प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर की आजादी के 50 साल पूरे होने पर वहां के लोगों को बधाई दी
प्रधानमंत्री मोदी ने ली कुआन यू को श्रद्धांजलि दी और उन्हें आधुनिक सिंगापुर का निर्माता बताया
ली कुआन यू सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत; उनकी सिंगापुर कहानियों से मैंने कई चीज़ें सीखी हैं: प्रधानमंत्री मोदी
स्वच्छ भारत सिर्फ हमारे पर्यावरण को साफ करने का नहीं बल्कि हमारी सोच, जीवनशैली और कार्यशैली में बदलाव लाने का कार्यक्रम है: पीएम मोदी
मैं अपने प्रयासों की सफ़लता नंबरों में नहीं बल्कि लोगों के चेहरों पर आने वाली मुस्कराहटों के आधार पर आंकता हूँ: प्रधानमंत्री मोदी
सिंगापुर एक ऐसा देश है जो सपनों को सच बनाने का रूपक बन गया है: प्रधानमंत्री मोदी
राष्ट्र का क्षेत्रफल उसकी उपलब्धियों के पैमाने के लिए कोई बाधा नहीं है: प्रधानमंत्री मोदी
सफलता की कुंजी: मानव संसाधन की गुणवत्ता, लोगों का विश्वास और राष्ट्र का संकल्प: प्रधानमंत्री
हम अपने लोगों को सशक्त करना चाहते हैं: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
हम ऐसी स्थिति बनाना चाहते हैं जिसमें उद्योग का विस्तार हो, अवसर बढ़ें और हमारे नागरिकों की क्षमताओं का समुचित उपयोग हो: प्रधानमंत्री
भारत बदलाव की दिशा में आगे बढ़ रहा है; आत्मविश्वास बढ़ रहा है; संकल्प मजबूत हुआ है और विकास की दिशा स्पष्ट है: प्रधानमंत्री
भारत और सिंगापुर अतीत में विभिन्न अवसरों पर एक साथ रहे हैं: प्रधानमंत्री मोदी
सिंगापुर दुनिया के लिए भारत का स्प्रिंगबोर्ड और पूर्वी देशों के लिए गेटवे है: प्रधानमंत्री मोदी
एशिया का पुनः उद्भव हमारे युग की सबसे बड़ी घटना: प्रधानमंत्री मोदी
एशिया की गतिशीलता और समृद्धि को बनाए रखने के लिए भारत आशा की एक किरण: प्रधानमंत्री मोदी
भारत सभी के लाभ के लिए समुद्र को सुरक्षित, संरक्षित और मुक्त रखने के लिए हरसंभव सहयोग देगा: प्रधानमंत्री मोदी
आतंकवाद एक प्रमुख वैश्विक चुनौती है और अलग-अलग समूहों से भी बड़ी ताकत है: प्रधानमंत्री मोदी
आतंकवाद सिर्फ मानव जीवन का नुकसान ही नहीं बल्कि अर्थव्यवस्थाओं को भी प्रभावित कर सकता है: प्रधानमंत्री मोदी 

महामहिम, प्रधानमंत्री ली सीन लूंग

महामहिम, उपप्रधानमंत्री थरमन षनमुगरत्नम

माननीय मंत्रियों,

प्रोफेसर टेन ताई योंग,

विशिष्ट अतिथिगणों,

सिंगापुर व्याख्यान देने के विशेषाधिकार और सम्मान के लिए धन्यवाद।

मैं इस बात को लेकर सचेत हूं कि मुझे उन नेताओं - पूर्व राष्ट्रपति श्री एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व प्रधानमंत्री श्री पीवी नरसिम्हा राव और पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी, के नक्शेकदम पर चलना है, जिन्होंने आधुनिक भारत और इस क्षेत्र के साथ हमारे संबंधों को आकार दिया। 

प्रधानमंत्री महोदय,  मैं यहां हमारे बीच आपकी उपस्थिति से सम्मानित महसूस कर रहा हूँ। 

हम जी -20 एवं आसियान और पूर्व एशिया शिखर सम्मेलनों के लिए पिछले कुछ हफ्तों से साथ रहे हैं। 

यह बताता है कि दोनों देशों की नियति कितनी गहराई से जुड़ी हुई है। 

आजादी के 50 साल पर मैं सिंगापुर के लोगों को 1.25 अरब दोस्तों और प्रशंसकों की ओर से शुभकामनाएं देता हूं। 

मनुष्य और राष्ट्रों के जीवन में  समय-समय पर मील के पत्थर का आना प्राकृतिक होता है। 

लेकिन, कुछ ही देश उस गर्व और संतोष की भावना के साथ अपने अस्तित्व के पहले पचास साल का जश्न मना सकते हैं, सिंगापुर जिसके योग्य है। 

मैं हमारे समय के सबसे बड़े नेताओं में से एक और आधुनिक सिंगापुर के वास्तुकार ली कुआन यू को श्रद्धांजलि देते हुए अपनी बात शुरू करने से बेहतर कुछ नहीं कर सकता।

उनके मिशन को अपने शब्दों में कहूं तो उन्होंने सिंगापुर को सफल देखने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। 

और यह उनका ही चितपरिचित फौलादी संकल्प था कि उन्होंने सिंगापुर को उसके स्वर्ण जयंती वर्ष के जरिए देखा। 

