भारत का संविधान हमारे लोकतंत्र की आत्मा: ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री मोदी
हमारा संविधान व्यापक, सभी के लिए समानता और सभी के प्रति संवेदनशीलता इसकी विशेषता: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी
संविधान का मसौदा तैयार करते वक्त बाबा साहेब अंबेडकर ने समाज के हर वर्ग का कल्याण सुनिश्चित किया: प्रधानमंत्री #मनकीबात
भारत 9 साल पहले 26/11 को मुंबई में हुए उस आतंकवादी हमले को कभी नहीं भूलेगा जिसने देश को हिलाकर रख दिया था: प्रधानमंत्री मोदी #मनकीबात
आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। इससे न केवल भारत को बल्कि पूरे विश्व को खतरा है। विश्व को इस खतरे से लड़ने के लिए एकजुट होने की जरुरत: पीएम मोदी #मनकीबात
भारत भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, गुरु नानक, और महात्मा गांधी की भूमि जिसने हमेशा से विश्व भर में अहिंसा का संदेश प्रसारित किया है: प्रधानमंत्री
हमारी नदियां और समुद्र हमारे देश के लिए आर्थिक और रणनीतिक तौर पर महत्त्वपूर्ण: ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री मोदी
ज़रा सोचिए, क्या होगा अगर विश्व में कहीं भी उपजाऊ मिट्टी नहीं बचे? मिट्टी नहीं होगी तो न कोई पेड़ होगा, न कोई जीव-जंतु; मानव जीवन ही संभव नहीं होगा: पीएम मोदी #मनकीबात
हमारे दिव्यांग भाई- बहन दृढ़-निश्चयी, क्षमतावान, साहसी और संकल्पवान। हमें हर पल उनसे कुछ सीखने का मौका मिलता है: ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री
देश के प्रत्येक व्यक्ति को सशक्त बनाना हमारी प्रतिबद्धता, समान एवं समावेशी समाज का निर्माण हमारा उद्देश्य: प्रधानमंत्री मोदी #मनकीबात
देश सेना, नौसेना और वायु सेना के सैनिकों के बलिदान, उनके साहस, बहादुरी, शौर्य और पराक्रम को सलाम करता है: पीएम मोदी #मनकीबात

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | कुछ समय पहले, मुझे कर्नाटक के बालमित्रों के साथ परोक्ष संवाद का अवसर मिला | Times Group के   ‘ विजय कर्नाटका’ अख़बार ने बाल दिवस पर एक पहल की, जिसमें उन्होंने बच्चों से आग्रह किया कि वे देश के प्रधानमंत्री को पत्र लिखें | और फिर उन्होंने उसमें से कुछ selected पत्रों को छापा | मैंने उन पत्रों को पढ़ा, मुझे काफ़ी अच्छा लगा | ये नन्हें-मुन्हें बालक भी, देश की समस्याओं से परिचित हैं, देश में चल रही चर्चाओं से भी परिचित हैं | कई विषयों पर इन बच्चों ने लिखा| उत्तर कन्नड़ की, कीर्ति हेगड़े ने, Digital India और Smart City योजना की सराहना करते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि हमें अपनी शिक्षा-व्यवस्था में बदलाव की ज़रूरत है और उन्होंने ये भी कहा कि आजकल बच्चे classroom reading करना पसंद नहीं करते, उन्हें प्रकृति के बारे में जानना अच्छा लगता है | और अगर, हम बच्चों को प्रकृति की जानकारियाँ देंगे तो शायद पर्यावरण की रक्षा में, वो आगे चल करके काम आ सकते हैं |

लक्ष्मेश्वरा से रीडा नदाफ़,उस बच्चे ने लिखा है कि वो एक फौज़ी की बेटी है और उन्हें इस बात का गर्व है | कौन हिन्दुस्तानी होगा जिसको फौज़ी पर गर्व न हो ! और आप तो फौज़ी की बेटी हो, आपको गर्व होना बहुत स्वाभाविक है | कलबुर्गी से इरफ़ाना बेग़म, उन्होंने लिखा है कि उनका स्कूल उनके गाँव से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिसकी वजह से उन्हें घर से जल्दी निकलना पड़ता है और घर वापस आने में भी बहुत देर रात हो जाती है | और, उसमें उन्होंने कहा कि मैं अपने दोस्तों के साथ समय भी नहीं बिता पाती हूँ | और उन्होंने सुझाव दिया है कि नज़दीक में कोई स्कूल होना चाहिए | लेकिन देशवासियो, मुझे अच्छा लगा कि एक अख़बार ने initiative लिया और मुझ तक ये पत्र पहुँचे और मुझे उन पत्रों को पढ़ने का अवसर मिला | मेरे लिए भी ये एक अच्छा अनुभव था |

