं सिंगापुर के लोगों को 1.25 अरब दोस्तों और प्रशंसकों की ओर से शुभकामनाएं देता हूं। 

मनुष्य और राष्ट्रों के जीवन में  समय-समय पर मील के पत्थर का आना प्राकृतिक होता है। 

लेकिन, कुछ ही देश उस गर्व और संतोष की भावना के साथ अपने अस्तित्व के पहले पचास साल का जश्न मना सकते हैं, सिंगापुर जिसके योग्य है। 

मैं हमारे समय के सबसे बड़े नेताओं में से एक और आधुनिक सिंगापुर के वास्तुकार ली कुआन यू को श्रद्धांजलि देते हुए अपनी बात शुरू करने से बेहतर कुछ नहीं कर सकता।

उनके मिशन को अपने शब्दों में कहूं तो उन्होंने सिंगापुर को सफल देखने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। 

और यह उनका ही चितपरिचित फौलादी संकल्प था कि उन्होंने सिंगापुर को उसके स्वर्ण जयंती वर्ष के जरिए देखा। 

उनका प्रभाव वैश्विक था। और उनके लिए भारत एक शुभचिंतक था, जो सच्ची दोस्ती की ईमानदारी के साथ बात करता है। उन्हें भारत में कइयों की तुलना में भारत की घरेलू क्षमता और विदेश में भूमिका पर भरोसा था। 

मेरे लिए, वह एक व्यक्तिगत प्रेरणा थे। उनकी सिंगापुर की कहानी से मैंने कई बातें सीखीं। 

सबसे प्रभावी और अभी तक का सबसे साधारण विचार यह है कि एक राष्ट्र के परिवर्तन की यात्रा खुद के रहने के तरीके में बदलाव से शुरू होती है। इसीलिए अपने शहर और आसपास के क्षेत्र को स्वच्छ रखना, आधुनिक ढांचा निर्मित करने की ही तरह महत्वपूर्ण है। 

भारत में मेरे लिए भी स्वच्छ भारत अभियान महज पर्यावरण को स्वच्छ बनाने का कार्यक्रम नहीं है बल्कि यह हमारी सोच, जीवनशैली और कामकाज के तरीकों में परिवर्तन लाने के लिए है। 

गुणवत्ता, दक्षता और उत्पादकता महज तकनीकी उपाय नहीं हैं,  अलबत्ता यह मनःस्थिति और जीवन का एक तरीका भी हैं। 

इसलिए, मार्च की मेरी सिंगापुर यात्रा और भारत में एक दिन के शोक के दौरान हम एक सच्चे दोस्त और एक बहुत ही खास रिश्ते का सम्मान देना चाहते थे। 

सिंगापुर सपनों को वास्तविकता में बदलने वाला एक रूपक राष्ट्र बन गया है। 

सिंगापुर हमें बहुत सी बातें सिखाता है।

उपलब्धियां प्राप्त करने के लिए किसी राष्ट्र का आकार कोई बाधा नहीं होता। 

 संसाधनों की कमी प्रेरणा, कल्पना  एवं नवाचार के लिए कोई बाधा नहीं है। 

जब एक राष्ट्र विविधता को गले लगाता है, तो वह एक साझे उद्देश्य के पीछे एकजुट हो सकता है। 

और, अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व विचारों की शक्ति से उभरता है, ना कि सिर्फ ताकत के रूढ़िवादी उपायों से। 

सिंगापुर ने किसी देश के सिर्फ एक पीढ़ी के भीतर ही समृद्धि के उच्चतम स्तर में प्रवेश करने से ज्यादा हासिल किया है। 

उसने इस क्षेत्र की प्रगति के लिए प्रेरित किया और अपने एकीकरण का नेतृत्व किया है। 

और, उसके कारण दूसरों ने भी माना है कि प्रगति की संभावना हमारी पकड़ के भीतर ही है। यह एक अनदेखी और दूर से नजर आने वाली आशा नहीं है। 

सिंगापुर की सफलता महज आंकड़ों की समग्रता और निवेश के आकार से नहीं है। 

यह उससे है, जिसे मैं सफलता की कुंजी मानता हूं। यह मानव संसाधनों की गुणवत्ता, लोगों के विश्वास और एक राष्ट्र के संकल्प पर आधारित है। 