उनका प्रभाव वैश्विक था। और उनके लिए भारत एक शुभचिंतक था, जो सच्ची दोस्ती की ईमानदारी के साथ बात करता है। उन्हें भारत में कइयों की तुलना में भारत की घरेलू क्षमता और विदेश में भूमिका पर भरोसा था। 

मेरे लिए, वह एक व्यक्तिगत प्रेरणा थे। उनकी सिंगापुर की कहानी से मैंने कई बातें सीखीं। 

सबसे प्रभावी और अभी तक का सबसे साधारण विचार यह है कि एक राष्ट्र के परिवर्तन की यात्रा खुद के रहने के तरीके में बदलाव से शुरू होती है। इसीलिए अपने शहर और आसपास के क्षेत्र को स्वच्छ रखना, आधुनिक ढांचा निर्मित करने की ही तरह महत्वपूर्ण है। 

भारत में मेरे लिए भी स्वच्छ भारत अभियान महज पर्यावरण को स्वच्छ बनाने का कार्यक्रम नहीं है बल्कि यह हमारी सोच, जीवनशैली और कामकाज के तरीकों में परिवर्तन लाने के लिए है। 

गुणवत्ता, दक्षता और उत्पादकता महज तकनीकी उपाय नहीं हैं,  अलबत्ता यह मनःस्थिति और जीवन का एक तरीका भी हैं। 

इसलिए, मार्च की मेरी सिंगापुर यात्रा और भारत में एक दिन के शोक के दौरान हम एक सच्चे दोस्त और एक बहुत ही खास रिश्ते का सम्मान देना चाहते थे। 

सिंगापुर सपनों को वास्तविकता में बदलने वाला एक रूपक राष्ट्र बन गया है। 

सिंगापुर हमें बहुत सी बातें सिखाता है।

उपलब्धियां प्राप्त करने के लिए किसी राष्ट्र का आकार कोई बाधा नहीं होता। 

 संसाधनों की कमी प्रेरणा, कल्पना  एवं नवाचार के लिए कोई बाधा नहीं है। 

जब एक राष्ट्र विविधता को गले लगाता है, तो वह एक साझे उद्देश्य के पीछे एकजुट हो सकता है। 

और, अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व विचारों की शक्ति से उभरता है, ना कि सिर्फ ताकत के रूढ़िवादी उपायों से। 

सिंगापुर ने किसी देश के सिर्फ एक पीढ़ी के भीतर ही समृद्धि के उच्चतम स्तर में प्रवेश करने से ज्यादा हासिल किया है। 

उसने इस क्षेत्र की प्रगति के लिए प्रेरित किया और अपने एकीकरण का नेतृत्व किया है। 

और, उसके कारण दूसरों ने भी माना है कि प्रगति की संभावना हमारी पकड़ के भीतर ही है। यह एक अनदेखी और दूर से नजर आने वाली आशा नहीं है। 

सिंगापुर की सफलता महज आंकड़ों की समग्रता और निवेश के आकार से नहीं है। 

यह उससे है, जिसे मैं सफलता की कुंजी मानता हूं। यह मानव संसाधनों की गुणवत्ता, लोगों के विश्वास और एक राष्ट्र के संकल्प पर आधारित है। 

गणमान्य सदस्यो एवं दोस्तो, 

यह वही नजरिया है जिसके साथ हम भारत में परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहे हैं।   

हमारे प्रयासों का उद्देश्य जनता है  और वही परिवर्तन के पीछे की शक्ति होगी। 

मैं आंकड़ों से हमारे प्रयासों की सफलता को परखना नहीं चाहता लेकिन लोगों के चेहरे पर मुस्कान की सुर्ख चमक से इसे देखना चाहता हूं।

इसलिए, हमारी नीतियों का एक हिस्सा हमारे लोगों को सशक्त करने के लिए है। 

दूसरा हिस्सा ऐसी परिस्थितियों का निर्माण करना है जिनमें उद्यम पनपे, अवसरों का विस्तार हो और हमारे लोगों की क्षमताएं उभरकर सामने आएं। 

तभी तो हम, कौशल और शिक्षा के माध्यम से हमारे लोगों में निवेश कर रहे हैं। हमारा विशेष ध्यान बालिकाओं, वित्तीय समावेशन;  स्थायी निवास; स्वच्छ नदियों और स्मार्ट शहरों पर है। हम चाहते हैं कि हमारे सभी नागरिकों की पानी एवं साफ-सफाई जैसी सभी बुनियादी जरूरतें पूरी हों। 

हम एक ऐसे पर्यावरण का पोषण एवं रक्षा करेंगे जिसके तहत हर नागरिक आता हो और वह उसमें भागीदार हो। हम अवसरों को लेकर उनके भरोसे और अधिकारों को सुरक्षित रखेंगे। 

और, हम कानूनों, नियमों, नीतियों, प्रक्रियाओं और संस्थाओं में सुधार से अवसरों का सृजन कर रहे हैं। हमारे शासन के अपने तरीकों और राज्य सरकारों के साथ काम करने के तरीकों में भी बदलाव आया है। 