मेरे प्यारे देशवासियो, आज 26/11 है | 26 नवम्बर, ये हमारा संविधान दिवस है | उन्नीस सौ उनचास में,1949 में आज ही के दिन, संविधान-सभा ने भारत के संविधान को स्वीकार किया था | 26 जनवरी 1950 को, संविधान लागू हुआ और इसलिए तो हम, उसको गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं | भारत का संविधान, हमारे लोकतंत्र की आत्मा है | आज का दिन, संविधान-सभा के सदस्यों के स्मरण करने का दिन है | उन्होंने भारत का संविधान बनाने के लिए लगभग तीन वर्षों तक परिश्रम किया | और जो भी उस debate को पढ़ता है, हमें गर्व होता है कि राष्ट्र को समर्पित जीवन की सोच क्या होती है ! क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि विविधताओं से भरे अपने देश का संविधान बनाने के लिए उन्होंने कितना कठोर परिश्रम किया होगा ? सूझ-बूझ, दूर-दर्शिता के दर्शन कराए होंगे और वो भी उस समय, जब देश ग़ुलामी की जंज़ीरों से मुक्त हो रहा था | इसी संविधान के प्रकाश में संविधान-निर्माताओं , उन महापुरुषों के विचारों के प्रकाश में नया भारत बनाना,ये हम सब का दायित्व है | हमारा संविधान बहुत व्यापक है| शायद जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, प्रकृति का कोई ऐसा विषय नहीं है जो उससे अछूता रह गया हो | सभी के लिए समानता और सभी के प्रति संवेदनशीलता, हमारे संविधान की पहचान है | यह हर नागरिक, ग़रीब हो या दलित, पिछड़ा हो या वंचित , आदिवासी, महिला सभी के मूलभूत अधिकारों की रक्षा करता है और उनके हितों को सुरक्षित रखता है | हमारा कर्तव्य है कि हम संविधान का अक्षरशः पालन करें | नागरिक हों या प्रशासक,संविधान की भावना के अनुरूप आगे बढ़ें | किसी को किसी भी तरह से क्षति ना पहुँचे - यही तो संविधान का संदेश है | आज, संविधान-दिवस के अवसर पर डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर की याद आना तो बहुत स्वाभाविक है | इस संविधान-सभा में महत्वपूर्ण विषयों पर 17 अलग-अलग समितियों का गठन हुआ था | इनमें से सर्वाधिक महत्वपूर्ण समितियों में से एक, drafting committee थी | और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, संविधान की उस drafting committee के अध्यक्ष थे | एक बहुत बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका का वो निर्वाह कर रहे थे | आज हम भारत के जिस संविधान पर गौरव का अनुभव करते हैं, उसके निर्माण में बाबासाहेब आंबेडकर के कुशल नेतृत्व की अमिट छाप है | उन्होंने ये सुनिश्चित किया कि समाज के हर तबके का कल्याण हो | 6 दिसम्बर को उनके महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर, हम हमेशा की तरह उन्हें स्मरण और नमन करते हैं | देश को समृद्ध और शक्तिशाली बनाने में बाबासाहेब का योगदान अविस्मरणीय है | 15 दिसम्बर को सरदार वल्लभभाई पटेल की पुण्यतिथि है| किसान-पुत्र से देश के लौह-पुरुष बने सरदार पटेल ने, देश को एक सूत्र में बाँधने का बहुत असाधारण कार्य किया था | सरदार साहब भी संविधान सभा के सदस्य रहे थे | वे मूलभूत अधिकारों, fundamental rights, अल्प-संख्यकों और आदिवासियों पर बनी advisory committee के भी अध्यक्ष थे |