गणमान्य सदस्यो एवं दोस्तो, 

यह वही नजरिया है जिसके साथ हम भारत में परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहे हैं।   

हमारे प्रयासों का उद्देश्य जनता है  और वही परिवर्तन के पीछे की शक्ति होगी। 

मैं आंकड़ों से हमारे प्रयासों की सफलता को परखना नहीं चाहता लेकिन लोगों के चेहरे पर मुस्कान की सुर्ख चमक से इसे देखना चाहता हूं।

इसलिए, हमारी नीतियों का एक हिस्सा हमारे लोगों को सशक्त करने के लिए है। 

दूसरा हिस्सा ऐसी परिस्थितियों का निर्माण करना है जिनमें उद्यम पनपे, अवसरों का विस्तार हो और हमारे लोगों की क्षमताएं उभरकर सामने आएं। 

तभी तो हम, कौशल और शिक्षा के माध्यम से हमारे लोगों में निवेश कर रहे हैं। हमारा विशेष ध्यान बालिकाओं, वित्तीय समावेशन;  स्थायी निवास; स्वच्छ नदियों और स्मार्ट शहरों पर है। हम चाहते हैं कि हमारे सभी नागरिकों की पानी एवं साफ-सफाई जैसी सभी बुनियादी जरूरतें पूरी हों। 

हम एक ऐसे पर्यावरण का पोषण एवं रक्षा करेंगे जिसके तहत हर नागरिक आता हो और वह उसमें भागीदार हो। हम अवसरों को लेकर उनके भरोसे और अधिकारों को सुरक्षित रखेंगे। 

और, हम कानूनों, नियमों, नीतियों, प्रक्रियाओं और संस्थाओं में सुधार से अवसरों का सृजन कर रहे हैं। हमारे शासन के अपने तरीकों और राज्य सरकारों के साथ काम करने के तरीकों में भी बदलाव आया है। 

परिवर्तन के इस साझा सॉफ्टवेयर के साथ ही हम तरक्की के हार्डवेयर का भी निर्माण कर रहे हैं। इसमें अगली पीढ़ी का बुनियादी ढांचा, निर्माण क्षेत्र में बदलाव, कृषि सुधार, आसान व्यापार और स्मार्ट सेवाएं शामिल हैं। 

यही वजह है कि हम एक ही समय में कई मोर्चों पर आगे बढ़ रहे हैं। हम एक व्यापक रणनीति को बनाने वाले संबंधों से परिचित हैं।  

कुछ समय पहले मुझे पता चला कि सिंगापुर के लोगों को भारत के बारे में अच्छी खासी जानकारी है। ऐसा भारत के साथ-साथ यहां आने वाले लोगों की संख्या के कारण है। 

किसी में मामले में, मेरे लिए, दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के प्रमुख के रूप में भारत के उद्भव से अधिक टिकाऊ यह है कि बदलाव का पहिया तेजी से घूमे, आत्मविश्वास बढ़े, संकल्प मजबूत हो और दिशा स्पष्ट हो। 

सुदूरवर्ती गांव और सबसे अधिक दूर रहने वाला नागरिक राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में शामिल होना चाहता है और यह विचार देश भर में फैल रहा है। 

विशिष्ट अतिथिगणों,

भारत और सिंगापुर समय के कई चौराहे पर एक साथ खड़े रहे हैं। 

हमारा रिश्ता इतिहास के पन्नों, संस्कृति के पद्चिह्नों, रिश्तेदारी और पुराने वाणिज्यिक संबंधों से लिखा गया है। 

हम स्वतंत्रता की भोर में मित्रवत साथ खड़े थे और हम साझा आशाओं की भागीदारी के लिए एक-दूसरे तक पहुंचे हैं। 

सिंगापुर की सफलता भारतीयों की एक आकांक्षा बन गया और वहीं भारत अधिक शांतिपूर्ण, संतुलित और स्थिर दुनिया के लिए एक आशा बनकार उभरा। 