परिवर्तन के इस साझा सॉफ्टवेयर के साथ ही हम तरक्की के हार्डवेयर का भी निर्माण कर रहे हैं। इसमें अगली पीढ़ी का बुनियादी ढांचा, निर्माण क्षेत्र में बदलाव, कृषि सुधार, आसान व्यापार और स्मार्ट सेवाएं शामिल हैं। 

यही वजह है कि हम एक ही समय में कई मोर्चों पर आगे बढ़ रहे हैं। हम एक व्यापक रणनीति को बनाने वाले संबंधों से परिचित हैं।  

कुछ समय पहले मुझे पता चला कि सिंगापुर के लोगों को भारत के बारे में अच्छी खासी जानकारी है। ऐसा भारत के साथ-साथ यहां आने वाले लोगों की संख्या के कारण है। 

किसी में मामले में, मेरे लिए, दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के प्रमुख के रूप में भारत के उद्भव से अधिक टिकाऊ यह है कि बदलाव का पहिया तेजी से घूमे, आत्मविश्वास बढ़े, संकल्प मजबूत हो और दिशा स्पष्ट हो। 

सुदूरवर्ती गांव और सबसे अधिक दूर रहने वाला नागरिक राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में शामिल होना चाहता है और यह विचार देश भर में फैल रहा है। 

विशिष्ट अतिथिगणों,

भारत और सिंगापुर समय के कई चौराहे पर एक साथ खड़े रहे हैं। 

हमारा रिश्ता इतिहास के पन्नों, संस्कृति के पद्चिह्नों, रिश्तेदारी और पुराने वाणिज्यिक संबंधों से लिखा गया है। 

हम स्वतंत्रता की भोर में मित्रवत साथ खड़े थे और हम साझा आशाओं की भागीदारी के लिए एक-दूसरे तक पहुंचे हैं। 

सिंगापुर की सफलता भारतीयों की एक आकांक्षा बन गया और वहीं भारत अधिक शांतिपूर्ण, संतुलित और स्थिर दुनिया के लिए एक आशा बनकार उभरा। 

जब भारत ने खुलापन दिखाना शुरू किया तो सिंगापुर भारत के आगे बढ़ने की प्रेरणा और पूर्व के लिए प्रवेश द्वार बन गया। 

ससम्मान सेवामुक्त वरिष्ठ मंत्री गोह चोक तोंग से ज्यादा किसी ने इसके लिए मेहनत नहीं की और उनसे ज्यादा किसी को इसका श्रेय नहीं जाता। उन्होंने भारत को सिंगापुर और इस क्षेत्र से फिर से जोड़ा।  

उन्होंने विशाल संभावनाओं के लिए मेरी भी आंखें खोली। 

आज, सिंगापुर दुनिया में हमारे सबसे महत्वपूर्ण साझेदारों में से एक है। यह रिश्ता जितना व्यापक है, उतना ही सामरिक भी है। 

हमारे रक्षा और सुरक्षा संबंध व्यापक हैं। यह साझा हितों और साझा दृष्टिकोण से प्रतीत होता है। सिंगापुर के साथ और भारत में नियमित रूप से अभ्यास होता है। 

सिंगापुर दुनिया में भारत के लिए सबसे बड़ा निवेश स्रोत और गंतव्य है। यह दुनिया में भारत से सबसे ज्यादा जुड़ा राष्ट्र है। यह  दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है  और  पर्यटकों एवं छात्रों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है। 

अब जब हम अपने सपनों के भारत का निर्माण कर रहे हैं, सिंगापुर पहले से ही इन कार्यों में प्रमुख भागीदार है -  विश्वस्तरीय मानव संसाधन, स्मार्ट सिटी, स्वच्छ नदियों, स्वच्छ ऊर्जा अथवा अगली पीढ़ी का टिकाऊ बुनियादी ढांचा। 

बेंगलुरू में पहली आईटी पार्क से शुरुआत के बाद अब इसमें भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश की नवीनतम राजधानी अमरावती भी शामिल है। 

हमारी अर्थव्यवस्थाओं के विकास से साथ ही हमारी साझेदारी का विस्तार होगा और व्यापार एवं निवेश के ढांचे में आगे सुधार देखने को मिलेगा। 

लेकिन मैंने हमेशा सिंगापुर को उन्नत रूप में देखा है।

भोजन और पानी से लेकर स्वच्छ ऊर्जा और चिरस्थायी आवास जैसी 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने में सिंगापुर की सफलता ने मुझे उसके साथ साझेदारी करने को प्रेरित किया। 

और सिंगापुर कई तरीकों से इस शताब्दी में हमारे क्षेत्र की प्रगति को प्रभावित करेगा।

माननीय प्रधानमंत्री और गणमान्य सदस्य,

यह क्षेत्र एशिया प्रशांत और हिंदमहासागर क्षेत्र का प्रमुख भाग है। हालांकि हमने इसे प्रभाषित करने के लिए चुना है। इसका परस्पर संबद्ध इतिहास और परस्परसंबद्ध नीयती को रेखांकित करने वाले विषय बिलकुल स्पष्ट हैं। 

यह स्वतंत्रता और समृद्धि के विस्तार का क्षेत्र है। यह सबसे अधिक जनसंख्या वाले दो राष्ट्रों, इस दुनिया की कुछ सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं, और विश्व के सबसे प्रतिभाशाली और कड़ी मेहनत करने वाले लोगों का घर है। 