26/11 हमारा संविधान-दिवस है लेकिन ये देश कैसे भूल सकता हैं कि नौ साल पहले 26/11 को, आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला बोल दिया था | देश उन बहादुर नागरिकों, पुलिसकर्मी, सुरक्षाकर्मी, उन हर किसी का स्मरण करता है, उनको नमन करता है जिन्होंने अपनी जान गंवाई | यह देश कभी उनके बलिदान को नहीं भूल सकता | आतंकवाद आज विश्व के हर भू-भाग में और एक प्रकार से प्रतिदिन होने वाली घटना का, एक अति-भयंकर रूप बन गई है | हम, भारत में तो गत 40 वर्ष से आतंकवाद के कारण बहुत कुछ झेल रहे हैं | हज़ारों हमारे निर्दोष लोगों ने अपनी जान गंवाई है| लेकिन कुछ वर्ष पहले,भारत जब दुनिया के सामने आतंकवाद की  चर्चा करता था, आतंकवाद से भयंकर संकट की चर्चा करता था तो दुनिया के बहुत लोग थे, जो इसको गंभीरता से लेने के लिए तैयार नहीं थे | लेकिन जब आज, आतंकवाद उनके अपने दरवाज़ों पर दस्तक दे रहा है तब, दुनिया की हर सरकार, मानवतावाद में विश्वास करने वाले, लोकतंत्र में भरोसा करने वाली सरकारें, आतंकवाद को एक बहुत बड़ी चुनौती के रूप में देख रहे हैं | आतंकवाद ने विश्व की  मानवता को ललकारा है | आतंकवाद ने मानवतावाद को चुनौती दी है | वो मानवीय शक्तियों को नष्ट करने पर तुला हुआ है | और इसलिए, सिर्फ़ भारत ही नहीं, विश्व की सभी मानवतावादी शक्तियों को एकजुट होकर, आतंकवाद को पराजित करके ही रहना होगा | भगवान बुद्ध, भगवान  महावीर, गुरु नानक, महात्मा गांधी, ये ही तो ये धरती है जिसने अहिंसा और प्रेम का संदेश दुनिया को दिया है |  आतंकवाद और उग्रवाद, हमारी सामाजिक संरचना को कमज़ोर कर, उन्हें छिन्न-भिन्न करने का नापाक प्रयास करते हैं | और इसलिए, मानवतावादी शक्तियों का अधिक जागरूक होना समय की मांग है |