जब भारत ने खुलापन दिखाना शुरू किया तो सिंगापुर भारत के आगे बढ़ने की प्रेरणा और पूर्व के लिए प्रवेश द्वार बन गया। 

ससम्मान सेवामुक्त वरिष्ठ मंत्री गोह चोक तोंग से ज्यादा किसी ने इसके लिए मेहनत नहीं की और उनसे ज्यादा किसी को इसका श्रेय नहीं जाता। उन्होंने भारत को सिंगापुर और इस क्षेत्र से फिर से जोड़ा।  

उन्होंने विशाल संभावनाओं के लिए मेरी भी आंखें खोली। 

आज, सिंगापुर दुनिया में हमारे सबसे महत्वपूर्ण साझेदारों में से एक है। यह रिश्ता जितना व्यापक है, उतना ही सामरिक भी है। 

हमारे रक्षा और सुरक्षा संबंध व्यापक हैं। यह साझा हितों और साझा दृष्टिकोण से प्रतीत होता है। सिंगापुर के साथ और भारत में नियमित रूप से अभ्यास होता है। 

सिंगापुर दुनिया में भारत के लिए सबसे बड़ा निवेश स्रोत और गंतव्य है। यह दुनिया में भारत से सबसे ज्यादा जुड़ा राष्ट्र है। यह  दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है  और  पर्यटकों एवं छात्रों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है। 

अब जब हम अपने सपनों के भारत का निर्माण कर रहे हैं, सिंगापुर पहले से ही इन कार्यों में प्रमुख भागीदार है -  विश्वस्तरीय मानव संसाधन, स्मार्ट सिटी, स्वच्छ नदियों, स्वच्छ ऊर्जा अथवा अगली पीढ़ी का टिकाऊ बुनियादी ढांचा। 

बेंगलुरू में पहली आईटी पार्क से शुरुआत के बाद अब इसमें भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश की नवीनतम राजधानी अमरावती भी शामिल है। 

हमारी अर्थव्यवस्थाओं के विकास से साथ ही हमारी साझेदारी का विस्तार होगा और व्यापार एवं निवेश के ढांचे में आगे सुधार देखने को मिलेगा। 

लेकिन मैंने हमेशा सिंगापुर को उन्नत रूप में देखा है।

भोजन और पानी से लेकर स्वच्छ ऊर्जा और चिरस्थायी आवास जैसी 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने में सिंगापुर की सफलता ने मुझे उसके साथ साझेदारी करने को प्रेरित किया। 

और सिंगापुर कई तरीकों से इस शताब्दी में हमारे क्षेत्र की प्रगति को प्रभावित करेगा।

माननीय प्रधानमंत्री और गणमान्य सदस्य,

यह क्षेत्र एशिया प्रशांत और हिंदमहासागर क्षेत्र का प्रमुख भाग है। हालांकि हमने इसे प्रभाषित करने के लिए चुना है। इसका परस्पर संबद्ध इतिहास और परस्परसंबद्ध नीयती को रेखांकित करने वाले विषय बिलकुल स्पष्ट हैं। 

यह स्वतंत्रता और समृद्धि के विस्तार का क्षेत्र है। यह सबसे अधिक जनसंख्या वाले दो राष्ट्रों, इस दुनिया की कुछ सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं, और विश्व के सबसे प्रतिभाशाली और कड़ी मेहनत करने वाले लोगों का घर है। 

एशिया का पुनः उत्थान होना हमारे युग की सबसे महान घटना है। 

पिछली सदी के मध्य में छाए अंधेरे से जापान ने एशिया के उत्थान का नेतृत्व किया है। इसके बाद विकास की इस गति का दक्षिण-पूर्व एशिया, कोरिया और चीन की ओर विस्तार हुआ और अब भारत सतत एशियाई गतिशीलता और संमृद्धि को बनाए रखने की एक उज्ज्वल आशा का केंद्र बन गया है। 

लेकिन यह अनेक अनसुलझे सवालों और अनुत्तरित विवादों, प्रतिस्पर्धी दावों और विवादित मानदंड़ों, सैन्य शक्ति के विस्तार और आतंकवाद की छाया को विस्तार देने वाले, समुद्रों में अनिश्चिताओं और साइबर स्पेस में जोखिम वाला क्षेत्र भी है।  