एशिया का पुनः उत्थान होना हमारे युग की सबसे महान घटना है। 

पिछली सदी के मध्य में छाए अंधेरे से जापान ने एशिया के उत्थान का नेतृत्व किया है। इसके बाद विकास की इस गति का दक्षिण-पूर्व एशिया, कोरिया और चीन की ओर विस्तार हुआ और अब भारत सतत एशियाई गतिशीलता और संमृद्धि को बनाए रखने की एक उज्ज्वल आशा का केंद्र बन गया है। 

लेकिन यह अनेक अनसुलझे सवालों और अनुत्तरित विवादों, प्रतिस्पर्धी दावों और विवादित मानदंड़ों, सैन्य शक्ति के विस्तार और आतंकवाद की छाया को विस्तार देने वाले, समुद्रों में अनिश्चिताओं और साइबर स्पेस में जोखिम वाला क्षेत्र भी है।  

यह क्षेत्र विशाल महासागर में एक द्वीप नहीं बल्कि यह दुनिया से गहराई से जुड़ा है और प्रभावित है। 

हमारा क्षेत्र देश में और दो देशों के दर्मियान विषमताओं से भरा क्षेत्र है। जहां आवास, भोजन और पानी की चुनौतियां मौजूद हैं, जहां प्रकृति के हमारे उपहार और परंपराओं की दौलत त्वरित विकास के दबाव को अनुभव करती है और हमारी कृषि तथा द्वीप जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। 

एशिया ने अपने इतिहास के विभिन्न बिंदुओं पर इनमें से कुछ को सहा है लेकिन ये चुनौतियां इससे पहले शायद की देखी गई हों। एशिया अभी भी एक शांतिपूर्ण, स्थिर और खुशहाल भविष्य के लिए अपने विविध परिवर्तनों के माध्यम से अपना रास्ता प्राप्त कर रहा है।

यह ऐसी यात्रा है जो सफल होनी चाहिए। भारत और सिंगापुर को इस अनुभव का लाभ उठाने के लिए मिल कर कार्य करना चाहिए। भारत का इतिहास एशिया से अलग नहीं किया जा सकता है। ऐसा अनेक बार हुआ है कि हम अंतर्मुखी हुए। 

हम पुनः और अब हम एशिया के साथ फिर अधिक नजदीकी के कारण एकीकृत इतिहास की ओर लौट रहे हैं। हम प्राचीन संबंधों की स्वाभाविक प्रवृत्ति के साथ अपने प्राचीन समुद्री और जमीनी मार्गों की ओर लौट रहे हैं। 

पिछले 18 महीनों के दौरान मेरी सरकार ने विश्व के अन्य भागों की अपेक्षा इस क्षेत्र के साथ अधिक कार्यक्रम बनाए हैं। प्राचीन प्रशांत द्वीपीय राष्ट्रों आस्ट्रेलिया और मंगोलिया के साथ नई शुरूआत की है लेकिन चीन, जापान, कोरिया और आसियान सदस्य देशों के साथ अधिक सघन संबंध स्थापित किए हैं। हमने अपना विजन, अपने विजन को उद्देश्य और उत्साह के साथ सामने रखा है। 

भारत और चीन की साझी सीमा हैं और पांच हजार सालों से हमारे दर्मियान परस्पर संबंध कायम हैं। भिक्षुकों और व्यापारियों ने हमारे संबंधों को और पाला पोसा है और हमारे समाज को समृद्ध किया है। 

यह इतिहास सातवीं सदी में ह्वेनसांग की यात्रा से प्रतिबिम्बित है और मुझे गुजरात में अपने जन्म स्थान से चीन में जियान तक इसे जोड़ने का गौरव प्राप्त हुआ है। जियान में ही चीन के राष्ट्रपति ने मई में मेरी अगवानी की थी। 

हमने इतिहास को संस्कृत पाली और चीनी भाषा में लिखे धार्मिक ग्रन्थों, अतीत में लिखे गए पत्रों गर्मजोशी और सम्मान से हुए आदान-प्रदानों भारत की प्रसिद्ध तंचौई साड़ियों और संस्कृत भाषा में रेशम के नाम सीना पट्टा में देखा है। 

आज हमारा मानवता में 2/5 योगदान है और दोनों ही देश विश्व की तेजी से बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले देश हैं। चीन का आर्थिक परिवर्तन हमारे लिए भी एक प्रेरणा स्रोत है। 

चूंकि यह अपनी अर्थव्यवस्था को पुनर्संतुलित करती है और भारत में विकास की गति के लिए कदम उठाए गए हैं। इसलिए हम दोनों एक दूसरे की प्रगति को मजबूती प्रदान कर सकते हैं तथा अपने क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि को आगे बढ़ा सकते हैं।

इसके साथ-साथ हम अपनी व्यापार से लेकर जलवायु परिवर्तन तक की  साझा वैश्विक चुनौतियों से निपटने में अधिक प्रभावी हो सकते हैं। 