मेरे प्यारे देशवासियो, 4 दिसम्बर को हम सब Navy Day, नौ-सेना दिवस मनाएंगें | भारतीय नौ-सेना, हमारे समुद्र-तटों की रक्षा और सुरक्षा प्रदान करती है | मैं, नौ-सेना से जुड़े सभी लोगों का अभिनंदन करता हूँ | आप सभी जानते ही होंगे कि हमारी सभ्यता का विकास नदियों के किनारे हुआ है | चाहे वो सिन्धु हो, गंगा हो, यमुना हो, सरस्वती हो - हमारी नदियाँ और समुद्र, आर्थिक और सामरिक  strategic, दोनों purpose के लिए महत्वपूर्ण हैं | ये पूरे विश्व के लिए हमारा gateway है | इस देश का, हमारी इस भूमि का महासागरों के साथ अटूट संबंध रहा है | और जब हम, इतिहास की ओर नज़र करते हैं तो 800-900 साल पहले चोल-वंश के समय, चोल-नेवी ( Chola Navy) को सबसे शक्तिशाली नौ-सेनाओं में से एक माना जाता था | चोल-साम्राज्य के विस्तार में , उसे अपने समय का economic super power बनाने में उनकी नेवी का बहुत बड़ा हिस्सा था | चोल-नेवी की मुहीम, खोज- यात्राओं के ढ़ेरों उदाहरण, संगम-साहित्य में आज भी उपलब्ध हैं | बहुत कम लोगों को पता होगा कि विश्व में ज़्यादातर नौ-सेनाओं ने बहुत देर के बाद युद्ध-पोतों पर महिलाओं को allow किया था | लेकिन चोल-नेवी में और वो भी 800-900 साल पहले, बहुत बड़ी संख्या में महिलाओं ने प्रमुख भूमिका निभाई थी | और यहाँ तक कि महिलाएँ, लड़ाई में भी शामिल होती थीं | चोल-शासकों के पास ship building, जहाजों के निर्माण के बारे में बहुत ही समृद्ध ज्ञान था | जब हम नौ-सेना की बात करते हैं तो छत्रपति शिवाजी महाराज और नौ-सेना के उनके सामर्थ्य को कौन भूल सकता है ! कोंकण तट-क्षेत्र, जहाँ समुद्र की महत्वपूर्ण भूमिका है, शिवाजी महाराज के राज्य के अंतर्गत आता था | शिवाजी महाराज से जुड़े कई क़िले जैसे सिंधु दुर्ग, मुरुड जंजिरा,स्वर्ण दुर्ग आदि या तो समुद्र तटों पर स्थित थे या तो समुद्र से घिरे हुए थे | इन क़िलों के सुरक्षा की  ज़िम्मेदारी मराठा नौ-सेना करती थी | मराठा Navy में बड़े-बड़े जहाज़ों और छोटी-छोटी नौकाओं का combination था | उनके नौसैनिक किसी भी दुश्मन पर हमला करने और उनसे बचाव करने में अत्यंत कुशल थे | और हम मराठा नेवी की चर्चा करें और कान्होजी आंग्रे को याद न करें,ये कैसे हो सकता है ! उन्होंने मराठा नौ-सेना को एक नए स्तर पर पहुँचाया और कई स्थानों पर मराठा नौ-सैनिकों के अड्डे स्थापित किए | स्वतंत्रता के बाद हमारी भारतीय नौ-सेना ने विभिन्न अवसरों पर अपना पराक्रम दिखाया - चाहे वो गोवा के मुक्ति-संग्राम हो या 1971 का भारत-पाक युद्ध हो | जब हम नौ-सेना की बात करते हैं तो सिर्फ हमें युद्ध ही नज़र आता है लेकिन भारत की नौ-सेना, मानवता के काम में भी उतनी ही बढ़-चढ़ कर के आगे आई है | इस वर्ष जून महीने में बांग्लादेश और म्यांमार में Cyclone Mora का संकट आया था, तब हमारी नौ-सेना की Ship , INS SUMITRA ने तत्काल rescue के लिए मदद की थी और कई मछुआरों को पानी से बाहर सुरक्षित बचाकर बांग्लादेश को सौंपा था | इस वर्ष मई-जून में जब श्रीलंका में बाढ़ का भयंकर संकट आया था तब हमारी नौ-सेना के तीन जहाज़ों ने तत्काल ही वहाँ पहुँच करके वहाँ की सरकार और वहाँ की जनता को मदद पहुंचाई थी | बांग्लादेश में सितम्बर महीने में रोहिंग्या के मामले में हमारी नौ-सेना की SHIP,  INS GHADIYAL (घड़ियाल) ने मानवीय सहायता पहुंचाई थी | जून महीने में PAPUA NEW GUINEA ( पापुआ न्यू गिनी ) की सरकार ने हमें SOS सन्देश दिया था और उनके fishing boat के मछुआरों को बचाने में हमारी नौ-सेना ने सहायता की थी |   21 नवंबर को पश्चिम GULF में एक merchant vessel में PIRACY की घटना में भी, हमारा नौ-सेना जहाज़ INS TRIKAND (त्रिकंड) सहायता के लिए पहुँच गया था | FIJI तक आरोग्य सेवाएँ पहुंचानी हो, तत्काल राहत पहुँचानी हो, पड़ोसी देश को संकट के समय मानवीय मदद पहुंचानी हो, हमारी नौ-सेना हमेशा गौरवपूर्ण कार्य करती रही है | हम भारतवासी, हमारे सुरक्षा-बलों के प्रति हमेशा गौरव और आदर का भाव रखते हैं - चाहे वो Army हो, Navy हो, Air Force हो , हमारे जवानों का साहस, वीरता, शौर्य, पराक्रम, बलिदान हर देशवासी उनको सलाम करता है | सवा सौ करोड़ देशवासी सुख-चैन की ज़िन्दगी जी सकें  इसलिए वो अपनी जवानी,  देश के लिए क़ुर्बान कर देता है | हर वर्ष 7 दिसम्बर को ARMED FORCES , Flag Day मनाता है | यह देश के  ARMED FORCES के प्रति गर्व करने और सम्मान प्रकट करने का दिन है | मुझे खुशी है, इस बार रक्षा-मंत्रालय ने 1 से 7 दिसम्बर तक अभियान चलाने का निर्णय किया है - देश के नागरिकों के पास पहुँच करके ARMED FORCES के संबंध में लोगों को जानकारी देना, लोगों को जागरूक करना | पूरे सप्ताह-भर बच्चे-बड़े, हर कोई flag लगाएं | देश में सेना के प्रति सम्मान का एक आंदोलन खड़ा हो जाए | इस अवसर पर हम ARMED FORCES FLAGS distribute कर सकते हैं | अपने आस-पास में, अपनी जान-पहचान में जो ARMED FORCES से जुड़े हैं , उनके experiences को, उनके courageous act को, उससे जुड़े videos और pictures, #armedforcesflagday (hashtag armedforcesflagday) पर post कर सकते हैं | स्कूलों में, कॉलेज में, फ़ौज के लोगों को बुला करके, उनसे फ़ौज के विषय में जानकारियाँ ले सकते हैं | हमारी नई पीढ़ी को फ़ौज के संबंध में जानकारियाँ पाने का एक अच्छा अवसर बन सकता है | यह अवसर हमारे ARMED FORCES के सभी जवानों के कल्याण के लिए धनराशि संग्रह करने का होता है | यह राशि, सैनिक कल्याण बोर्ड के माध्यम से युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के परिवारजनों को, घायल सैनिकों के कल्याण के लिए उनके पुनर्वास पर खर्च की जाती है | आर्थिक योगदान देने के लिए आप विभिन्न भुगतान के बारे में जानकारी ksb.gov.in से ले सकते हैं | आप इसके लिए cashless पेमेंट भी कर सकते हैं | आइए, इस अवसर पर हम भी कुछ ऐसा करें, जिससे हमारे सशस्त्र बलों का मनोबल बढ़े | हम भी उनके कल्याण की दिशा में अपना योगदान दें |