यह क्षेत्र विशाल महासागर में एक द्वीप नहीं बल्कि यह दुनिया से गहराई से जुड़ा है और प्रभावित है। 

हमारा क्षेत्र देश में और दो देशों के दर्मियान विषमताओं से भरा क्षेत्र है। जहां आवास, भोजन और पानी की चुनौतियां मौजूद हैं, जहां प्रकृति के हमारे उपहार और परंपराओं की दौलत त्वरित विकास के दबाव को अनुभव करती है और हमारी कृषि तथा द्वीप जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। 

एशिया ने अपने इतिहास के विभिन्न बिंदुओं पर इनमें से कुछ को सहा है लेकिन ये चुनौतियां इससे पहले शायद की देखी गई हों। एशिया अभी भी एक शांतिपूर्ण, स्थिर और खुशहाल भविष्य के लिए अपने विविध परिवर्तनों के माध्यम से अपना रास्ता प्राप्त कर रहा है।

यह ऐसी यात्रा है जो सफल होनी चाहिए। भारत और सिंगापुर को इस अनुभव का लाभ उठाने के लिए मिल कर कार्य करना चाहिए। भारत का इतिहास एशिया से अलग नहीं किया जा सकता है। ऐसा अनेक बार हुआ है कि हम अंतर्मुखी हुए। 

हम पुनः और अब हम एशिया के साथ फिर अधिक नजदीकी के कारण एकीकृत इतिहास की ओर लौट रहे हैं। हम प्राचीन संबंधों की स्वाभाविक प्रवृत्ति के साथ अपने प्राचीन समुद्री और जमीनी मार्गों की ओर लौट रहे हैं। 

पिछले 18 महीनों के दौरान मेरी सरकार ने विश्व के अन्य भागों की अपेक्षा इस क्षेत्र के साथ अधिक कार्यक्रम बनाए हैं। प्राचीन प्रशांत द्वीपीय राष्ट्रों आस्ट्रेलिया और मंगोलिया के साथ नई शुरूआत की है लेकिन चीन, जापान, कोरिया और आसियान सदस्य देशों के साथ अधिक सघन संबंध स्थापित किए हैं। हमने अपना विजन, अपने विजन को उद्देश्य और उत्साह के साथ सामने रखा है। 

भारत और चीन की साझी सीमा हैं और पांच हजार सालों से हमारे दर्मियान परस्पर संबंध कायम हैं। भिक्षुकों और व्यापारियों ने हमारे संबंधों को और पाला पोसा है और हमारे समाज को समृद्ध किया है। 

यह इतिहास सातवीं सदी में ह्वेनसांग की यात्रा से प्रतिबिम्बित है और मुझे गुजरात में अपने जन्म स्थान से चीन में जियान तक इसे जोड़ने का गौरव प्राप्त हुआ है। जियान में ही चीन के राष्ट्रपति ने मई में मेरी अगवानी की थी। 

हमने इतिहास को संस्कृत पाली और चीनी भाषा में लिखे धार्मिक ग्रन्थों, अतीत में लिखे गए पत्रों गर्मजोशी और सम्मान से हुए आदान-प्रदानों भारत की प्रसिद्ध तंचौई साड़ियों और संस्कृत भाषा में रेशम के नाम सीना पट्टा में देखा है। 

आज हमारा मानवता में 2/5 योगदान है और दोनों ही देश विश्व की तेजी से बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले देश हैं। चीन का आर्थिक परिवर्तन हमारे लिए भी एक प्रेरणा स्रोत है। 

चूंकि यह अपनी अर्थव्यवस्था को पुनर्संतुलित करती है और भारत में विकास की गति के लिए कदम उठाए गए हैं। इसलिए हम दोनों एक दूसरे की प्रगति को मजबूती प्रदान कर सकते हैं तथा अपने क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि को आगे बढ़ा सकते हैं।

इसके साथ-साथ हम अपनी व्यापार से लेकर जलवायु परिवर्तन तक की  साझा वैश्विक चुनौतियों से निपटने में अधिक प्रभावी हो सकते हैं। 