हमारे सीमा विवाद सहित कई अनसुलझे मुद्दे हैं। लेकिन हम सीमा क्षेत्रों को शांतिपूर्ण और स्थिर बनाए रखने में समर्थ रहे हैं। हम रणनीतिक संचार और समानता के विस्तारों को मजबूती प्रदान करने पर रजामंद हैं। हमने आतंकवाद सहित जैसी आम आम चुनौतियों से निपटते हुए आर्थिक अवसरों को भी साझा किया है। 

भारत और चीन अपने हितों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक दो स्वयं आश्वासित और विश्वसनीय देशों के रूप में अपने संबंधों की जटिलता से परे रचनात्मक कार्य करेंगे। 

जिस प्रकार चीन के उत्थान ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रेरित किया है। विश्व की वैश्विक विकास और क्षेत्रीय शांति तथा स्थिरता के लिए चीन की सहायता प्राप्त करना चाहता है।

भारत और जापान ने कुछ बाद में एक-दूसरे की खोज खबर ली। लेकिन मेरे दोस्त, प्रधानमंत्री अबे ने मुझे प्राचीन आध्यात्मिक संबंधों के प्रतीक क्योटो धार्मिक स्थलों के दर्शन कराए। 100 से अधिक वर्ष पहले स्वामी विवेकानंद जापान के तट पर पहुंचे थे और उन्होंने भारतीय युवाओं का जापान जाने के लिए आह्वान किया था। स्वतंत्र भारत ने उनकी सलाह को गंभीरता से लिया। ऐसी कई भागीदारियां हैं जिनको जापान के साथ हमारे संबंधों के रूप में काफी सद्भावना प्राप्त है। 

किसी अन्य राष्ट्र ने भारत के आधुनिकीकरण और प्रगति के लिए इतना योगदान नहीं किया है जितना जापान ने। उदाहरण के लिए जापान ने कार, मैट्रो और औद्योगिक पार्कों के लिए काफी योगदान दिया है। कोई अन्य भागीदार भारत की प्रगति में इतनी बड़ी भूमिका नहीं निभा सकता है जितनी जापान ने निभाई है। 

अब हम और अधिक एक जुट हुए हैं। हम इसे रणनीतिक भागीदारी के रूप में देखते हैं क्योंकि यह एशिया, प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्रों को शांतिपूर्ण और स्थिर सुनिश्चित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 

कोरिया और आस्ट्रेलिया के साथ हमारे संबंध मजबूत आर्थिक आधार के साथ शुरू हुए और जो बाद में रणनीतिक बन गए। 

आसियान हमारी एक्ट ईस्ट पॉलिसी की धुरी है। हम भौगोलिक और एतिहासिक रूप से जुड़े हैं और अनेक आम चुनौतियों के खिलाफ एकजुट हैं तथा अनेक साझा उम्मीदों से बंधे हैं। 

आसियान के प्रत्येक सदस्य के साथ हमने राजनीतिक, सुरक्षा, रक्षा और आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाया है और क्योंकि आसियान समुदाय क्षेत्रीय एकीकरण के रास्ते पर एकता के मार्ग को प्रस्शत करता है इसलिए हम भारत और आसियान के मध्य अधिक गतिशील भागीदारी के लिए उत्सुक हैं जो हमारे 1.9 बिलियन लोगों के लिए समृद्ध क्षमता रखती है। 

भारत के पास आर्थिक सहयोग का ढांचा है। हम क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के साथ अधिक गहराई से एकीकृत होना चाहते हैं। हम अपनी भागीदारी के समझौतों को उन्नयन करेंगे और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी अनुबंध के शीघ्र निष्कर्ष के लिए कार्य करेंगे। 

हमारे समय के संक्रमण और प्रवाह में इस क्षेत्र की सबसे प्रमुख जरूरत ऐसे नियमों और मानदंडों को बनाए रखना है जो हमारे सामूहिक व्यवहार को परिभाषित करें। इसी कारण से हमें पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन और अन्य मंचों में एक साथ आना चाहिए। ताकि हम एक सहकारी और सहयोगपूर्ण भविष्य का कुछ लोगों की ताकत के बल पर बल्कि सभी की सहमति से निर्माण कर सकें। 

भारत यह सुनिश्चित करने के लिए की हमारे महासागर अंतरिक्ष और साइबर हमारी साझा समृद्धि के केंद्र बने रहें और प्रतियोगिता के नए रंगमंच न बने इस क्षेत्र के देशों और अमेरिका और रूस सहित अन्य देशों तथा पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन के भागीदार के साथ कार्य करेगा। 

भारत सभी के लाभ के लिए समुद्रों को सुरक्षित, सुनिश्चित और मुक्त रखने के लिए अपनी शक्ति भी उधार दे देगा। 

यह आज का युग अंतर निर्भरता का है इसलिए इस शताब्दी के वादों को साकार करने के लिए राष्ट्रों को एक साथ आना चाहिए। हमें ऐसा इसलिए करना चाहिए क्योंकि हमारी बड़ी चुनौतियां एक-दूसरे से नहीं बल्कि हम सभी के लिए साझी हैं। 

आतंकवाद एक ऐसी ही प्रमुख वैश्विक चुनौती है जो अलग- अलग समूहों की अपेक्षा से बड़ी ताकत है। इसकी काली छाया हमारे समाज और हमारे देशों पर आतंकवाद के लिए भर्ती करने और लक्ष्यों को चयन के रूप में पड़ रही है। आतंकवाद में न केवल जीवन नष्ट होते हैं बल्कि इससे अर्थव्यवस्था भी पटरी से उतर सकती है। 