मेरे प्यारे देशवासियो, 5 दिसम्बर को ‘World Soil Day’ है | मैं  अपने किसान भाई-बहनों से भी कुछ बाते करना चाहता हूँ | पृथ्वी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है- मिट्टी | हम जो कुछ भी खाते हैं वो इस मिट्टी से ही तो जुड़ा हुआ है | एक तरह से पूरा food chain, मिट्टी soil से जुड़ा हुआ है | ज़रा कल्पना कीजिए , अगर इस विश्व में कही भी उपजाऊ मिट्टी न हो तो क्या होगा ? सोचकर के भी डर लगता है | न मिट्टी होगी, न पेड़-पौधें उगेंगे, मानव-जीवन कहाँ संभव होगा? जीव-जंतु कहाँ संभव होगा? हमारी संस्कृति में इस पर बहुत पहले चिंता कर ली गई और यही कारण है कि हम मिट्टी के महत्व को लेकर, प्राचीन समय से जागरुक रहे हैं | हमारी संस्कृति में एक ओर खेतों के प्रति, मिट्टी के प्रति, भक्ति और आभार-भाव, लोगों में बना रहे ऐसा सहज प्रयास है तो दूसरी ओर ऐसी वैज्ञानिक पद्दतियाँ, जीवन का हिस्सा रहीं कि इस मिट्टी का पोषण होता रहा | इस देश के किसान के जीवन में, दोनों ही बातों का महत्व रहा है - अपनी मिट्टी के प्रति भक्ति और साथ-साथ वैज्ञानिक-रूप से मिट्टी को सहेजना – संवारना | हम सबको इस बात का गर्व है कि हमारे देश के किसान, परंपरा से भी जुड़े रहते हैं और आधुनिक विज्ञान की तरफ भी रूचि रखते हैं, प्रयास करते हैं, संकल्प करते हैं | मैं हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर ज़िले के टोहू गाँव, भोरंज ब्लॉक और वहां के किसानों के बारे में मैंने सुना था | यहाँ किसान पहले असंतुलित ढंग से रासायनिक उर्वरकों , fertiliser का उपयोग कर रहे थे और जिसके कारण उस धरती की सेहत बिगड़ती गई | उपज कम होती गई और उपज कम होने से आय भी कम हो गई और मिट्टी की भी उत्पादकता धीरे-धीरे-धीरे घटती जा रही थी | गाँव के कुछ जागरुक किसानों ने इस परिस्थिति की गंभीरता को समझा और इसके बाद गाँव के किसानो ने समय पर अपनी मिट्टी की जाँच करायी और जितने fertiliser, उर्वरकों, micro-nutrient और जैविक खाद का उपयोग करने के लिए उन्हें कहा गया, उन्होंने उस advice को माना, उस सलाह को माना | और आप यह परिणाम सुनकर के चौंक जाएँगे कि soil health के द्वारा किसानों को जो जानकारी मिली और उससे उनको को मार्गदर्शन मिला,उसको लागू करने का परिणाम क्या आया? रबी 2016-17 में गेंहू के उत्पादन में प्रति एकड़ तीन से चार गुना की वृद्धि हुई और आय में भी प्रति एकड़ चार हज़ार से लेकर के छह(6) हज़ार रूपये तक की वृद्धि हुई | इसके साथ-साथ मिट्टी की quality में भी सुधार आया | fertiliser का उपयोग कम होने के कारण आर्थिक बचत भी हुई | मुझे यह देख कर काफी ख़ुशी है कि मेरे किसान भाई soil health card ,मृदा–स्वास्थ्य कार्ड में दी गई सलाह पर अमल करने के लिए आगे आए हैं और जैसे-जैसे परिणाम मिल रहे हैं , उनका उत्साह भी बढ़ता जा रहा है | और अब किसान को भी लग रहा है कि अगर फसल की चिंता करनी है तो पहले धरती-माँ का ख्याल रखना होगा और अगर धरती-माँ का ख्याल हम रखेंगे तो धरती-माँ, हम सब का ख्याल रखेंगी | देश-भर में हमारे किसानों ने 10 करोड़ से अधिक soil health card बनवा लिए हैं ताकि वे अपनी मिट्टी को बेहतर ढंग से समझ सकें और उस अनुरुप, फसल भी बो सकें | हम धरती-माता की भक्ति करते हैं पर धरती-माता को यूरिया जैसे उर्वरक fertiliser से धरती-माँ के स्वास्थ्य को कितनी हानि होती है, कभी सोचा है? हर प्रकार के वैज्ञानिक तरीक़ों से यह सिद्ध हो चुका है कि धरती-माँ को आवश्यकता से अधिक यूरिया के उपयोग से गंभीर नुक़सान पहुँचता है | किसान तो धरती का पुत्र है, किसान धरती-माँ को बीमार कैसे देख सकता है? समय की माँग है, इस माँ-बेटे के संबंधों को फिर से एक बार जागृत करने की | क्या हमारे किसान, हमारे धरती के पुत्र, हमारे धरती के संतान ये संकल्प कर सकते हैं क्या कि आज वो अपने खेत में जितना यूरिया का उपयोग करता है , 2022, जब आज़ादी के 75 साल होंगे, आधा उपयोग बंद कर देगा ? एक बार अगर  माँ-धरती का पुत्र, मेरा किसान भाई, ये संकल्प कर ले तो देखिए कि धरती-माँ की सेहत सुधर जाएगी, उत्पादन बढ़ जाएगा | किसान की ज़िन्दगी में बदलाव आना शुरू हो जाएगा |             