हमारे सीमा विवाद सहित कई अनसुलझे मुद्दे हैं। लेकिन हम सीमा क्षेत्रों को शांतिपूर्ण और स्थिर बनाए रखने में समर्थ रहे हैं। हम रणनीतिक संचार और समानता के विस्तारों को मजबूती प्रदान करने पर रजामंद हैं। हमने आतंकवाद सहित जैसी आम आम चुनौतियों से निपटते हुए आर्थिक अवसरों को भी साझा किया है। 

भारत और चीन अपने हितों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक दो स्वयं आश्वासित और विश्वसनीय देशों के रूप में अपने संबंधों की जटिलता से परे रचनात्मक कार्य करेंगे। 

जिस प्रकार चीन के उत्थान ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रेरित किया है। विश्व की वैश्विक विकास और क्षेत्रीय शांति तथा स्थिरता के लिए चीन की सहायता प्राप्त करना चाहता है।

भारत और जापान ने कुछ बाद में एक-दूसरे की खोज खबर ली। लेकिन मेरे दोस्त, प्रधानमंत्री अबे ने मुझे प्राचीन आध्यात्मिक संबंधों के प्रतीक क्योटो धार्मिक स्थलों के दर्शन कराए। 100 से अधिक वर्ष पहले स्वामी विवेकानंद जापान के तट पर पहुंचे थे और उन्होंने भारतीय युवाओं का जापान जाने के लिए आह्वान किया था। स्वतंत्र भारत ने उनकी सलाह को गंभीरता से लिया। ऐसी कई भागीदारियां हैं जिनको जापान के साथ हमारे संबंधों के रूप में काफी सद्भावना प्राप्त है। 

किसी अन्य राष्ट्र ने भारत के आधुनिकीकरण और प्रगति के लिए इतना योगदान नहीं किया है जितना जापान ने। उदाहरण के लिए जापान ने कार, मैट्रो और औद्योगिक पार्कों के लिए काफी योगदान दिया है। कोई अन्य भागीदार भारत की प्रगति में इतनी बड़ी भूमिका नहीं निभा सकता है जितनी जापान ने निभाई है। 

अब हम और अधिक एक जुट हुए हैं। हम इसे रणनीतिक भागीदारी के रूप में देखते हैं क्योंकि यह एशिया, प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्रों को शांतिपूर्ण और स्थिर सुनिश्चित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 

कोरिया और आस्ट्रेलिया के साथ हमारे संबंध मजबूत आर्थिक आधार के साथ शुरू हुए और जो बाद में रणनीतिक बन गए। 

आसियान हमारी एक्ट ईस्ट पॉलिसी की धुरी है। हम भौगोलिक और एतिहासिक रूप से जुड़े हैं और अनेक आम चुनौतियों के खिलाफ एकजुट हैं तथा अनेक साझा उम्मीदों से बंधे हैं। 

आसियान के प्रत्येक सदस्य के साथ हमने राजनीतिक, सुरक्षा, रक्षा और आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाया है और क्योंकि आसियान समुदाय क्षेत्रीय एकीकरण के रास्ते पर एकता के मार्ग को प्रस्शत करता है इसलिए हम भारत और आसियान के मध्य अधिक गतिशील भागीदारी के लिए उत्सुक हैं जो हमारे 1.9 बिलियन लोगों के लिए समृद्ध क्षमता रखती है। 

भारत के पास आर्थिक सहयोग का ढांचा है। हम क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के साथ अधिक गहराई से एकीकृत होना चाहते हैं। हम अपनी भागीदारी के समझौतों को उन्नयन करेंगे और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी अनुबंध के शीघ्र निष्कर्ष के लिए कार्य करेंगे। 

हमारे समय के संक्रमण और प्रवाह में इस क्षेत्र की सबसे प्रमुख जरूरत ऐसे नियमों और मानदंडों को बनाए रखना है जो हमारे सामूहिक व्यवहार को परिभाषित करें। इसी कारण से हमें पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन और अन्य मंचों में एक साथ आना चाहिए। ताकि हम एक सहकारी और सहयोगपूर्ण भविष्य का कुछ लोगों की ताकत के बल पर बल्कि सभी की सहमति से निर्माण कर सकें। 