विश्व को इसके विरूद्ध एक स्वर में आवाज उठानी चाहिए और सामंजस्य से काम करना चाहिए। इसके लिए राजनीतिक कानूनी सैनिक या खुफिया प्रयास किये जा सकते हैं लेकिन हमें और अधिक प्रयास करने होंगे। 

आतंकवाद के लिए अभ्यारण्य बनाने, उनकी मदद करने, हथियार और धन उपलब्ध कराने के लिए जिम्मेदार देशों को भी जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। देशों को एकदूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए। समाजों की अपने अंदर और उससे बाहर एक दूसरे तक पहुंच होनी चाहिए।  हमें धर्म से आतंकवाद को अलग करना चाहिए और मानव मूल्यों पर जोर देना चाहिए जो हर धर्म को परिभाषित करें। 

अब पेरिस सम्मेलन में कुछ ही दिन शेष हैं और हमें जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के सिद्धांतों के अनुरूप ठोस परिणाम हासिल करने चाहिए। ऐसा करना विशेष रूप से हमारे क्षेत्र और छोटे द्वीप देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 

मित्रों,

हमारा क्षेत्र विशाल वायदों का है लेकिन हम यह जानते हैं कि स्थायी शांति और समृद्धि अपरिहार्य नहीं है। इसलिए एशियाई सदी के अपने विजन को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। 

एशिया को अपनी प्राचीन संस्कृतियों और विश्व के सभी बड़े धर्मों का ज्ञान है। इसके पास युवाओं की ऊर्जा और अभियान भी है। एशिया के पहले नोबल पुरस्कार विजेता रविन्द्र नाथ टैगोर ने एक सदी पहले इस क्षेत्र की यात्रा के दौरान यह भविष्यवाणी की थी कि स्वयं की प्राप्ति के लिए एशिया आत्म चेतना फिर से हासिल कर रहा है। 

यहां सिंगापुर में जहां क्षेत्र की धाराओं का विलय होता है इसके विविध मेल-मिलापों और विचारों का मिलन होता है और आकांक्षाओं को पंख लग जाते हैं। यहां मैं ऐसा अनुभव करता हूं कि हम पहले के मुकाबले इस विजन के बहुत नजदीक हो गए हैं। 

भारत अपने बदलाव के लिए कार्य कर रहा है और विश्व में शांति और स्थिरता के लिए प्रयासरत है। इसलिए भारत की इस यात्रा में सिंगापुर एक प्रमुख भागीदार होगा। 

धन्यवाद

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January 06, 2025
जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना और ओडिशा में रेल ढ़ांचा परियोजनाओं के शुभारंभ से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और इन क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास में मदद मिलेगी: प्रधानमंत्री
आज देश विकसित भारत की संकल्प सिद्धि में जुटा है और इसके लिए भारतीय रेलवे का विकास बहुत महत्वपूर्ण है: प्रधानमंत्री
हम भारत में रेलवे के विकास को चार मापदंडों पर आगे बढ़ा रहे हैं। पहला- रेलवे ढ़ांचे का आधुनिकीकरण, दूसरा- रेलवे के यात्रियों को आधुनिक सुविधाएं, तीसरा- रेलवे की देश के कोने-कोने में कनेक्टिविटी और चौथा- रेलवे से रोजगार सृजन और उद्योगों को मददः प्रधानमंत्री
आज भारत रेल लाइनों के शत-प्रतिशत विद्युतीकरण के करीब है, हमने रेलवे की पहुंच का भी निरंतर विस्तार किया है: प्रधानमंत्री

नमस्कार जी।

तेलंगाना के गवर्नर श्रीमान जिष्णु देव वर्मा जी, ओडिशा के गवर्नर श्री हरि बाबू जी, जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा जी, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री श्रीमान उमर अब्दुल्ला जी, तेलंगाना के सीएम श्रीमान रेवंत रेड्डी जी, ओडिशा के मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी अश्विनी वैष्णव जी, जी किशन रेड्डी जी, डॉ. जीतेंद्र सिंह जी, वी सोमैया जी, रवनीत सिंह बिट्टू जी, बंडी संजय कुमार जी, अन्य मंत्रीगण, सांसद, विधायकगण, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

आज गुरु गोविंद सिंह जी की, उनका ये प्रकाश उत्सव है। उनके विचार, उनका जीवन हमें समृद्ध और सशक्त भारत बनाने की प्रेरणा देता है। मैं सभी को गुरू गोविंद सिंह जी के प्रकाश उत्सव की शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