Global warming, Climate change अब हम सब लोग अनुभव करने लगे हैं | वो भी एक वक़्त था कि दीवाली के पहले सर्दी आ जाती थी | अब दिसम्बर दस्तक दे रहा है और सर्दी बहुत धीरे-धीरे-धीरे कदम बढ़ा रही है | लेकिन जैसे ही सर्दी शुरू हो जाती है, हम सब का अनुभव है कि रज़ाई से बाहर निकलना ज़रा अच्छा नहीं लगता है | लेकिन, ऐसे मौसम में भी सतत-जागरूक रहने वाले लोग कैसा परिणाम लाते हैं और ये उदाहरण हम सब के लिए प्रेरणा देते हैं | आपको भी सुन करके आश्चर्य होगा कि मध्यप्रदेश के एक 8 वर्षीय दिव्यांग बालक तुषार, उसने अपने गाँव को खुले में शौच से मुक्त कराने का बीड़ा उठा लिया | इतने व्यापक स्तर का काम और इतना छोटा बालक! लेकिन जज़्बा और संकल्प, उससे कई गुना बड़े थे, बृहत् थे और ताक़तवर थे | 8 वर्षीय बालक बोल नहीं सकता लेकिन उसने सीटी को अपना हथियार बनाया और सुबह 5 बजे उठ कर, अपने गाँव में घर-घर जा कर लोगों को सीटी से जगा करके, हाथ के action से खुले में शौच न करने के लिए शिक्षा देने लगा | हर दिन 30-40 घरों में जा करके स्वच्छता की सीख देने वाले इस बालक की बदौलत कुम्हारी गाँव, खुले में शौच से मुक्त हो गया | स्वच्छता को बढ़ावा देने की दिशा में उस नन्हे बालक तुषार ने प्रेरक काम किया | ये दिखाता है कि स्वच्छता की न कोई उम्र होती है, न कोई सीमा | बच्चा हो या बुज़ुर्ग, महिला हो या पुरुष, स्वच्छता सभी के लिए ज़रुरी है और स्वच्छता के लिए हर किसी को कुछ-न-कुछ करने की भी ज़रुरत है | हमारे दिव्यांग भाई-बहन दृढ़-निश्चयी हैं, सामर्थ्यवान हैं ,साहसिक और संकल्पवान हैं | हर पल हमें कुछ-न-कुछ सीखने को मिलता है | आज वे हर-एक क्षेत्र में अच्छा कर रहे हैं | चाहे खेल का क्षेत्र हो, कोई competition का हो, कोई सामाजिक पहल हो- हमारे दिव्यांग-जन भी किसी से पीछे नहीं रहते हैं | आप सब को याद होगा हमारे दिव्यांग खिलाड़ियों ने Rio Olympic में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 4 पदक जीते थे और Blind T-20 Cricket World Cup में भी champion बने थे | देशभर में अलग-अलग तरह की प्रतियोगिताएँ होती रहती हैं | पिछले दिनों उदयपुर में 17वीं National Para-swimming प्रतियोगिता आयोजित हुई | देशभर के विभिन्न हिस्सों से आए हुए हमारे युवा दिव्यांग भाई-बहनों ने इसमें भाग लिया और अपने कौशल का परिचय दिया | उन्हीं में से एक हैं गुजरात के 19 साल के जिगर ठक्कर, उनके शरीर के 80% हिस्से में मांसपेशी नहीं है लेकिन उनका साहस, संकल्प और उनकी मेहनत को देखिए ! National Para-swimming प्रतियोगिता में 19 साल के जिगर ठक्कर जिसके शरीर में 80 % मांसपेशी न हो और 11 Medal जीत जाए ! 70वीं National Para-swimming प्रतियोगिता में भी उन्होंने gold  जीता | उनके इसी कौशल का परिणाम है कि वो भारत के Sports Authority of India द्वारा 20-20 Paralympics के लिए चुने गए, 32 para तैराकों में से एक हैं जिन्हें गुजरात के गांधी नगर में  Centre for Excellences में training दी जाएगी | मैं युवा जिगर ठक्कर के जज़्बे को सलाम करता हूँ और उन्हें अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ | आज दिव्यांगजनों के लिए accessibility और opportunity पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है | हमारा प्रयास है कि देश का हर एक व्यक्ति सशक्त हो | एक समावेशी समाज का निर्माण हो | ‘सम’ और ‘मम’ के भाव से समाज में समरसता बढ़े और सब, एक साथ मिल करके आगे बढ़ें |