भारत यह सुनिश्चित करने के लिए की हमारे महासागर अंतरिक्ष और साइबर हमारी साझा समृद्धि के केंद्र बने रहें और प्रतियोगिता के नए रंगमंच न बने इस क्षेत्र के देशों और अमेरिका और रूस सहित अन्य देशों तथा पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन के भागीदार के साथ कार्य करेगा। 

भारत सभी के लाभ के लिए समुद्रों को सुरक्षित, सुनिश्चित और मुक्त रखने के लिए अपनी शक्ति भी उधार दे देगा। 

यह आज का युग अंतर निर्भरता का है इसलिए इस शताब्दी के वादों को साकार करने के लिए राष्ट्रों को एक साथ आना चाहिए। हमें ऐसा इसलिए करना चाहिए क्योंकि हमारी बड़ी चुनौतियां एक-दूसरे से नहीं बल्कि हम सभी के लिए साझी हैं। 

आतंकवाद एक ऐसी ही प्रमुख वैश्विक चुनौती है जो अलग- अलग समूहों की अपेक्षा से बड़ी ताकत है। इसकी काली छाया हमारे समाज और हमारे देशों पर आतंकवाद के लिए भर्ती करने और लक्ष्यों को चयन के रूप में पड़ रही है। आतंकवाद में न केवल जीवन नष्ट होते हैं बल्कि इससे अर्थव्यवस्था भी पटरी से उतर सकती है। 

विश्व को इसके विरूद्ध एक स्वर में आवाज उठानी चाहिए और सामंजस्य से काम करना चाहिए। इसके लिए राजनीतिक कानूनी सैनिक या खुफिया प्रयास किये जा सकते हैं लेकिन हमें और अधिक प्रयास करने होंगे। 

आतंकवाद के लिए अभ्यारण्य बनाने, उनकी मदद करने, हथियार और धन उपलब्ध कराने के लिए जिम्मेदार देशों को भी जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। देशों को एकदूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए। समाजों की अपने अंदर और उससे बाहर एक दूसरे तक पहुंच होनी चाहिए।  हमें धर्म से आतंकवाद को अलग करना चाहिए और मानव मूल्यों पर जोर देना चाहिए जो हर धर्म को परिभाषित करें। 

अब पेरिस सम्मेलन में कुछ ही दिन शेष हैं और हमें जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के सिद्धांतों के अनुरूप ठोस परिणाम हासिल करने चाहिए। ऐसा करना विशेष रूप से हमारे क्षेत्र और छोटे द्वीप देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 

मित्रों,

हमारा क्षेत्र विशाल वायदों का है लेकिन हम यह जानते हैं कि स्थायी शांति और समृद्धि अपरिहार्य नहीं है। इसलिए एशियाई सदी के अपने विजन को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। 

एशिया को अपनी प्राचीन संस्कृतियों और विश्व के सभी बड़े धर्मों का ज्ञान है। इसके पास युवाओं की ऊर्जा और अभियान भी है। एशिया के पहले नोबल पुरस्कार विजेता रविन्द्र नाथ टैगोर ने एक सदी पहले इस क्षेत्र की यात्रा के दौरान यह भविष्यवाणी की थी कि स्वयं की प्राप्ति के लिए एशिया आत्म चेतना फिर से हासिल कर रहा है। 

यहां सिंगापुर में जहां क्षेत्र की धाराओं का विलय होता है इसके विविध मेल-मिलापों और विचारों का मिलन होता है और आकांक्षाओं को पंख लग जाते हैं। यहां मैं ऐसा अनुभव करता हूं कि हम पहले के मुकाबले इस विजन के बहुत नजदीक हो गए हैं। 

भारत अपने बदलाव के लिए कार्य कर रहा है और विश्व में शांति और स्थिरता के लिए प्रयासरत है। इसलिए भारत की इस यात्रा में सिंगापुर एक प्रमुख भागीदार होगा। 

धन्यवाद

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Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।