2025 की शुरुआत से ही भारत, कनेक्टिविटी की तेज रफ्तार बनाए हुए है। कल मैंने दिल्ली-एनसीआर में नमो भारत ट्रेन का शानदार अनुभव लिया, दिल्ली मेट्रो की अहम परियोजनाओं की शुरूआत की। कल भारत ने बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है, हमारे देश में अब मेट्रो नेटवर्क, एक हजार किलोमीटर से ज्यादा का हो गया है। अभी आज यहाँ करोड़ों रुपए की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। उत्तर में जम्मू कश्मीर, पूरब में ओडिशा, और दक्षिण में तेलंगाना, आज देश के एक बड़े हिस्से के लिए 'new age connectivity' के लिहाज से बहुत बड़ा दिन है। इन तीनों राज्यों में आधुनिक विकास की शुरुआत, ये बताता है कि पूरा देश अब एक साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहा है। और यही 'सबका साथ, सबका विकास' वो मंत्र है जो विकसित भारत के सपने में विश्वास के रंग भर रहा है। मैं आज इस अवसर पर, इन तीनों राज्यों के लोगों को और सभी देशवासियों को इन प्रोजेक्ट्स की बधाई देता हूं। और ये भी संयोग है कि आज हमारे ओडिशा के मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण माझी जी का जन्मदिन भी है, मैं उनको भी आज सबकी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

आज देश विकसित भारत की संकल्प सिद्धि में जुटा है, और इसके लिए भारतीय रेलवे का विकास बहुत महत्वपूर्ण है। हमने देखा है, पिछला एक दशक भारतीय रेलवे के ऐतिहासिक ट्रांसफॉर्मेशन का रहा है। रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर में एक visible change आया है। इससे देश की छवि बदली है, और देशवासियों का मनोबल भी बढ़ा है।

साथियों,

भारत में रेलवे के विकास को हम चार पैरामीटर्स पर आगे बढ़ा रहे हैं। पहला- रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर का modernization, दूसरा- रेलवे के यात्रियों को आधुनिक सुविधाएं, तीसरा- रेलवे की देश के कोने-कोने में कनेक्टिविटी, चौथा- रेलवे से रोजगार का निर्माण, उद्योगों को सपोर्ट। आज के इस कार्यक्रम में भी इसी विजन की झलक दिखाई देती है। ये नए डिविजन, नए रेल टर्मिनल, भारतीय रेलवे को 21वीं सदी की आधुनिक रेलवे बनाने में अहम योगदान देंगे। इनसे देश में आर्थिक समृद्धि का इकोसिस्टम डवलप करने में मदद मिलेगी, रेलवे के संचालन में मदद मिलेगी, निवेश के ज्यादा मौके बनेंगे और नई नौकरियों का सृजन भी होगा।

साथियों,

2014 में हमने भारतीय रेलवे को आधुनिक बनाने का सपना लेकर काम शुरू किया था। वंदे भारत ट्रेनों की फैसिलिटी, अमृत भारत और नमो भारत रेल की सुविधा, अब भारतीय रेल का नया बेंचमार्क बन रही हैं। आज का Aspirational India, कम समय में बहुत ज्यादा पाने की आकांक्षा रखता है। आज लोग लंबी दूरी की यात्रा को भी कम समय में पूरा करना चाहते हैं। ऐसे में देश के हर हिस्से में हाई स्पीड ट्रेनों की मांग बढ़ रही है। आज 50 से ज्यादा रूट्स पर वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं। 136 वंदे भारत सेवाएं लोगों की यात्रा को सुखद बना रही हैं। अभी मैं दो-तीन दिन पहले ही एक वीडियो देख रहा था, अपने ट्रायल रन में वंदे भारत का नया स्लीपर वर्जन कैसे 180 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ रहा है, और ये देखकर मुझे ही नहीं किसी भी हिन्दुस्तानी को अच्छा लगेगा। ऐसे अनुभव ये तो शुरुआत हैं, वो समय दूर नहीं जब भारत में पहली बुलेट ट्रेन भी दौड़ेगी।

साथियों,

हमारा लक्ष्य है कि- फ़र्स्ट स्टेशन से लेकर डेस्टिनेशन तक, भारतीय रेल से यात्रा एक यादगार अनुभव बने। इसके लिए देश में 1300 से ज्यादा अमृत स्टेशनों का कायाकल्प भी हो रहा है। पिछले 10 वर्षों में रेल कनेक्टिविटी का भी अद्भुत विस्तार हुआ है। 2014 तक देश में सिर्फ thirty five percent, 35 परसेंट रेल लाइनों का electrification हुआ था। आज भारत, रेल लाइनों के शत प्रतिशत electrification के करीब है। हमने रेलवे की reach को भी लगातार expand किया है। बीते 10 वर्षों में 30 हजार किलोमीटर से ज्यादा नए रेलवे ट्रैक बिछाए गए हैं, सैकड़ों रोड ओवर ब्रिज और रोड अंडर ब्रिज का निर्माण किया गया है। अब ब्रॉड गेज लाइनों पर मानव रहित क्रॉसिंग्स खत्म हो चुकी हैं। इससे दुर्घटनाएं भी कम हुई हैं और यात्रियों की सुरक्षा भी बढ़ी है। देश में Dedicated freight corridor जैसे आधुनिक रेल नेटवर्क का काम भी तेजी से पूरा हो रहा है। ये स्पेशल corridor बनने से सामान्य ट्रैक पर दबाव कम होगा और हाई स्पीड ट्रेनों को चलाने के अवसर भी बढ़ेंगे।