कुछ दिन बाद ‘ईद-ए-मिलाद-उन-नबी’ का पर्व मनाया जाएगा | इस दिन पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था | मैं सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ और मुझे आशा है कि ईद का ये पर्व, समाज में शांति और सद्भावना को बढ़ाने के लिए हम सबको नयी प्रेरणा दे, नयी ऊर्जा दे, नया संकल्प करने का सामर्थ्य दे |     

(फ़ोन-कॉल)

‘नमस्ते प्रधानमंत्री जी , मैं कानपुर से नीरजा सिंह बोल रही हूँ | मेरी आपसे एक requestrequestrequest है कि इस पूरे साल में जो आपने अपनी मन की बात में जो बातें कही हैं , उनमें से जो दस सबसे अच्छी बातें हैं उनको आप हमसे दोबारा shareshare करें | जिससे कि हमसब को पुनः उन बातों का स्मरण हो और हमें कुछ सीखने को मिले | धन्यवाद |

(फ़ोन-कॉल समाप्त)

आपकी बात सही है कि 2017 पूर्ण हो रहा है, 2018 दरवाज़े पर दस्तक दे रहा है | लेकिन आपने अच्छा सुझाव दिया है | लेकिन आप ही की बात से मुझे, कुछ और उसमें जोड़ने का और परिवर्तन का मन करता है | और हमारे यहाँ तो गाँव के अंदर जो हमारे वरिष्ठ लोग होते हैं, गाँव के जो बूढ़े लोग होते हैं, बड़े-बूढ़े हमेशा कहा करते हैं- दुख को भूलो और सुख को भूलने मत दो | दुख को भूलें, सुख को भूलने न दें | मुझे लगता है, इस बात को हमे प्रचारित करना चाहिए | हम भी 2018 में शुभ का स्मरण करते हुए, शुभ का संकल्प करते हुए प्रवेश करें | हम जानते हैं कि हमारे यहाँ तो, शायद दुनिया-भर में होता है कि वर्ष के अंत में जब लेखा-जोखा करते हैं,चिंतन-मनन करते हैं , मंथन करते हैं और अगले वर्ष के लिए योजनाएँ बनाते हैं | हमारे यहाँ media में तो, बीते हुए साल की कई रोचक घटनाओं को फिर से एक बार पुनः स्मरण कराने का प्रयास होता है | उसमें positive भी होती हैं , negative भी होती हैं | लेकिन क्या आपको नहीं लगता है कि 2018 में हम प्रवेश, अच्छी चीज़ों को याद करके करें , अच्छा करने के लिए करें ? मैं आप सबको एक सुझाव देता हूँ कि आप सब 5-10 अच्छी positive बातें जो आपने सुनी हों, आपने देखी हों, आपने अनुभव की हों और जिसको अगर और लोग जाने तो उनको भी एक शुभ-भाव पैदा हो | क्या आप इसमें योगदान दे सकते हैं ? क्या इस बार हम इस वर्ष के अपने जीवन के 5 positive experience share कर सकते हैं ? चाहे वो फ़ोटो के माध्यम से हो, छोटी-सी कोई कहानी के रूप में हो, story के रूप में हो, छोटे से video के रूप में हो, मैं निमंत्रित करता हूँ कि 2018 का स्वागत हमें एक शुभ-वातावरण में करना है | शुभ-स्मृतियों के साथ करना है| Positive thinking के साथ करना है | Positive बातों को याद करके करना है |

आइए, NarendraModi App पर, MyGov पर या social media पर #PositiveIndia (हैशटैग Positive India) के साथ सकारात्मक बातों को share करें | औरों को प्रेरणा देने वाली घटनाओं का स्मरण करें | अच्छी बातों को याद करेंगे तो अच्छा करने का mood बनेगा | अच्छी चीजें, अच्छा करने के लिए ऊर्जा दे देती हैं | शुभ-भाव, शुभ-संकल्प का कारण बनता है | शुभ-संकल्प, शुभ-परिणाम के लिए आगे ले जाता है |