साथियों,

रेलवे में आज कायाकल्प का जो अभियान चल रहा है, जिस तरह मेड इन इंडिया को बढ़ावा दिया जा रहा है, मेट्रो के लिए, रेलवे के लिए आधुनिक डिब्बे तैयार किए जा रहे हैं, स्टेशनों को री-डवलप किया जा रहा है, स्टेशनों पर सोलर-पैनल लगाए जा रहे हैं, 'वन स्टेशन, वन प्रोडक्ट' इसके स्टॉल लग रहे हैं, उससे भी रेलवे में रोजगार के लाखों नए अवसर बन रहे हैं। पिछले 10 साल में रेलवे में लाखों युवाओं को पक्की सरकारी नौकरी मिली है। हमें याद रखना है, जिन कारखानों में नई ट्रेनों के डिब्बे बनाए जा रहे हैं, उसके लिए कच्चा माल दूसरी फैक्ट्रियों से आ रहा है। वहां डिमांड बढ़ने का मतलब है, रोजगार के ज्यादा अवसर। रेलवे से जुड़ी विशेष स्किल को ध्यान में रखते हुए देश की पहली गति-शक्ति यूनिवर्सिटी की भी स्थापना की गई है।

साथियों,

आज जैसे-जैसे रेलवे नेटवर्क का विस्तार हो रहा है, उसी हिसाब से नए हेडक्वार्टर और डिवीजन भी बनाए जा रहे हैं। जम्मू डिवीज़न का लाभ जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश और पंजाब के कई शहरों को भी होगा। इससे लेह-लद्दाख के लोगों को भी सुविधा होगी।

साथियों,

हमारा जम्मू-कश्मीर आज रेल इंफ्रास्ट्रक्चर में नए रिकॉर्ड बना रहा है। उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लाइन इसकी चर्चा आज पूरे देश में है। ये परियोजना जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य हिस्सों के साथ और बेहतरी से जोड़ देगी। इसी परियोजना के तहत दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज, चिनाब ब्रिज का काम पूरा हुआ है। अंजी खड्ड ब्रिज, जो देश का पहला केबल आधारित रेल ब्रिज है, वो भी इसी परियोजना का हिस्सा है। ये दोनों इंजीनियरिंग के बेजोड़ उदाहरण हैं। इनसे इस क्षेत्र में आर्थिक प्रगति होगी और समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद से हमारे ओडिशा के पास प्राकृतिक संसाधनों का भंडार है। इतना बड़ा समुद्री तट मिला है। ओडिशा में इंटरनेशनल ट्रेड की प्रबल संभावनाएं हैं। आज ओडिशा में रेलवे के नए ट्रैक से जुड़े लगभग अनेकों प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। इन पर 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हो रहा है। राज्य में 7 गति शक्ति कार्गो टर्मिनल शुरू किए गए हैं, जो व्यापार और उद्योगों को बढ़ावा दे रहे हैं। आज भी ओडिशा में जिस रायगड़ा रेल मंडल का शिलान्यास किया गया है, इससे प्रदेश का रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर और मजबूत होगा। इससे ओडिशा में पर्यटन, व्यापार और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। खास तौर पर, इसका बहुत लाभ उस दक्षिण ओडिशा को मिलेगा, जहां जनजातीय परिवारों की संख्या ज्यादा है। हम जनमन योजना के तहत जिन अति-पिछड़े आदिवासी इलाकों का विकास कर रहे हैं, ये इंफ्रास्ट्रक्चर उनके लिए वरदान साबित होगा।

साथियों,

आज मुझे तेलंगाना के चर्लपल्ली न्यू टर्मिनल स्टेशन के उद्घाटन का भी अवसर मिला है। इस स्टेशन के आउटर रिंग रोड से जुड़ने से क्षेत्र में विकास को गति मिलेगी। स्टेशन पर आधुनिक प्लेटफॉर्म, लिफ्ट, एस्केलेटर जैसी सुविधाएं हैं। एक और खास बात है कि ये स्टेशन सोलर ऊर्जा से संचालित हो रहा है। ये नया रेलवे टर्मिनल, शहर के मौजूदा टर्मिनल्स जैसे सिकंदराबाद, हैदराबाद और काचिगुड़ा पर प्रेशर को बहुत कम करेगा। इससे लोगों के लिए यात्रा और सुविधाजनक होगी। यानि ease of living के साथ-साथ ease of doing business को भी बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

आज देश में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण का महायज्ञ चल रहा है। भारत के एक्सप्रेसवे, वॉटरवे, मेट्रो नेटवर्क का तेज गति से विस्तार हो रहा है। आज देश के एयरपोर्ट्स पर सबसे बेहतरीन सुविधाएं मिल रही हैं। 2014 में देश में एयरपोर्ट्स की संख्या 74 थी, अब इनकी संख्या बढ़कर 150 के पार हो चुकी है। 2014 तक सिर्फ 5 शहरों में मेट्रो की सुविधा थी, आज 21 शहरों में मेट्रो है। इस स्केल और स्पीड को मैच करने के लिए भारतीय रेलवे को भी लगातार अपग्रेड किया जा रहा है।

साथियों,

ये सभी विकास कार्य विकसित भारत के उस रोडमैप का हिस्सा हैं, जो आज हर देशवासी के लिए एक मिशन बन चुका है। मुझे विश्वास है, हम सब साथ मिलकर इस दिशा में और भी तेज गति से आगे बढ़ेंगे। मैं एक बार फिर इन परियोजनाओं के लिए देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।