आइए, इस बार प्रयास करें #PositiveIndia (हैशटैग Positive India) | देखिये, हम सब मिलकर के क्या ज़बरदस्त positive vibe generate करके, आने वाले साल का स्वागत करेंगे | इस collective momentum की ताक़त और इसका impact हम सब मिल करके देखेंगे | और मैं जरुर अगले ‘मन की बात’ में आपके इन #PositiveIndia (हैशटैग Positive India) पर आई हुई चीज़ों को देशवासियों के बीच पहुँचाने का प्रयास करूँगा |

मेरे प्यारे देशवासियो, अगले महीने, अगली ‘मन की बात’ के लिए फिर आपके बीच आऊँगा | ढ़ेर सारी बातें करने का अवसर मिलेगा | बहुत-बहुत धन्यवाद !

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कैबिनेट ने दिल्ली मेट्रो के फेज V (A) प्रोजेक्ट के अंतर्गत तीन नए कॉरिडोर्स को स्वीकृति दी
December 24, 2025

The Union Cabinet chaired by the Prime Minister, Shri Narendra Modi has approved three new corridors - 1. R.K Ashram Marg to Indraprastha (9.913 Kms), 2. Aerocity to IGD Airport T-1 (2.263 kms) 3. Tughlakabad to Kalindi Kunj (3.9 kms) as part of Delhi Metro’s Phase – V(A) project consisting of 16.076 kms which will further enhance connectivity within the national capital. Total project cost of Delhi Metro’s Phase – V(A) project is Rs.12014.91 crore, which will be sourced from Government of India, Government of Delhi, and international funding agencies.

The Central Vista corridor will provide connectivity to all the Kartavya Bhawans thereby providing door step connectivity to the office goers and visitors in this area. With this connectivity around 60,000 office goers and 2 lakh visitors will get benefitted on daily basis. These corridors will further reduce pollution and usage of fossil fuels enhancing ease of living.

Details:

The RK Ashram Marg – Indraprastha section will be an extension of the Botanical Garden-R.K. Ashram Marg corridor. It will provide Metro connectivity to the Central Vista area, which is currently under redevelopment. The Aerocity – IGD Airport Terminal 1 and Tughlakabad – Kalindi Kunj sections will be an extension of the Aerocity-Tughlakabad corridor and will boost connectivity of the airport with the southern parts of the national capital in areas such as Tughlakabad, Saket, Kalindi Kunj etc. These extensions will comprise of 13 stations. Out of these 10 stations will be underground and 03 stations will be elevated.

After completion, the corridor-1 namely R.K Ashram Marg to Indraprastha (9.913 Kms), will improve the connectivity of West, North and old Delhi with Central Delhi and the other two corridors namely Aerocity to IGD Airport T-1 (2.263 kms) and Tughlakabad to Kalindi Kunj (3.9 kms) corridors will connect south Delhi with the domestic Airport Terminal-1 via Saket, Chattarpur etc which will tremendously boost connectivity within National Capital.

These metro extensions of the Phase – V (A) project will expand the reach of Delhi Metro network in Central Delhi and Domestic Airport thereby further boosting the economy. These extensions of the Magenta Line and Golden Line will reduce congestion on the roads; thus, will help in reducing the pollution caused by motor vehicles.

The stations, which shall come up on the RK Ashram Marg - Indraprastha section are: R.K Ashram Marg, Shivaji Stadium, Central Secretariat, Kartavya Bhawan, India Gate, War Memorial - High Court, Baroda House, Bharat Mandapam, and Indraprastha.

The stations on the Tughlakabad – Kalindi Kunj section will be Sarita Vihar Depot, Madanpur Khadar, and Kalindi Kunj, while the Aerocity station will be connected further with the IGD T-1 station.

Construction of Phase-IV consisting of 111 km and 83 stations are underway, and as of today, about 80.43% of civil construction of Phase-IV (3 Priority) corridors has been completed. The Phase-IV (3 Priority) corridors are likely to be completed in stages by December 2026.

Today, the Delhi Metro caters to an average of 65 lakh passenger journeys per day. The maximum passenger journey recorded so far is 81.87 lakh on August 08, 2025. Delhi Metro has become the lifeline of the city by setting the epitome of excellence in the core parameters of MRTS, i.e. punctuality, reliability, and safety.

A total of 12 metro lines of about 395 km with 289 stations are being operated by DMRC in Delhi and NCR at present. Today, Delhi Metro has the largest Metro network in India and is also one of the largest Metros in the world.